श्री ओलेग वी. कोपिलोव, उप महासचिव, शंघाई सहयोग संगठन,
एससीओ सदस्य देशों के प्रतिनिधिमंडल प्रमुख एवं प्रतिष्ठित विशेषज्ञ,
श्री मयंक सिंह, एससीओ राष्ट्रीय समन्वयक एवं संयुक्त सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार,
मित्रों!
नई दिल्ली में एससीओ फोरम की 20वीं बैठक में आपका हार्दिक स्वागत है। भारतीय वैश्विक परिषद भारत का सबसे पुराना और अग्रणी विदेश नीति थिंक टैंक है। आईसीडब्ल्यूए के लिए इस महत्वपूर्ण मंच की अध्यक्षता और मेजबानी करना गौरव की बात है, जिसका उद्देश्य विचारों के आदान-प्रदान के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देकर और हमारे नेताओं के लिए सिफारिशें करके यूरेशिया और उससे आगे सहयोग के लिए एक प्रमुख बहुपक्षीय मंच के रूप में एससीओ के उत्थान में योगदान करना है।
आज हमारे फोरम का विषय है - सिक्योर एससीओ: 'विश्व एक परिवार है' की भावना में एक परिवर्तित क्षेत्र की ओर अग्रसर होना। यह अवधारणा फोरम के लिए भारत की प्राथमिकताओं से उत्पन्न होती है, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षित एससीओ के दृष्टिकोण के माध्यम से व्यक्त किया है - एक एजेंडा जो सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण संरक्षण पर प्रकाश डालता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह भारत के सदियों पुराने सभ्यतागत लोकाचार - जिसे हम संस्कृत में वसुधैव कुटुम्बकम कहते हैं और जिसका अर्थ है "विश्व एक परिवार है" - को बहुपक्षीय मंचों के संचालन में लागू करना चाहता है, जिसे भारत सभी की सुरक्षा और विकास के हित में महत्व देता है। वसुधैव कुटुम्बकम एक संस्कृत वाक्यांश से कहीं अधिक है; यह सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत सिद्धांतों के माध्यम से सद्भाव, आपसी समझ, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और शासन को विकसित करने की एक पद्धति है।
एक ऐसे विश्व में जो बहुध्रुवीय संरचना में परिवर्तित हो चुका है, यूरेशिया महाद्वीप में सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने में एससीओ का महत्व काफी बढ़ जाता है। एससीओ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में है क्योंकि काफी भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बीच एक नई विश्व व्यवस्था आकार लेना शुरू कर रही है। एससीओ वर्तमान में अपने विस्तार के माध्यम से एक बड़े परिवर्तन से गुजर रहा है; यह अनुमान है कि इससे यह यूरेशिया में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने में और अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा, जबकि मध्य एशिया को संगठन का केन्द्र बिन्दु बनाए रखेगा। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि एससीओ में अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों और सेक्टरों में क्षेत्रीय सहयोग की गतिशीलता को बदलने की क्षमता है।
भारत आतंकवाद मुक्त विश्व के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है; इसकी प्रतिबद्धता सर्वविदित है। इसने लंबे समय से इस खतरे की अंतरराष्ट्रीय प्रकृति, इसकी विश्वव्यापी पहुंच के बारे में तर्क दिया है और पारंपरिक रूप से आतंकवाद से निपटने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बहुत महत्व दिया है। यूरेशिया के संदर्भ में यह कहना उचित होगा कि भारत चेचन्या और दागेस्तान से लेकर शिनजियांग तक चरमपंथी विचारधाराओं को पनपते हुए नहीं देखना चाहता। हमारा मानना है कि इस क्षेत्र में स्थिरता भारत की सुरक्षा और खुशहाली से बहुत गहराई से जुड़ी हुई है। इस संदर्भ में, हम एससीओ आरएटीएस के कार्य को महत्व देते हैं तथा इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं। हमारे लिए कट्टरपंथ से मुक्ति एक मंत्र है और हम आशा करते हैं कि एससीओ कट्टरपंथ से निपटने में अपने काम को मजबूत करेगा, जो आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को जन्म देता है। विशेष रूप से युवाओं के लिए, कट्टरपंथ से मुक्ति की रणनीति तैयार करने और उसे क्रियान्वित करने के लिए सहयोगात्मक कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है।
22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा दिखाई गई बर्बरता ने देश, प्रदेश और दुनिया को स्तब्ध और आहत कर दिया है। धर्म के आधार पर निर्दोष नागरिकों की उनके परिवार और बच्चों के सामने निर्मम हत्या ने आतंक, सांप्रदायिक मानसिकता और नफरत का वीभत्स चेहरा दिखाया है।
