सारांश : पश्चिमी देशों द्वारा 2014 में रूस पर लगाये गये प्रतिबन्धों के पश्चात रूस की अर्थव्यवस्था ने वित्तीय निवेशों में गिरावट के कारण सुदूर पूर्व में व्यापक रूप से स्थिर महत्त्वाकांक्षी परियोजनाएँ तैयार की हैं। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के आह्वान से एशियाई प्रशान्त के आर्थिक रूप से कुछ सर्वाधिक प्रगतिशील देशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। रूस की पहल पर स्थापित पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) ने अपनी स्थापना के समय से ही चीन, जापान और भारत जैसे अनेक बाहरी हितधारकों को आकर्षित किया है। किन्तु एफएआर में भारत की बढ़ती हुई रुचि इस क्षेत्र में रूस की परियोजनाओं में विशेष रूप से चीन की बढ़ती हुई उपस्थिति के कारण चुनौतियों से खाली नहीं है। चीन ने सुदूर पूर्व में ऊर्जा की संयुक्त परियोजनाएँ, भारी पैमाने पर निवेश, अवसंरचना तथा तकनीक की संस्थापना की है जिससे यह सुदूर पूर्व में एक प्रभावी बाह्य शक्ति बन गया है। इस प्रकार चीन सुदूर पूर्व में भारत जैसे अपेक्षाकृत नये खिलाड़ी देशों के लिए बड़ी चुनौतियाँ प्रस्तुत कर रहा है।
प्रमुख शब्द : पूर्वी आर्थिक मंच, एक्ट फॉर ईस्ट नीति, चीन, क्षेत्रीय सम्पर्क, अवसंरचनात्मक परियोजनाएँ।
हाल के वर्षों में रूसी सुदूर पूर्व क्षेत्र में एशिया-प्रशान्त देशों के आर्थिक रूप से कुछ सर्वाधिक प्रगतिशील देशों की सकारात्मक रुचि दिखाई दी है। सुदूर पूर्व में रूस की महत्त्वाकांक्षाओं में बाह्य क्षेत्रीय खिलाड़ियों की उपस्थिति उसकी 'एशिया की धुरी' नीति (2014) की घोषणा से रीकनेक्टिंग एशिया की नीति के अनुरूप है।
पश्चिमी देशों द्वारा 2014 में रूस पर लगाये गये प्रतिबन्धों के पश्चात रूस की अर्थव्यवस्था ने वित्तीय निवेशों में गिरावट के कारण सुदूर पूर्व में व्यापक रूप से स्थिर महत्त्वाकांक्षी परियोजनाएँ तैयार की हैं। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के आह्वान ने सुदूर पूर्व में कनेक्टिविटी (सम्पर्क) के लिए अवसंरचनात्मक विकास जैसी रूस की कुछ परियोजनाओं को गति दी है। उदाहरण के लिए, रूसी सुदूर पूर्व क्षेत्र (एफएआर) के खाबरोव्स्क परियोजना में नये विमानपत्तन के निर्माण में जापान की सोजित्ज कॉर्पोरेशन जैसी कम्पनियों एवं देशों की भागीदारी।
2018 में एफएआर परियोजना में एफडीआई ऐसे प्रमुख क्षेत्रों में 33 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया जिसमें परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स (644.1 बिलियन रूबल, कुल एफडीआई का 29.7%), कृषि (360.9 बिलियन रूबल, 16.6%), लकड़ी (137.6 बिलियन रूबल, 13%), निष्कर्षक (171.5 बिलियन रूबल, 7.9%) तथा खनन (133.4 बिलियन रूबल, 6%) शामिल हैं।i
रूस द्वारा मई 2015 में संस्थापित ईस्टर्न इकॉनॉमिक फोरम (ईईएफ) ने प्रारम्भ से अनेक बाह्य हितधारकों जैसे चीन, जापान, मलेशिया, मंगोलिया, दक्षिणी कोरिया, उत्तरी कोरिया, सिंगापुर, इण्डोनेशिया, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, वियतनाम तथा भारत एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक समुदायों, शोधकर्ताओं, अर्थविदों, राजनीतिक प्रतिनिधिमण्डलों, निवेशकों तथा व्यापक रूप से एशियाई औद्योगिक विशेषज्ञों को आकर्षित किया है। ईईएफ में रूस के साथ चीन एवं भारत जैसे देशों के आर्थिक सहयोग में अतिरिक्त विकास के लिए बाह्य क्षेत्रीय खिलाड़ियों का निर्माण तथा भागीदारी को सम्भावना के रूप में देखा गया है।
