राजदूत, श्रीमती विजय ठाकुर सिंह जी,
गणमान्य प्रतिभागियों,
शंघाई सहयोग संगठन में भारत की भूमिका तथा स्थिति के विभिन्न आयामों पर आधारित आज के सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोलने के लिए आमंत्रित करने हेतु आपका धन्यवाद।
मेरे भाषण इस विषय पर आधारित होगा कि आगामी चर्चा का प्रारंभिक बिंदु तथा राजनीतिक मार्गदर्शन एससीओ का सुदृढ़ीकरण, दुनिया में अपने अधिकार तथा प्रभाव में संवर्धन, सदस्य राज्यों तथा अब तक शामिल 21 राज्यों के पूरे "एस.सी.ओ. परिवार" की सुरक्षा तथा समृद्धि हेतु इसके भीतर सहयोग का निरंतर विकास है।
मैं इस सम्मेलन के आयोजन हेतु विश्व मामलों की भारतीय परिषद को धन्यवाद देता हूं।
यह उल्लेखनीय है कि विगत तीन वर्षों में, और पूर्ण सदस्य के तौर पर एस.सी.ओ. राज्य परिषद की बैठक में भारत की पहली भागीदारी के समय से, अब तक परिषद खुद को एक प्रभावी और रचनात्मक बौद्धिक केंद्र के रूप में स्थापित चुका है, और हमारे संगठन के कामकाज के विभिन्न पहलुओं में सुधार तथा अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में साझा हितों को बढ़ावा देने हेतु उत्पादक और दिलचस्प विचार पैदा करने में सक्षम रहा है।
हम एस.सी.ओ. फोरम के हालिया सत्र में भारतीय विशेषज्ञों की प्रस्तुतियों और कोविड के पश्चात् एस.सी.ओ. में व्यापार तथा आर्थिक साझेदारी को बढ़ाने पर उनके विचारों की सराहना करते हैं।
जैसा कि आप सभी जानते हैं, इस वर्ष एस.सी.ओ. की पचासवीं वर्षगांठ है।
संगठन अपनी स्थापना के तीसरे दशक में प्रवेश कर रहा है।
लगभग एक महीने पहले, दुशांबे में एस.सी.ओ. सदस्य-राज्यों के प्रमुखों की परिषद ने एस.सी.ओ. की 20वीं वर्षगांठ घोषणा को अपनाया था, जिसमें आठ देशों के नेताओं ने पहले की अवधि में एस.सी.ओ. के कार्यों का संक्षिप्त विवरण पेश किया, क्षेत्रीय व वैश्विक नीतियों के प्रमुख मुद्दों पर आम राय को दर्ज किया तथा भावी कार्यों के उद्देश्यों को रेखांकित किया।
एस.सी.ओ. की हमेशा से पहली प्राथमिकता संगठन से संबद्ध क्षेत्रों में सुरक्षा तथा स्थिरता सुनिश्चित करना रही है, जो आज एक अंतर-क्षेत्रीय आयाम ग्रहण कर चुका है।
सदस्य देशों ने पर्यवेक्षक तथा संवाद भागीदारों के साथ-साथ अन्य सभी इच्छुक देशों व संगठनों के सहयोग से आतंकवाद के सभी प्रारूपों व अभिव्यक्तियों, अलगाववाद, उग्रवाद, नशीली दवाओं, हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों की अवैध तस्करी, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध का मुकाबला किया है।
अंतर्राष्ट्रीय सूचना सुरक्षा सुनिश्चित करने के बहुपक्षीय प्रयास में एस.सी.ओ. की भूमिका सुदृढ़ता हुई है।
आतंकवादी, अलगाववादी व चरमपंथी उद्देश्य हेतु इंटरनेट का उपयोग करने की कोशिशों का पता लगाने और उन्हें दबाने में सहयोग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
जाहिर है, अफगानिस्तान का मुद्दा एस.सी.ओ. के एजेंडे में सबसे ऊपर है।
अफगानिस्तान की स्थिति पर आयोजित पहला संयुक्त एस.सी.ओ.-सी.एस.टी.ओ. शिखर सम्मेलन दुशांबे में एस.सी.ओ. प्रमुखों की राज्य परिषद की बैठक के संयोजन में किया गया था।
एस.सी.ओ. आतंकवाद, युद्ध तथा मादक पदार्थों से मुक्त स्वतंत्र, तटस्थ, एकीकृत, लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण अफगानिस्तान की स्थापना की वकालत करता है। अफगानिस्तान के सभी जातीय, धार्मिक और राजनीतिक समूहों के प्रतिनिधियों की भागीदारी से अफगानिस्तान में समावेशी सरकार की स्थापना बेहद महत्वपूर्ण है।
एस.सी.ओ. ने अफगानिस्तान की स्थिति पर अपने सकारात्मक प्रभाव को लगातार बढ़ाया है।
