यूरोप में लगातार बढ़ रहे शरणार्थियों की समस्या के मद्देनज़र, एक वृहत नीति परिवर्तन के अंतर्गत जर्मनी, अफ़ग़ानिस्तान से आने वाले शरणार्थियों पर रोक लगाने की कोशिश में जुटा हैI ज्ञात रहे कि जर्मनी, यूरोपीय देशों में शरणार्थियों को अपनाने वाला सबसे बड़ा देश हैI पिछले कुछ वर्षों से पश्चिम एशिया में ‘सीरिया संकट’ के कारण, यूरोप में सीरियाई शरणार्थियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है और 2014 के अंत तक, सीरिया विश्व का सबसे अधिक शरणार्थी पैदा करने वाला देश बन गया हैI1 ग़ौरतलब है कि पिछले तीन दशकों तक अफ़ग़ानिस्तान सबसे अधिक शरणार्थी पैदा करने वाला देश रहा थाI2 वर्तमान समय में, यूरोप, विशेषकर जर्मनी, जाने वाले शरणार्थियों में अफ़ग़ान शरणार्थी, सीरियाई शरणार्थियों के बाद, दूसरा सबसे बड़ा समूह हैI शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के अनुसार वर्ष 2015 के प्रथम अर्धवार्षिक में लगभग 80,000 अफ़ग़ान शरणार्थियों ने यूरोप में शरण लेने हेतु आवेदन किया था जबकि वर्ष 2014 के प्रथम अर्धवार्षिक में आवेदनों की संख्या लगभग 24,000 थीI3 इस सन्दर्भ में यह समझना आवश्यक है कि वर्तमान समय में जब अफ़ग़ानिस्तान राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया से गुजर रहा है तब अफ़ग़ानवासी देश छोड़ कर क्यों जा रहे हैं? यूरोपीय देशों की इन अप्रवासी शरणार्थियों को लेकर क्या प्रतिक्रिया है? शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त और अफ़ग़ानिस्तान सरकार का इस मुद्दे पर क्या रुख़ है?
अफ़ग़ान शरणार्थी की समस्या दशकों पुरानी हैI 1978 के गृहयुद्ध और 1979 में सोविएत संघ के आक्रमण के पश्चात अफ़ग़ानवासियों का विस्थापन और दूसरे देशों में शरण लेने प्रक्रिया शुरू हुई जो बाद के दशकों में भी तालिबान के सत्ता में आने और क्रूरता के साथ शरिया क़ानून को लागू करने की वजह से जारी रहीI वर्ष 2001 में भी 'आतंकवाद के ख़िलाफ युद्ध' शुरू किए जाने की वजह से भी विस्थापन और प्रवासन की प्रक्रिया चलती रहीI वर्तमान समय में भी अफ़ग़ानियों का देश छोड़कर यूरोप में शरण लेने के लिए जाने के अनेक कारण हैंI अंतराष्ट्रीय सहायता सुरक्षा बल की वापसी (कुछ संख्या को छोड़कर) के बाद अफ़ग़ानिस्तान में सुरक्षा स्थिति कमज़ोर हुई हैI एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान, पश्चिम एशिया, विशेषकर सीरिया पर केंद्रित होने के कारण तालिबान पुनः सक्रिय हो गया हैI यहाँ तक की कुछ माह पूर्व तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के कुंदूज़ प्रांत, जो पहले तालिबान का गढ़ रहा था, पर अपना आधिपत्य जमा लिया और वहाँ की जेल से अनेक तालिबान कार्यकर्ताओं और समर्थकों को छुड़ाने में सफल रहाI इस समय अफ़ग़ान सेना और तालिबान के बीच की लड़ाई में अनेक अफ़गानी विस्थापित हुएI अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहयता मिशन के अनुसार, वर्ष 2015 के प्रथम अर्धवार्षिक में, सुरक्षा बलों और विद्रोहियों के मुठभेड़ में लगभग 5000 नागरिक मारे गये या आहत हुएI वहीं दूसरी ओर, पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामिक स्टेट की उपस्थिति ने सुरक्षा के मुद्दे को और जटिल बना दिया हैI पुनः