एशियाई बुनियादी ढांचा निवेश बैंक -एशिया में बुनियादी ढांचा वित्तपोषण के बदलते आयाम
पर
श्री वी श्रीनिवास
आईएएस, अतिरिक्त सचिव, कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार
का व्याख्यान
17 मई 2019
(सप्रू हाउस, नई दिल्ली)
राजदूत टी. सी. राघवन, महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए,
लेफ्टिनेंट जनरल एस. एल. नरसिम्हन, महानिदेशक, चीन अध्ययन केंद्र, विदेश मंत्रालय
उप महानिदेशक , आईसीडब्ल्यूए, राजदूत सौमेन बागची,
संयुक्त सचिव, आईसीडब्ल्यूए,
राजदूत श्रीमती नूतन कपूर महावर, आईसीडब्ल्यूए के प्रतिष्ठित फैलो,
देवियो और सज्जनों,
वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद में ऐसे विषय पर बोलने में मुझे बहुत खुशी हो रही है, जिसने बहुपक्षवाद के बारे में दुनिया भर के विद्वानों का उत्साह जगाया है - चीन द्वारा एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक की स्थापना और इसके बाद एशिया में बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में आये बदलाव की सीमायें। मैं इस विषय का अध्ययन कर अपना शोध प्रस्तुत करने में राजदूत टी. सी. राघवन राजदूत द्वारा दिए गए प्रोत्साहन के लिए उनका आभारी हूं।
मैं हाल ही में क्योटो विश्वविद्यालय में था और कई जापानी विद्वानों ने एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के उदय और एशिया में बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण पर पड़ने वाले इसके प्रभाव को समझने में रुचि व्यक्त की थी। स्पष्ट रूप से एआईआईबी के बारे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी दिलचस्पी थी। मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरा शोध पत्र नए बहुपक्षीय विकास बैंक पर भारत हो रहे कार्य में विद्यमान वर्तमान कमी को दूर करने में मदद करेगा। मैं डॉ. डी जे पांडियन, उपाध्यक्ष और मुख्य निवेश अधिकारी, ए.आई.बी.आई. द्वारा यह शोध पत्र लिखने में दिए गए समर्थन और मार्गदर्शन के लिए उनका आभार व्यक्त करता हूँकमी
परिचय
एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) चीन की अगुआई में बना, बीजिंग में स्थित मुख्यालय वाला बहुपक्षीय निवेश बैंक है, जिसने जनवरी 2016 में अपना परिचालन शुरू किया और इसके सदस्य देशों की संख्या 97 है। एआईआईबी का उद्देश्य सततशील बुनियादी ढांचे और अन्य उत्पादक क्षेत्रों में निवेश करना है, जिनसे लोग, सेवाएं और बाज़ार बेहतर ढंग से जुड़ सकेंगे, जो अरबों लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा। 22 अप्रैल, 2019 को एआईआईबी ने कोटे डी आइवर, गिनी, ट्यूनीशिया और उरुग्वे की सदस्यता को मंजूरी दी। 57 सदस्य देशों ने जनवरी 2016 में बैंक की स्थापना से पहले एआईआईबी चार्टर पर हस्ताक्षर किये। 36 सदस्य देश 2017 और 2018 में इस बैंक में शामिल हुए।
1991 में स्थापित हुए यूरोपीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक के बाद से एआईआईबी इस पीढ़ी के दौरान स्थापित हुआ पहला प्रमुख नया बहुपक्षीय विकास बैंक है। एआईआईबी ने 2018 के अंत तक 7.5 अरब डॉलर के निवेश वित्तपोषण को मंज़ूरी दी है। 2019 में एआईआईबी ने श्रीलंका में 28 करोड़ डॉलर की दो योजनाओं को मंज़ूरी दी है, जिनमें 5500 किफायती आवास इकाइयों के निर्माण और भूस्खलन का जोखिम करने की परियोजनाएं शामिल हैं। दक्षिण एशिया में स्वीकृत की गई एक अन्य महत्वपूर्ण परियोजना बांग्लादेश के चटगांव क्षेत्र में पावर ट्रांसमिशन सिस्टम के विस्तार की 12 करोड़ अमेरिकी डालर की योजना। डॉ. पांडियन के अनुसार प्रस्तावित परियोजनाओं को शामिल कर एआईआईबी का वित्तपोषण अगले 3 वर्षों में 10 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
