29 और 30 दिसंबर 2013 को वोल्गोग्राड जो कि रूस का पांचवा सबसे बड़ा औद्योगिक नगर है में हुई बमबारी से पता चला है कि रूस एक नाजुक स्थिति से गुजर रहा है । इन हमलों से काकेशस की मिलिटेंट ताकत का पता चलता है जो हाल ही में भर्ती किए गए धर्मपरिवर्तित रूसी मुसलमानों के जरिए रूस की मुख्य भूमि को निशाना बना रहे हैं । इससे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की विविध आयामी विशेष रूप से पश्चिम एशिया में बदलती हुई भौगोलिक राजनीतिक प्रतिबद्धता का पता चलता है ।
इन कारकों के स्थान पर एक स्थान पर एकत्र होने से रूस की सुरक्षा के लिए एक नया खतरा पैदा हो गया है । हालांकि यह स्थिति कुछ समय पूर्व ही शुरू हुई है । सोवियत संघ के जमाने से लेकर अब तक रूस उत्तर काकेशस क्षेत्र विशेष रूप से चेचनिया और दागिस्तान की ओर से खतरों का सामना करता आया है । शीत युद्ध के बाद इस क्षेत्र की दशकों पुरानी शिकायतों के कारण काकेशस अमीरात के इस्लामी उग्रवादी समूह के स्वयंभू अमीर डोकू उमारोव के नेतृत्व में पृथकवादी मांगे बढ़ी हैं । ज्ञातव्य हो कि इस समूह का अलकायदा और तालिबान से भी संबंध है । यह समूह उत्तर काकेशस में मुस्लिम गणराज्य बनाने के लिए चेचनिया और दागिस्तान को रूस से आजाद कराना चाहता है ।
पश्चिम एशिया में हो रहे घटनाक्रम से काकेशस अमीरात (रूसी सिलाफ़िस्ट) को रूस को कमजोर करने में मदद मिली है । जुलाई 2013 को रूस के राष्ट्रपति व्लादामीर पुतिन और सऊदी अरब के आसूचना प्रमुख बंदर बिन सुल्तान के बीच हुई बैठक में प्रिंस ने रूस को यह सुझाव दिया कि वह सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को सहायता देना बंद करे । प्रिंस ने बदले में सऊदी अरब ने फरवरी 2014 को आगामी सोची ओलंपिक खेलों में हमलों को रोकने के लिए चेचन आतंकवादियों को रोकने की पेशकश की । तथापि राष्ट्रपति व्लादामीर पुतिन ने इस पेशकश को अस्वीकार कर दिया । इसके तुरंत बाद काकेशस अमीरात द्वारा हमलों में वृद्धि की गई, ऐसा ही एक हमला वोल्गोग्राड पर किया गया जो सोची से 400 मील दूर है । रूस के लिए इस खतरे की गंभीरता का पता इस बात से भी चलता है कि सीरिया के बागियों के साथ सीरिया में लड़ रहे रूसी मुसलमान अपने देश में वापस आ गए । ऐसी आशंका है कि सीरिया से वापस आने पर इन आतंकवादियों को रूसी सरकार के खिलाफ लड़ने में और अधिक हथियार, अनुभव और आर्थिक सहायता प्राप्त हुई है ।
रूस यह प्रयास कर रहा है कि वह दोबारा से महाशक्ति का दर्जा हासिल कर ले । इस संबंध में उत्तर काकेशस क्षेत्र एक महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह स्थान तेल और प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है । चेचनिया और दागिस्तान अच्छी गुणवत्ता वाले तेल और प्राकृतिक गैस के प्रमुख केंद्र होने के साथ-साथ महत्वपूर्ण भूरणनीतिक क्षेत्र में अवस्थित हैं । मालूम हो कि रूस की अर्थव्यवस्था अधिकतर इस क्षेत्र पर निर्भर करती है । उदाहरण के लिए माखच काला बंदरगाह कैस्पियन समुद्र पर एकमात्र रूस का हिममुक्त बंदरगाह है जिसके जरिए रूस आजर बाईजान, ईरान, कजाकस्तान और तुर्कमेनिस्तान आदि के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित करता है । रूस ने चेचनिया और दागिस्तान को अपने कार्यक्षेत्र में रखने की कोशिश की है । चेचनिया और दागिस्तान आर्थिक रूप से गरीब, अविकसित और कमजोर प्रशासन वाले देश हैं जहां पर धर्म और नस्ल के नाम पर मानव अधिकारों का हनन किया जाता है । रूस में आजादी के लिए लड़ रहे इस्लामी उग्रवादियों को कुचलने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं । इन उग्रवादियों के विरुद्ध दमनकारी चक्र चलाने से रूस में तनाव उत्पन्न हो गया है ।
