सारांश: हाल के दिनों में भारत मोरक्को के लिए एक प्रमुख रक्षा साझेदार के रूप में उभरा है, जिसमें रक्षा उद्योग के क्षेत्र में सहयोग और हथियार आयात पर अपार संभावनाएं हैं। भारत के लिए, मोरक्को अपनी रक्षा कूटनीति को आगे बढ़ाने और अफ्रीकी देशों में अवसरों की खोज करने का अनुकूल गंतव्य हो सकता है। बहस को आगे बढ़ाते हुए, लेख इस बात पर विचार करता है कि भारत अपने सैन्य– औद्योगिक समूह के निर्माण हेतु रक्षा आधुनिकीकरण एवं उद्योग सहयोग के लिए मोरक्को की आकांक्षाओं में किस तरह से फिट बैठता है।
परिचय
09 और 10 दिसंबर 2024 को, मोरक्को में भारत के दूतावास, संबंधित रक्षा मंत्रालयों और सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग (एसआईडीएम/SIDM) ने रबात में संयुक्त भारत– मोरक्को रक्षा उद्योग संगोष्ठी का आयोजन किया।[i] सेमिनार में भारत की बढ़ती रक्षा विनिर्माण क्षमताओं का स्वागत किया गया और भारतीय रक्षा फर्मों को लाभदायक और शून्य नौकरशाही के साथ अत्याधुनिक वातावरण प्रदान करने के लिए मोरक्को सरकार की प्रतिबद्धता को संबोधित किया गया, साथ ही आकर्षक रक्षा सहयोगी परियोजनाओं के अलावा। रक्षा उद्योग सेमिनार के जरिए, भारत और मोरक्को ने टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल), टाटा समूह की सहायक कंपनी और मोरक्को के राष्ट्रीय रक्षा प्रशासन (एडीएन) के बीच हस्ताक्षरित पिछले रक्षा समझौते की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है, जिसके तहत एक नई फैक्ट्री, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स मार्को (टीएएसएम) के तहत कैसाब्लांका में सालाना 100 WhAP लड़ाकू वाहनों का निर्माण किया जाएगा। मोरक्को के निमंत्रण के साथ, टाटा समूह अपनी पहली विदेशी रक्षा सुविधा, मोरक्को में भारत की पहली सुविधा स्थापित करने के लिए तैयार है।
मोरक्को की भू– राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था
मोरक्को अफ्रीकी महाद्वीप के उत्तर– पश्चिमी क्षेत्र में भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर के पास है। यूरोप और अफ्रीका के बीच एक पुल के रूप में मोरक्को का स्थान, व्यापार और संपर्क के मामले में भू– राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। इसका क्षेत्र स्पेन से जिब्राल्टर जलडमरूमध्य द्वारा अलग किया गया है, जो भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर को जोड़ता है। यह एक महत्वपूर्ण समुद्री और व्यापार मार्ग है। इसलिए, व्यापार और संपर्क मार्गों एवं उन पर आर्थिक निर्भरता की सुरक्षा के लिए क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित करना और बनाए रखना उचित है।
मोरक्को का विशाल भूभाग जो भूमि और जल से समान रूप से घिरा हुआ है, को भूमि और समुद्र आधारित खतरो से अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए ठोस रक्षा प्रणालियों की आवश्यकता है। खतरे की धारणा का आकलन करते हुए, मोरक्को सरकार ने अपने घरेलू रक्षा उद्योग की स्थापना में मदद के लिए दूसरे देशों के साथ– साथ भारत में भी संपर्क किया है। रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में भारत के विकास को स्वीकार करते हुए मोरक्को सरकार ने भारत को अपने क्षेत्र में अपनी रक्षा फर्म बनाने को आमंत्रित किया है। बीते साल सितंबर में घोषित तीन साल के अनुबंध के अनुसार, टीएएसएम (TASM) मोरक्को के सुरक्षा बलों के लिए व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म — (WhAP) 8x8 — ग्राउंड कॉम्बैट वीहिकल बनाएगा।