आईसीडब्ल्यूए ने 11 जून 2020 को 'री-डिफाइनिंग लॉजिस्टिक्स पोस्ट कोविड-19 : भारत और ग्लोबल आपूर्ति श्रृंखला’ पर एक आभासी चर्चा का आयोजन किया। वेब-आधारित चर्चा की अध्यक्षता श्री दिलीप चेनॉय, महासचिव फिक्की द्वारा की गई और इसमें श्री एल.आर. श्रीधर, संस्थापक, कनेक्ट इंडिया ई-कॉमर्स डिस्ट्रीब्यूशन सर्विसेज, लेफ्टिनेंट जनरल पीजेएस पन्नू, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एकीकृत रक्षा स्टाफ के पूर्व उप प्रमुख, पार्थसारथी त्रिवेदी, सीईओ, स्काईलो और सदस्य, सीआईआई नेशनल स्पेस कमेटी, श्री माधव थापर दक्षिण एशिया के उप-अध्यक्ष और एमडी-इंडिया, सी.एच. रॉबिन्सन पैनलिस्ट के रूप में शामिल हुए। श्री एन. शिवसैलम, भूतपूर्व सचिव (रसद), वाणिज्य विभाग इसके प्रमुख चर्चाकर्ता थे। चर्चा को https://youtu.be/QaVMZpITy4c पर देखा जा सकता है।
श्री एल.आर. श्रीधर, लेफ्टिनेंट जनरल पन्नू और श्री पार्थसारथी त्रिवेदी ने इस शोध पत्र को बनाने में योगदान दिया है जिसकी समीक्षा और संपादन डॉ. प्रियंका पंडित, शोध अध्येता, आईसीडब्ल्यूए द्वारा किया गया है।
दुनिया भर के देशों द्वारा लॉकडाउन लगाने से, न्यूनतम निर्यात-आयात गतिविधियों के काऱण रसद क्षेत्र में संकट बढ़ा है। माल तथा सेवाओं की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा उभरती परिस्थितियों में भी अर्थव्यवस्था को कार्यशील बनाए रखने हेतु रसद और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में युद्ध स्तर कार्य करने की आवश्यकता है। भारत में, पूर्ण लॉकडाउन की स्थिति में यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि आवश्यक वस्तुओं के लिए देश के परिवहन तंत्र को मजबूत किया जाए। घरेलू क्षेत्रों में वर्तमान परिदृश्य इस प्रकार है:
- उपभोक्ता खुदरा, एफएमसीजी, तथा अन्य आवश्यक वस्तुएं:
- लॉकडाउन के दौरान लाखों परिवारों के लिए आवश्यक सामानों की बुनियादी लामबंदी और विनिर्माण क्षेत्र में महत्वपूर्ण घटकों की आपूर्ति, जोखिम भरा है।
- 12-14मिलियन वाणिज्यिक वाहनों में 50% परिचालन में है, चूंकि ड्राइवर और माल चढ़ाने / उतारने वाले अनुपलब्ध हैं।
- इसके अतिरिक्त, देश के कई हिस्सों में, लोग वाहनों को अवरोधित / रोक रहें हैं, ड्राइवरों को परेशान कर रहे हैं, या आवश्यक सामान को जब्त कर ले रहे हैं।
- चूंकि भारत में रसद क्षेत्र का 80-90% असंगठित है, इसलिए इसमें अस्थायी श्रम कार्य करता है जो अब प्रवासी श्रमिकों के अपने गांवों को लौटने या अन्यथा डर के कारण काम बंद होने के कारण अनुपलब्ध हो गया है।
- नेट / नेट, इसके परिणामस्वरूप बिक्री की प्रमुख जगहों पर भीड़ होती है, आवश्यक वस्तुओं तथा सेवाओं की प्रभावी पहुंच में कमी होती है, और कोविड-19 से आबादी को होने वाले जोखिम अधिक बढ़ जाता है, जो इसे रोकने के अंतिम उद्देश्य को पाने में बाधा बनता है।
- विनिर्माण क्षेत्र में:
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लगभग पूरी तरह से ठप हो जाने के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति श्रृंखला में घटकों की उपलब्धता में उल्लेखनीय कमी आई है, उदाहरण के लिए, कंपनियों को आंतरिक रूप से देखने हेतु मजबूर होना पड़ा है।
