आई.सी.डब्ल्यु.ए-सी.पी.आई.एफ.ए. वार्तालाप
में
राजदूत राजीव के. भाटिया
महानिदेशक, आई.सी.डब्ल्यु.ए.
द्वारा
उद्घाटन वक्तव्य
सप्रू हाउस, नई दिल्ली में
10 अक्तूबर, 2014
राजदूत पेंग कीयु, उपाध्यक्ष, चीनी पीपुल्स इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन अफेयर्स(सीपीआईएफए) दोनों प्रतिनिधिमंडल के विशिष्ट सदस्य, विशिष्ट अतिथियों, देवियों और सज्जनों ।
- इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स(आईसीडब्लयुए) की ओर से मुझे इस भारत-चीन ट्रैक II वार्तालाप में आप सभी का स्वागत करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है । चीनी पीपुल्स इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन अफेयर्स(सी.पी.आई.एफ.ए.) के प्रतिनिधिमंडल के विशिष्ट सदस्यों का विशेष रूप से उत्साहपूर्वक स्वागत किया जाता है ।
सी.पी.आई.एफ.ए. के बारे में :
- मुझे पहली बार अपने साथी संस्थान - सी.पी.आई.एफ.ए. को इस गरिमापूर्ण सभा से परिचित कराना चाहिए ।
राजदूत राजीव के. भाटिया, महानिदेशक,आईसीडब्ल्युए ने अपना उद्घाटन वक्तव्य दिया।
- दिवंगत प्रीमियर झाउ एनलाई की पहल पर दिसंबर 1949 मेंसी.पी.आई.एफ.ए की स्थापना की स्थापना की गई थी,जो पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के बाद लोगों से लोगों की कूटनीति के लिए समर्पण अपनी तरह का पहला कार्य था । सी.पी.आई.एफ.ए का उद्देश्य चीन और अन्य देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध और सहयोग स्थापित करना और विकसित करना है । सी.पी.आई.एफ.ए परिषद में चीन के सभी इलाकों के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ता, पूर्व वरिष्ठ राजनयिक और अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के प्रसिद्ध विद्वान और विशेषज्ञ शामिल हैं ।
- मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि राजदूत पेंग कीयु चीन से अपने प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं । राजदूत पेंग कीयु दिसंबर 2011 से सी.पी.आई.एफ.ए के उपाध्यक्ष हैं । उन्होंने चीन के विदेश मंत्रालय(एमएफए) और न्यूयार्क, सैन फ्रांसिस्को, कुआलालंपुर और लुसाका में चीनी राजनयिक मिशनों में कार्य किया है । सी.पी.आई.एफ.ए के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में भारतविद्, अर्थशास्त्रियों और रणनीतिक विशेषज्ञों को पाकर हमें बहुत प्रसन्नता हुई ।
- इस सुविज्ञ दर्शकों के लिए मुझे शायद ही इस बात का उल्लेख करना चाहिए कि भारत की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित विदेश नीति विशेषज्ञ समूह(थिंक टैंक) है । यह अपने शोधकर्ताओं, सहयोगियों और समर्थकों के कारण संस्था स्पष्ट रूप से निरंतर ऊंचाई छूती जा रही है ।
(बाएं से दाएं) श्री नागेंद्र के. सक्सेना, डीडीजी, आई.सी.डब्ल्यु.ए., राजदूत पेंग कीयु, उपाध्यक्ष, सी.पी.आई.एफ.ए., राजदूत राजीव के. भाटिया, महानिदेशक, आई.सी.डब्ल्यु.ए. और श्री माओ सिवेई, कोलकाता के पूर्व सी.जी.।
विगत गतिविधियां
- एक पृष्ठभूमि के रूप में यह याद रखने योग्य है कि हमारे दो संस्थानों - आई.सी.डब्ल्यु.ए. और सी.पी.आई.एफ.ए. ने अप्रैल, 2005 में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए । हमने अतीत में इस समझौता ज्ञापन के तहत कुछ गतिविधियां आयोजित की हैं। मुझे यह याद करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि नवंबर, 2012 में चीन की अपनी यात्रा के दौरान सी.पी.आई.एफ.ए ने पिछले वर्ष से एक संरचित, संस्था से संस्था के बीच संवाद शुरू करने के लिए आसानी से सहमति व्यक्त की ।
- मुझे अपने सम्मानित संस्थान के प्रिय राजदूत के साथ सितंबर, 2013 में प्रथम सी.पी.आई.एफ.ए. – आई.सी.डब्ल्यु.ए . वार्ता में प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जो एमओयू पर हस्ताक्षर करने के आठ वर्ष बाद हासिल हुआ ।
- उस समय आपकी टीम के साथ हमारी स्पष्ट और सौहार्दपूर्ण चर्चा एक उत्पादक प्रयोग साबित हुई । हमने मुख्य रूप से अपने संबंधित संस्थानों के बीच नियमित रूप से बातचीत करने की आवश्यकता दोहराई क्योंकि हम आश्वस्त हैं कि यह आपसी समझ को बढ़ावा देगा और मतभेदों को कम करेगा ।
- मैं आई.सी.डब्ल्यु.ए की एक टीम सहित म्यांमार और भारत के विशेषज्ञों और विद्वानों को जून, 2014 में बीजिंग में आमंत्रित करके सह-अस्तित्व अथवा पंचशील के पांच सिद्धांतों की घोषणा की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए सी.पी.आई.एफ.ए. के नेतृत्व को बधाई देता हूं ।
