ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका से मिल कर बना रणनीतिक समूह– चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) ने बीते साल दिसंबर में अपनी 20वीं वर्षगांठ मनाई। इस आयोजन को याद करते हुए क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया, “एक आपदा के बाद आपातकाली प्रतिक्रिया के रूप में जिसे शुरू किया गया था वह अब हमारे क्षेत्र के लोगों के लिए सकारात्मक परिणाम देने वाली पूर्ण साझेदारी बन चुकी है”[i]। साल 2004 की सुनामी के बाद बनाई गई यह साझेदारी चार देशों और उनके भागीदारों के लिए सहयोग एवं कूटनीति का एक विश्वसनीय साधन बन गई है। चारों देशों के बीच घनिष्ठ समन्वय ने जापान को इस समन्वय को मजबूत बनाने के विचार का प्रस्ताव करने के लिए प्रोत्साहित किया और उसी का परिणाम है कि चतुर्भुज वार्ता का आरंभ हुआ। साल 2007 में, समूह ने मनीला, फिलीपींस में आसियान क्षेत्रीय मंच के दौरान अपनी पहली अनौपचारिक बैठक आयोजित की। हालांकि, सहयोग के क्षेत्रों पर स्पष्टता की कमी, अलग– अलग विदेश नीति के लक्ष्य और राष्ट्रीय हितों के साथ– साथ सरकारों में बदलाव के कारण समूह की गतिविधियों को निलंबित कर दिया गया।
साल 2017 में क्वाड अपने भतभेदों से उपर उठा। तत्कालीन प्रधानमंत्री आबे ने इसके पुनरुद्धार में अहम भूमिका निभाई थी, साझा चिंताओं को दूर करने के लिए अधिक सहयोग की आवश्यकता को काफी हद तक स्वीकार किया गया था। भारत ने अपने क्षेत्रों में सभी के लिए सुरक्षा और विकास पहल के माध्यम से “हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने… (और) आर्थिक सुरक्षा सहयोग को प्रगाढ़ करने…”[ii] के लिए अपने नज़रिए को स्पष्ट किया और “ एक स्वतंत्र, मुक्त, सुरक्षित और समृद्ध हिंद– प्रशांत क्षेत्र को विकसित करने की जरूरत…,” जो कि एक समावेशी क्षेत्र है, को भी रेखांकित किया[iii]। ऑस्ट्रेलिया[iv] और संयुक्त राज्य अमेरिका[v] ने भी हिंद– प्रशांत क्षेत्र में अपनी वचनबद्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है एवं एक सुरक्षित और समृद्ध हिंद– प्रशांत को आगे बढ़ाने एवं नियम– आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद करने हेतु सक्रिय एवं ठोस कूटनीति और मजबूत साझेदारी का आह्वान किया है। जैसे– जैसे इन चार देशों के हित एक– दूसरे से जुड़ते गए, क्वाड नए सिरे से बातचीत का स्वाभाविक आधार बनता गया। मूल बात यह है कि 2021 से सरकार के क्वाड प्रमुख नियमित नियमित रूप से मिलते रहे हैं, यह दर्शाता है कि समूह ने चार देशों की नीति निर्माण में कितना महत्व हासिल कर लिया है। चूंकि क्वाड आगे बढ़ रहा है और अपने एजेंडे में विस्तार करता जा रहा है, इसलिए यह शोधपत्र क्वाड एजेंडे के चालकों, इसकी सफलता और इसके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताने का प्रयास है।
क्वाड की पहल: हिंद– प्रशांत में साझेदारी
क्वाड ने अपने एजेंडे को इस प्रकार से आकार दिया है कि वह चार सदस्य देशों की सामूहिक शक्ति और संसाधनों का दोहन कर सके, जिसमें सरकार– से– सरकार की साझेदारी से लेकर निजी क्षेत्र के बीच बढ़ती हुई भागीदारी और क्षेत्रीय विकास, सुरक्षा एवं स्थिरता का समर्थन करने के लिए लोगों– से–लोगों के बीच संपर्क शामिल है। इनमें अंतर– संसदीय आदान– प्रदान के माध्यम से चर्चा, क्वाड निवेशक नेटवर्क का विकास करना, ओपनआरएएन (OpenRAN)[vi] के माध्यम से पूरे क्षेत्र में सुरक्षित और उन्नत दूरसंचार का समर्थन करने जैसे प्रौद्योगिकी नवाचारों पर एक साथ काम करना और एआई प्रौद्योगिकियों का प्रयोग करने के लिए मिल कर काम करना शामिल है। क्वाड आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क और सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास पर भी बात कर रहा है जो भविष्य की अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढ़ाएगा। देश साइबर सुरक्षा, महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए कार्यबल विकास से संबंधित विषयों पर इंटरनेशनल विज़िटर लीडरशिप प्रोग्राम (IVLP) और अन्य आदान– प्रदान जैसे एक्सचेंज प्रोग्राम्स के माध्यम से अपने लोगों, विशेष रूप से युवाओं के बीच संबंध भी स्थापित कर रहे हैं। इसके अलावा अलग– अलग प्रकार के क्वाड फेलोशिप कार्यक्रम भी हैं जो स्टेम (STEM) रिसर्च में महिलाओं की भागीदारी को प्रेरित करने समेत छात्र विनिमय का समर्थन करते हैं।
