प्रिय डॉ. राघवन जी,
प्रिय श्री विकास स्वरूप जी,
वेबिनार के प्रिय प्रतिभागियों,
हमारे एससीओ संगठन के ढांचे में एक एससीओ सदस्य राष्ट्र के रूप में भारत की सहभागिता और बहुपक्षीय सहयोग के विषय पर इस वेबिनार के आयोजन के लिए मैं विश्व मामलों की भारतीय परिषद (आई.सी.डब्ल्यू.ए.) को धन्यवाद देता हूं।
इस वर्ष की शुरुआत में मुझे एससीओ महासचिव के रूप में आपके अद्भुत देश का दौरा करने का सौभाग्य मिला, जिसके दौरान हमने नई दिल्ली में विश्व मामलों की भारतीय परिषद में सार्थक चर्चा की।
हम जानते हैं कि आई.सी.डब्ल्यू.ए. भारत का एक अग्रणी थिंक टैंक है, जो प्रमुख क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के अध्ययन के साथ-साथ आर्थिक विकास हेतु संभावनाओं का निर्धारण करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
एक पूर्ण सदस्य के रूप में एससीओ में भारत की पहुंच से एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के बीच पूर्ण विकास हेतु नए अवसरों का निर्माण होता है।
एससीओ में भारत के शामिल होने से संगठन को एक नई गुणवत्ता तथा गतिशीलता मिली है, और इससे इसकी आधुनिक चुनौतियों तथा खतरों का सामना करने की क्षमता बढ़ी है। इससे क्षेत्रीय और वैश्विक नीतियों को आकार देने, सुरक्षा और सतत विकास को सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में एससीओ की भूमिका मजबूत हुई है।
हम एससीओ के भीतर पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग को और गहरा करने के भारतीय पक्ष के प्रयासों की सराहना करते हैं।
क़िंगदाओ और बिश्केक के हालिया एससीओ शिखर सम्मेलन में, जिसमें भारत ने पूर्ण सदस्य के रूप में भाग लिया, भारत के प्रधानमंत्री महामहिम श्री मोदी ने कृषि, चिकित्सा, सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, वित्त, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के विकास , पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा में और अधिक गहन सहयोग, व्यापार, आर्थिक, सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव दिए।
भारत में पहली बार, 8 नवंबर 2019 को आपदा प्रबंधन से निपटने वाले एससीओ के सदस्य राष्ट्रों की एजेंसियों की प्रमुखों की 10वीं बैठक आयोजित की गई।
मैं एससीओ सुरक्षा तंत्र में भारत की सक्रिय भागीदारी पर आपका ध्यान केन्द्रित करना चाहता हूं, जिसमें क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना और "एससीओ ड्रग विरोधी रणनीति" का कार्यान्वयन शामिल है। एससीओ भी आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में भारत की सक्रिय भागीदारी का स्वागत करता है।
इस साल, पहली बार, भारत एससीओ के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण निकाय, सरकार के प्रमुखों की परिषद की बैठक की अध्यक्षता कर रहा है, जो इस साल नवंबर में भारत में आयोजित होने वाला है।
यह निकाय (सरकार के प्रमुखों की परिषद) एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के बीच व्यापार, आर्थिक, सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग के विकास हेतु जिम्मेदार मुख्य तंत्र है।
प्रधानमंत्रियों की बैठक व्यापार, न्याय, राष्ट्रीय समन्वयकों की परिषद और वित्तीय विशेषज्ञों की बैठकों से पहले होगी।
