नेपाल के नवनिर्वाचित प्रधानमन्त्री के पी शर्मा ओली 6 से 8 अप्रैल तक भारत के दौरे पर रहे. विगत वर्ष हुए संघीय और प्रांतीय स्तर के चुनावों में अप्रत्याशित जीत के बाद ही यह निश्चित हो गया था कि एमाले के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली नेपाल के नए प्रधानमन्त्री होंगे. वर्ष 2015 में बने नेपाल के नए संविधान के लागुकरण की प्रक्रिया को पूरा करते हुए ओली 15 फरवरी 2018 को प्रधानमन्त्री पद पर आसीन हुए. ओली के प्रधानमन्त्री बनते ही एक सप्ताह के अन्दर भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी और भारत आने का न्योता भी दिया. ओली की प्रधानमन्त्री के रूप में यह भारत की दूसरी यात्रा थी इससे पहले वे मार्च 2016 में भारत आये थे. इस यात्रा से पूर्व के दो घटनाक्रमों को देखना यहाँ जरुरी है. पहला, काफी समय बाद नेपाल के ऐसे प्रधानमन्त्री भारत आये जो कि आम चुनाव द्वारा निर्वाचित है, एक स्थिर सरकार के मुखिया है और संसद में उन्हें बहुमत प्राप्त है. दूसरा, मार्च महीने में पाकिस्तान प्रधानमन्त्री अब्बासी के नेपाल दौरे के बाद नेपाल के राजनीतिक नेतृत्व पर भारत भ्रमण का एक मनोवैज्ञानिक दबाव भी था.
नेपाल के प्रधानमन्त्री ओली के भारत आने से पूर्व दोनों ही देशों के राजनीतिक हलकों में इस यात्रा के उद्देश्य और महत्व पर बातचीत शुरू हो गयी थी. भारत के प्रमुख विपक्षी दलों ने ओली के भारत भ्रमण पर प्रधानमन्त्री मोदी को कुछ सुझाव भी दिए. विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमन्त्री मोदी को सुझाव दिया कि भारत को नेपाल को एक संप्रभु देश मानते हुए नेपाल के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए. यह भी कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की भारत यात्रा के दौरान मोदी को उदार ह्रदय दिखाना चाहिए. कांग्रेस के नेता मणि शंकर अय्यर ने कहा कि नेपाल के प्रधानमन्त्री ओली के भारत भ्रमण के दौरान भारत को स्वयं को विवेक पूर्ण तरीके से प्रस्तुत करना चहिये और भारत इस देश के लोगों का दिल तभी जीत सकता है जब वह उसे एक संप्रभु देश की तरह जैसा वह करना चाहता है, करने दे.1 वही दूसरी तरफ भारत आने से पहले प्रधानमन्त्री ओली ने नेपाल की संसद को संबोधित किया और आगामी भारत यात्रा के प्रमुख मुद्दों को भी प्रस्तुत किया. ओली ने कहा कि नेपाल भारत के साथ कोई नए समझौते नहीं करेगा और इस प्रकार के समझौते बिलकुल नही करेगा जिससे नेपाल की गरिमा और संप्रभुता को खतरा हो. उन्होंने आगे कहा कि वे भारत से कृषि, जलमार्ग और रेलमार्ग के मुद्दों पर बात करेंगे और साथ ही साथ सार्क के संचालन पर भी बात करेंगे. 2
नेपाल के प्रधानमंत्री ओली का स्वागत इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने किया. ओली के साथ उनकी पत्नी राधिका शाक्य के अतिरिक्त 54 सदस्यीय शिष्ट मंडल भी भारत भ्रमण पर उनके साथ था. तीन दिवसीय इस राजकीय दौरे में पहले दिन नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने भारत नेपाल बिजनेस फोरम को संबोधित किया. ओली ने कहा कि अभी केंद्र में हमारी सरकार मजबूत है और उसके पास निचले सदन में तीन चौथाई बहुमत है. एक स्थिर सरकार का मतलब है नीतियों में स्थिरता और नियमितता. उन्होंने इस अवसर पर भारत के निवेशकों को नेपाल में निवेश करने की बात कही.3 शुक्रवार के दिन ही नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की ‘वन टू वन’ बैठक प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई. जिसमे उन्होंने द्विपक्षीय मुद्दों के अतिरिक्त पारस्परिक हितों पर भी बातचीत की.