यहाँ इस बात पर ध्यान दिलाए जाने की जरूरत है कि ऐसे में जबकि क्वाड के सदस्यों को चीन की आक्रामक रवैये की चिंता है, लेकिन वह केवल चीन को संतुलित करने तक ही सीमित नहीं है। तीन सदस्य देश गठबंधन के भागीदार हैं, भारत की उपस्थिति ने यह सुनिश्चित किया है कि क्वाड सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर सिर्फ बातचीत ही नहीं करता बल्कि उससे आगे बढ़कर क्षेत्र में विकास और उन्नति का वैकल्पिक मार्ग भी बन गया है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, क्वाड का एजेंडा पारस्परिक रूप से लाभकारी गठबंधनों के मजबूत नेटवर्क बनाने में इसके विश्वास से आकार ले रहा है, जो एक समावेशी सुरक्षा संरचना का निर्माण करेगा जहां सभी भागीदार जुड़े हुए हैं। इसने क्वाड को हिंद– प्रशांत पर चर्चा हेतु सबसे स्वीकार्य मंच बना दिया है।
समूह की अनौपचारिक सेटिंग ने चार देशों को क्वाड के एजेंडे को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देने की अनुमति दी है। एजेंडा विकास में इसके लचीलेपन को क्वाड को क्षेत्रीय साझेदारी को मजबूत करने के व्यापक उद्देश्य के साथ विभिन्न मुद्दों पर अलग– अलग भागीदारों के साथ जुड़ने की अनुमति दी है। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, यह परस्पर जुड़ी सुरक्षा संरचना बनाने की इसकी इच्छा को बढ़ाता है। लचीलेपन ने क्वाड के लिए हिंद– प्रशांत में आसियान (ASEAN) की केंद्रीयता को महत्वपूर्ण बना दिया है जबकि ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका को यूनाइटेड किंगडम के साथ सैन्य गठबंधन करने की अनुमति भी दी है। यह ऐसे समय में हुआ है जब भारत और जापान रक्षा, सुरक्षा, व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी समेत अलग– अलग क्षेत्रों पर द्विपक्षीय स्तर पर क्षेत्र के अन्य साझीदारों के साथ सहयोग कर रहे हैं। क्षेत्रीय देशों के साथ मिल कर मुद्दों पर आधारित साझेदारी बनाने की क्वाड सदस्य देशों की क्षमता ने भी क्वाड को क्षेत्र में एक प्रमुख समूह के रूप में उभरने में मदद की है। यदि यह अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना जारी रख सकता है तो इसे चीन की साझेदारी पहलों के लिए एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में देखा जाएगा।
क्वाड की पहल
क्वाड ने ऐसी पहलों की शुरूआत की है जो महत्वपूर्ण सहयोग एवं उभरती तकनीकों से लेकर अंतरिक्ष सहयोग तक, इसके व्यापक एजेंडे को दर्शाती है। यदि किसी को क्वाड के सुरक्षा एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करना है तो यह हिंद– प्रशांत क्षेत्र के समुद्री कार्यक्षेत्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालता है। साल 2024 में, बाइडेन प्रशासन ने घोषणा की कि क्वाड सदस्य देशों के तटरक्षक दल हिंद– प्रशांत में संचालित यूएस कोस्ट गार्ड जहाज पर समय बिताएंगे ताकि अंतरपरिचालन में सुधार हेतु 2025 में पहला क्वाड– एट– सी शिप ऑब्जर्वर मिशन लॉन्च किया जा सके[vii]। प्रत्येक सदस्य देश बारी– बारी से मेज़बान बनता है। समूह क्षेत्र में संभावित भविष्य की आपदाओं के लिए तैयार रहने को क्वाड एचएडीआर (Quad HADR) अभ्यास भी करता है। क्वाड सरकारें प्राकृतिक आपदा की स्थिति में आवश्यक राहत आपूर्ति की पूर्व– स्थिति समेत तेज़ी से प्रतिक्रिया करने के लिए तत्परता सुनिश्चित करने हेतु काम कर रही हैं; यह प्रयास हिंद महासागर क्षेत्र से लेकर दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत तक फैला हुआ है।[viii]
