यूनाइटेड किंगडम (यूके) की प्रधानमंत्री, थेरेसा मे ने 6-8 नवंबर, 2016 को भारत का दौरा किया। जुलाई 2016 में प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद यूरोप के बाहर यह उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा थी। प्रधानमंत्री थेरेसा की भारत यात्रा का एक महत्वपूर्ण औचित्य था, यानी अनिश्चितता जो 'ब्रेक्सिट' के कारण उत्पन्न हुई है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण यात्रा थी कि 3 नवंबर, 2016 को ब्रिटिश कोर्ट के फैसले में यह कहा गया था कि ब्रिटिश सरकार को अपनी संसद से यूरोपीय संघ (ईयू) से औपचारिक रूप से बाहर निकलने के लिए एक औपचारिक अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता होगी तथा यह यूरोपीय संघ के सदस्यों की ब्रिटेन के पक्ष में एक डील करने की इच्छा पर निर्भर होगा। संक्षेप में, प्रधानमंत्री थेरेसा ने भारत के साथ व्यापार और अन्य संबंधों में ‘पश्च-ब्रेकिस्ट’ परिदृश्य हेतु भारत का आश्वासन प्राप्त करने की प्राथमिकता दी है। जैसा कि उन्होंने खुद टिप्पणी की है कि भारत, ब्रिटेन के "सबसे महत्वपूर्ण और करीबी दोस्तों" में से एक है और "भारत दुनिया की एक प्रमुख शक्ति है और उनकी यात्रा रक्षा, सुरक्षा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को मजबूत करेगी।"
अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री थेरेसा ने भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी के साथ मुलाकात की और भारत-यूके टेक शिखर सम्मेलन में भाग लिया। प्रधानमंत्री मोदी के साथ यूके की प्रधानमंत्री थेरेसा कीबैठक के दौरान, रक्षा, व्यापार और सुरक्षा मुद्दों का एजेंडा प्रमुख था।
रक्षा संबंधों को बढ़ावा देना
रक्षा सहयोग के क्षेत्र में, काफी हद तक पिछली प्रतिबद्धताओं और उपलब्धियों को दोहराया गया था। नवंबर 2015 में संपन्न हुई रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा साझेदारी (डीआईएसपी) के अवसर पर, यूके की प्रधानमंत्री ने यूके और भारतीय कंपनियों के बीच 'मेक इन इंडिया' के तहत रक्षा विनिर्माण में सहयोग को मान्यता दी, विशेष रूप से भारत में हॉक एडवांस्ड जेट ट्रेनर्स के निर्माण में एचएएल और बीएई सिस्टम्स के बीच सहयोग। इसके लिए, उन्होंने भारत के रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के साथ-साथ भारतीय रक्षा कंपनियों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का समर्थन और सरलीकरण करने के लिए भविष्य में सहयोग का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी बैठक के दौरान महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को शामिल करते हुए साइबर स्पेस की सुरक्षा पर भी चर्चा हुई। ‘डिजिटल इंडिया’के समर्थन में बोलते हुए, सुश्री थेरेसा ने इंटरनेट प्रशासन के बहु-हितधारक मॉडल और साइबर सुरक्षा सहयोग के लिए यूके-इंडिया साइबर रिलेशनशिप फ्रेमवर्क के लिए अपना समर्थन देनेका हाथ बढ़ाया।
व्यापार और आर्थिक संबंध
व्यापार और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना सुश्री थेरेसा की यात्रा का प्रमुख बिंदु था क्योंकि भारत, ब्रिटेन में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, यूके में भारतीय एफडीआई का मूल्य (आवक एफडीआई) 2004 में £ 164 मिलियन से बढ़कर 2013 में £ 1.9 बिलियन हो गया है। भारतयूके के लिए निजी क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय जॉब क्रियेटर भी है, जहां भारतीय कंपनियों द्वारा 110,000 से अधिक नौकरियां सृजित की गईं। यहां यह बताना उचित है कि भारत तथा ब्रिटेन पर 'ब्रेक्सिट' का प्रभाव मामूली होने की संभावना है क्योंकि भारत का यूके के साथ$ 3.63 बिलियन व्यापार अधिशेष है, जो भारत से कुल माल निर्यात का केवल 3 प्रतिशत है। यूके के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार भारत के कुल व्यापार का केवल 2 प्रतिशत है। विभिन्न परियोजनाओं में यूके से निवेश के संदर्भ में मामूली लाभ ध्यान देने योग्य हैं।