कंसोर्टियम ऑफ इकोनॉमिक थिंक टैंक की पहली बैठक रचनात्मक रूप से इस वर्ष 20-21 अगस्त को भारतीय पक्ष की पहल पर एक वीडियो कांफ्रेंसिंग के प्रारूप में हुई थी। कंसोर्टियम ने एससीओ क्षेत्र के भीतर व्यापार तथा आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संयुक्त अनुसंधान हेतु एक कार्य योजना को भी अपनाया।
हम इन संयुक्त अध्ययनों को बहुत अधिक महत्व देते हैं, और इस संबंध में मैं एससीओ सचिवालय की तैयारी और सक्रियता हेतु उनकी तत्परता के लिए सराहना व्यक्त करता हूं।
आज, एससीओ एक ऐसा संगठन है जो दुनिया की लगभग आधी आबादी और समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों, उन्नत उत्पादन सुविधाओं तथा प्रौद्योगिकियों वाले विशाल उपभोक्ता बाजार को एक साथ लाता है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, 2019 में एससीओ के सदस्य राष्ट्रों की कुल जीडीपी दुनिया की कुल जीडीपी का 22.4% या 19.5 ट्रिलियन डॉलर थी।
2030 तक, इसके दुनिया की जीडीपी के 35-40% तक बढ़ने की उम्मीद है। 2019 में विदेशी देशों (गैर एससीओ देशों) के साथ एससीओ के सदस्य देशों का कुल विदेशी व्यापार कारोबार 6.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक था।
हालांकि, एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के बीच व्यापार कारोबार कुल 5% से अधिक नहीं है और लगभग 305 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। हालांकि, अगर हम आसियान जैसे संगठन को देखें, तो आसियान देशों के बीच आपसी व्यापार 27% है।
जैसा कि लगता है, हमारा व्यापार तथा आर्थिक सहयोग अभी तक एससीओ क्षेत्र में राजनीतिक संपर्क के स्तर के अनुरूप नहीं है।
साथ ही, भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से है, जो जीडीपी के मामले में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। पीडब्ल्यूसी के पूर्वानुमान "द वर्ल्ड इन 2050" के अनुसार, विश्व की जीडीपी में भारत की अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी 2050 तक दोगुना बढ़ सकती है, और यह चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
इस संबंध में, निकट भविष्य में, एससीओ वैश्विक आर्थिक विकास के केंद्रों में से एक बन सकता है।
परिवहन के क्षेत्र में सहयोग के नए क्षेत्र, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय "उत्तर-दक्षिण" परिवहन गलियारा 7 हजार किलोमीटर से अधिक की लंबाई के साथ, भारत और रूस की पहल पर बनाया जा रहा है, साथ ही नए अंतरराष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारे के निर्माण पर अश्गाबात समझौते पर भारत की पहुंच, इस लक्ष्य को पूरा करेंगे। इस कॉरिडोर की अनुमानित क्षमता प्रति वर्ष लगभग 20 से 30 मिलियन टन कार्गो है, जिससे समय और लागत में 30%-40% की कमी आएगी।
रेलमार्गों, सड़कों और बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे के माध्यम से कार्गो पारगमन की ये परियोजनाएं एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के सतत आर्थिक विकास की परिस्थितियां पैदा करेंगी।
वर्तमान में एससीओ के ढांचे के भीतर कार्यान्वित की जाने वाली परिवहन अवसंरचना परियोजनाएं मुख्य रूप से मध्य एशिया के भौगोलिक रूप से भू-भाग वाले देशों के उत्पादों के लिए भारतीय बंदरगाहों के माध्यम से विश्व बाजार में प्रवेश करने हेतु अनुकूल अवसर प्रदान करने के मूल कार्य को हल करते हैं, जो एससीओ के मूल में हैं और पूरे एससीओ संगठन में शांति तथा स्थिरता इस क्षेत्र की भलाई, आर्थिक विकास और समृद्धि पर निर्भर करती है।
