परिचय
प्रमुख औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से आए जी-20 के नेताओं की बैठक 7-8 जुलाई, 2017 को जर्मनी के हैम्बर्ग में हुई और उन्होंने प्रतिआतंकवाद परएक आधिकारिकबयान दिया जिसमें उन्होंने सामूहिक रूप से "दुनिया भर में सभी आतंकवादी हमले की निंदा की" तथा "आतंकवाद एवं उसके वित्तपोषण के खिलाफ लड़ाई में एकजुट और दृढ़ रहने का संकल्प व्यक्त किया।"एशियाई वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में ऋण पुनर्गठन और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में सुधार के मुद्दों को हल करने के लिए वर्ष 1999 में गठित जी 20 समूह के प्रतिनिधित्व और दायरे का विकास हुआ । प्रथमत:, जहाँ तक इसके प्रतिनिधित्व का प्रश्न है, कनाडा के वित्त मंत्री पॉल मार्टिन और संयुक्त राज्य अमेरिका के ट्रेजरी सचिव लॉरेंस समर्स की संयुक्त पहल से मंत्री स्तर से (वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर) शुरू होने वाले जी-20 के स्तर को 2008 के आर्थिक संकट के बाद ऊंचा कर नेता स्तर तक कर दिया गया । द्वितीयत:, जहाँ तक इस समूह के दायरे का संबंध है, जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर ध्यान देने के अलावा कालान्तर में वित्तीय नियंत्रण पर जोर देते हुए आतंकवाद निरोधी उपायों पर भी अपना ध्यान केन्द्रित करने लगा l
उद्देश्य
इस लेख का मुख्य उद्देश्य जी 20 में आतंकवादी और आतंकवाद विरोधी कार्यों के विकास का विश्लेषण करना है। ऐसा करने में, इस लेख को मोटे तौर पर तीन वर्गों में विभाजित किया गया है, जिनमें निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा की गई है:
(i) आतंकवादी और आतंकवाद विरोधी कार्य का विकास [देखें तालिका 1]। आतंकवाद का विकास जी-20 में सुलझाए जाने वाले मुद्दों के दायरे में विस्तार के साथ हुआ, इसकी शुरुआत अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक प्रमुख बहुपक्षीय मंच के रूप में हुई और फिर इसका विस्तार हुआ और इसमें आतंकवाद और आतंक के वित्तपोषण जैसी वैश्विक सुरक्षा चुनौतियां शामिल हुईंl
(ii) इसके दायरे में वृद्धि के कारणl यहां जो सवाल उठाया जा सकता है, वह यह है कि क्या जी 20 शिखर सम्मेलनों में आतंकवाद / आतंकवाद-निरोध को शामिल करने का निर्णय महज एक संयोग था या एक प्रबुद्ध चयन?
(iii) जी 20 द्वारा अपने एजेंडे में आतंकवाद-निरोध को शामिल करने का व्यावहारिक पक्ष और इसका भविष्यl क्या इससे जी 20 के आर्थिक सहयोग प्रदान करने के मूल एजेंडे को कार्यान्वित करने में सुविधा होगी या बाधा उत्पन्न होगी l
खंड I
आतंकवाद / प्रतिआतंकवाद का उद्भव
तालिका 1: आतंकवाद/प्रतिआतंकवाद पर जी 20 नेताओं के शिखर सम्मलेन का प्रलेख (2008-2017)
विषय |
2008 वाशिंगटन डीसी, नवंबर 14-15 |
2009(क) लंदन, अप्रैल 1-2 |
2009(ख) पिट्सबर्ग, सितंबर 24-25 |
2010(क) टोरंटो, जून, 26-27 |
2010(ख) सिओल, नवंबर, 11-12 |
2011 कैन्स, नवंबर, 3-4 |
2012 लॉस कैबॉस, जून, 18-19 |
2013 सेंट पीटर्सबर्ग, सितंबर, 5-6 |
2014 ब्रिस्बेन, नवंबर, 15-16 |
2015 एंटाल्या, नवंबर, 15-16 |
2016 हाँग्झू, सितंबर, 4-5 |
2017 जर्मनी, जून, 7-8
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संयुक्तराष्ट्र वैश्विक प्रतिआतंकवाद कार्यनीति (यूएनजीसीटीएस) यूएनएससीआर |
संदर्भ नहीं (अत: अप्राप्त) |
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यूएनएससीआर और यूएनजीसीटीएस के पूर्ण कार्यान्वयन सहित संयुक्त राष्ट्र की केन्द्रीय भूमिका को मान्यता l प्रतिआतंकवाद यूएनएससीआर 2178 पर आधारित होगा जिसमें विदेशी आतंकवादी लड़ाकों (एफ टी एफ)द्वारा अधिरोपित बढ़ते खतरों के प्रति और उद्गम,पारगमन एवं गंतव्य देश सहित सभी राष्ट्रों पर अधिरोपित खतरों के प्रति चिंता व्यक्त की गई हैl
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आतंकवाद को वित्तपोषितकरने के बड़े प्रयास को विफल करने के लिए नेताओं ने यूएनएससी-आर 2253 के प्रभावी और सार्वभौमिक कार्यान्वयन का आह्वान किया जिससे सुरक्षा परिषद् द्वारा अलकायदा पर लगाए गए प्रतिबंधईराक एवं लीवांट (आईएसआई-एल/ दाइश) में इस्लामिक राष्ट्र तक विस्तारित होंगे l |
नेताओं ने यूएनजीसीटीएस सहित प्रतिआतंकवाद पर विद्यमान अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता को कार्यान्वित करने का आह्वान किया l वर्ष 2015 में एंटाल्या में आयोजित शिखर सम्मलेन में इस संबंध में लिए गए निर्णय के परिप्रेक्ष्य में नेताओं ने यूएनएससीआर 2178 का स्मरण किया और संघर्ष क्षेत्र से लौट रहे विदेशी आतंकवादी लड़ाकों से उत्पन्न खतरों के समाधान पर चर्चा की l |
आतंकवाद को वित्तपोषण : एफएटीएफ/ एफएटीएफ-शैली पर कार्य करने वाले निकाय
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सुधार के सिद्धांत कार्यान्वित करने की कार्य योजना के अधीन जी-20 के नेताओं ने (1)एफएटी-एफ से धनशोधन और आतंकवाद को वित्तपोषण के विरुद्ध कार्य करना जारी रखने की अपेक्षा की /(2)और अवैध वित्तीय कार्यकलाप से वैश्विक वित्तीय प्रणाली की रक्षा करने के उपाय कार्यान्वित करने का आग्रह किया l (3) चुराई गई परिसंपत्ति की पुन:प्राप्ति (एसटीएआर) के लिए विश्व बैंक द्वारा किए गए प्रयासों का समर्थन किया l |
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नेताओं ने (1)एमएल और टी- एफ) के विरुद्ध लड़ाई में एफएटीएफ द्वारा की गई प्रगति को माना l (2)विकास-शील देशों में पूंजी प्रवाह में वृद्धि पर नेताओं ने एसटीएआर सहित अवैध प्रवाह पर रोक लगाने का आग्रह किया l :
