सारांश (Abstract)
मध्य एशिया अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण क्षेत्रीय शक्तियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है| कज़ाख्स्तान सोवियत संघ के विघटन के बाद, मध्य एशिया में आर्थिक विकास के ज़रिये एक विकासशील देश बन कर उभरा है| इस देश के प्राकृतिक संसाधनों जैसे तेल और गैस के भण्डारो के कारण इसने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा पटल पर एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है| भारत और कज़ाख्स्तान के सम्बन्ध काफी मधुर और सौहार्दपूर्ण रहे है| दोनों देशो के मध्य द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सम्बन्धो के ज़रिये अनेक क्षेत्रों जैसे आर्थिक, राजनियक, वैज्ञानिक,ऊर्जा, शिक्षा, सांस्कृतिक आदि में सम्बन्ध मजबूत हुए है |
भारत और कज़ाख्स्तान के ऐतिहासिक सम्बन्ध 2500 वर्षो से भी पुराने है| दोनों देशो के बीच न केवल विचारो बल्कि संस्कृति का भी आदान- प्रदान होता रहा है| प्राचीन समय में, सिल्क रोड़ के अस्तित्व और भारत में मुगलों के आने के कारण भी दोनों देशो के सम्बन्ध ऐतिहासिक रूप से समृद्ध हुए है|1 भारत और कज़ाख्स्तान के संबंधो को मजबूत बनाने के लिए दोनो देशो के बीच राजनीतिक, सामरिक और आर्थिक परिदृश्यों के अलावा बहुपक्षीय रूप से भी क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपार क्षमता को बढाने के लिए प्रयास किया जा रहा है| भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार "हम कज़ाख्स्तान के साथ अपने संबंधों को बहुत अधिक महत्व देते हैं| हममें बाजारों, संसाधनों और कौशलों का एक सुदृढ़ सहक्रियात्मक संबंध है| हमने अनेक क्षेत्रों में अपनी आर्थिक नीतियों, दृष्टिकोणों और रणनीतियों में उल्लेखनीय समानता को ढूंढ़ निकाला है |"2
पिछले 25 वर्षो के दौरान, भारत और कज़ाख्स्तान के बीच सम्बन्धो में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है| भारत में कज़ाख्स्तान के राजदूत बोलत सर्सेम्बयेव (Bulat Sergazyuly Sarsenbayev) का विचार है कि, "भारत विशेष रूप से कज़ाख्स्तान के साथ बड़े पैमाने पर अपनी विदेश नीति में भूमिका प्रदान कर रहा है न केवल व्यापार भागीदार के रूप में, बल्कि एक महत्वपूर्ण राजनीतिक रूप व उच्च आर्थिक और वैज्ञानिक तकनीकी क्षमता में निवेश करने की योजना का निर्माण किया जा रहा है|"3 पूर्व भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 2011 में कज़ाख्स्तान की यात्रा सम्पन की गयी थी| दोनों देशो के बीच उच्च स्तर की वार्ता में सामरिक भागीदारी पर संयुक्त घोषणा पर सहमति जताई गयी थी|4
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कज़ाख्स्तान की यात्रा पर 7-8 जुलाई 2015 को गये, इस दौरान दोनों देशो के बीच पांच समझौतों पर आम सहमति हुई जिसमे सुरक्षा, सैन्य सहयोग बढ़ाने के लिए और यूरेनियम की आपूर्ति के लिए अनुबंधो पर हस्ताक्षर किये गये थे|5 भारत और कज़ाख्स्तान के बीच आवागमन का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है| प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में "अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण- कोरिडोर, ईरान – कजाख- तुर्कमेनिस्तान रेल लिंक संपर्क, व्यापार एवं पारगमन पर अश्काबत करार में शामिल होने में भारत के हित से और ईरान में चाहबहार बंदरगाह में भारत के निवेश से कनेक्टिविटी और बेहतर होगा|"6
कज़ाख्स्तान भोगौलिक मानचित्र
Source: http://www.kazakhstan.org.jo/cms/index.php?option=com_content&task=view&id=2&Itemid=3&lang=English
समग्र रूप से द्विपक्षीय सहयोग को संस्थागत रूप प्रदान करने के लिए दोनों देशो की वार्षिक बैठके आयोजित की जाती रही है| द्विपक्षीय गतिविधियों को आगे बढ़ने के लिए अन्य कदम भी लिए गये है जैसे भारत की वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा फोकस: सी आई एस प्रोग्राम की शुरुआत 2003- 2004 में की थी| इस प्रोग्राम का उद्देश्य मध्य एशिया में भारत के निर्यात की क्षमता को बढाना और सीआईएस क्षेत्र के देशों के साथ भारत के व्यापार का दायरा बढ़ाने के लिए विभिन्न विकल्पों और परिकल्पनाओ का निर्माण करना है| इस कार्यक्रम में भारत सरकार और विभिन्न एजेंसियों के एकीकृत प्रयासों के माध्यम से सीआईएस क्षेत्र में भारत के निर्यात को बढ़ाने की परिकल्पना की गई है|
