पिछले एक साल में कूटनीतिक युद्ध के कगार पर खड़े कोरियाई प्रायद्वीप में एक नाटकीय बदलाव देखने में आया है। यह बदलाव तीन स्तर पर देखा जा रहा है; उत्तर कोरिया की राजनयिक स्तर पर बातचीत का रास्ता खुलना, सुरक्षा के मद्देनजर तनाव में कमी और परमाणु मामले में यथास्थिति बनाए रखने में रजामंदी। इन घटनाक्रमों ने एक कूटनीतिक वातावरण तो बनाया है, लेकिन चुनौतियां इसमें बरकरार हैं। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय सहयोग में अस्थिरता, अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच उभरती दरार और अमेरिका-उत्तर कोरिया के बीच बातचीत में आए अवरोध जैसी बाधाएं देखने को मिली है। कोरियाई प्रायद्वीप के घटनाक्रमों का आकलन करते हुए अखबार का तर्क है कि प्रमुख किरदारों के बीच मौलिक मुद्दों पर अवधारणात्मक फासले को पाटना कूटनीति के लिए असली चुनौती है।
कोरियाई प्रायद्वीप में नई परिस्थितियां
उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन के 2018 में नए साल के भाषण ने करियाई प्रायद्वीप में घटनाक्रमों के एक नाटकीय मोड़ को उजागर किया। उत्तर कोरिया के परमाणु मिशन के पूरा होने की घोषणा करते हुए किम ने दक्षिण कोरिया के साथ आर्थिक विकास और संबंधों में सुधार लाने के प्योंगयांग के आशय पर ध्यान केंद्रित करने की घोषणा की। फरवरी 2018 में प्योंगयांग शीतकालीन ओलंपिक के दौरान दोनों कोरिया के बीच कूटनीतिक सफलता कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति में आमूलचूल बदलाव लेकर आती है।
इस नई स्थिति को तीन महत्वपूर्ण घटनाक्रमों से चिह्नित किया जाता है: उत्तर कोरिया का राजनयिक स्तर पर बातचीत के लिए सहमति, सुरक्षा के मद्देनजर तनाव में वृद्धि और परमाणु मामले में यथास्थिति बनाए रखने पर रजामंदी। उत्तर कोरिया के राजनयिक स्तर पर बातचीत के लिए सहमति ने दोनों कोरियाई के संबंधों में नाटकीय सुधार, उत्तर कोरिया-अमेरिका संबंधों में नरमी आयी और उत्तर कोरिया-चीन के बीच संबंधों में पुराने संतुलन को बहाल कर दिया है। राजनयिक स्तर पर यह कदम किम जोंग-उन के शासन में उत्तर कोरियाई विदेश नीति में एक बदलाव की ओर इशारा करता है। 2011 में सत्ता संभालने के बाद किम ने ना तो विदेश यात्रा की और ना ही किसी विदेशी नेता से मुलाकात की। प्योंगयांग में राजनयिक स्तर पर बातचीत का रास्ता खुलने से उत्तर कोरिया की विदेश नीति के इतिहास में तीन अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन, तीन शी-किम बैठक और ऐतिहासिक उत्तर कोरिया-अमेरिका के बीच शिखर वार्ता सहित अभूतपूर्व घटनाक्रम सामने आए।
प्योंगयांग शीतकालीन ओलंपिक से बातचीत का रास्ता खुलने के साथ राष्ट्रपति मून जे-इन और किम के बीच तीन शिखर सम्मेलनों के माध्यम से अंतर-कोरियाई संबंधों में राजनीतिक, सैन्य, आर्थिक और सामाजिक सहित कई अन्य क्षेत्रों में अभूतपूर्व गतिशीलता नजर आयी है। सियोल और प्योंगयांग ने अपने सीमावर्ती शहर केसोंग में संपर्क कार्यालय की खोल कर और दोनों देशों के नेताओं के बीच एक हॉटलाइन स्थापित कर संचार प्रणालियों का विस्तार किया। उन्होंने सैन्य संचार तंत्र को भी बहाल किया। सितंबर में प्योंगयांग में अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन के दौरान उत्तर और दक्षिण कोरिया ने सैन्य गतिविधियों को कम कर और आपसी भरोसे की बहाली जैसे उपायों को शुरू कर सीमा पर सैन्य तनाव को कम करने के लिए एक व्यापक सैन्य समझौते (CMA) पर हस्ताक्षर किया।