आर्थिक सहयोग संगठन (ईसीओ) का तेरहवां शिखर सम्मेलन 1 मार्च, 2017 को इस्लामाबाद, पाकिस्तान में हुआ। इस शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने की और इसमें अजरबैजान, ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्केमिनिस्तान के राष्ट्रपतियों तथा किर्गिस्तान के प्रधानमंत्री ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त, इस शिखर सम्मेलन में कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के उप प्रधानमंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। इस शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व पाकिस्तान स्थित उसके राजदूत ने किया।
इस्लामाबाद का यह शिखर सम्मेलन वर्ष 2012 में बाकू, अजरबैजान में हुए अंतिम शिखर सम्मेलन के पांच वर्ष के अंतराल के बाद हुआ (इन शिखर सम्मेलन की सूची का उल्लेख अनुबंध 1 में किया गया है)। इस शिखर सम्मेलन के वर्ष 2014 में पाकिस्तान में होने की संभावना थी। तथापि, संभवत: सदस्य राष्ट्रों में कतिपय घरेलु राजनीतिक बाध्यताओं और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों के कारण यह सम्मेलन वर्ष 2014 में आयोजित नहीं किया जा सका। इस्लामाबाद शिखर सम्मेलन का महत्व प्रमुख क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओंद्वारा शुरू की गई बहुपक्षीय समाकलन परियोजनाओं के कारण बढ़ा है, इसलिए इसकी विषय वस्तु है- क्षेत्रीय समृद्धि के लिए संपर्क।
ईसीओ की पृष्ठभूमि
ईसीओ का मूलभूत चार्टर ‘इजमिर की संधि’पर आधारित है जिस पर 12 मार्च, 1977 को ईरान, पाकिस्तान और तुर्की द्वारा मूलत: इजमिर, तुर्की में हस्ताक्षर किया गया तथा 1990 एवं 1992 में संशोधित किया गया। ईसीओ, क्षेत्रीय विकास सहयोग (आरसीडी) का उत्तराधिकारी है जो 15 वर्ष पूर्व 1964 और 1979 के बीच विद्यमान था। यह अवधि जिसमें आरसीडी से ईसीओ बना, वह अंतरराष्ट्रीय और वैश्विक अंतर्ग्रस्तताओं के साथ कई महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का संकेत था जिसमें 1979 में ईरान की इस्लामी क्रांति और उसी वर्ष अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप शामिल है। सोवियत संघ के विघटन के तत्काल बाद नए स्वतंत्र हुए मध्य एशिया और काउकस देश तथा अफगानिस्तान बाहरी विश्व के लिए अपने बाजार को खोलना चाहते थे। ईसीओ ने क्षेत्रीय ब्लॉक के माध्यम से एकीकरण के लिए उन्हें यह अवसर प्रदान किया। सोवियत संघ के विघटन का इस संघठन के पुनर्जीवन पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा क्योंकि इस कारण मध्य एशिया और काउकस के देशों के जुड़ने से यह तीन सदस्यीय ईसीओ एक बड़े ब्लॉक के रूप में तब्दील हो गया। नवम्बर, 1992 में तीन सदस्य से दस सदस्यीय संगठन के रूप में इसके विस्तार के साथ ईसीओ को एक नया आकार, आयाम और भूमिका प्राप्त हुई। वर्तमान में ईसीओ सदस्य देश हैं- अफगानिस्तान, अजरबैजान, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्केमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान।