जातीय समूह जैसे शिया या हज़ारा, तालिबान और अल क़ायदा द्वारा नरसंहार का शिकार हो रहे हैं तथा भयभीत हैंI इन कारणों के अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच बढ़ते अविश्वास और बिगड़ते संबंधों तथा पाकिस्तान में अफ़ग़ान शरणार्थियों के साथ हुए दुर्व्यवहार की वजह से अफ़ग़ान शरणार्थी पाकिस्तान न जाकर यूरोप को प्राथमिकता दे रहे हैंI अफ़ग़ानिस्तान के अलावा पाकिस्तान से भी अफ़ग़ान शरणार्थी यूरोप की ओर रुख़ कर रहे हैंI शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के अनुसार पाकिस्तान में अभी भी 1.5 मिलियन पंजीकृत और 1 मिलियन अपंजीकृत अफ़ग़ान शरणार्थी मौजूद हैं4 जो पाकिस्तान में हो रही दुर्दशा और दबाव के कारण पाकिस्तान छोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैंI उच्चायुक्त के अनुसार, ईरान में पंजीकृत अफ़ग़ान शरणार्थियों की संख्या 1 मिलियन हैंI5
यूरोपीय देशों में सरकारें 'शरणार्थी संकट' की समस्या से जूझने के लिए प्रयासरत हैंI शरणार्थी अपने जीवन को ख़तरे में डाल कर भी, कभी वैधानिक तो कभी अवैधानिक तरीके से यूरोप पहुँचने को तैयार हैंI जर्मन अधिकारियों का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान सार्वभौमिक रूप से असुरक्षित नहीं है और इसके ज़्यादातर भाग पर अफ़ग़ान सरकार का नियंत्रण है, अतः सभी प्रवासियों को शरण नहीं दी जा सकतीI अधिकारियों का ये भी कहना है कि जर्मन सेना ने 14 वर्ष अफ़ग़ानिस्तान की सुरक्षा की और साथ ही जर्मनी ने 2.15 बिलियन डॉलर भी अफ़ग़ानिस्तान में नागरिक परियोजनाओं पर खर्च किया हैI अतः इन प्रयासों द्वारा जर्मनी, दूसरे की सहयता करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करता है और इससे अफ़ग़ान शरणार्थियों को शरण देने की ज़िम्मेदारी कम हो जाती हैI फलस्वरूप, जर्मन सरकार अपंजीकृत अफ़ग़ान शरणार्थियों को वापस भेज देना चाहती हैI जर्मनी ने अभी तक लगभग 50 प्रतिशत प्रवासी आवेदनों को अस्वीकृत कर दिया हैI6 अफ़ग़ानवासियों का अवैधानिक रूप से जर्मनी में प्रवेश रोकने के लिए, जर्मन सरकार ने अफ़ग़ानिस्तान में एक अभियान शुरू किया है, जिसके अंतर्गत काबुल एवं अन्य शहरों में, पश्तून और दारी, दो प्रमुख भाषाओं में होर्डिंग्स लगाए जा रहे हैंI इन होर्डिंग्स में अफ़ग़ानिस्तान न छोड़ने, अफवाहों पर ध्यान न देने और मानव तस्करों से बच कर रहने की सलाह दी गयी हैI हालाँकि जर्मनी ने यह भी साफ कर दिया है कि वास्तव में जिन प्रवासियों को शरण मिलनी चाहिए, उनकी सहयता की जाएगीI
एक जर्मन दैनिक, फ्रॅंकफर्टर अल्लजेमीन ज़ाइटंग (Frankfurter Allgemeine Zeitung) में छपे रिपोर्ट के अनुसार, जर्मन सरकार ने यूरोपीय संसद से आग्रह किया है कि अफ़ग़ानिस्तान की सरकार के साथ एक ऐसा समझौता किया जाए जिसके अंतर्गत उन अफ़ग़ान शरणार्थियों, जिनके आवेदन अस्वीकृत कर दिए गये हैं, को वापस भेजने का प्रावधान होI7 इस रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी अफ़ग़ानिस्तान को सीरिया के समकक्ष नहीं रखता है जहाँ अभी भी गृहयुद्ध चल रहा हैI इसके अनुसार अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति सीरिया से बेहतर और तुलनात्मक रूप से स्थिर हैI यूरोपीय संसद के अध्यक्ष, मार्टिन