परिचय
16 सितंबर, 1963 को मलेशिया फेडरेशन की स्थापना के बाद से लेकर, 2018 में हुए 14वें आम चुनावों तक, बारिसन नैशनल (बीएन) गठबंधन सत्ता में रहा है। इन वर्षों में बीएन का संस्थापक सदस्य यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गनाइजेशन (यूएमएनओ), एक प्रमुख पार्टी बना रहा, जिसमें मलेशिया के सभी प्रधानमंत्री पार्टी से ही जुड़े हुए थे। प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद के नेतृत्व में राजनीतिक प्रभुत्व को और मजबूती मिली।[i] उनके प्रशासन (1981-2003) के दौरान मलेशिया में मजबूत आर्थिक विकास देखा गया, जिसकी वजह से 1970 और 1980 के दशक के दौरान मलेशियाई राजनीति की प्रमुख विशेषता रहें अंतर-जातीय विवादों को कम करने में मदद मिली। इससे बहुल समाज में राजनीतिक स्थिरता हेतु मजबूत भौतिक आधार मिला।[ii] बीएन गठबंधन के तहत, अन्य गैर-मलय दलों - सत्तारूढ़ बीएन गठबंधन का हिस्सा - के साथ घनिष्ठ सहयोग ने राजनीतिक खामियों को दूर करने में मदद की, जिसका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।[iii]20वीं और 21वीं सदी के अंत में, 1990 के दशक के अंत में आए एशियाई वित्तीय संकट और 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से मलेशिया का विकास दर प्रभावित हुआ, जो तब से संकट से पहले के स्तर दर्ज नहीं पहुंच सका है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी ने इसके निर्यात-आधारित विकास और निवेश को प्रभावित किया है। इसकी वजह से आए आर्थिक मंदी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव का प्रबंधन, और फरवरी 2020 से आई राजनीतिक अस्थिरता ने कड़े कोविड-19 लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर वापस लाने को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
एक नए राजनीतिक विकल्प से फैली अशांति
मई 2018 में घोषित मलेशिया के 14वें आम चुनाव का परिणाम आश्चर्यजनक रहा था, क्योंकि यूएमएनओ के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ बीएन गठबंधन को मलेशिया की आजादी के बाद पहली बार हार का सामना करना पड़ा। इन चुनावों में डॉ. महाथिर मोहम्मद अपने गठबंधन पाकटन हरपन (पीएच) - 2013 के आम चुनावों के बाद गठित - की जीत के बाद 7वें प्रधानमंत्री बने, जिसमें पीपुल्स जस्टिस पार्टी (पीकेआर) मल्टी-रेकियल डेमोक्रेटिक एक्शन पार्टी (डीएपी), प्रोग्रेसिव इस्लामिक नेशनल ट्रस्ट पार्टी (एएमएएनएएच), और रैशली एक्सक्लूसिव मलेशियाई यूनाइटेड इंडिजिनस पार्टी (पीपीबीएम या बीईआरएसएटीयू) जैसे कई वामपंथी और वामपंथी दल भी शामिल थे।[iv]24 फरवरी, 2020 को, महाथिर ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उनके साथ उनकी पार्टी पीपीबीएम और पीकेआर ने पीएच गठबंधन से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे संसद में उनका बहुमत कम हो गया। इसकी वजह से फरवरी 2020 में पेरिकाटन नैशनल (पीएन) का गठन किया गया, जो पीपीबीएम, मलेशियन इस्लामिक पार्टी, होमलैंड सॉलिडैरिटी पार्टी, सबा प्रोग्रेसिव पार्टी और पार्टी गेराकन राक्यत मलेशिया का गठबंधन था। इसके अध्यक्ष मुहिद्दीन यासीन को मलेशिया का 8वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। हालांकि, संसद में उसके पास बहुमत नहीं था, लेकिन उन्हें यूएमएनओ से बाहरी समर्थन प्राप्त था।[v]
मुहिद्दीन यासीन का कार्यकाल शुरू से ही अस्थिर रहा क्योंकि संसद में सत्ताधारी गठबंधन के पास बहुमत बहुत कमजोर था। इसकी वजह से अक्सर उनकी वैधता पर सवाल उठते रहें। इसके अलावा, देश भर में आए जन-स्वास्थ्य और उसके बाद के आर्थिक संकट पर गहरे प्रभाव के साथ कोविड-19 महामारी की शुरुआत ने देश को एक संवैधानिक संकट की ओर ढकेल दिया। 8 जुलाई, 2021 को, यूएमएनओ के अध्यक्ष अहमद जाहिद हमीदी ने सरकार द्वारा महामारी से निपटने को लेकर देश में बढ़ते गुस्से को दर्शाते हुए कहा कि पार्टी अपना समर्थन वापस ले लेगी और उन्होंने अंतरिम प्रधानमंत्री की नियुक्ति का आह्वान किया।