- डिलीवरी की तारीखों को लेकर प्रतिबद्धता की कमी, जिसकी सीमा घटकों के लिए वर्तमान ईटीए में 4-6 सप्ताह से अधिक हो गयी जो पहले एक सप्ताह के भीतर भेज दी जाती थी। दुनिया के अन्य हिस्सों में मौजूद विक्रेता आपूर्ति आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हैं, हालांकि ताइवान और चीन अपने उत्पादन में तेजी ला रहे हैं।
- हालांकि सीमित एयर फ्रेट कॉरिडोर चालू हैं, फिर भी 'गैर-आवश्यक' करार दिए गए माल की आवाजाही हेतु जगह की कमी है।
- भारत के विनिर्माण न तो घरेलू वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और न ही घरेलू परिवहन कॉरिडोर पर भरोसा कर सकते हैं, जिन्हें अन्यथा अनुदत्त किया गया था।
- कृषि क्षेत्र में:
- मौजूदा फसल कटाई के मौसम में मजदूरों की कमी की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, हार्वेस्टर जिन्हें स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है और खाद्यान्नों की आवाजाही को बाजारों तक नहीं पहुंचाया जा सकता है, किसानों को भुगतान और आगे एफसीआई गोदामों तक पहुंचाने का काम नहीं हो सकता।
- ट्रैक्टरों और कीटनाशकों के लिए उर्वरकों और ईंधन की खरीद तथा गतिशीलता से किसानों को तैयार करने की आवश्यकता होगी।
- जबकि स्थानीय इंट्रा-सिटी डिलीवरी सिस्टम के कम प्रभावित रहने की संभावना है, क्षेत्रीय तथा लंबी दूरी की रसद प्रणाली काफी अव्यवस्थित है।
- इससे आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में चुनौती पैदा होती है, जैसे कि दवाइयां, मास्क और वेंटिलेटर और कई अन्य।
- भारत के रसद नेटवर्क को उद्योग और सरकारी बलों के बीच एक मजबूत अभिसरण की आवश्यकता है, जो प्रौद्योगिकी के साथ मिलकर मांग / आपूर्ति के मिलान और वितरित वितरण नेटवर्क की सहायता करता है जो सुदूर स्थित खुदरा वितरण केंद्रों के रूप में पास के खुदरा नेटवर्क का लाभ उठाता है।
- रसद में अक्षमताओं के कारण लंबी यात्रा करनी पड़ती है, जिससे वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भागीदारी कम होती है।
वैश्विक और राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला और रसद को बहाल करने की अनुशंसा:
- भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब का हिस्सा बनाने तथा कोविड-19 महामारी उत्पन्न किए गए अवसरों का लाभ उठाने हेतु, भारत सरकार को “आत्मनिर्भर” उद्देश्य के तहत सक्रिय रूप से रसद अवसंरचना बनाने की पहल करनी चाहिए। क्योंकि वैश्विक और क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला महामारी के कारण बाधित हुई है, दुनिया कोविड के बाद नए विकल्पों पर गौर कर सकती है। इसके अलावा, व्यवसाय एकल विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर अपनी फर्मों की निर्भरता की सीमा का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं, विशेष रूप से महत्वपूर्ण आपूर्ति के संबंध में। इस संबंध में, लागत और दक्षता दोनों दृष्टिकोण से भारत की वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में विकसित होने की संभावनाएं है। उदाहरण के लिए, एक संकट रोधी रसद आपूर्ति श्रृंखला का विकास जो हर समय संचालित रहती हो, वैश्विक हब के विकास का एक मानदंड हो सकता है।
