पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी हाल ही में 5 और 6 मार्च को नेपाल की दो दिवसीय यात्रा पर रहे. नेपाल में अभी संघीय एवं प्रांतीय चुनावों के बाद 15 फरवरी को के पी शर्मा ओली देश के नए प्रधानमंत्री बने है और महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद यह किसी विदेशी प्रमुख की पहली राजकीय यात्रा है. प्रधानमंत्री अब्बासी ने इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ओली, माओवादी नेता प्रचंड और राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मुलाकात की. लेकिन इस दौरान अब्बासी विपक्ष के नेता शेर बहादुर देउबा और मधेश के नेताओं से नहीं मिले.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का नेपाल के त्रिभुवन हवाईअड्डे पर भव्य स्वागत हुआ और उन्हें सेना द्वारा सलामी भी दी गयी. पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री ने नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री ओली को नेपाल में एक स्थिर सरकार बनने पर बधाईयाँ दी और विभिन्न प्रकार के द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की. पाकिस्तान की तरफ से इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य सार्क सम्मलेन को पुनः सशक्त करना बताया गया. वर्ष 2016 में सार्क सम्मलेन इस्लामाबाद में होने वाला था लेकिन आतंकी हमलों के बाद भारत, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भूटान के द्वारा इसके स्थगन के बाद इसे आगे के लिए टाल दिया गया. लेकिन अब पाकिस्तान ने नेपाल को पेशकस की है कि वह 19 वां सार्क सम्मलेन आयोजित करवाना चाहता है और नेपाल इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार कर उसे समर्थन दे. दोनों देशों के प्रधानमंत्री क्षेत्रीय विकास को बढाने पर सहमत हुए और इस बात पर भी राजी हुए कि अन्य प्रयासों द्वारा सार्क जैसे संगठन को और भी प्रभावशाली बनाना चाहिए. दोनों नेताओं ने सार्क के सम्मुख आने वाले विवादों और समस्याओं को बातचीत द्वारा सुलझाने की बात कही. इसके अतरिक्त दोनों देशों के पारस्परिक हितों पर भी चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि पाकिस्तान नेपाल संयुक्त आर्थिक आयोग और संयुक्त व्यापारिक परिषद को सक्रिय करके द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि की जा सकती है. अब्बासी ने आथिक रिश्तों और द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी पर बल दिया जो कि अभी 2016-17 में 5.78 मिलियन अमेरिकी डॉलर है. साथ ही पाकिस्तान प्रधानमंत्री ने ओली को पाकिस्तान आने का निमंत्रण भी दिया.1
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अब्बासी नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से भी मिले, अब्बासी ने लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कराने पर बधाई दी और कहा कि शांतिपूर्ण परिवर्तन से स्थिर राजनीतिक विकास की तरफ नेपाल बढ़ रहा है. साथ ही पाकिस्तान प्रधानमंत्री ने भंडारी को पुनः राष्ट्रपति बनने की शुभकामनायें दी और उन्हें पाकिस्तान आने का निमंत्रण भी दिया.
इसके अतिरिक्त अब्बासी ने माओवादी नेता प्रचंड से भी मुलाकात की, अब्बासी ने कहा कि पाकिस्तान नेपाल का पडोसी मित्र है और व्यापार और पर्यटन में वृद्धि से दोनों देशों के संबंधों को मजबूत किया जा सकता है.2
अब्बासी की इस यात्रा के दौरान कुछ अन्य वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर के महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी बातचीत हुई. जिसमे चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक) और 'वन बेल्ट वन रोड़' (ओबोर) चीन की परियोजना प्रमुख थी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि सीपेक ओबोर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इससे हमारे देश की विभिन्न विकासशील परियोजनाओ जैसे, सड़कों, ग्वादर हवाईअड्डा, आर्थिक मुक्त क्षेत्र और उर्जा परियोजनाओं को मजबूती मजबूती मिली है. उन्होंने कहा कि सीपेक के जरिये क्षेत्रीय देश चीन और मध्य एशिया से जुड़ पाएंगे. पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री ने कहा कि वे नेपाल के साथ अपने सीपेक के अनुभव और ज्ञान को बांटना चाहते है. इसके अतिरिक्त अब्बासी ने कहा कि दोनों देशों के लोगों का आपस में संपर्क बढ़ना चहिये और संसद सदस्यों को भी एक दूसरे देश में भ्रमण के लिए आना चाहिए.3
