"इंडो-पैसिफ़िक का भविष्य -"एक अनिवार्य भागीदार के रूप में, भारत के साथ"-"मुक्त और खुले इंडो-पैसिफ़िक” के लिए जापान की नई योजना, विषय पर राजदूत विजय ठाकुर सिंह, महानिदेशक, आईसीडब्ल्यूए द्वारा 41वें सप्रू हाउस व्याख्यान में प्रारंभिक वक्तव्य, 20 मार्च 2023
महामहिम श्री फुमियो किशिदा, जापान के माननीय प्रधान मंत्री
डॉ एस जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री
विदेश सचिव विनय क्वात्र
राजदूत हिरोशी सुज़ुकी,
राजदूत सिबी जॉर्ज
विशिष्ट अतिथिगण, देवियों और सज्जनों
विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भारत के सबसे पुराने थिंक टैंक के रूप में, भारतीय वैश्विक परिषद के लिए 41वें सप्रू हाउस व्याख्यान हेतु जापान के प्रधान मंत्री, महामहिम श्री फुमियो किशिदा की मेज़बानी करना सौभाग्य की बात है। मैं महामहिम का हार्दिक स्वागत करता हूं।
पिछले एक दशक में यह दूसरी बार है, जब आईसीडब्ल्यूए को महामहिम श्री फुमियो किशिदा की मेज़बानी करने का सम्मान मिला है। जनवरी 2015 में, जापान के विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने भारत-जापान “इंडो-पैसिफ़िक युग में विशेष साझेदारी" पर 15वां सप्रू हाउस व्याख्यान दिया था।
तब से, हमारी "विशेष, रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी" हमारे दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के मार्गदर्शन में परिपक्व हुई है। आज, यह संबंध राजनीतिक जुड़ाव, रक्षा, सुरक्षा और आर्थिक सहयोग से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा और संस्कृति, और लोगों के बीच सांकृतिक आदान-प्रदान तक, विस्तृत क्षेत्रों में विश्वास और सहयोग का बन गया है। भारत-जापान साझेदारी भी इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र, के संदर्भ में काफी आगे बढ़ी है, जिसका बहुत अधिक आर्थिक और रणनीतिक महत्व है।
भारत के लिए, इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र, जैसा कि प्रधान मंत्री मोदी द्वारा कहा गया है, अफ्रीका के तटों से लेकर अमेरिका तक फैला हुआ, एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी क्षेत्र है, जिसे आसियान की केंद्रीयता और एकता के महत्वपूर्ण होने के साथ प्रगति और समृद्धि के सामान्य उद्देश्य में समाविष्ट होना चाहिए। प्रधान मंत्री मोदी ने एक सुरक्षित, संरक्षित और नियम आधारित समुद्री डोमेन के प्रयास में अन्य देशों के साथ सहयोग से काम करने के लिए इंडो-पैसिफ़िक ओशियन इनिशिएटिव की, इसके सात स्तंभों के साथ घोषणा की। आईपीओआई के कनेक्टिविटी पिलर में जापान भारत का प्रमुख भागीदार है। क्षेत्र में हमारी साझेदारी क्वाड के भीतर एक साथ काम करने और क्षेत्र में त्रिपक्षीय व्यवस्था के माध्यम से मिलकर काम करने तक फैली हुई है - जैसे रेसिलिएंट सप्लाई चेन इनिशिएटिव।
जापान की फ़्री एंड ओपन इंडो-पैसिफ़िक स्ट्रेटेजी (एफओआईपी) और भारत की एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफ़िक विज़न के तालमेल ने दोनों देशों को पहले से कहीं ज्यादा क़रीब लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
2020 के बाद से पिछले तीन वर्षों में, कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के परिणामस्वरूप विश्वव्यापी झटके लगे हैं जिससे व्यापक व्यवधान, आर्थिक अस्थिरता और जीवन का महत्वपूर्ण नुकसान हुआ है। वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में रणनीतिक अनिश्चितता बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री किशिदा की यात्रा उपयुक्त समय पर हो रही है। इस वर्ष के लिए G7 के अध्यक्ष के रूप में जापान और G20 के अध्यक्ष के रूप में भारत को बढ़ती वैश्विक जटिलताओं के बीच, दोनों देशों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। वसुधैव कुटुम्बकम्-'एक पृथ्वी एक परिवार और एक भविष्य' विषय के साथ भारत द्वारा G-20 की अध्यक्षता, ग्लोबल साउथ के मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करेगी। इसके अलावा, G-4 के सदस्य के रूप में, सुधारवादी बहुपक्षवाद में भारत और जापान के साझा हित हैं ताकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् सहित संयुक्त राष्ट्र निकायों को समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए अद्यतन किया जा सके।
भारत और जापान के बीच मजबूत संबंधों ने न केवल हमारे दोनों देशों को लाभान्वित किया है बल्कि व्यापक इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र और वैश्विक एजेंडे में सकारात्मक योगदान दिया है।
इन शब्दों के साथ, मैं अब महामहिम श्री फुमियो किशिदा, जापान के माननीय प्रधान मंत्री को 41वां सप्रू हाउस व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित करना चाहूंगा।
कृपया प्रधानमंत्री किशिदा का स्वागत कीजिए।
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