भारत एस.सी.ओ.-अफगानिस्तान संपर्क समूह के कार्यों में सक्रिय भागीदारी रखता है, क्योंकि वहां और सामान्यतः मध्य एशिया में शांति व स्थिरता, जो एस.सी.ओ. का मूल है, भारत के लिए रणनीतिक महत्व का विषय है।
प्रिय साथियों,
यूरेशिया तथा उसके आगे के क्षेत्रों में एस.सी.ओ. के बढ़ते महत्व और क्षेत्रीय व वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती भूमिका को देखते हुए, यह कहा जा सकता है कि इस संगठन में भारत की सदस्यता से पूरे क्षेत्र में शांति तथा समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
जैसा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, "शंघाई सहयोग संगठन में हमारी सदस्यता भारत के अपने सदस्य देशों के साथ संबंधों का स्वाभाविक विस्तार है और यह भारत के भविष्य में इस क्षेत्र के महत्व को दर्शाता है"।
एक पूर्ण सदस्य राष्ट्र के रूप में एस.सी.ओ. में शामिल होने के पश्चात् से ही, भारत "बिना किसी झिझक" संगठन की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है।
नवंबर 2019 में नई दिल्ली में आयोजित एस.सी.ओ. सदस्य राज्यों की आपदा प्रबंधन एजेंसियों के प्रमुखों की दसवीं बैठक में, 2020-2021 के लिए आपदा प्रबंधन सहायता में सहयोग पर एस.सी.ओ. अंतर सरकारी समझौते के कार्यान्वयन की कार्य योजना को मंजूरी दी गई, जिससे इस क्षेत्र में हमारे देशों के बीच सहयोग बढ़ा है।
सचिवालय तथा एस.सी.ओ. क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना में भारतीय प्रतिनिधि सुरक्षा सुनिश्चित करने, व्यापार व आर्थिक संबंधों के सुदृढ़ीकरण तथा संगठन में सांस्कृतिक व मानवीय संबंधों को विकसित करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण दस्तावेजों के प्रारूपण एवं कार्यान्वयन में सीधे तौरपर शामिल हैं।
हम पिछले साल वीडियोकांफ्रेंसिंग प्रारूप में नई दिल्ली द्वारा आयोजित एस.सी.ओ. सदस्य राज्यों के शासनाध्यक्षों (प्रधानमंत्रियों) की परिषद की सफल बैठक और हमारे भारतीय भागीदारों द्वारा मंत्रिस्तरीय व विशेषज्ञ स्तरों पर विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन की सराहना करते हैं।
स्टार्टअप्स तथा इनोवेशन पर विशेष कार्य समूह की स्थापना, जिसकी सालाना बैठक भारत में होगी, और संगठन के भीतर विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष साझेदारी के सृजन हेतु एस.सी.ओ. यंग साइंटिस्ट्स कॉन्क्लेव की स्थापना एक बहुत ही आशाजनक पहल है।
एस.सी.ओ. सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के ढांचे के तहत पारंपरिक चिकित्सा पर एक तदर्थ कार्य समूह स्थापित करने का भारत का प्रस्ताव बेहद की व्यावहारिक है।
मैं भारत द्वारा आयोजित एस.सी.ओ. आर्थिक तथा विश्लेषणात्मक केंद्रों के पहले सहायता संघ का उल्लेख करना चाहूंगा, जिसके तहत बहुपक्षीय व्यापार तथा आर्थिक सहयोग के कार्यक्रम के कार्यान्वयन का रोडमैप तैयार करने के लिए एक कार्य योजना बनाई गई थी।
कोई भी व्यक्ति भारत की अनूठी प्राचीन संस्कृति को नजरअंदाज नहीं कर सकता, जिससे एस.सी.ओ. की सभ्यतागत संरचना को समृद्धि मिली है।
पिछले साल, भारत की पहल पर, बौद्ध विरासत की पहली एस.सी.ओ. अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रदर्शनी नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में आयोजित की गई थी।
प्रदर्शनी में एस.सी.ओ. सदस्य राज्यों में स्थित प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थलों की खुदाई के दौरान मिले दुर्लभ बौद्ध खजाने तथा कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया है।
बौद्ध विरासत पर इस ऑनलाइन प्रदर्शनी से हमें एक बार फिर से हमें बौद्ध धर्म तथा भारतीय दर्शन की विशालता का अनुभव करने और अपने देशों के बीच गहरे ऐतिहासिक संबंधों को महसूस करने का अवसर मिला।