नेपाल के प्रधानमन्त्री की यात्रा के दूसरे दिन हैदराबाद हाउस में दोनों देश के नेताओं के मध्य कई महत्वपूर्ण समझौते हुए और 12 सूत्री संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया. संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों सरकार प्राइवेट सेक्टर, लोगों के स्तर पर और सरकारों के स्तर पर बढती साझेदारी का स्वागत करती है. दोनों प्रधानमंत्रियों ने सहमती जताई कि समानता, आपसी विश्वास, सम्मान और लाभ के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाईयों पर ले जाने के लिए मिलकर काम किया जायेगा. प्रधानमन्त्री मोदी ने आश्वासन दिया कि भारत नेपाल सरकार की प्राथमिकताओं के अनुसार साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा कि भारत सरकार का विजन/दृष्टिकोण 'सबका साथ साथ सबका विकास' अपने पडौसियों की समृद्धि और समावेशित विकास को साझा करने की निर्देशित संरचना है. प्रधानमन्त्री ओली ने कहा कि नेपाल में एक अभूतपूर्व राजनीतिक परिवर्तन के बाद उनकी सरकार ने 'समृद्ध नेपाल सुखी नेपाल के लक्ष्य के साथ आर्थिक विकास और परिवर्तन को प्राथमिकता दी है. प्रधानमन्त्री ओली ने नेपाल की सरकार और वहाँ की जनता को स्थानीय, प्रांतीय और संघीय चुनाव की सफलता और और स्थिर सरकार बनने पर बधाई दी. दोनों प्रधानमंत्रियों ने बीरगंज के एकीकृत चेक पोस्ट का उद्धघाटन किया. इससे यह आशा जताई गयी कि सीमा के आर पार व्यापार, सामानों की आवाजाही और लोगों के आने जाने में सुविधा होगी और इससे पारस्परिक लाभ और विकास के अवसर बढ़ेंगे. दोनों प्रधानमंत्रियों ने मोतिहारी (भारत) में मोतिहारी-अमलेखगंज पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन का उद्धघाटन किया. पारस्परिक हितों के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी पृथक संयुक्त वक्तव्य जारी किये गये, जिसके तहत- भारत-नेपाल: कृषि में नई साझेदारी, रेल लिंक का विस्तारण: रक्सौल (भारत) से काठमांडू (नेपाल) को जोड़ना तथा इनलैंड वाटर वेज द्वारा भारत नेपाल के मध्य नई संपर्कता स्थापित करना. संयुक्त वक्तव्य के अंत में नेपाल के प्रधानमन्त्री ओली ने भारत के प्रधानमन्त्री मोदी को नेपाल आने का निमंत्रण दिया.4
संयुक्त वक्तव्य में यद्यपि नेपाल को कोई बड़ा आर्थिक अनुदान नहीं मिला और यह औसतन सामान्य रहा. महत्वपूर्ण बात यह रही कि इस दौरान किसी भी पक्ष द्वारा विवादास्पद मुद्दे को नहीं उठाया गया. भारत द्वारा भी पहले की तरह संविधान संशोधन और मधेश मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई और नेपाली पक्ष भी इस पर मौन रहा. इस यात्रा के दौरान प्रतिबंधित भारतीय मुद्रा की अदला बदली पर भी कोई बात नही हुई जिसे ओली के भारत आने से पूर्व नेपाल में उठाया गया था और बूढी गण्डकी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर भी किसी प्रकार की चर्चा नहीं हुई. प्रधानमन्त्री ओली ने इस दौरान क्षेत्रीय और उप क्षेत्रीय संगठनों जैसे सार्क और बिम्सटेक के महत्व पर बल दिया. इसके जवाब में भारतीय पक्ष का कहना था कि इस समय सार्क की प्रक्रिया को आगे बढाने का महत्व नहीं है.5 वक्तव्य में 1950 की संधि की समीक्षा पर कोई बात नहीं की गयी जबकि नेपाल के नेतृत्व के पिछले दोनों भ्रमणों में इस पर बात हुई थी. अभी जबकि ई पी जी संधि की समीक्षा करके दोनों सरकारों को सौपने वाली है, अतः उस पर सरकार के स्तर पर वार्ता हों जरुरी था.
इस प्रकार इस यात्रा से दोनों देशों के बीच तीन महत्वपूर्ण समझौते हुए. रेल लिंक समझौता: रक्सौल से काठमांडू तक- भारत और नेपाल के प्रधानमन्त्री एक नई बिजली युक्त रेल लाइन के निर्माण पर सहमत हुए, जिसमे भारत आर्थिक सहायता प्रदान करेगा. जो कि भारत के सीमावर्ती शहर रक्सौल को नेपाल की राजधानी काठमांडू से जोड़ेगा. भारत सरकार इसके लिए आगे नेपाल सरकार से विमर्श करेगी और एक साल में इसका प्राथमिक सर्वे का काम पूरा होगा. दोनों पक्ष इस प्रोजेक्ट के लागुकरण का अंतिम फैसला विस्तृत रिपोर्ट तैयार होने पर करेंगे.
