22वां वार्षिक शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (एससीओ) शिखर सम्मेलन समरकंद घोषणा को अपनाने के साथ संपन्न हुआ। आज दुनिया से संबंधित लगभग सभी प्रमुख मुद्दों को शामिल करते हुए 121-सूत्रीय लंबी घोषणा एससीओ के क्षितिज के बढ़ते विस्तार को रेखांकित करती है। घोषणा के पैरा 58-62 में यह स्पष्ट है कि समूह में सदस्यता के साथ-साथ डायलॉग पार्टनर्स की स्थिति के लिए होड़ करने वाले खाड़ी देश, देशों के समूह पर हावी हैं।[i]
भारत द्वारा आयोजित 2023 शिखर सम्मेलन में ईरान, एक सदस्य देश के रूप में भाग लेगा। एससीओ सदस्यों ने ईरान को समूह के पूर्ण सदस्य के रूप में स्वीकार करते हुए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। बहरीन, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब और क़तर को एससीओ डायलॉग पार्टनर्स का दर्जा हासिल करना है। समरकंद शिखर सम्मेलन ने बहरीन, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात को डायलॉग पार्टनर का दर्जा देने के निर्णयों को अपनाने की सराहना की। इसने सऊदी अरब और क़तर को एससीओ डायलॉग पार्टनर का दर्जा दिए जाने पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का भी उल्लेख किया। मिस्र और तुर्क़ी पश्चिम एशिया उत्तरी अफ़्रीका (वाना) क्षेत्र के दो गैर-खाड़ी देश हैं जो एससीओ में शामिल होने के इच्छुक हैं; वर्तमान में तुर्क़ी एससीओ का एक डायलॉग पार्टनर है जबकि मिस्र ने भी सदस्य बनने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
एससीओ का विस्तार
चित्र: सदस्य देशों, पर्यवेक्षक देशों, एससीओ के डायलॉग पार्टनरों और समूह में शामिल होने के इच्छुक पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ़्रीका के देशों को दर्शाने वाला मानचित्र।
स्रोत: https://www.freeworldmaps.net/outline/maps/world-map-outline.gif
सदस्यता का विस्तार
एससीओ का गठन तब हुआ जब 2001 में शंघाई फ़ाइव ने कज़ाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान का गठन करते हुए उज्बेकिस्तान को सदस्यता दी। तभी से एससीओ के विस्तार की अटकलें लगाई जा रही थीं लेकिन जब तक संगठन भारत और पाकिस्तान को शामिल करने के लिए सहमत नहीं हुआ, जो 2017 में पूर्ण सदस्य बन गए, तब तक कोई सहमति नहीं बनी थी। हालांकि, एससीओ संगठन के विस्तार की सराहना करता है; सदस्य देशों ने इच्छुक देशों द्वारा परिग्रहण के लिए खुलेपन की पुष्टि की, जिनके लक्ष्य और आकांक्षाएं संगठन के नियामक कानूनी दस्तावेजों में निहित मानदंडों और शर्तों को पूरा करती हैं। इसके अलावा, अफ़ागानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया पर्यवेक्षक राज्य हैं जबकि आर्मेनिया, अज़रबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्क़ी डायलॉग पार्टनर्स हैं।[ii]
फ़ोकस क्षेत्र का विस्तार
एससीओ 2001 में अपनी स्थापना के बाद से अपने फोकस के क्षेत्र का भी विस्तार कर रहा है। एससीओ के गठन से पहले, शंघाई फ़ाइव ने क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रमुख रूप से ध्यान केंद्रित किया था; यह एक राजनीतिक साहचर्य था जो सैन्य क्षेत्र में विश्वास निर्माण और सीमावर्ती क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की आपसी कमी पर ध्यान केंद्रित कर रहा था। जब शंघाई फ़ाइव एससीओ बन गया, तो संगठन ने इस क्षेत्र में आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, बहुपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग के लिए अपने जनादेश का विस्तार किया। एससीओ चार्टर में संगठन के लक्ष्यों और कार्यों के रूप में राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, रक्षा, क़ानून प्रवर्तन, पर्यावरण संरक्षण, संस्कृति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, ऋण और वित्त, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास तथा मानवाधिकारों में क्षेत्रीय सहयोग का उल्लेख है।[iii]
विस्तार के निहितार्थ