व्लाडीवोस्तक में 4-5 सितम्बर, 2019 को आयोजित पाँचवाँ ईईएफ सम्मेलन 2030 तक 30 बिलियन डॉलर के लक्षित व्यापार को हासिल करने के साथ-साथ भारत-रूस आर्थिक सहयोग के क्षेत्र की एक प्रमुख कड़ी के रूप में उभरा है। ईईएफ 2019 के मुख्य अतिथि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 'एक्ट फॉर ईस्ट' नीति का आह्वान किया। किन्तु, इस क्षेत्र में रूस की परियोजनाओं में विशेष रूप से चीन की बढ़ती उपस्थिति के कारण एफएआर में भारत की संलिप्तता का बढ़ना चुनौतियों से खाली नहीं है। चीन विशेष रूप से एफएआर में भारी वित्त निवेश प्रणाली तथा स्पष्ट वृहद परियोजना की प्रतिमुद्रा के माध्यम से रूस का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आर्थिक साझेदार के रूप में उभरा है। इसके अतिरिक्त, चीन ने सुदूर पूर्व में संयुक्त ऊर्जा परियोजनाओं, व्यापक स्तर पर निवेश, अवसंरचना तथा तकनीक की संस्थापना की है जिससे यह सुदूर पूर्व का एक प्रभावी बाह्य खिलाड़ी बन गया है। इस प्रकार चीन भारत जैसे देशों के लिए कड़ी चुनौती प्रस्तुत कर रहा है जो कि सुदूर पूर्व में अपेक्षाकृत नये खिलाड़ी हैं।
सुदूर पूर्व की सम्भावनाओं की तलाश
सोवियत संघ के विघटन की घटना से लेकर 2000 के अन्त तक रूस द्वारा व्यापक तौर पर एफएआर की अवहेलना की गयी। इसे राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के नेतृत्व में घरेलू विकासों में प्रभुत्व प्राप्त हुआ। अब रूस के आर्थिक विकास में वृद्धि के लिए इसकी भारी सम्भावनाओं के कारण एफएआर को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है। नीतिगत पहलों में एफएआर का उत्थान तथा रूस द्वारा किये गये सुधार मुख्य रूप से इसकी भौगोलिक स्थिति तथा आर्थिक सम्भावनाओं के कारण है क्योंकि यहाँ खनिज पदार्थ तथा दुर्लभ मृदा तत्व, तेल, कोयला, सोना की खान, गैस, मत्स्य पालन, जलयान निर्माण, ऊर्जा, वानिकी एवं काष्ठ, कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण, सेरामिक्स, पर्यटन एवं अवसंरचना प्रचुर मात्रा में है। राष्ट्रपति पुतिन ने 2013 में सुदूर पूर्व को राष्ट्रीय प्राथमिकता तथा 'राष्ट्रव्यापी कार्य' के रूप में घोषित किया।ii
पूर्वी टर्मिनस तक रेल मार्ग की पहुँच-ट्रांस-साइबेरियन रेलवे, उन्नत व्लाडीवोस्तक विमानपत्तन तथा वृहद प्रशान्त पत्तनों, ऊर्जा पारेषण मार्गों एवं प्राकृतिक संसाधनों के विशाल भण्डार सहित सुदूर पूर्व की भौगोलिक स्थिति विशेष रूप से भारत-प्रशान्त क्षेत्र में शेष विश्व को जोड़ने के लिए रूस हेतु एक प्रवेश द्वार का कार्य करती है।
i The Russian Far East a little closer, Roscongress, 29 August 2019. https://roscongress.org/en/blog/dalniy-vostok-stanet-blizhe-glavnye-dostizheniya-regionov-dfo-investitsii-tor-i-svobodnyy-port-/ accessed on 12 September 2019
iiKonstantin Belchenko, “Far East renewed nationwide”, 25 February 2019, https://www.eastrussia.ru/material/dalnemu-vostoku-obnovili-obshchenatsionalnost/ accessed on 12 September 2019
एफएआर के सतत विकास के लिए रूसी सरकार ने स्थानीय निवेशकों के लिए लक्षित अवसंरचनात्मक तथा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई है और 40 विधायी नियम पारित किये हैं। उदाहरण के लिए, ट्रांस-साइबेरियन तथा बैकाल-अमूर रेलवे परियोजनाएँ आर्थिक विकास को गति देने तथा देश के एफएआर जो कि प्रशान्त महासागर के तट पर है, से निर्यात के लिए व्यापक रेल परियोजना का अंग हैं।iii इस क्षेत्र में लगभग 20 उन्नत विशेष आर्थिक क्षेत्र तथा पाँच मुक्त पत्तनों की स्थापना की गयी है। जिसके परिणामस्वरूप 1,780 से अधिक 3.8 ट्रिलियन रूबल के नये निवेश तथा 230 नये उपक्रम प्रारम्भ हुए हैं। रूसी होमस्टीड अधिनियम के तहत 70 हजार से अधिक रूसी नागरिकों को कृषि व्यवसाय, खेती तथा पशुपालन आदिiv के लिए नि:शुल्क भूमि प्राप्त हुई है जिससे रूसी जनता का पूर्व की ओर उत्प्रवासन प्रोत्साहित किया जा सके।
