परिचय: कोविड-19 के वैश्विक प्रसार से कई नए बहस और प्रवचन शुरू हुए हैं और कई राजनीतिक विश्लेषक यूरोपीय संघ (ईयू) के भविष्य के साथ शुरू करते हुए कोविड-19 के बाद की भयानक विश्व व्यवस्था का पूर्वानुमान लगा रहे हैं। कई लोग विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) विवाद के संदर्भ में बहुपक्षवाद के भविष्य को लेकर आशंकित नज़र आ रहे हैं और एक नई विचार-सीमा के आगमन को एक निर्विवादित तत्व के रूप में ग्रहण कर रहे हैं। इन सभी के बीच, इस्लामी जगत के बड़े देशों के विद्वान और संस्थानें कोविड-19 के संबंध में सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाइयों को अपने न्यायशास्त्रों से जोड़कर बताने की प्रक्रिया में हैं। ऐतिहासिक रूप से धर्म और धार्मिक संस्थानों से फतवा मांगना और जारी करवाना दोनों ही अरब राजव्यवस्था का हिस्सा रहे हैं और किसी कार्रवाई की धार्मिकता या अवैधता का निर्णय लेना धर्म गुरुओं के अधिकार में रहा है।
अरब जगत के धर्म गुरु मस्जिदों के बंद होने और उमरा पर पाबंदी लगने को कुरान की व्याख्याओं, उपदेशात्मक शिक्षा और एक सहस्राब्दी से अधिक समय के इस्लामी धर्मविधान और धार्मिक टिप्पणियों की रौशनी में देख रहे हैं। इन न्यायशास्त्रीय प्रथाओं को मानना बीमारी की प्रकृति के कारण अनिवार्य हो गई हैं, जिसमें रोकथाम के पहले उपाय के रूप में सामाजिक दूरी बनाना अनिवार्य होता है, जबकि दिन-प्रतिदिन के अधिकांश इस्लामी अनुष्ठानों में लोगों का इकट्ठा होना शामिल होता है, चाहे वह मस्जिदों में दिन में पांच बार पढ़ा जाने वाला नमाज़ हो या सप्ताह में एक बार पढ़ा जाने वाला जुमा1 का नमाज़ हो या मक्का और मदीना की वार्षिक और अन्य छोटी-मोटी तीर्थयात्राएं2 हो जहाँ कई लाख लोग इकट्ठा होते हैं या रमज़ान के महीने में सामूहिक इफ़्तार हो।
धार्मिक मिथक और कोविड-19
कई मुसलमान लोग अल्लाह के प्रति वफ़ादार न बने रहने की वजह से इस महामारी को ईश्वरीय प्रकोप मानते हैं और रोग के जैविक उत्पत्ति पर यकीन नहीं करते हैं। कुछ लोग कोविड-19 के प्रसार में साजिश भी देखते हैं।
ईरान के बहुत ही जाने-माने धार्मिक गुरु वलीउल्लाह नाकि बूर ने एक टेलीविज़न साक्षात्कार में कहा कि इजराइल अपनी जादुई ताकतों का इस्तेमाल करके ईरान, हमास और हिजबुल्ला को बर्बाद करना चाह रहा है क्योंकि यहूदियों में जादुई और अलौकिक शक्तियां होती हैं।3 ईरान के आध्यात्मिक गुरु, सैय्यद अली खोमैनी ने भी लगभग इसी तरह की प्रतिक्रिया दी जब उन्होंने कहा कि आपको कोविड-19 से हैरान नहीं होना चाहिए, जिन और इंसान दोनों दुशमन होते हैं और इन दोनों के बीच एक आपसी सहयोग होता है।4 इजराइल के स्वास्थ्य मंत्री याकोव का नज़रिया भी ईरानी धर्म गुरुओं के नज़रिए से कुछ अलग नहीं है क्योंकि वे कोविड-19 को समलैंगिकता की एक सज़ा मानते हैं।5 इस्लामी राज्य (आईएस) ने कोरोनावायरस को इश्वर की सेना बताया और उनके लिए कोविड-19 चीन के खिलाफ के दैवी प्रतिशोध है। कई लोगों के लिए, या कम से कम कुछ लोगों के लिए, अरब जगत के कोम शहर में कोविड-19 का आगमन भी शिया विधर्मी व्यवहार और अरब के खिलाफ नीतियाँ बनाने के प्रति इश्वर के प्रकोप का ही स्वरूप है।