¹ हालांकि आर्थिक परियोजनाएं अभी शुरू नहीं हुई हैं, क्योंकि उत्तर कोरिया, सियोल और प्योंगयांग में मौजूदा प्रतिबंधित शासन में सड़क, रेल और बंदरगाह को जोड़ने सहित आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने की संभावना तलाशने को लेकर पिछले कुछ महीनों में कई अध्ययन किए गए और अंतर-कोरियाई परियोजनाओं को फिर से शुरू किया गया। सियोल ने उत्तर कोरिया पर लगाए गए द्विपक्षीय प्रतिबंधों को शिथिल करने की भी मंशा जताई है। दोनों कोरिया के बीच सामाजिक संस्थाएं और लोग आपसी संबंधों का आदान-प्रदान करने वाले अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में अपनी संयुक्त भागीदारी के साथ खेलों और कला के क्षेत्र की बड़ी हस्तियों के बीच आपसी संबंध और पारिवारिक पुनर्मिलन के गवाह रहे हैं।
कोरियाई प्रायद्वीप में गतिशील परिवर्तन करने वाली सबसे बड़ी नाटकीय घटना जून में सिंगापुर में हुआ पहली बार अमेरिका-उत्तर कोरिया शिखर सम्मेलन था। हालांकि वाशिंगटन और प्योंगयांग के बीच संबंधों का सामान्यीकरण अभी भी वैसा नजर नहीं आ रहा है, फिर भी पिछले वर्ष ट्रम्प-किम शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति ट्रम्प की घोषणा के साथ ही आसन्न युद्ध की संभावना खत्म हुई, जिसमें उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम का मुद्दा "बड़े हद तक हल हो गया है"।² संचार चैनल की शुरूआत के लिए बैठक और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के द्वारा प्योंगयांग का चार दौरा सक्रिय राजनयिक संपर्क को दर्शाता है। वाशिंगटन का नया दृष्टिकोण "अधिकतम वचनबद्धता" अभियान के साथ-साथ "अधिकतम दबाव" की रणनीति तैयार करता है। यह नया दृष्टिकोण 2017 में उत्तर कोरियाई के रवैए के जवाब में ट्रम्प प्रशासन ने अपनाया था।
उत्तर कोरिया की कूटनीतिक शुरूआत ने उत्तर कोरिया-चीन संबंधों में सामंजस्य और सुधार की गुंजाइश को पैदा किया, जो कि किम जोंग-उन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के राज में ऐतिहासिक तौर पर हाशिए पर था। शी-किम के बीच हुई तीन मुलाकातों ने दोनों देशों के पारंपरिक संबंधों के पुनरुद्धार को रेखांकित किया। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को कम करने की प्योंगयांग की मांग का भी चीन समर्थन करता है। कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि बीजिंग ने उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध की कार्रवाई को पहले ही शिथिल कर दिया है।³
नई परिस्थिति का दूसरा आयाम प्रायद्वीप में सुरक्षा तनाव का बढ़ना है। पिछले एक साल से उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षणों पर रोक और अमेरिका-दक्षिण कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यास को रद्द करना, सुरक्षात्मक परिस्थिति में शिथिलता से जाहिर हो जाता है। इस साल के शुरुआत से ही उत्तर कोरिया ने अपनी सैन्य स्थिति और अमेरिका विरोधी बयानबाजी को कम कर दिया है। सितंबर में तीसरे अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन में अंतर-कोरियाई सैन्य समझौता एक दूसरा कदम है, जो प्रायद्वीप में तनाव को कम करेगा।
कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति में बदलाव का तीसरा आयाम परमाणु मामले में यथास्थिति को बरकरार रखना है। परमाणु निरस्त्रीकरण की प्रक्रिया के पूरे ब्योरे और समयसीमा की कमी के बावजूद सिंगापुर घोषणा से 2009 में छह-पक्षीय वार्ता की विफलता के समय से जारी परमाणु यथास्थिति प्रभावी रूप से टूट गयी। भले ही अमेरिका-उत्तर कोरिया ने परमाणु समझौता किया हो, चूंकि सिंगापुर शिखर सम्मेलन ने कोई विशिष्ट हल पेश नहीं किया, इसीलिए सर्वोच्च स्तर पर वचनबद्धता की प्रक्रिया वाला पूर्व अमेरिकी प्रशासन के 'रणनीतिक धैर्य' वाला नजरिया ध्वस्त हो गया।⁴ परमाणु निरस्त्रीकरण के तकनीकी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक स्थिर दृष्टिकोण अपनाने वाले पिछले प्रशासन की तुलना में, राष्ट्रपति ट्रम्प शीर्ष स्तर से निर्देशित एक राजनीतिक समाधान की तलाश करते नजर आते हैं। उत्तर कोरियाई नेतृत्व ने पहली बार परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई और अपने दावे को पुख्ता करने के मद्देनजर कुछ कदम उठाए हैं। इन कदमों में परमाणु परीक्षण स्थल का विध्वंस और परमाणु और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों पर रोक शामिल थी। प्योंगयांग अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन के दौरान, उत्तर कोरिया ने घोषणा की कि वह मिसाइल इंजन परीक्षण स्थल और रॉकेट लॉन्च पैड को स्थायी रूप से बंद कर देगा। उत्तर कोरिया ने यह भी घोषणा की कि वह अमेरिका द्वारा सुझाए उपायों के आधार पर वह योंगब्योन परमाणविक सहूलियतों को स्थायी रूप से समाप्त कर देगा।⁵ हालांकि अमेरिका और उत्तर कोरिया ने परमाणु संबंधी कूटनीति से जुड़ना शुरू कर दिया है, लेकिन आगे का रास्ता जटिल है; क्योंकि परमाणु निरस्त्रीकरण की परिभाषाएं और इसे करने का तरीके पर इनमें मतभेद है।
उभरती चुनौतियां
बदले हालात ने कूटनीति के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के साथ कई तरह की नई चुनौतियों को भी जन्म दिया है। उत्तर कोरिया के मामले में अंतरराष्ट्रीय सहयोग में शिथिलता पहली चुनौती है। उत्तर कोरिया पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध जारी रखने पर विभिन्न देशों के बीच मतभेद इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय एकजुटता में शिथिलता का संकेत है। उत्तर कोरिया के मामले में सितंबर में हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में चीन और रूस ने उत्तर कोरिया द्वारा की गई सकारात्मक कार्रवाइयों के जवाब में प्रतिबंधों में ढील देने की दलीलें दी हैं।⁶ 10 अक्टूबर 2018 को उत्तर कोरिया, चीन और रूस के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक के दौरान इस संदेश दोहराया गया।⁷ सियोल द्विपक्षीय प्रतिबंधों, जो उसने प्योंगयांग और अंतर-कोरियाई आर्थिक परियोजनाओं को शुरू करने पर लगाया था, को शिथिल करने पर भी विचार कर रहा है।⁸ वहीं दूसरी ओर जब तक उत्तर कोरिया अपना परमाणु कार्यक्रम नहीं छोड़ देता है; अमेरिका, जापान और पश्चिमी देश मौजूदा प्रतिबंधों को जारी रखने की कड़ाई से दलील दे रहे हैं।
