जब पूरी दुनिया कोविड-19 की चुनौती से जूझ रही है, अफ्रीका का ग्रेटर हॉर्न क्षेत्र रेगिस्तानी टिड्डियों के आक्रमण से तबाह हो रहा है। इथियोपिया, सोमालिया, केन्या और जिबूती देश टिड्डियों के कारण सबसे बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। पिछले 70 वर्षों में केन्या पर टिड्डियों का यह सबसे बुरा आक्रमण है जबकि हॉर्न के अन्य देशों के लोगों ने पिछले 25 वर्षों में रेगिस्तानी कीड़े द्वारा इस तरह के घातक आक्रमण का अनुभव कभी नहीं किया था। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, वर्तमान इस क्षेत्र के 19 मिलियन से अधिक लोग उच्च स्तर की खाद्य असुरक्षा की चपेट में हैं और उभरती समस्या से निपटने के लिए तत्काल प्रयासों की आवश्यकता है।1
टिड्डियाँ आमतौर पर दुनिया के अर्ध-शुष्क और शुष्क भागों में पायी जाती हैं, जहाँ सालाना 200 मिमी से कम वर्षा होती है। सूडान से लेकर पाकिस्तान तक फैला क्षेत्र टिड्डियों के पर्याक्रमण के लिए अनुकूल जलवायु परिस्थितियाँ प्रदान करता है।2 इसलिए, यह आश्चर्यजनक नहीं है कि आक्रमण के इस मामले में; टिड्डियाँ न केवल अफ्रीका के हॉर्न तक फैल गईं हैं, बल्कि मध्य पूर्व राज्यों जैसे कि यमन, सऊदी अरब, इराक और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की सरकारों के लिए मुश्किलें भी पैदा कर रही हैं। इन देशों ने पहले ही टिड्डियों के प्रसार को रोकने और उनके कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए नियंत्रण अभियान शुरू कर दिया है। कुछ टिड्डी दल दक्षिणी ईरान और पाकिस्तान में भी मौजूद हैं। वास्तव में, टिड्डियों द्वारा उत्पन्न खतरे की गंभीरता को भांपते हुए, पाकिस्तान ने 20,000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर हवाई छिड़काव जैसी कार्रवाई की थी और फरवरी 2020 की शुरुआत में राष्ट्रीय आपातकाल भी घोषित कर दिया था।3 अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि टिड्डियों को नियंत्रित नहीं किया गया, तो मध्य जून तक इनका पर्याक्रमण हॉर्न से लेकर चाड, नाइजर और ओमान जैसे राज्यों तक फैल सकता है।4 हालांकि, भारत में, पाकिस्तान से राजस्थान के कुछ हिस्सों में टिड्डी दल पहुँच चुका है, पर उनसे होने वाला खतरा अफ्रीका के हॉर्न के जितना गंभीर नहीं है। हालांकि, जून के अंत - जुलाई की शुरुआत में टिड्डी दल की अफ्रीका के हॉर्न से भारत आने की संभावना है।5
अफ्रीका क्षेत्र के ग्रेटर हॉर्न में टिड्डियों के आक्रमण का प्रभाव विशेष रूप से गंभीर रहा है। जनवरी 2020 से, अरबों टिड्डियाँ इस क्षेत्र में उतर आईं हैं और वास्तव में, हॉर्न के कुछ हिस्सों में आसमान ढक लिया है। झींगुर जैसे ये कीड़े घने झुंडों में घूमते हैं और एक वर्ग किलोमीटर में फैले झुंड में लगभग 80 मिलियन टिड्डियाँ होती हैं। इनका झुंड एक वर्ग किलोमीटर से भी कम क्षेत्र से लेकर कई सौ वर्ग किलोमीटर तक का हो सकता है। कई मामलों में, इथियोपिया, केन्या और सोमालिया के ऊपर उड़ते झुंड इतने घने थे कि लोग उनके पार नहीं देख पाते थे।6 इससे भी बड़ी बात ये है कि टिड्डियाँ खाने योग्य सभी चीजें खा सकती हैं और आमतौर पर बड़ी मात्रा में कृषि उपज जैसे कि मक्का, गेहूं और ज्वार खा जाती हैं। इथियोपिया के सरकारी अधिकारियों के अनुसार, उन्हें ‘झाड़ियों में, चरागाहों में, सिंचाई के बागानों में, यहां तक कि जंगलों में भी टिड्डियाँ मिलीं’ और यह कि टिड्डियों ने आधे मिलियन मूल्य का खेत बर्बाद कर दिया था।7 तेजी से फैलते टिड्डियों के कारण पूर्वी अफ्रीकी क्षेत्र के किसान वास्तव में चिंतित हैं। असुरक्षा के साथ-साथ भय का भी माहौल है।8 इन टिड्डियों को नियंत्रित करने का एकमात्र प्रभावी तरीका हवाई कीटनाशक-छिड़काव अभियान शुरू करना है। हालांकि, इसके दुष्प्रभाव हैं और इससे मधुमक्खियों जैसे अन्य उपयोगी कीड़े भी मारे जा सकते हैं जो परागण के लिए आवश्यक होते हैं।9
