इस वर्ष पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन [ई.ए.एस.] की स्थापना के पंद्रह वर्ष पूरे हो रहे हैं। 15वीं ईएएस का आयोजन नवंबर 2020 में एक ऐसे समय में किया जाना है, जब दुनिया एक बड़ी महामारी से जूझ रही थी। विगत कुछ वर्षों में ईएएस ने राजनीतिक, आर्थिक एवं सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने हेतु वार्षिक रुप से आयोजित होने वाले नेताओं के शिखर सम्मेलन के माध्यम से एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया है। क्योंकि, ईएएस के सदस्य देश इंडो-पैसिफिक के अंतर्गत आते हैं, जिनका भौगोलिक विस्तार हिंद महासागर एवं प्रशांत महासागर में स्थित कई देशों पर है, यह शोध-पत्र इस विषय पर चर्चा करता है कि इस मंच को भारत द्वारा प्रस्तावित इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव [आई.पी.ओ.आई.] जैसे सहकारी ढांचे के माध्यम से कैसे मजबूत किया जा सकता है।
4 नवंबर, 2019 को आयोजित 14वीं ईएएस में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के नेता[i]
14 दिसंबर 2005 को स्थापित ईएएस की सदस्य राष्ट्रों की संख्या दस आसियान देशों ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, संयुक्त राज्य अमेरिका [यूएस], और रूस के शामिल होने के साथ मूल 16 से 18 हो गई है। ईएएस में शामिल देशों में वैश्विक आबादी का पचास प्रतिशत से अधिक निवास करता है और इनकी कुल जीडीपी के 49.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है जो वैश्विक जीडीपी का लगभग 58 प्रतिशत है।[ii] ऊर्जा एवं पर्यावरण, वित्त, शिक्षा, मानवीय सहायता एवं आपदा राहत [एचएडीआर], महामारी और कनेक्टिविटी जैसे प्राथमिकता के मुद्दों के संदर्भ में चर्चा करने हेतु संवाद स्थापित करने में मदद करने वाले ईएएस का उद्देश्य क्षेत्र में प्रमुख शक्तियों के बीच रणनीतिक संतुलन को बढ़ाना भी है। ईएएस के सदस्य राष्ट्र भौगोलिक रूप से इंडो-पैसिफिक के अंतर्गत आते हैं, जो वर्तमान में गहन भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक संवाद का विषय है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जारी विकास से सुरक्षा संबंधित खतरों में वृद्धि हुई है। इसका विस्तार आतंकवाद से लेकर संसाधनों और क्षेत्रों पर देशों के बीच संघर्ष और अमेरिका तथा चीन के बीच शक्ति की प्रतिद्वंद्विता तक है। भारत-प्रशांत पर चल रही रणनीतिक चर्चा में अमेरिका तथा चीन की प्रतिद्वंद्विता एक महत्वपूर्ण आयाम है। चीन की बढ़ती मुखरता के साथ इस क्षेत्र में अमेरिका की नई रुचि पैदा हुई है, जिसके परिणामस्वरूप इनके बीच गहन रणनीतिक प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है।[iii]
ईएएस के सदस्य राष्ट्रों के बीच, भारत-प्रशांत की अवधारणा जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका तथा आसियान के सदस्य राष्ट्रों के आधिकारिक दस्तावेजों में परिलक्षित होती है। ये देश भारत-प्रशांत में सुरक्षित तथा भयमुक्त समुद्रतटीय स्थान सुनिश्चित करने के समान दृष्टिकोण साझा करते हैं। इन दृष्टिकोणों में जहां भारत-प्रशांत में शांति तथा सुरक्षा के उद्देश्य से अभिरुचि में एकरुपता हैं, वहीं महत्वपूर्ण विविधताएं भी हैं।[iv] ईएएस के अन्य सदस्यों की चीन के संदर्भ में विकसित इंडो-पैसिफिक संरचना पर अलग-अलग राय है और इसे इसके उत्थान को नियंत्रित करने हेतु पश्चिम संचालित माना है। इसमें 2019 में घोषित इंडो-पैसिफिक पर आसियान दृष्टिकोण [एओआईपी], जो क्षेत्रीय एवं उप-क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने हेतु आसियान के नेतृत्व वाले तंत्र पर जोर देता है, ईएएस के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम कर सकता है। एओआईपी का उद्देश्य आम हित के क्षेत्रों में सहभागिता को बढ़ावा देने हेतु सदस्य राष्ट्रों के बीच इंडो-पैसिफिक में एक सहकारी ढांचा स्थापित करने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत स्थापित करना है।
वियतनाम के उप-विदेश मंत्री गुयेन क्वोक डंग की अध्यक्षता में ईएएस के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक 20 जुलाई, 2020 को आयोजित हुई[v]
