पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) चार्टर, अनुच्छेद 23 के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में 15 सदस्य होते हैं, जिनमें वीटो शक्ति के साथ 5 स्थायी सदस्य और 10 गैर-स्थायी सदस्य होते हैं।[1] गैर-स्थायी सदस्यों को प्रत्येक वर्ष महासभा द्वारा 2 वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है। गैर-स्थायी सदस्यों के पास स्थायी सदस्यों के समान ही जिम्मेदारियाँ और शक्तियाँ होती हैं, लेकिन उन्हें प्रस्तावों को वीटो करने का अधिकार नहीं होता है। गैर-स्थायी सदस्यों का चुनाव क्षेत्रीय आधार पर किया जाता है, जहाँ 5 सीटें अफ्रीकी और एशियाई राज्यों के लिए, 1 पूर्वी यूरोपीय राज्यों के लिए, 2 लैटिन अमेरिकी और कैरिबियन राज्यों के लिए और 2 पश्चिमी यूरोपीय और अन्य राज्यों के लिए आरक्षित हैं।[2]
9 जून 2022 को, महासभा द्वारा 5 गैर-स्थायी सदस्य सीटों के लिए वार्षिक चुनाव किया गया था, जिसमें जापान को 2023 और 2024 के लिए यूएनएससी के 5 नए गैर-स्थायी सदस्यों में से एक के रूप में चुना गया था। 1956 में संयुक्त राष्ट्र में शामिल होने के बाद से यह 12वीं बार है जब जापान ने यूएनएससी में गैर-स्थायी सदस्यता ग्रहण की है, जो संयुक्त राष्ट्र के किसी भी सदस्य राज्य के लिए सबसे अधिक बार है।[3] पिछली बार जापान ने 2016-2017 की अवधि के लिए गैर-स्थायी सीट ग्रहण की थी।[4] 2024 तक की अवधि के लिए चुने गए बाकी गैर-स्थायी सदस्य इक्वाडोर, माल्टा, मोजाम्बिक और स्विट्जरलैंड हैं । ये सदस्य भारत, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नॉर्वे की जगह लेंगे। नव निर्वाचित गैर-स्थायी सदस्यों के अलावा 5 अन्य देश, अर्थात् अल्बानिया, ब्राजील, गैबॉन, घाना और संयुक्त अरब अमीरात हैं, जिनका कार्यकाल 2023 में समाप्त होगा,[5] इस प्रकार कुल 10 अस्थाई सदस्य हो जाते हैं। जापान और ब्राजील, जी 4 समूह से दो देश होंगे जो इस वर्ष के लिए गैर-स्थायी सदस्यों के रूप में यूएनएससी के शीर्ष पर हैं। नवनिर्वाचित गैर-स्थायी सदस्यों का कार्यकाल 1 जनवरी 2023 से शुरू हो गया है।
यूएनएससी के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में जापान की प्राथमिकताएँ
20 सितंबर 2022 को, प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने न्यूयॉर्क में महासभा में एक नवनिर्वाचित गैर-स्थायी सदस्य के रूप में अपने उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए एक बयान दिया था। प्रधान मंत्री किशिदा ने कहा कि जापान, सुरक्षा परिषद के एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में, "न केवल बड़ी आवाज़ों को सुनेगा बल्कि छोटी आवाज़ों को भी सुनेगा" और "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में कानून के शासन को मजबूत करने के लिए कार्रवाई करने" का इरादा रखता है।[6] यूएनएससी में गैर-स्थायी सीट के लिए जापान द्वारा कार्यभार ग्रहण करना एक महत्वपूर्ण समय पर आया है, जब टोक्यो द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण में अभूतपूर्व पैमाने पर होने वाली कई चुनौतियों के बारे में मुखर रहा है। लगभग एक दशक के बाद जापान की नई संशोधित राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) 2022 के जारी होने ने यह भी संकेत दिया कि टोक्यो कैसे जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य से उबरने के लिए अपनी विदेशी और राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों को पुनर्निर्देशित करने का लक्ष्य बना रहा है, जहाँ इसके विचार में यूएनएससी में स्थायी सदस्यता वाले राष्ट्र-राज्य यूक्रेन संघर्ष की पृष्ठभूमि में नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और व्यवस्था को समाप्त करना चाहते हैं।[7]