6 यह जानना बहुत दिलचस्प है कि आईएस ने एक शरिया सलाह जारी की थी जिसके ज़रिए बहुत सारे हदीसों7 को उकसाया गया था और उनके सदस्यों से महामारी ग्रस्त क्षेत्रों में यात्रा न करने को कहा गया था। बेयरुत विश्वविद्यालय, तलहुका रौला से संबंधित एक मानवविज्ञानी ने कहा कि लोगों का महामारी की वैश्विक उत्पत्ति से इनकार करना स्थानीय मिथकों में लोगों के यकीन और लोगों पर अंधविश्वास की जकड़ के कारण है।8 उन्होंने ये भी कहा कि संकट में लोग उन चीजों पर ज्यादा यकीन करते हैं जो भावनात्मक और अलौकिक हैं और न कि तर्कों और कारणों पर।
कोविड-19 संकट और धार्मिक प्राधिकारियों की विविध प्रतिक्रियाएं
मार्च, 2020 की शुरुआत के बाद से कोविड-19 मामलों की संख्या लगातार बढ़ने के बाद, अरब की कई सरकारों ने मस्जिदों को बंद करने और शुक्रवार की धार्मिक सभाओं पर प्रतिबन्ध लगाने का निर्णय लिया ताकि सामाजिक दूरी को लागू किया जा सके। सबसे अधिक तत्व मूलक निर्णय सऊदी सरकार का था कि उसने उमरा को स्थगित कर दिया क्योंकि इस अवसर पर कई लाख लोग इकट्ठा होते हैं और वहां की सरकार ने 5 मार्च से मक्का की महान मस्जिद को बंद करने का फैसला लिया।
हालिया अतीत में ऐसा कम देखने को मिला है और पिछली बार 1798-1801 में मक्का तक पहुँचने के असुरक्षित मार्ग के कारण हज को आंशिक रूप से रोका गया था। पहली बार 930 ईस्वी में मक्का पर शिया कार्माथियन राजवंश के शासन (शासनकाल 923-44) के दौरान राजनीतिक कारणों से हज पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगाया गया था और यह प्रतिबन्ध लगभग एक दशकों तक रहा था।9 968 ईस्वी में यह एक महामारी के कारण दुबारा बंद हो गया था। इसके बीच में, स्थानीय और क्षेत्रीय शासकों के बीच संघर्ष और राजनीतिक दुश्मनी के कारण हज को कई बार आंशिक रूप से स्थगित किया गया था।
सऊदी अरब मुसलमान जगत में एक अद्वितीय स्थान रखता है क्योंकि यह दुनिया की दो सबसे पवित्र मस्जिदों का घर और इस्लाम का जन्मस्थान है। आधुनिक सऊदी राष्ट्र-राज्य का विकास, इस्लाम को राज्य कार्रवाई हेतु वैध करार देने के साथ हुआ है। साथ ही यह राज्य और धर्म इस तरह से संघटित रूप से आपस में जुड़ा हुआ है कि इन्हें एक-दूसरे से अलग करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। संक्षेप में कहा जाए तो, इनमें से किसी भी प्रतिष्ठापनों द्वारा की गई कार्रवाइयों को एक-दूसरे का समर्थन मिलता है।
वर्ल्ड मुस्लिम लीग (डब्ल्यूएमएल) और उलेमा का वरिष्ठ परिषद- सऊदी अरब के दो सबसे प्रमुख धार्मिक संस्थान- मस्जिदों को बंद करने और उमरा को प्रतिबंधित करने के फैसले के प्रति कोई न्यायशास्त्र संबंधी सन्दर्भ दिए बिना उसे तुरंत मंजूरी दे दी। मक्का के महान मस्जिद के एक इमाम, इमाम अब्दुल्ला अल-जुहानी ने शुक्रवार के धर्मोपदेश में कहा कि उमरा को स्थगित करने का सरकार का फैसला इस्लामी शरिया के पूर्ण अनुपालन में किया गया है।10 डब्ल्यूएमएल के महासचिव मोहम्मद अल-इसा ने कहा कि कोविड-19 जैसी महामारी के समय में मस्जिदों को बंद करना एक धार्मिक कर्तव्य है। उन्होंने यह भी कहा कि उमरा को स्थगित करना एक कठिन निर्णय था लेकिन दुनिया भर के मुसलमानों को मामले की गंभीरता को समझना चाहिए।11 सऊदी अरब के धार्मिक मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने भी रमज़ान के महीने13 के दौरान तरावीह की नमाज़12 को स्थगित करने का संकेत दिया। महामारी जारी रहने की प्रत्याशा में, पहले से ही कुछ विचार और राय प्रचलित हैं कि क्या इस साल रमज़ान को आस्थगित किया जा सकता है क्योंकि कोविड-19 से बचने के लिए पानी का नियमित सेवन करना आवश्यक है।