ईएएस इस क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों तथा अनिश्चितताओं को दूर करने हेतु बातचीत और पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग का एक महत्वपूर्ण मंच है। वर्तमान कोविड-19 महामारी के नतीजों के प्रमुख सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ होंगे। इस चुनौती का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए ईएएस को अपने सदस्य राष्ट्रों के बीच सहयोग हेतु नए रास्ते बनाने की आवश्यकता है। जुलाई 2020 में आयोजित ईएएस के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में, ईएएस के भागीदारों ने क्षेत्रीय संरचना में आसियान की केंद्रीय भूमिका के महत्व की पुष्टि की तथा कोविड-19 के जवाब में सहयोग को बढ़ावा देने हेतु गुट तथा उसके सहयोगियों के आसियान कोविड-19 रिस्पॉन्स फंड की स्थापना तथा चिकित्सा आपूर्ति का एक क्षेत्रीय भंडार जैसे प्रयासों के समन्वय में वियतनाम के आसियान की अध्यक्षता को महत्वपूर्ण माना। आसियान ने सदस्य राष्ट्रों से सूचना एवं अनुभव साझा करने में निकटता से समन्वय करते हुए कोविड-19 टीकों तथा दवा के विकास एवं उत्पादन में सहायता के साथ-साथ निवारक दवाओं को बनाने में क्षमता सुधार करने में मदद करने का आह्वान किया।[vi] इस बात को 9 सितंबर, 2020 को आयोजित 10वीं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान भी दोहराया गया, जिसके दौरान मंत्रियों ने सस्ती, सुरक्षित, प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन, चिकित्सीय एवं निदान तक पहुंच की सुविधा हेतु अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। मंत्रियों ने कोविड-19 महामारी के प्रतिकूल सामाजिक-आर्थिक प्रभावों से निपटने हेतु साझेदारी को बढ़ावा देने पर जोर दिया।[vii]
4 नवंबर, 2019 को 14वीं ईएएस पर भारत-प्रशांत पर विचारों में उभरते हुए मतभेदों के संदर्ब में, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ईएएस एक "...मुक्त, खुले, समावेशी, पारदर्शी, नियम-आधारित, शांतिपूर्ण, समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने का तार्किक मंच, जहां संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता और विशेष रूप से यूएनसीएलओएस के अंतर्राष्ट्रीय कानून का सभी राष्ट्रों पर समान रूप से लागू होने का आश्वासन दिया गया है....।” भारतीय प्रधानमंत्री ने 'इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव' [आई.पी.ओ.आई.] का प्रस्ताव करके सहकारी और सलाहकार ढांचे के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया।[viii] प्रस्तावित आई.पी.ओ.आई. के माध्यम से, भारत समुद्री क्षेत्र को सुरक्षित, भयमुक्त तथा स्थिर बनाने के इच्छुक राष्ट्रों के बीच सहकारी व सहयोगी ढांचा बनाना चाहता है। आई.पी.ओ.आई. में समुद्री सहयोग और सहकारिता के सात मूल पहलुओं को चिन्हित किया गया है। ये हैं: (1) समुद्री सुरक्षा; (2) समुद्री पारिस्थितिकी; (3) समुद्री संसाधन; (4) क्षमता निर्माण एवं संसाधनों का साझाकरण; (5) आपदा जोखिम में कमी एवं प्रबंधन; (6) विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अकादमिक सहयोग; और (7) व्यापार कनेक्टिविटी और समुद्री परिवहन। आई.पी.ओ.आई. के माध्यम से परिकल्पित सहकारी ढांचा एओआईपी के सहयोग के व्यापक क्षेत्रों का पूरक है जिसमें समुद्री सहयोग, कनेक्टिविटी, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 2030, और आर्थिक व सहयोग के अन्य क्षेत्र शामिल हैं। आईपीओआई और एओआईपी के बीच सहक्रियता जिसमें मुक्त व्यापार तथा समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग हेतु साझेदारी पर जोर दिया गया है, सहयोग के दायरे को बढ़ाएगा जो कि महामारी के बाद के आर्थिक सुधारों में महत्वपूर्ण होगा।[ix]
ईएएस में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित आई.पी.ओ.आई. इंगित करता है कि किस प्रकार जुड़ाव का यह रणनीतिक मंच आसियान तथा आसियान के नेतृत्व वाले तंत्र की केंद्रीयता पर ध्यान रखते हुए समावेशी, पारदर्शिता, नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्ता को बढ़ावा देने हेतु साझेदारी बनाने का मंच प्रदान करता है, जो भारत के इंडो-पैसिफिक निर्माण हेतु मूलभूत हैं। ईएएस के सदस्य देशों में से ऑस्ट्रेलिया ने आई.पी.ओ.आई. का स्वागत किया है और इस पहल को बढ़ावा देने हेतु भारत के साथ काम करने में अपनी रुचि दिखाई है।[x] जापान ने भी भारत की आई.पी.ओ.आई. की घोषणा की सराहना की है और पहल के आधार पर मजबुत सहयोग पर चर्चा करने की इच्छा जाहिर की है।[xi] 7 अक्टूबर, 2020 को आयोजित भारत-जापान के विदेश मंत्रियों की 13वीं रणनीतिक वार्ता में, जापानी पक्ष ने आई.पी.ओ.आई. के कनेक्टिविटी स्तंभ में प्रमुख भागीदार बनने पर सहमति व्यक्त की।[xii]
