परिचय
छह साल से अधिक के अंतराल के बाद 8 वें भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका (आईबीएसए) त्रिपक्षीय मंत्री-स्तरीय आयोग की बैठक 17 अक्तूबर, 2017 को डरबन, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित की गई। बैठक के दौरान आईबीएसए देशों के मंत्रियों ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग एवं तीन महाद्वीपों से तीन बड़े बहुलवादी, बहुसांस्कृतिक और बहु-नस्लीय समाज को एक साथ लाकर वैश्विक महाद्वीपों के समूह के रूप में इसकी ताकत और विशिष्ट पहचान की आवश्यकता के परिप्रेक्ष्य में इस त्रिपक्षीय मंच के महत्त्व को रेखांकित कियाl इसके अलावा, मंत्रियों ने 2018 में नई दिल्ली में 6 वें आईबीएसए शिखर सम्मेलन की मेजबानी की तैयारियों के लिए भारत को अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त कियाl उल्लेखनीय है कि मंत्री-स्तरीय बैठकों की तरह, राष्ट्र और सरकार के प्रमुखों का पिछला आईबीएसए शिखर सम्मेलन 6 साल पहले आयोजित किया गया था। हालांकि मंच के नेताओं ने हाल की घोषणा से पहले कई बार शिखर सम्मेलन आयोजित करने के इरादे व्यक्त किए, लेकिन कोई निर्दिष्ट तारीख निर्धारित नहीं की जा सकी।
इस तथ्य के आलोक में कि यह समूह छह वर्षों से अधिक समय तक शिखर सम्मेलन आयोजित करने के संबंध में निष्क्रिय रहा है, और मंत्रियों ने 2018 में आईबीएसए शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया है,इस लेख में राष्ट्र और सरकार के प्रमुखों के स्तर पर आयोजित विभिन्न आईबीएसए शिखर सम्मेलन में हुई प्रगति की समीक्षा करने की चेष्टा की गई है। ऐसा करते समय पांच शिखर सम्मेलनों का तुलनात्मक विश्लेषण और महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन में हुई प्रगति दर्शाई गई है।
उद्भव और महत्व
आईबीएसए भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका का एक त्रिपक्षीय वार्ता मंच है जिसकी स्थापना वर्ष 2003 में की गई थी । जी-8 की तर्ज पर इस अवधारणा को मूर्त रूप देने पर पर भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री (प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी) और ब्राजील एवं दक्षिण के तत्कालीन राष्ट्रपतियों (राष्ट्रपति लुइज़ इनेसिओ लूला द सिल्वा और राष्ट्रपति थाबो बेकी) के बीच 2 जून, 2003 को एवियाँ, फ्रांस में चर्चा हुई थीl आईबीएसए संवाद मंच के नाम से समूह की औपचारिक शुरुआत उस समय की गई जब तीनों देश के विदेश मंत्रियों की मुलाक़ात 6 जून, 2003 को ब्रासीलिया में हुई और उन्होंने ब्रासीलिया घोषणा जारी की। इस समूह को वर्ष 2006 में और समेकित किया गया जब राष्ट्र और सरकार के प्रमुखों का पहला आईबीएसए शिखर सम्मेलन ब्रासीलिया में आयोजित किया गया। इससे पहले, 2005 में त्रिपक्षीय आयोग की मंत्री स्तरीय बैठकें वर्ष 2004 में नई दिल्ली में, वर्ष 2005 में केप टाउन में और वर्ष 2006 में रियो डी जनेरियो में आयोजित की गईंliiइसके अतिरिक्त, कृषि, संस्कृति, रक्षा, शिक्षा, ऊर्जा, सूचना समाज, व्यापार और निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यटन, परिवहन और अन्य क्षेत्रों में त्रिपक्षीय कार्यकारी दल बनाए गए l इन पारस्परिक विचार-विमर्श से जो प्रतिबद्धताएं उभर कर सामने आईं,वे अंतत: 2006 में आयोजित आईबीएसए शिखर सम्मेलन की कार्यसूची का आधार बनीं। इसके अलावा, इसके पहले शिखर सम्मेलन तक तीन वर्षों के दौरान, राष्ट्र और सरकार के प्रमुखों की वर्ष 2003 और 2005 में न्यूयॉर्क में अलग-अलग बैठकें हुईंliii
इस मंच का मुख्य उद्देश्य एशिया, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के तीन बड़े बहुसांस्कृतिक और बहु-नस्लीय लोकतंत्रों के बीच वैश्विक मुद्दों पर निकट समन्वय को बढ़ावा देने में "मददगार" बनना और क्षत्रीय मामलों में त्रिपक्षीय भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका सहयोग बढ़ाने में योगदान करना था। विभिन्न क्षेत्रों में तीन बड़े विकासशील लोकतंत्रों को मिलाकर बने इस मंच को दक्षिण-दक्षिण सहयोग बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच माना गया।"iv
अब तक पाँच आईबीएसए शिखर सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं: 13 सितंबर, 2006 को ब्राज़ीलिया में पहला आईबीएसए शिखर सम्मेलन; 17 अक्तूबर, 2007 को दक्षिण अफ्रीका के तशवेन में दूसरा; 15 अक्तूबर, 2008 को नई दिल्ली, भारत में तीसरा; 15 अप्रैल, 2010 को ब्रासीलिया, ब्राजील में चौथा और; 18 अक्तूबर, 2011 को प्रिटोरिया, दक्षिण अफ्रीका में पांचवां शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। जैसा कि तालिका 1 में निर्दिष्ट किया गया है, तीसरे और चौथे शिखर सम्मेलन के बीच एक अंतराल था। वर्ष 2008 के तीसरे आईबीएसए शिखर सम्मेलन में की गई इस घोषणा के बावजूद कि चौथा शिखर सम्मेलन ब्राजील में अक्तूबर 2009 में आयोजित होगा, तीन देशों के लिए सुविधाजनक तारीख के निर्धारण में विफलता के कारण, शिखर सम्मेलन का आयोजन 2010 तक स्थगित कर दिया गया । वैश्विक आर्थिक संकट और एक नए समूह, ब्राजील-रूस-भारत-चीन(ब्रिक), के निर्माण से यह निर्णय प्रभावित हो सकता है।दिनांक 16 जून 2009 को, रूस ने येकातेरिनबर्ग में ब्रिक नेताओं के पहले शिखर सम्मलेन की मेजबानी की, जिसमें ब्राजील के राष्ट्रपति लूला, रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव, भारत के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ ने भाग लियाlvअगले वर्ष दक्षिण अफ्रीका भी इस समूह में शामिल हो गया और उसने 14 अप्रैल, 2011 को सान्या, चीन में आयोजित होनेवाले 3वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया।vi
वर्ष 2011 से, आईबीएसए द्वारा नियमित रूप से राष्ट्र और सरकार प्रमुखों के शिखर सम्मेलन का आयोजन नहीं किया गया । हालांकि, छठे शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए तारीखों को निर्धारित करने का प्रयास किया गया । प्रारंभ में छठा शिखर सम्मेलन जून 2013 में भारत में आयोजित किया जाना था।vii इसके बाद,वर्ष 2015 और 2017 में नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन आयोजित किए जाने की घोषणा की गई, लेकिन तारीखों के निर्धारण का मुद्दा हल नहीं होने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका। हालांकि आईबीएसए त्रिपक्षीय मंत्री-स्तरीय आयोग की 8 वीं बैठक में यह घोषणा की गई कि छठा शिखर सम्मेलन वर्ष 2018 में नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा, लेकिन उसकी तारीख अभी तक निर्धारित नहीं की गई है।
आईबीएसए : शिखर सम्मलेन-स्तरीय विश्लेषण
तालिका 1 से पता चलता है कि आईबीएसए ने अपनी स्थापना के बाद से वैश्विक नियमन,व्यापार और सतत विकास, स्वास्थ्य, ऊर्जा और अफ्रीकी विकास के लिए नई भागीदारी(एनईपीएडी) जैसे कई क्षेत्रों में राष्ट्र और सरकार के प्रमुखों की शासकीय सूचना में आईबीएसए की सामान्य स्थिति को समेकित किया है l आईबीएसए शिखर सम्मेलन में नेताओं की सबसे महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता वैश्विक नियमन में सुधार पर अपने रुख की पुष्टि करके एक नए अंतरराष्ट्रीय संघटन के निर्माण में योगदान करना है जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (यूएनएससी) औरअंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष(आईएमएफ)सहित विकासशील देशों की एक सशक्त भूमिका हैl प्रत्येक शिखर सम्मेलन का केंद्रीय विषय स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यता का विस्तार करके यूएनएससी में सुधार करना था जिससे विकासशील देशों को अधिक प्रतिनिधित्व मिलेlउन्होंने आईएमएफ कोटा प्रणाली को और अधिक प्रतिनिधिक एवं वैध बनाने के लिए उसमें सुधार हेतु सामान्य स्थिति ग्रहण की l ब्रेटन वुड इंस्टीट्यूशंस को सुधारने में, नेताओं ने वैश्विक आर्थिक विकास एवं नियमन पर एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में जी 20 की भूमिका को भी अभिस्वीकार किया।
शुरुआत से ही, आईबीएसए शिखर सम्मेलन का ध्यान मुख्य रूप से तीन देशों के बीच व्यापार और संयोजकता बढ़ाने पर केंद्रित रहा । इस संबंध में, नेताओं ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में दोहा दौर की वार्ता के विकास आयाम को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। आर्थिक संबंधों को बढ़ाने की दिशा में आईबीएसए की एक सबसे महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता मर्कोसुर-एसएसीयू-भारत त्रिपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता (टी-एफटीए) की स्थापना की पहल थी जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मजबूती से योगदान दे सके और साथ ही अपने संबंधित विकास लक्ष्यों को बढ़ावा दे सके। इस दिशा में, नेताओं ने 30 नवंबर, 2009 को जिनेवा में आयोजित पहली त्रिपक्षीय मर्कोसुर-एसएसीयू-भारत मंत्री-स्तरीय बैठक का स्वागत किया।viii त्रिपक्षीय व्यापार प्रवाह को बढ़ावा देने और संयोजकता सुनिश्चित करने के लिए पहले आईबीएसए शिखर सम्मेलन के दौरान आईबीएसए समुद्री परिवहन समझौता भी संपन्न हुआ।व्यापार और संयोजकता को और बढ़ावा देने हेतु, 2008 में तीसरे शिखर सम्मेलन के दौरान समुद्री परिवहन के लिए पंचवर्षीय कार्य योजना तथा नागरिक उड्डयन के लिए पंचवर्षीय योजना का भी स्वागत किया गया ।ix
वर्ष 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट के मद्देनजर, नेताओं ने नई मंदी को रोकने और मजबूत वैश्विक आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने के लिए जी 20 राष्ट्रों के बीच नीति समन्वय बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। वित्तीय विनियामक सुधारों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को लागू करने के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने बासेल-III समझौतों के समय पर कार्यान्वयन के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई lx