लेकिन मिस्र के पूर्व ग्रैंड मुफ्ती अली गुम्मा ने ऐसी अटकलबाजियों का विरोध किया और कहा कि इसकी प्रत्याशा में न्यायशास्त्र संबंधी कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है।14 यूएई के ग्रैंड मुफ्ती, अली अहमद ने भी इसी तरह की एक राय व्यक्त की, और कहा कि रमज़ान के दौरान रोज़ा न रखने का कोई आधार नहीं बनता है।15 दूसरी ओर, इराक के एक प्रसिद्ध और बहुत ही जाने-माने शिया धर्म गुरु, अयातुल्लाह अली सिस्तानी ने कहा कि यदि रोज़ा न रखने से इस संक्रमण से बचने की संभावना है तो रोज़ा रखने की जरूरत नहीं है।16
सऊदी अरब के बाद, अल-अज़हर विश्वविद्यालय17 इस्लामी शिक्षा का एक अन्य स्थान है और इसे इस्लाम के प्रति अपने न्यायशास्त्र संबंधी योगदान के लिए अत्यधिक मान्यता प्राप्त है। पिछले कई वर्षों में, इसने काफी हद तक अपनी स्वायत्तता खो दी है और यह आलोचना होती रही है कि राज्य धीर-धीरे इसके अधिकारों को दबा रहा है।
अल-अज़हर विश्वविद्यालय के ग्रैंड मुफ्ती और इस्लामी विद्वान परिषद के अध्यक्ष अहमद अल-तैय्यब ने धार्मिक सभाओं को स्थगित करने का अनुरोध किया।18 लेकिन लोग तब तक मस्जिद जाते रहें जब तक कि सरकार ने मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने पर प्रतिबन्ध लगाने का फैसला नहीं लिया और सरकार का यह फैसला, अल-अज़हर मस्जिद के 1200 वर्षों के इतिहास में पहली बार 20 मार्च, 2020 को इसे बंद करने के फैसले के बाद आया था। धार्मिक मुद्दों पर कोई पहल करने में राज्य की ओर से सावधानी बरती जाती है क्योंकि सरकार की पदानुक्रमिक प्राथमिकता के बावजूद यहाँ पर लोगों के धार्मिक जीवन में धर्म गुरुओं का महत्व बहुत अधिक रहा है। धार्मिक मामलों पर फैसला करते समय सरकारें जनता के प्रतिघात को लेकर डरी होती हैं और अपनी कार्रवाइयों के प्रति धार्मिक समर्थन प्राप्त करना उचित समझती हैं।
यूएई में, 5 मार्च, 2020 को इस्लामिक मामलों के सामान्य प्राधिकरण ने सभी इमामों से कहा कि वे शुक्रवार के धर्मोपदेश में लोगों को ‘इलाज से बेहतर रोकथाम है’ के विषय पर उपदेश दें और अपनी नमाज़ में छोटे पद्यों का इस्तेमाल करके नमाज़ पढ़ने के समय में कटाव करें।19 यह गतिविधि लोगों के धार्मिक कार्यक्रमों में इस्लामी प्राधिकारियों के हस्तक्षेप को दर्शाता है।
सऊदी अरब और मिस्र के धार्मिक संस्थानों के विपरीत, जिन्होंने अपनी सरकारों के निर्णयों का समर्थन किया, कुछ ऐसे स्वतंत्र धार्मिक परिषद हैं जो स्वतंत्र इस्लामी गुरुओं के संघ द्वारा संचालित हैं। ये परिषद अपना फैसला सुनाने से पहले कुरान की व्याख्याओं, उपदेशात्मक शिक्षा परम्पराओं की रौशनी में मामले का गहन शोध करते हैं। ऐसी ही एक संस्थान डबलिन में स्थित ‘फतवा और अनुसंधान के लिए यूरोपीय परिषद’ है जहाँ बड़ी संख्या में अरब इस्लामी विद्वान सदस्य हैं।20 संस्था के प्रमुख, हुसैन हलावा ने कहा, “मुझे यकीन नहीं होता कि लोग इसे वैश्विक साजिश का नाम दे रहे हैं और इसे चीन पर ईश्वरीय प्रकोप समझ रहे हैं क्यों सभी को नज़र आ रहा है कि इससे कोई भी बच नहीं पाया है”।