एआईआईबी पहला ऐसा बहुपक्षीय निवेश बैंक है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका या जापान सदस्य के रूप में मौजूद नहीं हैं। चीन के पास 26.63 प्रतिशत वोट की हिस्सेदारी है और भारत के पास 7.65 प्रतिशत वोट की हिस्सेदारी है। अन्य बड़े शेयरधारक हैं रूसी संघ, कोरिया और ऑस्ट्रेलिया। यूनाइटेड किंगडम एआईआईबी में शामिल होने वाला पहला प्रमुख विकसित देश बन गया, जिसके बाद स्विट्जरलैंड भी इसमें शामिल हुआ। एआईआईबी में भारत की भागीदारी इस बैंक और बहुपक्षवाद के प्रति इसकी प्रतिबद्धता का खुलापन दर्शाती है। यह काफी आश्चर्यजनक है कि लगभग हर देश ने एआईआईबी में चीन की अग्रणी भूमिका जल्दी से स्वीकार कर ली है और ध्यान रखने योग्य बात है कि एआईआईबी की कामकाजी भाषा अंग्रेज़ी है।
कई सारी चिंताएं थीं कि एआईआईबी विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से प्रतिस्पर्धा करेगा। चीनियों ने तर्क दिया कि एआईआईबी को सह-वित्तपोषित परियोजनाओं के लिए विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे मौजूदा संस्थानों के प्रयासों में पूरक के तौर पर देखा जाना चाहिए। इसके अलावा चीनियों ने यह भी कहा कि एआईआईबी की विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, चूंकि ये संस्थान गरीबी के उन्मूलन पर केंद्रित हैं। स्पष्ट है किसी भी बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान के प्रभावी कामकाज के लिए महज़ वित्तीय शक्ति से आगे भी बहुत कुछ और होना आवश्यक है। यह कहा जा सकता है कि एशियाई और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में एआईआईबी के प्रति चीन का दृष्टिकोण उदारवादी संस्थागतता, पारदर्शिता और काफी हद तक अंतर्राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी वाला रहा है.
परियोजनाओं में एआईआईबी का निवेश 2016 के अंत के 1.69 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2017 के अंत तक 4.22 अरब अमेरिकी डॉलर और 2018 के अंत तक 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो कि 343 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। अब तक एआईआईबी की ऋण देने की नीतियां विवेकपूर्ण और वैश्विक शासन, पर्यावरण और सामाजिक सुरक्षा के मानकों के अनुसार रही हैं। एआईआईबी स्मार्ट शहरों, नवीकरणीय ऊर्जा, शहरी परिवहन, स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी, कचरा प्रबंधन और शहरी जल आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में परियोजनाओं का व्यापक पोर्टफोलियो बनाने का इच्छुक है। जिस गति से एआईआईबी परियोजनाओं को मंजूरी दे रहा है, उसने एडीबी द्वारा परियोजना को मंज़ूरी देने के लिए लगने वाले समय में कटौती कर इसे 3 साल से 18 महीने पर लाने को मजबूर कर दिया है। इसके अलावा जापान ने एडीबी के माध्यम से नवाचारी बुनियादी ढांचे के लिए 110 अरब अमेरिकी डॉलर का वित्तपोषण प्रदान करने का प्रण किया है। स्पष्ट है एआईआईबी ने अपने साथियों के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया है।
16 जनवरी, 2019 को एआईआईबी ने अपनी तीसरी वर्षगांठ मनाई। निदेशक मंडल में स्थायी सीट और मंज़ूर की गई परियोजनाओं का एक-चौथाई हिस्सा लेकर भारत इस बैंक का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है। एआईआईबी की सफलता इस बात की सूचक है कि दक्षिण-दक्षिण सहयोग धीरे-धीरे मौजूदा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था का स्थान ले रहा है। एआईआईबी ने विनिमय दर का जोखिम कम करने के लिए भारत और अन्य एशियाई देशों (इंडोनेशिया और पाकिस्तान) में स्थानीय मुद्रा में वित्तपोषण शुरू करने की योजनाओं की घोषणा की है।
