3 नवंबर 2019 को बैंकॉक में 16 वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी[1]
वर्ष 2020 भारत-आसियान वस्तु व्यापार समझौते का दसवां वर्ष चिन्हित करता है, जिस पर 13 अगस्त, 2009 को हस्ताक्षर किया गया था और छह साल की बातचीत के बाद 1 जनवरी, 2010 को लागू हुआ था। यह समझौता 8 अक्टूबर, 2003 को बाली, इंडोनेशिया में हस्ताक्षरित भारत-आसियान व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता [सीईसीए] पर आधारित है जिसका उद्देश्य भविष्य के आर्थिक सहयोग के लिए एक रूपरेखा तैयार करना था। वस्तु व्यापार के अलावा, भारत-आसियान सीईसीए में सेवाओं और निवेश का व्यापार शामिल था, जो एक-साथ मिलकर भारत-आसियान मुक्त व्यापार क्षेत्र [एफटीए] का निर्माण करते हैं।[2]
भारत-आसियान व्यापार: लाभ और चुनौतियां
एफटीए पर हस्ताक्षर करने के बाद से आसियान के साथ भारत का कुल व्यापार बढ़ा है, 2018-19 में 96.79 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2025 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक होने का अनुमान है।[3] एफटीए पर हस्ताक्षर करने के बाद, आसियान, विशेष रूप से थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस और लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक में भारत से निर्यात काफी हद तक बढ़ गया। वियतनाम, इसके बाद फिलीपींस, मलेशिया, सिंगापुर, और थाईलैंड से भारत में आयात में भी अधिक वृद्धि हुई। वो क्षेत्र जिनमें निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई- परिधान, वस्त्र, खाद्य उत्पाद, अन्य फसलें, लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद, मत्स्य पालन, खनिज उत्पाद, मशीनरी, पेय पदार्थ और तंबाकू और चमड़े और चमड़े के उत्पाद हैं।[4]
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, पीयूष गोयल 16 वें आसियान आर्थिक मंत्रियों - भारत परामर्श में, जिसमें एफटीए की समीक्षा के लिए एक समझौता हुआ था[5]
जबकि भारत से आसियान को निर्यात 2010 में 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2018-19 में 37.47 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया था, उसी अवधि में इसका आयात 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 59.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।[6] भारत के लिए व्यापार के संतुलन में बढ़ती विषमता ने चिंताएं बढ़ाई हैं, क्योंकि अतीत में, एफटीए से पहले, भारत आसियान के ज्यादातर सदस्य राज्यों [एएमएस] के साथ एक अनुकूल व्यापार संतुलन का आनंद लेता था। दस साल पूरे होने पर, भारत और आसियान एफटीए की समीक्षा कर रहे हैं। भारत के प्रधान मंत्री मोदी ने नवंबर 2019 में बैंकॉक में आसियान शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, भारत के साथ वस्तुओं में एफटीए की समीक्षा करने के आसियान देशों के निर्णय का स्वागत किया ताकि यह अधिक ‘यूजर फ्रेंडली, सरल और व्यापार सुगम’ बन सके। पीएम मोदी के अनुसार, आसियान-भारत एफटीए की समीक्षा के निर्णय से आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे और व्यापार अधिक संतुलित होगा।[7] 29 नवंबर, 2019 को राज्यसभा में प्रस्तुत एक लिखित जवाब में, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, पीयूष गोयल ने कहा कि आसियान-भारत एफटीए की समीक्षा के प्रस्तावित दायरे में “...कार्यान्वयन के मुद्दे, मूल के नियम; सत्यापन प्रक्रिया और खेपों की विमुक्ति; कस्टम प्रक्रिया; वस्तु व्यापार के उदारीकरण के लिए अन्य वार्ताओं को ध्यान में रखना; और व्यापार डेटा साझा करना और उसका आदान-प्रदान करना शामिल हो सकता है”।[8] इससे ऐसे नियमों को हटाने में मदद मिलेगी जो भारतीय उत्पादकों और निर्यातकों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं और इससे भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलने की अपेक्षा भी है जिससे भारत और आसियान के बीच अधिक लाभकारी व्यापार संतुलन बनेगा।
महामारी के समय में भागीदारी का पुनर्मूल्यांकन
