भारतीय वैश्विक परिषद (आईसीडब्ल्यूए) के महानिदेशक, राजदूत विजय ठाकुर सिंह के नेतृत्व में 5वीं आईसीडब्ल्यूए-केएनडीए (कोरिया नेशनल डिप्लोमैटिक एकेडमी) और दूसरी भारत-आरओके 2 + 2 वार्ता (20 मार्च 2024) में हिस्सा लेने के लिए 19-20 मार्च 2024 को एक प्रतिनिधिमंडल सियोल, दक्षिण कोरिया पहुंचा। भारत की ओर से आईसीडब्ल्यूए और आरआईएस (विकासशील देशों के लिए अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) और आरओके से केएनडीए और केआईईपी (कोरिया अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीति संस्थान) के बीच 2 + 2 संवाद आयोजित किया गया। दोनों संवादों का मुख्य ध्यान इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक विश्वास के साझेदार के रूप में भारत और कोरिया गणराज्य पर था। 2+2 संवाद में महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए के साथ डॉ. शेषाद्रि चारी, सदस्य, शासी निकाय एवं शासी परिषद, आरआईएस भी मौजूद थे।
आईसीडब्ल्यूए-केएनडीए संवाद का पहला सत्र "इंडो-पैसिफिक में क्षेत्रीय रणनीतिक संरचना पर परिप्रेक्ष्य" पर केंद्रित था। इसका संचालन राजदूत ली मून-ही, वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक, आईएफएएनएस, केएनडीए द्वारा किया गया। इसमें डॉ. चोई वूसन, प्रोफेसर, केएनडीए और डॉ. प्रज्ञा पांडे, शोध अध्येता, आईसीडब्ल्यूए जैसे वक्ता शामिल थे। डॉ. टेशू सिंह, शोध अध्येता, आईसीडब्ल्यूए और डॉ. चोए वोंगी, प्रोफेसर, केएनडीए मुख्य चर्चाकर्ता थे। चर्चा के दौरान, दोनों पक्षों ने स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के अपने साझा दृष्टिकोण की पुष्टि की तथा क्षेत्रीय सुरक्षा परिवेश पर अपने विचार साझा किए। यह उल्लेख किया गया कि अमेरिका-चीन की तेजी से बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के कारण क्षेत्र में बढ़ते ध्रुवीकरण और मध्य-पूर्व में यूक्रेन संकट और संघर्ष के प्रभाव ने क्षेत्र के कई देशों के लिए इन महाशक्तियों की प्रतिस्पर्धा से निपटना मुश्किल बना दिया है।
आईसीडब्ल्यूए-केएनडीए संवाद का दूसरा सत्र "आरओके तथा भारत के बीच रणनीतिक विश्वास में सुधार के तरीकों" पर केंद्रित था। इसका संचालन आईसीडब्ल्यूए के महानिदेशक राजदूत विजय ठाकुर सिंह ने किया। वक्ताओं में डॉ. टुनचिनमांग लांगेल, शोध अध्येता, आईसीडब्ल्यूए और डॉ. चो वोंडेउक, प्रोफेसर, केएनडीए शामिल थे। डॉ. सोंग जी-सन, प्रोफेसर, केएनडीए और डॉ. टेशु सिंह, शोध अध्येता, आईसीडब्ल्यूए मुख्य चर्चाकर्ता थे। इस सत्र में 2015 में द्विपक्षीय संबंधों के ज़रिए हासिल की गई महत्वपूर्ण उपलब्धियों का उल्लेख किया गया जिसके दौरान संबंधों को "विशेष रणनीतिक साझेदारी" तक बढ़ाने और आगामी 50 वर्षों में इंडो-पैसिफिक में अपने संबंधों को 'काफ़ी हद तक विशेष' बनाने के लिए आरओके तथा भारत के बीच रणनीतिक विश्वास को और बेहतर बनाने के तरीकों की खोज करने का काम किया गया।
