दो आईसीडब्ल्यूए पुस्तकें
भारतीय विश्व मामले परिषद ने हाल ही में दो पुस्तकों का प्रकाशन किया है। पहली पुस्तक डॉ पंकज झा, निदेशक अनुसंधान द्वारा लिखित है जिसका शीर्षक है "सहयोग की संभावनाओं की तलाश" और दूसरी राजदूत परमजीत सिंह सहाय द्वारा संपादित "भारत और दक्षिणी अफ्रीका : साझेदारी के माध्यम से आगे बढ़ना" है।
डॉ झा की पुस्तक भारतीय विदेश नीति के बारे में है जिसने विगत दशकों में ओशिनिया क्षेत्र में स्वरूप बदला है। वे लिखते हैं, "इस क्षेत्र के बारे में अपेक्षाकृत कम विशेषज्ञता के साथ-साथ आर्थिक विकास से संबंधित सीमित आंकड़े और इन राष्ट्रों की उभरती चुनौतियों ने इस क्षेत्र का अध्ययन करने में अड़चनें पैदा की हैं"। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड यथावत हैं और इस क्षेत्र में प्रमुख शक्तियां बने रहेंगें , लेकिन हाल ही में, फिजी ने प्रशांत द्वीप विकास मंच के रूब्रिक के तहत द्वीप देशों को उत्तेजित करने के लिए जो पहल की है, उससे पता चलता है कि ये राष्ट्र अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं। कुल मिलाकर यह पुस्तक उभरती चुनौतियों और ओशिनिया की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भारत के लिए इसके महत्व को संबोधित करती है।
राजदूत सहाय की पुस्तक आईसीडब्ल्यूए और ग्रामीण एवं आद्योगिक विकास अनुसन्धान केंद्र , चंडीगढ़ का एक संयुक्त प्रयास है। यह फरवरी 2014 में आईसीडब्ल्यूए के सहयोग से ग्रामीण एवं आद्योगिक विकास अनुसन्धान केंद्र द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में प्रस्तुत पत्रों का एक संग्रह है। इसमें उन्नीस शोध-पात्र हैं जिसमे मौलिक के साथ साथ समकालीन मुद्दों से लेकर कई मुद्दों शामिल हैं। ये शोध-पत्र सामान्य नहीं हैं, किन्तु इनकी एक व्यावहारिक प्रासंगिकता है, जो भविष्य के भारत और अफ्रीका के आगे बढ़ने में सहयोग के लिए सार्थक सुझाव प्रस्तुत करते है। इस पुस्तक की प्रासंगिकता महाद्वीप में भारत के बढ़ते हितों के कारण कई गुना बढ़ गई है, जैसाकि 26 से 29 अक्टूबर 2015 तक नई दिल्ली में आयोजित भारत-अफ्रीका शिखर सम्मलेन के दौरान परिलक्षित हुई थी।
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