वर्ष 2020 में यूरोपीय संघ (ईयू)-चीन के बीच संबंधों की स्थापना के 45 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस वर्ष के दोनों के लिए महत्वपूर्ण होने की उम्मीद थी क्योंकि कूटनीतिक रूप से चार शिखर सम्मेलनों के आयोजन की योजना बनाई गई थी और ऐसा माना जा रहा था कि सात साल की गहन वार्ता के बाद यूरोपीय संघ और चीन आखिरकार निवेश पर व्यापक समझौते को अंतिम रूप देंगे। 22 जून 2020 को यूरोपीय संघ-चीन शिखर सम्मेलन के बाद जारी एक प्रेस वार्ता में, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कहा, “चीन के साथ जुड़ना और सहयोग करना एक अवसर और आवश्यकता दोनों है। लेकिन, साथ ही, हमें यह भी समझना होगा कि हम समान मूल्यों, राजनीतिक प्रणालियों या बहुपक्षवाद के दृष्टिकोण को साझा नहीं करते हैं। हम स्पष्ट दृष्टि और भरोसेमंद तरीके से जुड़ेंगे, यूरोपीय संघ के हितों की मजबूती से रक्षा करते हुए और अपने मूल्यों पर कायम रहते हुए।”[i] यह कथन दोनों भागीदारों के बीच भविष्य के संबंधों के स्वर को निर्धारित करता है। यह पत्र यूरोपीय संघ-चीन संबंधों की हालिया प्रगति को देखता है और यह विश्लेषण करने की कोशिश करता है कि यूरोपीय संघ का चीन के प्रति व्यापक दृष्टिकोण है या नहीं।
यूरोपीय संघ-चीन संबंध
लंबे समय तक, चीन के प्रति यूरोपीय नीति ‘पारस्परिकता’ के विचार से प्रेरित थी, जहां अपेक्षा इस बात की थी कि जैसे-जैसे चीन की पहुंच यूरोपीय बाजार तक होगी, चीनी बाजार तक यूरोपीय संघ की पहुंच का स्तर भी उसी के समान होगा। इसके अलावा, यूरोपीय संघ को चीन से मानवाधिकारों, कानून के शासन आदि जैसे अंतरराष्ट्रीय उदार मानदंडों को अपनाने की अपेक्षा थी।[ii] 2019 में ‘ईयू-चीन— एक रणनीतिक आउटलुक’ के प्रकाशन के साथ ही एक नए यूरोपीय दृष्टिकोण की शुरुआत हुई, जिसने चीन को ईयू का "रणनीतिक प्रतियोगी" कहा, जो पारस्परिक तौर पर बाजार तक पहुंच प्राप्त करने में विफल रहा है और प्रतियोगिता के समान स्तर को बनाए रखता है।”[iii] यह ध्यान दिलाता है कि चीन "तकनीकी नेतृत्व की खोज में एक आर्थिक प्रतियोगी, और शासन के वैकल्पिक मॉडल को बढ़ावा देने वाला प्रणालीगत प्रतिद्वंद्वी है।"[iv] आर्थिक रूप से, यूरोपीय संघ चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जबकि चीन यूरोपीय संघ का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जहाँ 2019 में दोनों साझेदारों के बीच प्रति दिन 1.5 बिलियन यूरो से अधिक मूल्य का व्यापार हुआ।[v] 2019 में यूरोप में चीनी निवेश लगभग 13.4 बिलियन डॉलर था। फिनलैंड ( 5.3 बिलियन डॉलर), इटली (0.7 बिलियन डॉलर), स्वीडन (1.3 बिलियन डॉलर), जर्मनी (0.7 बिलियन डॉलर) और यूके (3.8 बिलियन डॉलर) जैसे देशों में बड़े निवेश देखे गए।[vi]
साझेदारी के मार्ग की बाधाएं
यूरोपीय संघ-चीन साझेदारी के बीच के कुछ मुख्य मुद्दे निम्नलिखित हैं:
17+1 तंत्र का तात्पर्य 17 यूरोपीय संघ और गैर-यूरोपीय संघ राज्यों[vii] तथा चीन से है। इसे 2012 में चीन तथा मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय देशों (सीईईसी) के बीच परिवहन, बुनियादी ढांचे, व्यापार और निवेश के माध्यम से सहयोग को बढ़ावा देने के लिए गठित किया गया था। इसकी शुरुआत 2012 में वारसॉ में 16+1 प्रधानमंत्रियों की एक बैठक के साथ हुई थी, जिसमें 2019 में ग्रीस भी शामिल हो गया। इस तंत्र में ग्रीस का जुड़ना बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसने सहयोग के क्षेत्रीय आयाम को कमज़ोर कर दिया, जहां 16 यूरोपीय सदस्य पोस्ट-कम्युनिस्ट राज्य हैं। यूरोपीय संघ ने इस तंत्र को संदेह की नज़र से और चीन द्वारा संघ की एकजुटता को कम करने के प्रयास के रूप में देखा है। चीन को लेकर यूरोपीय संघ की रणनीति ने इस बात पर जोर दिया कि "सभी सदस्य राज्यों की ये जिम्मेदारी है कि वे, व्यक्तिगत रूप से तथा 16+1 जैसे उप-क्षेत्रीय सहयोग प्रारूप के भीतर, यूरोपीय संघ के कानून, नियमों और नीतियों की निरंतरता को सुनिश्चित करें।"