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नेताओं ने (1)एफएटीएफ/ एफएटीएफ-शैली पर कार्य करने वाले क्षेत्रीय निकाय को पूरा समर्थन दिया l एफएटीएफ को धन शोधन निवारण(ए- एमएल) और प्रति- आतंकवाद(सीटी) को वित्तपोषण की निगरानी जारी रखने एवं उसका अनुपालन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया l (3) नवोन्मेष वित्तीय समावेशन के लिए नेताओं “एक समुचित, लचीले, जोखिम आधारित एएमएल तथा आतंकवादको वित्तपोषण का मुकाबला (एएमएल / सीएफटी) करने पर विचार करने का प्रस्ताव दिया l
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भ्रष्टाचार विरोधी बड़े एजेंडे के हिस्से के रूप में, नेताओं ने (1) वैश्विक वित्तीय प्रणाली तक भ्रष्ट अधिकारि-यों की पहुँच पर रोक लगाने के लिए धन शोधन पर रोक लगाने एवं उसका मुकाबला करने के लिए प्रयास तेज करने और एफएटीएफ मानदंडों को अद्यतित एवं कार्यान्वित करने का आह्वान किया l इसके लिए जी20 के नेताओं ने भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडे पर जोर देना जारी रखने के लिए कहाl पिट्सबर्ग शिखर सम्मलेन मे लिए गए निर्णय का स्मरण करते हुए नेताओं ने (2)उस अधिकारता की पहचान करने और उसे कार्यनीति-क एएम- एल / आतंकवाद को प्रति- वित्त- पोषण (सीएफटी) की कमियों से जोड़ने और साथ ही यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि सीमा रेखा को पारदर्शी बनाने के एफएटीएफ मानदंडों को लागू किया जाए l |
नेताओं ने (1) उस अधिका-रिता की पहचान करने और उसे कार्यनी-तिक एएम- एल / सीएफटी की कमियों से जोड़ने और (2)एफ- एटीएफमानदंडों को आद्यातित करने एवं उसे लागू करने का शपथ दोहराया (3) उस कार्यक्रम पर सहमति व्यक्त की जिसमें परिसंप-त्ति की पुन:प्रा-प्ति एवं विश्व बैंक का एसटीए- आर शामिल है l
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वित्तीय क्षेत्र में सुधार लाने और वित्तीय समावेश-न को प्रोत्साहन देने के प्रयास में शिखर सम्मलेन में नेताओं ने (1) एफए- टीएफ अधिदेश के नवीकर-ण का समर्थन किया जिसमें सामूहिक विनाश के हथियार के प्रसार का दमन करने (डब्ल्यू- एमडी) सहित एमएल और टीएफ का दमन करने के वैश्विक प्रयास शामिल हैंl यह सीरिया के विदेश मंत्रालयद्वारा एक महीने बाद जुलाई 2012 में यथा –प्रकटित सीरिया के कब्जे में डब्ल्यू- एमडी के रहने पर बढ़ती चिंता का परिणाम हो सकता है l |
घोषणा में (1) कर अपराध, भ्रष्टाचार एवं नशीले पदार्थ की तस्करी जैसे अन्य संबंधित अपराध सहित एमएल और टीएफ के विरुद्ध लड़ाई में एफएटीएफ के कार्य के प्रति नेताओं की प्रतिबद्धता दोहराई गईl एफएटीएफ द्वारा किए गए ये उपाय सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्र बने रहेंगे l |
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नेताओं ने (1) आतंकवाद के वित्तपोषण चैनलों से निपटने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराईl इसमें आतंकवादियों की परिसंपत्ति, आतंकवादियोंके वित्तपोषण के अपराधीकरण को अवरोधित करना और सभी अधिकार क्षेत्रों में एफएटीएफ के कार्यान्वयन सहित टीएफ और आतंकवाद से संबंधित मजबूत लक्षित वित्तीय प्रतिबंध व्यवस्था कायम करना शामिल है l |
नेताओं ने (1)फिरौती के लिए अपहरण एवं बैंक लूट , प्राकृतिक संसाधनों की तस्करी, कर लगाने, जबरन वसूली सहित आतंकवादि-यों को वित्तपोषण के सभी स्रोत , तकनीक एवं चैनल से निपटने और (2) सूचनाओं का प्रभावी आदान-प्रदान करने, आतंकवादि-यों की परिसंपत्ति एवं आतंक- वाद के वित्तपोषण के अपराधीकरण को अवरोधित करने तथा एफएटीएफ मानदंडों के शीघ्र कार्यान्वयन का संकल्प लिया l |
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प्रतिअतिवाद/ इंटरनेट भरती |
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यूएनएससीआर 2178 के अलावा , नेताओं ने यह अभिव्यक्त किया कि प्रतिआतंकवाद संबंधी कार्रवाई हिंसक चरमपंथ का विरोध करने, अतिवाद एवं उसके लिए भरती का सामना करने, आतंकवादियों की गतिशीलता में बाधा डालने,उनके प्रचार का विरोध करने, आतंक- वादियों को प्रौद्योगिकी, हिंसा को उकसाने वाले संसाधनों और संचार साधनों का दुरुपयोग करने से रोकने पर आधारित होना चाहिए l
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अतिवाद और भरती का विरोध करने पर जोर दिया गया जिससे आतंकवादियों की गतिशीलता में बाधा आएगी और उनके प्रचार तंत्र के समक्ष चुनौती खडी होगी l द्वितीयत:, नेतागणों ने एफटीएफ से उत्पन्न होनेवाले खतरे के समाधान के लिए सूचना साझा करने की आवश्यकता पर भी चर्चा की l तृतीयत:,निजी क्षेत्र, विशेषकर, संचार सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग करने पर भी चर्चा की जिससे इंटरनेट और सामाजिक मीडिया का अनुचित लाभ उठाए जाने को रोकने का जोरदार प्रयास किया जा सके l |
निंदा/ कार्रवाई पर सहमति |
आतंकवाद जैसी चुनौतियों का सामना करने के प्रति प्रतिबद्धता |
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नेताओं ने एकजुट रहने और आतंकवाद के सभी रूपों से लड़ने, परिचालनगत सूचना को साझा करने,सीमा प्रबंधन एवं वैश्विक विमानन सुरक्षा के लिए सहयोग बढ़ाने और सुसंगत उपाय करने का संकल्प लिया l |
सामूहिक रूप से आतंकवाद के सभी रूपों एवं अभिव्यक्ति-यों में उसकी निंदा की l |
नेताओं ने दुनिया भर में सभी आतंकवादी हमलों की निंदा की और विश्व के हर हिस्से से आतंकवादियों को उनके सुरक्षित ठिकानों से निकालने का आह्वान किया l |
टिप्पणियाँ |
जी 20 नेताओं केप्रथम शिखर सम्मेलनमेंमुख्यत: बाजार / निवेशकों को अवैध कर्ताओं / अवैध वित्त- पोषण, धन शोधन और आतंक- वादियों को वित्तपोषण से सुरक्षा के उपायों को प्रोत्साहन देकर वित्तीय बाजार में अखंडता को बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित किया गया l इस समूह ने संयुक्त राष्ट्र प्रति- आतंक- वाद या संयुक्त राष्ट्र में ऐसे किसी संबंधित संकल्प का हवाला नहीं दिया l इसी शिखर सम्मलेन में पहले पहल जी 20 ने वैश्विक सुरक्षा मुद्दों को शामिल करने के लिए अपने दायरे का विस्तार किया l |
