महामहिम नुयेन मिन्ह वू, उप मंत्री, वियतनाम विदेश मंत्रालय;महामहिम प्रो. डॉंग नुयेन अन्ह, उपाध्यक्ष, वीएएसएस; राजदूत डॉ. टी.सी.ए. राघवन; राजदूत फेम सन्ह चाउ; राजदूत प्रणय वर्मा और अतिविशिष्ट अतिथिगण, देवियों और सज्जनों, नमस्कार
आज इस महान समूह को संबोधित करने और भारत-वियतनाम द्विपक्षीय संबंधों की नई क्षितिज पर अपने विचारों को साझा करने पर मुझे अपारप्रसन्नता हो रही है। हमारे बीच भौगोलिक दूरी अवश्य है किंतु हमारा हृदय और आत्मा एक दूसरे से मिले हुए हैं। हम सभी कोविड-19 महामारी के कारण एक अभूतपूर्व स्थिति में रहे हैं जिसने हमारे संबंधों के तौर तरीकों को बदल कर रख दिया है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि हमने वियतनाम के साथ उच्च स्तर पर बहुमुखी अनुबंधों को बनाए रखा है। माननीय उपराष्ट्रपति महोदया डॉंग थी नोक थिन्ह ने इस वर्ष फरवरी में भारत की यात्रा की थी। अप्रैल में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री नुयेन जुआनफुक ने न केवल कोविड-19 की स्थिति पर विचारों के आदान-प्रदान करने बल्कि 2020 में हमारे द्विपक्षीय संबंधों के भावी फलक पर चर्चा करने के लिए टेलीफोन पर बातचीत की। हमारे दोनों विदेश मंत्रियों ने भी दिनांक 25 अगस्त, 2020 को हुई 17वीं आभासी संयुक्त आयोग की बैठक के दौरान हमारे संपूर्ण द्विपक्षीय संबंध की समीक्षा की।
यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि भारत का वियतनाम के साथ विशेष संबंध है। पूर्व के गौरवमयी सभ्यतागत संबंधों से लेकर आज की व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक हमने सामाजिक-आर्थिक, व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्रों में एक साथ प्रगति की है।
मित्रों,
आज भारत और वियतनाम नेतृत्व द्वारा विशेष ध्यान दिए जाने के कारण हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी राजनीतिक अनुबंध से लेकर आर्थिक और विकास साझेदारी, रक्षा और सुरक्षा सहयोग, ऊर्जा सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान तथा लोगों के बीच संबंधों तक में व्यापक सहयोग दे रही रही है।
इस महामारी के कारण शुरूआती बाधाओं के बाद हमारे कारोबार फिर से शुरू हो रहे हैं जहां दोनों ही पक्षों के इंडस्ट्री चैम्बर्स ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिये एक साथ आ रहे हैं। पिछले वर्ष भारत लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ वियतनाम का 7वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। यह अभी भी हमारे आर्थिक विकास के स्तर के अनुरूप नहीं है और यह तथ्य कि हम आज विश्व में सबसे तेज गति से आर्थिक प्रगति कर रहे हैं। और इसलिए, हमें अपनी पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने के लिए अपने व्यापार संबंधों को व्यापक बनाने और तेज करने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।
यह कोविड-19 से उपजे नए अवसरों को भुनाने के लिए साथ कार्य करने हेतु हमारे कारोबारियों और निवेशकों के लिए सही समय है। इस बदले संदर्भ में वैश्विक व्यापार और वाणिज्य बदलाव में हम दोनों देश नई आपूर्ति श्रृंखलाओं और एक-दूसरे के साथ नई साझेदारी की खोज के लिए मिलकर कार्य कर सकते हैं।
इसके साथ ही साथ हमें 2009 के आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) को उन्नत बनाए जाने की भी आवश्यकता है। एआईटीआईजीए अपने वर्तमान स्वरूप में आज की आर्थिक वास्तविकताओं को परिलक्षित नहीं करता है और भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ नहीं है। भारत आशा करता है कि आसियान के पीठ के रूप में वियतनाम यथाशीघ्र एआईटीआईजीए की समीक्षा करने में सहायता कर सकता है। हमें आशा है कि यह कदम आसियान क्षेत्र में हमारे व्यापार अनुबंध को आगे ले जाने के लिए नए अवसर सृजित करेगा।
मित्रों,
