छठे आईसीडब्ल्यू - सीपीआईएफए वार्ता
पर
राजदूत डॉ. टी. सी. ए. राघवन
महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए
द्वारा
टिप्पणी
सप्रू हाउस, नई दिल्ली
7 नवंबर 2019
भारत में पीआरसी के राजदूत, श्री सुन वेडोंग
राजदूत यैंग यांई, सीपीआईएफए प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख
राजदूत ओयू बोकियान, उपाध्यक्ष, सीपीआईएफए,
राजदूत वांग चुंगुई
राजदूत एच. के. सिंह
राजदूत अनिल वाधवा
राजदूत गौतम बंबावाले
दोनों प्रतिनिधिमंडल के विशिष्ट सदस्य, देवियों और सज्जनों,
शुभकामनाएँ
मैं आप सभी का विश्व मामलों की भारतीय परिषद (इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफेयर्स) में हार्दिक स्वागत करता हूँ और भारत में चीन के राजदूत, श्री सुन वीडोंग और चाइनीस पीपल्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ फॉरेन अफेयर्स के विशिष्ट प्रतिनिधिमंडल का विशेष रूप से हार्दिक स्वागत करता हूँ। मैं इस बात को देखते हुए प्रसन्न हूँ कि राजदूत यैंग यांई चीन के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
- हमें ज्ञात है कि हमारे दो संस्थानों; आईसीडब्ल्यूए और सीपीआईएफए ने अप्रैल 2005 में आपसी सहयोग पर एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया है। आज, हम अपना छठा संरचित वार्ता आरंभ करने जा रहे हैं जिसे सर्वप्रथम बीजिंग में नवम्बर 2013 को आरंभ किया गया। हमने पिछले छह वर्षों में अर्थपूर्ण और सफल द्विपक्षीय वार्ता की है।
- हमारे परिषद् के चीनी कार्यक्रम के बारे में एक शब्दः- जहाँ तक भारत-चीन संबंधों का प्रश्न है, इस परिषद् को अन्य प्रमुख उत्तरदायित्व भी सौंपे गए हैं। चौथे भारत-चीन प्रबुद्ध मंडल मंच (थिंक टैंक फोरम) का आयोजन चीन में नवम्बर-दिसम्बर 2019 में आयोजित किया जाना तय हुआ है। इस फोरम का आयोजन विश्व मामलों की भारतीय परिषद और चाइनीज अकादमी ऑफ़ सोशल साइंसेज द्वारा किया जायेगा। यह फोरम एक द्विपक्षीय मंच है जिसे मई 2015 में प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी की चीन यात्रा के दौरान, भारत के विदेश मंत्रालय और चाइनीस अकादमी ऑफ़ सोशल साइंसेज के बीच संपन्न हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) द्वारा स्थापित किया गया था। यह परिषद् सांस्कृतिक और व्यक्तियों के बीच विचारों के आदान-प्रदान पर आयोजित भारत-चीन के बीच आयोजित उच्च स्तरीय वार्ता में भी प्रतिभागी रहा है।
- जैसा कि हमें ज्ञात है कि भारत और चीन ने अप्रैल 2020 से आरंभ होने वाले अपने कूटनीतिक संबंधों के 70वें वर्षगाँठ को मनाने के लिए वर्ष भर चलने वाले समारोह का लेखाचित्र तैयार किया है। आईसीडब्लूए इस अवधि के दौरान भारत-चीन संबंधो के 70 वर्ष पूरा होने पर एक राष्ट्रीय गोष्ठी और चीन में ‘सिनोलॉजी और इंडोलॉजी’ पर एक अधिवेशन सहित कई गतिविधियाँ आयोजित करने जा रहा है।
- आज, हमारे पास आपसी विचार-विमर्श करने की एक स्वीकृत कार्यसूची है। हम अपने संबंधों के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करने की इच्छा रखते हैं और हम अपने बीच इतने अधिक विशेषज्ञों को पाकर प्रसन्न हैं।