ईरान, पाकिस्तान और तुर्की के त्रिपक्षीय संगठन के रूप में 1985 में स्थापित ईसीओ मुख्य रूप से एक वाणिज्यिक और व्यापारोन्मुखी संगठन माना जाता है। ये तीन संस्थापक देश समान रूप से संगठन के कुल बजट का 66 प्रतिशत योगदान देते हैं। ईसीओ का उद्देश्य बहु आयामी क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से धारणीय सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सहयोग देने तथा अनुकूल परिस्थितियां तैयार करना भी रहा है। ईसीओ के संगठनात्मक ढ़ांचे में एक महासचिव (एसजी) और सात निदेशालय हैं जो एसजी के मार्गनिर्देशन में कार्य करते हैं। निदेशालय और सदस्य देशों के बीच इसका संवितरण निम्न प्रकार से है:-
संख्या. |
निदेशालय |
देश |
1 |
व्यापार और निवेश निदेशालय |
पाकिस्तान |
2 |
परिवहन और संचार निदेशालय |
ईरान |
3 |
कृषि, उद्योग और पर्यटन निदेशालय |
तुर्की |
4 |
ऊर्जा, खनिज और पर्यावरण निदेशालय |
अजरबैजान |
5 |
परियोजना और आर्थिक अनुसंधान व सांख्यिकी निदेशालय |
कजाकिस्तान |
6 |
मानव संसाधन और सतत विकास निदेशालय |
तुर्की |
7 |
मादक पदार्थ और संगठित अपराध समन्वय एकक- डीओसीसीयू |
ईरान |
ईसीओ ने नामोद्दिष्ट देशों द्वारा वैज्ञानिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, कृषि, पर्यावरण, बैंकिंग और पुनर्बीमा कार्य करने के लिए बहुपक्षीय विशेषीकृत एजेंसियों का गठन किया है। (इसका ब्यौरा अनुबंध दो में दिया गया है।)
13वां शिखर सम्मेलन: अब क्यों?
13वें शिखर सम्मेलन के 2014 में पाकिस्तान में होने की संभावना थी। इसका आयोजन आधे दशक के अंतराल पर हुआ । महत्वपूर्ण रूप से यह शिखर सम्मेलन 1992 में इस संगठन के विस्तार के 25वीं वर्षगांठ के समय में हुआ। कई संभावित कारणों से इसमें देरी हुई। पाकिस्तान गंभीर सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा था। 2014 में पेशावर आर्मी विद्यालय सहित प्रमुख आतंकी हमलों ने इस देश में सुरक्षा स्थिति को और गंभीर बना दिया था। दूसरी ओर, कनाडा स्थित पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ और इस्लामी ताहिर उल कादरी ने नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पीएमएल (एन) के विरूद्ध विरोध शुरू कर दिया था।
उसी प्रकार, ईरान इस संगठन का एक अन्य संस्थापक सदस्य था, जो अपने परमाणु कार्यक्रम के कारण तीव्र अंतरराष्ट्रीय जांच के दायरे में था। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूरोपीय संघ और अमेरिका द्वारा आरोपित अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध ने ईसीओ मुख्यालय के तेहरान में बनाए जान के बाद से ईरान को वास्तविक रूप में किसी अर्थपूर्ण अनुबंध को अल्प प्रभावी बना दिया। दूसरी ओर, ईसीओ का तीसरा संस्थापक सदस्य तुर्की घरेलु राजनीतिक स्थिति और राष्ट्रपति रिसिप तईब ईरडोगन सरकार के व्यापक विरोध का सामना कर रहा था।
सीरिया संकट से उत्पन्न क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति के कारण शायद इस शिखर सम्मेलन के 2014 में आयोजन में देरी हुई। तुर्की विस्थापित सीरियाई लोगों के प्रवाह से जूझ रहा था। इसके अतिरिक्त, ईरान और तुर्की का सीरिया के घटनाक्रम के संबंध में भिन्न विचार था।