शुल्ज ने शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त आंटोनीयो गुटररेस की बात दोहराते हुए कहा कि जो शरण पाने के हकदार नहीं हैं उन्हें लौट जाना चाहिएI8 यूरोपीय देशों के कई राजनीतिक दलों ने शरणार्थियों को रोकने के लिए सख़्त सीमा सुरक्षा की माँग की हैI फ्रांस ने भी यूरोपीय संघ की बाहरी सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने की माँग की हैI शरणार्थियों को नियंत्रित करने के लिए यूरोपीय संघ के सदस्य देशों ने बाहरी सीमा पर 235 किलो मीटर का घेराव तैयार किया है जिसे बनाने में 175 मिलियन पौंड लगे हैंI9 ऑस्ट्रीया और स्लोवीनिया जैसे देश, जो शरणार्थियों के लिए यूरोप में प्रवेश का मुख्य द्वार हैं, ने भी सीमाओं को बंद करने के लिए एक दीवार खड़ी करने की योजना बनाई हैI10 हालाँकि यूरोप द्वारा उठाए गये इस कदम की मानव अधिकार संगठनों ने आलोचना की है क्योंकि इससे शरणार्थियों के बालकन देशों में हीं फँस कर रह जाने की संभावना हैI
वहीं दूसरी ओर, अफ़ग़ान सरकार बड़ी संख्या में अफ़ग़ान शरणार्थियों के निर्वासन से चिंतित हैंI अफ़ग़ानिस्तान की बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था, कमजोर आर्थिक स्थिति और तालिबान के पुनरुद्धार के मद्देनज़र, अफ़ग़ान शरणार्थियों की वापसी और उनका पुनर्वास एक नई चुनौती के समान हैI अपनी शुरुआती प्रतिक्रिया में अफ़ग़ान मिनिस्ट्री ऑफ रेफ्यूजी एंड रिपेट्रियेशन ने अफ़ग़ान शरणार्थियों के निर्वासन पर अप्रसन्नता और गहरी चिंता जताई थीI उनके अनुसार, वर्तमान समय में अफ़ग़ानिस्तान, शरणार्थियों को वापस लेने की स्थिति में नहीं हैI परंतु अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति मुहम्मद अशरफ घनी और जर्मन चॅन्सेलर एंजेला मर्केल के बीच हुई बातचीत के दौरों के बाद यह तय हो गया कि अफ़ग़ानिस्तान अपने प्रवासी नागरिकों को, जिनका आवेदन स्वीकृत नहीं हुआ है, अफ़ग़ानिस्तान में पुनर्वास में सहायता करेगाI11 अफ़ग़ानिस्तान के उप राष्ट्रपति के प्रवक्ता, ज़फ़र हाशमी के अनुसार, जेनेवा कनवेन्शन के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में ये अफ़ग़ानिस्तान का उत्तरदायित्व है कि वो अपने नागरिकों के पुनर्वास में सहयता करेI12 इस पहल के अंतर्गत, अफ़ग़ान मिनिस्ट्री ऑफ रेफ्यूजी एंड रिपेट्रियेशन और प्रवासन के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने 13 दिसंबर 2015 को अंतराष्ट्रीय प्रवासन दिवस मनाया जिसमें वहाँ के नागरिकों को प्रवासन की चुनौतियों और संभावनाओं के बारे में बताया गयाI पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने देश के युवाओं को देश में रहकर उसके विकास में योगदान देने का आवाहन कियाI इसी क्रम में, अफ़ग़ानिस्तान सरकार ने शरणार्थियों से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए ‘प्रवास के लिए उच्च आयोग’ की स्थापना की हैI13