रूसी सरकार द्वारा चालू किये गये कुछ संस्थानों में सुदूर पूर्व विकास मन्त्रालय हैं जिसमें फार ईस्ट इन्वेस्टमेंट एण्ड एक्सपोर्ट एजेन्सी, द फार ईस्ट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन तथा फार ईस्ट ह्यूमन कैपिटल डेवलपमेंट एजेन्सी शामिल हैं।v
एफएआर में घरेलू स्तर पर ऐसी पहलों तथा ईईएफ के वार्षिक संचालन ने विभिन्न बाह्य-क्षेत्रीय खिलाड़ियों का ध्यान खींचा है और व्यापारिक समुदाय तथा निवेशकों को आकर्षित किया है।
सुदूर पूर्व तक भारत की पहुँच
पाँचवें ईईएफ में भारत की सफल भागीदारी ने भारत और रूस के बीच आर्थिक सम्बन्धों को मजबूत करने के लिए एक पारस्परिक इच्छा शक्ति सूचित की है जो इस साझेदारी की सबसे कमजोर कड़ी रही है। रूस के फेडरल कस्टम्स सर्विस के अनुसार, 2017-18 में रूस-भारत व्यापार 10.69 बिलियन डॉलर था जिसमें 2016-17 की तुलना में 21.3% की वृद्धि हुई है। वर्ष 2018-19 (अप्रैल-अगस्त) के दौरान दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार 3.3 बिलियन डॉलर था। इस अवधि के दौरान रूस का भारत में निर्यात 2.3 बिलियन डॉलर तथा भारत का रूस को निर्यात 951 मिलियन डॉलर था। आर्थिक सम्बन्धों को प्रगाढ़ करने के लिए भारत और रूस ने 2030 तक 30 बिलियन डॉलर के व्यापार तथा 30 बिलियन डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है।vi
भारत जैसे देशों के लिए सुदूर पूर्व कनेक्टिविटी के वाहक तथा भारत-प्रशान्त क्षेत्र में आर्थिक क्षेत्र के विस्तार के रूप में कार्य करता है। भारत और रूस ने सतत सामाजिक आर्थिक विकास तथा 2030 के कार्यक्रम को सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को प्रगाढ़ करने के महत्त्व पर बल दिया है जिसमें परिवहन, ऊर्जा तथा व्यापार जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र एशियाई एवं प्रशान्त आर्थिक एवं सामाजिक आयोग के ढाँचे के भीतर आर्थिक सहयोगों में वृद्धि शामिल है।vii अत: सुदूर पूर्व में भारत और रूस के मध्य महत्त्वपूर्ण विकास मुख्य रूप से क्षेत्रीय सम्पर्क तथा आर्थिक संगठनों में भागीदारी के माध्यम से हैं।
[1] “Russia to spend $2.5 bln on Trans-Siberian, Baikal-Amur railroads. Investment is first stage in expanding railroad capacity to increase exports from Far East Russia.” – Asia Times, Russia List, http://russialist.org/newswatch-russia-to-spend-2-5-bln-on-trans-siberian-baikal-amur-railroads-investment-is-first-stage-in-expanding-railroad-capacity-to-increase-exports-from-far-east-russia-asia-times/, 29 August 2017. accessed on 09 July 2019
[1] Yury Ptrovich Trutnev, “ABOUT THE EASTERN ECONOMIC FORUM”, The Roscongress Foundation, Eastern Economic Forum, https://forumvostok.ru/en/about-the-forum/, 2019. accessed on 16 September 2019
[1]http://www.hktdc.com/resources/MI_Portal/Article/rp/2019/03/488187/1551691234665_488187RussianFarEastManufacturing2e_488187.jpg
[1] Bilateral Relations: India-Russia Relations, Embassy of India, Moscow, Russia. https://indianembassy-moscow.gov.in/bilateral-relations-india-russia.php accessed on 12 September 2019
भारत के एफएआर
भारत की एफएआर महत्त्वाकांक्षाओं को गति देने के लिए भारत के राज्यों के मुख्यमन्त्रियों ने, जिनमें उत्तर प्रदेश से योगी आदित्यनाथ, गुजरात से विजय रुपाणी, गोआ से प्रमोद सावंत तथा हरियाणा से मनोहर लाल खट्टर शामिल थे, भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्री पीयूष गोयल के नेतृत्व पहली बार एफएआर में व्यापार से व्यापार (बी2बी) सहयोग के अवसरों तथा सम्भावनाओं की तलाश के लिए 12-13 अगस्त, 2019 को व्लाडीवोस्तक का दौरा किया। सहयोग की सम्भावना के क्षेत्रों में प्राथमिकता वाले क्षेत्र खनिज एवं दुर्लभ मृदा, ऊर्जा, वानिकी एवं टिम्बर, स्वास्थ्य, कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण, सेरामिक्स, पर्यटन एवं अवसंरचना के क्षेत्र शामिल थे।viii