महत्वपूर्ण रूप से, नवम्बर, 2016 में इस्लामाबाद में अनुसूचित दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) शिखर सम्मेलन का स्थगित होना पाकिस्तान में क्षेत्रीय अलगाव का डर सृजित किया। आतंकवाद के विरूद्ध युद्ध के एक सहयोगी के रूप में होने के बावजूद पाकिस्तान की भूमिका सदैव ही संदिग्ध रहा है। क्षेत्रीय देशों ने पाकिस्तान को अपने भूभाग को इस क्षेत्र में आतंकी हमले करने के लिए एक प्लेटफार्म के रूप में उपयोग करने देने का आरोप लगाया है।इस शिखर सम्मेलन का आयोजन करते समय यह अलगाव कारक भारी रहा। पाकिस्तान के योजना और विकास मंत्री अहसान इकबाल का इस्लामाबाद में ईसीओ शिखर सम्मेलन के आयोजन को सफल बताना यह साबित किया है कि पाकिस्तान अलगाव का सामना नहीं कर रहा है बल्कि विकासशील देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। इस देश ने ईसीओ मंच को इस क्षेत्र और इसके परे क्षेत्रों में अलगाव की अवधारणा को बेअसर करने के लिए इस्तेमाल करने का प्रयास किया।
पाकिस्तान ने जून, 2014 में आतंकियों विशेषकर अफगानिस्तान की सीमा में उत्तरी वजीरिस्तान एजेंसी के संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (फाटा) में सैन्य आक्रमण जर्ब ए अज्ब शुरू किया। इस्लामाबाद के ईसीओ शिखर सम्मेलन के तत्काल पूर्व पाकिस्तानी सेना ने फरवरी, 2017 को एक अन्य सैन्य आक्रमण शुरू किया जिसे रद्द-उल-फसाद के रूप में जाना जाता है। इस सैन्य आक्रमणों को आतंकवाद के विरूद्ध पाकिस्तानी सरकार द्वारा लघु किंतु सकारात्मक कदम के रूप में देखा गया।अब, क्षेत्रीय देश पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तानऔर ताजिकिस्तान आतंकवाद रोधी गठबंधन सहित अफगानिस्तान में स्थिति से निपटने के लिए तथा मास्को में हाल के छह दलीय वार्ता के लिए गठजोड़ कर रहे हैं।
ईसीओ क्षेत्र में घटनाक्रमों ने इस समय इस शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए एक अनुकूल पृष्ठभूमि तैयार करने में भी सहायता की। ईरान ईसीओ का संस्थापक सदस्य रहा है और यह देश लंबे समय से प्रतिबंध के अधीन रहा है जो ईसीओ मंच के माध्यम से कार्यों और संव्यवहारों को प्रभावित कर रहा है।वर्तमान में कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटा लिया गया है और ईरान क्षेत्रीय व्यापार और पारगमन सहयोग व समाकलन को आवश्यक बनाते हुए अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना चाहता है।
पांच मध्य एशियाई देश इस 10 सदस्यीय ईसीओ ब्लॉक में शामिल हैं। वैश्विक आर्थिक मंदी और रूस पर प्रतिबंधों कारण इन पांच अर्थव्यवस्थाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वे अपनी अर्थव्यवस्थाओं की विविधता चाहते हैं और अपने आसपास के क्षेत्रों में नए बाजारों की तालाश करना चाहते हैं। इन देशों ने वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर), अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी), ईरान के पत्तन के माध्यम से कनेक्टिविटी तथा यूरेशियाई आर्थिक संघ (ईईयू) सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं द्वारा किए गए पहलों का स्वागत किया है। ईसीओ उन्हें एक और अवसर व मंच प्रदान करता है ताकि आर्थिक और सामाजिक घटनाक्रमों के लिए अपनी क्षमता को महसूस कर सकें।
दो महत्वपूर्ण ईसीओ सदस्यों- ईरान और तुर्की में सीरिया के प्रश्न पर हाल का अभिसरण तथा अस्ताना (ईसीओ का एक अन्य सदस्य, कजाकिस्तान) में बातचीत होना ईसीओ सदस्यों में बढ़ते सौजन्य का साक्ष्य है, जिसने इस परिस्थिति में इस शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए एक अनुकूल आधार सृजित करने में सहायता की।