हालाँकि अफ़ग़ान शरणार्थियों के लिए दोनों परिस्थितियाँ दुखद हैंI जहाँ यूरोप में उन्हें अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर अफ़ग़ानिस्तान वापस आकर भी उनके अस्तित्व का संकट बना रहेगाI वर्तमान समय में अफ़ग़ानिस्तान सरकार इस 'शरणार्थी दबाव' का पूरी तरह सामना करने में सक्षम प्रतीत नहीं होती हैI उधर तालिबान निर्वासित शरणार्थियों की परिस्थिति का लाभ उठाकर युवाओं को प्रलोभित कर सकता है क्योंकि ऐसे निर्वासित शरणार्थी तालिबान का साथ देकर, यूरोपीयन यूनियन और नाटो का विरोध कर सकते हैंI ‘शरणार्थी संकट’ का दूसरा पहलू इस्लामिक स्टेट और तालिबान के बीच प्रतिस्पर्धा के रूप में भी देखा जा सकता हैI हाल हीं में इस्लामिक स्टेट ने सीरियाई शरणार्थियों के युरोप प्रवास का लाभ उठा कर पेरिस पर हमला किया तथा वैश्विक आतंकवादी संगठन के रूप में अपनी छवि मजबूत की हैI अफ़ग़ानिस्तान में भी इस्लामिक स्टेट की उपस्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता है हालाँकि तालिबान अभी भी वहाँ एक प्रभावशाली संगठन हैI पर इस्लामिक स्टेट की बढ़ती लोकप्रियता तालिबान में असुरक्षा पैदा कर सकती हैI अब तक तालिबान अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान तक हीं सीमित रहा है पर इस्लामिक स्टेट की छवि का काट बनने के लिए तालिबान को भी अपनी जड़ें फैलानी होगीI और इसके लिए वो निर्वासित शरणार्थियों को किस प्रकार इस्तेमाल करेगा ये समय के साथ हीं स्पष्ट हो पाएगाI पर ऐसा प्रतीत होता है कि अफ़ग़ान शरणार्थियों पर संकट मंडराता रहेगा और उनका संघर्ष आने वाले दिनो में भी ज़ारी रहेगाI
***
* लेखिका विश्व मामलों की भारतीय परिषद में अनुसंधान अध्येता हैं। ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं।
EndNotes
1 UNHCR, http://www.unhcr.org.uk/about-us/key-facts-and-figures.html (Accessed on 12 December 2015).
2 Ibid.
3 Michelle Jasmin Dimasi and William Maley, “The Refugee Crisis and Afghan Asylum-Seekers in Europe: Testimony of Youth,” Foreign Policy Journal, 20 November 2015. URL: http://www.foreignpolicyjournal.com/2015/11/20/the-refugee-crisis-and-afghan-asylum-seekers-in-europe-testimony-of-youth/ (Accessed on 12 December 2015).
4 http://www.unhcr.org/pages/49e487016.html (Accessed on 22 December 2015).
5 Ibid.
6 http://www.telegraph.co.uk/news/worldnews/europe/germany/11956007/Germany-to-start-sending-back-migrants-from-Afghanistan-according-to-reports.html (Accessed on 12 December 2015).
7 http://www.dw.com/en/afghan-refugee-minister-afghans-should-be-treated-on-par-with-syrians/a-18806357 (Accessed on 23 December 2015).
8 http://www.euractiv.com/sections/justice-home-affairs/berlin-seeks-deport-more-failed-afghan-refugees-318877 (Accessed on 23 December 2015).
9 Eurasia Review, http://www.eurasiareview.com/21112015-refugees-fear-being-trapped-in-balkans-analyysis/ (Accessed on 12 December 2015).
10 Ministry of Refugees and Repatriations, Islamic Republic of Afghanistan, 31 October 2015. URL: http://morr.gov.af/en/news/56057.
11 Ministry of Refugees and Repatriations, Islamic Republic of Afghanistan.
12 “Afghanistan to accept its citizens deported from Germany”, Daily Sabah, Mideast, 02 November 2015.
13 Ministry of Refugees and Repatriations, Islamic Republic of Afghanistan, 14 December 2015.