ईईएफ में प्रधानमन्त्री मोदी की रूस को 1 बिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) की घोषणा का लक्ष्य एफएआर में भारतीय व्यापारिक समुदाय को निवेश के लिए आकर्षित करना तथा प्रोत्साहन देना था। भारत का सहायता के रूप में 1 बिलियन डॉलर का अनुदान एफएआर में अपनी महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए रूस की अर्थव्यवस्था में वृद्धि तथा व्यापक स्तर पर निवेशों की आवश्यकता पर प्रतिबन्धों के प्रभाव से पर्याप्त भिन्न है।
चित्र 1
स्रोत: https://i2.wp.com/www.insiahtsonindia.com/wp-content/uploads/20iQ/0Q/editorial-s.pna ?w=57i&ssl=i
व्यापारिक समुदाय तथा पर्यटन को आकर्षित करने के लिए, भारत तथा रूस बाधाओं को दूर करने तथा मुद्दों के समाधान पर भी ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। इस दिशा में एक कदम के रूप में दोनों देशों ने वीजा की औपचारिकताओं के प्रगतिशील सरलीकरण, कैलिनिनग्राद क्षेत्र तथा व्लादीवोस्तक का दौरा करने के लिए रूसी नागरिकों एवं भारतीय नागरिकों हेतु मुक्त इलेक्ट्रॉनिक वीजा सहित व्यापार तथा पर्यटन के उद्देश्य के लिए ई-वीजा सुविधा की अवधि एक वर्ष के लिए बढ़ाना है।ix
[1] Ibid
[1] Dipanjan Roy Chaudhury, Modi launches Act Far East Policy for Russia; announces $1 bn support, Economic Times, 05 September 2019, //economictimes.indiatimes.com/articleshow/70991741.cms?from=mdr&utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst accessed on 04 October 2019
इस क्षेत्र में भारतीय व्यापारों की सफल संस्थापना एफएआर में सहयोग पर ध्यान केन्द्रित करने के कुछ सकारात्मक प्रतिफलों में से एक है। उदाहरण के लिए, एक अग्रणी जवाहरात उद्योग केसरीमल घीसीलाल कोठारी ग्रुप (केजीके) ने व्लादीवोस्तक में उच्च तकनीक की हीरे तराशने तथा पॉलिश करने की फैक्ट्री संस्थापित की है। यह समूह व्लादीवोस्तक की इकाई में 2.8 बिलियन रूबल का निवेश करेगा जो लगभग 400 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करायेगा। इसने रूस के अग्रणी उद्योग अलरोसा के साथ दीर्घकालीन अनुबन्ध और व्लादीवोस्तक तथा वीटीबी बैंक के गवर्नर के साथ सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर भी किये हैं। वे रूस के सुदूर पूर्व से भारत के कोकिंग कोयले की आपूर्ति में सहयोग तथा कोयला खनन में कमचटका के क्रुतोगोरोव में टाटा पॉवर की संस्थापना के लिए सहमत हुए हैं।xi
सुदूर पूर्व में सहयोग के अन्य क्षेत्रों सहित ऊर्जा सहयोग ने आर्थिक सम्बन्धों को अधिक विस्तार दिया है। सखालिन, इम्पीरियल एनर्जी, वैंकोरनेफ्ट तथा तासयुरयाक सहित रूसी तेल कम्पिनयों में भारत के निजी क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) द्वारा पहले ही किये गये 10 बिलियन डॉलर के निवेश के अतिरिक्त 20वें वार्षिक द्विपक्षीय सम्मेलन के दौरान 2019-24 हेतु हाइड्रोकार्बन्स में सहयोग हेतु समझौते पर हस्ताक्षर से दोनों पक्षों को इस क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के अगले पाँच वर्षों में नवीनतम ऊँचाइयों पर पहुँचने की आशा है।xii
भौगोलिक दूरियों को सदैव से ही भारत और रूस के बीच दुर्बल आर्थिक सम्बन्धों का सबसे बड़ा अवरोधक माना जाता रहा है। इस दिशा में जुलाई 2015 में व्लादीवोस्तक के फ्रीपोर्ट कानून पर किये गये हस्ताक्षर ने एफएआर तक कनेक्टिविटी को बढ़ाने हेतु नवीन मार्ग प्रशस्त किये हैं क्योंकि इससे कर लाभ, सीमा शुल्क तथा वीजा प्रक्रियाओं में सरलता तथा प्रशासनिक बाधाओं में अधिकतम कमी उपलब्ध होती है।xiii