शिखर सम्मेलन का विषय
इस शिखर सम्मेलन का विषय ‘’क्षेत्रीय समृद्धि के लिए कनेक्टिविटी’’ था।इसमें परस्पर समृद्धि, विभिन्न स्तर पर कनेक्टिविटी के लिए क्षेत्रीय देशों में समझ को बढ़ाने वाली बिंदु महत्वपूर्ण है।पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘’अब यह समय हमारे लिए आर्थिक और व्यापारिक क्रियाकलाप के एशियाई केन्द्र के रूप में अपनी ऐतिहासिक भूमिका को पुन: प्राप्त करना है। इस प्रकार इस शिखर सम्मेलन का विषय, ‘क्षेत्रीय समृद्धि के लिए कनेक्टिविटी’, हमारी साझा विरासत और साझा समृद्धि के भविष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का साक्ष्य है।‘’इस शिखर सम्मेलन में बोलते हुए तुर्की के राष्ट्रपति रिसेप तैयिप एर्डोगान ने इस क्षेत्र में सामंजस्य और सहयोग को बढ़ाने के लिए अंतर क्षेत्रीय व्यापार के संवर्धन के संबंध में अधिक जोर देने का आह्वान किया। ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भी सहयोग और कनेक्टिविटी पर जोर दिया। उन्होंने ईसीओ के इस शिखर सम्मेलन में कहा, ‘’हमें यह विश्वास करना चाहिए कि हमारी शक्ति हमारे संबंध में निहित है और इस क्षेत्र का भविष्य इन निर्णयों पर होगा जिसे हम आज बनाते हैं तथा कल की समृद्धि आज के हमारे रिश्ते पर निर्भर करता है।
इस शिखर सम्मेलन के पूर्व 28 फरवरी, 2017 को इस्लामाबाद में ईसीओ के मंत्रियों के परिषद् की 22वीं बैठक में बोलते हुए पाकिस्तान के विदेश सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि ईसीओ का दीर्घकालिक भविष्य प्रभावी क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने तथा कुशल व प्रभावी संस्थाओं की स्थापना के संबंध में एक साझा आधार तलाशने व सभी सदस्य देशों की नवीकृत आवश्यक राजनीतिक इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है जो सभी सदस्य देशों को वास्तविक लाभ पहुंचा सकता है।
शिखर सम्मेलन का परिणाम
पाकिस्तान के इस ईसीओ शिखर सम्मेलन में दो भिन्न दस्तावेजों को स्वीकार किया गया, इस्लामाबाद घोषणा तथा विजन 2025। इस घोषणा का जोर परिवहन और संचार अवसंरचना के और विकास, व्यापार व निवेश को सुकर बनाने, अन्य क्षेत्रों के साथ कनेक्टिविटी को संवर्धित करने, ऊर्जा संसाधनों के प्रभावी इस्तेमाल तथा ईसीओ को प्रभावी और दक्ष बनाने के लिए उपाय करने की आवश्यकता पर था। इसमें ईसीओ व्यापार समझौता (ईसीओटीए) और अन्य ईसीओ व्यापार समझौतों के कार्यान्वयन तथा मुक्त व्यापार प्रवाह को प्रभावित किए बिना वास्तविक तथा अवास्तविक बाधाओं की पहचान करने और उन्हें समाप्त करने के माध्यम से अगले तीन से पांच वर्षों में अंतर-ईसीओ व्यापार के वर्तमान स्तर को दोगुना करने के लिए कार्य करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
इस शिखर सम्मेलन में यह कहा गया कि ईसीओ क्षेत्र एक विशाल भूभाग का प्रतिनिधित्व करता है जो लगभग विश्व की कुल जनसंख्या का छठे भाग का घर है। यद्यपि इस क्षेत्र में व्यापक क्षमता है और यहां विश्व जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत हिस्सा रहती है किंतु यह विश्व व्यापार में केवल 2 प्रतिशत का योगदान करता है। ईसीओ क्षेत्र में व्यापार शेष विश्व के साथ इसके व्यापार का एक छोटा हिस्सा भर है। ईसीओ सदस्य देशों के बीच अंतर क्षेत्रीय व्यापार उनकी संचयी बाह्य व्यापार का केवल आठ प्रतिशत है। ईसीओ महासचिव हलील इब्राहिम अक्सिया ने इन नेताओं से कहा कि इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत किए जाने का लक्ष्य है।
