आईसीडब्ल्यू-वीएएसएस सम्मेलन
में
राजदूत नलिन सूरी
महानिदेशक
भारतीय विश्व मामले परिषद
द्वारा
शुरूआती टिप्पणियां हनोई, वियतनाम
10 नवम्बर, 2017
प्रोफेसर डॉक्टर गुयेन क्वांग थुआन, अध्यक्ष, वियतनाम एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज (वीएएसएस), वियतनामी और भारतीय प्रतिनिधिमंडलों के विशिष्ट सदस्य।
प्रधान मंत्री मोदी की वियतनाम की आधिकारिक यात्रा के दौरान 3 सितंबर 2016 को हस्ताक्षरित एमओयू पर आधारित हमारे दो विचारक समूहों के बीच इस उद्घाटन वार्ता के लिए हमें हनोई आकर खुशी हो रही है।
हमारे आगमन पर गर्मजोशी से किए गए हमारे स्वागत के लिएऔर कल से हमारे लिए बैठकें आयोजित की गईं, उसके लिए हम आपके आभारी हैं ।
आज हमारी बैठक एशिया में महत्वपूर्ण घटनाक्रमों के संदर्भ में की जा रही है जो हमारी संबंद्ध तथा समान चिंताओं पर असर डाल रहे हैं। चीन ने अपने 19 वें पार्टी सम्मेलन का समापन किया है और एक महत्वाकांक्षी और सतत राजनयिक, सैन्य, आर्थिक और भूराजनीतिक एजेंडा रखा है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने पिछले अगस्त में दक्षिण एशिया के लिए एक नीति की घोषणा की है तथा अमेरिकी विदेश मंत्री टिलरसन ने अमेरिकी-भारत संबंधों,विशेष रूप से अगली सदी के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में के बारे में अक्टूबर में बात की है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने एशिया का दौरा भी कियाजिसमें उन्होंने जापान, आरओके और चीन का दौरा किया। वह आज और कल वियतनाम में रहेंगे। एशिया पर अमेरिका की संभावित नीति की रूपरेखा स्पष्ट हो रही है। हम इस उद्घाटन सत्र के बाद वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हुए इन सभी संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे। हम इन नीतिगत घोषणाओं के प्रभाव, और राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा अपने वर्तमान एशिया दौरे के दौरान, हमारे सहयोग पर आपके आकलन के बारे में जानने के लिए तत्पर हैं।
हमारे एमओयू पर सितंबर 2016 में हस्ताक्षर किए जाने के उपरांत हमारे वियतनामी दोस्तों के साथ हमारी एक से अधिक बातचीत हुई है। मुझे 10 अप्रैल 2017 को नई दिल्ली में आईसीडब्ल्यूएमें प्रो.गुयेन क्वांग थुआन का स्वागत करने में खुशी हुई और इससे पहले 21-22 मार्च 2017 को हनोई में आयोजित आईसीडब्ल्यूए के एक प्रतिनिधिमंडल ने वियतनाम - भारत के 45 साल के राजनयिक संबंध और 10 साल की रणनीतिक साझेदारी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। आईसीडब्ल्यूए ने 3 जुलाई 2017 को नई दिल्ली में 'इमर्जिंग होराइजन्स इन इंडिया-वियतनाम रिलेशंस' पर एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था, जो जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी और अन्य संस्थाओं द्वारा आयोजित किया गया था। ।
जैसा कि यह होना चाहिए क्योंकि यह महत्वपूर्ण भी है कि हम अपनी व्यापक द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी का मजबूत बनाने के तरीके और साधन ढूंढते रहें।
वियतनाम, आसियान में भारत का एक प्रमुख भागीदार और हमारी लुक ईस्ट एण्ड एक्ट ईस्ट नीति का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह हमारे ऐतिहासिक संबंध और पिछली सदी के दौरान वियतनाम के साथ एकीकरण और पूर्ण स्वतंत्रता के प्रयासों में हमारे समर्थन के अनुरूप है।
वियतनाम के साथ हमारी साझेदारी का,हमारे ऐतिहासिक संबंधों, पारस्परिक रूप से लाभकारी संपूरकताओं, सामान्य क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए,व्यापक रूप से विकास हो रहा है और निश्चित रूप से आसियान में व्यापक इंडो-पैसिफिक सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। हमइस वर्ष को भारत-आसियान संबंधों की 25 वीं वर्षगांठ के रूप में और भारत और आसियान के बीच 10 वर्षों की रणनीतिक साझेदारी के पूरे होने के उपलक्ष्य में मना रहे हैं। वियतनाम ने आसियान के साथ भारत के संबंधों के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और हम विशेष रूप से खुश हैं कि वियतनाम के प्रधानमंत्री अगले साल 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस की परेड में अन्य आसियान देशों और सरकार के राष्ट्राध्यक्षों के साथ शामिल होंगे।