तथापि, व्यापार संबंधों के महत्व को स्वीकार करते हुए, दोनों देश वित्तीय सहयोग को और मजबूत करने और निवेश के माध्यम से विकास को प्रोत्साहित करने पर सहमत हुए। प्रधानमंत्री ने भारतीय बुनियादी ढांचे के विकास, जैसे 'मेक इन इंडिया', 'डिजिटल इंडिया', 'स्किल इंडिया' और 'स्मार्ट सिटीज़' में निवेश करने की पेशकश की। नवंबर 2015 में तीन यूके-इंडिया सिटी साझेदारी में की गई प्रतिबद्धताओं को याद करते हुए, दोनों पक्षों ने अधिक रणनीतिक और व्यापक शहरी साझेदारी पर सहमति व्यक्त की, जो दोनों सरकारों, व्यवसायों, निवेशकों और शहरी विशेषज्ञों को स्मार्ट और समावेशी शहरों का निर्माण करने के लिए आगे लाएगीऔररोजगार पैदा करेगी।
नए उद्यमों को प्रोत्साहित करने और रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए, सुश्री थेरेसा ने 75 स्टार्ट-अप उद्यमों में 160 मिलियन पाउंड के निवेश की घोषणा की और 30 उद्यमों का समर्थन करने के लिए स्टार्ट-अप इंडिया वेंचर कैपिटल फंड के लिए अतिरिक्त £ 20 मिलियन का निवेश करने की घोषण की। यह फंड अन्य निवेशकों से अतिरिक्त £ 40 मिलियन पूंजी का लाभ उठाने की सुविधा भी प्रदान करेगा, जिसमें यूके वेंचर कैपिटल फंड भी शामिल है। ‘स्किल इंडिया’मिशन का समर्थन करने के लिए,
£ 12 मिलियन के निवेश की भी घोषणा की गई थी।
इस यात्रा में दो समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए - एक सुगम व्यापार पर और दूसरा बौद्धिक संपदा पर ताकि यूके की विशेषज्ञता हासिल करने और भारत को विश्व बैंक की’ईज ऑफ ड्इंग बिजनेस’रेटिंग में अपनी स्थिति बढ़ाने और नवप्रवर्तन एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देने में सहायता मिल सके।
तथापि, यूके-इंडिया फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए), जैसा कि सुश्री थेरेसा द्वारा अक्टूबर 2016में इंगित किया गया था,पर यूके द्वारा यूरोपीय संघ को दी गई प्रतिबद्धताओं के कारण द्विपक्षीय बातचीत करने पर असमर्थता जताई।
आतंकवाद और यूएनएससी सदस्यता
यूके की प्रधानमंत्री की यात्रा का एक अन्य उत्साहजनक पहलू है, एक वक्तव्य जिसे बैठक के अंत में जारी किया गया था। इसमें आतंकवाद और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की सदस्यता पर बयान दिया गया था। यह दोहराते हुए कि आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है, यूके की प्रधानमंत्री थेरेसा ने सीमा पार आतंकवाद की निंदा करते हुए एक सख्त बयान जारी किया, जिसमें पाकिस्तान से मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमलों और 2016 में पठानकोट हमलों के अपराधियों को दंडित करने का आह्वान किया गया था। उन्होंने सितंबर 2016 में उरी में भारतीय सेना ब्रिगेड के मुख्यालय में आतंकवादी हमलों की भी निंदा की। दोनों नेताओं ने मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक कानूनी ढांचे को मजबूत करने का आग्रह किया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को अंतिम रूप देना भी शामिल है।
अपनी यात्रा के अंत में जारी संयुक्त वक्तव्य में, सुश्री थेरेसा ने एक पुनर्स्थापितयूएनएससी में भारत के स्थान का समर्थन किया और परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की सदस्यता का समर्थन किया। उन्होंने मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) और न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत के प्रवेश और वैश्विक परमाणु-प्रसार निरोध का समर्थन किया।
जलवायु परिवर्तन एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी
जलवायु परिवर्तन एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी अच्छी प्रगति दिखाई दे रही है, इसलिए संयुक्त निवेश के माध्यम से नए क्षेत्रों में सहयोग करने की बात कही गई। यह देखते हुए कि जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा की सुरक्षित, सस्ती तथा सतत आपूर्ति को बढ़ावा देना भारत और यूके के लिए साझा रणनीतिक प्राथमिकताएं हैं।प्रधानमंत्री थेरेसा ने सौर ऊर्जा का दोहन करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन शुरू करने हेतु भारतीय नेतृत्व की सराहना की। यह समझते हुए कि जलवायु परिवर्तन एक साझा उद्देश्य है, दोनों पक्ष पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के अनुसमर्थन की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सहमत हुए। दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2017 की शुरुआत में पहला भारत-यूके ऊर्जा शिखर सम्मेलन आयोजित करने का भी वादा किया। भारत-यूके टेक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत-यूके सहयोग के महत्व पर बल दिया। सम्मेलन के अंत में, श्री मोदी ने £ 10 मिलियन के संयुक्त निवेश के साथ सौर ऊर्जा पर एक भारत-यूके स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) केंद्र की स्थापना की तथा£ 15 मिलियन के संयुक्त निवेश के साथ एक नई एंटी-माइक्रोबियल रेसिस्टेंस इनिनिएटिव की घोषणा की।