साल 2022 में क्वाड द्वारा शुरू की गई इंडो– पेसिफिक पार्टनर्शिप फॉर मारीटाइम डोमेन अवेयरनेस (IPMDA), भागीदारों को लगभग वास्तविक समय, किफायती, अत्याधुनिक रेडियो फ्रीक्वेंसी डेटा प्रदान करती है जिससे वे अपने जल– क्षेत्र की बेहतर निगरानी कर सकते हैं; अवैध, अप्रतिबंधित और अनियंत्रित रूप से मछली पकड़ने का मुकाबला कर सकते हैं; जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में कार्रवाई करता है; और अपने जल– क्षेत्र में अपने कानून लागू कर सकते हैं।[ix] साल 2024 के विदेश मंत्रियों की बैठक के संयुक्त वक्तव्य में क्वाड ने क्वाड समुद्री सुरक्षा कार्यसमूह के तहत क्वाड समुद्री कानून वार्ता आरंभ करने की मंशा जताई। वार्ता का उद्देश्य “हिंद– प्रशांत क्षेत्र में नियम– आधारित समुद्री व्यवस्था को बनाए रखने के (क्वाड के) प्रयासों के समर्थन में समुद्री मुद्दों के अंतरराष्ट्रीय कानून पर विशेषज्ञता”[x] पर ध्यान केंद्रित करना है। क्षेत्र के भीतर क्षमताओं में विषमता को ध्यान में रखते हुए क्वाड क्षेत्रीय भागीदारों को इन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहयोग भी प्रदान कर रहा है।
व्यापक वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने हेतु सहयोग की आवश्यकता को पहचानना और हिंद– प्रशांत क्षेत्र के साथ– साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय हेतु सार्वजनिक वस्तुओं का निर्माण करना, वर्तमान समय में क्वाड एजेंडा को आगे बढ़ा रहा है। अपने छह कार्य समूहों[xi] के माध्यम से, क्वाड कई मुद्दों पर चार सदस्य देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है। अपने अनुभव से सबक लेते हुए, यह इन मुद्दों पर क्षेत्रीय देशों के साथ साझेदारी भी कर रहा है। जैसे– कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी सफल साझेदारी के आधार पर, क्वाड ने क्षेत्र में कैंसर के बोझ को कम करने के लिए साझेदार देशों के साथ सहोग करने हेतु क्वाड कैंसर मूनशॉट शुरू किया है। भावी साझेदारी के क्वाड पोर्ट्स, क्षेत्रीय भागीदारों के सहयोग से, हिंद– प्रशांत में स्थायी एवं लचीले बंदरगाह बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन करने हेतु क्वाड देशों की विशेषज्ञता का प्रयोग करेंगे। साल 2004 में आई सुनामी के बाद बने क्वाड ने मानवीय और आपदा राहत तंत्रों को समर्थन देना जारी रखा है, साथ ही साझेदारों के साथ मिलकर प्रारंभिक चेतावनी एवं संकट की तैयारी पर काम किया है और मानक संचालन प्रक्रियाओं को बढ़ावा दिया है, जिससे क्षेत्रीय साझेदारों के साथ प्रभावी, तत्काल और समन्वित प्रतिक्रिया व्यवस्था बनाया जाना संभव हो पाया है।
क्वाड की पहुँच
क्वाड ने संयुक्त वक्तव्य और विज़न वक्तव्यों में आसियना, प्रशांत द्वीप समूह फोरम (पीआईएफ/ PIF) और हिंद महासागर तटीय क्षेत्रीय सहयोग संघ (इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन/ IORA) जैसे क्षेत्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया है। क्वाड ने प्रशांत द्वीपसमूह में संचार केबल कनेक्टिविटी को मदद करने की प्रतिबद्धता जताई है। क्वाड इन संगठनों के साथ जिन क्षेत्रों में जुड़ना चाहता है, उनमें ग्रीन शिपिंग और बंदरगाह विकास, लचीले अवसंरचना विकास, उन्नत डिजिटल कनेक्टिविटी, जलवायु प्रतिक्रिया और समुद्री सुरक्षा शामिल हैं।