इस परिप्रेक्ष्य में लाभ प्राप्त करने हेतु चेन्नई-व्लादीवोस्तक नौपरिवहन मार्ग पर दोनों देशों को अधिक ध्यान देना होगा क्योंकि यह भारत-प्रशान्त क्षेत्र के एक मुक्त द्वार के रूप में कार्य करता है। इस मार्ग से इस क्षेत्र की सम्पदा से लाभ प्राप्त करने के भारत के प्रयासों को उस समय पर्याप्त सहयोग मिलेगा जब इसके सुदूर पूर्व के निवेश तथा नीतियाँ इसकी घरेलू 'नीली अर्थव्यवस्था' की पहलों जैसे सागरमाला परियोजना (2015) के संगत होंगी।
साथ ही, 'मेक इन इण्डिया' पहल के माध्यम से भारत ने सड़क एवं रेल अवसंरचना, स्मार्ट सिटी, वैगनों के निर्माण तथा संयुक्त परिवहन लॉजिस्टिक्स कम्पनी के सृजन एवं रेलवे की गतिवर्धन परियोजना के क्षेत्रों सहित भारत में औद्योगिक कॉरीडोर के विकास में भागीदारी के लिए रूसी कम्पनियों को आमन्त्रित भी किया है।
ix India - Russia Joint Statement during visit of Prime Minister to Vladivostok, Ministry of External Affairs, Government of India, September 05, 2019 https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/31795/India++Russia+Joint+Statement+during+visit+of+Prime+Minister+to+Vladivostok accessed on 04 October 2019
x KGK Establishes Diamond Manufacturing Unit in Valdivostok, Russia, KGK Group, https://www.kgkgroup.com/kgk-establishes-diamond-manufacturing-unit-vladivostok-russia/ accessed on 04 October 2019
xi N.9
xii Ibid
xiii 3 years of the adoption of the law on the Free Port Vladivostok: 805 agreements for 441.3 billion rubles, Far East Investment Promotion and Export Support Agency Investment, 18 July 2018, https://investvostok.ru/news/1882/ accessed on 13 October 2019
भारत की रुचि तथा चीन के बढ़ते कदम
आज सुदूर पूर्व में रूस और चीन के मध्य सहयोग से चीनी पर्यटकों के लिए जनता से जनता के सम्पर्क, ई-वीजा तथा वीजा-मुक्त योजना, संयुक्त अवसंरचनात्मक परियोजनाएँ, कनेक्टिविटी एवं आर्थिक सहयोग में वृद्धि देखी गयी है। सुदूर पूर्व में रूस और चीन के मध्य सहयोग की सम्भावनाओं को पंगु करने वाली भौगोलिक दशाओं के होने से दोनों देशों ने उन अवसंरचनात्मक कमियों को दूर करने पर कार्य करना प्रारम्भ कर दिया है जो इस क्षेत्र में साझा हितों के महत्त्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करती है। सुदूर पूर्व में रूस और चीन के मध्य कुछ सर्वाधिक उल्लेखनीय अवसंरचनात्मक सहयोगों में नदी सेतु के माध्यम से तोंगजियांग-नीझनेलेनिनस्कोये को जोड़ने वाला अमूर ट्रांसपोर्टेशन रेल-रोड ब्रिज तथा सड़क सेतु के माध्यम से हीहे-ब्लैगोवेशचेन्स्क मार्ग प्रमुख हैं जिससे व्यापार तथा कार्गो परिवहन में वृद्धि होगी। चीन की सबसे बड़ी खाद्य व्यापार कम्पनी चाइना नेशनल सीरियल्स, ऑयल्स एण्ड फूडस्टफ्स कॉर्पोरेशन (सीओएफसीओ) इस क्षेत्र में विशाल कृषि उत्पादन के कारण यहाँ अनाज वेयरहाउसिंग लॉजिस्टिक्स तन्त्र निर्मित करने की योजना कर रहा है। एसटीओ एक्सप्रेस ने एफएआर में व्यापार संस्थापित कर लिया है और साथ ही प्रिमोर्स्की में सीमापार विकास हेतु वेयरहाउस निर्मित करने तथा एफएआर में कृषि एवं ई-कॉमर्स का विकास करने की योजना भी बना रहा है।
