शेख मुजिबुर्र रहमान, बांग्लादेश के संस्थापक, का राज्य नीत और राज्य स्वाधिकृत विकास प्रक्रिया में बड़ा सम्मान रहा है। एक लोकप्रिय नेता के रूप में उन्होंने सोनार बांग्ला – एक समृद्ध बांग्लादेश की कल्पना की जो गरीबी, भूख और उत्पीड़न से मुक्त हो। इस सपने को सच करने के लिए उन्होंने न केवल अपेक्षित आर्थिक संस्थाओं – उल्लेखनीय रूप से योजना आयोग- की स्थापना की बल्कि 1973 में देश के प्रथम पंच वर्षीय योजना को भी शुरू किया। इस योजना का मुख्य लक्ष्य अन्य बातों के साथ-साथ गरीबी को कम करना, जीडीपी विकास को 5.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष करने व प्रति व्यक्ति आय को 2.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर तक ले जाना था। कई कारणों से उक्त योजना देश के नेतृत्व और लोगों की आशा के अनुरूप नहीं हो सकी। वर्ष 1974 में जब पूरे देश में भयंकर आकाल पड़ा था तो सामान्य रूप से पूरे देश में आर्थिक स्थिति और विशेष रूप से समाज के सबसे कमजोर लोगों की आर्थिक हालत बहुत खराब हो गयी थी। इसी पृष्ठभूमि में तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हेनेरी किसिंगर ने बांग्लादेश को ‘बॉटमलेस बास्केट’ की कुख्यात संज्ञा दी थी। 1970 के दौरान देश की समग्र वृद्धि दर बिल्कुल निराशाजनक थी और जीडीपी विकास दर लगभग 2-3 प्रतिशत के आस-पास थी जबकि प्रति व्यक्ति जीडीपी 200 अमेरिकी डॉलर के आस-पास था। इस स्थिति के कारण कुछ विश्लेषकों ने इस देश को ‘विकास संबंधी प्रयोगशाला’ कहा। परिश्रमी बांग्लादेशियों को ऐसे नकारात्मक और शर्मनाक कलंक से छुटकारा पाने में वर्षों लग गए।
सही रास्ते का आकलन
एक नए स्वतंत्र हुए राष्ट्र के लिए पर्याप्त तंत्र और एक कार्यशील रणनीति विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण था ताकि बढ़ती सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से निपटा जा सके और देश में उत्पन्न स्थिति को प्रशमित किया जा सके। इस प्रकार, बांग्लादेशी नेताओं ने आर्थिक सुधार को लागू करने व अर्थव्यवस्था को उदार बनाने का निर्णय लिया। इन सुधारों का व्यापक लक्ष्य बाजार की ताकतों और देश में विद्यमान निजी क्षेत्र उद्यमों को मजबूत करना तथा शेष विश्व के लिए इस अर्थव्यवस्था को खोलना और समायोजन करना था। इसके परिणाम उत्साहजनक थे और 1980 के दौरान आर्थिक विकास दर लगभग 3.5 प्रतिशत के आसपास थी। 1990 के प्रथम हिस्से में औसत विकास दर 4.5 प्रतिशत थी जो दूसरे भाग में बढ़कर 5 प्रतिशत हो गयी। इस दर की प्राप्ति उस समय हुई जब 1998 में देश में प्रलयंकारी बाढ़ आया था। राष्ट्र ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने सारे आलोचकों जिन्होंने कभी ‘बॉटमलेस बास्केट’ अथवा ‘विकास संबंधी प्रयोगशाला’’ कहा था, को गलत साबित किया।
अर्थव्यवस्था का लचीलापन
पिछले दो दशकों में राष्ट्र ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। एक बार स्थिर हो जाने के बाद बांग्लोदश की अर्थव्यवस्था ने अपने सबसे बड़े आलोचकों सहित सबको चौंकाया है। ऐसा प्रतीत होता है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी कदाचित प्रत्येक क्षेत्र में अपने कार्यनिष्पादन रिकार्ड को धीरे-धीरे सशक्त हुई है। कृषि क्षेत्र में प्रगति वर्ष 2000 के बाद से बहुत ही प्रभावशाली रही है और इसने गरीबी को कम करने में 90 प्रतिशत तक का योगदान किया। इसका श्रेय सरकार द्वारा अपनायी गयी बेतरीन और सतत नीति संरचना को जाता है जिसे पर्याप्त सार्वजनिक निवेशों द्वारा सहायता प्राप्त हुआ। 1990 के पूर्वाद्ध में कुल गरीबी लगभग 57 प्रतिशत थी जो कम होकर 2000 में 49 प्रतिशत हुआ और 2005 के अंत में यह कम होकर 40 प्रतिशत हो गया। यह प्रवृत्ति जारी रही और वर्ष 2010 के अंत तक गरीबी केवल 31.5 प्रतिशत रह गयी। इस परिवर्तन के वाहक में अन्य बातों के साथ-साथ कृषि अनुसंधान पर अधिक जोर, तीव्र प्रौद्योगिकी नवोन्मेष, और किसानों के लिए संवर्धित बाजार अवसर शामिल हैं। राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली कुछ अंतरराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संगठनों के साथ साझेदारी की और उन्होंने फसल की कुछ आधुनिक किस्मों को इजाद किया। बीज की इन आधुनिक किस्मों के कारण कृषि उत्पादन में र्प्याप्त बढ़ोतरी हुई। किसानों को सूचना और नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच प्रदान किया गया और उन्हें उर्वरकों की लगातार आपूर्ति की गयी। 