[vi] विपक्ष के बढ़ते दबाव के हफ्तों बाद और ग्यारह यूएमएनओ सांसदों ने 3 अगस्त 2021 को सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे प्रधानमंत्री यासीन को अठारह महीने के अपने कार्यालय के पश्चात पद छोड़ना पड़ा, क्योंकि इससे सत्तारूढ़ पीएन गठबंधन ने अपना बहुमत खो दिया था। 16 अगस्त, 2021 को, प्रधानमंत्री मुहीदीन यासीन ने मलेशिया के राजा, सुल्तान अब्दुल्ला अहमद शाह को अपना इस्तीफा सौंप दिया। [vii]नीचे दिया गया पाई आरेख ग्यारह यूएमएनओ सांसदों के समर्थन को वापस लेने के बाद मलेशियाई संसद की संरचना को दर्शाता है। मुहिद्दीन यासीन के नेतृत्व में सत्तारूढ़ पीएन गठबंधन के पास 100 सीटें थीं जो 111 की बहुमत संख्या से काफी कम थीं। निम्नलिखित बार आरेख मलेशियाई संसद की पार्टी-वार संख्या को दर्शाते हैं।
चित्र 1: मलेशियाई संसद की संरचना
स्रोत: द स्ट्रेट्स टाइम्स, देखें:// https://www.straitstimes.com/asia/se-asia/malaysias-muhyiddin-to-stay-on-as-caretaker-pm-after-king-accepts-resignation
लगभग एक सप्ताह की राजनीतिक अराजकता के बाद, 21 अगस्त, 2021 को, यूएमएनओ के उपाध्यक्ष श्री इस्माइल साबरी याकूब ने मलेशिया के नौवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। इस्माइल साबरी याकूब को संसद में 114 सांसदों का समर्थन प्राप्त है और वह मुहिद्दीन यासीन की तरह पीएन गठबंधन का नेतृत्व करेंगे, इसलिए उनका प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करना देश की आजादी के बाद पहली बार आम चुनाव हारने के तीन साल बाद यूएमएनओ पार्टी की सत्ता में वापसी का प्रतीक भी है। इस्माइल साबरी याकूब के नेतृत्व वाली नई सरकार को मलेशिया को वर्तमान कोविड-19 संकट से उबारने पर ध्यान देना होगा, जिससे इसकी आर्थिक मंदी बढ़ रही है।[viii]
अर्थव्यवस्था का सिंहावलोकन: राजनीतिक अस्थिरता के संदर्भ में
मलेशिया में इसकी आजादी के बाद से ही मजबूत आर्थिक विकास देखने को मिला है, जिसकी मुख्य वजह विनिर्माण, तेल व गैस, और वृक्षारोपण कृषि में निर्यात-आधारित विकास में विविधीकरण था। दूसरी मलेशिया योजना, 1971-1975 में घोषित नई आर्थिक नीति (एनईपी) का मूल उद्देश्य राजनीतिक रूप से मलेशिया को शक्तिशाली बनाने और आर्थिक रूप से बेहतर होते चीन के बीच उभरे असंतोष के मद्देनजर राष्ट्रीय एकता हासिल करना था। नई आर्थिक नीति का पहला उद्देश्य था, आय के स्तर को बढ़ाकर और नस्ल को अनदेखा करते हुए सभी मलेशियाई लोगों के लिए रोजगार को बढ़ाकर गरीबी को मिटाना। इसका दूसरा उद्देश्य, विशिष्ट आर्थिक गतिविधियों के साथ नस्ल की पहचान को कम करने में मदद करना था, जिसके कारण मलेशियाई समाज में वर्ग स्तरीकरण देखने को मिला था। नई आर्थिक नीति का तीसरा उद्देश्य, गरीबों की भूमि, भौतिक पूंजी, प्रशिक्षण और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं तक पहुंच को इस उम्मीद से बढ़ाना था कि इससे उनके उत्पादन के कारकों की मात्रा और गुणवत्ता में वृद्धि से उनकी गरीबी में कमी आएगी। गरीबी दर के संदर्भ में नई आर्थिक नीति के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की आय में उल्लेखनीय गिरावट आई।[ix] इसके अलावा, इसनसे अंतर-जातीय संघर्षों और विवादों को कम करने में भी मदद मिली, जो 1970 और 1980 के दशक के दौरान मलेशियाई राजनीति की मुख्य विशेषता थी और इससे एक बहुल समाज में राजनीतिक स्थिरता हेतु एक मजबूत भौतिक आधार मिला।[x]
चित्र 2: मलेशिया की जीडीपी वृद्धि (वार्षिक, प्रतिशत में ), 1961-2020
स्रोत: विश्व बैंक, देखें :https://data.worldbank.org/indicator/NY.GDP.MKTP.KD.ZG?locations=MY