चर्चा के दौरान कश्मीर मुद्दे पर भी बातचीत हुई, अब्बासी ने कहा कि भारत शासित जम्मू कश्मीर में बड़े पैमाने पर मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है लेकिन नेपाल की तरफ से इस पर कोई जवाब नहीं आया.4
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने दूसरे दिन सार्क सचिवालय का भ्रमण किया और इस अवसर पर वहाँ वृक्षारोपण भी किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सार्क जैसे संगठन के महत्व को वरीयता देता है और वह इसके चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध भी है. अब्बासी ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा यह चाहता है कि सार्क 'एक समान' संप्रभुता के सिद्धांत पर आधारित होकर पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र में विकास के लिए एक गत्यात्मक साधन बने. उन्होंने कहा कि सार्क में सभी सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने की अपार क्षमता है और इसके द्वारा पारस्परिक महत्व के विभिन्न क्षेत्रों को सहयोग से उन्नत किया जा सकता है. उन्होंने सार्क सदस्यों के मध्य संपर्कता (कनेक्टिविटी) पर बल देते हुए कहा कि इसके द्वारा पूरे क्षेत्र में समृद्धि स्थापित होगी. अब्बासी ने आगे कहा कि सार्क की सभी बैठकों में पाकिस्तान ने यह विश्वास जताया है कि एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल दक्षिण एशिया के लिए जरुरी है और इसी के माध्यम से क्षेत्र में विकास और समृद्धि लाई जा सकती है. अंत में अब्बासी ने कहा कि इस बार पाकिस्तान सार्क सम्मलेन की मेजबानी कर रहा है और उचित समयानुसार जलधि सम्मलेन की तिथि निर्धारित की जाएँगी जिसमे पाकिस्तान की एक सकारत्मक भूमिका रहेगी जिससे क्षेत्रीय सहयोग में विकास होगा.5
पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री ने अपनी इस यात्रा के दौरान नेपाल के एक समाचार पत्र रिपब्लिका को साक्षात्कार दिया जिसमे उन्होंने कहा कि नेपाल क्षेत्रीय मामलों में ऐतिहासिक रूप से निष्पक्ष रहा है और सार्क को पुनः सशक्त करने के लिए भारत पाकिस्तान के मध्य वार्ता करवाने में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे अन्य मुद्दे भी सुलझ सकते है. उन्होंने भारत की तरफ इशारा करते हुए कहा कि द्विपक्षीय मुद्दों को बीच में लाकर क्षेत्रीय सहयोग रोकना सही नहीं है. अब्बासी ने यह भी कहा कि मुश्किल से मुश्किल द्विपक्षीय मुद्दे भी समय के साथ सुलझ जाते है. पाकिस्तान और नेपाल के मध्य सहयोग पर बात करते हुए अब्बासी ने आपसी सहयोग के कई क्षेत्रों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि विश्व के 14 बड़े पर्वतों में से 8 नेपाल में और पांच पाकिस्तान में है. इस प्रकार पर्वतों पर हमारा वर्चस्व है और ये दुनिया का विशिष्ट क्षेत्र भी है. इस दिशा में हम एक दूसरे से सीख सकते है और संयुक्त पर्यटन की गतिविधियाँ साथ में कर सकते है. उन्होंने आगे कहा कि मेडिकल की शिक्षा के लिए नेपाल से बड़ी संख्या में छात्र पाकिस्तान आते है और हम यह कोशिश कर रहे है कि संख्या में और वृद्धि हो. उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान में काफी बौद्ध तीर्थ स्थल है जिन्हें हमने संरक्षण दिया है और नेपाल के बौद्ध धर्मावलम्बी यहाँ यात्रा कर सकते है. अब्बासी ने नेपाल से कनेक्टिविटी के अनुभव को पाकिस्तान से सीखने की बात भी कही और कहा कि अच्छी कनेक्टिविटी से आत्म निर्भरता बढती है और देश के विकास में उन्नति भी होती है.6
पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री अब्बासी की इस नेपाल यात्रा से कई निष्कर्ष निकले जा सकते है. पहला, 15 फरवरी को नेपाल में नए प्रधानमन्त्री के रूप में के पी शर्मा ओली के पद ग्रहण करने 20 दिनों के अन्दर ही किसी पडौसी देश के प्रमुख और वह भी पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री का नेपाल आना, एक नई प्रवृत्ति को ओर संकेत देता है. परम्परागत तौर पर नेपाल में राजनीतिक परिवर्तन होने पर भारत और नेपाल के राष्ट्राध्यक्ष आपस में एक दूसरे के देश का भ्रमण करते है, किन्तु इस बार ऐसा नहीं हुआ. दूसरा, पाकिस्तान की तरफ से इस भ्रमण को काफी गुप्त रखा गया और यात्रा से केवल एक दिन पहले रविवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे प्रकट किया. भारत द्वारा पिछले एक साल से पाकिस्तान को दक्षिण एशिया में अलग थलग करने के बाद क्षेत्रीय स्तर पर पाकिस्तान की तरफ से इस भ्रमण की पहल एक नये गठजोड़ चीन-पाकिस्तान-नेपाल की ओर संकेत करती है,
जिसकी झलक नेपाल यात्रा पर गये पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अब्बासी के वक्तव्यों में दिखती है, जहाँ वे चीन की महत्वकांक्षी परियोजना ओबोर के लाभ बता रहे है जिसमे पाकिस्तान और नेपाल शामिल है. तीसरा, नेपाल द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री का भव्य स्वागत और दोनों देशों के मध्य हुई चर्चा को नेपाल में कुछ विद्वान नेपाल का 'स्वतंत्र' और 'आत्म निर्भर' निर्णय बता रहे है.7 संभवतया नेपाल की नई सरकार कनेक्टिविटी और चीन की ओबोर जैसे योजनाओं को अपने आर्थिक विकास को प्रगाढ़ करने के लिए दक्षिण एशिया में एक नये साझेदार के रूप में पाकिस्तान को अपनाना चाहती हो. साथ ही पाकिस्तान ने भी यहाँ यह दिखाने की कोशिश की है कि क्षेत्र में आपके मित्र राष्ट्र है जो मुश्किल घडी में आपका साथ देंगे. चौथा, नवम्बर 2016 में इस्लामाबाद में सार्क सम्मलेन प्रस्तावित था लेकिन भारत के अतिरिक्त अन्य तीन देशों ने इसक बहिष्कार किया. जिसके बाद पाकिस्तान की भूमिका दक्षिण एशिया के पटल पर उपेक्षित हो गयी थी. सार्क के मंच से अपनी उपस्थिति को क्षेत्रीय स्तर पर पुनः दर्ज कराने हेतु अब्बासी द्वारा नेपाल को अपने पक्ष में करना भी इस यात्रा का उद्देश्य था. पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री अब्बासी की नेपाल यात्रा से भारत के सामने कुछ विचारणीय बिंदु प्रकट होते है, जैसे पाकिस्तान और चीन का नेपाल में बढ़ता प्रभाव और भारत के प्रभाव को कम करने की कोशिश, दक्षिण एशिया में भारत जैसे बड़े देश को नकार कर सार्क सम्मलेन को आयोजित कराने का प्रयास तथा चीन की ओबोर परियोजना को क्षेत्र में प्रचार प्रसार करने का प्रयास. यद्यपि भारत नेपाल संबंधों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की इस यात्रा का खास प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन निश्चित रूप से कई मुद्दे भारत के लिए विचारणीय है. जिसके लिए भारत को क्षेत्रीय स्तर पर ठोस नीतिगत विकल्प बनाने की जरुरत है.
लेखक, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, सप्रू हाउस, नई दिल्ली
1 Anil Giri, "Nepal and Pakistan agree to revive Saarc", The Kathmandu Post, 6 March 2018,
http://epaper.ekantipur.com/the-kathmandu-post/2018-03-06/1
2 "Pakistan, Nepal for revitalizing saarc", The Nation, 7 March 2018,
https://nation.com.pk/07-Mar-2018/pakistan-nepal-for-revitalising-saarc?show=previewutm_medium?version=amp
3 "PM's Nepal visit concludes with CPEC, SAARC in focus", The Nation, 6 March 2018,
https://nation.com.pk/06-Mar-2018/pm-s-nepal-visit-concludes-with-cpec-saarc-in-focus
4 परशुराम काफ्ले, "यस्तो रह्यो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को भ्रमण", नयाँ पत्रिका, 7 मार्च 2018,
http://www.enayapatrika.com/2018/03/07/29594/
5 "Pakistan committed to objectives of SAARC Charter: PM", Geo News, 7 March 2018,
https://www.geo.tv/latest/185032-pakistan-committed-to-objectives-of-saarc-charter-pm
6 "Nepal could facilitate India-Pakistan talks: Pakistani PM" My Republica, 8 March 2018,
http:// www.myrepublica.com/news/37521/
7 चंद्रशेखर अधिअकरी, "पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री को नेपाल भ्रमण अर्थपूर्ण", कांतिपुर, 8 मार्च 2017,
https://www.kantipurdaily.com/news/2018/03/04/20180304212832.html