ऐसे वक्त में, जब अफगानिस्तान पहले से ही मानवीय, आर्थिक और राजनीतिक संकट जैसे एक-दूसरे से जुड़े गंभीर मुद्दों से जूझ रहा है, 22 जून, 2022 को पूर्वी अफगानिस्तान में आए विनाशकारी भूकंप ने खोस्त और पक्तिका प्रांतों के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया। रिपोर्टों के अनुसार,[i] इसके चलते पूरे अफगानिस्तान में 1,000 से अधिक लोग मारे गए और कई हजार घायल हो गए। पक्तिका प्रांत का गियान जिला गंभीर नुकसान वाला क्षेत्र रहा था, जहां लगभग 1,000 घर नष्ट हो गए थे और लगभग 86 प्रतिशत लोगों की जान चली गई थी।[ii] अफगानिस्तान के लोगों की हालत पिछले कुछ महीनों में विकट रही है, ऐसे में प्राकृतिक आपदा ने पूरी स्थिति की गंभीरता को और बढ़ा दिया है।
भूकंप के बाद सबसे पहले मानवीय राहत की पहल करते हुए भारत ने काबुल में 27 टन आपातकालीन राहत सहायता संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (UNOCHA) और अफगान रेड क्रिसेंट सोसाइटी (ARCS) को सौंपने के लिए भेजी।[iii] नई दिल्ली ने मानवीय सहायता के "प्रभावी वितरण" की बारीकी से निगरानी और समन्वय के साथ "अफगान लोगों के साथ अपने जुड़ाव" के लिए भारतीय अधिकारियों की एक "तकनीकी टीम" भी भेजी।[iv] यह आपदा इस्लामिक स्टेट खुरासान द्वारा करते परवान गुरुद्वारे पर घातक हमले के कुछ दिनों बाद आई, जिसने बचे-खुचे अफगान सिखों को भी अपनी मातृभूमि छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।[v]
यद्यपि भारत का काबुल दूतावास बंद कर दिया गया था और तालिबान के राजधानी में प्रवेश के तुरंत बाद भारतीय कर्मियों को निकाल लिया गया था, भारत ने अफगानिस्तान के लोगों का साथ नहीं छोड़ा और देश में मानवीय संकट को दूर करने के लिए नियमित रूप से मानवीय सहायता भेजता रहा। पिछले ग्यारह महीनों के दौरान, भारत ने अफगानिस्तान को 20,000 टन गेहूं, दवा, कोविड-19 वैक्सीन की आधा मिलियन खुराक और सर्दियों के कपड़ों की सहायता की खेप भेजी है।[vi]
अफगानिस्तान को भूकंप राहत सहायता की पहली खेप भेजते समय, विदेश मंत्रालय ने दोहराया " भारत हमेशा की तरह, अफगानिस्तान के लोगों के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है, जिनके साथ हम सदियों पुराने संबंध साझा करते हैं और अफगानिस्तान के लोगों के लिए तत्काल राहत सहायता प्रदान करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं।"[vii] एक ट्वीट में, तालिबान के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने अफगान लोगों के साथ संबंध जारी रखने के लिए काबुल स्थित भारतीय दूतावास में "राजनयिकों और तकनीकी टीम को वापस भेजने" के भारत के फैसले का स्वागत किया।[viii]
तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान में भारत की वापसी इस बात को लेकर छिड़ी बहस की पृष्ठभूमि में हुई है कि उसे तालिबान शासित अफगानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति फिर से स्थापित करनी चाहिए या नहीं। पिछले कुछ समय से मीडिया में ऐसी खबरें आ रही थीं[ix] कि भारत तालिबान शासन तक किसी तरह की पहुंच बनाने पर विचार कर रहा है। ऐसी भी खबरें थीं[x] कि भारतीय अधिकारियों की एक टीम ने इस साल फरवरी में भारतीय दूतावास को छोटे पैमाने पर और बहुत सीमित उद्देश्य के लिए फिर से खोलने की संभावना तलाशने के लिए काबुल का दौरा किया था।
भारतीय अधिकारियों और तालिबान के बीच सार्वजनिक रूप से मंजूर पहली बैठक 31 अगस्त 202111 को दोहा में हुई। पिछले ग्यारह महीनों में, तालिबान ने कई मौकों पर बहुत मजबूत संकेत दिए थे कि वे भारत के साथ संबंध बहाल करना चाहते हैं। अगर भारत ने अपना मिशन खोला तो तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद12 से लेकर कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी13 और अनस हक्कानी14 से लेकर शेर अब्बास स्टानिकजई15 तक ने सुरक्षा का आश्वासन दिया और भारत के साथ घनिष्ठ सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों की मांग की। तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री और तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला उमर के बेटे, मुल्ला याकूब ने कथित तौर पर, सैन्य प्रशिक्षण के लिए अफगान सेना के जवानों को भारत भेजने की इच्छा व्यक्त की थी।16
विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह के नेतृत्व में एक आधिकारिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 22 जून को अफगानिस्तान का दौरा किया और कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी और आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी से मुलाकात की और तैनात कर्मियों की सुरक्षा को लेकर विशेष आश्वासन प्राप्त किया।17 नई दिल्ली ने अबतक संबंध के मानवीय पक्ष पर जोर दिया है, इस बात को रेखांकित करते हुए कि तालिबान के साथ संबंध बनाने का हालिया निर्णय काफी हद तक अफगान लोगों को मानवीय सहायता की उचित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए लिया गया था। यात्रा के दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने काबुल में इंदिरा गांधी चिल्ड्रन हॉस्पिटल, हबीबिया हाई स्कूल और चिमतला इलेक्ट्रिसिटी सब-स्टेशन-परियोजनाओं का दौरा किया, जहां भारतीय सहायता ने अफगान लोगों के लिए धरातल पर काम किया है, जिसके पर्याप्त नतीजे सामने आए हैं।
हाल ही में प्रकाशित आरएएनडी कॉर्पोरेशन की एक रिपोर्ट ने तालिबान के साथ अमेरिकी नीति के विकल्पों को तीन शब्दों में बताया है: "जोड़ो, हटाओ, या विरोध करो"।18 अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि वे पहले दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और तीसरा विकल्प फिलहाल ठंडे बस्ते में है। भारत, अपनी ओर से, अफगानिस्तान के भीतर चल रहे घटनाक्रम को करीब से देख रहा है और यह जानता है कि वर्तमान में तालिबान का उस देश की सत्ता पर एकाधिकार है। यद्यपि तालिबान शासन के विरुद्ध सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिरोध के प्रमाण मिले हैं; फिर भी यह इतने मजबूत नहीं हैं कि निकट भविष्य में तालिबान शासन के लिए एक प्रति-बल के रूप में उभर सकें। जैसे-जैसे अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति लगातार विकसित हो रही है, भारत वहां के घटनाक्रम पर पैनी नज़र रख रहा है। नई दिल्ली यह सुनिश्चित करना चाहेगी कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए न हो। अफगानिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता का न केवल अफगानों के लिए, बल्कि उसके पड़ोसियों और पूरे क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। मानवीय स्तर पर चिंता के अलावा, अफगानिस्तान से कश्मीर में आतंकवाद का खतरा, नशीले पदार्थों की तस्करी और पश्चिमी हथियारों सहित अन्य हथियारों को प्रवेश कराने की घटनाएं भारत की कुछ तात्कालिक चिंताएं हैं।19 विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर, भारत ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है कि अफगान क्षेत्र कट्टरपंथ और आतंकवाद (दोनों क्षेत्रीय या विश्व स्तर पर) का स्रोत नहीं बने और अफगानिस्तान में एक "समावेशी और प्रतिनिधि" प्रशासन का आह्वान किया है जो महिलाओं और अल्पसंख्यकों को मुख्यधारा में लाए और पिछले दो दशकों के लाभ को संरक्षित करने की दिशा में काम करे।20