प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने संयुक्त राष्ट्र के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए अपने दृढ़ संकल्प पर जोर देते हुए संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ बहुपक्षवाद के लिए टोक्यो की प्रतिबद्धता की घोषणा की थी। सबसे पहले, जापान सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र के सुधार की दिशा में काम करेगा, ताकि संगठन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में कानून के शासन को बढ़ावा देते हुए संयुक्त राष्ट्र चार्टर के दृष्टिकोण और सिद्धांतों पर लौट सके।[8] द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम के प्रभाव को झेलने वाले एकमात्र देश के रूप में, जापान यह भी मानता है कि निरस्त्रीकरण और अप्रसार के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इसकी एक अभिन्न और ऐतिहासिक रूप से अद्वितीय भूमिका है। इसलिए, इसका उद्देश्य "परमाणु हथियार संधि के अप्रसार (एनपीटी) को बनाए रखने और मजबूत करने वाले परिणाम दस्तावेज़ पर आम सहमति तक पहुँचना है।"[9]
प्राथमिकता का एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र जिस पर जापान ने प्रकाश डाला है, वह है "नए युग में मानव सुरक्षा की अवधारणा" पर आधारित प्रयासों को बढ़ावा देना।”[10] मानव सुरक्षा की अवधारणा के माध्यम से, जापान ने इस बात पर जोर दिया है कि कैसे "वैश्विक महामारी, अन्य देशों के खिलाफ बल और ज़बरदस्ती का उपयोग, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा, मुद्रास्फीति और जलवायु परिवर्तन सभी आपस में जुड़े हुए हैं और लोगों की सुरक्षा को पहले से कहीं अधिक ख़तरे में डाल रहे हैं, और गरीबी और बीमारी को और बढ़ा रहे हैं"[11] टोक्यो का कहना है कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए भी अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यक्तियों, समाजों और राष्ट्रों के लचीलेपन को बढ़ाकर मानव सुरक्षा प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।
जापान "लोगों में निवेश" पर भी जोर दे रहा है, जिसके द्वारा टोक्यो ने अफ्रीका में 30 बिलियन अमरीकी डालर के अपने निवेश पर प्रकाश डाला।[12] अफ्रीका में सार्वजनिक और निजी निवेश की इस कुल राशि के माध्यम से, जापान का उद्देश्य लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना, युवाओं की उद्यमिता का समर्थन करना, मानव संसाधन विकसित करना, निजी क्षेत्र का व्यापक विकास करना, संक्रामक रोगों से निपटना और अफ्रीकी विकास बैंक के माध्यम से खाद्य सहायता और खाद्य उत्पादन सुविधाएँ प्रदान करना है।[13] ये प्रयास जापान-अफ्रीका संबंधों के लिए बहुत अच्छे संकेत हैं । इसके अतिरिक्त, यूएनएससी में अपनी गैर-स्थायी सदस्यता के साथ जापान ने अफ्रीका के खिलाफ ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए यूएनएससी में स्थायी सदस्यता के माध्यम से अफ्रीका का प्रतिनिधित्व करने के लिए जोर देने की भी अपनी इच्छा व्यक्त की है।[14] इसी तरह, जी20 का सदस्य होने के नाते जापान ने अफ्रीकी देशों को अंतर्राष्ट्रीय समाज में बढ़ती हुई भूमिका देने के महत्व का हवाला देते हुए अफ्रीकी संघ (एयू) के जी20 समूह में भी प्रवेश के लिए अपना समर्थन पहले ही बता दिया है।[15]
आगे का मार्ग
जापान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जबकि यूएनएससी प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम नहीं है तब दुनिया के लिए यह किस तरह से परीक्षण का समय है। 10 जून 2022 को विदेश मंत्री हयाशी योशिमासा ने गैर-स्थायी सदस्य के रूप में जापान के चुनाव के संबंध में प्रारंभिक बयान में रूस (स्थायी सदस्य) द्वारा यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता, यूएनएससी संकल्पों का उल्लंघन करने वाले उत्तर कोरिया की परमाणु और उन्नत मिसाइल क्षमताओं की पहचान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में शांति और सुरक्षा के लिए कुछ प्राथमिक चिंताओं के रूप में की।[16] सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में सुधार की अतिरिक्त चुनौती के साथ, जापान और ब्राजील के लिए जी4 राष्ट्रों के रूप में ठोस परिणामों की माँग करना हमेशा जटिल स्थिति होगी।