1990 के मध्य में उर्वरकों के भारी संकट के कारण सरकार ने स्वयं ही उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए। इन सभी उपायों का परिणाम देश में चावल का उत्पादन बढ़ा। खाद्य कृषि संगठन (एफएओ) रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश ने चावल उत्पादन में तीन गुनी बढ़ोतरी दर्ज की। वर्ष 2011 में देश ने लगभग 32 मिलियन मिट्रिक टन (एमटी) चावल की उपज की, जबकि स्वतंत्रता के समय यह उत्पादन केवल 10 मिलियन मिट्रिक टन ही था।
यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है क्योंकि देश के 70 प्रतिशत से अधिक लोग और 77 प्रतिशत से अधिक कामगार ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। इनमें से अधिकांश कामगार प्रत्यक्षत: और अप्रत्यक्षत: अपनी आय और आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र में शामिल और निर्भर रहे हैं। यह क्षेत्र भी विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण खुराक को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि उत्पादन और खपत पैटर्न एक दूसरे के साथ संबद्ध है।
छठी पंचवर्षीय योजना (2011-15) में गरीबी को 2010 के 31.5 प्रतिशत से कम कर 2015 के अंत तक 22.5 प्रतिशत करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का निर्धारण किया गया था। यद्यपि पारिवारिक आय और व्यय सर्वेक्षण (एचआईईएस) द्वारा कोई विशिष्ट सर्वेक्षण नहीं किया गया है किंतु सरकार का अनुमान यह बतलाता है कि वर्ष 2010 के बाद से गरीबी और अत्यंत गरीबी में बहुत अधिक कमी आयी है। इससे बांग्लादेश को सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (एमडीजी) संबंधी लक्ष्यों को समय-सीमा में प्राप्त करने सहायता मिली। योजना आयोग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में गरीबी का प्रतिशत एमडीजी के 28.5 प्रतिशत लक्ष्य से कम था। पंच वर्षीय योजनाओं (प्रथम से छठी) की तुलना इसे स्पष्ट करता है कि देश ने कुछ मुख्य क्षेत्रों में अच्छा कार्य किया है। नीचे दी गयी सारणी प्रति व्यक्ति जीडीपी वृद्धि, प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई), जीवन प्रत्याशा, विदेशी मुद्रा रिजर्व, और कुल गरीबी अनुपात सहित अर्थव्यवस्था के निष्पादन के संबंध में संगत आंकड़ा प्रदान करता है। उपलब्ध आंकड़ा यह बतलाता है कि वास्तविक औसत जीडीपी बढ़ोतरी दर सदा ही अनुमानित/योजनागत वृद्धि दर से कम रहा। प्रथम पंच वर्षीय योजना के दौरान बांग्लादेश अपने 5.5 प्रतिशत के लक्ष्य की तुलना में औसत 4.0 प्रतिशत बिंदु तक जीडीपी विकास दर को हासिल कर पाया। दो पंचवर्षीय योजनाओं के बीच भी अंतर रहा है। प्रथम पंचवर्षीय योजना की समाप्ति 1978 में हो गयी और उसके बाद राष्ट्र ने दो वर्षीय योजना (1978-1980) को अपनाया जिसके दौरान दूसरे पंचवर्षीय योजना (1980-1985) को अंतत: शुरू करने से पूर्व 3.5 प्रतिशत का जीडीपी विकास दर दर्ज किया, दूसरी पंचवर्षीय योजना में 5.4 प्रतिशत के लक्ष्य की तुलना में औसत जीडीपी विकास दर 3.8 प्रतिशत हासिल हुआ। तीसरी पंचवर्षीय योजना (1985-1990) के दौरान कोई बदलाव नहीं हुआ जो वास्तव में द्वितीय पंच वर्षीय योजना के कार्यनिष्पादन का प्रतिरूप था। सरकार पिछले दो दशकों में अर्थव्यवस्था के खराब कार्यनिष्पादन के प्रति सावधान हो गया। उसने चौथी पंचवर्षीय योजना (1990-95) के लिए लक्ष्य को कम करके 5.0 प्रतिशत कर दिया।