- वुहान से चेन्नई तक: कुटनीतिक संबंधों के 70वीं वर्षगाँठ की प्रतीक्षा करते हुए।
- वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण: भारत और चीन के दृष्टिकोण।
- सांस्कृतिक और व्यक्तियों के बीच आदान-प्रदानों का महत्व।
- प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ज़ी जिनपिंग के बीच द्वितीय अनौपचारिक शिखर वार्ता का आयोजन 11 से 12 अक्टूबर 2019 के बीच चेन्नई में किया गया। भारत चीन के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है और ऐसा कई बार हुआ है, जब दोनों नेताओं ने 2014 से एक-दूसरे के साथ मुलाकात की है। चेन्नई में, दोनों नेताओं ने एक दूसरे के साथ पाँच घंटों से अधिक समय तक बैठक की थी और आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा की। चेन्नई शिखर वार्ता के दौरान स्थापित हुए निकट संपर्क ने केवल उपलब्धियों में वृद्धि की है जिसे हमने वुहान सद्भावना के रूप में प्राप्त की थी।
- अनौपचारिक शिखर वार्ता ने इंडो-चाइना द्विपक्षीय कूटनीतिक सम्बन्ध के साथ एक नया आयाम जोड़ा है।
- वुहान शिखर वार्ता से, भारत और चीन ने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं में बड़ी प्रगति की है; अधिक महत्वपूर्ण रूप से, हमारा नीतिगत संपर्क और गहरा हुआ है और चेन्नई शिखर वार्ता के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए, यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी।
- हमें आशा है कि भारत और चीन के बीच आर्थिक समझौते भी गहरे और संतुलित होंगे ताकि व्यापार घाटे, बाजार तक पहुँच, निवेशों जैसे विषयों से सम्बंधित चिंताओं का समाधान किया जा सके।
- दोनों पक्षों ने व्यापार असंतुलन, निवेश और सेवाओं से सम्बंधित विषयों पर चर्चा करने के लिए उच्च स्तरीय आर्थिक और व्यापार संवाद की एक यांत्रिकी स्थापित करने की घोषणा की है। दोनों देशों के बीच तीव्र गति से बढ़ते हुए व्यापार घाटे और बाजार तक पहुँच से सम्बंधित चुनौतियों कि भारतीय वस्तुएँ चीनी बाजारों का प्रत्यक्ष रूप से सामना करती हैं, को देखते हुए उच्च स्तरीय व्यापार केन्द्रित यांत्रिकी ने भारतीय प्रतिष्ठानों के बीच आशा का संचार किया है। आशा की जाती है कि आर्थिक विषयों पर नई यांत्रिकी नियत समय में परस्पर रूप से सहमति के आधार पर समाधान प्राप्त करने में सक्षम होगी।
- प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच आयोजित द्वितीय अनौपचारिक शिखर वार्ता से प्राप्त मुख्य उपलब्धियों में से एक यह है कि एक गहरे सभ्यतामूलक विरासत वाले दो बड़े राष्ट्र तनावमुक्त और सहयोग के क्षेत्रों का सफलतापूर्वक पता लगा सकते हैं।
- दोनों शिखर वार्ताओं से यह परिलक्षित हुआ कि भारत और चीन एक दूसरे के विरोधी नहीं थे परन्तु दो बड़ी आर्थिक शक्तियाँ बहु-ध्रुवीय विश्व में एक स्वस्थ प्रतियोगिता के लिए मुक्त हैं।