[ii] टाटा समूह और एडीएन के बीच रक्षा अनुबंध मोरक्को के रक्षा उद्योग और विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने हेतु व्यापक सहयोग का हिस्सा है। इस सहयोग से 90 प्रत्यक्ष और 250 अप्रत्यक्ष रोजगार के सृजन की आशा है जो इसके सकल घरेलू उत्पाद एवं राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान देगा।[iii] मोरक्को ने 36 महीने के अनुबंध अवधि में WhAP के स्थानीय उत्पादन में स्वदेशी सामग्री के 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की योजना बनाई है।[iv]
WhAP और इसके कई प्रकार रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ/DRDO) के सहयोग से टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के प्रमुख उत्पाद हैं। WhAP भारत का पहला उभयचर (एम्फीबियस) कॉम्बैट– ह्वील्ड विहिकल है जो अग्रिम पंक्ति के सैन्य बलों के लिए है और बेहतर उत्तरजीविता, गतिशीलता एवं मारक क्षमता के साथ सभी प्रकार के क्षेत्रों एवं हर एक मौसम में काम करने में सक्षम है। विविध सैन्य अभियानों के लिए डिजाइन किया गया WhAP उन्नत मारक क्षमता, सुरक्षा गतिशीलता, रसद, टोही और सैन्य एवं उपकरण परिवहन से सुज्जित है। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग की नींव सितंबर 2018 में रखी गई थी जब संबंधित सरकारों के अधिकारियों ने कई संभावित सहयोग क्षेत्रों जैसे आईटी और संचार, हाइड्रोग्राफी, टेलीमेडिसिन एवं विद्रोह और आतंकवाद रोधी विषय पर चर्चा करने के लिए द्विपक्षीय बैठक की थी।[v] शांति स्थापना, रक्षा उद्योग सहयोग और जहाज़ निर्माण एवं विनिर्माण मदद के क्षेत्र में सहयोग पर भी चर्चा हुई। बाद में जून 2024 में, मोरक्को ने घरेलू रक्षा विनिर्मण क्षमताओं को विकसित करने एवं विदेशी मदद से उच्च गुणवत्ता वाले हथियार, सैन्य लड़ाकू वाहन और उपकरण बनाने में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए दो सैन्य उद्योग क्षेत्र स्थापित किए जिससे इसकी राष्ट्रीय सुरक्षा एवं हितों को मजबूती मिली।[vi]
मिस्र, दक्षिण अफ्रीका, अंगोला और अल्जीरिया के साथ मोरक्को अफ्रीका में सबसे बड़े हथियार आयतकों में से एक रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में इसके आयात में गिरावट आई है। पिछले साल अक्टूबर में, मोरक्को ने अपने वार्षिक रक्षा बजट को 2024 में 12.5 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 2025 में 13 बिलियन डॉलर कर दिया जो कि नवीनतम हथियारों एवं उपकरणों के साथ रॉयल आर्मर्ड फोर्सेस का आधुनिकीकरण करने, राष्ट्रीय रक्षा को मजबूत बनाने और घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को बेहतर करने के लिए 6 प्रतिशत की वृद्धि है।[vii] अमेरिका मोरक्को में सबसे बड़ा हथियार निर्यातक रहा है, जिसकी विदेशी सैन्य बिक्री 8.54 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।[viii] हालांकि, उच्च लागत और अमेरिकी हथियारों पर अत्यधिक निर्भरता ने मोरक्को प्रशासन को विकल्प खोजने के लिए प्रेरित किया होगा।
हथियारों के आयात में कमी और रक्षा बजट में वृद्धि मोरक्को के परंपरागत भागीदारों पर हथियारों की निर्भरता को कम करने एवं अपने स्रोतों में विविधता लाकर सैन्य– औद्योगिक समूहों का विकास करने के लक्ष्य को रेखांकित करती है। इसके अलावा, भारत के साथ रक्षा उद्योग सहयोग स्थानीय आबादी के लिए रोज़गार के अवसर पैदा करके अपनी राष्ट्रीय आय में योगदान देकर मोरक्को को भी लाभ पहुंचा सकता है।
भारत की पेशकश?