चौथी पंचवर्षीय योजना के तीन प्रमुख उद्देश्य थे: आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, गरीबी उन्मूलन और रोजगार सृजन, तथा संवर्धित आत्मनिर्भरता। इसके लिए वर्ष 1991-92 में सरकार ने आठ नयी विकास योजना (एनडीपी) को शुरू किया जिसका लक्ष्य अन्य बातों के साथ-साथ निरक्षरता को समाप्त करना, मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करना, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाना, कृषि के विकास को प्राथमिकता प्रदान करना, और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और अंगीकरण के माध्यम से प्रतिस्पर्धी प्रभाव को बढ़ावा देना था। इन प्रयासों से चौथी पंचवर्षीय योजना के लिए औसत जीडीपी विकास दर के साथ कार्यनिष्पादन में बढ़ोतरी हुई और यह 4.2 प्रतिशत हो गया। तथापि, प्रति व्यक्ति जीएनआई बढ़कर 204 अमेरिकी डॉलर से 253 अमेरिकी डॉलर हो गया। इसके बाद दो वर्ष का अंतराल आया और उसके पश्चात सरकार ने 1997 में पांचवीं पंचवर्षीय योजना की घोषणा की ।
पूर्व की प्रवृत्ति के विपरित पांचवी पंचवर्षीय योजना (1997-2002) में इस लक्ष्य को बढ़ाकर 5.0 प्रतिशत से 7.1 प्रतिशत कर दिया गया। इस योजना के अंत में राष्ट्र औसत 5.1 प्रतिशत की विकास दर को बनाए रखने में समर्थ हुआ। यह पहला ऐसा अवसर था जब बांग्लादेश ने किसी पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान 5.0 प्रतिशत औसत जीडीपी विकास दर को बनाए रखा। प्रति व्यक्ति जीएनआई में भी बहुत बढ़ोतरी हुई और यह चौथी पंचवर्षीय योजना के 253 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर पांचवीं पंचवर्षीय योजना में 431 अमेरिकी डॉलर हो गया। योजना आयोग इसके तत्काल बाद अगली पंचवर्षीय योजना को लेकर नहीं आया। उसने नौ वर्ष के बड़े अंतराल के बाद छठी पंचवर्षीय योजना (2011-15) को निरूपित और घोषणा की जिसमें 7.3 प्रतिशत के औसत जीडीपी विकास दर का लक्ष्य निर्धारित किया। इस योजना की समाप्ति पर राष्ट्र ने औसत 6.3 प्रतिशत जीडीपी विकास दर को दर्ज किया। प्रति व्यक्ति जीएनआई में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई और यह पांचवीं पंचवर्षीय योजना के 431 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर छठी पंचवर्षीय योजना में 1314 अमेरिकी डॉलर हो गया।
स्रोत: सातवीं पंचवर्षीय योजना, बांग्लादेश सरकार
यहां यह नोट करना जरूरी है कि वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा निष्पादन किया। वर्ष 2007 में अमेरिका में शुरू हुआ सबप्राइम ऋण संकट के बाद सितम्बर, 2008 में लेहमन ब्रदर्स दिवालिया हो गया। एक भयानक वैश्विक आर्थिक मंदी दस्तक दे रही थी जब बांग्लादेशियों ने शेख हसीना नीत अवामी लीग की पार्टी सत्ता में आने के लिए मतदान किया। सत्ताधारी पार्टी को इस वैश्विक आर्थिक मंदी जिसने इस अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचायी और इस प्रगति को अस्थायी रूप से अवरूद्ध कर दिया, के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। यद्यपि, दो महत्वपूर्ण क्षेत्र- निर्यात और विप्रेषण इस वैश्विक आर्थिक महामंदी से बुरी तरह से प्रभावित हुआ, किंतु समग्र अर्थव्यवस्था इसे झेलने में सफल हुआ। यह बाहरी झटके को झेल लिया क्योंकि अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से इसका वित्तीय क्षेत्र वैश्विक आर्थिक प्रणाली से पूर्णत: एकीकृत नहीं था जिस कारण यह विश्व के अन्य सुसंबद्ध अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम सुभेद्य रहा।
6.3 प्रतिशत औसत जीडीपी विकास दर के साथ छठी पंचवर्षीय योजना (2011-2015) ने देश को कई सामाजिक – आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने तथा अर्थव्यवस्था को उर्ध्वाधर दिशा में पुन: एक बार ले जाने में बहुत सहायता की। यह एक प्रकार का परिवर्तन था जिसमें ऐसा प्रतीत हुआ कि बांग्लादेश निवेश चालित और संसाधन निर्भर ढ़ांचे से आगे निकलकर एक व्यापक सामाजिक – आर्थिक परिवर्तन की ओर जा रहा है। देश के योजना आयोग ने बांग्लादेश को एक ‘’विकास बाह्य सेवी’ कहा।‘’ विश्व बैंक ने भी जुलाई, 2015 में बांग्लादेश को निम्न आय से मध्यम आय वाले देश में शामिल करते हुए इसे मान्यता प्रदान की।