इस प्रकार, परिवहन हेतु नए मुख्य मार्ग बनाएं जाएंगे, जो पूरे यूरेशियन क्षेत्र को जीवन शक्ति प्रदान करेंगे।
भारत अपने रेल नेटवर्क के आकार के मामले में एशिया में पहले और दुनिया में दूसरे स्थान पर है।
माल ढुलाई की मात्रा के हिसाब से भारत दुनिया में 5वें स्थान पर है और देश का नेतृत्व परिवहन बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण हेतु कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
मुझे विश्वास है कि आने वाले वर्षों में हम सरकार द्वारा कार्यान्वित कार्यक्रमों से व्यावहारिक लाभ होता हुए देखेंगे और इससे एससीओ देशों के साथ व्यापार तथा आर्थिक सहयोग के अतिरिक्त अवसर खुलेंगे, आपसी व्यापार की मात्रा बढ़ेगी और संयुक्त निवेश परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा।
इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, नवंबर 2019 में ताशकंद में एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के शासनाध्यक्षों ने "एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के बहुपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग के कार्यक्रम" के एक नए संस्करण को मंजूरी दी, जो प्रभावी परिवहन अवसंरचना के संतुलित विकास तथा परिवहन में डिजिटल प्रौद्योगिकियों और कुशल प्रणालियों के उपयोग के विस्तार पर कार्यों के कार्यान्वयन के लिए प्रदान करता है।
रेलवे परिवहन के विकास की सुविधा के क्षेत्र में, शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य राष्ट्रों के रेलवे प्रशासन (रेलरोड) के बीच सहयोग की अवधारणा को अपनाया गया था। हमें पूरी उम्मीद है कि भारत इन एससीओ दस्तावेजों के कार्यान्वयन में अपनी भागीदारी को बढ़ाएगा।
प्रिय देवियों एवं सज्जनों,
हाल के दशकों में, भारत ने औद्योगिक विकास में बहुत अधिक प्रगति की है और विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए आकर्षक केंद्र बन गया है।
अब भारत भी उच्च तकनीक विनिर्माण का केंद्र बनने की राह पर है, क्योंकि कई बड़ी वैश्विक कंपनियां या तो पहले ही स्थापित हो चुकी हैं या अपनी विनिर्माण सुविधाओं को स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं।
“मेक इन इंडिया” पहल, भारत सरकार की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है, जिसका उद्देश्य भारत की तकनीकी तथा औद्योगिक क्षमता को वैश्विक औद्योगिक केंद्र के रूप में प्रदर्शित करना है।
यह माना जाता है कि भारत का विनिर्माण क्षेत्र 2025 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। इसके बावजूद कि भारत, रूस और चीन जैसी विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं एससीओ का हिस्सा हैं, एससीओ देशों के बीच घरेलू व्यापार का हिस्सा, जैसा कि मैंने पहले ही कहा है, अन्य देशों के साथ उनके व्यापार की कुल मात्रा की तुलना में कम रहता है।
हमें एससीओ के भीतर व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने की जरूरत है।
एससीओ के सदस्य राष्ट्र संयुक्त औद्योगिक समूहों को बनाने और सदस्य राष्ट्रों के प्राकृतिक क्षेत्रीय लाभ और क्षमता के आधार पर बहुपक्षीय निवेश परियोजनाओं को लागू करने हेतु काम कर रहे हैं।
एससीओ व्यापार समिति और एससीओ इंटरबैंक संघ इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हम व्यापार और आर्थिक संबंधों के विस्तार हेतु एससीओ क्षेत्रीय पहलों में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए भारत का आह्वान करते हैं।