इस क्षेत्र में व्यापार और पारगमन को बाधित करने वाले कारकों में आर्थिक क्षमताओं में अंतर, अपर्याप्त परिवहन लिंकेज के कारण संभार तंत्र बाधाएं और बैंकिंग लेन-देन की समस्याएं शामिल हैं। इस घोषणा में अंतर-ईसीओ व्यापार को इस क्षेत्र में संवर्धित आर्थिक सहयोग और पनुरूद्धार के माध्यम के रूप में बढ़ावा देने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है। इसमें अंतर-क्षेत्रीय व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए साइबर क्षेत्र के अतिरिक्त वायु, भूमि और समुद्री मार्गों से परिवहन संपर्कों को निर्मित और आगे बढ़ाने का भी आह्वान है। ऊर्जा अवसंरचना विकास, अंतर-क्षेत्रीय ऊर्जा व्यपार सहित ऊर्जा क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग तथा वहनीय ऊर्जा संसाधनों तक पहुंच में सुधार पर भी बल दिया गया।
इस्लामाबाद घोषणा में आगे 2015-पश्चात विकास कार्यसूची और उस भूमिका के महत्व को रेखांकित किया गया जिसे ईसीओ सदस्य राष्ट्रों द्वारा निभाया जा सकता है। इन नेताओं ने ईसीओ सचिवालय और सदस्य देशों के स्थायी प्रतिनिधियों को इस संगठन में सुधार को लागू करने का कार्य सौंपा। इसमें आगे संतुलन के महत्व को चरमपंथ के सभी रूपों का विरोध करने तथा वार्तालाप, परस्पर सम्मान, समझ व सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देने के एक दृष्टिकोण के रूप में पहचान की गयी ताकि इस ईसीओ क्षेत्र में वहनीय और समावेशी विकास, समान विकास, स्थायित्व व समृद्धि की प्राप्ति हो सके।
ईसीओ विजन- 2025 जिसे इस्लामाबाद शिखर सम्मेलन में अपनाया गया, में व्यापार, परिवहन, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, पर्यटन, आर्थिक विकासऔर उत्पादकता, सामाजिक कल्याण और पर्यावरण में बढ़ते सहयोग के लिए मुख्य सिद्धांतों के रूप में धारणीयता, समाकरण और अनुकूल माहौल की पहचान की गयी। इस दस्तावेज में आगे कहा गया है कि ‘’ईसीओ संवर्धित सहयोग के माध्यम से अत्यधिक शिक्षित समाजों और बेहतर शासन व्यवस्था द्वारा प्राप्त समेकित भूभाग और एकीकृत अर्थव्यवस्था और मुक्त व्यापार के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।‘’ इस ईसीओ विजन 2025 में ईसीओ के लिए संवर्धित सहयोग के माध्यम से समेकित भूभाग और धारणीय अर्थव्यवस्था व मुक्त व्यापार का क्षेत्र बनाए जाने का उल्लेख है।
क्षेत्रीय स्थिरता और कनेक्टिविटी में ईसीओ
इन नेताओं ने पाया कि अनसुलझा विवाद आर्थिक विकास को बाधित कर रहा है, इस क्षेत्र की पूर्ण आर्थिक क्षमता के दोहन को बाधित कर रहा है और क्षेत्रीय व व्यापक स्तरों पर आर्थिक सहयोग में अवरोध उत्पन्न कर रहा है। इस ईसीओ क्षेत्र के लिए अफगानिस्तान के महत्व को स्वीकार करते हुए इस शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण और सतत विकास व शांति व सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक प्रयासों हेतु अपनी