हाल के महीनों में अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच उभरती दरार एक अन्य चुनौती है। ऐसा लगता है कि वाशिंगटन उस गति से पूरी तरह आश्वस्त नहीं है, जिस गति से अमेरिका-उत्तर कोरिया के परमाणु निरस्त्रीकरण समझौते में सीमित प्रगति की तुलना में अंतर-कोरियाई नजदीकियां बढ़ रही हैं। वाशिंगटन को चिंता इस बात की है कि दोनों कोरिया के बीच बेहतर संबंध परमाणु समझौता में उसकी स्थिति को कमजोर कर सकता है। यह मतभेद वाशिंगटन की आशंका में भी नजर आया था, जिसमें तीसरे अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन में अमेरिका से सलाह-मश्विरा किए बगैर ही उत्तर कोरिया के साथ सियोल ने व्यापक सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर करने का फैसला किया।⁹ एक अन्य मिसाल में, सियोल के प्योंगयांग पर प्रतिबंधों की समीक्षा करने की योजना को अस्वीकार करते हुए राष्ट्रपति ट्रम्प ने एक कड़ा बयान जारी करते हुए कहा, दक्षिण कोरिया "हमारी स्वीकृति के बगैर कुछ नहीं करेगा"।¹⁰ दोनों कोरिया के बीच संयुक्त रेल परियोजना के लिए एक परीक्षण ट्रेन चलाने की योजना को अमेरिका के नेतृत्व वाले संयुक्त राष्ट्र कमान (यूएनसी) द्वारा अनुमोदन देने से इनकार कर देने पर दक्षिण कोरिया ने भी योजना को रद्द कर दिया।¹¹ वाशिंगटन के अधिकतम दबाव अभियान को जारी रखने की जिद के जवाब में उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंधों में ढील देने के मामले में संयुक्त राष्ट्र में काम करने की दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने अपने फ्रांसीसी और ब्रिटेन के समकक्षों से अपील की है।¹² तीसरी चुनौती अमेरिका-उत्तर कोरिया के परमाणु निरस्त्रीकरण समझौते में बड़ा रोड़ा है। यह गतिरोध तो तब सामने आया जब अगस्त में राष्ट्रपति ट्रम्प ने विदेश मंत्री पॉम्पियो के प्योंगयांग दौरे को रद्द कर दिया और फिर नवंबर के पहले सप्ताह में शीर्ष स्तर की बैठक को अंतिम समं में स्थगित कर दिया।¹³ किस गति से और किस क्रम में समझौतस को आगे बढ़ना है, इसमें गतिरोध पैदा हुआ। वाशिंगटन और प्योंगयांग किसी अन्य पक्ष के आगे आने के लिए सहमत होने की उम्मीद कर रहे हैं। अमेरिका ने उत्तर कोरिया से अपने परमाणु कार्यक्रम का पूरा खुलासा करने की मांग की, जबकि प्योंगयांग अमेरिका से कोरियाई युद्ध की समाप्ति की घोषणा करने और प्रतिबंधों में ढील देने की मांग कर रहा है।¹⁴ तीसरे शिखर सम्मेलन को रोक कर राष्ट्रपति मून ने दोबारा आयोजन करने का प्रबंध किया, नतीजतन अक्टूबर के पहले सप्ताह में पोम्पियो के प्योंगयांग दौरे और अगले साल की शुरुआत में दूसरे ट्रम्प-किम शिखर सम्मेलन की घोषणा हुई। बेशक इंतजाम तो शुरू हो गए हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि परमाणु समझौता में किसी तरह की प्रगति हुई है।
अवधारणात्मक फासला