21 एक बैठक में इस परिषद ने सामाजिक दूरी के सभी फैसलों का समर्थन किया। एक सदस्य ने कुरान का पद्य बताया जिसमें “अपने हाथों खुद को बर्बाद न करो और खुदखुशी न करो” की सलाह दी गई है।22 परिषद के धर्मशास्त्रज्ञ निकाय ने कहा कि बीमारी और डर के मामले में, आपको मस्जिद जाने से बचना चाहिए और अपने-आप को बचाना चाहिए और दूसरों को भी बचाने का प्रयास करना चाहिए।23
दोहा में स्थित एक गैर-संप्रदायी धार्मिक संस्था, इंटरनेशनल यूनियन ऑफ मुस्लिम स्कालर्स के अध्यक्ष अहमद अल-रायसुनी ने कहा कि कोविड-19 के खतरे के कारण हज और उमरा दोनों को स्थगित करने की अनुमति है और आपको भीड़-भाड़ वाले जगहों से बचना चाहिए।24
पूर्वी अरब जगत के विपरीत जहाँ राज्य और धर्म के बीच का संबंध संघर्ष से चिन्हित है, पश्चिम अफ्रीकी मुस्लिम देशों में धार्मिक मामले सरकारों के नियंत्रण में होती हैं जहाँ धार्मिक मामलों पर लोगों को अपना व्यक्तिगत नज़रिया प्रकट करने की अनुमति नहीं दी जाती है और नीतियों और कार्रवाइयों को वैध करार देने के लिए धार्मिक संस्थानों से समर्थन भी प्राप्त किया जाता है।
मोरक्को की सरकार ने 16 मार्च, 2020 को मस्जिदों को बंद करने से पहले धार्मिक मामलों के मंत्रालय से राय मांगी। रबात के धार्मिक मामलों के मंत्री ने कहा कि राजा मुहम्मद VI का फैसला हर किसी को बचाने के प्रयास पर आधारित है जो इस्लाम का शाश्वत धर्म मत है। मोरक्को के कई लोग चाहते थे कि इमाम साहेब मस्जिदों से ही माइक्रोफोन के ज़रिए नमाज़ पढ़ें ताकि घर बैठे लोग उनका अनुसरण कर सकें लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई।25
अल्जीरिया की सरकार ने भी मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने को प्रतिबंधित करने के लिए धर्मशास्त्रज्ञ समिति से फतवा जारी करने की मांग की। अल्जीरिया के धार्मिक मामलों के मंत्री ने कहा कि महामारी के प्रसार को रोकने के लिए फतवा समिति ने समूह में नमाज़ पढ़ने पर प्रतिबन्ध लगाने का फैसला किया है।26 लेकिन लोगों के धार्मिक भावनाओं को देखते हुए, देश की सभी मस्जिदों में इमामों को रोज़ 30 मिनटों के लिए कुरान पढ़ने के लिए कहा गया था।27
धार्मिक संस्थानों और परिषदों की आवाज़ों के अलावा, इन बहसों के बीच कुछ स्वतंत्र आवाज़ें भी सामने आईं। मिशिगन स्थित इस्लामिक सेंटर के मौफ़िक गिलियानी ने कहा कि जीवन और आत्मा का संरक्षण इस्लाम का एक सिद्धांत है और इसलिए आपको कोविड-19 के खिलाफ सभी निवारक उपाय करने चाहिए।28 पाकिस्तान के एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और इस्लामी विद्वान प्रोफेसर खुर्शीद अहमद ने उन लोगों की निंदा की जिन्होंने कोविड-19 को एक साजिश बताया था और कहा कि इस तरह का नज़रिया रखने वाले धुरंधर अपने धार्मिक प्राधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं।29 इसी तरह, मिस्र के खालिद अल-जुंडी ने कहा कि संकट के समय मस्जिदों को बंद करना क्लब, थिएटर और कैफे बंद करने से कोई अलग नहीं है।30
