अगस्त 2025 में भारतीय वैश्विक परिषद में एक अंतर्राष्ट्रीय विधि केंद्र की स्थापना की गई है, जिसका उद्देश्य सेमिनारों, चर्चाओं, संवादों, अनुसंधान और प्रकाशनों से लेकर आईसीडब्ल्यूए के कार्य के सभी क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय विधि से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना है।
आईसीडब्ल्यूए अंतर्राष्ट्रीय विधि केंद्र के प्रमुख उद्देश्य होंगे:
(i) अंतर्राष्ट्रीय कानून और संबंधित वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मानदंड-निर्धारण के बारे में भारतीय दृष्टिकोण तैयार करना और उसे बढ़ावा देना; और
(ii) अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, कूटनीति और शासन कला से संबंधित भारत के सभ्यतागत मूल्यों पर आधारित एक मानक एजेंडा तैयार करना।
केंद्र इन मुख्य उद्देश्यों के आधार पर एक संवाद और कथानक तैयार करने का प्रयास करेगा और उन दृष्टिकोणों का समर्थन करेगा जिन्हें भारत को अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मानक निर्धारण निकायों में अपनाना चाहिए, जिनका असर राष्ट्रीय विधायी और कार्यान्वयन ढाँचों पर होगा।
जोर दिए जाने वाले प्रमुख क्षेत्रों में कानूनी ढांचे और मानक शामिल होंगे जो अंतर-राज्यीय अंतःक्रियाओं को विनियमित करते हैं, राज्यों की जवाबदेही और उनका आचरण, कूटनीतिक प्रथाओं से संबंधित सिद्धांत, बहुपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के मानक उद्देश्य, सभी स्तरों पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार न्याय प्रशासन, सामाजिक समझौते, लिंगों का सशक्तिकरण और लिंग गतिशीलता, आपराधिकता और एक परिवर्तनशील वैश्विक परिदृश्य में अंतर्राष्ट्रीय कानून का अनुप्रयोग।
यह केंद्र वैश्विक दक्षिण के विकासशील देशों की विशेष आवश्यकताओं पर भी ध्यान केंद्रित करेगा, जो कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के निर्माण में उनकी भागीदारी और क्षमता निर्माण तथा उनकी विशिष्ट राजनीतिक-सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर इसके कार्यान्वयन से संबंधित है।
इस केंद्र की अध्यक्षता आईसीडब्ल्यूए की सलाहकार (अंतर्राष्ट्रीय कानून) तथा भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में पूर्व अपर सचिव सुश्री उमा शेखर कर रही हैं।
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