क्षेत्रीय साझेदारों के अलावा, हिंद– प्रशांत क्षेत्र अपने दायरे से बाहर वाले दूसरे देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है। जैसे– जैसे हिंद– प्रशांत क्षेत्र में निवेश करने वाले देशों की संख्या बढ़ रही है, यह जरूरी होता जा रहा है कि वे न केवल क्षेत्र के जलक्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं बल्कि क्षेत्रीय साझेदारों से भी जुड़ें और उनका सहयोग भी करें। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, क्वाड आसियान के साथ मिल कर काम कर रहा है ताकि हिंद– प्रशांत के लिए आसियान के नज़रिए के अनुसार लक्ष्यों को पूरा किया जा सके। क्वाड प्लस अप्रोच के माध्यम से क्वाड एशिया और यूरोप के साथ नई साझेदारियां भी कर रहा है। इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण दक्षिण कोरिया के साथ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढांचा विकास और वैक्सीन निर्माण जैसे कई क्षेत्रों में इसकी संलग्नता है। इन कार्यों के माध्यम से क्वाड एजेंडे को आगे बढ़ाने हेतु दक्षिण कोरिया की विशेषज्ञता का लाभ उठाया गया है। इसी तरह यूरोपीय देश भी क्वाड से जुड़े हैं। साल 2020 से, फ्रांस ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ वार्षिक त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित करता आया है जो हिंद– प्रशांत पर केंद्रित है और नियमित रूप से क्वाड के सदस्य देशों के साथ संयुक्त अभ्यास का हिस्सा बनता आया है। जर्मनी और नीदरलैंड भी सीमित संपर्क के माध्यम से इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
क्वाड की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि यह कोई सैन्य गठबंधन नहीं है, बल्कि सहयोग के क्रमिक अभिसरण पैदा करने पर केंद्रित है जिससे समूह के बाहर समान विचारधारा वाले देशों को क्षेत्रीय चिंताओं को व्यक्त करने एवं आपसी चुनौतियों का समाधान करने हेतु इसके साथ साझेदारी करने का अवसर मिलता है।
भविष्य की चुनौतियाँ
क्वाड हिंद– प्रशांत क्षेत्रीय संरचना के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में उभरा है। यह क्रमिक विकास के महत्वपूर्ण दौर से गुज़रा है। यह कार्यकारी स्तर के अधिकारियों की बैठकों से उठकर विदेश मंत्रियों और अब शासनाध्यक्षों के स्तर तक विकसित हुआ है। क्वाड के सदस्य देशों ने मुद्दों पर अपनी एकजुटता बढ़ा रहे हैं और दूसरे क्षेत्रीय साझेदारों के लिए अपने नेटवर्क का भी विस्तार कर रहे हैं फिर भी, जैसे– जैसे क्वाड अपनी गतिविधियों का विस्तार कर रहा है, निकट भविष्य में उसे कुछ और चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
जैसा कि बताया गया है, क्वाड संरचना की अनौपचारिक प्रकृति एजेंडा को आगे बढ़ाने में मददगार रहा है लेकिन इसमें कमियां भी है। चूंकि यह एक कूटनीतिक साझेदारी है, इसलिए इसके अधिकांश संपर्क सरकार के प्रमुखों, विदेश मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच होने वाली बैठकों के माध्यम से होते हैं। इसका मतलब यह है कि सदस्यों को व्यापक नीतिगत दृष्टिकोणों में तालमेल बैठाने के लिए लगातार काम करना होगा क्योंकि साझेदारों के साझा हितों के बावजूद हितों एवं प्राथमिकताओं में मतभेद बने हुए हैं। औपचारिक संस्थागत व्यवस्था की कमी क्वाड के मूल एजेंडे के कार्यान्वयन में चुनौती प्रस्तुत करती है। इसका यह भी मतलब है कि इसे यह सुनिश्चित करना होगा कि चारों देशों के नीति– निर्माता और नौकरशाही उनके बीच समन्वय को बेहतर बनाने के निरंतर प्रयास करें। सदस्य देशों के पास अलग– अलग मुद्दों के लिए प्रतिबद्ध कर्मचारियों एवं संसाधनों का अलग– अलग स्तर होने के कारण समय के साथ कार्यक्षेत्र को विस्तार देते क्वाड के लिए यह चुनौती हो सकती है। समूह का भविष्य का एजेंडा विकास हिंद– प्रशांत में सार्थक लाभ प्रदान करने हेतु अपनी संरचनाओं और प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने की इसकी क्षमता पर निर्भर करेगा।