पर्यावरण अनुकूल कीटनाशक खरीदने के लिए, प्रभावित देशों को जापान, नीदरलैंड और मोरक्को जैसे देशों पर निर्भर होना पड़ेगा। हालांकि, कोविड-19 संकट के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है; कार्गो विमानें अधिक महंगी और अविश्वसनीय हो गई हैं। इसलिए, हॉर्न ऑफ अफ्रीका के देशों के लिए इन दूर-दराज के आपूर्तिकर्ताओं से आवश्यक कीटनाशक की आपूर्ति प्राप्त करना वास्तव में कठिन हो गया है।10 केन्या जैसे राज्य भी टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक मात्रा में धन और उपकरण जुटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। टिड्डियों के प्रसार को रोकने के लिए यह पहले से ही पांच विमानों को तैनात कर चुका है जबकि इथियोपिया ने चार विमान तैनात किए हैं।11 हालाँकि, कीटनाशकों की उपलब्धता में कमी, दुर्गम भौगोलिक अवस्थिति और टिड्डियों का खुद को कीटनाशकों के अनुकूल ढालने की क्षमता के कारण सरकारों द्वारा किए जा रहे प्रयास पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं। नतीजतन, इन देशों की आबादी टिड्डियों के असर को लेकर चिंतित है।
जनवरी 2020 में, कोविड-19 का संकट फैलने से पहले, एफएओ का अनुमान था कि इस तात्कालिक आक्रमण से लड़ने के लिए कम से कम $ 70 मिलियन की आवश्यकता है। हालांकि, यह केवल $ 10 मिलियन प्राप्त करने में सक्षम रहा है।12 यदि टिड्डियों का यही झुंड अनियंत्रित हो जाए, तो संभावना है कि उनकी संख्या जून तक 500 गुना बढ़ जाएगी।13 अफ्रीका क्षेत्र का ग्रेटर हॉर्न पहले ही 2019 के अंत में हुई भारी बारिश और बाढ़ से तबाह हो चुका था। सूडान से लेकर तंजानिया तक के क्षेत्र में लगभग 3 मिलियन लोग गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे।14 दिलचस्प बात यह है कि इसी भारी बारिश का टिड्डियों की परिघटना में बड़ा योगदान रहा क्योंकि इसने टिड्डियों की तेज वृद्धि के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाई।15 इस तरह, इस क्षेत्र को बाढ़ की मार सहनी पड़ी, और उसके बाद टिड्डियों का आक्रमण, जिसने खाद्य सुरक्षा की समस्याओं को बढ़ा दिया है।
इस क्षेत्र के देश जैसे कि सोमालिया, दक्षिण सूडान और यमन राजनीतिक अस्थिरता और गृहयुद्धों के कारण पहले से ही पिछले कुछ वर्षों से गंभीर अकाल का सामना कर रहे हैं। टिड्डियों की वजह से परिस्थिति और खराब होने की संभावना है। यमन में चल रहा गृहयुद्ध टिड्डियों के प्रसार को रोकने के लिए समन्वित प्रयासों में मुश्किलें पैदा कर रहा है और इसलिए, देश अधिक जोखिम में है। इसके अलावा, हालांकि सोमालिया ने इस संकट से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की थी, लेकिन अल-शबाब आतंकवादियों द्वारा नियंत्रित क्षेत्र में नियंत्रण कार्यों को लागू करना बेहद मुश्किल साबित हुआ है। पिछले दशक में, अफ्रीका के ग्रेटर हॉर्न क्षेत्र को 2010-11, 2014, 2015, 2017 और 2019 में लगातार सूखे का सामना करना पड़ा था।16 2019 में, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका और हॉर्न ऑफ अफ्रीका के 14 देशों में 45 मिलियन लोग खाद्य असुरक्षा के अधीन थे।17 जलवायु परिवर्तन और हिंद महासागर द्विध्रुव नामक एक विशिष्ट मौसमी स्थिति इस क्षेत्र में बारम्बार सूखा पड़ने के लिए जिम्मेदार हैं।18 इसके अलावा, अफ्रीका के ग्रेटर हॉर्न क्षेत्र की सरकारें खाद्य सुरक्षा की लगातार बढ़ती समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सफल कार्यक्रम चलाने और कुशल नीतियाँ आरम्भ करने में सक्षम नहीं रही हैं। इसलिए, यह नया संकट, टिड्डियों की समस्या से निपटने में क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों को समन्वित करने के साथ-साथ खाद्य-सुरक्षा संबंधी चिंताओं को संबोधित करने का एक उत्तम अवसर है। टिड्डियों का आक्रमण और कोविड-19 की बढ़ती चुनौती इस परिस्थिति को और भी कठिन बनाएंगी।