मस्जिदों को बंद करने और उमरा पर प्रतिबंध लगाने के कुछ आलोचक भी हैं। दक्षिण अफ्रीकी इस्लामी विद्वान परिषद से मॉरिटानिया के शेख अहमद अलकुरी ने शुक्रवार की नमाज़ पर पाबंदी लगाने का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि जब जंग का मैदान हमें नमाज़ पढ़ने से नहीं रोकता है तो आप बीमारी की आशंका से ये जरूरी नमाज़ पढ़ना कैसे छोड़ सकते हैं।31 उन्होंने कहा कि यदि कोई इंसान सेहतमंद है और घर पर बैठा है, तो तब भी उसकी मौत का फ़रमान कभी भी आ सकता है और उसकी मौत हो सकती है।32
धर्म के नाम पर अवज्ञा
मस्जिदों को बंद करने और समूह में नमाज़ न पढ़ने को लेकर अरब के लोगों की ओर से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। ऐसे कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ उठाई थी जहाँ एक कुवैती नागरिक ने कहा कि भले ही उसका मस्जिद कोरोनावायरस से भरा हो पर फिर भी वह मस्जिद में ही नमाज़ पढ़ेगा। एक और कुवैती ने ट्वीट करके कहा कि सरकार ने जो फैसला लिया है वह पूरी तरफ से अल्लाह की मर्जी है और कहा कि इस समय घर पर ही रहकर नमाज़ पढ़ने की जरूरत है।33 एक और अरबी व्यक्ति ने ट्वीट करके कहा कि आत्म-संरक्षण इस्लाम का एक सिद्धांत है और लोगों के जमात पर प्रतिबन्ध लगाना उसी सिद्धांत का पालन करता है। फ़िलिस्तीन के तुल्कर्म शहर में एक दिलचस्प नज़ारा देखने को मिला, जहाँ एक डॉक्टर लोगों से भरे एक मस्जिद में कोरोनावायरस के प्रसार के बारे में शुक्रवार का धर्मोपदेश दे रहा था।34 मिस्र के एक नागरिक ने कहा, “मक्का की पाक मस्जिद को इस तरह वीरान देखना बहुत ही खौफ़नाक है”।35 कई ईरानियों ने कोम और मशहाद शहरों में शिया मस्जिदों को बंद करने के आदेश की अवज्ञा की। शासन विरोधी नारे लगाता हुआ एक भीड़ मस्जिद के परिसर में घुस पड़ा जिसके बाद उन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया था।36 मोरक्को के फेज़ और अन्य शहरों के कई मुसलमामों को सड़कों पर देखा गया जो कथित तौर पर ‘अल्लाह अज़ीम है’ और ‘वहीं हमारी हिफाज़त करेगा’ के नारे लगा रहे थे।37
निष्कर्ष:
मस्जिदों को बंद करने और शुक्रवार की नमाज़ और उमरा को प्रतिबंधित करने पर दो तरह: व्यक्तिगत और संस्थागत के राय सामने आए हैं। अधिकतर धार्मिक संस्थानों और लोगों ने समूह में नमाज़ पढ़ने और उमरा के संबंध में राज्य द्वारा लिए गए फैसलों का समर्थन किया है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इसे एक इस्लामी-विरोधी गतिविधि का नाम दिया है। कुछ लोगों ने सरकारों के समर्थन के लिए उपदेशात्मक शिक्षा के परंपराओं और पारंपरिक धर्मशास्त्रज्ञों के सुझावों का सहारा लिया है जबकि कुछ अन्य लोगों ने इस फैसले को सिर्फ इसलिए मंजूर कर लिया है क्योंकि उनके विचार में राज्य के आदेश का पालन करना शरिया का अनुपालन है। मस्जिदों को बंद करने के शुरुआती दिनों में, लोग सरकार के आदेशों का अनुपालन करना नहीं चाह रहे थे जब तक कि इन आदेशों को धार्मिक प्राधिकारियों का समर्थन नहीं मिला और सरकार ने भी धार्मिक संस्थानों से समर्थन माँगा क्योंकि उन्हें जनता के प्रतिघात का डर था। जो लोग धार्मिक और राज्य संस्थानों के आदेशों की अवज्ञा कर रहे हैं शायद वे अपने समान बोध से कम और अपने अंधविश्वास से ज्यादा काम ले रहे हैं। महामारी से निपटते समय वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाना बाहरी एजेंसियों का काम आसान बनाएगा। आखिरकार, धर्म एक ऐसा अनुशासन होना चाहिए जिसका आधार समान बोध हो।