समूह के सामने दूसरा मुद्दा इसके विस्तार पर सवाल उठाना है। अगर क्वाड मजबूत साझेदारी बनाने में सक्षम है तो विस्तार की कोई जरूरत नहीं है। देशों का एक मुख्य समूह सिद्धांत रूप से हब और स्पोक जैसे संगठन को आगे बढा सकता है। हालांकि, भविष्य में भू– राजनीतिक गतिशीलता एक अलग नज़रिए की मांग कर सकती है। फिर भी, फिलहाल समूह ने विस्तार की कोई योजना नहीं बनाई है।
भविष्य की ओर देखते हुए, क्वाड स्वयं को एक जटिल अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में पाता है, जहाँ ड्रोन और एआई जैसी उभरती हुई प्रौद्योगिकियां खतरों को देखने के तरीके को बदल रही हैं। इस विकसित होते सुरक्षा एवं खतरे के परिदृश्य के साथ क्वाड को इन घटनाक्रमों को भी ध्यान में रखना होगा क्योंकि यह इन घटनाक्रमों को देखने के लिए नीतिगत दिशा– निर्देशों की रूपरेखा तैयार करता है।
क्वाड के लिए एक सतत चुनौती समूह पर चीन के बयानों का मुकाबला करना होगा। कभी सकारात्मक नहीं रहे, क्वाड पर चीन के विचार खारिज़ करने से बदलकर इसे विशेष समूह बताने वाले हो गए हैं जो क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए खतरा है। ऐतिहासिक रूप से क्षेत्र के देशों का चीन के साथ गहरे राजनीतिक और आर्थिक संबंध हैं इसलिए वे चीन– आर्थिक साझेदार और संयुक्त राज्य अमेरिका– प्रमुख सुरक्षा प्रदाता, में से किसी एक को चुनना नहीं चाहते। जैसे– जैसे क्वाड मजबूत होता जाएगा, चीन इसे अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में व्यापक सुरक्षा और राजनीतिक चुनौतियों के रूप में देखने लगेगा। इसका मतलब यह होगा कि क्वाड को राजनीतिक हमलों और क्षेत्र में बीजिंग के आर्थिक दबाव का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। क्वाड के एकीकरण से चीन का सैन्य खर्च बढ़ सकता है, जो एक और क्षेत्र हैं जहाँ क्वाड को चीन– अमेरिका की बढ़ती प्रतिस्पर्धा के प्रति सावधान रहना होगा।
निष्कर्ष
बीते दो दशकों में इस समूह में बहुत बदलाव हुए हैं, यह प्राकृतिक आपदा के कारण एकजुट हुए देशों के समूह से विकसित होकर अब कूटनीतिक और रणनीतिक पहल करने वाला गठबंधन बन गया है। समूह ने न केवल गतिविधियों की सीमा का विस्तार किया है, बल्कि क्षेत्रीय कूटनीति में एक केंद्रीय भूमिका भी निभाई है और यह संयुक्त राज्य अमेरिका एवं उसके सहयोगियों द्वारा हिंद– प्रशांत में दिखाई गई दिलचस्पी का बैरोमीटर बन गया है। वैश्विक भू– राजनीतिक गतिशीलता के विकास के साथ, हिंद– प्रशांत क्षेत्र कई जटिल चुनौतियों का सामना कर रहा है। क्वाड के सहयोगात्मक ढांचे में इस क्षेत्र में सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करने की क्षमता है। इसके लिए, क्वाड ने अपने दायरे और प्रमुख उद्देश्यों का पुनर्मूल्यांकन एवं विकास जारी रखा है।
क्वाड बहुआयामी चुनौतियों का समाधान करने और हिंद– प्रशांत क्षेत्र में समावेशी समृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता दिखा रहा है। यह सदस्य देशों और साझेदार देशों की बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपने एजेंडे का विस्तार कर रहा है। क्वाड ने बहुत कम समय में अपना प्रभुत्व स्थापित किया है; लेकिन उसके सामने अब चुनौती रक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे क्षेत्रों में अपेक्षाओं का प्रबंधन है। समूह के विकास में इसकी खूबियों और खामियों की पड़ताल करना और सहयोग के नए आयाम तलाशना जरूरी होगा। क्वाड की शक्ति चार सदस्य देशों की प्रतिबद्धता में निहित है जो समूह में विविध क्षमताएं लाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि समूह के मूल मूल्य हिंद– प्रशांत और उससे परे भागीदार देशों के मूल्यों से मेल खाएं।
