उद्घाटन सत्र में आईसीडब्ल्यूए के महानिदेशक राजदूत विजय ठाकुर सिंह की टिप्पणियां
माननीय विदेश राज्य मंत्री, डॉ राजकुमार रंजन सिंह,
भारत में सिंगापुर के उच्चायुक्त, महामहिम श्री साइमन वोंग
एएसपीआई, नई दिल्ली के सीनियर फेलो, डॉ सी राजा मोहन
महानुभावों, देवियों और सज्जनों,
आज हमारे साथ जुड़ने के लिए धन्यवाद और मैं भारत-आसियान संबंधों के 30 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में "भू-राजनीतिक बदलाव और अवसर: भारत-दक्षिण-पूर्व एशिया संबंधों में नए क्षितिज" विषय पर आयोजित आईसीडब्ल्यूए-एआईसी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आप सबका हार्दिक स्वागत करता हूं।
भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के देश साझा इतिहास और प्राचीन सभ्यतागत संबंधों से जुड़े हुए हैं। स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में, भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने व्यापक संबंध विकसित किए हैं और आज भारत दक्षिण-पूर्व एशिया के प्रत्येक देश के साथ एक अद्वितीय संबंध रखता है। हमारे बीच सहयोग विरासत स्थलों के संरक्षण से लेकर फिनटेक और डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में एक साथ काम करने, नई और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग करने, संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित करने, क्षमता निर्माण करने और लोगों को लोगों से जोड़ने को बढ़ावा देने तक है।
एक आर्थिक केंद्र के रूप में दक्षिण-पूर्व एशिया के महत्वपूर्ण अभ्युदय और उसके अनुसार भारत के उदय ने पहले भारत की ‘पूर्व की ओर देखो नीति’ को आकार देने में मदद की और बाद में आसियान देशों के साथ द्विपक्षीय और सामूहिक रूप से भागीदारी को मजबूत करने के लिए तैयार की गई ‘एक्ट ईस्ट नीति’ को आकार दिया।
आसियान के साथ भारत की यात्रा, जो 1992 में एक क्षेत्रीय वार्ता भागीदार के रूप में शुरू हुई थी, एक रणनीतिक साझेदारी के रूप में आगे बढ़ी है। भारत-आसियान साझेदारी के 30 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पिछले महीने आयोजित विशेष भारत-आसियान विदेश मंत्री की बैठक में व्यापक रणनीतिक साझेदारी की दिशा में काम करने पर सहमति बनी। भारत ईएएस, एडीएमएम प्लस और एआरएफ जैसे आसियान के नेतृत्व वाले विभिन्न तंत्रों में लगातार योगदान कर रहा है और साथ ही एमजीसी, एसीएमईसीएस, आईएमटी-जीटी, बिम्सटेक और आईओआरए जैसे उप-क्षेत्रीय तंत्रों के माध्यम से आसियान देशों के साथ काम करता है।
इंडो-पैसिफिक में भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक परिदृश्य में चुनौतियों के बीच भी, भारत और आसियान देशों ने अपने हितों के सम्मिलन को व्यक्त किया है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सभी देशों की प्रगति और समृद्धि के लिए समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा और क्षेत्र के समुद्रों और महासागरों में अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन किया जाना आवश्यक है। भारत ने इस क्षेत्र में आसियान की केंद्रीयता पर जोर दिया है और वह भारत की इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (आईपीओआई) और इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक के बीच समानता की पहचान करने के लिए तत्पर है।
आज, कोविड महामारी के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, और रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष ने वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा चिंताओं को जन्म दिया है। भारत और आसियान देश भी इसका असर झेल रहे हैं। महामारी के प्रकोप के अनुभव ने लचीली, विश्वसनीय और अनुकूलनीय आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने की आवश्यकता को प्रेरित किया है। भले ही, भारत और आसियान देश अपनी विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें अपने व्यापार और आर्थिक संबंधों को भी और गहरा करना चाहिए। साथ ही जुड़ाव को मजबूत करने और समुदाय एवं पड़ोस की भावना विकसित करने के लिए भूमि, समुद्र या बहुविध साधनों द्वारा अधिक से अधिक कनेक्टिविटी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हम भारत-दक्षिण-पूर्व एशिया संबंधों के विभिन्न पहलुओं और हमारे सहयोग के क्षितिज के विस्तार की संभावनाओं पर दो दिवसीय विचार-विमर्श के लिए उत्सुक हैं।
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