भारत और कज़ाख्स्तान अपने आर्थिक, व्यापार और ऊर्जा संबंधो में अहम भूमिका निभा रहे है| कज़ाख्स्तान, मध्य एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है| भारत और कज़ाख्स्तान के बीच द्विपक्षीय समझौतों को अंजाम दिया जा रहा है जैसे कि तेल, गैस, इंजीनियरिंग, रेस्तरां, चाय, फार्मास्यूटिकल, ट्रेडिंग, खनिज, स्टील, ट्रेवल एजेंसी, जनरल ट्रेडिंग और सर्विसेज आदि|
भारत और कज़ाख्स्तान के बीच आयात- निर्यात सकल द्विपक्षीय व्यापार (US $ मिलियन में)
स.न. |
साल |
2011-2012 |
2012-2013 |
2013-2014 |
2014-2015 |
2015-2016 |
1. |
निर्यात |
244.39 |
286.23 |
261.51 |
250.68 |
151.91 |
2. |
आयात |
191.86 |
139.99 |
656.33 |
701.67 |
352.93 |
3. |
कुल व्यापार |
436.25 |
426.22 |
917.84 |
952.35 |
504.84 |
स्रोत: Government of India, Ministry of Commerce and Industry.
कज़ाख्स्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव के अनुसार "द्विपक्षीय संबंधों में व्यापार और आर्थिक आयाम एक बहुत महत्वपूर्ण कड़ी है| 2013 में व्यापार कारोबार 1.3 अरब डॉलर पहुँच गया था| हमने संयुक्त कार्य सूचना प्रौद्योगिकी, तेल और गैस, कृषि, परमाणु ऊर्जा और दवाइयों के क्षेत्र में काफी अनुभव प्राप्त किया है|"7 भारत की कई व्यापरिक और वित्तीय संस्था कज़ाख्स्तान में उपस्थित है उदहारण स्वरूप: Punj lloyd, OVL, Punjab National Bank और Mittal Steel आदि. इसी प्रकार, कज़ाख्स्तान की व्यापरिक कंपनिया भारत में उपस्थित है जैसे: KazStroy Service (infrastructure), Caspian Shelf KCF (oil exploration), TVL (retail equipment), और STL(transportation and logistics) आदि |8
भारत और कज़ाख्स्तान के बीच 2015 में IGC (Intergovernmental Commission) की 12 वी बैठक नई दिल्ली में हुए थी9 जिसमे भारतीय पेट्रोलियम और प्राक्रतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान उपस्थित थे| भारत की ONGC विदेश लिमिटेड (25%) और कज़ाख्स्तान की कज्मुनिगाज़ (75%) के बीच सत्पयेव तेल सेक्टर में निवेश की योजना तैयार की गयी है जिसे भारत का कैसपियन सागर में हाइड्रोकार्बन के क्षेत्र में अच्छी शुरुआत माना जा सकता है| भारत को न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में ही निवेश करना चाहिए बल्कि कज़ाख्स्तान के साथ ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतो पर भी अपना ध्यान देना जाना चाहिए जैसे बायो-फ्यूल, सोलर पॉवर आदि |
भारत INSTC (International North- South Corridor) प्रोजेक्ट में एक भागीदारी देश है| यह प्रोजेक्ट दक्षिण एशिया को मध्य –एशिया, ईरान, काकेशस क्षेत्र, यूरोप और रूस को रेल और जल मार्ग के माध्यम से जोड़ेगा| अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा बनाने के लिए भारत, ओमान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज़बेकिस्तान और कज़ाख्स्तान के साथ मल्टीमॉडल परिवहन समझौता करेगा, इसके माध्यम से मध्य एशिया और फारस की खाड़ी के बीच माल के परिवहन की सुविधा प्रदान करता है| इसी प्रकार भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, "आने वाले समय में, भारत इस क्षेत्र में यातायात और संचार को उन्नत बनाने में सहयोग देने के लिए तैयार हैं| हम यूरोप के उत्तरी भाग से एशिया के दक्षिणी समुद्री तट को फिजिकल (physical) और डिजिटल कनेक्टिविटी (digital connectivity) नेटवर्क से जोड़ सकते हैं| इस परिपक्ष्य में International North South Transport Corridor इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है|"10 भारत के लिए जरुरी है कि भारत को मध्य एशिया से जोड़ने के लिए नये रास्तो का निर्माण किया जाना चाहिए जैसे कि अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान पारगमन व्यापार समझौता (APTTA 2010) के साथ जुड़ने से भारत को लाभ हो सकता है| इससे भारत अपने माल को दो दिन में आदान प्रदान कर पायगा | भारत और चीन के बढते आर्थिक सम्बन्धो ने मध्य एशिया देशो तक पहुच का एक वैकल्पिक मार्ग प्रस्तुत किया है| चीन की सीमा मध्य एशिया के तीन देशो कज़ाख्स्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान से जुडती है| भारत-चीन-मध्यएशिया सम्पर्क गलियारे की सम्भवना बढ़ी है,11 ये पहल ब्रिक्स बैंक की स्थापना से आगे बढ़ सकती है|