महामहिम, देवियों और सज्जनों
वियतनाम की अर्थव्यवस्था अच्छा चल रही है। ईआईयू का अनुमान है कि 2017-19 के दौरान आपकी अर्थव्यवस्था औसतन 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। भारत की अर्थव्यवस्था भी निरंतर उच्च विकास पथ पर है और हाल के प्रमुख आर्थिक सुधारों के प्रभाव में आने के बाद, हम वर्तमान की तुलना में एक उच्च विकास दर को बनाए रखने की उम्मीद करते हैं। हमारे दोनों देशों में विकास आपसी निवेश, अधिक से अधिक व्यापार, अधिक पर्यटन और हमारे दोनों देशों के बीच बेहतर संपर्क बनाने का अवसर प्रदान करता है।
वियतनाम के पास पहले से ही यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ एक एफटीए है। भारत इस तरह की व्यवस्था की बातचीत की प्रक्रिया में है और बाद में किसी समय में यह उपयोगी होगा कि हम यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ एक-दूसरे के एफटीए से कैसे लाभान्वित हो सकते हैं।
वियतनाम कुछ राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के निजीकरण की प्रक्रिया में भी है और भारतीय व्यापार के लिए यह लाभकारी होगा कि इस संदर्भ में अवसरों के बारे में उसे अवगत कराया जाए।
वियतनाम अपने तेजी से बढ़ते बाजार में भारतीय एफडीआई के लिए अन्य अवसर प्रदान करता है। यह समझना उपयोगी होगा कि वियतनाम किन क्षेत्रों में ऐसे एफडीआई की तलाश करता है ताकि भारतीय व्यापार ऐसे अवसरों से परिचित हो सके।
वास्तव में, हम वियतनामी अर्थव्यवस्था, जो इस क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ते उभरते बाजारों में से एक होने की वाली है, में भारतीय व्यापार के लिए काफी अवसर देखते हैं।
मुझे उम्मीद है, हमारे पास चौथे एजेंडा आइटम के तहत इन मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर होगा।
इस उद्घाटन वार्ता के लिए हमारे समक्ष एजेंडा काफी हद तक भू-राजनीतिक है। यह सितंबर 2016 में प्रधान मंत्री मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र,डब्ल्यूटीओ, आसियान और इसके संबंधित मंचों के साथ-साथ अन्य उप-क्षेत्रीय सहयोग तंत्रों में सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता को देखते हुए सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर किए गए समझौते के संदर्भ में उचित रूप से उपयुक्त है। । इस संदर्भ में, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि वियतनाम 2015-2018 की अवधि के लिए भारत के लिए आसियान का समन्वयक है।
एशिया-प्रशांत में वियतनाम के महत्व को यह तथ्य से रेखांकित करता है कि वियतनाम आज एपीईसीशिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। भारत ने एपीईसी सदस्यता में स्पष्ट रुचि व्यक्त की है और हम इस प्रयास में वियतनाम के समर्थन की अत्यधिक सराहना कर रहे हैं।
हमारे रक्षा संबंध लगातार आगे बढ़ रहे हैं और हमारे दोनों देश हमारी संबंधित समुद्री रक्षा क्षमताओं और संसाधनों को बढ़ाने में लगे हुए हैं। इस साझेदारी के आने वाले वर्षों में और मजबूत होने की उम्मीद है, जिसमें इंडो-पैसिफिक का संदर्भ और क्षेत्र में एक खुली, पारदर्शी समावेशी और संतुलित संरचना का विकास शामिल है जो अन्य विशेषताओं के साथ सभी के लिए समान सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
आसियान ने अपने विकास के एक नए और अधिक महत्वपूर्ण एकीकरण चरण में प्रवेश किया है। हम अपने वियतनामी मित्रों से यह समझना चाहेंगे कि वे इस प्रक्रिया को विकसित होते हुए किस प्रकार से देखते हैं? इसके अलावा, आसियान भारत-प्रशांत संरचना के विकास में अपनी केंद्रीयता कैसे सुनिश्चित करेगा?
मैं और मेरे सहकर्मी अपने दो प्रतिनिधिमंडलों के बीच बहुत ही उपयोगी आदान-प्रदान की आशा कर रहे हैं। हमारी अपेक्षा है कि हमारी बातचीत इसी आधार पर नियमित रूप से आयोजित की जाती रहेगी और हम अगले साल भारत में पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथयों पर वीएएसएसप्रतिनिधिमंडल का स्वागत करने के लिए तत्पर हैं।
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