एशिया में बुनियादी ढांचा वित्तपोषण में कमियां
मज़बूत आर्थिक विकास होने के बावजूद एशिया का बुनियादी ढांचा पर्याप्त नहीं है, 40 करोड़ एशियाई लोगों की बिजली तक पहुंच नहीं है, 30 करोड़ लोगों को सुरक्षित पीने का पानी उपलब्ध नहीं है और 1.5 अरब लोगों को स्वच्छता उपलब्ध नहीं है। बुनियादी ढांचे में कमियों की भारी क़ीमत होती है। उदाहरण के लिए शहर में यातायात की भीड़ का मतलब है खोई हुई उत्पादकता, मानवीय तनाव और ईंधन खर्च की भारी क़ीमत। भारत, इंडोनेशिया, दक्षिण एशिया और चुनिंदा मध्य-एशियाई देशों में बुनियादी ढांचे में सबसे बड़ी कमियां हैं। किसी देश के बुनियादी ढांचे और आर्थिक और जनसांख्यिकीय कारकों के बीच मज़बूत अनुभवजन्य संबंध है।
बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में एआईआईबी का ज़ोर है इन्फ्रास्ट्रक्चर 3.0 पर - अंतर-एशियाई व्यापार और एकीकरण के लिए नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग कैसे करें। बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में प्रमुख क्षेत्र हैं परिवहन, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी और अक्षय ऊर्जा। मध्य एशिया और यूरेशिया में क्षेत्रीय रेल कनेक्टिविटी के बढ़ने से यूरोप-चीन व्यापार के बढ़ने और मध्य एशिया के एकीकरण की संभावनाएं हैं। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को व्यापार और एकीकरण के लिए बहुत बड़े संबल के रूप में देखा जाता है और एशियाई देशों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से और अधिक समर्थन की आवश्यकता होगी। इसके अलावा सीमा-पार अक्षय ऊर्जा व्यापार बढ़ाने की क्षमता भी मौजूद है।
भारत के स्वर्णिम चतुर्भुज का बहुत पड़ा प्रभाव देखने को मिलता है, जैसे कि राष्ट्रीय राजमार्ग के 10 किलोमीटर के दायरे में कई ज़िलों में 50 प्रतिशत की विकास दर पाया जाना और 10 किलोमीटर के दायरे से बाहर ज़िलों में उसी विकास दर का न पाया जाना। गरीबी कम करने और कृषि से निर्माण और निर्माण से विनिर्माण तक के संक्रमण को सक्षम बनाने में भारत के ग्रामीण सड़क कार्यक्रम यानी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का भी बहुत बड़ा प्रभाव रहा है ।
चीन के एक्सप्रेसवे नेटवर्क का भी ऐसा ही प्रभाव पड़ा है, जैसा कि उस देश और उन महानगरीय क्षेत्रों, जिनमें से होकर एक्सप्रेसवे गुज़रता है, में कम हुई कीमतों से ज़ाहिर है। अनुभव-जनित अध्ययनों से पता चला है कि रेलवे के बुनियादी ढांचे के कारण जीडीपी की विकास दर में 0.2-0.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जहाज़रानी के बुनियादी ढांचे में बेहतरी होने से निवेश पर सामाजिक प्रतिफल की दर कम से कम 10 प्रतिशत तक रही है। पेयजल में पर्याप्त निवेश से ग्रामीण युवाओं को दीर्घकालिक लाभ मिले हैं।
एशियाई विकास बैंक के अनुमान
एशियाई विकास बैंक के अनुमान के अनुसार यदि इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में तेज़ी बनाए रखना है तो एशिया के बुनियादी ढांचे में 2030 तक 22.6 ख़रब अमेरिकी डॉलर या 1.5 ख़रब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष का निवेश वांछित है। यदि जलवायु परिवर्तन की कीमतों को इसमें जोड़ दिया जाए तो 2016 से 2030 तक बुनियादी ढांचे की ज़रूरतें 26 खरब अमेरिकी डॉलर या 1.7 खरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष तक पहुंच सकती हैं। मुख्य रूप से विद्युत, दूरसंचार, परिवहन, जल