- रसद उद्योग के कर्ता केंद्र सरकार में समन्वय के एकल बिंदु के तहत समन्वित और एकत्रित बल का गठन करते हैं, जो कृषि, विनिर्माण, ई-कॉमर्स, फार्मास्युटिकल और अन्य सभी प्रमुख क्षेत्रों से माल की आपूर्ति को बहाल करने हेतु जिम्मेदार है।
- बंदरगाहों और हवाईअड्डों पर अंतरराष्ट्रीय कार्गो उतरना ज्यादा उचित नहीं है यदि इसकी निकासी नहीं हो सकती, और प्रभावी वितरण और सुदूर क्षेत्र तक वितरण का इको सिस्टम नहीं होने पर निकासी बहुत कम प्रासंगिकता है। चूंकि उपभोक्ता, राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तर पर समय पर वितरण पसंद करते हैं, श्रृंखला में कोई भी अवरोध न केवल इस प्रक्रिया को धीमा करेगा, बल्कि वैश्विक रसद नेटवर्क में इसकी भागीदारी को भी कम करेगा।
- रसद और एससीएम इंडस्ट्री भी टेक्नोलॉजी, डिजिटलाइजेशन और ज्यादा वैल्यू प्रस्वावों में तेजी से निवेश कर रही है। ऐसा करने के लिए उसे बाजार की स्थितियों के अनुसार कीमत देने की आवश्यकता होती है और न्यूनतम नियमों के साथ प्रतिस्पर्धा के रूप में ही उचित स्तर पर संचालन करना होगा।
- सोशल डिस्टेंसिंग की आवश्यकता क्रॉस बॉर्डर से ऑनलाइन खरीदारी को बढ़ावा देगी और इसलिए ई-कॉमर्स के दिग्गज बड़ी मात्रा में स्रोत बनाएंगे और पूरे भारत में एफटीडब्ल्यूजेड गोदामों में स्टॉक को रखेंगे। परिणामस्वरूप, एफटीडब्ल्यूजेड वेयरहाउसिंग और बॉन्ड वेयरहाउसिंग की मांग में वृद्धि देखी जा सकती है।
- भारतीय बंदरगाहों को मल्टी कंट्री हब में बदलने पर विचार करना महत्वपूर्ण है। अपने निकटवर्ती क्षेत्रों में मुक्त व्यापार क्षेत्र विकसित करना, न्यूनतम औपचारिकताओं के साथ ट्रांस-शिपमेंट हब में प्रमुख भारतीय हवाई अड्डे बनाना, भारत को हवाई सेवाओं में अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण मानक हासिल करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, निर्यात एकत्रीकरण के लिए टर्मिनल निजी बॉन्डेड सुविधाओं को खोलना और निर्माण के साथ-साथ आयात-समेकन भी भारत को वैश्विक स्तर पर आधुनिक लॉजिस्टिक्स हब के रूप में उभरने में सक्षम बनाएगा।
- यह नया वितरण प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र निम्नलिखित पर निर्भर करता है:
- डेटा और प्रौद्योगिकी-संचालित वास्तविक समय, पारदर्शी मांग / आपूर्ति मिलान।
- अंतिम मील के वितरण भागीदारों के रूप में ब्रिक और मोर्टार आसपास की दुकानों की भागीदारी।
- छोटे, मध्यम और भारी ट्रकिंग फ्लीट का एकत्रीकरण।
- मौजूदा स्रोतों से ऑर्डर करने हेतु उपभोक्ताओं तथा उद्यमों के लिए इस पारिस्थितिकी तंत्र में चयन करने हेतु वाणिज्य प्लेटफार्मों की भागीदारी, और उनके मौजूदा व्यवहार को बदलने की आवश्यकता को कम करना।
- एक राष्ट्रव्यापी लॉजिस्टिक आपूर्ति सूची या शामिल होने वाले वितरकों, रसद प्रदाताओं और खुदरा स्टोरों के डेटाबेस।
- समन्वय करने हेतु सरकार का पूर्ण स्वामित्व और इस निष्पक्ष, सेक्टर-ऐग्नास्टिक वितरण प्रणाली के केंद्रीय प्राधिकरण।