हाल के महीनों में यह साफ हो गया कि उत्तर कोरियाई समस्या का राजनयिक समाधान को बहुत सारी अड़चनों का सामना करना पड़ा। प्राथमिक स्रोत के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विभिन्न देशों के बीच अवधारणात्मक फासला मुख्य चुनौती है।
कोरियाई प्रायद्वीप में बुनियादी चुनौती यहां की समस्या के स्रोत को लेकर अलग-अलग अवधारणाएं हैं। परमाणु संबंधी चुनौतियां समेत सुरक्षा समस्या को चीन, उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया शीत युद्ध की मानसिकता के प्राथमिक स्रोत के रूप में देखता है। इस दृष्टिकोण के तहत कोरियाई प्रायद्वीप में शीत युद्ध वाले सुरक्षा नियम बरकरार रहने के मद्देनजर उत्तर कोरिया की परमाणु समस्या को देखा जाता है। इससे साफ है कि परमाणु समस्या का स्थायी समाधान शीत युद्ध सुरक्षा संरचना के विघटन से भी जुड़ा हुआ है। वहीं दूसरी ओर, उत्तर कोरिया के परमाणु विकास को अमेरिका और जापान सुरक्षा चुनौती के प्राथमिक स्रोत के रूप में देखता है। इस तरह कोरियाई प्रायद्वीप पर शांति के लिए कोई भी प्रक्रिया केवल प्योंगयांग के परमाणु निरस्त्रीकरण से शुरू हो सकती है। यह अलग किस्म की अवधारणा प्राथमिकता वाले मुद्दों की ओर ले जाती है। चीन और दक्षिण कोरिया तनाव में कमी लाने और तत्काल परमाणु निरस्त्रीकरण मामले पर स्थिरता को प्राथमिकता दे रहे, जबकि अमेरिका और जापान उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम की समस्या को सुलझाने की प्राथमिकता पर जोर दे रहे।
अमेरिका और उत्तर कोरिया भी अपने वास्तविक इरादों के मद्देनजर अन्य पक्षों को मनाने में बाधा का सामना करते हैं। उनके बीच न केवल राजनयिक संबंध नहीं है, बल्कि उनके आपसी विचार को लेकर पिछली प्रतिक्रियाओं के बड़ा भारी बोझ भी उन पर हावी हैं। पिछले तीन दशकों के दौरान विफल हुए परमाणु समझौता सहित दोनों के बीच आपसी व्यवहार ने उनमें अविश्वास की स्थिति पैदा की है। हालंकि भरोसे में सुधार की दोनों देशों में एक सामान्य चाह है, पर यह कैसे हो, इसको लेकर दृष्टिकोण बहुत साफ नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तर कोरिया, चीन और तेजी से दक्षिण कोरिया में एक समझ बन रही है कि संबंधों में सुधार, परमाणु निरस्त्रीकरण पर किए कार्यों के प्रदर्शन आपसी भरोसा तैयार करने का तरीका है, लेकिन अमेरिका और जापान का नजरिया इससे अलग है।
निष्कर्ष
पिछले एक साल में कोरियाई प्रायद्वीप के घटनाक्रमों ने शांति के लिए सकारात्मक गति प्रदान की है। बहरहाल, उत्तर कोरिया समस्या का कूटनीतिक समाधान कोई आसान काम नहीं है, क्योंकि यह संघर्ष सात दशक पुराना है। मौजूदा कूटनीति की मुख्य चुनौती प्रमुख कर्त्ताओं, विशेष रूप से वाशिंगटन और प्योंगयांग के बीच वैचारिक खाई को पाटना है। पिछले एक साल में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन की मध्यस्थता की भूमिका निभाने के कारण उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच बातचीत का रास्ता खुला है। बहरहाल, परमाणु निरस्त्रीकरण के मामले में प्रगति चुनौतीपूर्ण और समस्या से घिरा हुआ है।
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* लेखक, रिसर्च फेलो, इंडिन काउंसिल ऑफ व्लर्ड अफेयर्स, नई दिल्ली.