आईबीएसए मंच की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि गरीबी और भुखमरी के उन्मूलन के लिए आईबीएसए सुविधा कोष के जरिए कम विकसित देशों में चलाई जा रही इसकी विकास सहयोग परियोजनाएं हैं। इस निधि को तीन विकासशील देशों के बीच सहयोग का एक उल्लेखनीय उदाहरण माना जाता है और इसके द्वारा संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की साझेदारी में अन्य दक्षिणी देशों के हित के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग को लागू करने हेतु अग्रणी पहल की जाती है। आईबीएसए ने विकासशील देशों, विशेष रूप से कमविकसित देशों (एलडीसी ) के साथ, विकास परियोजनाओं में आईबीएसए निधि के जरिए भागीदारी की है,जिसेबुस्र्न्दी,केप,वर्डे, गिनी-बिसाऊ, हैती, लाओस,कंबोडिया, फिलिस्तीनजैसे देशों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है।. फंड की प्रभावशीलता को पहचानते हुए, तीन देशों ने 8 वीं मंत्री-स्तरीय बैठक के दौरान दिनांक 17 अक्तूबर, 2017 को आईबीएसए न्यास निधि समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके लिए प्रत्येक आईबीएसए देश प्रत्येक वर्ष $ 1 मिलियन का योगदान देता है । यह दक्षिण-दक्षिण विकास सहयोग के संदर्भ में आईबीएसए निधि के महत्व और उसकी मान्यता को दर्शाता है।
इसके अतिरिक्त,आईबीएसए के नेताओं ने पिछले कुछ वर्षों में निरस्त्रीकरण और अप्रसार, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग, आतंकवाद, स्वास्थ्य, शिक्षा, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और लिंग सहित अन्य महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर आम सहमति जताई है, जिसका उद्देश्य इन क्षेत्रों में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को और प्रगाढ़ करना है। उदाहरण के लिए, 2010 में ब्रासीलिया में चौथे आईबीएसए शिखर सम्मेलन के दौरानजलवायु परिवर्तन,कृषि और खाद्य सुरक्षा में आम चुनौतियों का समाधान करने के लिए आईबीएसए उपग्रह कार्यक्रम बनाने की घोषणा की गई थी।xi इस प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए, तशवेन घोषणा में कहा गया कि भारत ने उपग्रह परियोजना पर चर्चा करने के लिए आईबीएसए की उपग्रह तकनीकी बैठक की मेजबानी करने पर सहमति व्यक्त की।xii इसी तरह, आईबीएसए नेताओं ने डिजिटलीकरण के संबंध में मतभेद को कम करने और डिजिटल सहयोग सुनिश्चित करने एवं 2006 में पहले शिखर सम्मेलन के दौरान इसे शामिल किए जाने के उद्देश्य से सूचना सोसायटी संबंधी फ्रेमवर्क सहयोग पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया तथा आईबीएसए इंटरनेट गवर्नेंस एंड डेवलपमेंट ऑब्जर्वेटरी की स्थापना की सिफारिश की lxiii
शिक्षा क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए, दिनांक 28 नवंबर, 2016 को तीनों देशों के अध्येताओं को संयुक्त रूप से शोध करने हेतु उनके आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए आईबीएसए विजिटिंग फेलोशिप कार्यक्रम शुरू किया गया जिससे आईबीएसए की प्रक्रिया को आगे ले जाने के लिए सार्थक नीतिगत इनपुट की सुविधा मिल सके।
नेताओं के विभिन्न शिखर सम्मलेन में की गई घोषनाओं से यह भी पता चलता है कि आईबीएसए मंच के नेतागण शुरुआत से ही क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देने में शामिल रहे हैं। क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में इसका सबसे महत्वपूर्ण कदम "अफ्रीका के लिए प्रमुख अफ्रीकी संघ सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम" के रूप में एनईपीएडी को पूर्ण समर्थन देना है।xiv वर्ष 2007 के दूसरे शिखर सम्मेलन के बाद से, नेताओं ने एनईपीएडी और एयू संरचनाओं में इसके पूर्ण एकीकरण और एनईपीएडी योजना एवं समन्वय एजेंसी (एनपीसीए) के सचिवालय का पुनः नामकरण करने का समर्थन करने का संकल्प लिया।xv
कुल मिलाकर, और जैसा कि तालिका 1 इंगित करता है, आईबीएसए शिखर सम्मेलन की घोषणाएं मुख्य रूप से एक दूसरे की पुनरावृत्ति एवं पुन: पुष्टिहै, तथा विकास सहयोग का प्रमुख प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र है।xvi
तालिका -1 आईबीएसए द्वारा सहयोग: उपलब्धियों की समीक्षा
वैश्विक नियमन |
आईबीएसए का 1वां शिखर सम्मलेन -13सितंबर,2006 को ब्राजीलिया(ब्राज़ील) में |
आईबीएसए का 2वां शिखर सम्मलेन –17 अक्तूबर, 2007 को श्वेन(दक्षिण अफ्रीका)में |
आईबीएसए का 3वां शिखर सम्मलेन –15 अक्तूबर, 2008 को नई दिल्ली (भारत) में |
आईबीएसए का 4 वां शिखर सम्मलेन –15 अप्रैल, 2010 को ब्राजीलिया(ब्राज़ील) में |
आईबीएसए का 5 वां शिखर सम्मलेन –18 अक्तूबर, 2011 को प्रिटोरिया (दक्षिण अफ्रीका ) में |
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वैश्विक नियमन |
बहुपक्षीय प्रणाली को सामान्य दृष्टिकोण से, विशेष रूप से संस्थानों के जरिए मजबूत करना; संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार करना और अफ्रीका, एशिया एवं लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों को इसकी स्थायी एवं अस्थायी दोनों श्रेणियों में शामिल करना जिससे कि उसमें समकालीन वास्तविकता झलक सके तथा वह अधिक प्रजातांत्रिक, वैध, प्रतिनिधिक एवं उत्तदायी बन सके l
डब्ल्यूटीओ में विकास के आयाम सहित दोहा दौर का सफल समापन, इसके परिणाम के मूल में पर्यावरणीय मुद्दे, विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी तक अच्छी तरह पहुँच, जैव विविधता पर कन्वेंशन का प्रभावी कार्यान्वयन, विशेषकर उद्गम देशों का अपने आनुवंशिक संसाधनों पर अधिकार और संबद्ध पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षाl
इसमें यह विचार व्यक्त किया गया कि आईएमएफ की वैधता इस बात पर निर्भर करती है कि उसके कोटा में मूलभूत सुधार हो और मतदान के मामले में विकासशील देशों का अधिक प्रतिनिधित्व हो l इस सुधार से अग्रिम अर्थव्यवस्थाओं के पास रहनेवाली पर्याप्त मतदान शक्ति और विकासशील देशों की असंतोषजनक भागीदारी के बीच का गंभीर असंतुलन प्रभावी रूप से कम होगा l |
वैश्विक नियमन प्रणाली को मजबूत करने के महत्त्व को दोहराया गयाl
इस बात पर सहमति हुई कि सुरक्षा परिषद की सदस्यता की स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में विकासशील देशों को अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व देकर समकालीन वास्तविकताओं को सुनिश्चित कर उसमें सुधार लाया जाए तथा उन अन्य सदस्य राष्ट्रों के साथ सहयोग को दृढ़ किया जाए जो सुरक्षा परिषद् में सही मायने में सुधार लाने के इच्छुक हैं l
वैश्विक आर्थिक विकास एवं नियमन के एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में जी 20 की भूमिका को स्वीकार किया गया तथा विकासशील देशों को मतदान की अधिक शक्ति प्रदान करने और अधिक सहभागिता प्रदान करने के लिए ब्रेटन वुड्स संस्थानों के नियमन में सुधार की गति तेज करने के लिए इसके योगदान की अपेक्षा की गई l |
सुरक्षा परिषद की स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यता में विस्तार करने और उसके संघटन में समकालीन वास्तविकताओं को समाहित करने के लिए विकासशील देशों को अधिक प्रतिनिधित्व प्रदान कर उसमें वास्तविक सुधार लाने के समर्थन को दोहराया गया l
वैश्विक वित्तीय संकट के परिप्रेक्ष्य में विश्व की वित्तीय प्रणाली में संरचनागत सुधार लाने के लिए विकासशील देशों की पूर्ण सहभागिता सुनिश्चित कर एवं उसे अधिक समावेशी और पारदर्शी बनाकर एक नई अंतरराष्ट्रीय पहल की आवश्यकता पर जोर दिया गया l |
यूएन और यूएनएससी दोनों में विकासशील देशों की वर्धित सहभागिता सहित उसकी स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों की सदस्यता का विस्तार l
ब्रेटन वुड्स संस्थानों में विकासशील देशों की भूमिका बढ़ाकर उन संस्थानों की प्रभावकारिता बढ़ाने एवं उनकी जवाबदेही, विश्वसनीयता और वैधता बढ़ाने के लिए उनमें सुधार करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया l |
नेताओं ने यूएनएससी और अन्य सुसंगत अंतरराष्ट्रीय मंच यथा- जी20, जी24, डब्ल्यूटीओ, डब्ल्यूआईपीओ, बीएएसआईसी, बीआरआईसीएस और जी77 + चीन जैसे यूएन विशेषीकृत अभिकरणों एवं समूह के साथ संयुक्त सहयोग का स्मरण किया l
संयुक्त राष्ट्र (यू एन) को अधिक लोकतांत्रिक एवं चालू भौगोलिक- राजनैतिक वास्तविकता के सुसंगत बनाने के लिए, विकाशील देशों की वर्धित सहभागिता सहित, जिससे उनका प्रतिनिधित्व और वैधता प्रदर्शित हो,यूएनएससी के स्थायी एवं गैर-स्थायी श्रेणी की सदस्यता बढ़ाकर, उसमें तत्काल सुधार किए जाने की पुन: पुष्टि की l
इस संदर्भ में, उन्होंने सुरक्षा परिषद में दोनों श्रेणियों में विस्तार और इसके काम करने के तरीकों में सुधार पर, जिसे यूएनएससी सुधार पर चालू अंतर-सरकारी वार्ता पर आगे चर्चा का आधार समझा जाना चाहिए, मसौदा प्रस्ताव पेश करने की जी-4 के पहल पर चर्चा की l
इस संदर्भ में, आईबीएसए देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए एक दूसरे की आकांक्षाओं का समर्थन किया तथा यूएनएससी सुधार प्रक्रिया के लिए समर्पित विकासशील देशों के गठबंधन को प्रोत्साहन दिया l
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अधिदेश, प्रतिनिधित्व, कार्यक्षेत्र,नियमन,जिम्मेदारी, अनुक्रियाशीलता एवं निधि की विकास अभिमुखता से संबंधित सुधार के लक्ष्यों का शीघ्र कार्यान्वयन l
इस दिशा में, नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में जी20 के प्रतिबद्धताओं के अनुसार सुधार किया जाना चाहिए और उसका उद्देश्य विकसित और विकासशील देशों के बीच मतदान करने की शक्ति का एक समान वितरण प्राप्त करना होना चाहिए जो विश्व अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी के अनुरूप हो l इसके अलावा, सभी अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के प्रमुखों और वरिष्ठ नेतृत्व की नियुक्ति खुली, पारदर्शी और योग्यता आधारित प्रक्रिया के माध्यम से की जानी चाहिए और इसकी शुरुआत 2012 में विश्व बैंक के अगले अध्यक्ष के चयन से की जानी चाहिए l |
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व्यापार एवं विकास |
आर्थिक विकास और रोजगार को बढ़ावा देने और गरीबी को कम करने के उद्देश्य से अधिक विकासोन्मुख तरीके से बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध होना l
व्यापार का रूप बिगाड़ने वाली नीतियों को समाप्त करना।
विकासशील देशों के बीच व्यापार अधिमानता की वैश्विक प्रणाली (जीएसटीपी) की व्यापार के नए भूगोल में महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसमें दक्षिण-दक्षिण व्यापार को एक महत्वपूर्ण गतिशील बल के रूप में मान्यता प्राप्त है। जीएसटीपी निर्णायक रूप से नए व्यापार प्रवाह को बढ़ावा देने, वर्तमान क्षेत्रीय व्यवस्थाओं के पूरक के रूप में और निर्यात उत्पादों एवं बाजारों के विविधीकरण को बढ़ावा देने में योगदान दे सकता है। जीएसटीपी विशेष रूप से वैश्विक व्यापार प्रणाली में एलडीसी को शामिल कर सकता है, उन्हें अधिमान्य पहुंच प्रदान कर सकता है और उनके समर्थन में अन्य संभव उपाय कर सकता है l
मानकों, तकनीकी विनियमों और अनुरूपता आकलन के लिए व्यापार सुविधा संबंधी आईबीएसए कार्य योजना को हस्ताक्षरित करना। आईबीएसए देशों के बीच व्यापार प्रवाह में वृद्धि के लिए एक ठोस आधार तैयार करना।