भारत और अफ्रीका के बीच बढ़ते संबंधों एवं जुड़ाव को देखते हुए, अफ्रीका की सुरक्षा नई दिल्ली के रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। फरवरी 2020 में लखनऊ में डेफएक्सपो के दौरान आयोजित एक संस्थागत तंत्र के रूप में पहला भारत– अफ्रीका रक्षा संवाद (आईएडीडी) यह दर्शाता है कि भारत ने अफ्रीका के साथ अपने रक्षा जुड़ाव को बेहतर करने को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है।[ix] भारत ने पहले ही द्वीप राष्ट्रों समेत कई अफ्रीकी देशों के साथ गहन सुरक्षा सहयोग स्थापित कर लिया है। हालांकि, अपने रक्षा उद्योग को विकसित करने के लिए मोरक्को को दृढ़ संकल्प भारत को मिस्र के साथ सहयोग से परे उत्तरी अफ्रीकी देशों के साथ संबंधों को तलाशने और बेहतर करने का अवसर दे सकता है।
भारत के साथ रक्षा सहयोग से मोरक्को को कई तरह से फायदा हो सकता है। सहारा के बाहरी इलाके में स्थित, मोरक्को रेगिस्तान या बंजर इलाकों में भारत के युद्ध के अनुभवों का लाभ उठा सकता है। WhAP कॉम्बैट विहिकल्स के अलावा भारत मोरक्को को छोटे हथियार और हल्के हथियार (SALW), हल्के टैंक और एंटी– टैंक सिस्टम, पिनाका एमबीआरएल (MBRL) और आर्मर्ड पर्सनल कैरियर (APC) जैसे कई तरह के रक्षात्मक हथियार और उपकरण दे सकता है जो रेगिस्तान में युद्ध करने के लिए ही बनाए गए हैं। जनवरी 2023 में, जैसा कि भारत स्थित भारतीय रक्षा अनुसंधान विंग द्वारा पहली बार रिपोर्ट किया गया था, मोरक्को ने टाटा एडवांस्ड सिस्टम द्वारा निर्मित 92 LPTA 2445 छह– पहिया सैन्य वाहन खरीदे थे।[x]
यूरोप के साथ मोरक्को की निकटता के अवैध प्रवास और शरणार्थी संकट को जन्म दिया है, जो रबात के लिए एक गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय है जो यूरोपीय संघ की प्रवास नीति और रणनीति पर बहुत महत्व रखता है। मोरक्को की समुद्र तक सीधी पहुँच भारत के रक्षा और जहाज निर्माण उद्योगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संभावना हो सकता है जिसमें समुद्र आधारित रक्षा उपकरणों के निर्माण की संभावना अधिक है। भारत अपनी तटीय सीमाओं की खुफिया जानकारी जुटाने, गश्त करने और सुरक्षा के लिए फास्ट पैट्रोल विहिकल्स (FPVs), कोरवेट, फ्रिगेट, पनडुब्बी, विमानवाहक पोत और अन्य नौसैनिक उपकरण जैसे सैन्य सामान दे सकता है। हवाई हमलों का मुकाबला करने के लिए भारत के स्वदेशी एलसीए तेजस, ध्रुव एलसीएच, एस्ट्रा हवा– से– हवा में मार करने वाली मिसाइलें, सेंसर और रडार, ड्रोन और एंटी– ड्रोन सिस्टम और वायु– रक्षा प्रणाली, मोरक्को के सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण संभावनाएं हो सकती हैं।
मोरक्को अपने ड्रोन उद्योग को विकसित करने की आकांक्षा रखता है, विशेष रूप से तब से जब से उसने 2021 में रबात में ड्रोन के स्थानीय उत्पादन हेतु इज़रायल के ब्लूबर्ड एयरो सिस्टम के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। बाद में फरवरी 2022 में, मोरक्को ने इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ (आईएआई) द्वारा निर्मित बराक एमएक्स एयर एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम का अधिग्रहण करने के लिए 500 मिलियन डॉलर का एक और अनुबंध किया।[xi] मोरक्को के ड्रोन संबंधी दृढ़संकल्प के बाद भारत इस अवसर का लाभ उठा सकता है। भारत का ड्रोन उद्योग जो अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है, 2024 में 654 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2029 तक 1.44 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है,[xii] जहाँ मोरक्को भारत के ड्रोन निर्माताओं एवं उभरते स्टार्ट–अप के लिए अनुकूल गंतव्य हो सकता है।
समुद्री क्षेत्र में भी दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। दिसंबर 2024 में नौसेना सहयोग को मजबूत करने के लिए आईएनएस तुशील ने कैसाब्लांका में पोस्ट का दौरा किया। दोनों नौसेनाओं ने अंतर– संचालन में सुधार और सद्भावना प्रथाओं को साझा करने के लिए समुद्र में पैसेज एक्सरसाइज़ (PASSEX) भी आयोजित की। इस यात्रा के अलावा, बीते 12 माह में तीन भारतीय नौसैनिक जहाजों, आईएनएस तबर, आईएनएस तरकश और आईएनएस सुमेधा ने कैसाब्लांका का दौरा किया है जो संयुक्त नौसेनिक अभ्यासों के माध्यम से समुद्री सहयोग और क्षमता निर्माण के आगे के रास्ते तलाश रहे हैं।[xiii]
आखिरकार, भारत के रक्षा उपकरण, जो ज़मीन, वायु और जल– तीनों पर काम करने में सक्षम हैं, का उपयोग भूकंप, चक्रवात एवं आकस्मिक बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मानवीय मदद एवं आपदा राहत (एचएडीआर) कार्यों के लिए भी किया जा सकता है।
निष्कर्ष