कोविड-19 धीरे-धीरे अफ्रीका में फैल रहा है और अब तक, हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र का सूडान (1365 पुष्ट मामले) सबसे बुरी तरह प्रभावित देश बना है। सोमालिया (1054), जिबूती (1210) और इथियोपिया (256) में भी मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है।19 कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए, देशों ने लॉकडाउन, सीमा प्रतिबंध लागू किया है और वैश्विक आवाजाही रुक चुकी है। अफ्रीका पर कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव बहुत गंभीर होने की संभावना है। विश्व बैंक का अनुमान है कि उप-सहारा अफ्रीका पिछले 25 वर्षों की अपनी पहली मंदी का सामना करेगा और आर्थिक विकास दर गिरकर माइनस 5.1 प्रतिशत हो सकता है। कोविड-19 द्वारा उत्पन्न आर्थिक संकट लाखों लोगों को गरीबी की ओर धकेल सकता है और लाखों लोग खाद्य सुरक्षा की समस्या का सामना करेंगे।20 अफ्रीका का ग्रेटर हॉर्न, जो लगातार सूखा, अचानक आई बाढ़ और टिड्डियों के विनाशकारी आक्रमण से पहले से ही तबाह हो चुका है, उसे 2020 में कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सीमित राज्य क्षमता, अर्थव्यवस्था में संकुचन, राजनीतिक अस्थिरता और बटे हुए ध्यान की वजह से शायद इस क्षेत्र को कोविड-19 और टिड्डियों के आक्रमण, दोनों के सबसे बुरे परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
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*डॉ. संकल्प गुर्जर, विश्व मामलों की भारतीय परिषद की शोधकर्ता |
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
2 “Interview with Richard Munang”, United Nations Environment Programme, February 6, 2020 at: https://www.unenvironment.org/news-and-stories/story/locust-swarms-and-climate-change (Accessed May 7, 2020)
3Jenipher Camino Gonzalez, “Pakistan declares national emergency over locust swarms”, Deutsche Welle, February 1, 2020, at: https://www.dw.com/en/pakistan-declares-national-emergency-over-locust-swarms/a-52224762 (Accessed May 11, 2020)
4“Desert Locust situation update”, Food and Agriculture Organization, May 4, 2020, at: http://www.fao.org/ag/locusts/en/info/info/index.html(Accessed May 7, 2020)
5Parthasarathi Biswas, “A new concern: locust worms”, The Indian Express, May 9, 2020, at: https://indianexpress.com/article/explained/explained-locust-agriculture-crops-india-lockdown-6400755/ (Accessed May 10, 2020)
6Martin Kuebler, “East Africa: Why are locusts so destructive?”, Deutsche Welle, January 31, 2020, at: https://www.dw.com/en/east-africa-why-are-locusts-so-destructive/a-52165354 (Accessed May 7, 2020)
7Catherine Byaruhanga, “How do you find a locust invasion amid Coronavirus?”, BBC News, April 25, 2020, at: https://www.bbc.com/news/world-africa-52394888 (Accessed May 11, 2020); “Locust invasion creates food crisis for 1 million Ethiopians”, Al Jazeera, April 13, 2020, at: https://www.aljazeera.com/news/2020/04/locust-invasion-creates-food-crisis-1-million-ethiopians-200413180500972.html (AccessedMay 11, 2020)
9No.2
10Byaruhanga, No. 6
11Kuebler, No. 4
12Feleke, No. 1
13Kuebler, No. 4
14“Why the floods in East Africa so bad?”, BBC News, December 2, 2019, at: https://www.bbc.com/news/world-africa-50628420 (Accessed May 7, 2020)
15No. 2
17Anyadike, No. 11
(Accessed May 7, 2020)
20“AFRONOMICS: The Economic Impact of COVID-19 (Coronavirus) in Africa”, The World Bank, April 13, 2020, at: https://www.worldbank.org/en/news/video/2020/04/13/africas-pulse-the-economic-impact-of-covid-19-coronavirus-in-africa (Accessed May 7, 2020)