मलेशिया के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि पर दिया गया उक्त बार आरेख इंगित करता है कि पिछले साठ वर्षों में मलेशिया का आर्थिक विकास ऊपर की ओर रहा है। मलेशिया उन बारह निम्न आय वाले देशों में से एक था जिसमें युद्ध के बाद की अवधि में औसतन सात प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई थी, जिसकी वजह से यह सामाजिक और आर्थिक संकेतकों के साथ विकासशील देशों में सबसे आगे रहा। जैसा कि चित्र 2 में दर्शाया गया है, स्वतंत्रता के बाद से मलेशिया के सकल घरेलू उत्पाद में तीव्र संकुचन देखने को मिला है; इसकी वजह अर्थव्यवस्था पर कई वैश्विक आर्थिक संकटों का आना है। इनमें शामिल प्रमुख वैश्विक आर्थिक संकटों में 1970 के दशक के मध्य में तेल-सह-वित्तीय संकट; 1980 के दशक के मध्य में भुगतान-सह-वित्तीय संकट का राजकोषीय संतुलन; और 1997 में एशियाई वित्तीय संकट के परिणामस्वरूप 1998 में इसके सकल घरेलू उत्पाद का तीव्र संकुचन -7.3 प्रतिशत होना है। 21वीं सदी में, वैश्विक वित्तीय संकट और 2008 में आर्थिक संकट ने एक बार फिर मलेशियाई अर्थव्यवस्था को मंदी में ढकेल दिया। हालांकि, एशियाई वित्तीय संकट की तुलना में वैश्विक वित्तीय संकट का प्रभाव मलेशिया की अर्थव्यवस्थाओं पर कम था, लेकिन इससे इसकी बाहरी मांग में गिरावट आई और चूंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी भी पूरी तरह से उबरी नहीं है; इसलिए इसकी जीडीपी विकास दर मध्यम बनी हुई है।[xi]
कोविड-19 महामारी की शुरुआत के साथ-साथ 2020 की शुरुआत से राजनीतिक अस्थिरता ने मलेशिया के सकल घरेलू उत्पाद में संकुचन को तेज किया है, जिसमें 2020 में 5.5 प्रतिशत तक की कमी आई है। महामारी के आर्थिक प्रभाव के साथ-साथ अस्थिर राजनीतिक माहौल से देश पर दबाव पड़ रहा है, जो 1957 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से ही एक बड़े संकट से जूझ रहा है। महामारी से निपटने के लिए महीनों से किए गए लॉकडाउन के कारण जनता का गुस्सा बढ़ा जिसकी वजह व्यवसायों और घरों पर पड़ा प्रभाव और मुहीद्दीन यासीन सरकार से समर्थन वापस लेना था। हालांकि, मलेशिया में कोविड-19 की स्थिति अभी भी सबसे बड़ी चुनौती है, इस्माइल साबरी याकूब के नेतृत्व वाली नई सरकार को ऐसा माहौल बनाना होगा जिसमें आर्थिक सुधार और विकास को बढ़ावा मिल सके। मलेशिया में विकास और स्थिरता भारत के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी द्विपक्षीय संबंधों का मुख्य आधार बनकर उभरी है।
चित्र 3 : मलेशिया के साथ भारत का व्यापार (मिलियन अमेरिकी डॉलर में)
स्रोत: वाणिज्य विभाग, भारत
चित्र 3 में दिया गया बार आरेख भारत-मलेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार को दर्शाता है। 2009 में भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते और 2011 में भारत-मलेशिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) पर हस्ताक्षर के बाद से भारत-मलेशिया के बीच व्यापार में वृद्धि हुई है। मलेशिया द्विपक्षीय व्यापार के साथ आसियान[xii] के भीतर भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 2018 में 17.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया। हालांकि, भारत में 2020 में 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार घाटे के साथ मलेशिया के साथ व्यापार का प्रतिकूल संतुलन देखने को मिल रहा है, लेकिन, माल तथा सेवाओं में इसका निर्यात बढ़ रहा है। भारत और मलेशिया के बीच कृषि व्यापार एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर फिर से गौर करने की जरूरत है, जो तेजी से बढ़ रहा है। मई 2020 में, मलेशिया ने भारत से रिकॉर्ड 100,000 टन चावल आयात करने का अनुबंध किया था। मलेशिया द्वारा यह खरीद विगत पांच वर्षों में भारत से आयातित चावल मलेशिया की औसत वार्षिक मात्रा का लगभग दोगुनी है।[xiii] चूंकि दोनों देश आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं, इसलिए वर्तमान कोविड-19 संकट का प्रबंधन करने और महामारी के बाद के सुधान हेतु आवश्यक साझेदारी के लिए राजनीतिक स्थिरता सबसे पहली जरुरत है।
निष्कर्ष