नोवेल कोरोनावायरस के प्रकोप से चल रहे संकट का दुनिया भर की अर्थव्यवस्था और आजीविका पर अभूतपूर्व प्रभाव पड़ रहा है, और वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह बाधित हुआ है। इसके अलावा, मौजूदा उत्पादन नेटवर्क का अपरदन करती बढ़ती हुई अंतर्मुखी प्रवृत्तियाँ और अन्योन्याश्रय, आर्थिक सुधार को एक कठिन चुनौती बनाते हैं। भारत-आसियान एफटीए, जिसकी वर्तमान में समीक्षा की जा रही है, को आर्थिक सुधार में मदद के लिए आवश्यक उपायों को अपनाने, साथ ही उन क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने की आवश्यकता है, जिनमें उभरते हुए आर्थिक वातावरण में अपार संभावनाएं नज़र आ रही हैं।
भारत और आसियान के बीच कृषि व्यापार एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है, क्योंकि यह क्षेत्र एफटीए पर हस्ताक्षर करने से पहले भी बढ़ रहा था। भारत और आसियान के बीच कृषि व्यापार प्रवाह 2000 में 19.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2008 में 75.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।[9] आसियान से कृषि उपजों जैसे कि कॉफी, रबर, चाय, काली मिर्च और वनस्पति तेल के आयात का भारत के कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसलिए, भारत आसियान के कृषि उत्पादों पर टैरिफ रियायतें देने में सतर्क रहा है। भारत लगभग चार हजार उत्पादों पर टैरिफ समाप्त करने के बावजूद संवेदनशील और उच्च विकास उद्योगों को संवेदनशील और बहिष्करण सूचियों के तहत शामिल किया गया था; जिनमें से दोनों में कृषि उत्पाद शामिल हैं।[10] आसियान के सदस्य राष्ट्रों ने भी चावल और शक्कर को अपने बहिष्करण या संवेदनशील सूची में रखा है। जनवरी 2020 में, भारत ने इंडोनेशिया के साथ अपना चावल, शक्कर और गोजातीय मांस के निर्यात को बढ़ाने के बदले अधिक मात्रा में उच्चतर गुणवत्ता की पाम ऑइल आयात बढ़ाने का सौदा किया।[11]
इसके अलावा, कोविड-19 के प्रकोप के साथ, थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम और कंबोडिया ने अन्य आसियान देशों को चावल के निर्यात पर अस्थायी अंकुश लगाए हैं। इस तरह की एकतरफा कार्रवाई ने चिंताएं बढ़ा दी हैं और चावल आयात करने वाले आसियान राज्यों को भारत से आयात बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। मई 2020 में, मलेशिया ने भारत से 100,000 टन चावल आयात करने के अनुबंध का रिकॉर्ड दर्ज किया। मलेशिया द्वारा यह खरीद पिछले पांच वर्षों में भारत से आयातित चावल की औसत वार्षिक मात्रा का लगभग दोगुना है।[12] भारत चावल के साथ-साथ अन्य कृषि उत्पादों में दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते, आसियान के साथ प्राथमिक उत्पादों में और ज्यादा व्यापार उदारीकरण भारत के निर्यात में एक बड़ा उछाल लाएगा और द्विपक्षीय व्यापार को अधिक संतुलित बनाएगा। इसके अलावा, चल रहे महामारी संकट में कुछ आसियान देशों में खाद्य क्षेत्र में देखी जा रही कमी को ध्यान में रखते हुए कृषि उत्पाद के आयात में प्रचलित व्यापार बाधाओं पर गंभीर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है।
गहन सहयोग का एक अन्य क्षेत्र सूचना और प्रौद्योगिकी [आईटी] है जो महत्वपूर्ण बना हुआ है और सभी आर्थिक गतिविधियों के भविष्य को आकार दे रहा है, खासकर कोविड-19 के बाद के समय में। चूंकि भारत सॉफ्टवेयर विकास और अन्य आईटी सेवाओं में एक वैश्विक अग्रणी है, इसलिए आसियान क्षेत्र का दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं का शुद्ध आयातक होना अधिक से अधिक सहयोग का अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, 13 नवंबर, 2014 को आसियान-भारत सेवा निवेश एवं व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के साथ, सहयोग की अपार संभावना बढ़ी है।1 जुलाई, 2015 को प्रभाव में आया सेवा और निवेश समझौता भी वित्तीय सेवाओं में पहुंच प्रदान करता है जिसका अभी तक पूर्ण रूप से दोहन नहीं किया गया है। इस क्षेत्र की खोज की जानी चाहिए क्योंकि यह क्षेत्र आसियान-भारत आर्थिक एकीकरण प्रक्रिया में मदद के लिए महत्वपूर्ण होगा। वित्तीय तंत्र का एक मजबूत नेटवर्क स्थापित करने से व्यापार को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि यह व्यापार लेनदेन के लिए सुविधाजनक भुगतान विकल्पों को सक्षम करेगा। इस क्षेत्र में सहयोग लघु और मध्यम उद्यमों के वित्तपोषण की सुविधा प्रदान करता है और व्यवसायों की मदद करेगा तथा बेहतर व्यापार के लिए प्रोत्साहित करेगा।[13]