परिकल्पित भारत - मर्कोसुर-एसएसीयू त्रिपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता (टी-एफटीए) के लिए रूपात्मकता पर ध्यान केन्द्रित करने हेतु कार्यदल की शीघ्र स्थापना के लिए प्रतिबद्धता, जो उनके संबंधित विकास लक्ष्यों के अनुकूल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में नए परिदृश्य में मजबूती से योगदान दे सकता है।
विकास के लिए वैश्विक साझेदारी विकसित करने हेतु एमडीजी, विशेषकर एमडीजी8 प्राप्त करना l
आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) के स्तर को बढ़ाना,व्यापार के उदारीकरण के स्तर का समर्थन करना, और विकसित देशों द्वारा ऐसे उत्पादों से अनुवृत्ति का हटाया जाना जो विकासशील देशों के हित में है और जो विकास को बढ़ावा देने एवं भूख और गरीबी से लड़ने के लिए आवश्यक हैं ।
दानकर्ता देशों द्वारा ओडीए के लक्ष्य को बढ़ाया जाना और नए एवं अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाना तथा पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण को बढ़ावा देना ।
सामाजिक आर्थिक विकास और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में आईबीएसए शिखर सम्मलेन के दौरान कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में त्रिपक्षीय सहयोग पर समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित l
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कृषि, एनएएमए और नए व्यापार प्रवाह का सृजन करने वाली सेवाओं में दोहा दौर में बाजार खोलने में योगदान देने के लिए प्रतिबद्धता l
अंतरराष्ट्रीय कृषि व्यापार में लंबे समय से चली आ रही सब्सिडी और व्यापार अवरोध जैसी विकृतियों एवं प्रतिबंधों को दूर करना जो विकासशील देशों में कृषि निर्यात तथा घरेलू उत्पादन को प्रभावित करते हैं और जो दोहा दौर का महत्वपूर्ण निष्कर्ष है।
विशेष और विभेदक उपचार, जिसमें विशेष उत्पादों के विकास उपकरण और विशेष सुरक्षा तंत्र शामिल हैं।
भारत-मर्कोसुर- एसएसीयू एफटीए को जल्द साकार करने के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता पर जोर दिया गया । इस संबंध में, नेताओं ने 2008 में त्रिपक्षीय मंत्री-स्तरीय बैठक आयोजित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया।
आईबीएसए देशों के बीच 2010 तक 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार लक्ष्य।
रियो घोषणा में अपनाए गए सिद्धांतों को लागू करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया, एजेंडा 21 और सतत विकास, विशेष रूप से सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों के सिद्धांत पर विश्व शिखर सम्मेलन की जोहान्सबर्ग योजना का कार्यान्वयन, और साथ ही इस बात पर जोर दिया कि क्षमता और संस्थान निर्माण वैश्विक सतत विकास की कुंजी है।
विकासशील देशों के ऋण की समस्या का समाधान करने के लिए, आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) प्रवाह को बढ़ाना और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली में असमानताओं को कम करना ।
गरीबी और भुखमरी से लड़ने के लिए अभिनव वित्तीय तंत्र विकसित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय प्रयास बढ़ाना ।
एक एकीकृत आईबीएसए सामाजिक विकास कार्यनीति बनाना जो दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए मूल योजना के रूप में तीन देशों की सर्वोत्तम प्रथाओं का निर्माण करेगी। |
दोहा दौर के समापन पर इसके विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के महत्व पर जोर दिया गया जिसका महत्व वैश्विक वित्तीय और खाद्य संकट के परिप्रेक्ष्य में और बढ़ गया l
सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर परिकल्पित मर्कोसुर-एसएसीयू- भारत त्रिपक्षीय व्यापार व्यवस्था (टीटीए) के लक्ष्य को समर्थन देने के महत्व की पुष्टि की गई । इस संबंध में, उन्होंने इस विषय पर उच्च स्तरीय चर्चा को बढ़ावा देने के लिए मर्कोसुर-एसएसीयू- भारत त्रिपक्षीय मंत्री-स्तरीय बैठक के प्रस्ताव का स्वागत किया।
विकसित देशों से विकासशील देशों के लिए वित्तीय प्रवाह पर वैश्विक साझेदारी में अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का आह्वान किया गया, जिसमें आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) को बढ़ाकर अपने जीएनआई का 0.7% करना, और प्रौद्योगिकी एवं क्षमता निर्माण का अंतरण शामिल है।
एमडीजी की पूर्ति के लिए किए गए प्रयासों का समर्थन करने के लिए, ओडीए के पूरक के रूप में विकास, और भुखमरी एवं गरीबी के खिलाफ लड़ाई तथा सतत विकास के लिए सहयोग के नए मॉडल और नवीन वित्त तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका का पता लगाना l
व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे वर्धित संयोजन और व्यापार अधिमानता कीवैश्विक प्रणाली जैसे द्विपक्षीय या बहुपक्षीय प्रकृति के व्यापार समझौतों (जीएसटीपी) के जरिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग में पारस्परिक रूप से हितकारी प्रवृत्ति को बढ़ावा देना l
सतत विकास और गरीबी एवं भुखमरी के उन्मूलन के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और एक स्थायी एजेंडे पर कार्य करने के प्रयास में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया कि वे रियो घोषणा, एजेंडा 21 और कार्यान्वयन की जोहानसबर्ग योजना का समर्थन करें एवं उनके सिद्धांतों और लक्ष्यों का तेज गति से कार्यान्वयन करें l
मानकों, तकनीकी विनियमों और अनुरूपता मूल्यांकन के लिए व्यापार सुविधा के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया गया l
कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और खाद्य सुरक्षा की समस्या के समाधान के लिए अनुसंधान की बौद्धिक संपदा को साझा करने का कार्य आगे बढ़ाया गया । |
चूँकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वैश्विक आर्थिक संकट के कारण तीव्र गिरावट हो रही है, अत: विकासोन्मुख, संतुलित और दोहा दौरे के शीघ्र सफल समापन से संरक्षणवादी दबावों के सम्मुख बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की विश्वसनीयता मजबूत होगी और अर्थव्यवस्था को पुन: मजबूत करने, विशेषकर रोजगार के सृजन में सहायता मिलेगी l
उन्होंने विकासशील देशों के पक्ष में पर्याप्त अतिरिक्त रियायतों के प्रति संकेत किए बिना कुछ विकासशील देशों से की गई अत्यधिक मांग पर चिंता व्यक्त की ।
दिनांक 30 नवंबर, 2009 को जिनेवा में आयोजित पहले त्रिपक्षीय मर्कोसुर-एसएसीयू-भारत की मंत्री- स्तरीय बैठक का तुष्टिपूर्वक स्मरण किया गया l
सतत विकास को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया गया और इस क्षेत्र में आगे अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक तैयारी प्रक्रिया की आवश्यकता पर जोर दिया गया कि 2012 में रियो + 20 सम्मेलन में पर्याप्त रूप से कार्यान्वयन में निहित कमियों एवं सतत विकास में उत्पन्न होनेवाले मुद्दों को दूर करने का प्रयत्न किया जा सके l
"आईबीएसए की सामाजिक विकास की कार्यनीतियों" और "आईबीएसए में कृषि सहयोग के भविष्य" को अंगीकृत किए जाने की बात को सराहनापूर्वक नोट किया गया l |
दोहा डेवलपमेंट राउंड में यह दर्शाए जाने की बात दोहराई गई कि कृषि क्षेत्र में विकसित देशों की संवेदनशीलता की काफी गुंजाइश है , जबकि विकासशील देशों से सेवा और औद्योगिक क्षेत्र में बाजार खोलने की मांग की जाती है l
नेताओं ने टैरिफ पर ठहराव जैसी पहल पर चिंता व्यक्त की, जो विकासशील देशों द्वारा पहले तय की गई डब्ल्यूटीओ की सुसंगत नीति के अंतराल को हटा देती है। नेताओं ने डब्ल्यूटीओ के सदस्यों से डीएफक्यूएफ, कपास, और सेवाओं की छूट जैसे एलडीसी के हित के उपाय पर समझौता करने एवं इसे बाजार तक पहुंच के मुद्दों पर समझौता करने की शर्त के साथ नहीं जोड़ने का आग्रह किया।
नेताओं ने स्थायी स्वास्थ्य -लाभ और सतत विकास के लिए वृहद आर्थिक नीति समन्वय को बढ़ाने हेतु प्रासंगिक बहुपक्षीय मंचों पर एक साथ काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की ।जी 20 के सदस्य के रूप में, आईबीएसए देशों ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच के रूप में समूह के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की।
नेताओं ने निवेश को, विशेष रूप से आधारिक संरचना में, प्रोत्साहित करने के लिए विकासशील देशों में दीर्घकालिक पूंजी प्रवाह को बनाए रखने के महत्व पर बल दिया, और अधिक संसाधन जुटाने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों एवं क्षेत्रीय विकास बैंकों का आह्वान किया।
जी 20 के विकास के एजेंडे के महत्व पर जोर दिया गया, साथ ही विकासशील देशों में, विशेष रूप से कम आय वाले देशों में सतत विकास में योगदान पर, और इसे,विशेष रूप से आधारिक संरचना, खाद्य सुरक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में मुख्य धारा में बनाए रखने पर जोर दिया गया ।
नेताओं ने नई मंदी को रोकने और मध्यम अवधि में वैश्विक अर्थव्यवस्था के मजबूत, टिकाऊ और संतुलित विकास को सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण स्वास्थ्य-लाभ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से , उच्च ऋण स्तर वाले देशों में राजकोषीय समेकन और बड़े अधिशेष वाले देशों में घरेलू मांग को मजबूत करने का उपाय करके जी 20 देशों के बीच नीति समन्वय बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
नेताओं ने अधिक परिवर्तनीय वित्तीय प्रणाली की दिशा में निगरानी और पर्यवेक्षण में सुधार की दृष्टि से वित्तीय विनियामक सुधार की वर्तमान अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को लागू करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने बासेल-III समझौते के समय पर कार्यान्वयन के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई ।
नेताओं ने अधिक स्थिर और लचीली अंतरराष्ट्रीय मुद्रा प्रणाली एवं पूंजी प्रवाह के सुसंगत प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस क्षेत्र में आरक्षित मुद्रा जारीकर्ताओं की विशेष जिम्मेदारी को इस अर्थ में रेखांकित किया कि उनकी नीतियों का वैश्विक तरलता और पूंजी प्रवाह पर असंगत प्रभाव पड़ सकता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सतत विकास के लिए "एक साइज--सभी को फिट" जैसी कोई कार्यनीति नहीं है और 2012 में आयोजित रियो + 20 सम्मेलन में वैश्विक सतत विकास एजेंडा के कार्यान्वयन के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता को मजबूत करना चाहिए तथा सतत विकास और गरीबी उन्मूलन के लिए अतिरिक्त एवं नए वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरणऔर क्षमता निर्माण के माध्यम से विकासशील देशों की सहायता करने की दिशा में काम करना चाहिए।