इस संबंध में, हम इस वर्ष की चौथी तिमाही में एससीओ आर्थिक मंच आयोजित करने के लिए भारत की राष्ट्रीय व्यापार परिषद की पहल का स्वागत करते हैं।
हमारा मानना है कि परिवहन और सीमा शुल्क प्रक्रियाओं के सरलीकरण, माल के निर्बाध प्रवाह हेतु एक समान फाइटोसैनेटिक (पादपस्वच्छता) नियंत्रण मानकों के गठन से सभी एससीओ सदस्य-राज्यों के व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र में वृद्धि होगी।
कोविड-19 महामारी के दौरान, सचिवालय के महत्वपूर्ण काम के लिए ऑनलाइन मोड में तेजी से संक्रमण और सबसे महत्वपूर्ण सरकारी और शैक्षिक सेवाओं के काम के लिए भी आईटी-प्रौद्योगिकियों की प्रभावशीलता दिखाई दी।
इससे न केवल इंटरनेट प्लेटफार्मों का महत्व और मांग का पता चला, बल्कि इसने नई नौकरियों के सृजन, वैश्विक स्तर पर आपूर्तिकर्ता और उपभोक्ता के बीच बुनियादी रूप से नए स्तर बनाने, भौगोलिक और सामाजिक-राजनीतिक सीमाओं को समान करने में उनकी सफलता को दर्शाया है।
निस्संदेह अंतर्राष्ट्रीय ई-कॉमर्स का विकास इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या से संबंधित है। वर्तमान में, दुनिया के 1.5 बिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता विश्व व्यापार के लगभग 20% हिस्से की ऑनलाइन खरीदारी करते हैं, और डिजिटल कॉमर्स खाते रखते हैं।
2025 तक इसके 25% तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में ई-कॉमर्स आधारित स्टार्ट-अप की कुल संख्या का 60 प्रतिशत है और इसलिए यह उद्योग पर हावी है।
आधुनिक दुनिया एक अभूतपूर्व कगार पर खड़ी है, या कह सकते हैं कि, क्रांतिकारी तकनीकी परिवर्तन। सुपर हाई-स्पीड 5 जी नेटवर्क पर काम कर रहे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, बायो और नैनो टेक्नोलॉजी के विकास के तालमेल से जुड़ा डिजिटल क्रांति का दूसरा युग, डिजिटल और वास्तविक अर्थव्यवस्था को एक साथ लाता है।
ऐसा लगता है कि भविष्य उन लोगों का है जो राष्ट्रों की अर्थव्यवस्था और सामाजिक क्षेत्र के विकास में प्रभावी रूप से आईटी उद्योग की विशाल क्षमता का उपयोग कर सकते हैं।
यही कारण है कि बिश्केक में एससीओ शिखर सम्मेलन में डिजिटलाइजेशन और सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में एससीओ के सदस्य देशों के सहयोग की अवधारणा, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान की पहल पर विकसित की गई थी।
आईसीटी उद्योग में भारत की विशाल क्षमता को देखते हुए, हम बहुपक्षीय प्रारूप में इस अवधारणा के कार्यान्वयन में देश की सक्रिय भागीदारी हेतु तत्पर हैं।
वेबिनार के प्रिय प्रतिभागियों,
शंघाई सहयोग संगठन "शंघाई की भावना" को मजबूत करने हेतु मानवीय संबंधों पर केन्द्रित है।
सदस्य राष्ट्र युवाओं के बीच स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन और विकासशील संपर्कों के क्षेत्र में फलदायी कार्य करते हैं।
कोरोनावायरस महामारी के वर्तमान संदर्भ में, भारत की स्वास्थ्य उपलब्धियां प्रेरणादायक हैं और विशेष ध्यान देने योग्य हैं।
भारत दवा उत्पादन के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है और दुनिया की टीकों की मांग के 62% हिस्से को पूरा करता है।
पिछले 50 वर्षों में, भारतीय दवा कंपनियां देश की घरेलू जरूरतों को पूरा करने तथा वैश्विक दवा बाजार में अग्रणी स्थान हासिल करने में सफल रही हैं।