जारी महामारी के आर्थिक पतन से उबरने के लिए आसियान-भारत की आर्थिक साझेदारी का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है, जो अपार अवसर भी प्रदान करता है। महामारी से पहले भी, बढ़ती संरक्षणवाद और प्रतिकूल राजनीतिक विकास के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला [जीवीसी] तनाव में थी। इसके अलावा, कोविड-19 ने एकल-स्रोत निर्भरता जैसी मौजूदा आपूर्ति श्रृंखलाओं में बड़ी खामियों का खुलासा किया है जिसकी वजह से दुनिया भर में उत्पादन और आपूर्ति थम गई है। इसलिए, महामारी के प्रसार के अनुभव ने एक लचीली और अनुकूलनीय आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाने को मजबूर किया है, भले ही इसकी लागत अधिक होगी।[14] चूंकि भारत जीवीसी में अपनी भागीदारी बढ़ाना चाहता है, अधिक लचीली और बहु-स्तरीय स्रोतन की दिशा में यह कदम भारत के लिए एक अवसर प्रदान करता है।[15] आसियान भारत के लिए एक आदर्श भागीदार होगा क्योंकि विश्व में इसकी जीवीसी भागीदारी सूचकांक उच्चतर है।[16] भारत और आसियान को आगामी आर्थिक एकीकरण को देखते हुए अपनी क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखला [आरवीसी] का निर्माण करना चाहिए क्योंकि स्रोतन के मामले में यह अपनी रणनीति में विविधता लाने की इच्छा रखने वाले बहु-राष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करेगा। वर्तमान में भारत एक आरवीसी के माध्यम से सीधे आसियान के साथ जुड़ा हुआ नहीं है, एआईएफटीए की चल रही समीक्षा में भी व्यापार नियमों और विनियमों के अधिक उदारीकरण पर विचार किया जा रहा है, जो भारतीय और इसके तत्काल दक्षिण पूर्व एशियाई पड़ोसियों के बीच आरवीसी को बढ़ावा देने में मदद करेगा और जिससे उच्चतर व्यापार सृजन की बहुत संभावना है।
निष्कर्ष
कोविड-19 के प्रभाव से आर्थिक सुधार का समय, एक लंबी और एक कठिन चुनौती होगी क्योंकि ज्यादातर देश अधिक से अधिक अंतर्मुखी बने रहेंगे। कोविड-19 के बाद के समय में, संरक्षणवाद के साथ-साथ क्षेत्रवाद बढ़ा है, जहां देशों ने अपनी आपूर्ति और मांग को पूरा करने के लिए अपने पड़ोसियों की ओर देखना शुरू कर दिया है, और जिससे अधिक से अधिक अंतर-क्षेत्रीय व्यापार का अवसर भी पैदा हो रहा है। भारत और आसियान के लिए, उनके एफटीए का दस साल पूरा होने के साथ-साथ यह उस भागीदारी पर काम करने और आगे बढ़ाने का पर्याप्त अनुभव और समझ प्रदान करता है जो पहली बार आर्थिक सहयोग को सुगम बनाने के उद्देश्य से बनाई गई थी। आसियान देश प्रमुख उष्णकटिबंधीय और संक्रामक रोगों के प्रकोप से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने में नए नहीं हैं और अतीत में, गहन लचीलापन दिखाकर इससे उबरने में सक्षम रहे हैं। चूंकि भारत की अर्थव्यवस्था भी महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई है, इसलिए आसियान आर्थिक सुधार प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भागीदार साबित होगा। पिछले एक दशक में आसियान और भारत के बीच आर्थिक साझेदारी के बढ़ते स्तर को देखते हुए, महामारी से उबरने के लिए व्यापार और निवेश के अधिक उदारीकरण के साथ-साथ वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए संपर्कता को मजबूत करने के लिए गहन सहयोग की आवश्यकता होगी।
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* डॉ. तेमजेनमेरेन आओ, विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोधकर्ता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[1] See:// https://www.pmindia.gov.in/en/news_updates/pm-attends-16th-india-asean-summit-in-bangkok/, accessed on July 10, 2020.
