महामहिम, देवियों और सज्जनों,
"भारत-वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी की 5वीं वर्षगांठ के समारोह और भारत और वियतनाम के बीच राजनयिक संबंधों की 50 वीं वर्षगांठ के समारोहों की घोषणा" के अवसर पर, वियतनाम के समाजवादी गणराज्य की नेशनल असेंबली के अध्यक्ष महामहिम वुंग दीन ह्यू और भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर का स्वागत करना मेरे लिए हर्ष की बात है। मैं इस अवसर पर वियतनाम के शिष्टमंडल के विशिष्ट सदस्यों, विदेश मंत्रालय में पूर्व सचिव सुश्री रिवा गांगुली दास; और भारत में वियतनाम के राजदूत महामहिम फाम संह चाऊ का हार्दिक स्वागत करता हूं।
2. वियतनाम भारत के निकटतम भागीदारों में से एक है, विश्वसनीय मित्र और इसके एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत दृष्टि का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
3. भारत और वियतनाम के बीच सम्मान और मित्रता नई नहीं है। हमारा रिश्ता सभ्यता का है, जो 2000 वर्षों का है। भारत से वियतनाम में बौद्ध धर्म का आगमन और वियतनाम में चंपा साम्राज्य के साथ हमारे संपर्क हमारे सदियों पुराने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का प्रमाण हैं। आज, वियतनाम में पो नगर में प्राचीन गणेश मंदिर और माईसन में शिव मंदिर, भी है। ट्रान क्वाक शिवालय में 1958 में वियतनाम की अपनी यात्रा के दौरान भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा लगाया गया बोधि वृक्ष का पौधा इन गहरे ऐतिहासिक संबंधों के लिए स्थायी सम्मान का प्रतीक है।
4. हमारे दोनों देशों के बीच विशेष संबंध हमारे स्वतंत्रता पूर्व के दिनों में और सुदृढ़ हो गए थे जब औपनिवेशिक शासन के विरूद्ध संघर्ष ने हमारे दोनों देशों के लोग की एक साथ आए थे। हमारी मित्रता की विशिष्टता को राष्ट्रपति हो ची मिन्ह ने "एक बादल रहित आकाश के नीचे समृद्ध संबंध" के रूप में वर्णित किया था। 1958 में अपनी ऐतिहासिक भारत यात्रा के दौरान, आईसीडब्ल्यूए को राष्ट्रपति हो ची मिन्ह की मेजबानी के लिए सम्मानित किया गया; और आज, महामहिम वुंग दीन रंग के नेतृत्व में वियतनामी प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी करना हमारे लिए हर्ष की बात है, जो राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष के संयुक्त निमंत्रण पर भारत की यात्रा पर आ रहे हैं।
5. आजादी के बाद, हमारे अभिज्ञान समझ और परस्पर समर्थन की भावना से जारी रहे। भारत ने वियतनाम के साथ अपने विकास के अनुभवों को साझा किया। भारत की वित्तीय और तकनीकी सहायता से स्थापित कुछ संस्थानों ने वियतनाम को अपनी आकांक्षापूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने मानव संसाधनों को विकसित करने में मदद की है।
6. 1972 में राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से, भारत-वियतनाम की मित्रता प्रगाढ़ हुई है, जो 2016 में एक 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी' बन गई है। दरअसल, वियतनाम पहला आसियान देश था जिसके साथ भारत ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी सम्पन्न की। हमारे नेता नियमित संपर्क में रहते हैं। व्यापार और निवेश से लेकर सभी क्षेत्रों; ऊर्जा सहयोग के लिए; रक्षा सहयोग और लंबे समय से विकास साझेदारी में द्विपक्षीय संबध निष्पादित हो रहें हैं।
7. भारत और वियतनाम, संयुक्त राष्ट्र के अलावा, आसियान, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, मेकांग गंगा सहयोग जैसे विभिन्न क्षेत्रीय मंचों में निकटता से सहयोग करते हैं। दो समुद्री राष्ट्रों के रूप में भारत और वियतनाम समुद्री सुरक्षा के महत्व को समझते हैं और समुद्री संचार साधनों को खुला रखते हैं। इसलिए हम दोनों, सभी के लिए सुरक्षा और विकास के लिए, एक मुक्त और नियम आधारित वास्तुकला के लिए प्रतिबद्ध हैं।
8. विपरीत परिस्थितियों के समय एक-दूसरे की मदद करने की हमारी परंपरा समय की कसौटी पर खरी उतरी है। हम इस वर्ष के शुरू में, भारत में कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान, महामारी को रोकने के हमारे प्रयासों का उदारतापूर्वक समर्थन करने के लिए वियतनाम के आभारी हैं। भारत ने महामारी के विरुद्ध लड़ाई में वियतनाम का समर्थन करने के लिए चिकित्सा आपूर्ति भी भेजी।
9. इसके अलावा, भारत के प्रमुख आंतरिक फोकस क्षेत्रों की वियतनाम में प्रतिध्वनि होती हैं। हमारे द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को उन्नत बनाने में भारत के और मानव केंद्रित वैश्वीकरण के भारत के दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण माना गया है। यह भारत के साथ साझेदारी में विश्वसनीय, कुशल और लचीला आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण में वियतनाम की रुचि का पूरक है।
10. हमारे दोनों देश, सशक्त संसदीय आदान-प्रदान की अपनी परंपरा को जारी रखे हुए हैं। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष के नेतृत्व में इस प्रख्यात संसदीय शिष्टमंडल की यात्रा से भारत-वियतनाम द्विपक्षीय संबंधों में और अधिक गहराई और समझ बढ़ेगी।
मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं जो आज के आयोजन में हमारे साथ जुड़े हैं।
धन्यवाद।
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