- परिवहन सेवाओं के प्रभाव को आवश्यक सेवाओं के हिस्से के रूप में लागू किया जाना चाहिए, जिसमें परिवहन और रसद कंपनियों को सरकार के स्थायी प्राधिकरण के तहत वाहनों तथा चालकों को पास देने में सक्षम होना चाहिए। सभी कंपनियों को भारत सरकार से प्रभावित एक प्राधिकरण की जरुरत है। ऐसा प्राधिकरण कंपनी को अनुरक्षण की मांग की अनुमति देने में सक्षम होना चाहिए यदि ऐसी स्थिति बनती है तो। ट्रैकिंग सुविधाएं अलार्म सिस्टम को सुविधाजनक बनाने में सक्षम होंगी जहां रसद के रक्षक दल को एसओएस प्रावधानों के साथ सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
- इस नए राष्ट्रीय वितरण प्रणाली के गठन के लिए प्रमुख सिद्धांत: शीघ्रता से लागू किया जा सके
- पारदर्शिता - प्रणाली में किसी एक कारक या कारकों के समूह को चुनने में कोई पक्षपात या पूर्वाग्रह नहीं
- दक्षता - सिलोस में काम करने वाले असंगठित क्षेत्र के सापेक्ष शुद्ध लागत बचत। प्रवाह क्षमता और ऑन-टाइम प्रदर्शन के माध्यम से अधिक कुशल मांग / आपूर्ति मिलान।
- स्थिरता - 'तुरंत सब कुछ ठीक करने’ का समाधान नहीं है जो संकट के दौरान या उसके बाद काम नहीं कर सकता। प्रणाली को संकट से परे राष्ट्र की रसद जरूरतों को पूरा करने हेतु विकसित होना चाहिए।
1. कोविड के दौरान सुरक्षित वितरण हेतु केंद्रीय रसद प्राधिकरण।
- उद्योग के हितधारकों और केंद्रीय, राज्य और स्थानीय स्तरों पर सरकारों को एक आम केंद्रीय रसद तथा वितरण प्राधिकरण के तहत एक साथ आने की जरूरत है जो कोविड- सुरक्षित वितरण को नियंत्रित करता है।
- केंद्रीय रसद प्राधिकरण वितरकों / रसद और परिवहन प्रदाताओं के वाणिज्य मंच और खुदरा स्टोर से भागीदारी को आमंत्रित करेगा।
- केंद्रीय रसद प्राधिकरण के पास आपूर्ति श्रृंखला के प्रत्येक चरण से, पारदर्शिता और प्रभावी ढंग से निष्पादन तथा आपूर्ति में अड़चनों और बाधाओं की निगरानी करने हेतु उपलब्ध वास्तविक समय डेटा तक पहुंच होगी - विशेष रूप से दवा, कृषि उपज, दूध और अन्य आवश्यक सामान ले जाने वाले ट्रकों के लिए।
- आवश्यक आपूर्ति के वितरण हेतु मौजूदा सरकारी प्रशासनिक ढांचे पर आधारित एक कमांड सेट-अप या संचालन केंद्र स्थापित किया गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अधिक डीलरों को पंजीकृत करके खुदरा विक्रेताओं के साथ सह-चयनित किया जा सकता है।
- क्षेत्रीय कमांड सेंटर, बल्क-ब्रेकिंग पॉइंट तथा मदर वेयरहाउस के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की ट्रैकिंग तथा वास्तविक समय की निगरानी नेटवर्क का उपयोग करके किया जा सकता है।
- ऑनलाइन फीडबैक सिस्टम यह सुनिश्चित करने हेतु लागू किया गया है कि कोई भी क्षेत्र बिना आपूर्ति का नहीं बचा है।
- ग्रामीण क्षेत्रों को डीओटी द्वारा उपलब्ध कराए गए हब के साथ गांव डाक नेटवर्क के माध्यम से नेटवर्क किया जा सकता है।
- इसका उद्देश्य टिकाऊ सिस्टम का निर्माण करना होना चाहिए क्योंकि आपदा की प्रकृति के कारण ऐसी आपात स्थिति बन सकती है जो बिना किसी चेतावनी के आ सकती है।
- केंद्रीय रसद प्राधिकरण संकट के समय आवश्यक वस्तुओं और संसाधनों को जुटाने हेतु वितरकों और उनके संबंधित समूह के एकत्रितकरण का 'आह्वान' कर सकता है।