और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा निवेशआवश्यक होते हैं । विद्युत् क्षेत्र बुनियादी ढाँचे में 14.7 खरब अमेरिकी डॉलर, परिवहन क्षेत्र बुनियादी ढाँचे में 8.4 खरब अमेरिकी डॉलर और दूरसंचार के बुनियादी ढाँचे में 2.3 खरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की ज़रूरत आंकी गई है। पानी और स्वछता बुनियादी ढाँचे के लिए 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निवेश की जरूरत का अनुमान है। वर्तमान में एशिया में प्रति वर्ष 881 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश हो रहा है और बुनियादी ढांचा निवेश में बड़ी कमी मौजूद है।
चीन को छोड़ लगभग सभी एशियाई देशों में बुनियादी ढांचा निवेश में उनके अनुमानित जीडीपी के लगभग 5 प्रतिशत से अधिक की कमी है।
वर्तमान में एशिया के बुनियादी ढांचे में निवेश का 92 प्रतिशत भाग सरकारी वित्त द्वारा वित्तपोषित है। दूरसंचार और बिजली उत्पादन क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के निवेश आवश्यक हैं। सड़कों, पानी और स्वच्छता में निजी क्षेत्र का निवेश काफी कम है। राजकोषीय सुधारों से जीडीपी के 2 प्रतिशत तक का अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न हो सकता है, जो बुनियादी ढांचा और वित्तपोषण के बीच के अंतर को 40% तक पाट सकता है। बहुपक्षीय विकास बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे बुनियादी ढांचा-वित्तपोषण अंतर के 10 प्रतिशत के बराबर राशि से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त वित्तपोषण देंगे।
एशिया में चीन बुनियादी ढांचे में जीडीपी के 5 प्रतिशत से ऊपर का निवेश करता है, जिसके बाद भूटान, वियतनाम और भारत आते हैं। बुनियादी ढांचा निवेश में अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाएं मध्यम से निम्न स्तर पर हैं। इनमें आर्मेनिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, कोरिया और थाईलैंड शामिल हैं। एशियाई विकास बैंक ने 20 अरब अमेरिकी डॉलर / वर्ष के बुनियादी ढांचा निवेश का अनुमान लगाया है, जो इसकी वर्तमान क्षमता से 50 प्रतिशत अधिक है
एआईआईबी समझौते की धाराएं
एआईआईबी समझौते की धाराओं में एआईआईबी की परिकल्पना बुनियादी ढांचा विकास पर केंद्रित बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान के तौर पर की गई है। एआईआईबी की सदस्यता विश्व बैंक या एशियाई विकास बैंक के सदस्यों के लिए खुली है। इसमें 2 प्रकार के सदस्य हैं - (ए) एशिया क्षेत्र के क्षेत्रीय सदस्य और अन्य सदस्य और ग़ैर -क्षेत्रीय सदस्य और (बी) संस्थापक सदस्य। एआईआईबी की प्रशासनिक संरचना में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स, अध्यक्ष, 4 उपाध्यक्षों, अन्य तकनीकी अधिकारियों और स्टाफ का प्रस्ताव दिया गया है। उपाध्यक्ष और बैंक के निदेशक का चयन बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स की जिम्मेदारी है। एआईआईबी बोर्ड में 12 निदेशक हैं, जिनमें से 9 क्षेत्रीय सदस्यों के प्रतिनिधि हैं और 3 गैर-क्षेत्रीय सदस्यों के प्रतिनिधि हैं। निदेशकों को सहायता देने के लिए वैकल्पिक निदेशक और स्टाफ मौजूद होता है।
बैंक के प्रबंधन और संचालन की नियमित आधार पर निगरानी करना और इस उद्देश्य के लिए निरीक्षण तंत्र स्थापित करना निदेशक मंडल की जिम्मेदारी है। एआईआईबी अपना ऋण परिचालन का काम सह-वित्तपोषण या सीधे ऋण देकर, या किसी संस्था या उद्यम की इक्विटी पूंजी में निवेश कर, आर्थिक विकास के लिए ऋण की गारंटी देकर और तकनीकी सहायता देकर करता है। एआईआईबी की अधिकृत पूंजी 100 अरब अमेरिकी डॉलर है। एआईआईबी के वित्तपोषण की सीमा है- बैंक की 250 प्रतिशत सब्सक्राइब्ड पूंजी, आरक्षित राशि और इसके सामान्य संसाधनों में प्रतिधारित आय। एआईआईबी ने यह भी कहा है कि यह अपने सभी सदस्यों, अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और बैंक के परिचालन क्षेत्रों से संबंधित संस्थानों से निकट सहयोग कर इस क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए काम करेगा।