भारत तथा एससीओ के बीच सहयोग के अगले चरणों के लिए, विशेष रूप से कोविड-19 के बाद के समय में, भारत एससीओ के सदस्य राष्ट्रों में फार्मास्युटिकल उत्पादों, स्वास्थ्य प्रणाली में नवीनतम तकनीकों के अनुप्रयोग तथा टेलीमेडिसिन नेटवर्क के निर्माण हेतु संयुक्त परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से शामिल हो सकता है।
इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इस सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के दौरान, शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों ने एकजुटता और सामंजस्य का प्रदर्शन किया है, जो सक्रिय रूप से एक दूसरे को व्यापक सहायता और मदद प्रदान करते हैं, और मानवता को इस कठिन समय का मुकाबला करने में लगातार अनुभव का आदान-प्रदान करते हैं।
इस वर्ष 13 मई को एससीओ के विदेश मंत्रियों के वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त रूप से कोविड-19 महामारी से लड़ने हेतु भारत की मजबूत प्रतिबद्धता और एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के साथ सूचना, अनुभव और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने की अपनी तत्परता की पुष्टि की।
पारंपरिक चिकित्सा के संरक्षण और विकास में भारत का योगदान, जो भारत की स्वास्थ्य प्रणाली का एक अभिन्न अंग है, विशेष रुप से ध्यान देने योग्य है।
हाल ही में, भारत ने शंघाई सहयोग संगठन के भीतर एक उप समूह की स्थापना का प्रस्ताव किया है, जो एससीओ स्वास्थ्य सेवा बैठक तंत्र के ढांचे के भीतर पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग विकसित करने हेतु है।
इसपर ध्यान दिया जा सकता है कि एससीओ के कई सदस्य राष्ट्रों में, कोरोनोवायरस रोगियों के इलाज में पारंपरिक चिकित्सा अत्यधिक प्रभावी रही है।
इस वर्ष 30 जुलाई को, "कोविड-19 के खिलाफ संयुक्त लड़ाई में पारंपरिक चिकित्सा की अनूठी भूमिका" नामक पारंपरिक चिकित्सा पर एससीओ फोरम को वीडियो कांफ्रेंस के प्रारूप में आयोजित किया गया था।
सितंबर के अंत में, भारतीय पक्ष की पहल पर, अगले एससीओ वीडियो कांफ्रेंस पारंपरिक चिकित्सा पर आयोजित किया जाएगा।
हम शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों की पारंपरिक चिकित्सा पर सहयोग कार्यक्रम के विकास में भारत की सक्रिय भागीदारी के लिए तत्पर हैं।
आज, 15 से 24 वर्ष के 800 मिलियन से अधिक युवा एससीओ क्षेत्र में रहते हैं।
यह हमारे देश की युवा पीढ़ी के बौद्धिक तथा व्यावसायिक कौशल और क्षमताओं को विकसित करने हेतु एससीओ का युवाओं की उच्च क्षमता को हासिल करने की दिशा में काम करना अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।
वर्तमान में, कोरोनावायरस महामारी के साथ, हमारे अधिकांश देश में पूरी तरह से या आंशिक रूप से शैक्षणिक संस्थान बंद हैं, और कई छात्रों दूरस्थ शिक्षा का विकल्प अपना रहे हैं।
भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में भारत तथा दुनिया भर के 6 मिलियन से अधिक छात्रों के साथ 200 से अधिक संस्थान हैं।
आज भारत उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या के मामले में चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
साथ ही, भारतीय विश्वविद्यालयों में शिक्षित आईटी विशेषज्ञ आज दुनिया भर में अपनी पहुंच बना चुके हैं।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि महामारी से पहले भी, भारतीय उच्च शिक्षा में आभासी और दूरस्थ शिक्षा व्यापक रुप से मौजूद थी।