निरंतर सहायता पर जोर दिया। इस शिखर सम्मेलन में इस क्षेत्र में चल रहे विवादों पर चिंता व्यक्त की गयी तथा प्रभावित राष्ट्रों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मानकों व सिद्धांतों पर आधारित उनके शीघ्र समाधान का आह्वान किया गया। संवर्धित कनेक्टिविटी पर जोर देते हुए पाकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत व इस शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति अशरफ गनी के विशेष दूत डॉ. उमर जखिलवाल ने पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के निरंतर बंद रहने की ओर इशारा किया और इसे तुरंत खोलने की मांग की। लगभग एक महीन तक बंद रहने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने 20 मार्च, 2017 को इस सीमा को पुन: खोलने का आदेश दिया।
बड़ी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा शुरू की गयी कनेक्टिविटी पहलों से ईसीओ सदस्यों के क्षेत्रीय एकीकरण की प्रत्याशा बढ़ी है। चीन की ओबीओआर संबंधी पहल में ईसीओ के सभी सदस्य देश शामिल हैं। चीन द्वारा सृजित रेल और सड़क नेटवर्क से समग्र ईसीओ क्षेत्रको लाभ पहुंचने की संभावना है जिससे वे अपने अंतर-ईसीओ कनेक्टिविटी में सहजता के साथ बढ़ोतरी कर पाएंगे। दूसरी ओर, आईएनएसटीसी जिसमें भारत शामिल है और यह दक्षिण एशिया को मध्य एशिया को जोड़ता है, और अफगानिस्तान और उसके परे देशों को जोड़ने के लिए ईरानी पत्तन चाबाहार में भारतीय निवेश से पड़ोसी देशों और क्षेत्रों के माध्यम से ईसीओ सदस्यों में परिवहन व संचार के माध्यम और व्यापक होंगे।
चुनौतियां और आगे का मार्ग
ईसीओ अपने सदस्य देशों के बीच कनेक्टिविटी और आर्थिक विसमताओं की चुनौतियों से जूझ रहा है जो इनमें और अधिक सहयोग करने को बाधित कर रही हैं। तुर्की के पास ईसीओ अर्थव्यवस्था के कुल जीडीपी का 45 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है, जबकि किर्गिस्तान का हिस्सा एक प्रतिशत से भी कम है। तथापि, बढ़ती कनेक्टिविटी और बहुपक्षीय पहलों व अंत:क्षेत्रीय परियोजनाओं से ईसीओ के लिए प्रत्याशाओं में गति आयी है।
पाकिस्तान में हुए 13वें ईसीओ शिखर सम्मेलन ने सदस्य देशों के बीच व्यापक आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सहयोग की उम्मीद जगी है। ईसीओ सदस्य देशों द्वारा प्राप्त व धारित समृद्धि और स्थिरता केवल ईसीओ क्षेत्र तक ही सीमित नहीं होगी बल्कि इसका प्रभाव दक्षिण एशिया, मध्य एशिया, अन्य देशों व क्षेत्रों पर भी पड़ेगा।
ईसीओ और सार्क दो समकालीन पहलें हैं जिन्हें आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय एकीकरण के लिए विकासशील देशों द्वारा शुरू की गयी हैं। अब तक उनका कार्यनिष्पादन क्षमता से कम ही रहा है। सामाजिक-आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी और सुरक्षा सहित इन दो क्षेत्रीय संगठनों के समक्ष चुनौतियां समान प्रकृति के हैं। सार्क और ईसीओ के बीच अधिक सहक्रिया से आर्थिक सहयोग, राजनीतिक सहयोग और सांस्कृतिक संबंध के कई प्रकार के लाभ मिल सकते हैं।
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* डॉ विभांशु शेखर, भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
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