ग्रुप ऑफ सेवन (जी7) का अध्यक्ष होने का नाते जापान ने 19 से 21 मई 2023 तक हिरोशिमा में इसके नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। यहां इस बात पर प्रकाश डालना भी महत्वपूर्ण है कि क्वाड लीडर्स समिट, जो कुल पांच[1] में से तीसरा व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन था, को भी 20 मई 2023 को हिरोशिमा में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित किया गया था। जापान की अध्यक्षता में जी7 हिरोशिमा लीडर्स समिट 2023 में यूक्रेन के समर्थन, इंडो-पैसिफिक, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक लचीलापन एवं आर्थिक सुरक्षा, ऊर्जा व खाद्य सुरक्षा, खतरे के तौरपर चीन और म्यांमार जैसे क्षेत्रीय मामलों जैसे विभिन्न मुद्दों पर ठोस निर्णय लिए गए। इस लेख में जी7 नेताओं के शिखर सम्मेलन का संक्षिप्त विवरण दिया गया है और मुख्य बातों को सामने रखा गया है।
जी7 लीडर्स समिट की मुख्य बातें
19 से 21 मई 2023 तक जी7 हिरोशिमा लीडर्स समिट में कुल नौ सत्र आयोजित हुए जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था; रूस के खिलाफ प्रतिबंध; विदेश व सुरक्षा नीति; जी7 से परे अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी; आर्थिक लचीलापन और आर्थिक सुरक्षा; सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) से संबंधित संकट; लचीली व सतत दुनिया; यूक्रेन; और शांतिपूर्ण, स्थिर, समृद्ध विश्व की दिशा में आने वाली चुनौतियां जैसे विभिन्न भू-राजनीतिक मामलों पर चर्चा हुई।
टुवर्ड ए इंटरनेशनल कम्युनिटी कैरेक्टराइज्ड बाई कोऑपरेशन, नॉट डिवीजन एंड कंफर्टेशन/ग्लोबल इकोनॉमी
"टुवर्ड ए इंटरनेशनल कम्युनिटी कैरेक्टराइज्ड बाई कोऑपरेशन, न कि डिवीजन एंड कंफर्टेशन/ग्लोबल इकोनॉमी"[2] नामक पहले सत्र का उद्देश्य यह दर्शाना था कि जी7 एकजुट है और दो स्तंभों: कानून के प्रशासन के आधार पर स्वतंत्र व खुली अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और जी7 से परे अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों की पहुंच को सुदृढ़ करने पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में इसकी भूमिका मजबूत बनी हुई है।[3]
जी7 राष्ट्र के नेताओं ने जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इमर्सिव टेक्नोलॉजी हेतु कानून की आवश्यकता पर बल दिया। इस बात पर समझौता हुआ कि जी7 देशों के मंत्री "हिरोशिमा एआई प्रक्रिया" के अंतर्गत ऐसी जनरेटिव एआई पर चर्चा करेंगे जो एआई के क्षेत्र में हुई प्रगति तथा चुनौतियों की जानकारी देगा। अध्यक्ष देश ने कहा कि डेटा-फ्री फ्लो विथ ट्रस्ट (डीएफएफटी) स्थापित करने हेतु मंत्री स्तर पर एक समझौते के आधार पर एक अंतर्राष्ट्रीय ढांचे की जल्द स्थापना करने की आवश्यकता है। तदनुसार, प्रधानमंत्री किशिदा ने कहा कि अध्यक्ष के तौरपर जापान उपयुक्त वित्तीय योगदान सहित उक्त ढांचे को बनाने में अपना योगदान देगा।
प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने यह भी बताया कि कैसे जापान का "पूंजीवाद का नया रूप" वैश्विक अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहा है क्योंकि यह "स्थायी आर्थिक विकास हेतु उन्नत आपूर्ति-पक्ष सुधारों का समर्थन करता है, मजदूरी बढ़ाने तथा आंतरिक निवेश बढ़ाने के साथ-साथ 'लोगों में निवेश' को पर जोर देता है और विकास व वितरण के उचित चक्र को बढ़ावा देता है।” [4]
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सुधार सहित मुक्त तथा निष्पक्ष व्यापार प्रणाली को बनाए रखने और मजबूत करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता पर जी 7 नेताओं के बीच एक महत्वपूर्ण बातचीत हुई।
रूस के खिलाफ प्रतिबंध
दूसरा सत्र यूक्रेन को रूस के खिलाफ लगातार मजबूत समर्थन और समन्वित प्रतिबंधों को लागू करने से संबंधित था। जी7 नेताओं ने यूक्रेन के खिलाफ अवैध, अनुचित व अकारण युद्ध के खिलाफ एक साथ खड़े होने की प्रतिबद्धता दोहराई। इस सत्र के बाद यूक्रेन पर जी7 नेताओं का वक्तव्य भी जारी किया गया। वक्तव्य इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे यूक्रेन संकट की वजह से दुनिया के कई सबसे कमजोर वर्ग के लोगों के लिए भोजन और ऊर्जा की पहुंच प्रभावित हुई है। जी7 नेताओं ने यूक्रेनी लोगों के नुकसान और पीड़ा पर अपनी सहानुभूति और संवेदना व्यक्त की। यूक्रेन को अपना समर्थन देने के साथ-साथ जी7 के नेताओं ने कमजोर देशों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जो रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से और से बढ़ गए हैं।