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*डॉ. फज़ूर रहमान सिद्दीकी, रिसर्च फेलो, विश्व मामलों की भारतीय परिषद।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने।
अंत टिप्पण
[1]Juma is a prayer which is weekly held on Friday in the afternoon which usually takes place in a bigger mosque of the area and people in large number attend.
2The minor pilgrimage is called Umrah which can be performed any time with the same rituals of annual pilgrimage
3Iranian clergy on TV 3 channel says COVID-19 a Jewish conspiracy, Tweeted by Mohammad MajidAhwazi , a Sweden-based Iranian journalist and political activist, March 23, 2020, Accessed https://twitter.com/MohamadAhwaze/status/1242372884905046016 April 12 2020
4Ali Khamenei of Iran on TV 3 says COVID-19 is a conspiracy of both human beings and Jinn Tweeted by Mohammad MajidAhwazi,a Sweden-based Iranian journalist and political activist, March 23, 2020, Accessed https://twitter.com/MohamadAhwaze/status/1242372884905046016 April 12 2020
5COVID-19: Israeli Minister who called virus a punishment for homosexuality tested positive, Business Line, April 8, 2020, Accessed https://bit.ly/2V1xS3o April 14, 2020
6Noor AziemahAzman, ‘Devine retribution’: The Islamic Sate’s COVID-19 Propaganda, The Diplomat, March 24, 2020, Accessedhttps://bit.ly/2VlEN6g April 10, 2020
7Hadith isa collection of saying of Prophet on several social, economic, political and moral issues
8Prayer in the time of Corona: Why Muslims do not believe they are vulnerable to infection, BBC Arabic, March 10, 2020, Accessed https://bbc.in/3b40Sx1 April 13 , 2020
9How Corona affected the Muslims rituals, Aljazeera Arabia, March 3, 2020, Accessed https://bit.ly/3a3XZe4April 12 , 2020
10Friday Prayer between Cancellation and thin attendance,News 24, March 6, 2020, Accessed https://bit.ly/3a8j33r April 13, 2020
11Saudi Leader of Muslim World League: Interfaith partnership during pandemic ‘religious, and moral duty’ Al-Monitor, An English Daily, March 29, 2020m, Accessed https://bit.ly/2RuBoAX April 12 , 2020
12Tarweeh prayer is an additional and long prayer performed at the night in the month of Ramadan
13In the Shadow of Corona: What is the Fate of Taraweeh Prayer, Khaleejonline, An Arabic Portal. April 11, 2020, Accessed https://bit.ly/2JY1ubq April 13, 2020
14Coronavirus: Ramadan Rituals and Norms,BBC Arabic, April 2, 2020 Accessed https://bbc.in/2Vng0io April 12, 20220
15Ramadan during COVID-19: What cleric and health expert say, Gulf News , April 10, 2020 Accessed https://bit.ly/2REKQSq April 16 2020
16Ali Sistani favors skipping of fasting in face of Coronavirus, AshrqalAwsat, An Arabic daily, April 12, 2020, Accessed https://bit.ly/2yepVi4 April 14, 2020