लंदन शिखर सम्मलेन में आतंक- वाद/ प्रतिआतं- कवाद का मुद्दा नहीं उठाया गया l |
पिट्सबर्ग शिखर सम्मलेन में सीमित मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया गया l केवल एम्एल/ टीएफ पर घोषणा की गई और आतंकवाद के सभी अभिव्यक्ति-यों की निंदा पर सर्वसम्मत राय व्यक्त नहीं की गई l |
वर्ष 2010 में आयोजित टोरंटो शिखर सम्मलेन अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित सीटीएफ की पुनरावृत्ति थी जिससे वैश्विक अनुपालन और निगरानी में वृद्धि होगी l |
सिओल शिखर सम्मलेन (2010) की कार्यसूची में केवल भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दा था परन्तु इसमें 2009 के समझौते/घोषणा पर भी ध्यान दिया गया जिसमें एएमएल/ सीएफटी की कमी वाले अधिकार- क्षेत्र की पहचान करने एवं उससे जुड़ने पर जोर दिया गया था l |
पिछले शिखर सम्मेल-नों की ही तरह, वर्ष 2011 में कैन्स में आयोजि-त शिखर सम्मलेन में आम जनता के भविष्य निर्माण संबंधी घोषणा में सभी के हित के लिए सामूहिक कार्रवाई को नवीकृत करने पर जोर दिया गया l इसमें एएमएल और एफएटीए-फ के सहयोग से आतंकवा-द को वित्तपोषण से मुकाबला करना शामिल था l |
एमएल/टीएफ से मुकाबला करने में सहयोग बढ़ाने के प्रयास की पुन: पुष्टि करने के अलावाजी20 शिखर सम्मलेन के नेतागणों ने पहली बार डब्ल्यूए-मडी के प्रसार को रोकने एवं उसका मुकाबला करने की आवश्य-कता जताई l |
एमएल/ टीएफतक सीमित |
एमएल/ टीएफ का कोई उल्लेख नहीं l |
वर्ष 2015 में आयोजित एंटाल्या शिखर सम्मलेन में समग्र दृष्टिकोण अपनाया गया और वैश्विक आर्थिक प्रवृत्तियों एवं आतंकवाद के मुद्दे पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई l इसमें पहली बार आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में नेताओं ने अलग-अलग बयान दिए और उनमें उन महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया गया जिसकी चर्चा पूर्व में की जा चुकी है l |
वर्ष 2016 में हेंगझो में आयोजित शिखर सम्मलेन में एफएटीएफ एवं यूएन- एससीआर 2253 के सार्वभौमिक कार्यान्वयन के मुद्दों को हल करने का प्रयत्न किया गया और साथ ही साथ आतंक- वाद के सभी रूपों की सामूहिक निंदा की गई l यूएन- एससीआर 2253 के कार्यान्वयन पर जोर दिए जाने के बावजूद नेताओं ने ऑनलाइन भरती तथा एफटीएफ और सीरिया एवं ईराक से स्वदेश लौटने वाले लड़ाकों द्वारा उत्पन्न खतरे के मुद्दों पर कोई राय व्यक्त नहीं की l |
वर्ष 2017 में हैम्बर्ग में आयोजित शिखर सम्मलेन में सुरक्षा नियमन का मुद्दा जी 20 के देशों की चिंता का विषय बना रहा जो पिछले दस वर्षों में जी20 के अंतरराष्ट्रीय मंच के भीतर आतंकवाद पर हुई बातचीत का परिणाम था l |
तालिका 1 के विश्लेषण से पता चलता है कि जी 20 में आतंकवाद / प्रतिआतंकवाद के मुद्दा उठाया जाना वर्ष 2008 में नेताओं के पहले शिखर सम्मेलन से शुरू हुआ । यह देखा गया है कि मंच के प्रारंभिक एजेंडे में आतंकवाद को भ्रष्टाचार-निरोध के बड़े कार्यक्रम का हिस्सा माना गया जिसका उद्देश्य वित्तीय प्रवाह, विशेष रूप से धन शोधन को नियंत्रित करने औरवित्तीय कार्रवाई कार्य बल के मानकों को मजबूत करना था l हालांकि, दुनिया भर में आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों के रुझान और पैटर्न में विकास के साथ, जी -20 के भीतर इस विषय पर चर्चा में मापदंडों का काफी विस्तार हुआ है। उदाहरण के लिए, प्रारंभ के सात वर्षों 2008-2014 में , नेताओं की आतंकवाद के प्रति प्रतिक्रिया आर्थिक और वित्तीय प्रवाह / बहिर्वाह के उपयोग तक सीमित थी, जिसका 2016 में विस्तार हुआ और इसमें अल कायदा एवं दाएश पर प्रतिबंध जैसे वित्तीय प्रलेख शामिल किए गए l
इसलिए, इस अवधि (2008-2013) में शासकीय सूचना मुख्य रूप से एक दूसरे की पुनरावृत्ति और पुन: पुष्टि है, जिसमें कोई पर्याप्त बदलाव या अनुकूलन नहीं देखा गया है; और आतंकवादियों को वित्तपोषण तक सीमित है। हालांकि, आतंकवाद / प्रतिआतंकवाद का यह संदर्भ 2014 में ब्रिस्बेन शिखर सम्मेलन के एजेंडा और घोषणा में नहीं था।
दूसरी ओर, वर्ष 2015 में रिसेप तईप एर्दोगन की अध्यक्षता में आयोजित एंटाल्या शिखर सम्मेलन में,आतंकवाद के मुद्दे को प्रमुखता दी गई । इसके परिणामस्वरूप आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर अलग बयान दिया गया तथा इस विषय पर “समावेशी आर्थिक विकास से परे" आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ लड़ाई” पर उच्च-स्तरीय विस्तृत चर्चा हुई l प्रवास के सबसे बड़े चालक- सीरिया में संघर्ष से उभर रहे शरणार्थी संकट के संदर्भ में - संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र चार्टर की केंद्रीय भूमिका और अंतर्राष्ट्रीय विधि के अधीन बाध्यताओं को पहचानते हुए एंटाल्या में नेताओं ने सभी देशों के लिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को" प्रमुख प्राथमिकता" दी। वास्तव में, 2015 में प्रतिआतंकवाद का मुद्दा पिछले शिखर सम्मेलन में उठाए गए मुद्दों की तुलना में एक बड़ा विचलन था जिसमें आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अपेक्षित कुछ आवश्यक और महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया गया ।