2 + 2 संवाद के पहले सत्र की अध्यक्षता आईएफएएनएस, केएनडीए के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक, राजदूत ली मून ही ने की। वक्ताओं में डॉ. शेषाद्रि चारी, सदस्य, शासी निकाय और शासी परिषद, आरआईएस, डॉ. चोए वोंगी, प्रोफेसर, केएनडीए; डॉ. प्रज्ञा पांडे, शोध अध्येता, आईसीडब्ल्यूए; और डॉ. किम जियोंग गॉन, शोध अध्येता, केआईईपी शामिल थे। यह सत्र इस बात पर केंद्रित था कि हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रम किस प्रकार इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के रणनीतिक परिदृश्य में गहरा बदलाव ला रहे हैं। इस सत्र में भारत-आरओके विशेष रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की प्राथमिकताओं पर चर्चा हुई जिसमें आपूर्ति श्रृंखला को लचीला बनाने, विविधीकरण, महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियां, अर्धचालक, बुनियादी ढांचे का विकास, रक्षा उत्पादन एवं महत्वपूर्ण खनिज शामिल थे।
2+2 संवाद के दूसरे सत्र की अध्यक्षता आईसीडब्ल्यूए के महानिदेशक राजदूत विजय ठाकुर सिंह ने की। वक्ताओं में डॉ. टुनचिनमांग लांगेल, शोध अध्येता, आईसीडब्ल्यूए और डॉ. चो वोंडेउक, प्रोफेसर, केएनडीए शामिल थे। चर्चाकर्ताओं में डॉ. हान ह्योंगमिन, शोध अध्येता, केआईईपी और डॉ. प्रियदर्शी दाश, एसोसिएट प्रोफेसर, आरआईएस शामिल थे। सत्र में इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे दक्षिण कोरिया ने वैश्विक समाज में नियम-आधारित व्यवस्था एवं स्थायी समृद्धि लाने और इसे बनाए रखने में सक्रिय योगदान देने के लिए अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति के माध्यम से रणनीतिक स्थिति स्पष्ट रूप से व्यक्त की है। इसी तरह, भारत ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए अपने राजनयिक प्रयासों को बढ़ाया है और वैश्विक दक्षिण में स्थिरता एवं समृद्धि को बढ़ावा देने में स्वेच्छा से अग्रणी भूमिका निभाई है। यह उल्लेखित किया गया कि उनकी द्विपक्षीय साझेदारी में क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, सुरक्षा व समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है।
2+2 संवाद का तीसरा सत्र ग्लोबल साउथ एवं कोरिया-भारत विकास साझेदारी के उदय पर केंद्रित था। इसकी अध्यक्षता केआईईपी के अध्यक्ष डॉ. ली सिवुक ने की। वक्ताओं में डॉ. किम क्यूनघून, एसोसिएट शोध अध्येता, केआईईपी और डॉ. प्रियदर्शी दाश, एसोसिएट प्रोफेसर, आरआईएस शामिल थे। चर्चाकर्ताओं में डॉ. सोंग जी-सन, प्रोफेसर, केएनडीए; डॉ. टेशु सिंह और डॉ. टुनचिनमांग लंगेल, शोध अध्येता, आईसीडब्ल्यूए शामिल थे। इस सत्र में वैश्विक मंच पर कोरिया-भारत विकास साझेदारी को मजबूत करने के तरीके तलाशने पर चर्चा की गई तथा भारत की विकास यात्रा में योगदान देने के कोरिया के प्रयासों पर चर्चा की गई। यह उल्लेख किया गया कि ग्लोबल साउथ में समावेशी और व्यापक विकास में योगदान देने का भारत का लक्ष्य आरओके के एक वैश्विक निर्णायक देश बनने के लक्ष्य से संरेखित है जो अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्रता, शांति एवं समृद्धि का समर्थन करता है। अपनी द्विपक्षीय विकास साझेदारी को मजबूत करने के अलावा, भारत और कोरिया गणराज्य के पास अपने-अपने अनुभवों और विकास के रास्तों को देखते हुए त्रिकोणीय एवं बहुपक्षीय विकास सहयोग तंत्र के माध्यम से ग्लोबल साउथ को देने के लिए बहुत कुछ मौजूद है।
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