बांग्लादेश की सफलता की कहानी का श्रेय प्राय: सिले-सिलाए कपड़ा (आरएमजी) क्षेत्र को दिया जाता है जो वर्ष 2000 और 2015 के बीच अकेले ही देश के कुल निर्यात विकास के 80 प्रतिशत हिस्सा था। आरएमजी के उल्लेखनीय कार्य निष्पादन के कारण बांग्लादेश वर्ष 2014 में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक देश बना, जबकि 1980 में इसका स्थान 76वां था। इस अर्थव्यवस्था के पांच सबसे गतिशील क्षेत्रों को सतत सहायता देने के सरकार के निर्णय ने यह सफलता दिलायी है। इन प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों में दूरसंचार, रसायनिक उत्पाद, वस्त्र और सिले-सिलाए कपड़े, परिवहन उपकरण, और चमड़े के उत्पाद व जूते-चप्पल शामिल हैं। आईएमएफ के उप प्रबंध निदेशक मिसुहिरो फुरूसावा ने फरवरी में ढ़ाका विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एक बातचीत में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन की प्रशंसा की और इसकी सफलता का श्रेय तेजी से विस्तारित हो रहे कपड़ा उद्योग को दिया जिसने गरीबी को काफी हद तक कम करने और रोजगार सृजन में सहायता की।
सामाजिक विकास सूचकों में सुधार
सामान्यतया यह एक स्थापित तथ्य है कि समग्र जीडीपी विकास किसी अर्थव्यवस्था की मजबूती की पूरी तस्वीर नहीं देता है। वास्तविक आर्थिक प्रगति का आकलन करने के लिए अन्य कारकों को देखे जाने की आवश्यकता है यथा सामाजिक विकास सूचक और जहां तक महत्वपूर्ण सामाजिक विकास संकेतकों का संबंध है, बांग्लादेश का कार्यनिष्पादन रिकार्ड बहुत ही प्रभावशाली रहा है। जहां तक गरीबी उन्मूलन का संबंध है, जलवायु परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाते हुए, पर्यावरण संबंधी निष्ठा को बरकरार रखते हुए, शिक्षा और मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच बनाते हुए गरीबी उन्मूलन के संबंध में बहुत अच्छा कार्य किया है। पर्यवेक्षक इस तथ्य को देखकर आश्चर्यचकित हैं कि इस देश ने अन्य बड़ी अर्थव्यस्थाओं की तुलना में जीडीपी के अनुपात में कम खर्च के बावजूद बहुत बेहतर निष्पादन किया।
लंदन स्थित अंतरराष्ट्रीय विकास केन्द्र ने अपनी एक रिपोर्ट में तर्क दिया कि बांग्लादेश ने सामाजिक विकास सूचकांक से संबंधित कुछ मुद्दों के समाधान के लिए निम्न लागत समाधान का सहारा लिया। उदाहरण के लिए, इसने डायरिया के उपचार के लिए ओरल रिहाइड्रेशन सेलाइन (ओआरएस) का सहारा लिया जिसके परिणामस्वरूप शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आयी। अभिभावकीय देखभाल तक सहज पहुंच के कारण मातृत्व मृत्यु दर में कमी आयी। 1990 से ही बांग्लादेश टीकाकरण, गर्भनिरोधक के इस्तेमाल और बालिकाओं को विद्यालय भेजने में प्रभावी सामाजिक एकजुटता अभियान के माध्यम से सूचना फैलाने और जागरूकता सृजन में प्रशंसनीय कार्य करता रहा है। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं यथा ‘’शिक्षा के लिए भोजन’’ और छात्राओं के लिए ‘’सार्वभौमिक वृत्तिका कार्यक्रम’’ के माध्यम से सरकार लोगों को अपने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित करने में सफल हुई।
खाद्य और स्वास्थ्य देखभाल सुविधा की उपलब्धता के बाद शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है जहां बांग्लादेश सफल रहा है। वर्ष 2000 में प्राथमिक और माध्यमिक सकल नामांकन दर (जीईआर) क्रमश: 91 और 52 प्रतिशत था जो 2010 में बढ़कर क्रमश: 101 और 62 प्रतिशत हो गया। सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान तथा देश के भविष्य के लिए इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक नई शिक्षा नीति को शुरू किया। वर्तमान में, प्राथमिक शिक्षा में 100 प्रतिशत निवल दाखिला है, माध्यमिक शिक्षा में दाखिला तेजी से बढ़ रहा है और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में निजी और सरकारी संस्थाओं के खुलने से तीव्र विस्तार देखा गया है।