इनमें [जानकारी के आदान-प्रदान में सहयोग को बढ़ाकरऔर आतंकवादियों की परिसंपत्तियों,आतंकवादियों को वित्तपोषण के अपराधीकरण का अवरोधन करके तथा सभी अधिकार-क्षेत्रों में एफएटीएफ मानकों के त्वरित कार्यान्वयन के जरिए भीआतंकवाद एवं आतंकवादियों को वित्तपोषण से संबंधित मजबूत लक्षित वित्तीय प्रतिबंध व्यवस्था कायम कर ] आतंकवाद के चैनलों को वित्तपोषण का सामना करना, [अतिवाद एवं भर्ती का विरोध करके, आतंकवादियों की गतिविधियों में अवरोध उत्पन्न करके, आतंकवादियों के प्रचार का विरोध करके और आतंकवादियों द्वारा प्रौद्योगिकी एवं संचार साधनों के दुरुपयोग और आतंकवादी कार्य को उकसाने के संसाधनों पर रोक लगाकर] उग्र अतिवाद का विरोध करना तथा यूएनएससीआर 2178 का कार्यान्वयन शामिल है जिसमें उन लोगों पर चिंता व्यक्त की गई है जो विदेशी आतंकवादी लड़ाका बनने के लिए बाहर जाते हैं जिससे संघर्ष क्षेत्र से दूर के क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों और सदस्य राष्ट्रों की सुरक्षा को खतरा होता है l यूएनएससीआर 2178 का आह्वान विदेशी आतंकवादी लड़ाकों के बढ़ते प्रवाह का परिणाम प्रतीत होता है, जोआईएसआईएल, अल कायदा और उसके व्युत्पन्न,स्थानीय विच्छिन्न समूह या वैश्विक सहयोगी जैसे अल-नुसरा फ्रंट (एएनएफ/सीरिया),भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा(एक्यूआईएस)या अरब प्रायद्वीप में अल कायदा (एक्यूआईपी) द्वारा भर्ती किए जा रहे हैं या उसमें शामिल हो रहे हैं l
वर्ष 2015 में आयोजित जी 20 शिखर सम्मेलन में इन गंभीर मुद्दों पर चर्चा हुई। हालाँकि,जो प्रश्न अनुत्तरित रह जाता है, वह है चर्चा के लिए अचानक आतंकवाद के मुद्दे के चुने जाने के पीछे का कारण/औचित्य l वर्ष 2015 में आयोजित जी 20 शिखर सम्मेलन में शुद्ध आर्थिक चिंता से हटकर वैश्विक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के पीछे क्या कारण हो सकता है? इस पर अगले खंड 'प्रतिआतंकवाद के उद्भव के कारण' में चर्चा की जाएगी।
इस बीच, 2016में आयोजित हेंगझो शिखर सम्मेलन में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक समान दृष्टिकोण अपनाया गया ; हालांकि, नेताओं ने आतंकवाद/आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के उपायों और तरीकों पर अलग से विस्तारपूर्वक बयान नहीं दिया। शासकीय सूचना के मुख्य भाग के रूप में, दस्तावेज़ के कुल 48 पैराग्राफ में से 45वें पैराग्राफ में नेताओं ने "सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद की कड़ी निंदा की l"अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद को चुनौती मानते हुए नेताओं ने आतंकवाद के "सभी रूपों से" और "जहाँ कहीं भी होता है" लड़ने के अपने संकल्प को पुन: दृढ किया l पिछले सभी शिखर सम्मेलनों की तरह, 2016 में आयोजित शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के मुद्दे पर "एफएटीएफ के तेज, प्रभावी और सार्वभौमिक कार्यान्वयन" पर जोर दिया गया l” नेताओं ने फंडिंग चैनलों को समाप्त करने, आतंकवादियों की परिसंपत्तियों का अवरोधन करने, उनकी यात्रा पर प्रतिबंध लगाने और उनके हथियारों का निषेध करने के उद्देश्य से आईएसआईएल को शामिल करते हुए प्रतिबंध का विस्तार करने के लिए यूएनएससीआर 2253 के प्रावधानों को लागू करने का भी आह्वान किया, जिसे 17 दिसंबर, 2015 को अपनाया गया था ।
यद्यपि वर्ष 2016 में आयोजित शिखर सम्मेलन में आतंकवाद पर की गई घोषणा में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने का प्रयत्न किया गया, तथापि इसमें 2015 और 2017 में आयोजित शिखर सम्मेलनों की तरह सर्वांगीण चर्चा नहीं की गई । वर्ष 2015 में आयोजित शिखर सम्मेल में निहित प्रवृत्तियों को जारी रखते हुए वर्ष 2017 में हैम्बर्ग में आयोजित शिखर सम्मेलन में नेताओं ने प्रतिआतंकवाद पर अनन्य बयान दिया जिसमें प्रथमत:"दुनिया भर में सभी आतंकवादी हमलों की निंदा की गई " और फिर आतंकवाद की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए विभिन्न मापदंडों और तरीकों पर चर्चा की गई । इस शिखर सम्मेलन में नेताओं ने तीन व्यापक विषयों - अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को लागू करने और सहयोग बढाने, आतंकवाद को वित्तपोषण से लड़ने, और आतंकवाद के सहायक अतिवाद का मुकाबला करने तथा आतंकवादी उद्देश्यों के लिए इंटरनेट का प्रयोग करनेपर चर्चा की तथा कई मुद्दों को हल करने का प्रयत्न किया l अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने के प्रति बहुपक्षीय दृष्टिकोण समायोजित करने में संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र चार्टर की भूमिका पर जोर देते हुए,नेताओं ने सीरिया और इराक जैसे संघर्ष क्षेत्रों से एफटीएफ के वापस लौटने से उत्पन्न खतरों का सामना करने के लिए यूएनएससीआर 2178(2014) का आह्वान किया l इसके लिए, नेताओं ने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय सूचना ढाँचे को(सुरक्षा, यात्रा और प्रवास के क्षेत्रों में) बेहतर बनाने तथा आसूचना, विधि प्रवर्तन एवं न्यायिक प्राधिकारियों के बीच सूचना के आदान-प्रदान को सुगम बनाने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की l क्षेत्रीय स्तर पर, नेताओं ने सीमा एजेंसियों को आतंकवादी गतिविधि के उद्देश्यों के लिए यात्रा का पता लगाने, सूचना साझा करने और पहरेदारी की क्षमता में सुधार करने के लिए सहयोग को मजबूत करने का आह्वान किया।वर्ष 2017 में आयोजित शिखर सम्मेलन में विमानन सुरक्षा में उत्पन्न होने वाले खतरे का भी समाधान करने का प्रयत्न किया गया और यूएनएससीआर 2309 (2016) का स्मरण किया गया, जिसमें " वैश्विक वायु सेवा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए घनिष्ठ सहयोग और आतंकवादी हमलों को रोकने" पर चर्चा की गई है l इसके अतिरिक्त एफटीएफ से खतरे और विमानन प्रणाली की संभावित भेद्यता के संदर्भ में नेताओं ने आतंकवादी संगठनों, विशेष रूप से आईएसआईएस/दाएश, अल कायदा और उसके सहयोगियों के वित्तपोषण के खिलाफ एफएटीएफ मानकों के तेजी से कार्यान्वयन और यूएनएससीआर उपायों को लागू करने का आह्वान किया। अतिवाद और ऑनलाइन भर्ती का हल निकालने की तत्काल आवश्यकता व्यक्त करते हुए, नेताओं ने एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की जिससे आतंकवादी आंदोलन बाधित होगा, इंटरनेट एवं सोशल मीडिया का दुरुपयोग रुकेगा और आतंकवाद के प्रचार का मुकाबला होगा और विशेष रूप से निजी क्षेत्र के साथ सहयोग बढ़ेगा जिसमें संचार सेवा प्रदाता शामिल हैं । अंत में, नेताओं ने अतिवाद को रोकने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने हेतु मीडिया, नागरिक समाज और सामुदायिक समूह के, जिसमें धार्मिक समूह,व्यवसायिक समुदाय और शैक्षिक संस्थाएं शामिल हैं, महत्व पर जोर दिया l