- रसद क्षेत्र को पूरी तरह से सक्षम करने हेतु, जिसमें प्रवासी और संविदाकर्मी शामिल हैं, श्रमिकों और ड्राइवरों की सुरक्षा की गारंटी देना कार्यबल के विश्वास और उपलब्धता को बहाल करने हेतु सर्वोपरि है। इसे स्वास्थ्य देखभाल / चिकित्सा जांच, वाणिज्यिक वाहनों में एसओएस तंत्र के साथ पूर्ण एंड-टू-एंड संचार और वितरण कर्मियों और उनके परिवारों दोनों को बीमा के साथ सुनिश्चित किया जाना है। अस्थायी पार्किंग क्षेत्रों और चालक दल के आवास को रसद अवसंरचना के साथ जोड़ा जा सकता है।
2. ग्राहक के आदेश और मांग / आपूर्ति का मिलान
- मौजूदा ऑनलाइन वाणिज्य प्लेटफॉर्म नए आदेशों की पूर्ति हेतु इस सामान्य आपातकालीन वितरण पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ सकते हैं।
- ग्राहक निर्धारित पोर्टल के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं के लिए ऑनलाइन ऑर्डर देंगे। मूल्य निर्धारण के मानकीकरण को सुनिश्चित करने हेकु सरकारी जीईएम को भी सह-चयनित किया जा सकता है।
- आपात स्थितियों के लिए आसान ऑनलाइन पोर्टल और नियमित रूप से स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। आपातकालीन आपूर्ति में महत्वपूर्ण दवाओं सहित पूर्व-सूचीबद्ध इन्वेंट्री होनी चाहिए, जिनका बार-बार ऑर्डर दिया जाता है।
- आपूर्ति के साथ गतिशील मांग असाइनमेंट एल्गोरिदम मांग का मिलान, और संबंधित वितरण और खुदरा वितरण केंद्र और वितरण एजेंट के साथ संबंधित प्राथमिक तथा क्षेत्रीय परिवहन सेवा प्रदाताओं को आर्डर।
- ड्राइवरों के लिए सुरक्षा को सक्षम करने और बेड़े के उच्च समय को सुनिश्चित करने हेतु सभी परिवहन प्रदाताओं को लाइव उपग्रह-आधारित ट्रैकिंग, आईओटी कनेक्टिविटी, और वास्तविक समय एसओएस प्रणाली से सक्षम किया गया है।
- डिजिटल डिस्पैच / ड्राइवर कनेक्टिविटी वाले वाहनों से सर्वव्यापी टेलीमेट्री डेटा को ऑन-डिमांड पर ट्रकों को रूट और री-रूट करने हेतु आवश्यक है, और यह सुनिश्चित करने हेतु कि सड़क पर मौजूदा बेड़े का उपयोग अधिकतम हो।
- मांगों को स्वचालित रूप से स्वीकृत किया जाना चाहिए और ऑनलाइन (पुल मॉडल) से प्राप्त आवश्यकताओं के अनुसार क्षेत्रीय डिपो और खुदरा विक्रेताओं के पास ले जाया जाना चाहिए।
- अस्पताल तथा चिकित्सा संस्थागत मांग को तत्काल पूरा किया जाना चाहिए। इसी तरह एंबुलेंस की मांग पोर्टल पर होनी चाहिए। ऊबर मॉडल के अनुसार एम्बुलेंस उपलब्ध होनी चाहिए।

3. वितरण : अंतिम मील, लंबी दूरी और सूची प्रबंधन
- अंतिम मील तक के विरतण में लॉजिस्टिक्स प्लेयर्स रिटेलर्स के अपने नेटवर्क को लॉजिस्टिक्स सप्लाई की देशव्यापी केंद्रीय 'इन्वेंट्री’ प्रदान करेगा, और इस कोविड-19 आपदा वितरण प्रबंधन पारिस्थितिकी तंत्र में भाग लेने वाले स्थानीय रिटेलर्स की पहचान भी करेगा।
- प्रत्येक पिन-कोड में 1-2 किमी के दायरे के भीतर अधिकृत किया जाएगा।
- स्थानीय वितरण कर्मी वितरण प्रणाली का हिस्सा बनने हेतु ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से खुद को पंजीकृत कर सकते हैं, और कोविड - सुरक्षित वितरण के संचालन में त्वरित आभासी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
- आसपास के डिलीवरी कर्मियों को विशेष ब्रिक और मोर्टार स्टोर को कवर करने का काम सौंपा जा सकता है, और स्थानीय ग्राहकों और अन्य व्यवसायों को डिलीवरी देने हेतु सुरक्षा गियर और मास्क प्रदान किए जा सकते हैं।
- सरकार के पास सामान्य सेवा केंद्रों जैसे मौजूदा नेटवर्क भी हैं, जिन्हें वितरण में सहायता करने के लिए चुना जा सकता है।