[viii] यह उन्नति में इन निवेशों के योगदान को स्वीकृति देते हुए पश्चिमी बाल्कन में चीन के व्यापार और निवेश गतिविधियों को उजागर करता है, लेकिन साथ ही यह भी बताता है कि इन निवेशों से सामाजिक-आर्थिक और वित्तीय स्थिरता की उपेक्षा होती है, जिसके परिणामस्वरूप यूरोप ऋणग्रस्त हो सकता है और रणनीतिक परिसंपत्तियों का नियंत्रण यूरोप के हाथ से निकलकर चीन के हाथ में जा सकता है।
महाद्वीप में चीन के बढ़ते कदम तथा यूरोप में अपनी जगह बनाने की चीन की कोशिशों से उपजी चिंताओं के बीच, यूरोपीय संघ बीजिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को लेकर भी आशंकित बना हुआ है। बाल्कन देशों के साथ-साथ इटली, ग्रीस और हंगरी जैसे देशों के इस परियोजना के पक्ष में आ जाने से बीआरआई ने ईयू में मतभेद पैदा कर दिया है। विभिन्न परियोजनाओं के तहत, चीन ने ग्रीस में पिरायस बंदरगाह में 312.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर के लिए बड़ी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया है, जो चीन को पूर्व में एजियन सागर, पश्चिम में आयोनियन सागर और दक्षिण में भूमध्य सागर तक पहुंच प्रदान करता है। चीन-यूरोप सड़क-समुद्र एक्सप्रेस मार्ग सर्बिया से हंगरी तक रेलवे लाइन के माध्यम से पिरायस के बंदरगाह को जोड़ता है। इसी तरह, चीन ने सर्बिया में भारी निवेश किया है, जो अभी तक यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है - इसलिए यूरोपीय संघ के नियमों की कठोर शर्तें यहाँ लागू नहीं होती हैं। बीआरआई को लेकर बहस बढ़ रही है क्योंकि इसे यूरोपीय हितों को नष्ट करने और पर्यावरणीय मानकों, गैर-पारदर्शी वित्तीय नियमों आदि की धज्जियां उड़ाने वाला माना जा रहा है। इन परियोजनाओं के विकास ने संघ में खतरे को बढ़ा दिया है, जहां इस बात को महसूस किया जा रहा है कि महाद्वीप में बढ़ती चीनी उपस्थिति के बाद भी यूरोपीय संघ की नींद देर से खुली। जैसा कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रोन के इस कथन से भी ज़ाहिर होता है कि "यूरोपीय सरलता का युग समाप्त हो चुका है"।[ix]
यूरोपीय संघ ने, अपनी ओर से, 2018 में "कनेक्टिंग यूरोप एंड एशिया- बिल्डिंग ब्लॉक्स फॉर एन ईयू स्ट्रेटेजी" को लेकर अपनी रणनीति जारी की, जिसका उद्देश्य दोनों महाद्वीपों के बीच आर्थिक अवसरों को खोलना और टिकाऊ, पारदर्शी एवं कुशल कनेक्टिविटी का निर्माण करना है। इसने 2019 में जापान के साथ सतत कनेक्टिविटी एवं गुणवत्तापूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर पर एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए, जो कनेक्टिविटी के सभी आयामों- द्विपक्षीय और बहुपक्षीय- को प्रोत्साहित करता है और उन पर काम करता है, जिसमें परिवहन, ऊर्जा, डिजिटल और लोगों से लोगों का जुड़ाव शामिल है।[x]