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*डॉ. स्तुति बनर्जी आईसीडब्ल्यूए (ICWA) में वरिष्ठ शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार लेखिका के व्यक्तिगत विचार हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] Ministry of External Affairs, Government of India, “Joint Statement from the Quad Foreign Ministers Commemorating the 20th Anniversary of Quad Cooperation, December 31, 2024,” https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/38875/Joint_Statement_from_the_Quad_Foreign_Ministers_Commemorating_the_20th_Anniversary_of_Quad_Cooperation, Accessed on January 03, 2025.
[ii] Press Information Bureau, Government of India, Prime Minister's Office, “Text of the PM's Remarks on the Commissioning of Coast Ship Barracuda, 121 March 2015,” https://pib.gov.in/newsite/printrelease.aspx?relid=116881, Accessed on January 06, 2025.
[iii] Ministry of External Affairs, Government of India, “Prime Minister’s Keynote Address at Shangri La Dialogue,” June 01, 2018). https://www.mea.gov.in/SpeechesStatements.htm?dtl/29943/Prime+Ministers+Keynote+Address+at+Shangri+La+Dialogue+June+01+2018, Accessed December 31, 2024.
[iv] Australian Government, “2017 Foreign Policy White Paper,” https://www.dfat.gov.au/sites/default/files/2017-foreign-policy-white-paper.pdf, Accessed on December 31, 2024.
[v] U.S. Department of State, “A Free And Open Indo-Pacific: Advancing a Shared Vision,” https://www.state.gov/wp-content/uploads/2019/11/Free-and-Open-Indo-Pacific-4Nov2019.pdf, Accessed on December 31, 2024.
[vi] The Radio Access Network (RAN) provides the last-mile connectivity for mobile networks and includes a network of cell towers (or base stations) and other equipment that transmit and receive radio signals to provide wireless coverage. The Open Radio Access Network (RAN) defines standardised interfaces that make components from different vendors work together. It is making telecommunication networks more open, flexible, and innovative. It allows different vendors to work together, encouraging competition, driving new ideas, and creating smarter, more efficient networks.
[vii] The White House, “Fact Sheet: 2024 Quad Leaders’ Summit 21 September 2024,” https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2024/09/21/fact-sheet-2024-quad-leaders-summit/, Accessed on 17 January 2025.
[viii] The White House, “The Wilmington Declaration Joint Statement from the Leaders of Australia, India, Japan, and the United States, 21 September 2024,” https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2024/09/21/the-wilmington-declaration-joint-statement-from-the-leaders-of-australia-india-japan-and-the-united-states/, Accessed on 17 January 2024
[ix] Ibid. The White House, “Fact Sheet: 2024 Quad Leaders’ Summit 21 September 2024,” https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2024/09/21/fact-sheet-2024-quad-leaders-summit/, Accessed on 17 janaury 2025.
[x] Minsitry of External Affairs, Government of India, “Quad Foreign Ministers’ Meeting Joint Statement, 29 July 2024,” https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/38044/Quad+Foreign+Ministers+Meeting+Joint+Statement, Accessed on 14 January 2025
[xi] The six leader-level working groups are on: (i) COVID-19 Response and Global Health Security, (ii) Climate, (iii) Critical and Emerging Technologies, (iv) Cyber, (v) Space and (vi) Infrastructure.