एससीओ में, रूसी पक्ष की पहल पर स्थापित एससीओ विश्वविद्यालय की समन्वय बैठक के पहले सत्र में, जिसमें रूस, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के 79 विश्वविद्यालयों को एक साथ शामिल होते हैं, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दूरस्थ शिक्षा के विकास तथा उच्च योग्य विशेषज्ञों के प्रशिक्षण के लिए सहयोग की योजना को अपनाया गया था।
हमें उम्मीद है कि भारत भी एससीओ विश्वविद्यालय में शामिल हो जाएगा।
जैसा कि आप जानते हैं, 2018 में एससीओ के क़िंगदाओ शिखर सम्मेलन में, हमारे देशों के नेताओं ने युवाओं के लिए एक संयुक्त अपील और इसके कार्यान्वयन के एक कार्यक्रम को अपनाया था। कार्यक्रम में एससीओ के भीतर युवा वैज्ञानिकों का एक संघ बनाने, सदस्य राष्ट्रों में युवा शैक्षिक, वैज्ञानिक और अभिनव प्रदर्शनियों तथा प्रतियोगिताओं का संचालन करने, वैज्ञानिक प्रकाशनों का आदान-प्रदान करने, विध्वंसक बलों की गतिविधियों में युवाओं की भागीदारी को रोकने के सामयिक मुद्दों और कई अन्य गतिविधियों पर अनुसंधान कार्य करने का प्रस्ताव रखा गया है।
एससीओ युवा परिषद इन दस्तावेजों को लागू करने में सक्रिय भूमिका निभाता है।
इस संबंध में, हम एससीओ युवा परिषद में शामिल होने के भारतीय पक्ष के निर्णय का स्वागत करते हैं और कार्यक्रम के क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाने हेतु भारत की ओर देखते हैं।
पिछले साल नवंबर में ताशकंद में एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के संयुक्त संवाद ने एससीओ क्षेत्र में युवाओं द्वारा स्टार्ट-अप स्थापित करने में सहायता प्रदान करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय युवा बिजनेस इन्क्यूबेटरों की स्थापना की चीनी पक्ष की पहल का समर्थन किया।
स्टार्टअप-इकोसिस्टम के आकार के हिसाब से भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है। इसमें 12-15% की लगातार वार्षिक वृद्धि दिखाने की उम्मीद है।
केवल 2019 में ही, 1,300 नए तकनीकी स्टार्ट-अप शुरु हुए, जिसका मतलब है कि हर दिन 2-3 तकनीकी स्टार्ट-अप शुरु हो रहे हैं।
यह उत्साहजनक है कि युवा इन प्रक्रियाओं में शामिल हैं।
हम स्टार्टअप्स और इनोवेशन पर एक विशेष कार्य समूह बनाने की भारत की पहल का भी स्वागत करते हैं।
2018 में क़िंगदाओ में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में, भारत के प्रधानमंत्री, श्री मोदी ने कहा कि "कई हजार वर्षों तक एससीओ देशों द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया भौगोलिक क्षेत्र दुनिया भर में वैज्ञानिक तथा दार्शनिक प्रगति के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है - बुद्ध, कन्फ्यूशियस इसके सिर्फ एक उदाहरण है; समरकंद, बुखारा, महात्मा गांधी और ऐसे कई अन्य भी हमारी साझी विरासत के उदाहरण हैं। दुनिया भर में मानवता को प्रेरित करने वाले महान लोगों के अनगिनत उदाहरण मौजूद हैं।”
एकल पर्यटक स्थान बनाने हेतु, एससीओ सचिवालय ने "8 वंडर्स ऑफ़ द एससीओ" परियोजना शुरू की है, जिसमें प्रत्येक सदस्य राष्ट्र की एक आश्चर्य चीज शामिल होगी।हम इस पहल का समर्थन करने और भारत के "स्टैच्यू ऑफ यूनिटी" शामिल करने हेतु भारतीय पक्ष के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
"8 वंडर्स ऑफ़ द एससीओ" प्रदर्शनी बीजिंग, सेंट पीटर्सबर्ग, दुशांबे, शीआन और हेलसिंकी में आयोजित की गई थी।
