देवियों और सज्जनों,
मुझे सर्बिया के विदेश मंत्री महामहिम श्री निकोला सेलाकोविच का विश्व मामलों की भारतीय परिषद में स्वागत करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है।
महामहिम, अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद आज हमारे लिए समय निकालने के लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहती हूं।
भारत और सर्बिया के बीच ऐतिहासिक रूप से मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सह-संस्थापक के रूप में हम गहरी और घनिष्ठ मित्रता साझा करते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में हमारे बीच कई उच्च-स्तरीय दौरे हुए हैं - भारत के उपराष्ट्रपति ने 2018 में सर्बिया का दौरा किया था और इससे पहले सर्बिया के प्रधानमंत्री 2017 में भारत आए थे। पिछले कई दशकों के दौरान हमारी आर्थिक साझेदारी का विस्तार हुआ है और यह सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि, बुनियादी ढांचे और फार्मास्यूटिकल्स सहित विभिन्न क्षेत्रों तक भी पहुंचा है। हमारे बीच सांस्कृतिक, शैक्षणिक और लोगों से लोगों के बीच मजबूत संबंध हैं। सर्बिया यूरोप का एकमात्र देश है जो भारतीय पासपोर्ट धारकों को 30 दिनों तक रहने के लिए वीज़ा मुक्त प्रवेश की अनुमति देता है। इसने लोगों से लोगों के बीच निकटता बनाने में योगदान दिया है।बड़ी संख्या में भारतीय सर्बिया की यात्रा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में सर्बियाई लोगों ने व्यापार और सांस्कृतिक उद्देश्यों जैसे योग, आयुर्वेद और स्वास्थ्य लाभ के लिए भारत का दौरा किया है।
हमारे संबंध, दोनों देशों के लोगों के बीच एक दूसरे के प्रति आदर भाव पर आधारित हैं।
भारत के उपराष्ट्रपति जो विश्व मामलों की भारतीय परिषद के अध्यक्ष भी हैं, ने सर्बिया की अपनी यात्रा के दौरान 2018 में बेलग्रेड में सर्बिया गणराज्य की संसद के विशेष सत्र में दिए गए अपने भाषण में कहा था- "हमारे संबंध गुटनिरपेक्ष आंदोलन के साझा वैश्विक दृष्टिकोण की मजबूत नींव पर शुरु हुए थे और हमने मिलकर तीसरी दुनिया के लिए एक बड़ा मंच तैयार किया। वैश्विक भू-राजनीति में आए बदलाव ने अब हमें फिर से पारस्परिक लाभ के लिए और दूसरों के साथ समृद्धि साझा करने के लिए मिलकर काम करने का अवसर प्रदान किया है। महामहिम इसलिए हमारा संबंध एक स्वाभाविक साझेदारी पर आधारित है। आज भारत सर्बिया को मध्य यूरोप के प्रवेश द्वार के रूप में देखता है। एक-दूसरे की ताकत और प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर विचारों की समानता के आधार पर, हम अपने संबंधों को राजनीतिक, आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग के एक नए युग में ले जा सकते हैं और इस संबंध में हम, भारत-सर्बिया संबंधों की स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर आपके विचारों को सुनने के लिए उत्सुक हैं।
महामहिम, मैं एक बार फिर से आपका तहेदिल से स्वागत करती हूं।
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