इस बात पर सहमति व्यक्त की गई कि वैश्विक सतत विकास की खोज में रियो सिद्धांत द्वारा यथा परिभाषित और कार्यान्वयन की जोहान्सबर्ग योजना (जेपीओआई) द्वारा यथा अग्रेषित सतत विकास एजेंडा के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए रियो+20 को राजनीतिक प्रतिबद्धता को नवीकृत करना चाहिए l |
निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार |
व्यापक, सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और सत्यापन योग्य तरीके से परमाणु हथियारों का व्यवस्थित और प्रगामी उन्मूलनl
परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार परस्पर सुदृढ़ बनाने की प्रक्रिया हैं जिसके लिए दोनों मोर्चों पर सतत अपरिवर्तनीय प्रगति अपेक्षित है l इस संबंध में स्वागत योग्य बात परमाणु आतंकवाद के कार्यों के दमन के लिए अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन को अंगीकृत किया जाना है l |
परमाणु हथियार के पूर्ण उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति में प्रगति की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार परस्पर सुदृढ़ बनाने की प्रक्रिया हैं जिसके लिए दोनों मोर्चों पर सतत अपरिवर्तनीय प्रगति अपेक्षित है l
आगे व्यापक, सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और सत्यापन योग्य तरीके से परमाणु हथियारों के व्यवस्थित और प्रगामी उन्मूलन एवं परमाणु हथियारों को समाप्त करने, उनके विकास, उत्पादन, अधिग्रहण, परीक्षण, संग्रहण, स्थानांतरण, प्रयोग या प्रयोगके खतरे को प्रतिबंधित करने एवं उनके विनाश का प्रबंध करने केलिए विनिर्दिष्ट समय सीमा के भीतर परमाणु हथियारों को पूरी तरह समाप्त करने हेतु चरणबद्ध कार्यक्रम के अनुसार बातचीत आरम्भ करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया l |
परमाणु हथियारों के पूर्ण विलोपन के लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की गई और इस लक्ष्य की प्राप्ति में प्रगति की कमी पर चिंता व्यक्त की गई l
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार परस्पर सुदृढ़ बनाने की प्रक्रिया हैं जिसके लिए दोनों मोर्चों पर सतत अपरिवर्तनीय प्रगति अपेक्षित है एवं इस संबंध में पुन: पुष्टि की कि परमाणु अप्रसार का उद्देश्यं व्यापक, सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और सत्यापन योग्य तरीके से परमाणु हथियारों के व्यवस्थित और प्रगामी उन्मूलन से पूरा होगा l
परमाणु हथियारों को समाप्त करने, उनके विकास, उत्पादन, अधिग्रहण, परीक्षण, संग्रहण, स्थानांतरण, प्रयोग या प्रयोग के खतरे को प्रतिबंधित करने एवं उनके विनाश का प्रबंध करने के लिए विनिर्दिष्ट समय सीमा के भीतर परमाणु हथियारों को पूरी तरहसमाप्त करने हेतु हेतु चरणबद्ध कार्यक्रम के अनुसार बातचीत आरम्भ करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया l
परमाणु हथियारों या उनके संबंधित सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करने वाले नॉन-स्टेट एक्टर या आतंकवादियों द्वारा उत्पन्न खतरे पर चर्चा की गई । उन्होंने इस तरह के खतरों का मुकाबला करने और इस संबंध में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बहुपक्षीय प्रयासों में योगदान देने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की l
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उन्होंने परमाणु हथियारों का व्यापक,सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और सत्यापन योग्य तरीके से पूर्ण उन्मूलन के लक्ष्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की और उस लक्ष्य की प्राप्ति में प्रगति की कमी पर चिंता व्यक्त की एवं इस बात को दोहराया कि परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार पारस्परिक रूप से मजबूत करने वाली प्रक्रिया है जिसके लिए दोनों मोर्चों पर निरंतर अपरिवर्तनीय प्रगति अपेक्षित है l
परमाणु हथियारों के विकास, उत्पादन, संग्रहण और प्रयोग पर रोक लगाने एवं उनके विनाश पर अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन के प्रति समर्थन व्यक्त किया गया l |
उन्होंनेसभी परमाणु हथियारों का निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर व्यापक, सार्वभौमिक, गैर भेदभावपूर्ण, सत्यापन योग्य और अपरिवर्तनीय तरीके से पूर्ण उन्मूलन के लक्ष्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की l
ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने सुसंगत अंतरराष्ट्रीय बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था एवं उनके दिशानिदेशों के उपयोग में सहभागिता के प्रति भारत के जुड़ाव तथा हित का स्वागत किया l |
परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग |
विशेषकर विकासशील देशों में ऊर्जा की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए ऊर्जा के सुरक्षित, स्थायी और गैर-प्रदूषणकारी स्रोतों की आपूर्ति सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया ।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संघ (आईएईए) के उपयुक्त सुरक्षा उपायों के तहत परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग के दृष्टिकोण का पता लगाया जाए l
परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार उद्देश्यों के लिए प्रतिबद्ध देशों के बीच उनके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप स्वीकार्य भविष्य के प्रति दृष्टिकोण के माध्यम से उपयुक्त आईएईए सुरक्षा उपायों के तहत अंतर्राष्ट्रीय असैन्य परमाणु सहयोग बढ़ाया जाए l |
विशेषकर विकासशील देशों में, ऊर्जा की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए ऊर्जा के सुरक्षित, स्थायी और गैर-प्रदूषणकारी स्रोत की आपूर्ति सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया गया । इस संदर्भ में, वे उपयुक्त आईएईए सुरक्षा उपायों के तहत परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग के लिए दृष्टिकोण का पता लगाने के लिए सहमत हुए।
परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार उद्देश्यों के लिए प्रतिबद्ध देशों के बीच उनके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप स्वीकार्य भविष्य के प्रति दृष्टिकोण के माध्यम से उपयुक्त आईएईए सुरक्षा उपायों के तहत अंतर्राष्ट्रीय असैन्य परमाणु सहयोग बढ़ाया जाए l
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विशेषकर विकासशील देशों में, ऊर्जा की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए ऊर्जा के सुरक्षित, स्थायी और गैर-प्रदूषणकारी स्रोत की आपूर्ति सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया गया ।
परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार उद्देश्यों के लिए प्रतिबद्ध देशों के बीच उपयुक्त आईएईए सुरक्षा उपायों के तहत अंतर्राष्ट्रीय असैन्य परमाणु सहयोग बढ़ाया गया तथा उनके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप स्वीकार्य भविष्य के प्रति दृष्टिकोण के माध्यम से बढाया जा सकता था l
इस संदर्भ में, उन्होंने भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच पूर्ण नागरिक परमाणु सहयोग को सक्षम बनाने के लिए अपने दिशानिर्देशों को समायोजित करने हेतु भारत विशिष्ट सुरक्षा उपाय समझौते और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के निर्णय को अनुमोदित करने के लिए आईएईए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सर्वसम्मत निर्णय का स्वागत किया। |
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बौद्धिक संपदा |
बौद्धिक संपदा से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय चर्चा में विकास आयाम को शामिल करने के महत्व को रेखांकित करते हुए, उन्होंने जैविक विविधता पर कन्वेंशन के सुसंगत प्रावधानों का सम्यक अनुपालन किए बिना जैविक संसाधनों और / या संबद्ध पारंपरिक ज्ञान पर बौद्धिक संपदा अधिकारों की मंजूरी से उत्पन्न समस्या के समाधान की आवश्यकता की पुन: पुष्टि की और अनुसंधान में उपयोग किए जाने वाले जैविक संसाधनों की उत्पत्ति और / या संबद्ध पारंपरिक ज्ञान के प्रकटीकरण की, जिसके लिए बौद्धिक संपदा अधिकार हेतु आवेदन दायर किए जाते हैं, अनिवार्य आवश्यकता लागू करके टीआरआईपीएस समझौते में संशोधन पर जोर दिया l
गलत पेटेंट की मंजूरी या अनियमित ट्रेडमार्क के पंजीकरण के जरिए जैविक संसाधनों के दुरुपयोग के मामलों को रोकने के लिए सूचना के आदान-प्रदान हेतु एक अनौपचारिक त्रिपक्षीय सलाहकार तंत्र स्थापित किया जाए l |
क्षमता निर्माण गतिविधियों, मानव संसाधन विकास और जन जागरूकता कार्यक्रमों से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के क्षेत्र में सहयोग पर एक त्रिपक्षीय पहल की दिशा में काम करना। |
संतुलित अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा व्यवस्था को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र में त्रिपक्षीय सहयोग स्थापित करने और ज्ञान, स्वास्थ्य की देखभाल एवं संस्कृति तक पहुंच सुनिश्चित करते हुए विकासशील देशों की आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति में सार्थक योगदान करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की गई। इसके अलावा, वे इस बात पर सहमत हुए कि देशों को अंतर्राष्ट्रीय एजेंडा के विकास पर नियमित रूप से परामर्श करना चाहिए।
आनुवंशिक संसाधनों तक पहुंच और उनके उपयोग एवं संबद्ध पारंपरिक ज्ञान (एक्सेस बेनिफिट शेयरिंग - एबीएस से प्राप्त लाभ से कानूनी तौर पर बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर चल रही वार्ता के समय पर और सफल निष्कर्ष के महत्व पर जोर दिया गया । एबीएस वार्ता के संदर्भ में आईबीएसए फोरम की भूमिका को मान्यता देते हुए, बायोपाइरेसी को रोकने और एबीएस पर राष्ट्रीय नियम एवं विनियम का सम्मान सीमाओं पर सुनिश्चित किए जाने तथा जैविक संसाधनों एवं पारंपरिक ज्ञान की मान्यता सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक अतिरिक्त उपकरण के रूप में दिलाए जाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक पर्याप्त कानूनी ढांचे की तत्काल आवश्यकता की पुष्टि की गई l |
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के विकास एजेंडा के पूर्ण कार्यान्वयन का आह्वान किया गया l