पिछले कुछ वर्षों में यूरोप में चीनी निवेश में जो वृद्धि हुई है उसके परिणामस्वरूप चीन के बढ़ते प्रभाव और इसको लेकर यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया के बारे में चिंता बढ़ रही है। एनपीआर की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में, विभिन्न चीनी कंपनियों ने स्पेन, इटली, ग्रीस और बेल्जियम सहित यूरोप में लगभग 13 बंदरगाहों में हिस्सेदारी हासिल कर ली है। ये बंदरगाह यूरोप के शिपिंग कंटेनर की 10% क्षमता को पूरा करते हैं।[xi] 2019 में जारी यूरोपीय आयोग की रिपोर्ट 'फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट: कंटीन्यूअस राइज ऑफ फॉरेन ओनरशिप ऑफ़ यूरोपियन कंपनीज इन की सेक्टर्स’ में कहा गया है कि यूरोपीय संघ में निवेश करने वाली 9.5% कंपनियां 2016 में चीन, हांगकांग और मकाओ से बाहर की थीं, जो 2007 के 2.5% से अधिक था।[xii] अपनी रणनीतिक संपत्तियों की रक्षा के लिए, यूरोपीय संघ ने 2019 में विदेशी निवेश की जांच के लिए नए तंत्र पेश किए, जिनका उद्देश्य "संघ में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के संबंध में यूरोप की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था की रक्षा करना था।”[xiii]
कोरोनावायरस महामारी के दौरान, नाटो महासचिव तथा यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त दोनों ने, महामारी के दौरान दाम गिरने की आशंका को देखते हुए सदस्य राज्यों को रणनीतिक परिसंपत्तियों और संवेदनशील प्रौद्योगिकियों की खरीद को लेकर सतर्क रहने की चेतावनी दी थी।[xiv] इसके कारण यूरोपीय आयोग ने 17 जून 2020 को सिंगल मार्केट में विदेशी सब्सिडियों पर एक श्वेत पत्र को स्वीकृति दी। ईयू कंपनियों या बाजार संचालन के अधिग्रहण की सुविधा देने वाली विदेशी सब्सिडी के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच इस श्वेत पत्र को नियामक खाई को भरने वाला माना जा रहा है। इसके तहत, आयोग और सदस्य राज्य गैर-ईयू सरकारों द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी की भूमिका और यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र पर उनके संबंधित प्रभाव का आकलन करने में सक्षम होंगे।[xv] यद्यपि श्वेत पत्र में कहा गया है कि प्रस्तावित उपकरण सभी गैर-ईयू देशों में समान रूप से लागू होंगे और किसी के साथ भेदभाव नहीं करेंगे, फिर भी यहाँ एक स्पष्ट संकेत है कि ये विनियामक उपाय राज्य के स्वामित्व वाली चीनी कंपनियों से बढ़ी निवेश प्रतियोगिता के कारण हैं।
ट्रम्प प्रशासन द्वारा ह्युवेई नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाने की कोशिशों के बीच, यूरोपीय देशों में रिलायनसियोन चाईनीज टेक्नोलॉजी के सुरक्षा निहितार्थों पर बहस होती रही है। चिंता निजता के मुद्दों से लेकर आर्थिक प्रभाव, सुरक्षा और गंभीर संचार नेटवर्क में चीनी आपूर्तिकर्ताओं की उपस्थिति तक है। ह्युवेई के प्रति रुख स्वीकृति से लेकर बढ़ते संशय तक फैला हुआ है- हंगरी जैसे सदस्य राज्यों ने अपने देश में इस नेटवर्क का स्वागत करते हुए कहा है कि उसे सुरक्षा में सेंध के अमेरिकी दावों में दम नहीं नजर आता है।[xvi] दूसरी ओर, जर्मनी में राय बंटी हुई है, जहाँ सभी दलों के कानूनविद अमेरिकी तर्कों का समर्थन करते हैं कि ह्युवेई नेटवर्क पर भरोसा नहीं किया जा सकता है वहीं ऑटोमोबाइल उद्योग को डर है कि नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाने से चीन से व्यापार प्रतिशोध हो सकता है- जो इसका सबसे बड़ा निर्यात बाजार है।[xvii] यूके पर भी अपने 5जी फैसलों को निपटाने का अत्यधिक दबाव है। यूके ने यूएस के साथ रैंक को तोड़ दिया है और अपने 5जी नेटवर्क में ह्युवेई को सीमित भूमिका की अनुमति देने के लिए नीति बनाई है, तथा कंपनी को 5जी बुनियादी ढांचे के गैर-प्रमुख हिस्सों के लिए बोली लगाने की अनुमति दी है।[xviii]