वर्ष 2017 में आयोजित हैम्बर्ग शिखर सम्मेलन में जिन बृहद मुद्दों पर चर्चा की गई,उनसे उन मुद्दों पर न केवल नेताओं के दृष्टिकोण के विस्तार का पता चलता है, बल्कि उनसे आतंकवाद, गैर-सरकारी कर्ता और संघर्ष क्षेत्र से परे उनकी पंहुंच से उत्पन्न होने वाले खतरों के बढ़ने का भी पता चलता है lइस परिप्रेक्ष्य में अगले खंड में वर्ष 2015 से आतंकवाद पर चर्चा में अचानक प्रगति/परिवर्तन के संभावित कारणों पर चर्चा की जाएगी l
खंड-II
मुद्दों में परिवर्तन
जैसा कि पिछले खंड में द्रष्टव्य है, जी 20 में आतंकवाद और प्रतिआतंकवाद संबंधी मुद्दों में महत्वपूर्ण परिवर्तन या मोड़ आया है।स्पष्ट रूप से, यह परिवर्तन क्रमिक रूप से नहीं, बल्कि अचानक आया है । यहाँ प्रश्न यह उठता हैं कि आतंकवाद पर चर्चा में इस अचानक बदलाव का क्या कारण है ? क्या 2015 में आयोजित शिखर सम्मलेन से पहले पेरिस में हुए आतंकी हमले को देखते हुए फोरम के दायरे का विस्तार जानबूझकर किया गया या यह महज एक संयोग था l हालांकि इस प्रश्न का उत्तर द्विआधारी नहीं है, तथापि यह दोनों का परिणाम प्रतीत होता है। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, 2015 से पहले के शिखर सम्मेलनों में बयान और शासकीय सूचना कमजोर थी और पिछली घोषणाओं एवं जी20 के प्रतिबद्धताओं की पुनरावृत्ति थी जिनमें आतंकवादियों को वित्तपोषण की समस्या को निपटाने की प्रतिज्ञा की गई थी l तथापि, 2015 में जी 20 के मंच से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर एक अलग बयान आया।इसके पीछे का कारण दिनांक 14. नवंबर से शुरू होने वाले शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले दिनांक 13 नवंबर, 2015 को पेरिस में छह अलग-अलग स्थानों पर होने वाला घातक आतंकवादी हमला हो सकता हैl ऐसा प्रतीत होता है कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट (आईएसआईएल / आईएसआईएस) द्वारा पेरिस में किए गए आतंकवादी हमलों की श्रृंखला ने,जिसमें 130 नागरिकों की मौत हुई, उत्प्रेरक के रूप में काम किया जिसके कारण उस वर्ष एंटाल्या (तुर्की) में इकट्ठा हुए जी 20 के नेताओं की एकजुट प्रतिक्रिया हुई।इस प्रकार, आश्चर्यजनक रूप से, शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले पेरिस में हुए आतंकी हमले से जी 20 के नेतागणों को समावेशी वित्तपोषण के मूल एजेंडे के दायरे में परिवर्तन कर उसमें आतंकवाद और आतंकवाद विरोधी उपाय के व्यापक मुद्दे को शामिल करने का अवसर प्राप्त हुआ l
इसके अलावा, यह माना जा सकता है कि हमलों के लक्ष्य और समय का शिखर सम्मेलन के साथ सीधा संबंध था। एक ऑनलाइन बयान में, आईएसआईएस ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि आठ आतंकवादियों ने विस्फोटक बेल्ट पहनकर और हथियारबंद बंदूकों से लैस होकर, फ्रांस की राजधानी पेरिस में चुनिंदा क्षेत्रों पर हमला किया जो सीरिया में फ्रांसीसी हवाई हमले का जवाब था। पेरिस में हुए हमलों से जी 20 के नेतागण उत्तेजित हुए और उन्होंने आतंकवाद- विरोधी मजबूत और व्यापक उपायों पर चर्चा की l चूँकि वैश्विक स्तर पर राजनीतिक पूंजी यूरोपीय नेतृत्व के पास था और पेरिस में हुए आतंकवादी हमले उन्हें सीधे प्रभावित करनेवाला मुद्दा था,अत:शिखर सम्मलेन के केन्द्रीय एजेंडे में आतंकवाद को स्थान मिला । समान रूप से महत्वपूर्ण, हमले का समय भी है जो एंटाल्या में वैश्विक शक्तियों की बैठक के समरूप था।
वास्तव में, मेजबान देश, तुर्की द्वारा दिसंबर 2014 में निर्धारित 2015 के जी20 शिखर सम्मेलन के एजेंडे में व्यापार, रोजगार, जलवायु परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना सहित आर्थिक और विकास के कई मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। लेकिन पेरिस हमलों के कारण एजेंडा का केंद्रबिंदु आतंकवाद हो गया । पेरिस हमलों के अलावा, शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधित्व करने वाले कुछ देशों ने अपने देश में इसी तरह के हमलों का सामना किया था। दिनांक 13 नवंबर को पेरिस में हुए हमले के पूर्व 10 अक्तूबर,2015 को तुर्की की राजधानी अंकारा में घातक आत्मघाती विस्फोट किया गया था जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए थे। इसके बाद 31 अक्तूबर, 2015 को शर्म अल-शेख (मिस्र) से पीटर्सबर्ग जानेवाले रूसी चार्टर विमान में उड़ान भरने के तुरंत बाद विस्फोट किया गया जिसमें 224 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थेl इस दुर्घटना में सभी यात्रियों की मौत हो गई। इन दुखद घटनाओं के क्रम और उसके बाद के झटकों के कारण, आतंकवाद के मुद्दे पर जी 20 नेताओं की प्रतिक्रिया और संबंधित शरणार्थी संकट, मूल आर्थिक बुनियादी बातों से भिन्न, ऐसे वैश्विक मुद्दों से निपटने में उनकी सचेत स्थिति को उजागर करता है l