रचनात्मक संवाद के माध्यम से स्थिरता बनाए रखना तथा सहयोग को बढ़ावा देना ईएएस का मूल उद्देश्य है। नेताओं के नेतृत्व का मंच होने के नाते, ईएएस असहमतियों को हल करने तथा चुनौतियों को दूर करने हेतु सहयोग बनाने के लिए उच्च-स्तरीय संवाद का मंच प्रदान करता है। ईएएस के स्थापना की 15वीं वर्षगांठ के अवसर पर, वर्तमान भू-राजनीतिक उथल-पुथल को देखते हुए, इस क्षेत्र में उभरती चुनौतियों के प्रति प्रभावी प्रतिक्रिया के संदर्भ में इस रणनीतिक मंच के निर्माण के विषय पर फिर से विचार तथा मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। भारत द्वारा प्रस्तावित आई.पी.ओ.आई. एक ऐसा ढांचा है जो आसियान के नेतृत्व वाले तंत्र जैसे कि ईएएस के माध्यम से कोविड-19 के बाद क्षेत्र में फिर से विकास करने तथा स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है। भारत का इंडो-पैसिफिक विज़न सहयोग तथा सहभागिता पर आधारित है और आई.पी.ओ.आई. एक खुली वैश्विक पहल होने के नाते क्षेत्रीय तथा उप-क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने हेतु ईएएस जैसे तंत्र पर निर्भर होगा। आई.पी.ओ.आई. के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण - इसके सात स्तंभों में से प्रत्येक पर ध्यान केंद्रित करने के संदर्भ में आगे बढ़ने हेतु एक माध्यम प्रदान कर सकता है।
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*डॉ. टेम्जेनमरेन एओ विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोधकर्ता हैं ।
व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i]See:// https://diligentias.com/14th-east-asia-summit-is-being-held-in-bangkok-diligent-ias/, Accessed on September 17, 2020.
[ii]East Asia Summit, Department of Foreign Affairs and Trade, Australian Government, https://www.dfat.gov.au/international-relations/regional-architecture/eas/Pages/east-asia-summit-eas, Accessed on September 10, 2020.
[iii]Diane K. Mauzy and Brian L. Job, “US Policy in South East Asia: Limited Re-engagement after years of Benign Neglect”, https://www.hks.harvard.edu/fs/pnorris/Acrobat/Burma_Mauzy_Job.pdf, Accessed on September 11, 2020.
[iv]Pradeep Chauhan, Prabir De, Sarabjeet Singh Parmar, and Durairaj Kumarasamy, “Indo-Pacific Cooperation: AOIP and IPOI”, AIC Working Paper, No 3, October 2020, http://aic.ris.org.in/sites/default/files/Publication%20File/AIC%20Working%20Paper%20October%202020.pdf, Accessed on October 14, 2020.
[v]See://https://www.asean2020.vn/xem-chi-tiet1/-/asset_publisher/ynfWm23dDfpd/content/east-asia-summit-senior-officials-meeting-held-online, Accessed on September 17, 2020.
[vi]“East Asia Summit Senior Officials’ Meeting held online”, ASEAN, July 21, 2020, https://www.asean2020.vn/xem-chi-tiet1/-/asset_publisher/ynfWm23dDfpd/content/east-asia-summit-senior-officials-meeting-held-online, Accessed on September 15, 2020.
[vii]“Chairman’s Statement of the 10th East Asia Summit Foreign Ministers’ Meeting”, ASEAN, September 9, 2020, https://asean.org/storage/2020/09/Final-Chairmans-Statement-of-the-10th-East-Asia-Summit-Foreign-Ministers-Meeting.pdf, Accessed on October 15, 2020.
[viii]“Prime Minister’s Speech at the East Asia Summit, 04 November 2019”, Ministry of External Affairs, November 4, 2019, https://www.mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/32171/Prime_Ministers_Speech_at_the_East_Asia_Summit_04_November_2019, Accessed on September 10, 2020.
[ix]Pradeep Chauhan, Prabir De, Sarabjeet Singh Parmar, and Durairaj Kumarasamy, “Indo-Pacific Cooperation: AOIP and IPOI”, AIC Working Paper, No 3, October 2020, http://aic.ris.org.in/sites/default/files/Publication%20File/AIC%20Working%20Paper%20October%202020.pdf, Accessed on October 14, 2020.https://www.mea.gov.in/media-briefings.htm?dtl/32007/Transcript_of_Media_Briefing_by_Secretary_East_during_PMs_visit_to_Thailand_November_04_2019, Accessed on October 23, 2020.
[x]“Transcript of Media Briefing by Secretary (East) during PM’s visit to Thailand (November 04, 2019)”, Ministry of External Affairs, November 5, 2019,
[xi]“Joint Statement: First India-Japan 2+2 Foreign and Defence Ministerial Meeting”, PIB, November 30, 2019, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1594385, Accessed on October 23, 2020.
[xii]“13th India-Japan Foreign Ministers’ Strategic Dialogue”, Ministry of External Affairs, October 7, 2020, https://mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/33100/13th_IndiaJapan_Foreign_Ministers_Strategic_Dialogue, Accessed on October 23, 2020.