सदस्य राज्यों के बीच दृष्टिकोण के अंतर के बावजूद, यूरोपीय संघ 5जी सुरक्षा जोखिमों के लिए एक आम यूरोपीय दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। मार्च 2019 में, 5जी नेटवर्क की साइबर सुरक्षा पर एक रिपोर्ट में यूरोपीय आयोग ने तीन उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला- “राष्ट्रीय स्तर पर 5जी नेटवर्क को प्रभावित करने वाले जोखिम; समन्वय जोखिम मूल्यांकन; और साइबर सुरक्षा जोखिमों को कम करने के उपायों के सामान्य सेट की पहचान करना।"[xix] इसके बाद सदस्य देशों द्वारा अक्टूबर 2019 में 5जी नेटवर्क सुरक्षा के समन्वित जोखिम मूल्यांकन पर प्रकाशित एक रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट में मुख्य खतरों, कारकों, संवेदनशील परिसंपत्तियों, मुख्य कमजोरियों और 5जी नेटवर्क से जुड़े कई रणनीतिक जोखिमों की पहचान की गई है।[xx] इसने सुरक्षा जोखिमों को कम करने के लिए एक संयुक्त टूलबॉक्स का समर्थन किया। इसके तहत, सदस्य राज्य आपूर्तिकर्ताओं की जोखिम प्रोफ़ाइल का आकलन करने, अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं को मजबूत बनाने, महत्वपूर्ण और संवेदनशील मानी जाने वाली प्रमुख संपत्तियों के बहिष्करण और विक्रेताओं के विविधीकरण को सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बनाने के लिए सहमत हुए। यद्यपि ये सिफारिशें 5जी ह्युवेई नेटवर्क के जोखिमों को कम करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती हैं, फिर भी इस बात की बहुत कम संभावना है कि सदस्य राज्य इन विकल्पों को मानेंगे और चूँकि मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा का है, इसलिए निर्णय लेना राष्ट्रीय सरकारों के हाथ में है न कि यूरोपीय संघ के हाथ में।
महामारी की शुरुआत में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के बीच समन्वय की कमी का चीन ने फायदा उठाया है। जहां ईयू की प्रतिक्रियाएं अपने सदस्य देशों के समर्थन के मामले में लड़खड़ाती हुई दिखाई दीं, वहीं चीन चिकित्सा सहायता और विशेषज्ञता के साथ इटली और चेक गणराज्य जैसे सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की मदद के लिए आगे बढ़ गया। एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में अपनी भूमिका पर चीन के दुष्प्रचार की आलोचना करते हुए, उच्च प्रतिनिधि जोसेफ बोरेल ने उनके कथन का प्रतिरोध करते हुए कहा कि यूरोप ने महामारी की शुरुआत में ही चीनी अधिकारियों द्वारा मांगे गए चिकित्सा उपकरण और अन्य आवश्यक सामग्री भेजी थी। उन्होंने चेतावनी दी कि "... हमें पता होना चाहिए कि एक भू-राजनीतिक घटक मौजूद है जिसमें प्रभाव के लिए संघर्ष और ‘उदारता की राजनीति' शामिल है।"[xxi]
इसी तरह, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने भी यूरोपीय देशों को उपकरण और अन्य संसाधन उपलब्ध कराने के चीनी प्रावधान को "पारस्परिकता का रुख"[xxii] बताते हुए फ़िज़ूल करार दिया था, और कहा था कि यूरोपीय संघ चिकित्सा उपकरणों को पहले ही भेज चुका था जब चीन ने महामारी के शुरूआती चरण में ही इसके लिए कहा था। चीनी दूतावास की वेबसाइट पर एक लेख के प्रकाशन के दौरान फ्रांस और चीन के बीच एक कूटनीतिक विवाद उभर आया था। ‘रेस्टोरिंग डिस्टॉर्टेड फैक्ट्स– ऑब्जरवेशन्स ऑफ़ अ चाइनीज़ डिप्लोमैट पोस्टेड टू पेरिस’ शीर्षक के लेख में कहा गया है कि "पश्चिमी नर्सिंग होम में देखभाल करने वाले कर्मचारियों ने अपनी नौकरी छोड़ दी, और वहां के लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया।"[xxiii] इसके बाद फ्रांसीसी विदेश कार्यालय ने चीनी राजदूत को इस लेख पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त करने के लिए सम्मन जारी किया।
