प्रेस विज्ञप्ति
राजदूत पी.के. बुधवर द्वारा लिखित
"कनाडा-भारत: प्रगति में भागीदार"
(एक आईसीडब्ल्यूए प्रकाशन)
पर
पुस्तक चर्चा
सप्रू हाउस, नई दिल्ली (15 मार्च, 2016)
‘रोलर कोस्टर ’की सवारी के रूप में भारत-कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों की बराबरी करते हुए, 'कनाडा-भारत: प्रगति में भागीदार' नामक पुस्तक के लेखक, राजदूत पी.के.बुधवर ने कहा कि अब यह वास्तविक द्विपक्षीय’ संबंध बन गया है। लेखक 15 मार्च, 2016 को नई दिल्ली के सप्रू हाउस में विश्व मामलों की भारतीय परिषद द्वारा आयोजित पुस्तक चर्चा कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। पुस्तक 'कनाडा-भारत: प्रगति में भागीदार' को आईसीडब्ल्यूए और विज बुक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित किया गया है। कनाडा में भारत के उच्चायुक्त के रूप में कार्य कर चुके राजदूत बुधवर ने कहा कि भारत और कनाडा के संबंधों में कोई गंभीर अंतर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारत और कनाडा के लोग आम तौर पर एक-दूसरे के बारे में नहीं जानते हैं और कई लोग कनाडा को अमेरिका के समान देश के रूप में देखते हैं, जो सही नहीं है। राजदूत ने दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे की क्षमता और सफलता की कहानियों के बारे में बताने में मीडिया से अधिक भूमिका निभाने का आग्रह किया।
इस पुस्तक-चर्चा कार्यक्रम में भाग लेने वालों में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अब्दुल नफी; राजदूत आर एल नारायण और आईसीडब्ल्यूए से डॉ. स्तुति बनर्जी शामिल थी। राजदूत नारायण ने कनाडा को एक 'मोज़ेक' कहा, जहाँ विभिन्न संस्कृतियों को प्रोत्साहित किया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत के परमाणु परीक्षण और कनिष्क बम विस्फोट की घटना ने दोनों देशों के बीच एक हद तक संबंधों को प्रभावित किया। राजदूत नारायण ने उल्लेख किया कि कनाडा प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से टिकाऊ ऊर्जा जैसे ज्वार और भू-तापीय ऊर्जा में में अग्रणी है।
प्रो. अब्दुल नफी ने कनाडाई राष्ट्र की प्रकृति के बारे में बात की और इसे बहुसांस्कृतिक समाज की अवधारणा में एक 'अग्रणी दूत' कहा। उन्होंने कहा कि वर्तमान पुस्तक भारत-कनाडा संबंधों के लिए एक 'प्रासंगिक आचरण' है। प्रोफेसर ने कहा कि बायोटेक, जल संसाधन प्रबंधन, ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य पदार्थों की लंबी दूरी के परिवहन दोनों देशों के बीच सहयोग के क्षेत्र हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कनाडा में बहुत बड़ा प्राकृतिक गैस और तेल का भंडार है और यह देश भारत के लिए भविष्य में गैस आपूर्ति के स्रोत के रूप में उभर सकता है।
डॉ.स्तुति बनर्जी ने देश में प्रांतों की स्वायत्तता सहित,कनाडा में विभिन्न मुद्दों पर खुली बहस को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कनाडा में भारतीय प्रवासी राजनीतिक और आर्थिक रूप से मजबूत हैं, हालांकि, उस प्रवासी समूह के एक वर्ग का भारत के प्रति कोई अनुकूल दृष्टिकोण नहीं है। यह जानना दिलचस्प होगा कि कनाडा सरकार इससे कैसे निपटती है। उन्होंने कनाडा में भारत की सॉफ्ट पावर पर अधिक जोर देने का सुझाव दिया।
टिप्पणियों के बाद एक प्रश्नोत्तर सत्र हुआ ।
पुस्तक चर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता राजदूत राजीव सिकरी ने की, जिन्होंने कहा कि रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत-कनाडा के सहयोग की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि कनाडा के पास भारत को देने के लिए प्रौद्योगिकी और निवेश पूंजी है।
इस समारोह में दिल्ली स्थित राजनयिक समूह के सदस्यों, शिक्षाविदों,मीडिया कर्मियों, विद्वानों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया।
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