संगठन के लिए एससीओ के विस्तार के विभिन्न निहितार्थ हो सकते हैं। जैसे-जैसे यह अधिक सदस्यों को स्वीकार करेगा, एससीओ को क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अधिक वैधता प्राप्त होगी। दूसरे, नए सदस्य, सदस्य देशों के लिए सुरक्षा और आर्थिक लाभ लाएंगे जिससे एससीओ को आर्थिक ऊंचाई मिलेगी। तीसरे, वैश्विक राजनीति में संगठन का महत्व बढ़ेगा। वर्तमान में, एससीओ (ईरान के बिना) वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 30 प्रतिशत[iv] और विश्व जनसंख्या का 40 प्रतिशत है।[v]
समरकंद शिखर सम्मेलन के दौरान, सदस्य राज्यों ने ज़ोर दिया कि एससीओ का विस्तार और पर्यवेक्षक देशों, डायलॉग पार्टनर्स और अंतरराष्ट्रीय संघों के साथ सहयोग को और गहरा करना संगठन की क्षमता का विस्तार करेगा। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि इस विस्तार से क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता और सतत विकास सुनिश्चित करने, सामयिक समकालीन मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक बहुपक्षीय तंत्र के रूप में अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में एससीओ की भूमिका में और बढ़ोत्तरी होगी।[vi]
खाड़ी और एससीओ
भू-राजनीति
ओमान के अपवाद के साथ ईरान और गल्फ़ कोऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) देशों सहित खाड़ी देश एससीओ में शामिल होने के इच्छुक हैं। यूरेशिया के साथ तेहरान के आर्थिक और राजनीतिक जुड़ाव को मजबूत करने का अवसर प्रदान करते हुए, संगठन में सदस्यता रूस और चीन के साथ ईरान की निकटता को बढ़ावा देती है। ईरानी मीडिया ने इस क़दम को तेहरान और बीजिंग के बीच बढ़ती नजदीकियों के संकेत के रूप में चित्रित किया।[vii] सदस्यता, ईरान की "पूर्व की ओर देखो" नीति के अनुरूप एक क़दम की भी प्रतीक है। एससीओ की सदस्यता ईरान में वर्तमान सरकार के लिए महत्वपूर्ण है, राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने इसे अपनी सरकार के राजनयिक मास्टरस्ट्रोक में से एक के रूप में बताया है।[viii] विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने घोषणा की कि ईरान ने सदस्य देश बनकर विभिन्न आर्थिक, वाणिज्यिक, पारगमन, ऊर्जा, आदि सहयोग के एक नए चरण में प्रवेश किया है। दूसरी ओर, मध्य एशियाई देश ईरान को एक संभावित पारगमन केंद्र और रूस पर निर्भरता के विकल्प के रूप में देखते हैं।[ix]
जीसीसी देश रूस-चीन के प्रभुत्व वाले एससीओ में ईरान की सदस्यता को खतरे के रूप में देखते हैं और विश्वास करते है कि संगठन में उनकी उपस्थिति मास्को और बीजिंग को तेहरान की ओर झुकाव से रोकेगी। साथ ही, जीसीसी देश एससीओ को एक वैकल्पिक बाहरी शक्ति के रूप में रूस के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए एक वैकल्पिक बाहरी ताकत के रूप में एक मंच के रूप में देखते हैं, विशेष रूप से इस क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव कम हो रहा है। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते अलगाव ने, जैसा कि चल रही भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक स्पर्धाओं से स्पष्ट है, जीसीसी देशों को भी संतुलन कार्य में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है, जबकि जीसीसी अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक विविधीकरण में सक्रिय रूप से लगी हुई हैं।
भू-अर्थशास्त्र
जबकि खाड़ी देशों के लिए एससीओ सदस्यता लेने के लिए भू-राजनीति महत्वपूर्ण है, तथापि आर्थिक लाभ राजनीतिक लाभ और प्रभावित क्षमता से महत्वपूर्ण साबित होते हैं। खाड़ी देशों की नजर मध्य एशिया के बाज़ारों पर है। 7 सितंबर, 2022 को जीसीसी विदेश मंत्रियों और मध्य एशिया के उनके समकक्षों ने आपसी हित के सभी क्षेत्रों में सहयोग शुरू करने के उद्देश्य से रियाद में जीसीसी-मध्य एशिया सामरिक वार्ता का उद्घाटन किया।[x] द्विपक्षीय स्तर पर भी, खाड़ी देश मध्य एशिया के साथ अपने संबंधों का विस्तार कर रहे हैं और एससीओ सदस्यता निश्चित रूप से मौजूदा आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देगी।
