मान्यवरों, राजनयिक दल, मीडिया के सदस्यों छात्रों और मित्रों,
हमें आज शंघाई सहयोग संगठन के महासचिव महामहिम श्री नूरलान येरमेकबायेव की मेज़बानी करते हुए बहुत गर्व हो रहा है। आज हम सप्रू हाउस व्याख्यान में ‘एससीओ और भारतः यूरेशिया में सहयोग हेतु क्षेत्रीय तालमेल को बेहतर करना’ विषय पर चर्चा करेंगे। भारतीय वैश्विक परिषट की प्रतिष्ठित सप्रू हाउस व्याख्यान श्रृंखला में आपका 51वां व्याख्यान देना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। इन व्याख्यानों में इससे पहले भी अनेक गणमान्य व्यक्ति– जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र, आसियान एवं आईओआरए जैसी बहुपक्षीय निकायों के महासचिव, अपना योगदान दे चुके हैं।
2. महामहिम श्री नूरलान येरमेकबायेव एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। इन्हें सेना, कूटनीति, शिक्षा और सरकार में काम करने का अनुभव है। विभिन्न उच्च– स्तरीय भूमिकाओं और प्रमुख सरकारी पदों पर कार्य करने के बाद, वे अपने कार्यालय में बहुत अनुभव के साथ आए हैं। वे लेफ्टिनेंट जनरल रहे, राजदूत, विदेश मामलों के उप– मंत्री, सुरक्षा परिषद के सचिव, धार्मिक मामलों और नागरिक समाज के मंत्री एवं कज़ाकिस्तान के रक्षा मंत्री, एससीओ के पूर्व उप महासचिव और अब इसी संगठन के महासचिव हैं। ये एक प्रवीण लेखक भी हैं। उनकी पेशेवर यात्रा वास्तव में सराहनीय है। परिषद की ओर से, मैं जनवरी 2025 में एससीओ के महासचिव का पद संभालने पर उन्हें हार्दिक बधाई देती हूँ।
3. मान्यवर, आपने न केवल एससीओ क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण और गतिशील समय में पदभार ग्रहण किया है। एससीओ स्वयं विस्तार और परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण चरण से गुज़र रहा है। बीते 25 वर्षों में, इसने राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक, सांस्कृतिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। संगठन में ऐसे समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अपार क्षमता है जब एक नई विश्व व्यवस्था उभर रही है, जिसकी विशेषता बढ़ती बहुध्रुवीयता है। मध्य एशिया को अपना मुख्य केंद्र बनाकर, एससीओ को वर्तमान में यूरेशियन क्षेत्र और उससे आगे चल रहे भू– राजनीतिक बदलावों में अपना योगदान देना है।
4. भारत एससीओ में बहुआयामी सहयोग के विकास और शांति, स्थिरता, आर्थिक विकास, समृद्धि और हमारे लोगों के बीच घनिष्ठ संपर्क को बढ़ावा देने को बहुत महत्व देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सिक्योर/SECURE’ एससीओ के विज़न के माध्यम से संगठन में भारत की प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया है– एक ऐसा एजेंडा जो सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर देता है।
5. दोस्तों, भारत शंघाई सहयोग संगठन में क्यों है? इसका उत्तर है– एक प्रमुख यूरेशियाई देश के रूप में यूरेशियाई सुरक्षा और विकास से संबंधित मामलों में अपनी बात रखने और योगदान देने के लिए। महाद्वीपीय यूरेशिया की गतिशीलता का सहस्राब्दियों से भारत की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक गणित पर सीधा असर रहा है, साथ ही इसकी जातीय विविधता भी है और हमारी नियति आपस में जुड़ी हुई है। इस क्षेत्र का इतिहास और जीवित अनुभव हमारे वर्तमान नज़रिए को आकार देते हैं। इसलिए यूरेशिया में स्थिरता भारत की अपनी विकास कहानी और कल्याण हेतु अनुकूल वातावरण बनाती है।
6. इसलिए भारत आतंकवाद और उग्रवाद के मामले में अपना रुख रखता है। जहां तक भारत का सवाल है, आतंकवाद को मिटाने के लिए क्षेत्रीय सहयोग एक मिशन है और हम इस संबंध में एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना (आरएटीएस/RATS) के काम की सराहना करते हैं। हम चेचन्या और दागेस्तान से लेकर शिंजियांग तक, हर जगह चरमपंथी विचारधाराओं को काम करते हुए नहीं देखना चाहते। हमारे लिए कट्टरपंथ से मुक्ति एक मंत्र है और हम आशा करते हैं कि एससीओ इस संबंध में अपने काम को और बेहतर करेगा।
7. मजबूत कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता एक दूसरे को बेहतर बनाने की क्षमता रखते हैं। भूमि संपर्क का महत्व किसी से छिपा नहीं है। एससीओ को इस क्षेत्र की भू– राजनीति पर काबू पाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, कम– से– कम निर्बाध पारगमन सुनिश्चित करने के लिए तो जरूर।
8. एससीओ असंख्य जातीयताओं, परंपराओं एवं मूल्यवान सिद्धांतों का घर है और एससीओ क्षेत्र की हर संस्कृति ज्ञान का एक बड़ा भंडार है। भारत एससीओ द्वारा प्रस्तुत मंच को सांस्कृतिक आदान–प्रदान और आपसी समझ बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानता है।
9. भारत की अंतरराष्ट्रीय उत्तर– दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी/ INSTC) की क्षेत्रीय संपर्क पहल; अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी अवसंरचना हेतु गठबंधन, मिशन लाइफ (LiFE) जैसी जलवायु अनुकूल वैश्विक पहल और एमएसएमई एवं डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में इसकी ताकत एससीओ एवं इसके सदस्य देशों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक हैं और पारस्परिक लाभ के महत्वपूर्ण अवसर भी देते हैं।
10. जैसे– जैसे एससीओ मजबूत होता जाएगा और आगे बढ़ेगा, तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में अंग्रेजी को शामिल करने से एससीओ के अलग– अलग मंचों पर संवाद के दौरान संचार और समझ में सुविधा होगी एवं संगठन कार्यात्मक रूप से अधिक उत्पादक और प्रभावी बनेगा।
11. इसके साथ ही, मैं महासचिव महामहिम श्री नूरलान येरमेकबायेव को आमंत्रित करती हूँ। हम इस बारे में आपके विचार सुनने को उत्सुक हैं कि एससीओ और भारत यूरेशिया में संवाद एवं सहयोग को और मजबूत बनाने के लिए किस तरह से मिलकर काम कर सकते हैं।
आपका स्वागत है महामहिम।
धन्यवाद।
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