कार्यसूची(एजेंडा)
- हमारे पास एक सहमत कार्यसूची है । यह प्रत्येक उस मुद्दे को शामिल नहीं कर सकता है जिस पर हम चर्चा करना चाहते हैं, लेकिन निश्चित रूप से वैश्विक, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय विषयों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी
। मुझे उनमें से कुछ पर बहुत संक्षेप में उल्लेख करना चाहिए ।
- चीन के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध निस्संदेह भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में एक है । चीन और भारत प्राचीन सभ्यताएं हैं और प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं । एक तिहाई मानवता की आबादी के साथ भारत और चीन दोनों अपने घरेलू परिवत्रन को प्राथमिकता देते हैं । दोनों देशों के लिए एक शांतिपूर्ण और स्थिर माहौल के साथ एक संघर्षमुक्त विश्व पर्यावरण अत्यधिक महत्व है। उन्होंने 21वीं सदी में रणनीतिक और सहयोगी साझेदारी में प्रवेश किया है ।
भारत और चीन के प्रतिभागियों की समूह तस्वीर ।
- उच्चतम राजनीतिक स्तर पर नियमित शिखर सम्मेलनों ने हमारे द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । आई.सी.डब्ल्यु.ए. को वर्ष 2006 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के अध्यक्ष महामहिम श्री हू जिंताओं, वर्ष 2010 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के स्टेट काउंसिल के प्रमुख एच.ई. मिस्टर वेन जियाबाओ एवं वर्ष 2013 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के स्टेट काउंसिल के प्रमुख मिस्टर ली केकियांग तथा इस सितंबर में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के अध्यक्ष एच.ई. मिस्टर जिनपिंग द्वारा मेजबानी करने का विशेषाधिकार और सम्मान प्राप्त हुआ।
- राष्ट्रपति मिस्टर जि जिनपिंग ने 18 सितंबर, 2014 को आई.सी.डब्ल्यु.ए. द्वारा आयोजित शिखर वार्ता में अपने विशेष संबोधन के दौरान कहा था कि “चीन और भारत के बीच घनिष्ठ विकास साझेदार, विकास में अग्रणी सहयोगी साझेदार और रणनीतिक वैश्विक साझेदार होने चाहिए” । हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत-चीन संबंधों को “इंच(भारतऔरचीन” से आगे बढ़ते हुए मीलों (मिलेनियम ऑफ एक्सेप्शनल सिनर्जी)” तक बताया है । हमें विशेष साझेदारी प्राप्त करने और सीमाओं, नदियों, बाजारों, हमारे दो समाजाअें के बीच समझ और विश्वास के निर्माण, और विश्व में हमारे राष्ट्रों के स्थान जैसे गहन मुद्दों पर मजबूजी से सहयोग के लिए तरीके और साधन बनाने की आवश्यकता है ।
- बीजिंग में अक्तूबर, 2013 में पड़ोसी देशों के साथ राजनयिक कार्यों पर एक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति जि पिनपिंग ने कहा कि चार चीनी अक्षर चीन के पड़ोस कूटनीति के लिए महत्वपूर्ण शब्द होंगे । ये किन(निकटता),चेंग(तत्परता),हुई(लाभ) और रोंग(समावेशी) की अवधारणाएं हैं । उनहोंने 18 सितंबर, 2014 को अपने
विशेष संबोधन के दौरान इन अवधारणाओं पर भी जोर दिया ।
- हमें इन अवधारणाओं के साथ-साथ अपने पड़ोसी देशों के प्रति चीन की नीति का पता लगाने और समझने की आवश्यकता है । एशिया के प्रमुख हितधारकों के साथ अपने निकट पड़ोसियों के साथ चीन की कूटनीति का किन तरीकों से प्रभाव पड़ा ? हम द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों में मतभेदों को कम कर सकते हैं और भारत-चीन सहयोग को अधिकतम कर सकते हैं । इसके अतिरिक्त क्या यह समय एक यर्थाथ बहुध्रुवीय विश्व और सार्थक बहुपक्षवाद के लिए वैश्विक खोज को मजबूत करने का है जो हमारे लोगों की आपसी धारणाओं में सुधार करके अधिक तालमेल सुनिश्चत करता है ? ये और आज यहां एकत्र किए गए कई अन्य प्रश्न विशेषज्ञों द्वारा संबोधित किए जाएंगे ।
- अंत में देवियों और सज्जनों में मुझ पर विश्वास व्यक्त किया है कि भारत-चीन ट्रैक II वार्तालाप स्पष्ट और सौहार्दपूर्ण होगी । यह चाथम हाउस नियम के तहत आयोजित किया जाता है । मुझे विश्वास है कि यह हमें सकरात्मक दिशा में ले जाएगा । क्या मैं अपने चीनी अतिथियों को विश्वास दिला सकता हूं कि हमारा पक्ष हमारी वास्तविक सद्भावना और सी.पी.आई.एफ.ए. के प्रति मित्रता, और हमारे महान पड़ोसी, चीन गणराज्य के माध्यम से इस लक्ष्य को हासिल करने की पूरी कोशिश करेगा।
मुझे सुनने के लिए धन्यवाद ।
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