एआईआईबी की वित्तपोषण नीतियां
वित्त पोषण के बारे में एआईआईबी की परिचालन नीति में निर्धारित किया गया है कि बैंक परियोजनाओं के लिए संप्रभु-समर्थित और ग़ैर -संप्रभु समर्थित वित्तपोषण प्रदान करेगा। एआईआईबी का उद्देश्य अपने पास उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल ऐसी परियोजनाओं और कार्यक्रमों के वित्तपोषण में करना है जो समग्र तौर पर इस क्षेत्र में सामंजस्यपूर्ण आर्थिक विकास में सर्वाधिक प्रभावी योगदान दे सकें। उचित नियमों और शर्तों पर निजी पूंजी उपलब्ध नहीं होने के मामले में यह बैंक निजी निवेश का पूरक बनने का लक्ष्य साधेगा। वित्तपोषण के कामकाज में सार्थक बैंकिंग सिद्धांतों का आधार होगा और विशिष्ट परियोजनाओं या विशिष्ट निवेश कार्यक्रमों के लिए धनराशि और इक्विटी निवेश और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी। एआईआईबी की ओर से किसी भी वित्तपोषण से प्राप्त धन से किसी भी देश से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अपने इक्विटी पूंजी निवेश में उचित विविधीकरण बनाए रखना भी एआईआईबी का लक्ष्य है ।
एआईआईबी के ऋण प्रतिबद्धता आधार पर दिए जाते हैं और संयुक्त राज्य अमेरिकी डॉलर के रूप में चुकौती-योग्य हैं। इन पर लाइबोर ब्याज दर लागू होती है, जो अर्ध-वार्षिक अवधि के बाद प्रत्येक ब्याज भुगतान तिथि पर पुन: निर्धारित की जाती है। एआईआईबी के ऋणों की औसत परिपक्वता अवधि 20 वर्ष तक है और इनकी अंतिम परिपक्वता अवधि 30 साल तक है। भुगतान सारणी अर्ध-वार्षिक आधार पर होती है। प्रतिबद्ध ऋण राशि पर एकमुश्त शुरुआती शुल्क लिया जाता है. प्रभावी होने की तारीख से पहले शुरुआती शुल्क दिए बिना ऋण रद्द किया जा सकता है। लेकिन यदि ऋण इसके प्रभावी होने पर या उसके बाद आंशिक रूप से या पूरी तरह से रद्द किया जाता है तो शुरुआती शुल्क प्रतिदेय नहीं होगा।
एआईआईबी की खरीद नीति
एआईआईबी की खरीद नीति में बैंक द्वारा दिए गए वित्तपोषण से वस्तुओं, निर्माण, गैर-परामर्श सेवाओं और परामर्श सेवाओं की खरीद करना शामिल है। यह खरीद नीति किसी परियोजना में खरीद चक्र के सभी चरणों पर लागू होती है। एआईआईबी के सामान्य अथवा विशेष परिचालन के तहत प्राप्त वित्तपोषण से किसी भी देश से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर कोई प्रतिबंध नहीं है। खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता, किफायत, दक्षता और प्रभावशीलता एआईआईबी की खरीद नीति के आधार रहे हैं। एआईआईबी ने विशिष्ट खरीद मानक भी निर्धारित किये हैं और देश-विशिष्ट खरीद प्रणाली के उपयोग हेतु प्रावधान भी हैं। इस खरीद नीति में वरीयता मार्जिन, 'ऑफसेट ’, वरीयता योजनाओं या इसी तरह के नवाचारी दृष्टिकोणों के माध्यम से घरेलू उद्योग को विकसित करने के प्रावधान शामिल हैं। सत्यनिष्ठा पर अत्यधिक ज़ोर दिया गया है और बैंक द्वारा पोषित अनुबंधों में खरीद, प्रशासन और कार्यान्वयन के दौरान पारदर्शिता, नैतिकता और अखंडता के उच्चतम मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए निषिद्ध परिपाटियां स्पष्ट रूप से निर्धारित की गयी हैं।
सेक्टर की रणनीतियाँ
एआईआईएबी ने निम्न बिंदुओं के लिए सेक्टर रणनीति विकसित की है:
स्वीकृत और प्रस्तावित परियोजनाएँ
एआईआईबी ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
शहरी और पर्यटन बुनियादी ढांचा परियोजना
एआईआईबी ने इन सभी परियोजनाओं को मंजूरी दी है - लाओ पीडीआर: राष्ट्रीय सड़क 13 सुधार और रखरखाव परियोजना, चीन: बीजिंग वायु गुणवत्ता सुधार और कोयला रिप्लेसमेंट प्रोजेक्ट, ओमान: ब्रॉडबैंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, मिस्र: राउंड II सोलर पीवी फीड-इन टैरिफ प्रोग्राम, जॉर्जिया: बटुमी बायपास रोड प्रोजेक्ट, अज़रबैजान: ट्रांस अनातोलियन प्राकृतिक गैस पाइपलाइन परियोजना (टैनप), ओमान: डुकम पोर्ट वाणिज्यिक टर्मिनल और परिचालन क्षेत्र विकास परियोजना।
एआईआईबी द्वारा प्रस्तावित 19 परियोजनाएं नेपाल (2), बांग्लादेश (4), भारत (3), पाकिस्तान (4), श्रीलंका (1), तुर्की (1), उज्बेकिस्तान (1), जॉर्जिया (1) और नेपाल (2), जो एशिया निवेश कोष द्वारा भी प्रस्तावित हैं।
एआईआईबी वित्तपोषण की सफलता की कहानियां
1) तुर्की: ट्रांस अनातोलियन गैस पाइपलाइन परियोजना (TANAP): एआईआईबी ने इसे मंजूरी देकर ट्रांस एनाटोलियन नेचुरल गैस परियोजना, जिसके ज़रिये अज़रबैजान क्षेत्रों से प्राकृतिक गैस तुर्की और फिर दक्षिणी यूरोप के बाज़ारों तक पहुंचाई जाती है, के लिए 8 अरब अमेरिकी डॉलर की राशि दी है। टीएएनएपी अज़रबैजान को नए बाजारों से जोड़ता है और यूरोप को लाभान्वित करने के साथ साथ तुर्की की ऊर्जा सुरक्षा को बढावा देता है। टीएएनएपी के निर्माण से अजरबैजान और तुर्की में रोजगार के कई अवसर पैदा हुए। टीएएनएपी की स्वीकृति ने सबसे जटिल मामलों में एआईआईबी की मूल्यांकन और ऋण प्रदान करने की क्षमता का सुबूत देने के अलावा अन्य कई ऋणदाताओं के साथ परियोजनाओं का सह-वित्तपोषण करने का भी सुबूत दिया। इस निर्माण की गति ने कई कीर्तिमान तोड़ दिए। टीएएनएपी के उद्घाटन के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय समारोह 12 जून, 2018 को हुआ, जिसमें तुर्की और अज़रबैजान के राष्ट्रपतियों ने भाग लिया।
2) बांग्लादेश: वितरण प्रणाली उन्नयन और विस्तार परियोजना: इस परियोजना का उद्देश्य वितरण क्षमता का उन्नयन और बांग्लादेश में ग्रामीण और शहरी बिजली उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि करना है। जून 2016 में 16.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि का ऋण स्वीकृत किया गया था, और अब तक 9. 06 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी 55 प्रतिशत राशि दी जा चुकी है। परियोजना पर काम योजनानुसार चल रहा है और घटक 1 में .25 करोड़ सर्विस कनेक्शन लगाए गए हैं। उप-स्टेशनों के उन्नयन के लिए निर्माण कार्य और भूमिगत केबल बिछाने का काम चल रहा है।
3) मिस्र: राउंड II सोलर पीवी फीड-इन टैरिफ प्रोग्राम: एआईआईबी ने 11 सौर ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से मिस्र की अक्षय ऊर्जा क्षमता का दोहन करने के लिए ऋण-वित्तपोषण के तौर पर 21 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मंजूरी दी है। इस सौर ऊर्जा परियोजना से मिस्र की बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, देश की बिजली उत्पादन के लिए गैस और ईंधन पर निर्भरता कम होगी और पेरिस समझौते के तहत इसे अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी क्योंकि इसके माध्यम से देश पर्यावरण की दृष्टि से सततशील ऊर्जा मिश्रण की ओर अग्रसर हो सकता है। इस परियोजना को यूरोपीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक द्वारा 11. 6 करोड़ अमेरिकी डॉलर का सह-वित्तपोषण मिला है। अक्टूबर 2017 में इस परियोजना का वित्तीय संवरण प्राप्त हो गया।