- वर्ष 2018 में जोहानसबर्ग में आयोजित ब्रिक्स शिखर वार्ता में पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा डब्ल्यूटीओ में सुधार का प्रस्ताव रखा गया जिसमें उन्होंने सुझाव दिया कि ब्रिक्स को अपने अस्तित्व के एक दशक हो जाने पर बहु-पार्श्विकतावाद में यथास्थिति को सुधारने का प्रयत्न करना चाहिए। इस प्रस्ताव को ओसाका में जून में आयोजित अनौपचारिक ब्रिक्स शिखर वार्ता में प्रधानमंत्री द्वारा अपने विज़न डॉक्यूमेंट (दस्तावेज) में सम्मिलित किया गया था।
- भारत और चीन, दोनों देश जी20 के प्रमुख सदस्यों के रूप में उभरे हैं जिन्होंने विश्व के आर्थिक एवं वित्तीय व्यवस्था को पुनर्गठित करने के लिए जारी प्रक्रिया को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। जुलाई 2019 में, ओसाका शिखर वार्ता में दो एशियाई पड़ोसियों ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बढ़ते हुए संरक्षणवाद और वैश्विक आर्थिक प्रणाली में बहु-पार्श्विक नियमों और मानदंडों को अक्षुण्ण बनाये रखने की आवश्यकता के विरुद्ध सचेत किया है।
- सांस्कृतिक और विभिन्न व्यक्तियों के बीच विचारों के आदान-प्रदान पर उच्च स्तरीय यांत्रिकी की स्थापना वुहान शिखर वार्ता का एक महत्वपूर्ण परिणाम था। एचएलएम के प्रथम बैठक का आयोजन नई दिल्ली में दिसम्बर 2018 को किया गया था। बीजिंग में 12 अगस्त, 2019 को सांस्कृतिक और विभिन्न व्यक्तियों के बीच विचारों के आदान-प्रदान पर आयोजित एचएलएम के द्वितीय बैठक की सह-अध्यक्षता ईएएम, जयशंकर और विदेश मंत्री, वांग यी द्वारा की गयी। एचएलएम के दो चक्रों में थिंक टैंक और युवाओं के बीच आदान-प्रदानों सहित दोनों देशों की संस्कृति, कला, पर्यटन, मीडिया, चलचित्रों, खेलों और शैक्षणिक जैसे क्षेत्रों में संवर्धित आदान-प्रदानों के माध्यम से संबंधों को विविधता प्रदान करने की आकांक्षा को प्रतिविम्बित किया गया है।
- यह वक्तव्य कम महत्वपूर्ण हो सकता है कि भारत-चीन के सम्बन्ध जटिल हैं, परन्तु भारत और चीन के दोनों नेता कठिनाइयों से पार पाने और सकारात्मक पहलुओं पर निष्ठापूर्ण रूप से एवं लगातार कार्य करने के लिए आवश्यक सभी प्रयास करने पर अपनी सहमति प्रदान की है। भारत और चीन दोनों पड़ोसी हैं और वे एक बार फिर से वैश्विक मामलों में बड़ी भूमिकाएँ निभाने के लिए तैयार हैं क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है और हमारी क्षमताओं में वृद्धि हो रही है।
- भारत ने वैश्विक व्यवस्था के भविष्य के प्रति अपना एक सकारात्मक दृष्टिकोण जारी रखा है और यही कारण है कि हमने लोगों के जीवन में सुधार लाने के प्रति और वैश्विक संघर्षों से बचने के लिए नीतिगत, आर्थिक, सामाजिक पहलुओं से आपसी लाभ प्राप्त करने के लिए विश्व भर में समावेशन की नीति को प्रोत्साहित करना जारी रखा है। भारत समावेशन की नीति को प्रोत्साहित करना जारी रखेगा जिसका लक्ष्य है, शांति और समृद्धि प्राप्त करना और नियम आधारित और समावेशी वैश्विक व्यवस्था को प्रोत्साहित करना।
18. मैं सभी प्रतिभागियों का स्वागत करता हूँ और आप सभी के सुखद प्रवास और उपयोगी तथ्यात्मक विचार-विमर्श के लिए शुभकामनाएँ प्रदान करता हूँ।