विशेष रूप से ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग रूस-चीन सम्बन्धों का प्रमुख कारक है। चीनी कम्पनियाँ रूसी आर्कटिक शेल्फ तथा सखालिन शेल्फ पर गैस परियोजनाओं में शामिल हो चुकी हैं। 30 वर्षों हेतु 'पूर्वी' मार्ग से रूस से चीन को 38 बिलियन घन मीटर प्राकृतिक गैस की वार्षिक आपूर्ति हेतु 400 बिलियन डॉलर के गैस आपूर्ति समझौते (2014) पर हस्ताक्षर करना एफएआर में साझेदारी की प्रमुख वृद्धि थी। 'पॉवर ऑफ साइबेरिया गैस ट्रांसमिशन सिस्टम' के तहत रूस पूर्वी मार्ग के माध्यम से चीन के ऊर्जा बाजारों तक पहुँच बनाने का लक्ष्य रखता है। यह तन्त्र चीन सहित सुदूर पूर्व में इर्कुटस्क तथा याकुतिया उत्पादन केन्द्र से उपभोक्ताओं तक गैस की आपूर्ति के लिए संस्थापित किया गया है। गैजप्रोम तथा चाइना नेशनल पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के मध्य रूस-चीन प्राकृतिक गैस पाइपलाइन पर हस्ताक्षर से आमूर ओब्लास्ट में ब्लागोवेश्चेन्स्क पर हीही को रूसी पाइपलाइन से जोड़ना सम्भव हो सकेगा (चित्र 2)।xiv सुदूर पूर्व में चीन के साथ ऊर्जा समझौता यूक्रेन संकट के कारण रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता कम करने के यूरोपीय संघ के निर्णय को ध्यान में रखकर किया गया। चीन की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के कारण चीन को रूस के लिए सम्भावित ऊर्जा ग्राहक आधारों में से एक माना जा रहा है।
पावर ऑफ साइबेरिया पाइपलाइन एक निर्माणाधीन प्राकृतिक गैस पाइपलाइन है जो इर्कुटस्क क्षेत्र, रिपब्लिक ऑफ साखा (याकुतिया) तथा आमूर क्षेत्र सहित रूस के तीन क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। यह तन्त्र इर्कुटस्क तथा याकुतिया उत्पादन केन्द्रों से सुदूर पूर्व तथा चीन के उपभोक्ताओं को गैस की आपूर्ति करेगा। इसकी कुल लम्बाई लगभग 3000 किमी है तथा 38 बीसीएमएxv निर्यात क्षमता के अनुरूप डिजाइन किया गया है। परियोजना के अंग के रूप में 21 मई, 2014 को रूसी गैस की चीन को आपूर्ति के लिए गैजप्रोम तथा चाइन नेशनल पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (सीएनपीसी) ने क्रय एवं विक्रय अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किये। 30 वर्षीय इस अनुबन्ध से 38 बीसीएम प्राकृतिक गैस की आपूर्ति की जायेगी।xvi
xiv China, Russia Far East cooperation a big boost for business, World Economy News, 05 June 2019. https://www.hellenicshippingnews.com/china-russia-far-east-cooperation-a-big-boost-for-business/ accessed on 11 October 2019
xv Power of Siberia, Gaspromexport, http://www.gazpromexport.ru/en/projects/3/
xvi N.17
चित्र 2
'पावर ऑफ साइबेरिया' गैस पारेषण तन्त्र
स्रोत : https://phototass3.cdnvideo.ru/width/960 5i84QoiQ/tass/m2/en/uploads/i/2oi4052i/io4i5Q3.ipa
ऊर्जा पाइपलाइन अनुबन्धों के साथ-साथ, रूस तथा चीन ने व्यापार, माल तथा सेवाओं के निर्बाध परिचालन के लिए हाई स्पीड रेलवे तथा सड़क परिवहन के विकास के लाभों को चिन्हित किया है। इसीलिए सुदूर पूर्व में अवसंरचनात्मक गतिरोधों को दूर करने की आवश्यकता दोनों देशों के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता का केन्द्र बिन्दु बन गयी है। उदाहरण के लिए आमूर नदी सड़क तथा रेल सेतु रूस के ज्यूइश ऑटोनॉमस क्षेत्र में हीलोंगजियांग प्रान्त को तोंगजियांग नगर से जोड़ती है। इस सेतु के 2020 के बसन्त काल में प्रचालन में आने की सम्भावना है। इसकी क्षमता 3 मिलियन लोगों तथा 6 मिलियन टन कार्गो वार्षिक आँकी गयी है जो लगभग 300 हजार वाहनों के बराबर है।xvii
चित्र 3
xvii Bridges of the Far East, Roscongress, 29 August 2019. https://roscongress.org/en/blog/mosty-dalnego-vostoka-istoriya-i-sovremennost-/ accessed on 18 October 2019
रूस तथा चीन के मध्य एक अन्य उल्लेखनीय सहयोग रूस-कजान हाई स्पीड रेलवे परियोजना है। अप्रैल, 2016 में, चाइना रेलवे इंटरनेशनल ग्रुप 20 वर्ष की अविध के लिए मास्को-कजान रेल लाइन के निर्माण हेतु 400 बिलियन रूबल (6.2 बिलियन डॉलर) का ऋण उपलब्ध कराने के लिए सहमत हो गया है। यूरो तथा एशिया के मध्य इस हाई स्पीड रेल नेटवर्क का लक्ष्य बीजिंग तथा मास्को के बीच कार्गो परिवहन को उन्नत करना तथा रूस के क्षेत्रों में गतिशीलता, अन्तर्संयोजन तथा आर्थिक विकास करना है।