महिलाओं के प्रति भेदभाव के सभी रूपों को समाप्त करने संबंधी संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (सीईडीएडब्लू) को 1979 में अंगीकृत किया गया जो सितम्बर, 1981 से प्रभाव में आया। इस विशेष दस्तावेज को महिलाओं के अधिकारों को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए एक पूर्ण और स्व निहित मानक माना जाता है। बांग्लादेश ने 1984 में इस चार्टर की अभिपुष्टि की। इस चार्टर के हस्ताक्षरकर्ता होने के नाते बांग्लादेश स्त्री पुरूष भेदभाव को समाप्त करने के संबंध में हर चार वर्ष में अपनी प्रगति रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र को देता है। उसके बाद से बांग्लादेश ने स्त्री पुरूष अंतर को कम करने के लिए कार्य किया। इसके परिणामस्वरूप हाल के वर्षों में यह राष्ट्र प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर स्त्री पुरूष अंतर को समाप्त करने के संबंध में तीसरी दुनिया के देशों में अग्रणी देश के रूप में उभरा।
वैश्विक स्त्री पुरूष अंतर सूचकांक में बांग्लादेश का स्थाना 72वां है और दक्षिण एशिया में इसका स्थान प्रथम है उसके बाद भारत (87वां), श्रीलंका (100वां), नेपाल (110वां), मालदीव (115वां), भूटान (121वां) और पाकिस्तान (121वां) स्थान है। यह नोट करना जरूरी है कि प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में स्त्री – पुरूष समानता की प्राप्ति बांग्लादेश ने एमडीजी के तहत निर्धारित लक्ष्य को बहुत पहले ही 2015 में ही कर ली थी। आज निवल छात्रा दाखिला छात्र के दाखिले से आगे है। उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में भी स्त्री-पुरूष के बड़े अंतर को कम करने में प्रगति हुई है। सरकार ने महिलाओं के अधिकारों और विशेषाधिकारों की रक्षा करने के लिए एक प्रणाली तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत की है। वर्ष 2011 में उसने राष्ट्रीय महिला विकास नीति (एनडब्लूडीपी) को निरूपित किया जिसका लक्ष्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना था जहां महिला और पुरूष के पास समान अवसर हों और उनके पास सभी मूलभूत अधिकार हों। एनडब्लूडीपी एक 22 सूत्रीय उद्देश्य को लेकर आया जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ समान अधिकारों, सुरक्षा और संरक्षा, सामाजिक – आर्थिक व राजनीतिक-प्रशासनिक –स्तर के अधिकारों को सुनिश्चित करना; सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को मान्यता देना; प्राकृतिक आपदाओं और सशस्त्र संघर्षों से प्रभावित महिलाओं का पुनर्वास; और महिला उद्यमियों के विकास को सुनिश्चित करने में समग्र सहायता प्रदान करना शामिल है।
बांग्लादेश का अपनी महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रयास के मूर्त परिणाम हुए। इसे सारगर्भित रूप से विश्व आर्थिक मंच के ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2016 में छापा गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश ने वैश्विक स्त्री-पुरूष अंतर सूचकांक रैंकिंग में 2006 के 91वें स्थान से वर्ष 2016 में सुधार कर 72वां स्थान हासिल किया है। राजनीतिक सशक्तिकरण के संदर्भ में इसकी रैंकिंग में 10 बिंदु का सुधार हुआ है। वहीं वर्ष 2006 में महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण के संदर्भ में देश का रैंक 17 वां था जो वर्ष 2016 में 7वां हो गया।
उच्च आकांक्षाएं
अपेक्षित वित्तीय अनुशासन सहित एक दृढ़ मौद्रिक नीति प्रबंधन ने अब तक वृहद् अर्थव्यवस्था स्थायित्व को हासिल किया है और बाहरी मांग के उठने, सतत विप्रेषण प्रवाह, और घरेलु स्तर पर निम्न वस्तु मूल्यों से लाभ पाने के लिए अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला दिया। इन सभी बातों का परिणाम यह हुआ कि इससे एक स्वस्थ्य आउटपुट विकास, निम्न मुद्रास्फीति, प्रबंधन योग्य सार्वजनिक ऋण, ओर बाहरी प्रतिरोध क्षमता हासिल हुई। हाल के वर्षों में अर्थव्यवस्था के सतत कार्यनिष्पादन को देखते हुए कई विश्लेषकों और पर्यवेक्षकों की भविष्य में विकास संभावनाओं की आशा अधिक है। पदधारी सरकार भी इस संबंध में पूरी तरह से आशावादी है। अपने अद्यतन आकलन द लॉग व्यू: हाउ विल द गलोबल इकॉनोमिक आर्डर चेंज बाय 2050? में प्राइस वाटर हाउस कूपर्स (पीडब्लूसी) ने यह तर्क दिया है कि बांग्लादेश की औसत वार्षिक विकास दर अगले 34 वर्षों के लिए 5 प्रतिशत के आसपास बनी रहेगी। इस मूल्यांकन के अनुसार इसके परिणाम होगा कि बांग्लादेश विश्व की तेजी से बढ़ती तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएगा।