अफ़गानिस्तान के साथ ईरान के व्यापारिक संबंध मजबूत हैं; 2018 में तेहरान का काबुल को निर्यात US$2.9 बिलियन का था। ईरान का लक्ष्य मध्य एशियाई बाज़ारों में अपनी पहुंच का विस्तार करना है, जब उसकी अर्थव्यवस्था प्रतिबंधों के कारण बुरी तरह से प्रभावित है और जॉइन्ट कॉम्प्रिहेन्सिव प्लान ऑफ़ एक्शन (जेसीपीओए) के भीतर या बाहर परमाणु समझौते की संभावना धूमिल है। ईरान ने ताजिक़िस्तान में एक नया ड्रोन कारखाना स्थापित किया है और अज़रबैजान और तुर्कमेनिस्तान के साथ साझेदारी की भी मांग की है।[xi]
सऊदी अरब किर्गिस्तान से पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के आयात पर विचार कर रहा है।[xii] सऊदी अरब द्वारा समर्थित इको इस्लामिक बैंक की किर्गिस्तान में 120 से अधिक शाखाएँ हैं।[xiii] वैश्विक हब-एंड-स्पोक सिस्टम के हिस्से के रूप में पहुंच और कनेक्टिविटी के अपने दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त अरब अमीरात मध्य एशिया में निवेश कर रहा है; दुबई स्थित डीपी वर्ल्ड ने कैस्पियन सागर पर कज़ाकिस्तान में दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों का अधिग्रहण किया है।[xiv] क़तर स्टॉक एक्सचेंज ने ताजिक़िस्तान के सेंट्रल एशिया स्टॉक एक्सचेंज परियोजना के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।[xv]
हाइड्रोकार्बन समृद्ध खाड़ी देश भी मध्य एशियाई क्षेत्र में ऊर्जा भागीदारी में रुचि रखते हैं और एससीओ सदस्यता निश्चित रूप से इस तरह के जुड़ाव को सुविधाजनक बनाएगी। ईरान मध्य एशियाई क्षेत्र में अपनी ऊर्जा भागीदारी बढ़ाने पर विचार कर रहा है क्योंकि ये देश रूसी बंदरगाहों पर लगाए गए प्रतिबंधों के मद्देनजर ऊर्जा पारगमन के वैकल्पिक स्रोतों के लिए होड़ कर रहे हैं। इसी तरह, जीसीसी देशों का भी लक्ष्य मध्य एशियाई ऊर्जा बाज़ार में निवेश करने का हैं। एक सऊदी यूटीलिटी डेवलपर एसीडब्ल्यूए पॉवर ने उज़्बेकिस्तान के साथ US$2.5 बिलियन के ऊर्जा-संबंधी निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। यूएई ने अपने अग्रणी सॉवरेन वेल्थ फ़ंड (एसडब्ल्यूएफ) मुबाडाला का उपयोग पूरे मध्य एशिया में ऊर्जा और बंदरगाह के बुनियादी ढांचे में निवेश करने के लिए किया है।[xvi] क़तर और कज़ाकिस्तान ने तेल और गैस सहयोग पर कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
निष्कर्ष
एससीओ में खाड़ी क्षेत्र की बढ़ती दिलचस्पी, व्यवहार्य भागीदारी के लिए एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की ओर देखने के प्रति उनके झुकाव को दर्शाती है। यह गैर-पश्चिमी सक्रियकों के साथ संबंध बनाने की प्रवृत्ति को भी दर्शाता है। ऐसी अटकलें हैं कि एससीओ, ईरान और सऊदी अरब के बीच संबंधों को सुधारने के लिए एक मंच है, हालाँकि, यह अभी के लिए दूर की कौड़ी लगती है। इस बात पर भी चर्चा है कि क्या एससीओ, अमेरिका और पश्चिमी भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए खाड़ी और वाना क्षेत्र में विस्तार की तलाश कर रहा है। हालाँकि, इस स्तर पर, यह केवल अटकलें हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि एससीओ और खाड़ी देशों, दोनों की ओर से अधिक जुड़ाव और सहयोग विकसित करने की मंशा है।
*****
* डॉ. लक्ष्मी प्रिया, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
[i]Samarkand Declaration of the Council of Heads of State of Shanghai Cooperation Organisation, Ministry of External Affairs, Government of India, September 16, 2022, available at https://mea.gov.in/outoging-visit-detail.htm?35724/Samarkand+Declaration+of+the+Council+of+Heads+of+State+of+Shanghai+Cooperation+Organizationaccessed on September 19, 2022
[ii]Shanghai Cooperation Organisation, Political and Peace Building Affairs, United Nations,available at https://dppa.un.org/en/shanghai-cooperation-organizationaccessed on September 19, 2022
[iii]Charter of the Shanghai Cooperation Organisation, available at https://www.iri.edu.ar/publicaciones_iri/manual/Doc.%20Manual/Listos%20para%20subir/ASIA/SHANGAI-ORG/charter_shanghai_cooperation_organization.pdfaccessed on September 19, 2022