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*डॉ टुनचिनमंग लांगेल, रिसर्च फेलो, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद-टिप्पणियां
[1] United Nations, “United Nations Charter, Chapter V: The Security Council”, https://www.un.org/en/about-us/un-charter/chapter-5, Accessed on 30 December 2022
[2] UN General Assembly Resolutions Table, “Resolutions adopted by the General Assembly at its 18th Session”, A/RES/1991(XVIII) A, https://research.un.org/en/docs/ga/quick/regular/18, Accessed on 3 January 2023
[3] Ministry of Foreign Affairs of Japan, 2022, “On the election of Japan as a non-permanent member of the United Nations Security Council (Statement by Foreign Minister Hayashi Yoshimasa), 3 June 2022, https://www.mofa.go.jp/press/release/press1e_000300.html, Accessed on 3 January 2023
[4] Kyodo News, 2022, “Japan joins U.N. Security Council as new nonpermanent member”, 1 January 2023, https://english.kyodonews.net/news/2023/01/6c679e2ec5bf-japan-joins-un-security-council-as-new-nonpermanent-member.html, Accessed on 3 January 2023
[5] United Nations Security Council, “Current members: Permanent and non-permanent members”, https://www.un.org/securitycouncil/content/current-members, Accessed on 3 January 2023
[6] Ministry of Foreign Affairs of Japan, 2022, “Address by Prime Minister Kishida at the Seventy-Seventh Session of the United Nations General Assembly”, 20 September 2022, https://www.mofa.go.jp/fp/unp_a/page3e_001242.html, Accessed on 30 December 2022
[7] The Japan Times, 2023, “Japan to be tested as nonpermanent U.N. Security Council member”, 2 January 2023, https://www.japantimes.co.jp/news/2023/01/02/national/politics-diplomacy/japan-un-security-council-tested/, Accessed on 3 January 2023
[8] Ministry of Foreign Affairs of Japan, 2022, “Address by Prime Minister Kishida at the Seventy-Seventh Session of the United Nations General Assembly”, 20 September 2022, https://www.mofa.go.jp/fp/unp_a/page3e_001242.html, Accessed on 30 December 2022
[9] Ibid.
[10] Ibid.
[11] Ibid.
[12] Ibid.
[13] Ministry of Foreign Affairs, 2022, “Remarks by Fumio Kishida, Prime Minister of Japan Joint Press Conference, Eighth Tokyo International Conference on African Development (TICAD 8)”, 28 August 2022, https://www.mofa.go.jp/afr/af2/page1e_000478.html, Accessed on 30 December 2022
[14] South China Morning Post, 2022, “Japan to push for African seat on UN Security Council, Prime Minister Fumio Kishida says”, 28 August 2022, https://www.scmp.com/news/asia/east-asia/article/3190482/japan-push-african-seat-un-security-council-prime-minister, Accessed on 30 December 2022
[15] Reuters, 2022, “Japan backs African Union entry to G20, PM Kishida says”, 19 December 2022, https://www.reuters.com/world/japan-backs-african-union-entry-g20-pm-kishida-says-2022-12-19/, Accessed on 30 December 2022
[16] Ministry of Foreign Affairs of Japan, 2022, “On the election of Japan as a non-permanent member of the United Nations Security Council (Statement by Foreign Minister Hayashi Yoshimasa), 3 June 2022, https://www.mofa.go.jp/press/release/press1e_000300.html, Accessed on 3 January 2023