संभवतः, आतंकवादियों को भारत के उस दृढ़ संकल्प का अंदाजा नहीं था कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा और देश में सामान्य स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आतंकवादी ढांचे को खत्म करने जा रहा है। आतंक और धार्मिक घृणा के इस ताजा कृत्य ने भारत के धैर्य को तोड़ दिया है। भारत के खिलाफ षड्यंत्रकारी व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुसार, आतंकवाद के विरुद्ध भारत द्वारा हाल में उठाए गए कदमों ने आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक अभियान में एक नया संदर्भ बिंदु, एक नया उपाय और एक नया विशिष्ट दृष्टिकोण परिभाषित किया है। शांति और सामान्य स्थिति का मार्ग शक्ति प्रदर्शन से होकर गुजरता है, जिसे भारत ने अपनी जनता के पूर्ण समर्थन से हाल ही में आतंकवाद विरोधी अभियानों के माध्यम से शुरू किया है। हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत पर आतंकवादी हमले की स्थिति में, आतंकवाद के पनपने वाले किसी भी स्थान पर उचित जवाब दिया जाएगा - ताकि आतंकवाद और उसके समर्थकों की नींव को नष्ट किया जा सके। भारत अब से आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली सरकारों और आतंकवाद के मास्टरमाइंडों के बीच कोई अंतर नहीं करेगा।
दोस्तों! आतंकवाद और जनसंहारक हथियारों के बीच का संबंध मृत्यु के चुंबन के समान है। भारत परमाणु ब्लैकमेल को सहन नहीं करेगा। भारत परमाणु ब्लैकमेल की आड़ में पनप रहे आतंकवादी ठिकानों पर सटीक और निर्णायक हमला करेगा। भारत की भावना इतनी मजबूत है कि उसे आतंकवाद, उसकी धमकियाँ और उसकी जोखिम भरी चालें तोड़ नहीं सकतीं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि "यह निश्चित रूप से युद्ध का युग नहीं है, लेकिन यह आतंकवाद का युग भी नहीं है।" आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता एक बेहतर विश्व की गारंटी है। कोई भी संस्था, सरकार या राज्य जो आतंकवाद को प्रोत्साहित करता है, वह अंततः एक दिन इन बुरी शक्तियों द्वारा निगल लिया जाएगा। शांति का कोई अन्य मार्ग नहीं है सिवाय आतंकवाद और इसके समर्थक बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के। आतंकवाद वार्ता और व्यापार के विपरीत है।
प्रिय प्रतिभागियों, एससीओ असंख्य जातीयताओं, धर्मों, परंपराओं और मूल्यवान दर्शन का घर है। एससीओ क्षेत्र की प्रत्येक संस्कृति ज्ञान और बुद्धिमता का महान भंडार है। भारत एससीओ के मंच को सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आपसी समझ बढ़ाने तथा राजनीतिक, आर्थिक और विश्वास प्रणालियों में संयम को महत्व देने के लिए अत्यधिक महत्व देता है। हमारे युवाओं, महिलाओं, बुद्धिजीवियों को विशेषकर विभिन्न तंत्रों के माध्यम से अपने आपसी संपर्क को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इतिहासकारों, दार्शनिकों, कवियों, कलात्मक और अंतर-धार्मिक सहयोगों की संगोष्ठियों जैसे संवादात्मक सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देना एक लंबा रास्ता तय करेगा। युवा विद्वानों का आदान-प्रदान, कार्यशालाओं और संगोष्ठियों में भागीदारी, विश्वविद्यालय सेमेस्टर/छात्र/शिक्षक विनिमय कार्यक्रम, पर्यटन को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है। स्मरणीय है कि 2022-23 में भारत की अध्यक्षता के दौरान एससीओ युवा शोधकर्ता रेजिडेंट कार्यक्रम की मेजबानी करने की आईसीडब्ल्यूए की पहल को सदस्यों द्वारा बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी।
जैसे-जैसे एससीओ मजबूत होता जाएगा और आगे बढ़ेगा, तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में अंग्रेजी को शामिल करने से एससीओ के सदस्य देशों, पर्यवेक्षकों और वार्ता साझेदारों तथा बाहरी दुनिया के बीच संचार में और सुविधा होगी, जिससे संगठन कार्यात्मक रूप से अधिक उत्पादक और प्रभावी बनेगा। हमारा मानना है कि एससीओ फोरम इस महत्वपूर्ण परिवर्तन के लिए एक प्रारंभिक बिंदु हो सकता है, जिसमें फोरम के नियमों में बदलाव की संभावना तलाशना भी शामिल है।
प्रिय सहभागियों, हम यहां साझा चुनौतियों और संभावित समाधानों पर विचार-विमर्श करने के लिए एकत्र हुए हैं। फोरम तंत्र एससीओ की बौद्धिक शाखा के रूप में कार्य करता है, जो उस दिशा में सहयोगात्मक प्रयासों के लिए तरीकों का प्रस्ताव करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। मैं इस यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए यहां मौजूद रहने के लिए आप सभी के प्रति एक बार फिर अपना आभार व्यक्त करना चाहती हूं।
धन्यवाद!
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