डब्ल्यूटीओ और डब्ल्यूआईपीओ के उपयुक्त मंचों के बाहर बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रवर्तन पर नए अंतरराष्ट्रीय नियम विकसित करने के प्रयासों के खिलाफ चेतावनी दी गई , जिससे अधिकारों के संरक्षण में दुरुपयोग, मुक्त व्यापार के खिलाफ बाधाओं के निर्माण और मौलिक नागरिक अधिकारों को कम करने की खुली छूट मिल सकती है l
इसके अतिरिक्त ऐसे प्रवर्तन उपायों के लगातार लागू किए जाने पर भी नए सिरे से चिंता व्यक्त की गई जिससे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के उल्लंघन में विकासशील देशों को भेजी जानेवाली सामान्य दवावों को पारगमन के दौरान जब्त कर लिया जाता है l |
बौद्धिक संपदा को नियंत्रित करने वाले एक समान और संतुलित ऐसी अंतर्राष्ट्रीय नियम व्यवस्था की आवश्यकता पर बल दिया गया जिससे,अन्य बातों के साथ-साथ, स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों का संरक्षण हो और आनुवंशिक संसाधनों एवं संबद्ध पारंपरिक ज्ञान के दुरुपयोग पर रोक लग सके l
उन्होंने डब्ल्यूआईपीओ के कार्य के सभी क्षेत्रों में उसके विकास के एजेंडा को पूर्ण रूप से लागू करने का आह्वान किया।
बहुपक्षीय मंचों के बाहर बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रवर्तन पर नए अंतरराष्ट्रीय नियम बनाने के प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी गई जिससे अधिकारों के संरक्षण के व्यवस्थित दुर्व्यवहार,मुक्त व्यापार के खिलाफ बाधा निर्माण और मौलिक नागरिक अधिकारों को कमजोर करने की खुली छूट मिल सकती है l
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मानवाधिकार |
सभी मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता की सार्वभौमिकता, अविभाज्यता, अन्योन्याश्रयता एवं अंतर्संबंध तथा विकास के अधिकार की प्राप्ति और संचालन एवं कमजोर समूहों के अधिकारों की विशेष सुरक्षा की पुष्टि के प्रति सामान्य दृष्टिकोण l |
प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर आधारित सार्वजनीन आवधिक समीक्षा तंत्र सहित मानवाधिकार परिषद (HRC) के संस्थागत ढांचे का विकास करना।
“मानव उपनिवेश के विकास" पर दो अतिरिक्त कार्य दल की स्थापना l |
उन्होंने मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और इस बात पर जोर दिया कि एचआरसी का काम अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना होना चाहिए और उसे राजनीतिकरण, दोहरे मानकों और चयनात्मकता से मुक्त होना चाहिए l
राष्ट्रीय नीति और पहल पर सूचना के आदान-प्रदान के लिए मानव अधिकारों पर सहयोग को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया गया, जो मानवाधिकार संवर्धन और संरक्षण के क्षेत्र में बातचीत और पारस्परिक हित में बदल सकता है। |
मानव अधिकारों के मुद्दों और एचआरसी में उनके करीबी सहयोग के महत्व को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, नेताओं ने नस्लीय भेदभाव के सभी रूपों के उन्मूलन पर अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन के अनुसार विशेष रूप से नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, ज़ेनोफोबिया और संबंधित असहिष्णुता के क्षेत्र में, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार विधि, मानदंडों और मानकों को मजबूत करना जारी रखने की आवश्यकता पर जोर दिया l
नेताओं ने मानवाधिकार परिषद में चिकित्सा (ए / एचआरसी / आरईएस / 12/24) के उपयोग के महत्व से संबंधित आईबीएसए के प्रस्ताव को अपनाए जाने का स्वागत किया। |
नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की स्थिति, कामकाज और कामकाज के तरीकों की समीक्षा के हाल ही में आए परिणाम का स्वागत किया और इस संबंध मेंजाति, रंग, लिंग, भाषा या धर्म, राजनीतिक या अन्य मत, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, संपत्ति, जन्म या अन्य स्थिति के बारे में किसी प्रकार के भेद-भाव के बिना,सभी के लिए मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। |
रक्षा सहयोग |
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तीनों देशों के साझा हित के लिए रक्षा के क्षेत्र में सहयोग के अवसर का पता लगाया जाए । |
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संयोजकता |
आईबीएसए समुद्री परिवहन समझौता किया गया,इससे लॉजिस्टिक्स में सुधार के लिए आवश्यक ढांचा तैयार होगा, समुद्री कौशल आधार बढ़ेगा और त्रिपक्षीय व्यापार प्रवाह को बढ़ावा मिलेगा । |
व्यापार, निवेश और पर्यटन के विस्तार के लिए आईबीएसए देशों के बीच बेहतर हवाई और समुद्रीसंयोजकता l |
समुद्री परिवहन के लिए पंचवर्षीय कार्य योजना और नागरिक उड्डयन के लिए पंचवर्षीय कार्य योजना पर हस्ताक्षर होने का स्वागत किया गया l |
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पर्यटन |
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पर्यटन पर त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर होने का स्वागत किया गया l |
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आतंकवाद |
आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की गई ।
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर शीघ्र एक व्यापक सम्मेलन आयोजित किया जाए l मुंबई हमलों के अपराधियों, सहयोगियों और प्रायोजकों के साथ-साथ आतंकवाद के ऐसे अन्य कृत्य में न्याय दिलाने के लिए आवश्यक उपाय किए जाएं ।
आतंकवाद के संकट से निपटने के लिए की जाने वाली कार्यवाही में तेजी लाई जाए l |
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी)शीघ्र आयोजित किया जाए ।
आतंकवाद का मुकाबला करने में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों, सुसंगत संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों, और मानवाधिकार के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय सहयोग किया जाना चाहिए। |
इस बात की पुष्टि करते हुए कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है, नेताओं ने आतंकवाद को इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में कड़ी निंदा की और बातचीत के द्वारा सीसीआईटी को शीघ्र अंगीकृत किए जाने का मुद्दा निपटाने का आह्वान किया l |
भारत में हाल के हमलों, जिसमें निर्दोष लोगों की जान चली गई, सहित आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में इसकी निंदा करते हुए, नेताओं ने सीसीआईटी को अंतिम रूप देने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया एवं सभी राष्ट्रों से आह्वान किया कि वे बातचीत कर शीघ्र सम्मलेन आयोजित करने का निर्णय लेने के साथ बकाया मुद्दों को सुलझाने में सहयोग करें। |
आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में उसकी कड़ी निंदा दोहराई गई और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रों और क्षेत्रीय संगठनों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया गया । इस संबंध में, उन्होंने सीसीआईटी को अंतिम रूप देने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से बातचीत का शीघ्र समापन करने, सम्मलेन का आयोजन करने और लंबित मुद्दों को हल करने में सहयोग करने के लिए कहा। |
अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध |
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व्यक्तियों की तस्करी का सामना करने की 2010 की संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक योजना को अपनाए जाने का स्वागत किया गया जो महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण में योगदान देगा, साथ ही साथ व्यक्तियों की तस्करी से मुकाबला करने में सहयोग बढ़ेगा और प्रयासों का बेहतर समन्वय होगा ।
नेताओं ने प्रत्यर्पण, पारस्परिक कानूनी सहायता और आपराधिक न्याय के क्षेत्र में सहयोग सहित अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के संकट के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करने के लिए आईबीएसए के सदस्य राष्ट्रों का आह्वान किया।
वैश्विक चुनौतियों के लिए व्यापक कार्यनीतियों:अपराध की रोकथाम एवं आपराधिक न्याय प्रणाली और विधान एवं नीति दिशानिर्देश तैयार करते समय बदलती दुनिया में उनका विकास तथा उनके राष्ट्र में आर्थिक, सामाजिक, विधिक एवं सांस्कृतिक विनिर्देश को ध्यान में रखते हुए उनमें निहित सिद्धांत के कार्यान्वयन से संबंधित साल्वाडोर घोषणा, पर विचार करने के लिए सरकारों को आमंत्रित किया गया l |
जलवायु परिवर्तन |
इस बात की पुष्टि की गई कि पर्यावरणीय मुद्दों पर बहुपक्षीय वार्ता रियो घोषणा और जोहान्सबर्ग कार्य योजना में निहित सिद्धांतों, विशेष रूप से सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमता के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए l |
सभी विकसित देशों को क्योटो प्रोटोकॉल के अधीन 2012 के बाद की अवधि में अपने समक्ष अधिक महत्वाकांक्षी और मात्रात्मक जीएचजी उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य रखना चाहिए l
उत्पादन और खपत के मूल रूप में कायम न रहने वाले पैटर्न की समस्या को हल करने का प्रयत्न किया जाए ।
कार्बन बाजार को प्रोत्साहित किया जाए और विकासशील देशों के सतत विकास, वित्तीय प्रवाह और स्वच्छ प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के प्रति स्वच्छ विकास तंत्र के योगदान को सार्थक रूप से बढाया जाए l
विकास के लिए संसाधनों को हटाए बिना विकासशील देशों के अनुकूलन प्रयासों के लिए पर्याप्त, नया और अतिरिक्त वित्तपोषणकिया जाए l
विकासशील देशों को सस्ती लागत पर स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने सहित प्रौद्योगिकियों के विकास, हस्तांतरण और व्यवसायीकरण के लिए अभिनव तौर-तरीके अपनाए जाएं l
"पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन" पर दो अतिरिक्त कार्य दल स्थापित किए जाएं l |
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के प्रावधानों और सिद्धांतों, विशेष रूप से सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के सिद्धांत, और विकासशील देशों के लिए सतत विकास की महत्वपूर्ण प्राथमिकता के अनुसार जलवायु परिवर्तन पर तत्काल कार्रवाई के महत्व को रेखांकित किया गया l
ऐतिहासिक जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए, दुनिया के सभी नागरिकों के लिए समान सतत विकास क्षमता हेतु एक समान बोझ साझाकरण प्रतिमान स्थापित करने के प्रयास किए जाएं l