'वीजा प्राथमिकता'
वीजा के विषय पर, प्रधानमंत्री थेरेसा की यात्रा का बहुत महत्व था, क्योंकि 3 नवंबर को यूके ने गैर-यूरोपीय संघ के नागरिकों के लिए अपनी वीज़ा अनुमोदन नीति में बदलाव की घोषणा की, जिसका सीधा प्रभाव भारतीय पेशेवरों पर पड़ा। जिन बातों पर प्रभाव पड़ा, उनमें विभिन्न श्रेणियों के लिए वेतन टियर को बढ़ाना और नई अंग्रेजी भाषा की आवश्यकता थी, जिनसे भारतीय श्रमिक, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करने वाले लोग प्रभावित होने की संभावना है। इससे पहले, यूके ने 140 मिलियन पाउंड का एक'प्रवासन कोष' भी शुरू किया थाऔर अक्टूबर 2016 में छात्र वीज़ा को कठोर बना दिया था। यह ध्यान देने योग्य है कि 'ब्रेक्सिट' संबंधी मुद्दे के प्रति भारत की प्रमुख चिंता को सेवाओं के 4 मोड (व्यक्तियों की आवाजाही) के आधार पर देखा जाना है, जो भारत-ईयू द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौता (बीटीआईए)को साकार रूप देने में भी अनेक बाधाओं में से एक है। तथापि, दोनों नेताओं के बीच चर्चा में अप्रवासन नीति पर कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई। वास्तव में, श्री नरेंद्रमोदी के साथ मुलाकात के दौरान, यूके की प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि यूके इस शर्त पर भारतीयों के लिए वीजा प्रतिबंधों में ढील देने की पेशकश करेगा कि भारत उन भारतीयों को वापस लाने की प्रक्रिया को आसान बनाए, जो अपनी वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी ब्रिटेन में रह रहे हैं। इसके बजाय, सुश्री थेरेसा ने वीजा रजिस्टर्ड ट्रैवलर स्कीम के तहत'प्रिफरेन्सियल वीजा' की पेशकश की,जिसके परिणामस्वरूप भारत 'ग्रेट क्लब'में शामिल होने वाला पहला देश हैऔर इससेभारतीय ट्रेड ऐग्जक्युटिव को वीजा की मंजूरी देने में तेजी सुनिश्चित होगी।
निष्कर्ष
यूके की प्रधानमंत्री थेरेसा की भारत यात्रा शुरू होने से पहले जो एक बहुत बड़ा कयास लगाया जा रहा था, उसके आधार पर उनकी भारत यात्रा को 'निरुत्साहित यात्रा' करार दिया गया, क्योंकि उनकी यात्रा पूरी होने के साथ ही वह कयास, कयास बनकररह गया। हालांकि रक्षा, व्यापार, जलवायु परिवर्तन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रशासन के क्षेत्रों में दोनों देशों के संबंधों में कुछ प्रगति हुई, फिर भी, इस यात्रा से कोई उल्लेखनीय उपलब्धि, विशेष रूप से अप्रवासन नीति के संदर्भ में,प्राप्त नहीं हुई। वास्तव में, ऐसा प्रतीत हुआ कि अप्रवासन नीति के आधार पर, यूके की प्रधानमंत्री ने अपने आर्थिक हितों के बजाय, अपने राजनीतिक अस्तित्व को प्राथमिकता दी। वीज़ा के विषय पर, "ग्रेट क्लब" के माध्यम सेभारत केटॉप ऐग्जेक्युटिव को सहायता प्रदान करने में ब्रिटेन की इच्छा के अलावा, जिन्हें निवेशों के बदले अप्रवासन अवसर और प्राथमिकता-आधारित वीजा दिए जाएंगे, थेरेसा की भारत यात्रा में कोई और खास आदान-प्रदान की बात नहीं देखी जा रही।तथापि, प्रधानमंत्री थेरेसा की भारत यात्रा, विशेष रूप से यूरोप के बाहर उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा के रूप में, से भारत की उस महत्ता का संकेत दिखाई पड़ता हैजो भारत को यूरोपीय संघ के साथ सबसे अच्छा सौदा करने में सौदेबाजी की अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए, पश्च-ब्रेक्सिट ब्रिटेन में मिलेगी।
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*डॉ. अरुंधती शर्मा, भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
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