रूस ऐसी पूरी कोशिश कर रहा है कि चेचनिया और दागिस्तान उससे अलग न हों क्योंकि ऐसा होने से उसकी अर्थव्यवस्था कमजोर होने के साथ-साथ क्षेत्र में उसका प्रभाव भी कम हो जाएगा । काकेशस अमीरात द्वारा रूस को दी जाने वाली चुनौती उस कार्ययोजना के तहत अमल में आ रही है जिसमें रूस के लोगों द्वारा मुसलमान बनने पर अमीरात ने उन्हें अपनी सेना में भर्ती किया । वास्तव में उग्रवादी विचार यथा इस्लामी उग्रवाद जैसे मामले रूस के नस्लीय समाज में गहराई तक उतर गए । काकेशस अमीरात ने इस्लामिक ईसाई रुसियों को कट्टर मुसलमान बनाकर आतंक फैलाने के लिए इस्तेमाल किया है । ये लोग सामंतवादी क्रेमलिन सरकार के भ्रष्ट व्यवहार से अप्रसन्न और निराश थे । इन इस्लामिक आतंकवादियों के आने से अमीरात को यह सहायता मिल रही है कि वे रूस के नगरों में उसके सुरक्षा कार्मिकों को निशाना बनाए ।
रूस में नस्लीय रूसियों के जरिए काकेशस अमीरात की उग्रवादी कार्रवाई और रूस तथा सऊदी अरब के बीच प्रतिद्वंदता उत्पन्न होने से रूसी सरकार को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है । 31 दिसंबर 2013 को नए वर्ष के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति व्लादामीर पुतिन ने शपथ ली थी कि वे आतंकवादियों को पूरी तरह समाप्त कर देंगे तथा वह इस मामले में कहां तक सफल होंगे यह और बात है ।
वोल्गोग्राड और सोची में विशेष रूप से सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है जहां फरवरी 2014 में ओलंपिक खेल होंगे । सीरिया से रूसी नागरिकों की वापसी के कारण रूस पर और अधिक हमलों की संभावना बढ़ गई है । वास्तव में रूसी सुरक्षा सेवा प्रशिक्षित न होने के कारण जीवित बमों के हमले का मुक़ाबला करने के लिए तैयार नहीं है ।
इन कारकों और राष्ट्रपति व्लादामीर पुतिन द्वारा 2 नवंबर 2013 को हस्ताक्षरित आतंकविरोधी कानून से उग्रवादियों का क्रोध और शत्रुता और बढ़ गई है । इस नए कानून के तहत भारी कैद के साथ अर्थदण्ड दिए जाने का भी प्रावधान किया गया है । इसके तहत यह भी व्यवस्था की गई है कि दक्षिण रूस में पृथकवादी युद्ध लड़ रहे उग्रवादियों द्वारा उत्पन्न किसी भी किस्म के नुकसान की भरपाई उनके संबंधियों द्वारा की जाएगी जिसका नतीजा यह निकला कि लोगों का गुस्सा रूस पर टूट पड़ा ।
रूस को ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिससे उसके नागरिकों और पड़ोसियों की शिकायते दूर हो सकें । रूस को यह भी चाहिए कि वह अपने और उत्तर काकेशस के लोगों का सम्मान करे और अपनी सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए अपेक्षाकृत नरमी का भी वर्ताव करे ।
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*डॉ. इन्द्राणी तालुकदार, भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
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