अस्वीकरण: आलेख में पेश किए गए विचार शोधकर्त्ता के हैं, काउंसिल के नहीं।
संदर्भ:
¹ "सैन्य क्षेत्र में ऐतिहासिक पानमुनर्जम घोषणा का कार्यान्वयन पर समझौता"
https://www.ncnk.org/sites/default/files/Agreement%20on%20the%20Implementation%20of%20the%20Historic%2 0Panmunjom%20Declaration%20in%20the%20Military%20Domain.pdf
² "प्रेस गग्गल में राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा की गयी टिप्पणी," 15 जून 2018, https://www.whitehouse.gov/briefingsstatements/remarks-president-trump-press-gaggle/
³ "उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों में ढील देने के मामले में चीन का खुल कर आना - अमेरिकी कांग्रेस को रिपोर्ट", रायटर, 15 नवंबर 2018, https://af.reuters.com/article/worldNews/idAFKCN1NJ38B
⁴ "रणनीतिक धैर्य," वह नीति है, जिसे राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अपनाया था, जिसमें सुझाव दिया गया था कि संयुक्त राज्य अमेरिका उत्तर कोरिया के लिए इंतजार कर सकता है ताकि वह अपना परमाणु निरस्त्रीकरण का निर्णय पर विचार कर सके। स्कॉट ए। स्नाइडर (2013), " उत्तर कोरिया के मद्देनजर अमेरिकी नीति", एसईआरआई क्वार्टरली, http ://www.seriworld. org/16/qt_Section_list. html? mncd=0301&dep=1 &p_page=3
⁵ "मून और किम संयुक्त रूप से प्योंगयांग घोषणापत्र की घोषणा करते हैं", हैंकियोरह, 19 सितंबर 2018, english.hani.co.kr/arti/english_edition/e_northkorea/862815.html
⁶ "उत्तर कोरिया फॉल्ट लाइन्स का खुलासा राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद की बैठक में", ब्लूमबर्ग, सितंबर 2018, https://www.bloomberg.com/news/articles/2018-09-27/north-korea-fault-lines-exposed-at-un-security-council- meeting
⁷ "चीन, रूस ने उत्तर कोरिया के प्रतिबंधों को कम करने पर जोर, क्योंकि विकल्प पर सियोल गहराई से विचार कर रहा", द स्ट्रेट टाइम्स, 11 अक्टूबर, https://www.straitstimes.com/asia/east-asia/china-russia-push-to-ease-north-korea-sanctions-as-seoul-mulls- options
⁸ उत्तर कोरिया पर से प्रतिबंध हटाने पर दक्षिण कोरिया का मंथन, योंहैप न्यूज, 10 अक्टूबर 2018, english.yonhapnews.co.kr/news/2018/10/10/0200000000.EN20181810003653315.html
⁹ "दक्षिण कोरिया का कहना है कि पोम्पियो ने अंतर-कोरियाई सैन्य संधि को लेकर शिकायत की", रायटर, 10 अक्टूबर 2018, https://www.reuters.com/article/us-northkorea-usa-southkorea/south-korea-says-pompeo-complained-about-inter- korean-military-pact-idUSKCN1MK21Q
¹⁰ "ट्रम्प का कहना है कि दक्षिण कोरिया अमेरिका के अनुमोदन के बिना उत्तर कोरिया से प्रतिबंध नहीं हटाएगा", योंहैप न्यूज, 11 अक्टूबर 2018, english.yonhapnews.co.kr/northkorea/2018/10/11/0401000000AEN20181011000251315.html
¹¹ "प्रक्रियात्मक समस्या का हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र कमांड ने दोनों कोरिया की संयुक्त रेल परियोजना को रोक दिया", योंहैप न्यूज, 30 अगस्त 2018, english.yonhapnews.co.kr/news/2018/08/30/0200000000AEN20180830004000315.html
¹² "दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने यूरोप में प्योंगयांग के लिए कम अरसे के लिए लॉबिंग करते हैं", डॉयचे वेले, https://www.dw.com/en/south-korean-president-ashes-short-lobbying-for-pyongyang-in-europe/a- 46019592
¹³ " ट्रम्प ने परमाणु कूटनीति के लिए पोम्पियो की उत्तर कोरिया का दौरा रद्द कर दी", रायटर, 24 अगस्त 2018, https://in.reuters.com/article/northkorea-usa/trump-cancels-pompeos-trip-to-north-korea-over-stalled-nuclear- diplomacy-idINKCN1L91Y2;
"उत्तर कोरिया के राजनयिक से पोम्पियो की बैठक स्थगित", द न्यूयॉर्क टाइम्स, 7 नवंबर, 2018, https://www.nytimes.com/2018/11/07/world/asia/pompeo-meeting-kim-yong-chol.html
¹⁴ "परमाणु के मद्देनजर उत्तर कोरिया के नए वादे अमेरिकी मांग के लिए काफी नहीं ", चोई-सांग-हुन और डेविड ई. सेंजर न्यूयॉर्क टाइम्स, 19 सितंबर 2018, https://www.nytimes.com/2018/09/19/world/asia/north-south-korea-nuclear- weapons.html