भारत की हथियार निर्यात रणनीति कई कारकों पर आधारित है; पहला– मित्र देशों की आवश्यकताओं को पूरा करना; दूसरा– आक्रामक हथियारों और उपकरणों की बजाय रक्षात्मक हथियारों की बिक्री; तीसरा– 'मेक इन इंडिया' और हथियारों के निर्यात के माध्यम से रक्षा कूटनीति को बढ़ावा देना और चौथा– भारत न तो क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को अस्थिर करने में विश्वास करता है और न ही अपने रक्षा उद्योग को समर्थन देने के लिए संकट पैदा करने में बल्कि इसके रक्षा निर्यात का उद्देश्य प्राप्तकर्ता देशों में संभावित खतरों के सामने सुरक्षा की भावना विकसित करना है। भारत के रक्षा निर्यात से भारत को दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में हिस्सेदारी और वैश्विक भू– राजनीति को प्रभावित करने में भूमिका भी मिलती है।
भारत के साथ रक्षा सहयोग मोरक्को की राष्ट्रीय रक्षा और एक स्वस्थ सैन्य– औद्योगिक समूह के निर्माण की आकांक्षाओं के लिए मील का पत्थर हो सकता है। मोरक्को जो परंपरागत रूप से यूरोप, अफ्रीका और अरब विश्व में घूमता रहा है, भारत के रक्षा उत्पादन एवं निर्यात स्थलों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मार्ग हो सकता है, मुख्य रूप से उत्तरी अफ्रीकी क्षेत्र में। यूरोप और अफ्रीका के प्रवेश द्वार के रूप में प्रचारित, मोरक्को हथियारों के व्यापार, उद्योग सहयोग और क्षमता निर्माण के माध्यम से आस– पास के क्षेत्र में भारत की रक्षा कूटनीति को बढ़ावा दे सकता है और उसका नेतृत्व कर सकता है।
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*मुकेश कुमार, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में शोध प्रशिक्षु हैं।
अस्वीकरण : यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] Peri, Dinakar. “Morocco Welcomes Indian Defence Companies to Set up Shop.” The Hindu, December 15, 2024, sec. India. https://www.thehindu.com/news/national/morocco-welcomes-indian-defence-companies-to-set-up-shop/article68989242.ece.
[ii] Faouzi, Adil. “‘We Want You in Morocco’: North African Country Welcomes India Defense Investment.” Morocco World News, December 16, 2024. https://www.moroccoworldnews.com/2024/12/367013/we-want-you-in-morocco-north-african-country-welcomes-india-defense-investment.
[iii] Africa, Military. “Morocco Launches Domestic Production of Indian WhAP 8×8 Armored Combat Vehicle.” Military Africa (blog), September 30, 2024. https://www.military.africa/2024/09/morocco-launches-domestic-production-of-indian-whap-8x8-armored-combat-vehicle/.
[iv] Ibid
[v] “India and Morocco Agreed to Enhance Bilateral Cooperation in the Field of Defence and Security.” Accessed January 24, 2025. https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=183687.
[vi] Halligan, Neil. “Morocco Plans to Increase Its Military Spending in Budget.” AGBI, October 23, 2024. https://www.agbi.com/industry/2024/10/morocco-plans-to-increase-its-military-spending/.
[vii] Alaoui, Mohamed. “Morocco Raises Defence Budget to Boost Capabilities, Local Industry.” The Arab Weekly, October 21, 2024. https://thearabweekly.com/morocco-raises-defence-budget-boost-capabilities-local-industry.
[viii] United States Department of State. “US Security Cooperation with Morocco.” Accessed January 22, 2025. https://www.state.gov/u-s-security-cooperation-with-morocco/.
[ix] Ministry of External Affairs, Government of India. “Lucknow Declaration: 1st India Africa Defence Ministers Conclave, 2020.” Accessed January 23, 2025. https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/32378/Lucknow_Declaration_1st_India_Africa_Defence_Ministers_Conclave_2020.
[x] “Royal Moroccan Army to Expand Fleet of Tata 6×6 Trucks Following Successful Deployment – Indian Defence Research Wing.” Accessed January 23, 2025. https://idrw.org/royal-moroccan-army-to-expand-fleet-of-tata-6x6-trucks-following-successful-deployment/.
[xi] Rabat, Basma El Atti ــ. “Morocco to Host Israeli Drone Site amid Anti-Israel Uproar.” https://www.newarab.com/, April 16, 2024. https://www.newarab.com/news/morocco-host-israeli-drone-site-amid-anti-israel-uproar.
[xii] Markets, Research and. “India Drone Market Forecast to 2029: Growing Emphasis on Precision Farming, Surging Demand for Surveillance and Border Security Drones.” GlobeNewswire News Room, June 27, 2024. https://www.globenewswire.com/news-release/2024/06/27/2905370/28124/en/India-Drone-Market-Forecast-to-2029-Growing-Emphasis-on-Precision-Farming-Surging-Demand-for-Surveillance-and-Border-Security-Drones.html.
[xiii] “INDIAN NAVAL SHIP TUSHIL AT CASABLANCA, MOROCCO.” Accessed January 24, 2025. http://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2088564.