स्रोत: प्राइस वाटर हाउस कूपर्स, फरवरी, 2017
विश्वास और आशा
राष्ट्र का आत्मविश्वास और आशावाद देश की सातवीं पंचवर्षीय योजना (2016-2020) में बेहतर परिलक्षित होता है। वर्तमान में चल रही योजना में जीडीपी विकास दर के लक्ष्य को उत्तरोत्तर बढ़ाकर वर्ष 2015 के 6.5 प्रतिशत से वर्ष 2020 में 8 प्रतिशत कर दिया गया है। इसने विकास मार्ग को समावेशी, संवेदनशील, अनुकूल योग्य, जलवायु परिवर्तन के प्रतिरोधक्षमता पूर्ण और धारणीय बनाने के लिए समपूरक रणनीतिक और नीतियों को विकसित करने का भी निर्णय लिया है। 7वीं योजना अनुमान के अनुसार बांग्लादेश का जीडीपी विकास दर वर्ष 2017 में 7.2 प्रतिशत, 2018 में 7.4 प्रतिशत, 2019 में 7.6 प्रतिशत और अंत में 2020 में यह 8.0 प्रतिशत होगी।
सातवीं पंचवर्षीय योजना में जीडीपी विकास दर लक्ष्य
स्रोत: सातवीं योजना अनुमान
इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विकास वाहकों की समझ, नीतियों और रणनीतियों जिसने पूर्व में बेहतर कार्य किया है, के आधार पर बांग्लादेश अन्य बातों के साथ-साथ उन मुख्य विकास वाहकों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जिसमें बचत और निवेश की उच्च दर, बढ़ते श्रम बल, अवसंरचना और निर्माण में निवेश, बाजार अवसरों के विस्तार के लिए विश्व व्यापार पर बढ़ता भरोसा वृहद अर्थव्यवस्था स्थिरता, अपने निर्यात आधार को मजबूत करना, वित्तीय क्षेत्र कुशलता में सुधार करना, निवेश माहौल में सुधार करना, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय आर्थिक समाकलन को प्रभावित करना, नीली अर्थव्यवस्था की क्षमता का दोहन शामिल है।
सरकार का इरादा अपने मानव पूंजी आधार को इस सीमा तक मजबूत करने का है कि यह बढ़ती और बदलती अर्थव्यवस्था के साथ निर्वाह करने में समर्थ हो सके। इस प्रकार यह देश व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा के साथ माध्यमिक और उच्च शिक्षा पर अधिक जोर दे रहा है। सरकार आशा करती है कि वह अपने देश और विदेश में अपने लोगों के लिए कम से कम 12.9 मिलियन और अधिक नौकरियां सृजित करें। योजना आयोग के पूर्वानुमान के अनुसार विदेश में 12.9 मिलियन अतिरिक्त नौकरियों में से कम से कम 2 मिलियन नौकरियां बांग्लादेशी प्रवासी कामगारों के लिए उपलब्ध होगी। सरकारी अनुमान बताता है कि लगभग 9.9 मिलियन लोग उसी अवधि के दौरान इस कार्यबल में शामिल होंगे। यदि यह आशा अनुरूप होता है तो देश के पास अपने बेरोजगार नागरिकों को देने के लिए कम से कम 3 मिलियन और नौकरियां होंगी।
चूंकि कृषि क्षेत्र मुख्य रूप से और जबरदस्त तरीके से निजी पहलों द्वारा चालित है इसलिए सरकार का इरादा अर्द्ध निर्वाह वाली कृषि के वाणिज्यिकरण में परिवर्तन की प्रक्रिया को तेज करने का है। इस परिवर्तन को सुकर बनाने में सफल होने के लिए सरकार को ठोस उत्पादकता प्रतिफल, विविधिकरण, मूल्य वर्धन और कृषि प्रसंस्करण को उसी तरह से प्राप्त करने की आवश्यकता होगी जो इसकी राष्ट्रीय पर्यावरणीय सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन रणनीतियों के अनुरूप हो। सरकार को बाजारों के लिए कनेक्टिविटी में सुधार लाने, नए नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों को लागू करने, इस क्षेत्र में लगे लोगों के लिए संसाधनों को उपलब्ध कराने, निजी क्षेत्र निवेश को बढ़ावा देने आदि के लिए रणनीतियां तैयार करने की आवश्यकता है।
समग्र सातवीं पंचवर्षीय योजना तीन विषयों के आसपास केंद्रित हैं: जीडीपी विकास में बढ़ोतरी, रोजगार सृजन और त्वरित रूप से गरीबी में कमी लाना; प्रत्येक नागरिक को विकास प्रक्रिया से लाभ देने के लिए सशक्त बनाने के विचारार्थ समावेशन; और सतत विकास मार्ग जो आपदा और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हो। आर्थिक मोर्चे पर सरकार की सतत सफलता के उत्साहित होकर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में 21 जून को संसद में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि वर्ष 2041 तक देश की प्रतिव्यक्ति आय 12,000 अमेरिकी डॉलर हो जाएगी।