चल रही परियोजनाएं:
1) इंडोनेशिया: क्षेत्रीय बुनियादी ढांचा विकास निधि (आरआईडीएफ): आरआईडीएफ, जो सीधे उप-सरकारों को उधार देता है, को वित्तीय मध्यस्थ के रूप में ऋण की मंजूरी दी गई। आरआईडीएफ बुनियादी ढांचों के लिए वित्त तक उप-सरकारों की पहुंच में बढ़ोतरी करेगा। आरआईडीएफ शहरी परिवहन, शहरी जल आपूर्ति और स्वच्छता, जल निकासी, बाढ़ और खतरे के जोखिम और झुग्गी- झोंपड़ियों के उन्नयन और किफायती आवास में निवेश करने का इच्छुक है। इस परियोजना के तहत उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में हुई प्रगति अपेक्षित की तुलना में धीमी है और 22 मार्च, 2017 के 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ऋण में से अक्टूबर 2018 तक कोई राशि वितरित नहीं की गई है। आरआईडीएफ के पूंजी समर्थन के रूप में 5 उप-परियोजनाओं के लिए ऋण वितरण जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है।
2) पाकिस्तान: एआईआईबी ने सितंबर 2016 में 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर की ऋण राशि मंजूर की थी लेकिन निर्माण पर्यवेक्षण के लिए सलाहकार की नियुक्ति में देरी के कारण वितरण शुरू नहीं हुआ है। यह प्रक्रिया पूरी होने वाली है।
3) तुर्की: गैस भंडारण विस्तार परियोजना: इस परियोजना का उद्देश्य भूमिगत गैस भंडारण क्षमता का विस्तार कर तुर्की की गैस आपूर्ति की विश्वसनीयता और सुरक्षा को बढ़ावा देना है। इस परियोजना की अवधि 2018 से 2024 तक है। इसके लिए स्वीकृत ऋण 60 करोड़ अमेरिकी डॉलर है और अब तक 0.15 करोड़ अमेरिकी डॉलर दिए जा चुके हैं। ईपीसी अनुबंधों के लिए बोलियां प्रक्रियाधीन हैं।
भारत में परियोजनाओं की स्थिति:
1) गुजरात ग्रामीण सड़कें (एमएमएसजीवाई): इस परियोजना का उद्देश्य गुजरात के सभी 33 जिलों में लगभग 4000 गांवों में बारहमासी ग्रामीण सड़कें प्रदान कर परिवहन संपर्क में सुधार करना है। 32.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर की स्वीकृत राशि में से 16. 4 करोड़ अमेरिकी डॉलर का वितरण (50 प्रतिशत) हो चुका है। इस परियोजना की समग्र प्रगति योजनानुसार है और मूल कार्ययोजना के अनुसार चल रही है। गैर- योजनागत सड़कों और योजनागत सड़कों का निर्माण और उन्नयन 65 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है।
2) आंध्र प्रदेश 24x7 - सभी के लिए बिजली: इस परियोजना का उद्देश्य ग्राहकों तक बिजली की आपूर्ति बढ़ाना और आंध्र प्रदेश के चुनिंदा क्षेत्रों में बिजली के वितरण की परिचालन क्षमता और विश्वसनीयता में सुधार करना है। एआईआईबी द्वारा स्वीकृत 16 करोड़ अमेरिकी डॉलर की कुल प्रतिबद्धता में से नवंबर 2018 तक कुल 1. 6 करोड़ अमेरिकी डॉलर दिए गए हैं। खरीद से जुड़ी गतिविधियाँ उन्नत स्तर पर हैं और खरीद और निर्माण, दोनों गतिविधियाँ योजनानुसार चल रही हैं और किसी बड़ी देरी की संभावना नहीं है।
3) मध्य प्रदेश ग्रामीण संपर्क: इस परियोजना का उद्देश्य मध्य प्रदेश में बजरी से बनी ग्रामीण सड़कों का जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बढ़ाने के साथ साथ उनके स्थायित्व और पहुंच में सुधार करना है और साथ साथ इस राज्य के ग्रामीण सड़क प्रबंधन और सड़क सुरक्षा में क्षमता निर्माण करना है। अप्रैल 2018 में 14 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ऋण को मंजूरी दी गई थी और अब तक 2. 3 करोड़ अमेरिकी डॉलर का वितरण किया गया है। निर्माण में प्रगति योजनानुसार चल रही है और किसी बड़े जोखिम की पहचान नहीं की गई है।
4) राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढांचा निधि: इस निधि का उद्देश्य बुनियादी ढाँचे में अधिक निजी पूंजी जुटाना और भारत में बुनियादी ढांचा निवेश को बढ़ावा देना है। इन निवेशों में नई कंपनियां और नए उद्यम शुरू करना शामिल होंगे। इस मंच के ज़रिये निधि की व्यापक रणनीति के अंदर अन्य व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य निवेशों पर भी विचार किया जा सकता है। यह निधि बुनियादी ढांचे में निवेश को समर्थन देने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगी। एआईआईबी पहले चरण में एक स्वतंत्र परियोजना में 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर का वित्तपोषण कर रहा है, जिसमें भारत सरकार भी 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश कर रही है।
एआईआईबी - भविष्य का परिदृश्य
बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था के वित्तीय परिदृश्य में एआईआईबी की मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए चीन ने काफी तेज़ी और फुर्ती से कड़ी मेहनत की है। एआईआईबी की अधिकांश परियोजनाएं मौजूदा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ सह-वित्तपोषित की गई हैं। दक्षिण एशिया में एआईआईबी की कई परियोजनाओं को स्वीकृति मिलने और कई योजनाएं प्रस्तावित होने के दृष्टिगत इसे स्वीकृति मिलती नज़र आ रही है। कम समय में ही इसकी सफलता की कई कहानियां मिलती हैं। अब भी एशिया में बुनियादी ढांचा की बड़ी मांग है और वित्तपोषण की पाइपलाइन काफी बड़ी है। वर्तमान समग्र बृहत्त आर्थिक दृश्य में सरकारों और निजी क्षेत्र को वित्तपोषण के ज़रिये समर्थन देने में बहुपक्षीय विकास बैंकों की बड़ी भूमिका आगे भी जारी रहेगी।
संदर्भ
www.adb.org
Beyond, www.aiib.org
17 नवंबर, 2017
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लेखक का परिचय
वी श्रीनिवास कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मंत्रालय में भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव हैं। वे 2003 से 2006 तक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में कार्यकारी निदेशक (भारत) के सलाहकार रहे हैं। उन्होंने 2002 से 2003 तक भारतीय वित्त मंत्री के निजी सचिव और 2001 से 2002 तक भारतीय विदेश मंत्री के निजी सचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2014-2017 के बीच एम्स (नई दिल्ली) में उप-निदेशक (प्रशासन), कपड़ा मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव और भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक के तौर पर काम किया।
वी श्रीनिवास 2017 से 2018 तक राजस्थान राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष और राजस्थान कर बोर्ड के अध्यक्ष रहे। राज्य प्रशासन में उन्होंने योजना, परिवार कल्याण और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभागों में सरकार के सचिव और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक के रूप में कार्य किया है। 2017 में उन्हें "अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भारत के संबंध - 1991-2016 - 25 वर्ष परिपेक्ष्य" के लिए भारतीय वैश्विक मामले परिषद की पुस्तक अनुसंधान फैलोशिप से सम्मानित किया गया। उनकी दूसरी पुस्तक "टूवार्ड्स ए न्यू इंडिया: इंडिया'ज़ वेलफेयर स्टेट प्रोग्राम्स 2014-2019" कोणार्क पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशनाधीन है। उन्होंने 31 व्याख्यान दिए हैं और उनके 118 पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। वे वरिष्ठ प्रशासक, सम्मानित शिक्षाविद और उत्कृष्ट संस्थान निर्माता हैं।