इस शिखर सम्मेलन के एजेंडे में केंद्रबिंदु का यह बदलाव 2016 में हेंगझो में हुए शिखर सम्मेलन में नहीं था और उसमें चर्चा का केंद्रबिंदु मुख्य रूप से तत्कालीन लचीले और प्रगतिशील वैश्विक अर्थव्यवस्था की पुन:प्राप्ति थीl एक ओर जहाँ 2015 के जी 20 शिखर सम्मेलन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर बयान को अंगीकृत किया गया, वहीं दूसरी ओर 2016 के शिखर सम्मेलन में मुख्य शासकीय सूचना में आतंकवाद के मुद्दे का हल निकालने का प्रयत्न किया गया l हालांकि, हेंगझो में, नेताओं ने सर्वसम्मति से सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद की निंदा की एफएटीएफ और एफएटीएफ-शैली पर कार्यरत क्षेत्रीय निकायों को मजबूत करने का आग्रह किया। एजेंडा के केंद्रबिंदु का यह दोलन दर्शाता है कि नेताओं द्वाराअपनाया गया यह दृष्टिकोण सचेत चुनाव का विषय है, लेकिन एजेंडा का केंद्रबिंदु शिखर सम्मेलन की तारीख के करीब होने वाली घटनाओं पर निर्भर करता है। पेरिस में हुए हमलों के कारण एंटाल्या में केंद्रबिंदु विशुद्ध रूप से आर्थिक से बदलकर मुख्य रूप से आतंकवाद हो गया । चूंकि 2016 में हेंगझो शिखर सम्मेलन से पहले ऐसी कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं हुई, अत: इसमें 2015 के पूर्व की प्रवृत्ति जारी रही, जहाँ केंद्रबिंदु मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था था। हालांकि,स्थायी और समावेशी विकास पर आतंकवाद द्वारा अधिरोपित वैश्विक जोखिमों के कारण नेताओं ने आतंकवादियों को वित्तपोषण से संबंधित मुद्दों का हल ढूँढ़ने का प्रयत्न किया ।
इस बीच, हेंगझो शिखर सम्मेलन के विपरीत, 2017 के हैम्बर्ग शिखर सम्मेलन का एजेंडा व्यापक था। इस बार आतंकवाद पर जोर दिया जाना फ्रांस या अमेरिका में आतंकवाद से संबंधित किसी विशेष घटना का प्रत्यक्ष परिणाम नहीं था, लेकिन इसे आईएसआईएस या अन्य इस्लामिक उग्रवादियों द्वारा किए जाने वाले आतंकवादी हमले और पश्चिम एशिया एवं दुनिया के अन्य हिस्सों में चल रहे क्षेत्रीय संघर्ष से उत्पन्न वैश्विक सुरक्षा की बढ़ती चिंता के प्रत्यूत्तर के रूप में देखा जा सकता है l दरअसल, जी 20 के अधिकांश देशों ने घातक इस्लामिक आतंकवादी हमलों को सहन किया है। जैसा कि पहले कहा गया है, पेरिस हमलों के बाद 2015 के G20 में आतंकवाद केंद्रबिंदु बन गया, हालांकि, 2017 के जी 20 में आतंकवाद पर उस समय ध्यान केंद्रित किया गया, जब शिखर सम्मेलन के पहले दिन के बाद जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने इस मुद्दे पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को तेज करने के लिए कहा और यह टिप्पणी की :
“यह एक गहन और आकर्षक चर्चा थी क्योंकि विभिन्न महाद्वीपों के विभिन्न दृष्टिकोणों से यह स्पष्ट हो गया था कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद हम सभी के लिए एक खतरा है और आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती । इसलिए इस बात पर व्यापक सहमति हुई कि जी 20 को इस मुद्दे को निपटाना है क्योंकि यह एक ऐसा विषय है जो मुक्त व्यापार और आर्थिक विकास को भी प्रभावित करता है। और उस रीति से हमने इस पर एक साथ बहुत करीबी और गहन रूप से चर्चा की है।“
इस शिखर सम्मेलन के अंत तक नेतागण ने आतंकवाद का मुकाबला करने पर आम सहमति के साथ बयान दिया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर और वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति के तहत कई मुद्दे शामिल हैं। संघर्ष क्षेत्रों से विदेशी आतंकवादी लड़ाकों की गतिशीलता और प्रवाह पर बढ़ती चिंता के बीच, नेताओं ने यूएनएससीआर 2178(2014) के कार्यान्वयन का अनुस्मरण कियाजिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आग्रह किया गया है, इंटरपोल को एफटीएफ से उत्पन्न खतरों के संबंध में प्रयासों को तेज करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है और सदस्य राष्ट्रों को हिंसक अतिवाद से मुकाबले की कार्यनीति विकसित करने के लिए सुसंगत स्थानीय समुदाय एवं गैर-सरकारी कर्ता से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया है l दाएश और अल कायदा एवं वापस आने वाले उनके सहयोगियों द्वारा उत्पन्न खतरों के परिप्रेक्ष्य में एफटीएफ के मुद्दे पर शिखर सम्मेलन के बयान में पर्याप्त ध्यान दिया गया lहालाँकि सीरिया और इराक में विदेशी लड़ाकों की सही संख्या का हवाला देना मुमकिन नहीं है, जून 2016 में संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद-रोधी समिति द्वारा किए गए पिछले अनुमान के अनुसार दुनिया भर के 100 से अधिक देशों के विदेशी लड़ाकों की संख्या 30,000 है जिसमें पश्चिमी यूरोप के लगभग 4,000 लड़ाके हैं l सीरिया और इराक को "उग्रवादियों के मूल अंतरराष्ट्रीय फिनिशिंग स्कूल" के रूप में निर्दिष्ट करते हुए, मार्च 2015 की संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में " दुनिया भर में विभिन्न समुदायों से विविध विदेशी लड़ाकों को जोड़कर -भविष्य में आक्रमण की योजना के लिए प्लग एंड प्ले सामजिक नेटवर्क के जरिए विदेशी लड़ाकों की नई पीढी से मध्यावधि खतरे" की चेतावनी दी गई है l
विदेशी आतंकवादी लड़ाकों के प्रवाह पर दिनांक 22 जून, 2016 को एक प्रेस वार्ता के दौरान, संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी कार्यकारी निदेशालय (सीटीईडी) के कार्यकारी निदेशक जीन-पॉल लाबोर्डे ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि आतंकवाद का खतरा लगातार बना हुआ है और, दुर्भाग्यवश, जैसा कि कई स्थानों पर प्रदर्शित किया गया है, यह विश्वसनीय है । कोई देश अकेले इस घटना से लड़ने के लिए स्थिति में न तो हो सकता है और न ही है------- पहली कार्रवाई वास्तव में दाएश के क्षेत्र को शून्य में बदलना है । इसका मतलब यह है कि तथाकथित ''खलीफा का कार्यक्षेत्र' अब किसी के लिए उम्मीद नहीं हो सकता है।"