[iv]English Translation of Remarks by Prime Minister, Shri Narendra Modi at the SCO Summit, Ministry of External Affairs, Government of India, September 16, 2022, available at https://mea.gov.in/outoging-visit-detail.htm?35719/English+Translation+of+Remarks+by+Prime+Minister+Shri+Narendra+Modi+at+the+SCO+Summitaccessed on September 19, 2022
[v]After inclusion of interested West Asian countries (Iran, Egypt, Türkiye, Saudi Arabia, UAE, Qatar, Bahrain and Kuwait) the organisation will constitute 34.6 per cent of the global GDP and 43.79 per cent of the world population.The GDP data has been taken from IMF (2022) available at https://www.imf.org/external/datamapper/ngdpd[at]weo/OEMDC/ADVEC/WEOWORLDand the population data has been taken by world population prospects (2019) cited at world population review available at https://worldpopulationreview.com/countries
[vi]Samarkand Declaration of the Council of Heads of State of Shanghai Cooperation Organization, Ministry of External Affairs, Government of India, September 16, 2022, available at https://mea.gov.in/outoging-visit-detail.htm?35724/Samarkand+Declaration+of+the+Council+of+Heads+of+State+of+Shanghai+Cooperation+Organizationaccessed on September 19, 2022
[vii]Aamna Khan, What Does Iran’s Membership in the SCO Mean for the Region?,The Diplomat, September 20, 2022, available at https://thediplomat.com/2022/09/what-does-irans-membership-in-the-sco-mean-for-the-region/accessed on September 21, 2022
[viii]Syed Zafar Mehdi, Iran signs 'memorandum of commitment' for full SCO membership, September 15, 2022, Anadolu Agency, available at https://www.aa.com.tr/en/middle-east/iran-signs-memorandum-of-commitment-for-full-sco-membership/2685515accessed on September 21, 2022
[ix]Nikole Grajewski, Iran One Step Closer to SCO Membership, The Washington Institute for Near East Policy, September 14, 2022,available athttps://www.washingtoninstitute.org/policy-analysis/iran-one-step-closer-sco-membershipaccessed on September 21, 2022
[x] Abdel Aziz Aluwaisheg, Enthusiasm abounds as GCC, Central Asia launch strategic dialogue, Arab News, September 09, 2022, available at https://www.arabnews.com/node/2159106 accessed on September 21, 2022
[xi]Seth J Frantzman, What does Iran’s drive for Central Asia partnerships look like? – analysis, The Jerusalem Post, July 02, 2022,available at https://www.jpost.com/international/article-710999accessed on September 22, 2022
[xii]Saudi Arabia and Kyrgyzstan enhanced economic cooperation and investment opportunities, Special Eurasia, March 23, 2022,available at https://www.specialeurasia.com/2022/03/23/saudi-arabia-kyrgyzstan/accessed on September 22, 2022
[xiii]Saltanat Berdikeeva, Saudi Arabia’s Growing Influence in Central Asia, Inside Arabia, April 10, 2020, available at https://insidearabia.com/saudi-arabias-growing-influence-in-central-asia/accessed on September 22, 2022
[xiv]Theodore Karasik, The United Arab Emirates in Central Asia, Newlines Institute, August 28, 2019, available at https://newlinesinstitute.org/china/the-united-arab-emirates-in-central-asia/accessed on September 22, 2022
[xv]Natalie Koch, Qatar and Central Asia: What’s at Stake in Tajikistan, Turkmenistan, and Kazakhstan?, Ponars Eurasia, September 28, 2017, available at https://www.ponarseurasia.org/qatar-and-central-asia-what-s-at-stake-in-tajikistan-turkmenistan-and-kazakhstan/accessed on September 22, 2022
[xvi]Geopolitics of UAE investments in Central Asia, Special Eurasia, October 18, 2021, available at https://www.specialeurasia.com/2021/10/18/geopolitics-uae-centralasia/accessed on September 22, 2022