भारत ने कज़ाख्स्तान के साथ शिक्षा के संदर्भ में भी एक साथ मिल कर निवेश करने की हामी भरी है| प्रधान मंत्री मोदी के शब्दों में "हमारी बड़े स्तर पर प्रगति मानव संसाधन विकास में हुई है| मध्य एशिया के हजारों पेशेवरों और छात्रों ने भारत में प्रशिक्षण प्राप्त किया है| भारत से अनेक छात्र इस इलाके के विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए आते हैं|"12 शैक्षणिक और सामरिक समुदायों के बीच नियमित संपर्कों ने भारत और कज़ाख्स्तान के बीच सहयोग को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है| भारत आईटीईसी कार्यक्रम के तहत विदेश मंत्रालय द्वारा प्रायोजित और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए आईसीसीआर छात्रवृत्ति कार्यक्रमों के तहत भारत-कजाखस्तान के विशेषज्ञों और विद्वानों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है| अस्ताना में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के माध्यम से विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधिओ का आयोजन किया जाता है जैसे भारतीय त्यौहार का उत्सव, सांस्कृतिक प्रदर्शन, और भारतीय सिनेमा प्रदर्शनी आदि| दोनों देशो के बीच चिकित्सा पर्यटन (मेडिकल टूरिज्म) की भी बहुत वृद्धि हुई है| दोनों देशो के बीच कम दूरी होने के कारण भारत कज़ाख्स्तान के मरीजों के लिए एक व्यवहार्य चिकित्सा पर्यटन स्थल बनता जा रहा है|
कज़ाख्स्तान और भारत के बीच बहुपक्षीय स्तर पर भी काफी मजबूत सम्बन्ध बनते जा रहे है जैसे कि Conference on Interaction and Confidence Building Measures in Asia (CICA), Shanghai Cooperation Organization (SCO), Eurasian Economic Union (EEU) आदि में दोनों देश अहम भूमिका निभा सकते है|
भारत के मध्य एशिया की और बढते कदम आने वाले समय में और मजबूत होंगें| शंघाई सहयोग संगठन आर्थिक सहयोग के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभर सकता है| भारत 2005 से ही इस समूह का पर्यवेक्षक सदस्य रहा है, अब भारत SCO का (2017) पूर्ण सदस्य बनाने वाला है| भारत 2017 में SCO की अस्ताना की बैठक में भाग लेगा| SCO एक प्रकार से भारत और मध्य एशिया के बीच एक सेतु का कार्य करेगा| SCO में भारत को शामिल करने से एशियाई सदी की अपेक्षाओ को पूर्ण करनी की दिशा में आगे बढने में मदद मिलेगी|13 प्रधान मंत्री मोदी के अनुसार, "भारत की ऊर्जा और संसाधनों की बढ़ती जरूरतें, और भारत मे मौजूद एक बड़ा बाजार, SCO क्षेत्र में समृद्धि लाने के लिए अहम भूमिका निभा सकता है| साथ ही साथ, भारत SCO क्षेत्र के देशों के साथ मिलकर मानव संसाधन विकास, सूचान प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स और स्वास्थ्य देखभाल, बैंकिंग और पूंजी बाजार, छोटे और मध्यम उद्यम, सूक्ष्म वित्त, खाद्य सुरक्षा और कृषि के क्षेत्रों में काम करने के लिए तैयार है"|14 EEU का उद्देश्य 176 मिलियन लोगो को एकत्रित करने और 4 खरब डॉलर की जीडीपी के साथ एक मार्किट बन कर उभरना है| भारत EEU के भागीदारी देशो के साथ व्यापार और निवेश करने में सक्षम है और यह अपने व्यापार का विस्तार कर सकेगा| भारत EEU के FTA (Free Trade Agreement) के लिए बातचीत कर रहा है|15
कज़ाख्स्तान सक्रिय रूप से अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए), परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG), तथा सयुंक राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थाई सदस्यता बनाने का समर्थक देश रहा है|
निष्कर्ष