आईएसआईएस को इराक और सीरिया में सैन्य दबाव और परिणामी असफलताओं का सामना करने के साथ, वापसी करने वाले लड़ाकों द्वारा उत्पन्न खतरा काफी बढ़ गया है, जो राष्ट्र की क्षमताओं के लिए चुनौती है। इस परिप्रेक्ष्य में, 2017 के जी 20 शिखर सम्मेलन में नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना किया। हैम्बर्ग में नेताओं द्वारा व्यक्त की गई चिंता का कारण सदस्य राष्ट्रों की वापसी करने वाले एफटीएफ से महसूस की जानेवाली असुरक्षा की भावना है l इस बात पर विचार करते हुए कि वापसी करने वाले लड़ाकों द्वारा भविष्य में आक्रमण किया जाना अनिवार्य है, उन लड़ाकों की वापसी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है lआईएसआईएस ने किसी तारीख का उल्लेख किए बिना एक दस्तावेज जारी किया जो मूल रूप से 30 भागों में अबू अब्दुल्ला अल-आदम के व्याख्यान की एक श्रृंखला है जिसका शीर्षक है, "लोन वुल्फ मुजाहिदीन एंड स्मॉल सेल्स" और जिसमें उसके अनुयायियों से कहा गया है कि वे स्वदेश में आतंकी हमले करने के लिए तैयार रहें l
चूँकि आईएसआईएस अपनी रणनीतियों में भर्ती और प्रचार सहित नवाचार लागू करता है,अत: आतंकवादी संगठनों द्वारा तैयार की गई नई रणनीतियों का ध्यान रखते हुए जी20 जैसे बहुपक्षीय संस्थानों ने प्रतिबद्धताओं एवं जवाबी कार्रवाई का दायरा बढ़ाया हैlहैम्बर्ग में आयोजित जी 20 शिखर सम्मेलन में आतंकवाद और उसके विविधीकरण एवं नवाचार से जुड़े खतरों से संबंधित अधिकांश अत्यावश्यक मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया जाना जाना यह इंगित करता है कि जी 20 एक वित्तीय और आर्थिक विनियमन निकाय से सुरक्षा नियमन संस्थान बनने की ओर बढ़ रहा है। हालाँकि, जी 20 द्वारा अपनाए जाने वाले इस दृष्टिकोण पर सवाल उठाना लाजिमी है कि क्यों उसने अपनी कार्यसूची का विस्तार कर उसमें वैश्विक सुरक्षा के मुद्दों को शामिल कियाl वर्ष 2015 में एंटाल्या से शुरू करके, जी 20 एक वैश्विक सुरक्षा नियंत्रक के रूप में आगे बढ़ेगा या शिखर सम्मेलन से पहले की घटनाओं के कारण सुरक्षा पर चर्चा एक अस्थायी परिवर्तन होगा?
खंड III
भविष्य की चुनौतियां
जी 20 द्वारा अपने दायरे का विस्तार किए जाने या अस्थायी रूप से आतंकवाद से संबंधित सुरक्षा चिंता में लिप्त रहने की इस अस्पष्टता में चुनौती इस बात की है कि क्या वह वैश्विक सुरक्षा के मामलों में एक विश्वसनीय संस्थान के रूप में खुद को बनाए रखेगा और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के विभिन्न पहलुओं को उसमें शामिल करेगा तथा राजनीतिक मुद्दों को पूरी तरह छोड़ देगा l यदि यह संस्था अपने दायरे का विस्तार करने अपने एकमात्र एजेंडे के रूप में आतंकवाद को शामिल करने का निर्णय लेती है तो-
सभी सदस्य राष्ट्रों को वैश्विक सुरक्षा संकट के मुद्दे से जुड़कर और आवश्यक सहकारी उपाय लागू करके जी 20 की वैधता को सुरक्षित करना चाहिए। दूसरी ओर, यदि आतंकवाद के मुद्दे को घटना-आधारित उत्तेजना के रूप में लिया जाता है, तो जी 20 को एक स्वर से आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करनी चाहिए और “अतिथि देशों” को एक ऐसे मुद्दे पर अधिक समावेशी क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के लिए आमंत्रित करना चाहिए जो प्रथमत: क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरे में डालते हैं l ये उपाय स्थायी प्रतिभागियों द्वारा किए जाएंगे जिनकी संख्या निर्धारित सीमा से अधिक नहीं होगी ।
उल्लेखनीय है कि जी 20 जैसी संस्था के लिए प्रारंभिक आर्थिक मुद्दे से परे अपने एजेंडे का विस्तार करना व्यवहार्य है, तथापि इसमें चुनौती दो स्तरों पर है - (1) निर्णय और (2) संतुलन सुनिश्चित करना। प्रथमत:, सदस्य राष्ट्र अलग-अलग और सामूहिक रूप से तीन बड़ी कार्रवाई करके निर्णय का मुद्दा सुनिश्चित कर सकते हैं । इन कार्रवाइयों में शामिल है-
(1) अधिक नियमित और लंबे समय तक बैठकें करें और संयुक्त राष्ट्र अधिदेश एवं चार्टर के तहत कार्य करें, धन शोधन से लेकर अतिवाद तक का प्रतिकार करने के लिए किए गए उपाय से संबंधित विस्तृत मुद्दों पर प्रगति रिपोर्ट अगले शिखर सम्मलेन में प्रस्तुत करें l इसके अतिरिक्त प्रत्येक सदस्य राष्ट्र की तात्कालिक प्राथमिकताओं का समाधान करने के लिए सामूहिक रणनीतिभी तैयार की जा सकती हैl
(2) प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को अपने स्रोत से अतिवाद को रोकना सुनिश्चित करना चाहिए। इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को परेशान करने वाले आतंकी हमलों को नाकाम करने में मदद मिलेगी। अतिवाद को रोकना इसके परिणामों पर प्रतिक्रिया करने की तुलना में अधिक प्रभावी हो सकता है।
(3) जहाँ एक ओर सदस्य राष्ट्रों को अपने नागरिकों द्वारा आतंकवादियों से लड़ने के लिए विदेश यात्रा किया जाना या दूसरों को भर्ती किया जाना और धन दिया जाना गंभीर दांडिक अपराध बनाना चाहिए, वहीं दूसरी ओर अपने यहाँ की आसूचना सेवाओं और पुलिस बलों को भी मजबूत करना चाहिए। युद्ध की बदलती गतिकी के साथ, आतंकी हमले करने में चाकू जैसे सामान्य हथियारों और वाहन के उपयोग को रोकने के लिए पुलिस की क्षमताओं को बढ़ाया जाना चाहिए। चाकू द्वारा किए गए पिछले हमलों में यह देखा गया है कि पुलिस ऐसे हमलों को रोकने में सक्षम नहीं हुई है जबकि अपराधी ने लड़ाई करने का कोई विशेष प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया था l