जहां तक निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति का संबंध है, ऐसा प्रतीत होता है कि सातवीं पंचवर्षीय योजना बेहतर कार्य कर रही है। जीडीपी विकास दर के 7 प्रतिशत बिंदु की रिकार्ड उंचाई तक पहुंचने के साथ ही वर्ष 2016 के अंत में राष्ट्र ने एक अन्य आर्थिक उपलब्धि हासिल की और बांग्लादेश वैश्विक आर्थिक विकास रैंकिंग में 31वां स्थान हासिल किया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार वर्ष 2016 में वास्तविक जीडीपी विकास दर 7.1 प्रतिशत थी।
स्रोत: आईएमएफ की देश संबंधी रिपोर्ट, जून, 2017
इतने प्रभावशाली विकास दर के साथ उसने दक्षिण एशिया के अधिकांश और कई उप सहारा अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ दिया। अद्यतन उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देशन ने अपने विकास दर में और सुधार किया है और यह 1602 अमेरिकी डॉलर की प्रतिव्यक्ति आय के साथ 7.24 प्रतिशत तक पहुंच गया है। विश्व बैंक ने वर्तमान वर्ष और आने वाले दो वर्षों के लिए विप्रेषण, आंतरिक मांग और औद्योगिक उत्पादन मे संभावित कमी के कारण विकास दर में मामूली कमी का अनुमान लगाया है। विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार वर्ष 2017 में वास्तविक जीडीपी दर के 6.9 प्रतिशत तक रहने की आशा है जो वर्ष 2018 में और घट कर 6.4 प्रतिशत हो जाएगा। तथापि, अर्थव्यवस्था में 2019 में सुधार होगा और यह 6.7 प्रतिशत और वर्ष 2020 में लगभग 7.00 प्रतिशत की विकास दर को छू लेगा।
आईएमएफ बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के बारे में पूर्णत: सकारात्मक है। इसके अनुमान में यह बताया गया है कि कम कालावधि में भी 7 प्रतिशत की विकास दर प्राप्य योग्य है बशर्ते कि बांग्लादेश सार्वजनिक और निजी निवेश को व्यापक बनाए और संवर्धित निवेश कुशलता के साथ पूंजी बाजार विकास की सहायता करने के लिए अपेक्षित सुधार करे। आईएमएफ ने सरकार को यह भी चेताया है कि अपेक्षित सुधार नहीं होने पर विकास दर के उत्तरोत्तर गिर कर 5 प्रतिशत हो जाने की संभावना है। इस संदर्भ में विश्व बैंक और आईएमएफ ने जुलाई, 2017 में लागू किए जाने वाले प्रस्तावित मूल्य वर्धित कर (वीएटी) का स्वागत किया है जिसका लक्ष्य कर राजस्वों को बढ़ाकर कर प्रशासन में सुधार करना है।
वैट और उत्पाद शुल्क विवाद
वित्त मंत्री एएमएम मुहिथ ने वर्ष 2017-2018 के बजट, जिसे 1 जून को संसद में पेश किया था, में 1 जुलाई, 2017 से लागू किए जाने वाले 15 प्रतिशत एकसमान वैट का प्रस्ताव किया था। इस बजट में उत्पाद शुल्क के रूप में 100,000 टाका से उपर के बैंक निक्षेप के लिए 800 टाका शुल्क लगाने का भी प्रावधान था। उसके बाद देश के हर कोने में कठोर आलोचना होने लगी। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष खालिदा जिया और जैतिया पार्टी के अध्यक्ष एच. एम. इरशाद ने इसे बोगस बजट कहा जिसका लक्ष्य देश के लोगों को लूटना था। सत्ताधारी दल के कुछ सदस्यों ने भी वैट को लागू करने और उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी करने के सरकार के निर्णय पर उसकी आलोचना में विपक्ष का साथ दिया। सत्ता पक्ष के सदस्यों और शेख फजलुल करीम सेलिम ने वित्त मंत्री के विरूद्ध अपनी आवाज बुलंद की।
जब शेख हसीना नीत अवामी लीग पार्टी आने वाले चुनाव की तैयारी कर रही थी तो उस समय वैट और उत्पाद शुल्क विवाद ने सरकार को मुश्किल में डाल दिया। आईएमएफ और विश्व बैंक जैसी संस्थाएं चाहती हैं कि सरकार राष्ट्र के बेहतरी के लिए इन प्रावधानों को आगे बढ़ाएं। क्यूमिआयो फैन, विश्व बैंक का उस देश का निदेशक ने 20 जून को ढ़ाका में संक्षिप्त विवरण देने के दौरान स्पष्ट रूप से कहा कि वैट कार्यान्वयन महत्वाकांक्षी वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। बांग्लादेश में विश्व बैंक के प्रमुख जहील हुसैन ने भी वैट के पक्ष में तर्क दिया। उन्होंने कहा कि चूंकि आवश्यक वस्तुओं को वैट के दायरे के बाहर रखा गया है और छूट की टर्नओवर सीमा को बढ़ाया गया है, इसलिए वैट का कार्यान्वयन आम लोगों, विशेषकर निम्न आय वर्ग के लोगों को प्रभावित नहीं करेगा।