वियतनाम के साथ हमारी विकास साझेदारी सतत रूप से बढ़ रही है। कोविड-19 प्रबंधन के लिए क्षमता संवर्धन आदान-प्रदान के अतिरिक्त हमारी साझेदारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अनुप्रयोगों, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, भौतिकी एवं डिजिटल संयोजकता, असैन्य परमाणु ऊर्जा, जल संसाधन विकास आदि सहित नए क्षेत्रों में प्रारंभ हो चुकी है।
वियतनाम के कई प्रांतों में भारत की त्वरित प्रभाव परियोजनाएं वियतनाम के आम लोगों में तेज और वास्तविक सामाजिक-आर्थिक लाभ पहुंचा रही हैं। मुझे यह जानकारखुशी है कि इस वर्ष मेरे मंत्रालय ने मेकांग डेल्टा क्षेत्र जो जलवायु परिवर्तन संबंधी मुद्दों की वास्तविक सच्चाई का साक्ष्य रहा है, में जल संसाधन प्रबंधन के लिए 07 त्वरित प्रभाव परियोजनाओं को लागू करने की घोषणा की है। उपर्युक्त परियोजनाओं के अतिरिक्त, हम शिक्षा अवसंरचना के क्षेत्र में 05 अन्य त्वरित प्रभाव वाली परियोजनाओं को शुरू करने पर भी सहमत हो गये हैं।
मुझे यह जानकार भी खुशी है कि हमारे पुरातात्विक विशेषज्ञ क्वांग नाम प्रांत में मी सनमें विरासत संरक्षण परियोजनाओं में योगदान देते रहे हैं। मी सनमें नौंवीं सदी के विशालकाय शिवलिंग की शानदार मूर्ति की खोज हमारे घनिष्ठ सांस्कृतिक संबंध का एक साक्ष्य है। मुझे यह साझा करते हुए खुशी है कि इस नई खोज ने भारत के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
वियतनाम में योग की बढ़ती लोकप्रियता हमारी घनिष्ठ सांस्कृतिक और लोगों के बीच परस्पर संबंधों का एक अन्य उदाहरण है। हमारेसभ्यतागत संबंध योग को प्रथम शहस्त्राब्दी में वियतनाम के तट तक ले गया और यहां लोगों के जीवन पर इसका गहरा असर है। आधुनिक समय में जैसा कि योग विश्व भर में मानवता को जोड़ने में सहायता कर रहा है ताकि वे स्वस्थ्य जीवन शैली अपना सकें, संपूर्ण वियतनाम में योग की लोकप्रियता प्रशंसनीय है। मैंने भी जाना है कि वर्ष 2015 के बाद से भारत और वियतनाम योग के बारे में जागरूकता सृजित करते हुए और योग करने वाले लाखों लोगों को इसका लाभ पहुंचाते हुए प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए घनिष्ठ साझेदारी कर रहे हैं।
मित्रों,
रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में हमारा सहयोग वृहद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारी रणनीतिक कलन का मुख्य घटक रहा है। रक्षा साझेदारी हमारे द्विपक्षीय संबंधों में हमें बहुत अधिक सहयोग प्रदान करती है। इसमें सैन्य आदान-प्रदान, प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास, संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन और जहाज यात्राओं सहित कई आयाम शामिल है। 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर वाले रक्षा संबंधी ऋण सहायता के साथ रक्षा औद्योगिक सहयोग हमारे सहयोग का नया फोकस क्षेत्र है जिसे वियतनाम के घरेलु रक्षा निर्माण को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है।
एक व्यापक वैश्विक और क्षेत्रीय संदर्भ में हम वियतनाम को भारत की एक्ट ईस्ट नीति का मुख्य स्तंभ और हमारी हिंद-प्रशोंत दृष्टि का एक महत्वपूर्ण साझेदार मानते हैं। भारत हमारे साझा क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कटिबद्ध है। हमें खुशी है कि वियतनाम सहित आसियान के देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संबंध में उनके अपने दृष्टिकोण के साथ आए हैं जो व्यापक रूप से भारत के हिंद-प्रशांत क्षेत्र संबंधी दृष्टि के समान है। वे साथ मिलकर संयोजकता और सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय समेकन को बढ़ावा देने के लिए एक उपयोग खाका प्रदान करते हैं।
कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमारा निकट संबंध हमारे संबंध का एक अन्य महत्वपूर्ण पक्ष है। भारत 01 जनवरी, 2021 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्य के रूप में वियतनाम के साथ जुड़ने जा रहा है। एक दोषमुक्त बहुपक्षवाद के प्रति अंतरराष्ट्रीय कानून और प्रतिबद्धता हेतु आधुनिकीकरणऔर समोवशी, सम्मान के लिए उनकी आवाज के साथ सुरक्षा परिषद् में भारत और वियतनाम की समवर्ती उपस्थिति उनके बीच वैश्विक मुद्दों को लेकर एक अधिक अर्थपूर्ण सहयोग हेतु ठोस आधार प्रदान करता है।