भारत और कज़ाख्स्तान सम्बन्धो के बीच कई ऐसे कारक है जैसे, ऐतिहासिक संबंधों, सामरिक स्थिति और आर्थिक क्षमता, आदि से भारत और मध्य एशिया के बीच संबंध का मार्ग प्रशस्त हो सकता है| भारत और कज़ाख्स्तान के बीच उभरते संबंधों से स्पष्ट रूप से यह संकेत मिलता है कि संबंधों के विकास के लिए अवागमन बाधाओं के बावजूद, भावी सहयोग के लिए प्रचुर संभावनाएं मौजूद है| भारत के समक्ष ऐसे तीन कारक मौजूद है जो भारत के लिए कज़ाख्स्तान को महत्वपूर्ण बनते है| सबसे पहले, कज़ाख्स्तान का भू रणनीतिक स्थिति, दूसरा, आर्थिक क्षमता और तीसरा, कज़ाख्स्तान एक गलियारा के रूप में विकास आदि|
भारत और कज़ाख्स्तान के बीच के ऐतिहासिक मैत्रीपूर्ण संबंध में तेज़ी से वृद्धि हो रही हैं। अपने द्विपक्षीय संबंधो को मजबूत बनाने का संकेत भारत के लिए कैस्पियन सागर में अबई ब्लाक का प्रस्ताव महत्वपूर्ण सूचक है| पिछले 25 वर्षो में इनके राजनयिक सम्बन्ध प्रगाढ़ हुए है| लेकिन भारत की ऊर्जा की बढती मांग को ध्यान में रखते हुए, कज़ाख्स्तान के साथ आर्थिक संबंधो को ओर बढाया जाना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधो को मजबूत किया जाना चाहिए|
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* लेखिका, शोध प्रशिक्षु, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, सप्रू भवन, नई दिल्ली | व्यक्त विचार शोधकर्ता के हैं,परिषद के नहीं |
1 Embassy of India, Astana, Kazakhstan, "India - Kazakhstan bilateral relation", [Online; Web], accessed on 5 February 2017, http://indembastana.in/ieb.php?id=Bilateral%20Relations
2 Ministry of External Affairs Government of India, Media Statement by Prime Minister During his visit to Kazakhstan, 8 July 2015,[Online: Web], accessed on 8 February 2017, https://www.mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/25438/Media_Statement_by_Prime_Minister_during_his_visit_to_Kazakhstan
3 The Astana Times (2015), "Kazakh-Indian Relations on the Rise",[Online: Web] accessed on 5 February 2017, http://astanatimes.com/2015/07/kazakh-indian-relations-on-the-rise/
4 Sajjanhar, A (2013), India- Kazakhstan Relations: Challenges and Opportunities" India Council of Global Relation: Delhi,[Online: Web], 7 February 2017 , http://www.gatewayhouse.in/india-kazakhstan-relations-challenges-and-opportunities/
6 Ministry of External Affairs Government of India, Media Statement by Prime Minister During his visit to Kazakhstan, 8 July 2015,[Online: Web], accessed on 8 February 2017, https://www.mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/25438/Media_Statement_by_Prime_Minister_during_his_visit_to_Kazakhstan
8 Chatterjee, S (2006), Mind and vision perceptions of reforms in Kzakhstan and Kyrgzstan, Kolkata: Book well New Delhi
9 Kazakhinform International News Agency (2015),"Sitting of Kazakhstan intergovernmental commission took place in new Delhi", [Online: Web], accessed on 12 February 2017, http://www.inform.kz/en/sitting-of-kazakh-indian-intergovernmental-commission-took-place-in-new-delhi_a2787723
10 विदेश मंत्रालय, "भारत सरकार, शंघाई सहयोग संगठन के प्लैनेरी सत्र में प्रधानमंत्री का व्यक्तव्य 10 जुलाई2015)", [Online :Web], accessed on 18 February 2017, . http://mea.gov.in/Speeches-Statements-hi.htm?dtl/25454/Remarks_by_Prime_Minister_at_Plenary_of_the_Shanghai_Cooperation_Organisation
11 डॉ.अतहर जफ़र, (2014) "भारत - कज़ाख्स्तान: नई सहक्रिया की तलाश", इंडिया काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफेयर्स: दिल्ली.
12 Ministry of external affairs government of India, "कजाख्स्तान की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया मीडिया वक्तव्य", जुलाई 08, 2015, [online: web], accessed on 6 February 2017, https://www.mea.gov.in/Speeches-Statements-hi.htm?dtl/25438/media+statement+by+prime+minister+during+his+visit+to+kazakhstan
13 अतहर जफ़र, (2014), "भारत और शंघाई सहयोग संगठन : सांझी सम्पनता हेतु बढता सहयोग", इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफेयर्स: नई देल्ली.