हम देश में आगामी अंतरराष्ट्रीय पर्यटन प्रदर्शनियों में संयुक्त रूप से भारत में इसका प्रदर्शन करने हेतु तत्पर हैं।
पर्यटन भारत के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है जो देश की जीडीपी में योगदान कर रहा है और स्थायी आर्थिक विकास से प्रेरित है।
विश्व यात्रा एवं पर्यटन परिषद ने अनुमान लगाया है कि 2018 में भारत की जीडीपी में पर्यटन का हिस्सा 240 बिलियन अमेरिकी डॉलर या भारत के जीडीपी का 9.2% था।
इस क्षेत्र के 2028 तक 6.9% की वार्षिक दर से 450 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 9.9%) बढ़ने का अनुमान है।
भारत सरकार पर्यटकों को बेहतर पर्यटन अनुभव प्रदान करने हेतु देश भर में पर्यटन के बुनियादी ढांचे को विकसित करने की योजना भी बना रही है।
इस संदर्भ में, मैं एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के पर्यटन प्रशासन के प्रमुखों की बैठक का उल्लेख करना चाहूंगा, जो 22 मई 2020 को वीडियो कांफ्रेंसिंग प्रारूप में रूसी संघ की अध्यक्षता में हुई थी।
2021-2022 की अवधि हेतु पर्यटन के क्षेत्र में एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के सहयोग के कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए संयुक्त कार्य योजना के मसौदे के विकास में भारत की सक्रिय भागीदारी, इस वीडियो कांफ्रेंसिंग के ढांचे के भीतर सहमति से पक्षों के बीच बातचीत को एक नया प्रोत्साहन मिलेगा, हमारे लोगों के बीच आपसी समझ और आपसी सम्मान को बढ़ावा मिलेगा, एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध गहरा होंगे।
वेबिनार के प्रिय प्रतिभागियों,
सामान्य तौर पर, हम मानते हैं कि एससीओ के सदस्य राष्ट्रों की बहुमुखी व्यावहारिक गतिविधियां एक बड़ी यूरेशियन साझेदारी - एक व्यापक एकीकरण ढांचे - का रास्ता खोलती हैं, जिसे प्रतिभागियों के हितों के लिए पारदर्शिता तथा सम्मान के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय संघों - एससीओ, यूरोपीय संघ, यूरेशियन आर्थिक संघ, आसियान और अंतरमहाद्वीपीय परियोजनाओं - के नेटवर्क के आधार पर विकसित किया जाना चाहिए।
बेशक, इन गतिविधियों के कार्यान्वयन से महाद्वीप में आर्थिक सहयोग को मजबूत करने, सामान्य परिवहन तथा ऊर्जा बुनियादी ढांचे का विकास करने और तकनीकी प्रगति को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी।
आसियान देशों के साथ भारत के घनिष्ठ सहयोग को ध्यान में रखते हुए, हम 21 अप्रैल 2005 को आसियान और एससीओ सचिवालय के बीच हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन के अनुरुप 2019-2020 के लिए एससीओ सचिवालय और आसियान सचिवालय के बीच संभावित गतिविधियों के कार्यान्वयन में देश की सक्रिय भागीदारी हेतु तत्पर हैं।
इस संबंध में, हम अपने वेबिनार के एजेंडे पर हमारे भारतीय सहयोगियों के विचारों के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, क्योंकि एससीओ में भारत की उपस्थिति यूरेशिया में सहयोग के हमारे अवसरों को बढ़ाता है।इस प्रकार, आज एससीओ क्षेत्र - आर्कटिक से हिंद महासागर और प्रशांत से बाल्टिक तक - परियोजनाओं और नए विचारों को लागू करने के मामले में दिलचस्प तथा आशाजनक है, क्योंकि स्थिरता, गतिशील विकास और लगातार नए अवसरों को खोलना इसकी विशेषता है।
मैं वेबिनार के प्रतिभागियों को फलदायी कार्यों करने हेतु अपनी शुभकामना देता हूं।
मुझे सुनने के लिए आपका धन्यवाद!
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