यह देख कर प्रसन्नता होती है कि भारत और वियतनाम आज संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के माध्यम से तथा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने एवं जलवायु परिवर्तन संबंधी समस्या को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध कार्यों के माध्यम से क्षेत्रीय और वैश्विक शांति एवं विकास में योगदान दे रहे हैं।
चूंकि वियतनाम कोविड-19 की बाधाओं के बावजूद आसियान अध्यक्षता का संचालन सफलतापूर्वक कर रहा है, इसलिए वियतनाम और आसियान के साथ भारत का अनुबंध और भी सुदृढ़ हुआ है। हम वर्ष 2015-18 के दौरान अपने देश के समन्वयक के रूप में और नई दिल्ली में जनवरी, 2018 में भारत-आसियान स्मरणीय सम्मेलन की सफलता को सुनिश्चित करते हुए आसियान के साथ अपने अनुबंध को सुकर बनाने में वियतनाम की रचनात्मक भूमिका के प्रति कृतज्ञ हैं।
मित्रों,
जब भारत और वियतनाम के बीच सीधी उड़ानों का परिचालन शुरू हुआ तो कनेक्टिविटी के क्षेत्र में पिछले वर्ष हमने एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। इन उड़ानों में भारत और वियतनाम के बीच पर्यटन आदान-प्रदान को बढ़ावा देने तथा हमारे लोगों को निकट लाने की क्षमता है। हमारी साझी बौद्ध विरासत महत्वपूर्ण पर्यटन का आकर्षण है। कई स्थानों यथा बोधगया और वाराणसी पर कई वियतनामी बौद्ध पगौड़ा हैं। भारत सरकार ने लंबी अवधि के लिए वीजा के साथ वीजा शुल्क में उल्लेखनीय कमी लाकर अपने ई-वीजा क्षेत्र को भी उदार बनाया है। इससे भारत आने वाले वियतनाम के पर्यटकों को सुविधा प्राप्त होगी। पर्यटन को बढ़ावा देने के अलावा हमें यह भी आशा है कि इन सुविधाजनक सीधी कनेक्शनों से दोनों की पक्षों के कारोबारियों को अपने संपूरकों पर कार्य करने और हमारे आर्थिक संबंधों के स्तर को आगे बढ़ाने में प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
वर्ष 2020 नेकोविड-19 महामारी के रूप में मानव समुदाय के लिए एक अभूतपूर्व संकट लाकर मानव संबंध पर असर डाला है। यह एक कठिन समय है, भारत इस महामारी को नियंत्रित करने में सहायता करने के लिए वैश्विक समुदाय के साथ निकटता के साथ कार्य कर रहा है।''विश्व का औषधालय'' के रूप में भारत की प्राथमिकता सभी सहायक औषध उत्पादों को उपलब्ध करना है जो प्रभावी रूप से प्रबंधन प्रयासों में सहायता प्रदान कर सके। भारत समग्र मानवता के लाभ के लिए एक वैक्सिन विकसित करने हेतु वैश्विक प्रयासों में भी अग्रणी है।
कोविड-19 के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को आकार देने में प्रधानमंत्री मोदी ने ''मानव-केंद्रित वैश्विकरण'' के सिद्धांत को रेखांकित किया है जिसमें परिचर्या और संवेदना आधारित आर्थिक पुनरूद्धार की व्यवस्था है। उन्होंने ''आत्मनिर्भर भारत'' की भी संकल्पना की जो स्वयंधारी और तन्यक है, जिसमें भारत को अलग-थलग करना नहीं बल्कि घरेलु स्तर पर क्षमता संवर्धन करना हैताकि भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ बेहतर तरीके से समेकन कर सके। हमें विश्वास है कि अपने आकार, क्षमता और आकांक्षाओं को देखते हुए भारत को महामारी पश्चात वैश्विक पुनरूद्धार में एक प्रमुख कारक बनना है। और भारत जो कदम उठा रहा है वह वार्धिक नहीं है; ये परिवर्तनकारी हैं।
मित्रों,
चूंकि मैं अपनी बात समाप्त कर रहा हूं, इसलिए मैं यह रेखांकित करना चाहूंगा कि नई उंचाई छूने के लिए हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी करने हेतु वियतनाम, जो हमारे घनिष्ठ मित्रों और सबसे विश्वासी साझेदार में से एक है, के साथ मिलकर कार्य करने से हमारी क्षेत्रीय विकास प्राथमिकताओं और वैश्विक परिदृश्य के साथ संरेखित है।
आपका धन्यवाद।