दूसरा महत्वपूर्ण समझौता नेपाल को जलमार्ग से समुद्र तक रास्ता देना. जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने सागरमाथा को सागर से जोड़ने की बात कही. दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस पर सहमति प्रकट करते हुए कहा कि व्यापार और पारगमन की व्यवस्थाओं के तहत नेपाल को अतिरिक्त रूप से समुद्री मार्ग मिलेगा और कार्गो और ट्रकों की सुगम आवाजाही होगी. इस पर दोनों नेताओं ने अपने आधिकरिकों को निर्देश दिए कि आपसी सहमति के आधार पर इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया का सूत्रीकरण किया जाये.
तीसरा समझौता कृषि क्षेत्र में नई साझेदारी को लेकर हुआ. दोनों देशों के किसानों, उपभोक्ताओं, वैज्ञानिक समुदाय और निजी सेक्टर के पारस्परिक लाभ के आधार पर बने ज्ञापन समझौते के तहत कृषि विज्ञान और तकनीकी तथा कृषि उत्पादन और कृषि प्रक्रिया में सहयोग. यह साझेदारी कृषि अनुसन्धान और विकास, शिक्षा, प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति की संयुक्त परियोजनाओं पर केन्द्रित होगी. इसके तहत बीज तकनीकी, मृदा गुणवत्ता, मूलनिवासियों की पीढ़ियों के संशाधन, कृषि- वन जैविकता, जैव उर्वरकता आदि पर अनुसन्धान शामिल है.6
वस्तुतः नेपाल के प्रधानमन्त्री ओली की इस यात्रा में समझौतों से अधिक आपसी विश्वास के निर्माण पर बल दिया गया. इस यात्रा के दौरान नेपाल का राजनीतिक नेतृत्व एक नई राजनीतिक व्यवस्था और एक नई सोच के साथ भारत से अपने रिश्ते आगे बढ़ाने के मकसद को प्रकट करने के प्रयास करते दिखा. मोदी और ओली की बैठक के दौरान नेपाल के प्रधानमन्त्री ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि हमारे लिए संधि समझौतों से पहले अपनी मित्रता है, जिसका समर्थन प्रधानमन्त्री मोदी ने भी किया और उन्होंने कहा कि हम भी यही चाहते है कि आपसी विश्वास बढे और मित्रता मजबूत हो.7 इस यात्रा से भारत ने नेपाल को सार्क के साथ न चलने और बिम्सटेक और बी बी आई एन जैसी उप क्षेत्रीय संगठनों में साझेदारी के संकेत दिए. चीन की ओबोर परियोजना और पाकिस्तान प्रधानमंत्री द्वारा नेपाल में कनेक्टिविटी की बात करना कही ना कही नेपाल को पाकिस्तान और चीन के हमराही के रूप में दिखता है. लेकिन भारत ने नेपाल की इस भुआबद्ध विवशता को जानते हुए इस बार रेलमार्ग और जलमार्ग जैसे संपर्कों से नेपाल को कनेक्टिविटी देने की पहल की. कुछ विश्लेषक इसे वर्ष 2016 में नेपाल चीन के मध्य हुए रेल मार्ग समझौते का प्रत्युत्तर मानते है. यहाँ तक कि संयुक्त वक्तव्य में भारत के प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा सागरमाथा से सागर तक जोड़ने की बात इसको पूर्ण रूप से सिद्ध करती है.