चित्र 4
मास्को-कजान एचएसआर पायलट परियोजना
स्रोत : http://www.ena.hsrail.ru/i/photo/slaydi. JPG
चीन ने एफएआर में कृषि क्षेत्र में भी व्यापक निवेश किया है। एफएआर कृषि उत्पादन में आज चीनी कृषक तथा एग्रीबिजिनेस कम्पनियों की प्रमुख भूमिका है। एफएआर चीन की बढ़ती खाद्य सुरक्षा के समाधान के लिए एक प्रमुख क्षेत्र बनकर उभरा है क्योंकि इसमें चीनी कृषि व्यापार निवेशक, कृषक, श्रमिक संलग्न हैं। उदाहरण के लिए, चीन में सोयाबीन की अत्यधिक माँग है और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के बढ़ने तथा प्रतिकार शुल्क के कारण सोयाबीन की कृषि आमूर ओब्लास्ट में संकेन्द्रित है, और प्रिमोर्स्की क्रायxx रूस के सर्वाधिक सोयाबीन उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग करता है।xxi यहाँ एक अन्य महत्त्वपूर्ण कृषि क्षेत्र वेस्टर्न साइबेरियन ग्रेन बेल्ट है। रूस के भीतर तथा बाहर से सुदूर पूर्व की ओर उत्प्रवासन हेतु आकर्षित करने के लिए रशियन होमस्टीड एक्ट, 2016 की घोषणा से चीनी प्रवासी और विशेष रूप से कृषक रूस की इस पहल का लाभ उठाने के लिए तत्पर हैं।
xviii Russian revolution: Is the Moscow-Kazan high-speed rail project on track?, Railway Technology, 05 December 2018. https://www.railway-technology.com/features/moscow-kazan-high-speed-rail/
xix Ibid.
xx Chinese farmers could cultivate soybeans in Russia’s Far East to replace US soybean imports, Global Times, 19 August 2018, http://www.globaltimes.cn/content/1116091.shtml accessed on 04 October 2019
xxiMaarten Elferink and Florian Schierhorn, The Dormant Breadbasket of the Asia-Pacific, The Diplomat, 12 February 2019.
https://thediplomat.com/2019/02/the-dormant-breadbasket-of-the-asia-pacific/ accessed on 16 October 2019
कहा जाता है कि सुदूर पूर्व में चीन का आर्थिक सहयोग रूस के लिए वरदान है क्योंकि रूस का आर्थिक विकास कम हो गया है और उस पर प्रतिबन्ध भी लगाये गये हैं, एफएआर भी आर्कटिक क्षेत्र में चीन के 'ध्रुव रेशम मार्ग' नीति को गति देने के लिए अत्यन्त वांछित पारस्परिकता है (चित्र 7)। 2018 में चीन द्वारा निर्गत ध्रुवीय रेशम मार्ग हेतु इसकी योजना रेखांकित करने वाले श्वेत पत्र के अनुसार इसका लक्ष्य उत्तरी ध्रुव क्षेत्र को इसके बेल्ट रोड इनिशिएटिव (बीआरई) से एकीकृत करना है। आशा की जाती है कि ध्रुवीय रेशम मार्ग अवसंरचनात्मक परियोजनाओं सहित वैश्विक व्यापार हेतु इसके नौवहन मार्ग के संजाल तथा व्यापारिक मार्गों को गति प्रदान करेगा। दोनों देशों के मध्य आर्कटिक में यमल लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) परियोजना, अमूर ब्रिज तथा मास्को-कजान हाई स्पीड रेलवे (एचआसआर) जैसी परियोजनाएँ जारी हैं। अत: सुदूर पूर्व तक चीन की पहुँच होने से चीन की उत्तरी समुद्री मार्ग (एनएसआर) तक पहुँच सरल हो जायेगी जो कि रूस के यूरोपीय भाग तथा सुदूर पूर्व के मध्य सबसे छोटा मार्ग है।
चित्र 5
चीन का रेशम मार्ग तक ध्रुवीय विस्तार
स्रोत : https://www.zerohedge.com/s3/fles/inline-images/i-io4_o.jpg?itok=FGkiZg2B
वास्तव में तथ्य यह है कि सुदूर पूर्व में चीन के साथ संयुक्त अवसंरचनात्मक परियोजनाओं के वित्तपोषण में रूस का हिस्सा होना स्पष्ट करता है कि रूस आने वाले वर्षों में एफएआर में चीन के एकाधिकार स्थापित न होने देने के प्रति चैतन्य है।
क्या रूस के सुदूर पूर्व में भारत के रास्ते 'कठिन' हैं?