महामारी के बारे में भ्रामक सूचनाओं के प्रसार की ओर इशारा करते हुए, 10 जून 2020 को यूरोपीय संघ ने चीन पर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया तथा यूरोपीय समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश के लिए रूस और चीन दोनों को एक साथ घसीटा। यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष वेरा जोरोवा ने एक बयान में कहा कि "चीन और रूस यूरोपीय संघ, उसके पड़ोस में तथा विश्व स्तर पर लक्षित तौर पर प्रभाव डालने और भ्रामक सूचनाएं फैलाने का अभियान चला रहे थे... हमने यह भी देखा कि हमारे लोकतंत्रों को कमज़ोर दिखाने और संकट के प्रति हमारी प्रतिक्रिया को लेकर बयानबाजी की बाढ़ आ गई है।”[xxiv] महामारी से निबटने और उसके बाद बीजिंग द्वारा फैलाई गयी गलत सूचनाओं के बाद हाल के दिनों में यह ऐसी पहली घटना है जब ईयू ने भ्रामक सूचनाएं फैलाने में चीन का नाम लिया और उसकी कड़ी आलोचना की। अप्रैल 2020 में आई यूरोपियन यूनियन एक्सटर्नल एक्शन (EEAS) की 'कोविड-19 डिसइनफॉर्मेशन- स्पेशल रिपोर्ट' में उल्लेख किया गया था कि "... कुछ हद तक - चीन, व्यापक रूप से यूरोपीय संघ और पड़ोस के सार्वजनिक दर्शकों में षड्यंत्रकारी आख्यानों और भ्रामक सूचनाओं को प्रसारित करना जारी रखे हुए है।"[xxv] यह कहा गया कि "इस बात के प्रमाण हैं कि महामारी के प्रकोप के लिए किसी भी आरोप से ध्यान हटाने तथा घोषणाओं और द्विपक्षीय सहायता के वितरण को प्रचारित करने के लिए आधिकारिक चीनी स्रोतों द्वारा समन्वित रूप से काम किया गया, ... सोशल मीडिया पर चीन के गुप्त अभियानों के भी महत्वपूर्ण सबूत हैं"।[xxvi]
संबंधों का रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन
महामारी शुरू होने के पहले से ही यूरोपीय संघ-चीन के संबंधों की गति बदलने लगी थी, चीन को लेकर यूरोप का रुख बदलने के पीछे कई कारण थे, जैसे कि, राष्ट्रपति शी के हाथों में सत्ता का समेकन, बीआरआई के तहत इसकी आर्थिक नीतियां, तीसरे देशों में रणनीतिक संपत्तियों का अधिग्रहण, और आर्थिक सुधारों का अभाव। यद्यपि यूरोपीय नीति निर्माताओं ने निवेश स्क्रीनिंग और 5जी नेटवर्क द्वारा उत्पन्न जोखिमों को कम करके चीन के प्रति अपनी नीति में सुधार करने की कोशिश की है- फिर भी उसे बहुत कम और बहुत देर से समझा गया। इसके अलावा, यूरोपीय संघ इस बात पर भी विभाजित है कि चीन को लेकर किस नीति का पालन किया जाए।
सदस्य राज्यों में भी मतभेद है, जहाँ हंगरी, इटली और ग्रीस जैसे देश बीआरआई तथा चीन द्वारा किए जा रहे अवसंरचनात्मक विकास एवं निवेश के प्रति उत्साही हैं, वहीं फ्रांस और जर्मनी जैसे देश अधिक सावधान हैं। इसके कारण यूरोपीय संघ के लिए चीन को लेकर किसी व्यापक रुख को अपनाना बहुत मुश्किल हो गया है। उदाहरण के लिए, 2017 में ग्रीस ने संयुक्त राष्ट्र में ईयू के एक बयान पर रोक लगा दी जिसमें जिसने चीन के मानवाधिकार रिकॉर्ड की आलोचना की गई थी जो असंतुष्टों और कार्यकर्ताओं पर चीनी हमले को लेकर था। यह देखा गया कि यह पहली बार था जब यूरोपीय संघ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में बयान देने में विफल रहा था। हांगकांग के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के बारे में, यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि, जोसेप बोरेल ने 29 मई 2020 को कहा कि प्रतिबंध "चीन के साथ हमारी समस्याओं” का समाधान नहीं था। दूसरी ओर, यूरोपीय संसद के सदस्यों ने 20 जून 2020 को इस कानून को "क्षेत्र की आजादी पर व्यापक हमला" बताया और यूरोपीय संघ द्वारा प्रतिबंधों को अपनाने तथा चीनी संपत्तियों को फ्रीज़ करने की मांग की। प्रस्ताव सदस्य राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं है।