महामारी की शुरुआत और पहले से ही मंदी में चल रही अर्थव्यवस्था, और मलेशिया में 2020 की शुरुआत से अस्थिर राजनीतिक माहौल के साथ-साथ बाहरी आर्थिक कारक सुधार की प्रक्रिया को लंबा और कठिन बना रहे हैं। हालांकि, मलेशिया, विगत तीन दशकों में, एशियाई वित्तीय संकट और वैश्विक वित्तीय संकट से जूझा है, और इससे उबरने का प्रयास किया है, लेकिन 1970-1980 के दशक में देखी गई विकास की गति को अभी तक हासिल नहीं कर सका है। इस संदर्भ में बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि नई सरकार महामारी से निपटने के लिए किस तरह के उपाय करती है। हालांकि, इसका कोई आसान हल नहीं है, लेकिन, सुधार की प्रक्रिया को गति देने के लिए नई सरकार को सबसे पहले वर्तमान स्वास्थ्य संकट का प्रबंधन करना होगा।
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*डॉ. टेम्जेनमरेन एओ , अध्येता, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
संदर्भ:
[i]Lee Hock Guan and Helen E S Nesadurai, “Political Transition in Malaysia: The Future of Malaysia’s Hybrid Political Regime”, in Mely Caballero-Anthony (ed), Political Change, Democratic Transitions and Security in Southeast Asia, (Routledge: Oxon, 2010), p.98 and 102-103.
[ii]Lee Hock Guan and Helen E S Nesadurai, “Political Transition in Malaysia: The Future of Malaysia’s Hybrid Political Regime”, in Mely Caballero-Anthony (ed), Political Change, Democratic Transitions and Security in Southeast Asia, (Routledge: Oxon, 2010), p.98 and 102-103.
[iii]Lee Hock Guan and Helen E S Nesadurai, “Political Transition in Malaysia: The Future of Malaysia’s Hybrid Political Regime”, in Mely Caballero-Anthony (ed), Political Change, Democratic Transitions and Security in Southeast Asia, (Routledge: Oxon, 2010), p.98 and 102-103.
[iv]Lewis Mikulic, “A Mature Democracy? The Malaysian General Election”, Australian Institute of International Affairs, May 8, 2018, https://www.internationalaffairs.org.au/australianoutlook/we-are-a-mature-democracy-the-14th-malaysian-general-elections/, accessed on September 6, 2018.
[v]“Perikatan Nasional”, Wikipedia, April 18, 2021, https://en.wikipedia.org/wiki/Perikatan_Nasional, Accessed on August 16, 2021.
[vi]Nile Bowie, “Politics and plague make a noxious mix in Malaysia”, Asia Times, July 14, 2021, https://asiatimes.com/2021/07/politics-and-plague-make-a-noxious-mix-in-malaysia/, Accessed August 17, 2021.
[vii]Nile Bowie, “Politics and plague make a noxious mix in Malaysia”, Asia Times, July 14, 2021, https://asiatimes.com/2021/07/politics-and-plague-make-a-noxious-mix-in-malaysia/, Accessed August 17, 2021.
[viii] Ram Anand, “Ismail Sabri Yaakob sworn in as Malaysia’s new prime minister”, The Straits Times, August 21, 2021, https://www.straitstimes.com/asia/se-asia/ismail-sabri-to-be-sworn-in-as-malaysias-new-pm, Accessed on August 23, 2021.
[ix]Joseph ChinyongLiow, Dictionary of the Modern Politics of Southeast Asia, (Routledge: Oxon, 2015), p. 19-22.
[x]Joseph ChinyongLiow, Dictionary of the Modern Politics of Southeast Asia, (Routledge: Oxon, 2015), p. 19-22.
[xi]R. Thillainathan, “Economic Crisis: An Overview of Cause and Response”, in Malaysia: Policies and Issues in Economic Development, Institute of Strategic and International Studies, Malaysia, (Aura Production: Kuala Lumpur, 2011), p.101, 103, 114-115.
[xii]“India-Malaysia Relations”, Ministry of External Affairs, July 2013, https://mea.gov.in/Portal/ForeignRelation/India-Malaysia_Relations.pdf, Accessed on August 23, 2021.
[xiii]“India-Malaysia Relations”, Ministry of External Affairs, July 2013, https://mea.gov.in/Portal/ForeignRelation/India-Malaysia_Relations.pdf, Accessed on August 23, 2021.