विकसित देशों द्वारा क्योटो प्रोटोकॉल के तहत समयबद्ध लक्ष्य और महत्वाकांक्षी एवं निरपेक्ष ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती की जाए । इसके अतिरिक्त, विकसित देशों को विकासशील देशों में शमन और अनुकूलन दोनों का समर्थन करने के लिए स्थायी खपत पैटर्न और जीवन शैली एवं वित्तपोषण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण सहायता के जरिए जलवायु परिवर्तन की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय रूप से उचित कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता होनी चाहिए l इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से प्रौद्योगिकी नवाचार और विकास को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने और विकासशील देशों में इसके हस्तांतरण और पहुंचाने का आह्वान किया गया।
पर्यावरण पर समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित करने का स्वागत किया गया । |
यूएनएफसीसीसी पार्टियों के 16 वें सम्मेलन (सीओपी 16) और पार्टियों के 6 वें सम्मेलन में वर्तमान जलवायु परिवर्तन पर वार्ता के सकारात्मक परिणाम के महत्व को दोहराते हुए, नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि परिणाम पर समावेशी और पारदर्शी तरीके से पहुंचा जाना चाहिए और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों, विशेष रूप से इक्विटी के सिद्धांतों और सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के अनुसार प्रभावी रूप से हल करने का प्रयत्न करना चाहिए l
विकसित देशों से आग्रह किया गया कि वे अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई करें तथा विकासशील देशों द्वारा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम और अनुकूलित करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों का समर्थन करने हेतु पर्याप्त अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण एवं प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करें l |
क्योटो प्रोटोकॉल के तहत 2 वीं वचनबद्धता अवधि में पिछले साल कानकुन में सीओपी 16 / सीएमपी 6 पर सहमत हुए सभी संस्थानों से शीघ्र समझौता करने का आह्वान किया गया और अनुकूलन समिति; प्रौद्योगिकी कार्यकारी समिति, प्रौद्योगिकी केंद्र और नेटवर्क; वित्त पर स्थायी समिति और हरित जलवायु कोष से कार्यान्वयन के महत्वपूर्ण साधन जुटाकर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए l
दिनांक 28 नवंबर से 9 दिसंबर 2011 तक डरबन में आयोजित होने वाले सीओपी 17 / सीएमपी 7 ग्रीन क्लाइमेट फंड का उपयुक्त मूल्यांकन किया जाना चाहिए ताकि विकासशील देशों को समय पर संवितरण के लिए इसकी पर्याप्त संरचना सुनिश्चित की जा सके। |
स्वास्थ्य |
संक्रामक रोगों को रोकने और नियंत्रित करने के उद्देश्य से नई सस्ती गुणवत्ता वाली दवाओं, टीकों, डायग्नॉस्टिक्स और प्रौद्योगिकी तक पहुंच को आसान बनाने के लिए व्यापार बाधाओं को कम किया जाए, और टीआरआईपीएस एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य पर दोहा में की गई मंत्री- स्तरीय घोषणा द्वारा मान्यताप्राप्त बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं पर डब्ल्यूटीओ समझौते में निहित लचीलेपन का पूर्ण उपयोग लोक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए किया जाए l
सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं, स्वास्थ्य पर निगरानी, पारंपरिक चिकित्सा और स्वच्छता नियंत्रण विनियमन पर आईबीएसए कार्यान्वयन योजना बनाई गई l
एचआईवी / एड्स, मलेरिया और तपेदिक के क्षेत्र में त्रिपक्षीय सहयोग को और बढ़ाया जाए तथा एड्स, मलेरिया और तपेदिक निदान उपकरण के अनुसंधान और विकास के लिए सभी तीन देशों के बीच सहयोग हेतु एक त्रिपक्षीय लिखत तैयार किए जाने की संभावनाओं का पता लगाया जाए l |
स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य योजना का शीघ्र कार्यान्वयन किया जाए l |
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संचारी और गैर-संचारी रोगों के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ्यरक्षक और सस्ती दवाओं की सार्वभौमिक पहुंच पर दृढ़ विश्वास व्यक्त करते हुए, नेताओं ने माना कि स्वास्थ्य पर बौद्धिक संपदा का प्रभावी प्रभाव, दवाओं और कीमतों तक बेहतर पहुंच के लिए विकासशील देशों को ट्रिप्स एवं लोक स्वास्थ्य पर दोहा घोषणा के अनुसार एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सहायता से ट्रिप्स समझौते द्वारा उपलब्ध कराई गई परिवर्तनीयता का पूर्ण उपयोग करके जेनेरिक दवाओं के उत्पादन को बढ़ाने में सक्षम बनाना चाहिए l |
शिक्षा |
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कार्यशालाओं और संगोष्ठियों का आयोजन, सूचनाओं का आदान-प्रदान और संयुक्त परियोजनाएँ।
आईबीएसए देशों के राजनयिक संस्थानों के बीच सहयोग। |
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी |
तीन देशों में स्वास्थ्य, जैव प्रौद्योगिकी, नैनो विज्ञान और समुद्र विज्ञान जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास संस्थानों के बीच वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग l |
संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के कार्यान्वयन को शुरू करने के लिए तत्काल कार्रवाई। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोगी गतिविधियों के लिए प्रत्येक देश में 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रारम्भिक कोष बनाने का स्वागत किया l
आईसीटी अवसंरचना विकास में आईबीएसए भागीदारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और बढ़ाना l |
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नेताओं ने अंतरिक्ष मौसम, जलवायु और पृथ्वी अवलोकन के क्षेत्रों में उपग्रहों के शुरुआती विकास का फैसला किया। ये उपग्रह जलवायु अध्ययन, कृषि और खाद्य सुरक्षा में आम चुनौतियों के समाधान का प्रयत्न करेंगे। आईबीएस के सूक्ष्म उपग्रहों का लक्ष्य तीन देशों के बीच अंतरिक्ष कार्यक्रमों को बढ़ावा देना और उन्हें मजबूत करना है। |
ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी बैठक में कार्य दल को भारत द्वारा अवगत कराए गए इस निर्णय का स्वागत किया कि भारत बेंगलुरु में आईबीएसए उपग्रह तकनीकी बैठक की मेजबानी करेगा जिसमें निम्नलिखित पर चर्चा की जाएगी - (i) अंतरिक्ष मौसम, पृथ्वी अवलोकन और सूक्ष्म उपग्रह में सहयोग के तौर -तरीके और (ii) आईबीएसए उपग्रह की अवधारणा को कार्यरूप में परिणत करना |
ऊर्जा |
सामान्य हित के ठोस क्षेत्रों पर काम करने के लिए जैव ईंधन पर त्रिपक्षीय टास्क फोर्स बनाने के निर्णय सहित जैव ईंधन पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर।
जैव ईंधन मंच-- बायोइथेनॉल के एक ऊर्जा वस्तु में परिवर्तन सहित सामान्य उद्देश्यों को व्यक्त और समेकित करने के लिए ब्राजील द्वारा की गई पहल । |
नवीकरणीय, जैव ईंधन और बायोमास एवं उन्नत स्वच्छ प्रौद्योगिकियों का विकास और फैलाव ।
ऊर्जा सुरक्षा के उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक जैव ईंधन, सिंथेटिक ईंधन, पवन और सौर ऊर्जा जैसे ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के बढ़ते उपयोग के लिए सहयोग और संयुक्त परियोजनाओं की स्थापना जिससे जीएचजी उत्सर्जन में काफी कमी हो सकती है। |
तीन देशों में ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और नवीकरणीय , वैकल्पिक एवं स्वच्छ ऊर्जा के बड़े हिस्से के लिए ऊर्जा विकल्पों के विविधीकरण की दिशा में काम करने के लिए विविध नीति और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग करना। इसके लिए आईबीएसए द्वारा जैव ईंधन, परमाणु, पनबिजली, पवन और सौर ऊर्जा के क्षेत्रों में ज्ञान और जानकारी को आगे बढ़ाने के लिए नियमित आदान-प्रदान को बढाया जाएगा।
नेताओं ने मानव जाति के समग्र हित के लिए विकसित देशों के साथ संयुक्त रूप से नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए एक ठोस प्रयास की आवश्यकता को स्वीकार् किया।सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने विकसित देशों से बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में नवीन तौर-तरीकों पर विचार करने का आह्वान किया ताकि इस तरह की प्रौद्योगिकियों तक विकासशील देशों की पहुंच को आसान बनाया जा सके। |
विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं सौर ऊर्जा संबंधी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया गया । |
नेताओं ने यह अभिस्वीकार किया कि प्रत्येक राष्ट्र को अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों और आवश्यकताओं एवं अपने सुसंगत अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के अनुसार अपनी ऊर्जा नीति को परिभाषित करने का अधिकार है तथा यह भी स्वीकार किया कि दुनिया के सभी क्षेत्रों में ऊर्जा और बिजली संसाधनों को बनाए रखने के लिए भविष्य में ऊर्जा स्रोतों के एक विविध पोर्टफोलियो की आवश्यकता होगी।
उन्होंने स्वीकार किया कि नवीकरणीय ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा, देशों के ऊर्जा मिश्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और वैश्विक जलवायु परिवर्तन के जोखिम को कम करने में भी योगदान करती है।
नेता स्थायी और वैकल्पिक ऊर्जा के विकास के क्षेत्र में सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त अनुसंधान और अध्ययन को प्रोत्साहित करने के महत्व के बारे में आश्वस्त रहे । |
इंटरनेट नियमन |
सूचना सोसायटी पर सहयोग के आईबीएसए फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किया गया , जो उनके समाज में डिजिटल विभाजन को कम करने के उद्देश्य से भविष्य के त्रिपक्षीय काम के लिए आधार प्रदान करेगा,डिजिटल समावेश के क्षेत्र में तीन देशों के बीच घनिष्ठ त्रिपक्षीय सहयोग और क्षमता निर्माण को बढ़ाएगा, विकास के लिए आईसीटी और ई-शासन एवं नियमन स्थापित करेगा l |
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लोककेंद्रित, समावेशी और विकासोन्मुखी सूचना सोसाइटी के लिए एक साथ काम करने और वर्ल्ड समिट ऑन इंफॉर्मेशन सोसाइटी (डब्लूएसआईएस) अनुवर्ती तंत्रों तथा सूचना सोसायटी और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) से संबंधित अन्य मंचों और संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करने के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई l
वैश्विक इंटरनेट नियमन व्यवस्था को डब्ल्यूएसआईएस द्वारा तैयार किए गए अनुसार बहुपक्षींय, लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यापक राजनीतिक समागम बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला गया । |