ईयू अब चीन के प्रति एक सुसंगत दृष्टिकोण को फिर से तैयार करने के लिए उत्सुक है। बहुपक्षीय मंचों पर अमेरिका के अपनी अंतर्राष्ट्रीय भूमिका से हटने के साथ ही, यूरोपीय संघ के भीतर इस बात का अहसास है कि उसे जलवायु परिवर्तन, डब्ल्यूटीओ, डब्ल्यूएचओ आदि के सुधार जैसे विभिन्न मुद्दों पर चीन के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है। ये दिख रहा है कि महामारी ने यूरोपीय देशों को अपनी साझेदारी के संदर्भ में रणनीतिक विकल्प बनाने के लिए प्रेरित किया है। राष्ट्रपति ट्रम्प और उनकी अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी ने अमेरिका के साथ यूरोप के संबंधों को गंभीर रूप से तनावपूर्ण बना दिया है। यूरोपीय संघ चीन के साथ साझेदारी को लेकर पुनर्संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है, एक स्पष्ट संदेश के साथ कि दुनिया के सबसे बड़े व्यापारिक गुट के रूप में- इसे आसानी से पीछे धकेला नहीं जा सकता है। यह तेजी से स्पष्ट हो रहा है कि यूरोपीय संघ दोनों सहयोगियों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है।
यूरोपीय संघ के लिए एक बड़ी चिंता आज अमेरिका और चीन के बीच शक्ति-संघर्ष में शामिल नहीं होने की है। यद्यपि यूरोपीय संघ के लिए पूरी तरह से तटस्थ रहना मुश्किल है, फिर भी यह महत्वपूर्ण है कि संघ अपनी ताकत और कमजोरियों के आधार पर चीन के प्रति अपनी स्वतंत्र नीति तैयार करे। 5जी नेटवर्क, बीआरआई को लेकर आशंकाएं, भ्रामक सूचनाओं का प्रसार, निवेश संधि से जुड़े मुद्दे और रणनीतिक बुनियादी ढांचे की बढ़ती खरीदारी जैसे मुद्दे भविष्य में यूरोपीय संघ-चीन के बीच बहस का विषय होने वाले हैं। लेकिन यूरोपीय संघ को भविष्य के लिए योजना शुरू करने की आवश्यकता है जहां अमेरिका यूरोपीय सुरक्षा या अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की गारंटी नहीं रह जाएगा और चीन अपनी विशाल सैन्य शक्ति द्वारा सशक्त एक आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा।
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*डॉ. अंकिता दत्ता इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स में रिसर्च फेलो हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
iEU-China Summit: Defending EU interests and values in a complex and vital partnership - Press release by President Michel and President von der Leyen, European Council, 22 June 2020, https://www.consilium.europa.eu/en/press/press-releases/2020/06/22/eu-china-summit-defending-eu-interests-and-values-in-a-complex-and-vital-partnership/, Accessed on 23 June 2020
[ii]Justyna Szczudlik, EU’s China policy is no longer just carrots, East Asia Forum, April 2019, https://www.eastasiaforum.org/2019/05/25/eus-china-policy-is-no-longer-just-carrots/, Accessed on 20 June 2020
iii ‘EU-China – A Strategic Outlook’, European Commission, March 2019, https://ec.europa.eu/commission/sites/beta-political/files/communication-eu-china-a-strategic-outlook.pdf, Accessed on 20 June 2020
iv Ibid.
