नमस्कार और आईसीडब्ल्यूए में आपका हार्दिक स्वागत है। आज की गोलमेज़ चर्चा- "भारत-बांग्लादेश संबंधों पर चिंतन" विषय पर है। मैं श्री शांतनु मुखर्जी, एडवाइज़र NatStrat; श्री सैयद बदरुल अहसान, बांग्लादेश के प्रख्यात पत्रकार और एक अनुभवी संपादक, पैनल के प्रतिष्ठित सदस्यगण, श्री दीपांजन रॉय चौधरी संपादक इकोनॉमिक टाइम्स डिप्लोमैटिक अफ़ेयर्स, जेएनयू के प्रो संजय भारद्वाज का मैं हार्दिक स्वागत करता हूँ।
मार्च 2021 में प्रधानमंत्री मोदी ने ढाका का दौरा किया था। उन्होंने तीन महत्वपूर्ण घटनाओं को रेखांकित करने के लिए बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस में भाग लिया - बांग्लादेश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ, हमारे राजनयिक संबंधों की स्थापना की स्वर्ण जयंती और बंगबंधु शेख मुज़ीबुर रहमान की जन्म शताब्दी। सितंबर 2022 में, प्रधान मंत्री शेख़ हसीना भारत की यात्रा पर थीं। जब भारत ने औपचारिक रूप से बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी थी, उस दिन को चिह्नित करने के लिए, इससे पहले 6 दिसंबर 2021 को, दोनों देशों ने संयुक्त रूप से पूरे विश्व में मैत्री-दिवस मनाया। आईसीडब्ल्यूए को मैत्री दिवस मनाने और उस अवसर पर प्रधान मंत्री शेख़ हसीना से एक संदेश प्राप्त करने का सम्मान और विशेषाधिकार प्राप्त हुआ था।
क्रूर दमनकारी शासन से बहादुरी से लड़ने के बाद, बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभरा। भारत की जनता और सरकार ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम का पूरे दिल से समर्थन किया था। उस साझा संघर्ष की स्मृति ने, पांच दशकों में, दोनों देशों के बीच दोस्ती का एक अनूठा बंधन बनाया है जो पारस्परिक रूप से लाभकारी है और हितों की समाभिरूपता पर आधारित है।
द्विपक्षीय संबंधों में जो बात विशेष रूप से पिछले कुछ वर्षों में सामने आई है, वह राजनीतिक इच्छाशक्ति और दोनों देशों द्वारा मिलकर काम करने की इच्छा। इन दो कारकों ने जटिल मुद्दों का समाधान सुनिश्चित किया। भारत और बांग्लादेश स्थलीय और समुद्री पड़ोसी हैं। सौहार्दपूर्ण तरीके से सीमाओं का निपटारा किया गया। स्थल सीमा को द्विपक्षीय वार्ता और समुद्री सीमा को एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अवार्ड के माध्यम से तय किया गया। वास्तव में, यह संबंध ऐसा है जो कई क्षेत्रों में अपने अनुकरणीय सहयोग के लिए जाना जाता है।
वर्षों से, बांग्लादेश और भारत ने अपने राजनीतिक जुड़ाव को मजबूत किया है और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक संस्थागत ढांचा तैयार किया है। भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी में बांग्लादेश प्रमुखता से शामिल है।
भारत, बांग्लादेश के सबसे बड़े विकास भागीदारों में से एक के रूप में उभरा है। पिछले कुछ वर्षों में, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारत ने बांग्लादेश को US$ 8 बिलियन की राशि की 3 लाइन्स दी हैं। यह भारत द्वारा किसी एक देश को दी जाने वाली सबसे बड़ी राशि भी है।
इसके साथ ही, भारत और बांग्लादेश ने सड़कों, रेलवे, अंतर्देशीय जलमार्गों और बंदरगाहों का एक नेटवर्क बनाया है। इनसे कनेक्टिविटी में काफी वृद्धि हुई है और इससे आर्थिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और लोगों के बीच के संबंध को और सुदृढ़ होंगे।
ऊर्जा क्षेत्र में भारत-बांग्लादेश फ़्रेंडशिप पाइपलाइन प्रोजेक्ट, मैत्री थर्मल पॉवर प्लांट और बिजली पारेषण लाइनें हैं। उप-क्षेत्रीय सहयोग, विशेष रूप से ऊर्जा क्षेत्र में भी विस्तार हो रहा है। ये ऐसे समय में महत्वपूर्ण पहलें हैं जब वैश्विक ऊर्जा संकट है।
बांग्लादेश, दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और भारत, बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार रहा है। जैसे जैसे बांग्लादेश एलडीसी स्थिति से बाहर निकल रहा है और हम द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक साझेदारी पर चर्चा के साथ आगे बढ़ रहे हैं, दोनों पक्षों की क्या उम्मीदें हैं? इसके साथ ही, नदी प्रबंधन, सीमा प्रबंधन और आतंकवाद के खतरे से निपटने पर इस गोलमेज़ विचार में नए और उभरते क्षेत्रों - एआई, फिनटेक, डेटा प्रबंधन में सहयोग की संभावनाओं पर भी विचार उपयोगी होंगे क्योंकि हम संबंधों का विस्तार करना चाहते हैं।
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