लोककेंद्रित, समावेशी और विकासोन्मुखी सूचना सोसाइटी के लिए एक साथ काम करने और डब्लूएसआईएस अनुवर्ती तंत्रों तथा आईसीटी से संबंधित अन्य मंचों और संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करने के करार के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई l
एक आईबीएसए इंटरनेट गवर्नेंस और डेवलपमेंट ऑब्जर्वेटरी की स्थापना की सिफारिश की गई जिसे वैश्विक इंटरनेट गवर्नेंस के विकास पर निगरानी रखने और विकासशील देशों के परिप्रेक्ष्य में नियमित अपडेट और विश्लेषण प्रदान करने का काम सौंपा जाएगा ।
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गरीबी और भुखमरी के उन्मूलन के लिए आईबीएसए सुविधा कोष |
इस तथ्य पर जोर दिया कि 2004 में स्थापित आईबीएसए सुविधा कोष, दक्षिण-दक्षिण सहयोग की एक अग्रणी और अनूठी पहल है।
उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि प्रारंभिक परियोजनाओं (गिनी-बिसाऊ और हैती) का सफल कार्यान्वयन तथा संसाधनों में वृद्धि दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए व्यवहार्य और कुशल तंत्र के रूप में आईबीएसए ट्रस्ट फंड के समेकन के लिए आवश्यक तत्व हैं।
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इस फंड के उपयोग के लिए अधिक प्रभावी तंत्र का पता लगाया जाए । |
इस बात को दोहराया गया कि दक्षिण के राष्ट्रों की जरूरतों के अनुसार उनके हित में दक्षिण-दक्षिण सहयोग बढ़ाने में उक्त कोष एक अग्रणी और अनूठी पहल है । नेताओं ने आईएसबीए ट्रस्ट फंड के संवितरण के तौर-तरीकों के साथ-साथ परियोजना प्रस्तावों के मानदंड की समीक्षा की और नए कार्यक्रम दिशानिर्देशों पर सहमति व्यक्त की । इस संदर्भ में, नेताओं ने बुस्र्न्दी, केप वर्डे, गिनी- बिसाऊ, हैती, लाओस और फिलिस्तीन में परियोजनाओं पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए उनका स्वागत किया। |
इस बात की सराहना करते हुए कि हैती, फिलिस्तीन, गिनी-बिसाऊ, केप वर्डे, बुरुंडी और कंबोडिया के लोग और प्राधिकरण आईबीएसए सुविधा कोष के तहत चलाई जा रही परियोजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं, उन्होंने भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका द्वारा प्रत्येक वर्ष कम से कम 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान इस कोष को दिए जाने की निरंतर प्रतिबद्धता को दोहराया l |
गरीबी और भूख का उन्मूलन करने के साधन और सार्थक दक्षिण - दक्षिण सहयोग के लिए एक उपयोगी माध्यम के रूप में आईबीएसए फंड के महत्व पर प्रकाश डाला गया ।
नेताओं ने गरीबी और भुखमरी उन्मूलन के लिए आईबीएसए सुविधा (आईबीएसए ट्रस्ट फंड)के तत्वावधान में अनुमोदित और फिलिस्तीन, गिनी-बिसाऊ, सिएरा लियोन, तिमोर लेस्ते, लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, वियतनाम, सूडान और दक्षिण सूडान जैसे देशों में कार्यान्वित की जा रही विभिन्न नई परियोजनाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई l |
लिंग |
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लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने वाले आईबीएसए के समग्र विकास के लिए महिलाओं की भागीदारी और योगदान को मजबूत करने संबंधी महिला मंच की शुरूआत का समर्थन किया गया l |
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया गया कि वे लिंग समानता के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें और बीजिंग प्लेटफ़ॉर्म के कार्यान्वयन पर कार्रवाई एवं 2005 के संयुक्त राष्ट्र महासभा के 23 वें विशेष सत्र के परिणाम को आगे बढ़ाने के लिए ठोस और कार्रवाई-उन्मुख कदमों की पहचान करें ।
महिला विकास और लिंग समानता कार्यक्रमों से संबंधित समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया गया l |
महिलाओं को सशक्त बनाने, आर्थिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी बढ़ाने और उनकी स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के महत्व पर जोर दिया गया । उन्होंने सभी सरकारों को आईबीएसए महिला मंच द्वारा की गई सिफारिशों पर सम्यक ध्यान देने का निर्देश दिया।
संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव 1325 (2000) के पूर्ण कार्यान्वयन और महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के सभी रूपों के उन्मूलन (सीईडीएडब्ल्यू) एवं कार्रवाई के बीजिंग प्लेटफ़ॉर्म के अनुसार उपयुक्त नीतियों तथा कार्यक्रमों के निर्माण और कार्यान्वयन के प्रति पूर्ण समर्थन दोहराया। |
नेताओं ने लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण के काम में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की जवाबदेही को आगे बढ़ाने, समन्वय और बढ़ावा देने के लिए लैंगिक समानता और महिला (संयुक्त राष्ट्र महिला) सशक्तिकरण की संयुक्त राष्ट्र सत्ता की स्थापना का स्वागत किया l
संयुक्त राष्ट्र-महिला बजट को पर्याप्त निधिकरण का आह्वान किया गया जिससे कि वह अपने अधिकार -पत्र के अनुसार तत्काल एवं प्रभावी रूप से योजना बनाने एवं उसे कार्यान्वित करने में सक्षम हो सके l |
अफ्रीकी संघ / अफ्रीका के विकास के लिए एक नई भागीदारी (एनईपीएडी) |
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उन्होंने इस बात पर दृढ़ विश्वास दोहराया कि 'अफ्रीका के विकास के लिए एक नई भागीदारी (एनईपीएडी)' अफ्रीका के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए मूल ढांचा है और अखिल अफ्रीकी संरचनागत निधि में वृद्धि से अफ्रीका के विकास में भी वृद्धि होगी एवं एनईपीएडी में उपवर्णित उद्देश्यों की पूर्ति होगी l |
उन्होंने अफ्रीका के लिए प्रमुख अफ्रीकी संघ (एयू) सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम के रूप में अफ्रीका के विकास के लिए नई भागीदारी के प्रति अपना दृढ़ समर्थन और अफ्रीका में संरचनागत विकास के लिए कार्यक्रम के प्रति निरंतर समर्थन दोहराया। एनईपीएडी के चिह्नित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों, यथा- आईसीटी, ऊर्जा, जल, स्वच्छता और परिवहन में भी सहयोग की बात दोहराई गई l |
नेताओं ने अफ्रीकी संघ (एयू) संरचना में अफ्रीका के विकास के लिए नई भागीदारी (एनईपीएडी)को एकीकृत करने और एनईपीएडी सचिवालय का नाम बदलकर एनईपीएडी योजना और समन्वय एजेंसी(एनपीसीए) करने के अफ्रीकी संघ असेम्बली के 2010 के विनिश्चय का स्वागत किया l
उन्होंने आगे नोट किया कि एनपीसीए के अधिदेश में अब क्षेत्रीय आर्थिक समुदायों(आरईसी) और सदस्य राष्ट्रों के बीच अफ्रीकी यूनियन असेंबली और अफ्रीकी यूनियन एक्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा रेखांकित अफ्रीकी यूनियन के कार्यक्रमों और परियोजनाओं का समन्वय एवं निगरानी शामिल है।
यह स्वीकार किया गया कि आगे एनईपीएडी का एकीकरण और एनपीसीए के संवर्धित अधिदेश से अफ्रीका के संरचनागत विकास एवं अन्य विकास के अधिक समग्र और समन्वित दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा जिससे आईसीटी, ऊर्जा, जल, स्वच्छता और परिवहन जैसे क्षेत्रों में एनईपीएडी की चिह्नित प्राथमिकताओं को लाभ होगा l |
नेताओं ने इस तथ्य का स्वागत किया कि अफ्रीकी यूनियन की संरचना में एनईपीएडी एजेंसी के पूर्ण एकीकरण का कार्य पूरा हो गया है,और अफ्रीका के सबसे महत्वपूर्ण भागीदार उन्हें कार्यक्रम संबंधी समर्थन दे रहे हैं तथा अपनी परियोजनाओं को एनईपीएडी के सिद्धांतों और नीतियों के अनुरूप रख रहे हैं l
उन्होंने मई 2011 में अदीस अबाबा में दूसरे भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन के सफल समापन का स्वागत किया।
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Source: Compiled by the author from the five IBSA Heads of the State Summit Declarations available @ http://www.ibsa-trilateral.org/about-ibsa/ibsa-summits
चुनौतियां
अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि आईबीएसए त्रिपक्षीय फोरम के सामने मुख्य चुनौती समान समूहों, यथा ब्रिक्स के उद्भव के मद्देनजर अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना हैl इस चुनौती का सामना करने और इस प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए, सदस्य राष्ट्रों को निम्नलिखित सुनिश्चित करना चाहिए :
1.राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के साथ एवं मंत्री-स्तरीय बैठकों में नियमितता सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य किया जाए । इस तरह की नियमितता अन्य समूहों की तुलना में इस मंच की भिन्नता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. अन्य समूहों के साथ जुड़ाव जारी रखते हुए, आईबीएसए के सदस्य-राष्ट्रों को वैश्विक महत्व के मुद्दों, विशेष रूप से वैश्विक नियमन सुधार, सुरक्षा और विकास सहयोग जैसे मुद्दों पर समन्वय करके त्रिपक्षीय मंच को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए।
3. फोरम के अधिदेश, यथा-अपनी प्रतिबद्धता बढ़ाकर दक्षिण-दक्षिण सहयोग प्राप्त करने,विभिन्न शिखर सम्मेलनों के प्रति प्रतिबद्धता के कार्यान्वयन में तेजी लाने और मर्कोसुर-एसएसीयू-भारत त्रिपक्षीय एफटीए जैसे इसकी कई उपलब्धियों के प्रति सामूहिक रूप से कार्य किया जाए l
4. ब्रिक्स,जी20 जैसे अन्य समूहों के साथ, जिसके वे सदस्य हैं,एक संयुक्त लॉबी समूह के रूप में कार्य किया जाए l
निष्कर्ष
इस तथ्य के बावजूद कि आईबीएसए शिखर सम्मेलन एक दौर में छह साल से अधिक समय तक आयोजित नहीं किया गया है, आईबीएसए त्रिपक्षीय फोरम को अप्रचलित नहीं माना जा सकता है। प्रतिबद्धताओं और इसके कार्यान्वयन दोनों क्षेत्र में प्रगति हुई है। विकासशील और कम विकासशील दोनों देशों में आईबीएसए फंड के प्रभावी कार्यान्वयन और आईबीएसए फैलोशिप प्रोग्राम के शुभारंभ में प्रगति देखी जा सकती है जो आईबीएसए त्रिपक्षीय फोरम की सफलता दर्शाता है।
जैसा कि स्पष्ट है,आईबीएसए त्रिपक्षीय फोरम के नेताओं ने सामूहिक रूप से वर्षों विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है।आईबीएसए फोरम में तीन देशों का साझा राजनीतिक, आर्थिक और विकास का इतिहास है और उनके पास पूरक शक्तियों और क्षमताओं की एक विस्तृत श्रृंखला है, जिनका उपयोग पारस्परिक हित के लिए प्रभावी ढंग से किए जाने की आवश्यकता है। आईबीएसए फोरम के महत्व और प्रासंगिकता को स्वीकार करते हुए, भारत के विदेश राज्य मंत्री, जनरल (डॉ.) वी. के. सिंह (सेवानिवृत्त), ने 8 वीं मंत्री स्तरीय बैठक में टिप्पणी की, “आईबीएसए फोरम तीन लोकतांत्रिक देशों - एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के बीच परामर्श, समन्वय एवं सहयोग का एक अनूठा मंच है। यद्यपि, भौगोलिक दूरियां तीनों देशों को अलग करती हैं, तथापि सतत विकास, स्वच्छ और स्वस्थ जीवन, बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली, दोहा विकास एजेंडा, निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार पर विश्व के देशों के विचारों में मेल है।”xx