[2] “Strengthening ASEAN-India Partnership: Trends and Future Prospects”, EXIM Bank India, January 2018, https://www.eximbankindia.in/Assets/Dynamic/PDF/Publication-Resources/ResearchPapers/88file.pdf, accessed on June 10, 2020.
[3] “India-ASEAN bilateral trade may double by 2025 to $ 300 billion: Study”, Business Standard, November 12, 2019, https://www.business-standard.com/article/economy-policy/india-asean-bilateral-trade-may-double-by-2025-to-300-billion-study-119111200547_1.html, accessed on June 10, 2020
[4] ChandrimaSikdar and Biswajit Nag, “Impact of India-ASEAN Free Trade Agreement: A Cross-Country Analysis using applied general equilibrium modelling”, Asia-Pacific and Training Network on Trade Working Paper Series, No 107, November 2011, https://www.unescap.org/sites/default/files/AWP%20No.%20107.pdf, accessed on June 10, 2020.
[5] See://https://www.aseantoday.com/2019/10/what-is-behind-india-and-aseans-decision-to-review-a-2010-fta-agreement/, accessed on June 19, 2020
[6] Kundan Pandey, “India failed to benefit from free trade agreements with ASEAN: Report”, Down to Earth, November 13, 2019, https://www.downtoearth.org.in/news/economy/india-failed-to-benefit-from-free-trade-agreements-with-asean-report-67740, accessed on June 15, 2020.
[7] Dipanjan Roy Chaudhury, “ASEAN may soon conclude review of FTA with India”, The Economic Times, November 6, 2019, https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/asean-may-soon-conclude-review-of-fta-with-india/articleshow/71932278.cms, accessed on June 10, 2020.
[8] “India-ASEAN FTA review: Further liberalisation of trade on agenda”, Business Standard, November 29, 2019, https://www.business-standard.com/article/pti-stories/india-asean-fta-review-could-include-further-liberalisation-of-trade-in-goods-119112901018_1.html, accessed on June 15, 2020.
[9] Sunitha Raju, “ASEAN-India FTA: Emerging Issues for Trade in Agriculture”, Indian Institute of Foreign Trade, http://agritrade.iift.ac.in/html/Training/ASEAN%20–%20India%20FTA%20%20Emerging%20Issues%20for%20Trade%20in%20Agriculture/Sunita%20Raju%20mam.pdf, accessed on July 10, 2020.
[10] “India’s Agriculture and RCEP”, Asia Trade Centre, July 19, 2017, http://asiantradecentre.org/talkingtrade//indias-agriculture-and-rcep, accessed on July 10, 2020.
[11] “India seeks to push sugar, rice exports to Indonesia”, The Times of India, January 17, 2020, https://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/india-seeks-to-push-sugar-rice-exports-to-indonesia/articleshow/73321551.cms, accessed on June 15, 2020.
[12] Rajendra Jadhav, “Malaysia signs record rice import deal with India: exporters”, Reuters, May 15, 2020, https://in.reuters.com/article/india-malaysia-rice/malaysia-signs-record-rice-import-deal-with-india-exporters-idINKBN22R1BI, accessed on June 15, 2020.
[13] “Strengthening ASEAN-India Partnership: Trends and Future Prospects”, EXIM Bank India, January 2018, https://www.eximbankindia.in/Assets/Dynamic/PDF/Publication-Resources/ResearchPapers/88file.pdf, accessed on June 10, 2020.
[14] Carlos Cordon, “A post-COVID-19 outlook: the future of the supply chain”, IMD, May 2020, https://www.imd.org/research-knowledge/articles/A-post-COVID-19-outlook-The-future-of-the-supply-chain/, accessed on June 15, 2020.
[15] “Making India an Alternative Supply Chain Option for the World-COVID-19 has triggered Global Supply Chain Chaos and an Opportunity for India”, Businesswire, June 16, 2020, https://www.businesswire.com/news/home/20200616005620/en/Making-India-Alternative-Supply-Chain-Option-World, accessed on June 19, 2020.
[16] “Strengthening ASEAN-India Partnership: Trends and Future Prospects”, EXIM Bank India, January 2018, https://www.eximbankindia.in/Assets/Dynamic/PDF/Publication-Resources/ResearchPapers/88file.pdf, accessed on June 10, 2020.