17One of the oldest centers of Islamic learning, jurisprudence and religious teaching established by Fatimid dynasty in 10th century in Cairo
18Mustafa Mahmoud, IS religious Ritual more important than Life, Legal Thought, A Portal Legal Journal Agenda, March 27, 2020, Accessed https://bit.ly/2Vjj27a April 14 2020
19Alyum-alSabe, An Arabic Daily, March 5, 2020, Accessed https://bit.ly/2xbw1zX April 13, 2020
20It is a body founded by Federation of Islamic Organization in Europe in 1997 and it is being headed by world renowned religious scholar Qarzavi
21Sec.-Gen. of European Council for Fatwa : I do not want to listen who say COVID-19 is a global conspiracy, MEMRI, Special Dispatch No. 8657. March 25, 2020, Accessed https://bit.ly/2Vk0vaTApril 16, 2020
22Chapter 2 and chapter 4 of Quran (verses 195 and 29 )
23Based on the resolution of European Council of Fatwa and Research
24How Corona affected the Muslims rituals, Aljazeera Arabic, March 3, 2020, Accessed https://bit.ly/3a3XZe4April12, 2020
25MariemaSoumareCretois, What Coronavirus is Changing for Muslims, The African report , March 17, 2020 Accessed https://bit.ly/34uoUP5 April 11, 2020
26Muslim countries decide to shutdown mosques, France 24 Arabic March 17, 2020, Accessed https://bit.ly/2Vn6WtB April 15, 2020
27Mosques in Algeria to state 30-minute Recitation, Rail-Youm, An Arabic Daily, April 6, 2020, Accessed https://bit.ly/2y6JYze April 5, 2020
28Islamic Jurisprudence in service of society, US Arab Radio, April 8, 2020, Accessed https://bit.ly/2JZqOhm April 14 , 2020
29Coronavirus imposes itself on religious norms, DW Arabic, March 15, 2020, Accessed https://bit.ly/2Rvg0f3 April 12 , 2020
30Tussle in Egypt over continuation of prayer despite warning of COVID-19, CNN Arabic, March 21 , 2020 Accessed https://cnn.it/2xmnk5O April 11, 2020
31Fatwa of Sheikh Alkuri,Truthholics, March 23, 2020 Accessed https://bit.ly/3c6SCwj April 12, 2020
32Fatwa of Sheikh Alkuri,Truthholics, March 23, 2020 Accessed https://bit.ly/3c6SCwj April 12, 2020
33A divided opinions on closure of mosque, Aljazeera, An Arabic daily, March 14, 2020 Accessed https://bit.ly/2xkxt2T April 13, 2020
34A divided opinion on closure of mosque,Aljazeera, An Arabic daily, March 14, 2020 Accessed https://bit.ly/2xkxt2T April 13, 2020
35Friday Prayer between Cancellation and thin attendance News 24, March 6, 2020, Accessed https://bit.ly/3a8j33r April 13, 2020
36John Gambrell, Iran Hardliners Storm 2 Shrines that were closed to stop coronavirus spread,Time , March 17, 2020 Accessed https://bit.ly/3c1u33Q April 11, 2020
37Moroccans think COVID-19 a God infliction,France 24, March 21, 2020, Accessed https://bit.ly/3a3PD6n April 13, 2020