- आपूर्तिकर्ता (ई-कॉमर्स कंपनी या कोई अन्य निर्माण कंपनी / आपूर्तिकर्ता) अपने मूल वेयरहाउस से क्षेत्रीय गोदामों तक ट्रकों द्वारा प्राथमिक परिवहन सुनिश्चित करेगा, जो स्वचालित रूप से मांग / आपूर्ति मिलान प्रणाली के माध्यम से निर्धारित किया जाएगा।
- आपूर्तिकर्ता और वितरक अपने संबंधित सामग्रियों को क्षेत्रीय गोदामों से किसी विशेष राज्य में छोटे ट्रकों के माध्यम से स्थानीय गोदामों में स्थानांतरित करेंगे।
- अंत में, छोटे ट्रकों / वैन से अंतिम-मील के वितरण के भागीदार निर्दिष्ट अंतिम मील वितरण केंद्रों पर सामान ले जाएंगे, जहां से डिलीवरी एजेंटों / कर्मियों द्वारा आगे का वितरण कार्य पूरा किया जाएगा।
- पूरे वितरण नेटवर्क को कोविड- सुरक्षित हैंडलिंग प्राधिकरण पास, और बिना बाधा के संचालन हेतु अपेक्षित अनुमति प्रदान करनी होगी।
- प्रत्येक डिलीवरी को स्वचालित रूप से मूल्य निर्धारण करने के बाद भुगतानों को श्रृंखला में मौजूद प्रत्येक हितधारक को डिजिटल रूप से वितरित किया जाएगा, जैसे कि राइड-शेयर एप्लिकेशन निष्पादन से पहले प्रत्येक राइड की स्वचालित रूप से कीमत निर्धारित करते हैं।
- यह प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि असंगठित क्षेत्र का लाभ उठाते हुए देश भर में स्टोर, डिलीवरी एजेंट, लॉजिस्टिक्स ऑपरेटर, मजदूरों और ड्राइवरों को आजीविका प्रदान करते हुए अंतिम उपभोक्ता तक अंतिम मील वितरण से आपूर्ति श्रृंखला काम करती रहे।
- इसलिए रसद और आपूर्ति श्रृंखला में मुक्त कार्यशील संगठन बनाना आवश्यक है जिसमें रसद क्षेत्र, निजी क्षेत्र के प्रदाताओं और उपयोगकर्ताओं, तकनीकी विशेषज्ञों और सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों / कंपनियों में शामिल प्रमुख हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। विशेषज्ञों और हितधारकों को शामिल करने से उद्योग की शिकायतों को दूर करने में मदद मिलेगी, जिससे राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर उद्योगों और व्यापार के विकास को विनियमित करने, समर्थन और सुविधा प्रदान करते हुए बेहतर नीति का निर्माण हो सके।
- इसके अलावा, व्यापार लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को न केवल माल परिवहन और वेयरहाउसिंग के छोटे संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए, बल्कि औद्योगिक साइटों को व्यापार गलियारों के साथ विभिन्न नोड्स से जोड़ने में निभाने वाली व्यापक भूमिका को भी देखा जाना चाहिए, जिससे वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ विविध तथा उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं की पेशकश करने में सक्षम रसद क्षेत्र के निर्माण को सक्षम किया जा सकता है।
*लेफ्टिनेंट जनरल पीजेएस पन्नू (पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एकीकृत रक्षा स्टाफ के पूर्व उप प्रमुख), श्री एल.आर. श्रीधर (कनेक्ट इंडिया ई-कॉमर्स डिस्ट्रीब्यूशन सर्विसेज के संस्थापक) एवं पार्थसारथी त्रिवेदी (सीआईआई राष्ट्रीय अंतरिक्ष समिति के सदस्य और स्काईलो के सीईओ)
व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।