दूसरी ओर, संतुलन सुनिश्चित करने के मुद्दे पर, जिम्मेदार देशों के एक मंच के रूप में जी 20 को सावधानी के साथ आगे बढ़ना चाहिए। ऊपर की गई चर्चा के अवलोकन के बाद, ऐसा प्रतीत होता है कि जी 20 संभवतः अपने एजेंडे में आतंकवाद को शामिल करके अपने दायरे का विस्तार कर सकता है, जो समावेशी आर्थिक विकास के उसके प्रारंभिक मूल एजेंडे को सुविधाजनक बनाएगा। हालांकि, खतरा किसी मुद्दे पर अधिक जोर दिए जाने या असंतुलन में है, जिससे आतंकवाद की ओर अधिक झुकाव हो सकता है और वित्तीय मुद्दों की ओर कम ध्यान दिया जा सकता है । वास्तव में, जी 20 के नेतागण अपने इच्छित किसी भी विषय / मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं, लेकिन एक ऐसे संतुलित दृष्टिकोण के साथ, जो रचनात्मक रूप से मूल एजेंडे से जुड़ा हो और उसे बाधित न करता हो ।
निष्कर्ष
जैसा कि इस लेख में चर्चा की गई है,जी 20 एक ऐसी संस्था है,जिसने आतंकवाद/प्रतिआतंकवाद के मुद्दे को अपने एजेंडे में शामिल किया है, हालांकि मंच के भीतर के घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि इसके दायरे का विस्तार करने का निर्णय शुरू में एक संयोग था, जो 2015 के शिखर सम्मेलन के आयोजन के एक दिन पहले हुए आतंकवादी हमले के कारण लिया गया था और फिर यह सचेत चुनाव का विषय बन गया, जिसमें आतंकवादी संगठनों द्वारा अपनाई गई रणनीतियों और युक्तियों की विविधता के साथ-साथ समस्या से निपटने के लिए उपायों की भी विविधता थी। नेताओं के शिखर सम्मलेन के शुरुआती वर्षों में, जी 20 आतंकवाद के बारे में चुप था और किसी भी प्रकार की औपचारिक घोषणा करने से परहेज कर रहा था । यद्यपि, आतंकवाद के वित्तपोषण पर प्रारम्भिक चर्चा 2015 के पूर्व आयोजित शिखर सम्मेलनों में की गई थी, तथापि 2014 और 2009 (लंदन) में आयोजित शिखर सम्मेलन इसके अपवाद थे जिनमें आतंकवाद, वित्तपोषण या अन्यथा पर कोई चर्चा नहीं हुई l केवल आतंकवाद के वित्तीय आयाम पर ध्यान केंद्रित करके, जी 20 ने दुनिया भर में कुछ सबसे घातक हमलों की घटना के बावजूद खुद को किसी भी राजनीतिक चर्चा से दूर रखकर जानबूझकर आतंक के अर्थशास्त्र तक अपना दायरा सीमित कर लिया।
हालांकि, 2015 के शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले पेरिस में हुए आतंकी हमलों के कारण नेताओं ने आर्थिक रेखा से थोड़ी दूर, सुरक्षा से जुड़े मुद्दे की ओर एक कड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया । संघर्ष क्षेत्रों से दूर के क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की समस्या उत्पन्न होने से, बढ़ती वैश्विक असुरक्षा के बीच, यह देखने की आवश्यकता है कि क्या भविष्य में जी 20 इन मुद्दों पर ध्यान देना जारी रखेगा? चूंकि आतंकवाद सबसे बड़ी वैश्विक चिंता बन गया है, इसलिए जी 20 संसार के देशों के लिए न केवल उनकी आशंकाओं को बुलंद करने के एक बड़े मंच के रूप में कार्य कर सकता है, बल्कि वैश्विक सहयोग में नवाचार और गतिकता के साथ बढ़ती अतिवादी विचारधाराओं के खिलाफ भी कार्य कर सकता है।
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* डॉ. अम्बरीन आगा, भारतीय वैश्विक कार्य परिषद, नई दिल्ली में शोध अध्येता हैं।
खंडन: व्यक्त किए गए विचार शोधकर्ता के हैं, परिषद् के नहीं l
संदर्भ
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iThe Hamburg G20 Leaders’ Statement on Countering Terrorism, G20 Germany, 2017, https://www.g20.org/Content/DE/_Anlagen/G7_G20/2017-g20-statement-antiterror-en.pdf?__blob=publicationFile&v=2,accessed on July 24, 2017
iiCommuniqué, G20 Action Plan on Terrorist Financing, G20 Meeting, 2001 Documents, November 16-17, 2001, G20 Information Centre, University of Toronto, http://www.g20.utoronto.ca/2001/2001communique.html, accessed on July 24, 2017
iiiUnited Nations Security Council, Resolution 1373 (2001), UN, http://www.un.org/en/sc/ctc/specialmeetings/2012/docs/United%20Nations%20Security%20Council%20Resolution%201373%20(2001).pdf,accessed on July 28, 2017
iv International Convention for the Suppression of the Financing of Terrorism, Resolution 54/109 of December 9, 1999, New York, UN, http://www.un.org/law/cod/finterr.htm,accessed on July 28, 2017
vIbid
vi G20 Statement on the Fight against Terrorism, G20 Summits, Antalya, 2015, G20 Information Centre, University of Toronto, http://www.g20.utoronto.ca/2015/151116-terrorism.pdf,p.1, accessed on August 1, 2017
viiIbid
viiiUnited Nations Security Council, Resolution 2178, September 24, 2014, http://www.un.org/en/sc/ctc/docs/2015/SCR%202178_2014_EN.pdf,p 2, accessed on August 4, 2017
ixG20 Leaders' Communiqué: Hangzhou Summit, Hangzhou, September 5, 2016, G20 Information Centre, University of Toronto, http://www.g20.utoronto.ca/2016/160905-communique.html,accessed on August 4, 2017 x The Hamburg G20 Leaders’ Statement, Op Cit, accessed on August 4, 2017
xi Adopting Resolution 2309 (2016), Security Council Calls for Closer Collaboration to Ensure Safety of Global Air Services, Prevent Terrorist Attacks, United Nations, September 22, 2016, https://www.un.org/press/en/2016/sc12529.doc.htm,accessed on August 4, 2017
xiiNearly 100 dead as Ankara peace rally rocked by blasts, Al Jazeera, October 10, 2015, http://www.aljazeera.com/news/2015/10/explosions-hit-turkey-ankara-peace-march-151010073827607.html,accessed on Augus 58, 2017
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xviiIbid
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