v EU-China Relations Factsheet, EEAS, https://eeas.europa.eu/topics/external-investment-plan/34728/eu-china-relations-factsheet_en, Accessed on 21 June 2020
vi‘Chinese Investment in Europe and North America Hits 9-Year Low; Signs of Recovery for 2020’, Baker Mckenzie, January 2020, https://www.bakermckenzie.com/en/newsroom/2020/01/chinese-investment-in-europe-na#:~:text=Chinese%20FDI%20in%20Europe%20in,Alibaba's%20%24700%20million%20takeover%20of, Accessed on 20 June 2020
vii Albania, Bosnia and Herzegovina, Bulgaria, Croatia, the Czech Republic, Estonia, Greece, Hungary, Latvia, Lithuania, Macedonia, Montenegro, Poland, Romania, Serbia, Slovakia, and Slovenia
viii ‘EU-China – A Strategic Outlook’, European Commission, March 2019, https://ec.europa.eu/commission/sites/beta-political/files/communication-eu-china-a-strategic-outlook.pdf, Accessed on 20 June 2020
ixReuters, 22 March 2019, https://in.reuters.com/article/us-eu-china/eu-leaders-call-for-end-to-naivety-in-relations-with-china-idINKCN1R31H3, Accessed on 21 June 2020
x‘ The Partnership On Sustainable Connectivity And Quality Infrastructure Between Japan And The European Union’, Ministry of Foreign Affairs, Japan, https://www.mofa.go.jp/files/000521432.pdf, Accessed on 21 June 2020
xiNPR, 9 October 2018, https://www.npr.org/2018/10/09/642587456/chinese-firms-now-hold-stakes-in-over-a-dozen-european-ports, Accessed on 21 June 2020
xii ‘Foreign direct investment report: continuous rise of foreign ownership of European companies in key sectors’, European Commission, 13 March 2019, http://trade.ec.europa.eu/doclib/press/index.cfm?id=1993, Accessed on 21 June 2020
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xivForbes, 18 April 2020, https://www.forbes.com/sites/kenrapoza/2020/04/18/watch-out-for-china-buying-spree-nato-warns/#521a44731758, Accessed on 21 June 2020
xv ‘EU Commission Published White Paper Suggesting New EU Filing Obligations for Companies that have Received non-EU Subsidies’, Insights, Baker Mckenzie, 19 June 2020, https://www.bakermckenzie.com/en/insight/publications/2020/06/european-commission-white-paper-non-eu-subsidies, Accessed on 22 June 2020
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xviiReuters, 22 January 2020, https://www.reuters.com/article/us-europe-usa-huawei-explainer/explainer-as-britain-decides-europe-grapples-with-huawei-conundrum-idUSKBN1ZL1CH, Accessed on 22 June 2020
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xxi Josef Borrell, The Coronavirus pandemic and the new world it is creating, EU External Action, 23 March 2020, https://eeas.europa.eu/headquarters/headquarters-homepage/76379/corona-virus-pandemic-and-new-world-it-creating_en, Accessed on 22 June 2020
xxiiSouth China Morning Post, 18 March 2020, https://www.scmp.com/news/china/politics/article/3075659/coronavirus-germanys-angela-merkel-plays-down-chinas-provision, Accessed on 22 June 2020
xxiiiReuters, 16 April 2020, https://www.reuters.com/article/us-health-coronavirus-france-china/outraged-french-lawmakers-demand-answers-on-fake-chinese-embassy-accusations-idUSKCN21X30C, Accessed on 23 June 2020
xxivThe Guardian, 10 June 2020, https://www.theguardian.com/world/2020/jun/10/eu-says-china-behind-huge-wave-covid-19-disinformation-campaign; Coronavirus: EU strengthens action to tackle disinformation, Press Release, European Commission, 10 June 2020, https://ec.europa.eu/commission/presscorner/detail/en/ip_20_1006, Accessed on 23 June 2020
xxv‘EEAS Special Report Update: Short Assessment of Narratives and Disinformation Around the Coronavirus Pandemic (Updated 2 – 22 April)’, EUvsDisinfo, 24 April 2020,https://euvsdisinfo.eu/eeas-special-report-update-2-22-april/, Accessed on 23 June 2020
xxviIbid.