प्रधानमंत्री ओली ने भारत यात्रा समाप्त होने के बाद इसे एक सफल और एतिहासिक यात्रा कहा. त्रिभुवन हवाईअड्डे पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह दिल्ली यात्रा विगत समय में उत्पन्न हुए आपसी अविश्वास को ख़त्म करने में सहायक रही. ओली ने कहा कि मैंने बैठक के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि नेपाल आपसी सम्मान और एक दूसरे की संप्रभुता एवं गरिमा को अक्षुण्ण बनाये रखने के आधार पर चाहता है और प्रधानमन्त्री मोदी इस पर सकारात्मक थे. उन्होंने यह भी कहा कि हमने भारत के साथ हमेशा अच्छे रिश्ते बनाये है लकिन यदा कदा किसी तीसरे पक्ष द्वारा इसमें बाधा पहुंचाई जाती है. भारत के साथ हमारे सम्बन्ध सही दिशा में जा रहे, इसके लिए अलग से स्पष्टीकरण देने की जरुरत नहीं है, इस यात्रा से यह स्वयं सिद्ध हो रहा है.8
नेपाल के प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने ओली की भारत यात्रा की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमन्त्री ओली दिल्ली भ्रमण के दौरान देश के प्रमुख मुद्दों को संबोधित करने में असफल रहे है. नेपाली कांग्रेस के नेता बिश्व प्रकाश शर्मा ने कहा कि कुछ द्विपक्षीय मुद्दे ऐसे है जिन्हें अविलम्ब सुलझाना चाहिए था और हमें ओली से उम्मीद थी कि वे इनको भारतीय पक्ष के सामने रखेंगे. लेकिन इन मुद्दों को संयुक्त वक्तव्य में भी शामिल नहीं किया गया.जिसमे पंचेश्वर प्रोजेक्ट, पुरानी भारतीय करेंसी का बदलना और मानसून में तराई में बाढ़ आपदा प्रबंधन आदि प्रमुख है. कांग्रेस नेता प्रकाश सरन महत ने इसे 'अर्थ हीन' कहा. उन्होंने आगे कहा कि ये समझौते कैसे लागू होंगे इस पर मुझे शंका है. रेलमार्ग कैसे बनेगा, आर्थिक सहायता अनुदान होगी या ऋण होगी. हम समुद्री मार्ग की बात पिछले चालीस सालों से कर रहे है और अभी रेल मार्ग की विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट आना बाकि है. शेर बहादुर देउबा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस यात्रा से भारत नेपाल के संबंधों में कोई वृद्धि हुई है, केवल ओली जी के सम्बन्ध ही भारत से सुधरे है.9
अन्ततः ओली की यह यात्रा एक सकारात्मक माहौल स्थापित करती है और द्विपक्षीय संबंधों को पुनः परिभाषित करने की कोशिश करती है. नेपाल के नवनिर्वाचित प्रधानमन्त्री ओली की इस यात्रा से कुछ बाते स्पष्ट होती है, जैसे द्विपक्षीय रिश्तों में आपसी सम्मान, आर्थिक विकास को सबसे अधिक प्राथमिकता देना, भारत और चीन के साथ अलग अलग प्रकार से रिश्ते बनाकर आर्थिक रूप से नेपाल को आत्मनिर्भर बनाना. नेपाल अभी एक बड़े राजनीतिक संक्रमण के दौर से गुजरा है और तीनों स्तर के चुनाव भी संपन्न हुए है. इसलिए अब नेपाल की प्राथमिकता आर्थिक विकास की रहेगी जो कि ओली की इस यात्रा में भी स्पष्ट था. भारत के साथ मुख्य समझौते कनेक्टिविटी को लेकर रहे जो कि भविष्य में नेपाल के व्यापार और वाणिज्य में लाभदायक होंगे. लेकिन इन समझौतों का महत्व तभी है जब दोनों देशों की तरफ से इन पर निगरानी रखी जाये. दूसरी बात इसे लेकर भारत द्वारा डिलीवरी में विलम्ब न हो और नेपाल में राजनीतिक स्थिरता बनी रहे. तभी इस यात्रा में हुए समझोतों का लाभ होगा. इन समझौतों का समय से लागुकरण ही इस भारत भ्रमण की सफलता माना जाना चाहिए अन्यथा यह भी पिछली यात्राओं के समान ही रहेगी.
लेखक, शोध अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, सप्रू हाउस
1 Suresh Raj Neupane, "Respect Nepal, says Indian opposition", The Kathmandu Post, 5 April 2018,
http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-post/2018-04-05/1
2 Sanjaya Lama, "Will focus on implementing past pacts with India: PM Oli", The Kathmandu Post, 3 April 2018,
http://kathmandupost.ekantipur.com/news/2018-04-03/pm-to-focus-on-implementing-past-pacts-rather-than-signing-new-ones-during-his-india-visit.html
3 “PM Urges Indian investors to invest in Nepal”, The Rising Nepal, 7 April 2018,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2018-04-07/1aeb85667a22e81851aebacfaa73bd66.jpg
5 "Banned Indian notes find no mention", The Kathmandu Post, 8 April 2018,
http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-post/2018-04-08/1
6 Chandra Sekhar Adhikari, "New Channels of cooperation open", The Kathmandu Post, 8 April 2018,
http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-post/2018-04-08/1
7 परशुराम काफले, "प्रधानमन्त्री ओली को त्यों र यो भ्रमण", नयाँ पत्रिका, 11 अप्रैल 2018,
http://www.enayapatrika.com/2018/04/11/39432/
8 India visit successful, historic: PM", The Kathmandu Post, 9 April 2018,
http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-post/2018-04-09/1
9 "Two NC leaders divided over outcome of PM's India visit", The Kathmandu Post, 10 April 2018,
http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-pos t/2018-04-10/1