रूस तथा भारत निवेश, व्यापार एवं वाणिज्य के माध्यम से सुदूर पूर्व में आर्थिक सहयोग बढ़ाने के अवसरों की तलाश में साथ-साथ हैं। जबकि भारत पारस्परिक हितों के कारण अपने द्विपक्षीय सहयोगी रूस तथा इसकी पहलों के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ा है तो सुदूर पूर्व भी एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करता है क्योंकि भारत चीन जैसे अन्य बाह्य-क्षेत्रीय खिलाड़ियों की अग्रसक्रिय भूमिका के कारण प्रतिस्पर्द्धा से वंचित नहीं है। सुदूर पूर्व में भारी निवेश करने के कारण भारत-प्रशान्त क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाने की इच्छा सहित चीन को न केवल रूस के साथ बल्कि यूरोपीय बाजारों के साथ भी स्थल मार्ग तथा जल मार्ग, दोनों तक सरलता से पहुँच प्राप्त हो गयी है।
सुदूर पूर्व में अपना स्थान बनाने तथा अपनी संलिप्तता में वृद्धि के लिए भारत का मार्ग कठिन होने वाला है। किन्तु भारत अपने कुछ सम्भावित कारकों और विशेष रूप से कोमल शक्ति का उपयोग कर सकता है। विश्व के वृहत्तम अप्रवासियों की मेजबानी करने वालों में से एक होने के कारण श्रमिकों का उत्प्रवासन एक सम्भावित कारक है जो एक आस्ति के रूप में सिद्ध हो चुका है जैसा कि कनाडा के मामले में देखा गया है। भारत तथा रूस दोनों ने ईईएफ 2019xii में भारत से सुदूर पूर्व में कुशल श्रमशक्ति के अस्थायी रोजगार के लिए एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया। ऐसी पहल का क्रियान्वयन एफएआर में भारत की संलिप्तता के सशक्तीकरण में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
रूस के राष्ट्रपति ने ईस्टर्न इकोनॉमिक पोरम के पूर्ण सत्र के पश्चात निर्देशों की अनुमोदित सूची निर्गत की, ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम, 23
साथ ही, एफएआर में कुछ प्रमुख अवसंरचनात्मक परियोजनाओं के चीन द्वारा एकाधिकारीकरण के बावजूद, इस क्षेत्र में पर्यटन अवसंरचना जैसे क्षेत्र में अवसंरचनात्मक अवरोध जैसे रेलवे स्टेशनों तथा पत्तन आधारित सुविधाओं से संलग्न क्षेत्रों की पर्यटन अवसंरचना, विद्यमान है। अत: भारत अवसंरचनात्मक परियोजनाओं में निवेश की सम्भावना तलाश सकता है, जैसे वाणिज्यिक लाभ में वृद्धि के लिए सुदूर पूर्व में चाबहार पत्तन जैसी परियोजना तथा साथ ही आर्कटिक क्षेत्र में एफएआर में भारत और रूस के मध्य समुद्र, रेल तथा सड़क मार्ग जैसे प्रमुख प्रवेश मार्ग के रूप में भी कार्य कर सकता है।
*डॉ. चन्द्रा रेखा, वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद में शोध कर्ता, नई दिल्ली।
अस्वीकरण : इस लेख में व्यक्त विचार शोधकर्ता के हैं न कि परिषद के।
xxiiTHE PRESIDENT OF RUSSIA APPROVED A LIST OF INSTRUCTIONS ISSUED FOLLOWING THE PLENARY SESSION OF THE EASTERN ECONOMIC FORUM, Eastern Economic Forum, 23
September 2019.https://forumvostok.ru/en/news/prezident-rossii-utverdil-perechen-poruchenij-po-itogam-plenarnogo-zasedanija-vef/ accessed on 04 October 2019