दक्षिण-दक्षिण सहयोग आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आईबीएसए फोरम का एक प्रमुख तत्व है। इस संदर्भ में, आईबीएसए संवाद मंच तीन देशों के बीच त्रिपक्षीय सहयोग के साथ-साथ विकासशील देशों के हितों को बढ़ावा देने के लिए एक अमूल्य रूपरेखा प्रदान करता है और इस प्रकार दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत एवं गहरा बनाने में योगदान देता है। दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए बनाए गए एक मंच के रूप में, प्रत्येक सदस्य को शिखर स्तर की बैठकों के शीघ्र पुनरारंभ की दिशा में काम करना चाहिए और अधिक नियमितता सुनिश्चित करनी चाहिए। 8 वीं मंत्री- स्तरीय बैठक में आईबीएसए की बैठक और 2018 में भारत में राष्ट्रों एवं सरकारों के प्रमुखों के शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए नींव रखी गई है है।आईबीएसए का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि आईबीएसए देश किस प्रकार इस अवसर का पूरा लाभ उठाकर आगे के लक्ष्यों की प्राप्ति में सफलता प्राप्त करते हैंl
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* डॉ. अरुंधती शर्मा, भारतीय वैश्विक कार्य परिषद, नई दिल्ली में शोध अध्येता हैं ।
खंडन: व्यक्त किए गए विचार शोधकर्ता के हैं, परिषद् के नहीं l
संदर्भ
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1 The Minister of International Relations and Cooperation of the Republic of South Africa H.E MsMaiteNkoana-Mashabane, the Minister of State, Ministry of External Affairs of the Republic of India, H.E General (Dr.) V.K. Singh (Retd.) and the Minister of Foreign Affairs of the Federative Republic of Brazil, H.E MrAloysioNunes Ferreira attended the meeting.
i Ministry of Foreign Affairs, Government of Brazil, “Joint Communiqué: India-Brazil-South Africa Dialogue Forum - 8th IBSA Trilateral Ministerial Commission Meeting – 17 October 2017”, Press Release, October 31, 2017, http://www.itamaraty.gov.br/en/press-releases/17636-india-brazil-south-africa-dialogue-forum-8th-ibsa-trilateral-ministerial-commission-meeting-17-october-2017 (accessed on November 20, 2017)
iiOliver Stuenkel (2015), India-Brazi-South Africa Dialogue Forum (IBSA): The Rise of the Global South, Routledge: Oxon, pp. 1-2.
iiiIBSA, “1st IBSA Summit Meeting Joint Declaration”, September 13, 2006, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/1st_summit_declaration.pdf (accessed on November 20, 2017)
ivIBSA, “1st IBSA Summit Meeting Joint Declaration”, September 13, 2006, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/1st_summit_declaration.pdf (accessed on November 20, 2017)
vOliver Stuenkel (2015), India-Brazil-South Africa Dialogue Forum (IBSA): The Rise of the Global South, Routledge: Oxon, pp. 49-50.
vi“(B R I C S): BRAZIL, RUSSIA, INDIA, CHINA & SOUTH AFRICA”, http://brics2016.gov.in/content/innerpage/about-usphp.php accessed on November 3, 2017)
vii IBSA., “India-Brazil-South Africa (IBSA) Dialogue Forum Fifth Summit of Heads of State and Government Tshwane Declaration”, October 18, 2011, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/FINAL_Tshwane_Declaration_18Oct_12h23.pdf (accessed on November 20, 2017); “India to host IBSA Summit 2015 in New Delhi”, Business Standard, July 17, 2014, http://www.business-standard.com/article/current-affairs/india-to-host-ibsa-summit-2015-in-new-delhi-114071700779_1.html (accessed on November 20, 2017); Arun S, (2016), “IBSA meet may see pact to boost trade”, The Hindu, December 13, 2016, http://www.thehindu.com/business/IBSA-meet-may-see-pact-to-boost-trade/article16801373.ece (accessed on November 20, 2017); Sanjay Baru, “The bricks to rebuild IBSA”, The Hindu, April 28, 2015, http://www.thehindu.com/opinion/lead/the-bricks-to-rebuild-ibsa/article7147509.ece (accessed on November 20, 2017)
viiiIBSA, “INDIA-BRAZIL-SOUTH AFRICA DIALOGUE FORUM FOURTH SUMMIT OF HEADS OF STATE/GOVERNMENT BRASÍLIA DECLARATION”, April 15, 2010, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/Final%20Summit%20Declaration%20-%204th%20IBSA%20Summit%202010.pdf (accessed on November 20, 2017)
ix IBSA,, “1st IBSA Summit Meeting Joint Declaration”, September 13, 2006, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/1st_summit_declaration.pdf (accessed on November 20, 2017); IBSA, “IBSA., “India-Brazil-South Africa (IBSA) Dialogue Forum Third Summit of Heads of State and Government”, October 15, 2008 http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/3rd_IBSA_Summit_Declaration_-_New_Delhi_2008.pdf (accessed on November 20, 2017)
xIBSA., “India-Brazil-South Africa (IBSA) Dialogue Forum Fifth Summit of Heads of State and Government Tshwane Declaration”, October 18, 2011, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/FINAL_Tshwane_Declaration_18Oct_12h23.pdf (accessed on November 20, 2017)
xi“IBSA Fund”, http://tcdc2.undp.org/ibsa/ (accessed on November 25, 2017)
xiiIBSA., “India-Brazil-South Africa (IBSA) Dialogue Forum Fifth Summit of Heads of State and Government Tshwane Declaration”, October 18, 2011, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/FINAL_Tshwane_Declaration_18Oct_12h23.pdf (accessed on November 20, 2017)
xiii Government of Brazil, Ministry of Foreign Affairs, “Agreement between the Government of the Republic of India, the Government of the Federative Republic of Brazil and the Government of the Republic of South Africa on the IBSA Fund for the alleviation of poverty and hunger”, Press Release 346, October 17, 2017, http://www.itamaraty.gov.br/en/press-releases/17619-agreement-between-the-government-of-the-republic-of-india-the-government-of-the-federative-republic-of-brazil-and-the-government-of-the-republic-of-south-africa-on-the-ibsa-fund-for-the-alleviation-of-poverty-and-hunger (accessed on November 25, 2017); “India, Brazil, South Africa sign IBSA Trust Fund agreement”, Business Standard, October 18, 2017,
http://www.business-standard.com/article/pti-stories/india-brazil-south-africa-sign-ibsa-trust-fund-agreement-117101800018_1.html(accessed on November 25, 2017)
xiv IBSA, “INDIA-BRAZIL-SOUTH AFRICA DIALOGUE FORUM FOURTH SUMMIT OF HEADS OF STATE/GOVERNMENT BRASÍLIA DECLARATION”, April 15, 2010, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/Final%20Summit%20Declaration%20-%204th%20IBSA%20Summit%202010.pdf (accessed on November 20, 2017) and IBSA., “India-Brazil-South Africa (IBSA) Dialogue Forum Fifth Summit of Heads of State and Government Tshwane Declaration”, October 18, 2011, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/FINAL_Tshwane_Declaration_18Oct_12h23.pdf (accessed on November 20, 2017)
xv IBSA, “1st IBSA Summit Meeting Joint Declaration”, September 13, 2006, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/1st_summit_declaration.pdf (accessed on November 20, 2017) and IBSA., “India-Brazil-South Africa (IBSA) Dialogue Forum Fifth Summit of Heads of State and Government Tshwane Declaration”, October 18, 2011, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/FINAL_Tshwane_Declaration_18Oct_12h23.pdf (accessed on November 20, 2017)
xvi“Fresh lease of life for IBSA”, Business Standard, November 29, 2016, http://www.business-standard.com/article/news-ians/fresh-lease-of-life-for-ibsa-116112900807_1.html (accessed on November 24, 2017)
xviiIBSA, “IBSA., “India-Brazil-South Africa (IBSA) Dialogue Forum Third Summit of Heads of State and Government”, October 15, 2008, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/3rd_IBSA_Summit_Declaration_-_New_Delhi_2008.pdf (accessed on November 20, 2017)
xviiiIBSA, “INDIA-BRAZIL-SOUTH AFRICA DIALOGUE FORUM FOURTH SUMMIT OF HEADS OF STATE/GOVERNMENT BRASÍLIA DECLARATION”, April 15, 2010, http://www.ibsa-trilateral.org/images/stories/documents/declarations/Final%20Summit%20Declaration%20-%204th%20IBSA%20Summit%202010.pdf (accessed on November 20, 2017)
xixOliver Stuenkel (2015), India-Brazi-South Africa Dialogue Forum (IBSA): The Rise of the Global South, Routledge: Oxon; JakkieCilliers (2017), “Life Beyond BRICS?: South Africa’s future foreign policy interests”, Southern Africa Report 9, June, Institute for Security Studies.
xx Government of India, Ministry of External Affairs, “Opening Remarks by Gen. (Dr.) V K Singh (Retd.), Minister of State for External Affairs at 8th IBSA Trilateral Ministerial Commission Meeting, Durban (October 17, 2017)”, October 18, 2017, http://mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/29031/Opening+Remarks+by+Gen+Dr+V+K+Singh+Retd+Minister+of+State+for+External+Affairs+at+8th+IBSA+Trilateral+Ministerial+Commission+Meeting+Durban+October+17+2017(accessed on November 24, 2017)