लोगों की आलोचना और विपक्ष व सत्ताधारी दल के सदस्यों से दबाव बढ़ने के कारण सरकार अंतत: झुक गयी और कम से कम दो वर्षों के लिए वैट को कार्यान्वित करने को स्थगित कर दिया। 28 जून को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने वित्त मंत्री को निर्देश दिया कि वह 100000 टाका से लेकर 500000 टाका तक पर उत्पाद शुल्क 150 टाका निर्धारित करे तथा 10 मिलियन टाका तक के निक्षेप के लिए तीन स्लैब में प्रभारित करे। वैट पर उन्होंने वित्त मंत्री को सलाह दी कि वह इसे अगले दो वर्षों तक कार्यान्वयन को स्थगित कर दे। बजट में अंतिम समय में बदलाव से अर्थव्यवस्था पर कुछ हद तक प्रभाव पड़ेगा। तथापि, यह आईएमएफ और विश्व बैंक के मूल्यांकन के तदनुरूपी नहीं हो सकता क्योंकि यह इस अनुमान पर आधारित था कि सरकार प्रस्तावित वैट को लागू करेगी।
निष्कर्ष
हाल के वर्षों में अर्थव्यवस्था के निष्पादन, वर्तमान प्रचलित परिदृश्य और प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं और संगठनों द्वारा किए गए अनुमानों को देखते हुए यह संकेत है कि आने वाले वर्षों में बांग्लादेश के लिए एक मजबूत आर्थिक संभावना है। यह अर्थव्यवस्था जिसे कभी इतिहास में ‘’बॉटमलेस बासकेट’’ या ‘’डेवलेपमेंटल गिनी पिग’’ की संज्ञा दी गयी थी, को अब ‘’डेवलपमेंटल पजल’’ और ‘’डेवलपमेंटल सरप्राइज’’ माना जाता है। यह बांग्लादेश जैसे देश के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है जिसने इस क्षेत्र में एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था बनने के कोशिश की है।
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* लेखक, भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
अस्वीकरण: व्यक्त मंतव्य लेखक के हैं और परिषद के मंतव्यों को परिलक्षित नहीं करते।
पादटिप्पणियां :
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x Government of Bangladesh (1995), The Fourth Five Year Plan 1990-95, Planning Commission, p. III-1
xi पूर्वोक्त , p. I-1.
xii Ali, Muhammad Mahboob and Anisul M. Islam (2010), “Macroeconomic Impacts of the Global Financial Crisis on the Bangladesh Economy,” Savings and Development, 34 (3): 305-342.
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xxii Government of Bangladesh (2011), National Women Development Policy, Ministry of Women and Children Affairs, मार्च 2011, पृष्ठ 13-14.
xxiii WEF (2016), The Global Gender Gap Report 2016, Geneva: World Economic Forum, पृष्ठ 10-11.
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xxvIMF (2017), Bangladesh: 2017 Article IV Consultation—Press Release; Staff Report, IMF Country Report No. 17/147, जून 2017.
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xxxviii “Muhith draws flak from ruling party MPs,” Prothom Alo, जून 19, 2017, http://en.prothom-alo.com/economy/news/151579/Muhith-draws-flak-from-ruling-party-MPs पर उपलब्ध
xxxix Ibrahim Hossain Ovi, “WB: Implementation of new VAT law crucial to achieving revenue target,” Dhaka Tribune, जून 21, 2017, http://www.dhakatribune.com/business/economy/2017/06/21/wb-implementation-new-vat-law-crucial-achieving-revenue-target/ पर उपलब्ध
xl“World Bank for VAT law implementation,” Dhaka Tribune, जून 20, 2017, http://www.dhakatribune.com/business/economy/2017/06/20/wb-vat-law-excise-duty/ पर उपलब्ध
xli “PM orders suspending new VAT law for 2 yrs,” Prothom Alo, जून 28, 2017, http://en.prothom-alo.com/economy/news/152323/PM-orders-suspending-new-VAT-law-for-2-yrs पर उपलब्ध
xliiपूर्वोक्त
xliii Mahmud, Wahiduddin et al. (2013), Bangladesh’s Achievements in Social Development Indicators, London: International Growth Centre, p. 2.
xliv Government of Bangladesh, (2015), 7th Five Year Plan, FY 2016-FY 2020: Accelerating Growth, Empowering Citizens, General Economics Division, Planning Commission, p. xli.