निष्कर्षत:, यह कहा जा सकता है कि विनाशकारी भूकंप और भारत द्वारा भेजी गई राहत सामग्री के समन्वय की आवश्यकता ने; नई दिल्ली को काबुल में कुछ कर्मियों को तैनात करने का कारण दे दिया। आने वाले दिन महत्वपूर्ण होने वाले हैं और नई दिल्ली को संभलकर चलना होगा। हालाँकि, भारत के लिए तालिबान के साथ जुड़ने का मौका है, लेकिन यह देश के अन्य सभी हितधारकों के साथ भी संवाद के चैनल खुले रखने का प्रयास करेगा। भारत की अफगानिस्तान नीति हमेशा आम अफगानों की भलाई पर केंद्रित रही है और इस परिप्रेक्ष्य का काबुल में सरकार चलाने वालों से बहुत कम लेना-देना रहा है, लेकिन लंबे समय से सभ्यतागत संबंधों के साथ दोनों देशों के लोगों के बीच दीर्घकालिक समीकरण हैं। यह याद रखना अनिवार्य है कि तालिबान के साथ भारत के हालिया जुड़ाव का उद्देश्य तालिबान शासन को राजनयिक मान्यता प्रदान करना या विश्व को लेकर उनकी दृष्टि का समर्थन करना नहीं है; लेकिन यह सुनिश्चित करना है भारत की मानवीय सहायता जो वहां दी जा रही है उसका धरातल पर इस्तेमाल हो सके। भारत की सहायता को अफगानिस्तान के लोगों के साथ एकजुटता के एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में देखा जा सकता है और यह आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा।
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*डॉ. अन्वेषा घोष, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफ़ेयर्स, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i] “Afghanistan: Flash Update #4 Earthquake in Paktika and Khost Provinces, Afghanistan.”OCHA Services, June 26, 2022. Available at: https://reliefweb.int/report/afghanistan/afghanistan-flash-update-4-earthquake-paktika-and-khost-provinces-afghanistan-26-june-2022 (Accessed on 5.7.22)
[ii] “Afghanistan: Flash Update #4 Earthquake in Paktika and Khost Provinces, Afghanistan.”OCHA Services, June 26, 2022. Available at: https://reliefweb.int/report/afghanistan/afghanistan-flash-update-4-earthquake-paktika-and-khost-provinces-afghanistan-26-june-2022 (Accessed on 5.7.22)
[iii] “India’s humanitarian assistance to Afghanistan”. Ministry of External Affairs, GOI, Press Release, June 2, 2022. Available at: https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/35381/Indias_humanitarian_assistance_to_Afghanistan(Accessed on 5.7.22)
[iv] Ibid
[v] “Islamic State claims responsibility for Kabul gurdwara attack”. The Hindu, June 19, 2022. Available at: https://www.thehindu.com/news/international/iskp-terror-group-claims-attack-on-gurdwara-in-kabul/article65542364.ece
[vi] Ibid
[vii] “Earthquake Relief Assistance for the people of Afghanistan”. Ministry of External Affairs, GOI, Press Release, June 24, 2022. Available at: https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/35440/Earthquake_Relief_Assistance_for_the_people_of_Afghanistan (Accessed on 7.7.22)
[viii] Abdul Qahar Balkhi, MoFA Spokesperson, Islamic Emirate of Afghanistan Via Twitter @ Qahar Balkhi. Available at: https://twitter.com/QaharBalkhi?ref_src=twsrc%5Egoogle%7Ctwcamp%5Eserp%7Ctwgr%5Eauthor
[ix] “India is mulling options of re-opening mission in Afghanistan”. The Hindu, December 1, 2021. Available at: https://www.thehindu.com/news/national/india-mulling-options-over-re-opening-mission-in-afghanistan/article37781058.ece (Accessed on 7.7.22)
[x] “India looks at reopening mission in Kabul minus senior diplomats.”The Indian Express,May 17, 2022. Available at: https://indianexpress.com/article/india/india-looks-reopening-mission-kabul-minus-senior-diplomats-7920920/ (Accessed on 7.7.22)
11 “Meeting in Doha” Ministry of External Affairs, GOI, Press Release, August 31, 2021. Available at: https://mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/34208/Meeting_in_Doha (Accessed on 7.7.22)
12 “India an important country, no threat to them: Taliban spokesperson | Exclusive”. India Today, Aug 30, 2021. Available at: https://www.indiatoday.in/world/story/india-pakistan-taliban-spokesperson-threat-afghanistan-1847106-2021-08-30 (Accessed on 7.7.22)