2019 में बिश्केक में राष्ट्राध्यक्षों के एस.सी.ओ. शिखर सम्मेलन के दौरान घोषित की गई भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर इस वर्ष सचिवालय तथा एस.सी.ओ. सदस्य राज्यों को 10 विभिन्न भारतीय भाषाओं से अनुवादित भारतीय साहित्य की 10 पुस्तकें प्रस्तुत की गईं, जिससे एस.सी.ओ. सदस्य देशों के पाठकों के बीच भारतीय संस्कृति और साहित्य की समझ तथा प्रेम बढ़ेगा।
भारत ने एस.सी.ओ. के सदस्य देशों के लिए योग की अद्भुत दुनिया खोली है, जो हर साल दुनिया भर में काफी लोकप्रिय हो रही है, तथा विभिन्न जातियों व विश्वास के लोगों को एकजुट करती है।
यह उल्लेखनीय है कि पूर्ण ज्ञान तथा आध्यात्मिक प्रेम से अंतर्निहित योग "शंघाई आत्मा" के सिद्धांतों के अनुरूप है, जो एस.सी.ओ. की नैतिक और आचार की नींव है।
प्रिय मित्रों,
एस.सी.ओ. में भारत के शामिल होने से संगठन की भौगोलिक पहुंच बढ़ी है, और इससे क्षेत्र तथा दुनिया में इसका प्रभाव बढ़ा है।
हमें पूरा विश्वास है कि आपका देश इस क्षेत्र में शांति व स्थिरता बनाए रखने, मौजूदा तथा भावी खतरों और उद्देश्यपर व व्यक्तिपरक (मानव कारक), प्राकृतिक और मानव निर्मित चुनौतियों का मुकाबला करने में एस.सी.ओ. के कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देना जारी रखेगा।
ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के विस्तार, सूचना प्रौद्योगिकी की शुरूआत, टेलीमेडिसिन, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा पर्यटन, वित्तीय, आतिथ्य व पर्यटन सेवा, और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग के सृजन सहित संगठन में व्यापार व व्यवसाय, वैज्ञानिक तथा तकनीकी सहयोग के विकास के मामले में भारत में विशाल क्षमता है।
बेशक, मौजूदा परिस्थितियों में, कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में एस.सी.ओ. देशों की वैज्ञानिक व उत्पादन क्षमता को एकजुट करना महत्वपूर्ण है, जिसके संदर्भ में सबसे शक्तिशाली वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षमता वाले देश होने के नाते, भारत, चीन और रूस प्रमुख भूमिका निभाने हेतु तैयार हैं।
इसी तरह से कोरोनावायरस महामारी के सामाजिक तथा आर्थिक परिणामों को दूर करने, सीमा पार उत्पादन श्रृंखला, परिवहन संचार की बहाली, प्रौद्योगिकी, माल, सेवाओं व पूंजी की सामान्य आवाजाही, और इंसानों के आवागमन को पुनः शुरु करने हेतु समन्वय एवं संयुक्त रणनीति का विकास भी समान रूप से महत्वपूर्ण है।म युवाओं से संबद्ध एस.सी.ओ. गतिविधियों में भारत के कार्यों की विशेष सराहना करते हैं। एस.सी.ओ. देशों में रहने वाली युवा पीढ़ी यानि 800 मिलियन से अधिक युवा - हमारा साझा भविष्य हैं, जिसे हमें साथ मिलकर पोषित, मार्गदर्शन देने चाहिए तथा संरक्षित करना चाहिए।
और, निश्चित रूप से, हम भारत को एस.सी.ओ. सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग को मजबूत करने में प्रमुख भागीदार मानते हैं।
मैंने अभी जिन मुद्दों पर बात की, उनमें से कई को दुशांबे में एस.सी.ओ. राज्य परिषद के प्रमुखों की बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उठाया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र में उनके भाषण में भी इन विषयों का उल्लेख किया गया था।
मुझे पूरा विश्वास है कि आज के सम्मेलन से एस.सी.ओ. के एजेंडे के तहत चर्चा के दौरान कई नए ठोस विचार सामने आएंगे, जिन्हें बाद में व्यावहारिक रुप दिया जाएगा।
यह सत्र आप सभी के लिए उत्पादक रहे, मैं इसकी कामना करता हूं!
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