यूक्रेन पर जी7 नेताओं के वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव ए/आरईएस/ईएस-11/6 पर पुनः जोर दिया गया, जिसका शीर्षक था "यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांत", जिसे फरवरी 2023 में यूक्रेन में एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति के लिए ठोस प्रयास करने हेतु अपनाया गया था।[5] वक्तव्य में ज़ापोरीज्ज्या परमाणु ऊर्जा संयंत्र (जेडएनपीपी) पर कब्जा करने तथा सैन्यीकरण पर परमाणु सुरक्षा और सुरक्षा संबंधी चिंता भी जताई गई है। यूक्रेन की व्यापक आर्थिक स्थितियों को स्थिर करने हेतु जी7 नेताओं ने विश्व बैंक समूह, पुनर्निर्माण एवं विकास हेतु यूरोपीय बैंक (ईबीआरडी) के साथ-साथ देश में पुनर्निर्माण के कारण यूक्रेन द्वारा किए जा रहे सुधारों को लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) का स्वागत करते हुए, यूरोपीय निवेश बैंक (ईआईबी), तथा विभिन्न देशों के विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) के साथ-साथ यह सुनिश्चित किया कि कीव के पास 2023 और 2024 तक के लिए आवश्यक बजट हो।
आर्थिक प्रतिबंधों और अन्य उपायों पर जी7 नेताओं ने कहा है कि वे रूस द्वारा उनकी अर्थव्यवस्थाओं तक पहुंच को और रोकेगें। वक्तव्य में प्रौद्योगिकी, औद्योगिक मशीनरी और उपकरणों के निर्यात पर प्रतिबंध के उपायों पर प्रकाश डाला गया है जो युद्ध में रूस के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, जी7 विनिर्माण, निर्माण तथा परिवहन जैसे प्रमुख क्षेत्रों के साथ-साथ व्यापार सेवाओं पर प्रतिबंध लगाएगा, लेकिन यह ध्यान रखा जाएगा कि इसका असर अन्य देशों पर न हो।
वक्तव्य में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि रूस पर निर्भरता कम करने हेतु जी7 देश माल, सेवाओं, या प्रौद्योगिकी के साथ तीसरे देशों को इन्हें प्रदान करने हेतु रूसी एलीट, प्रॉक्सी और ओलिगार्क्स (आरईपीओ) टास्क फोर्स के ज़रिए प्रतिबंधात्मक उपायों को अपनाना जारी रखे हुए है। चेतावनी के तौरपर जी7 नेताओं ने कहा कि वे हर उस देश के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जो भौतिक या आर्थिक रूप से रूस का समर्थन करता है।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि जी7 रूस से असैन्य परमाणु और संबंधित सामानों पर निर्भरता कम करने पर जोर दे रहा है तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के खिलाफ ऊर्जा के शस्त्रीकरण को रोकने हेतु अपनी आपूर्ति में विविधता लाने की मांग करने वाले देशों की सहायता कर रहा है। प्राकृतिक गैस और स्वच्छ ईंधन बाजार निगरानी और आपूर्ति सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी टास्क फोर्स के ज़रिए कमजोर और प्रभावित देशों का समर्थन करने के लिए वैश्विक ऊर्जा संकट के प्रभावों को सीमित करना भी दोहराया गया।
विदेश और सुरक्षा नीति
"विदेश एवं सुरक्षा नीति" विषय पर आधारित चर्चा का तीसरा सत्र दुनिया में कहीं भी बलपूर्वक यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास की अस्वीकार्यता पर केंद्रित था। जी7 नेताओं ने कानून के प्रशासन के आधार पर एक स्वतंत्र तथा खुली अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने की अपनी दृढ़ इच्छा को दोहराया। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और इसकी स्थिति के साथ-साथ चीन और उत्तर कोरिया की भड़काऊ कार्रवाइयों से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डाला गया। जी7 नेताओं ने कहा कि परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार के संदर्भ में, "परमाणु हथियार मुक्त दुनिया" की जी7 की प्रतिबद्धता को साकार करने और पुन: पुष्टि करने के एकमात्र तरीके के रूप में एनपीटी को बनाए रखना और मजबूत करना आवश्यक है।
म्यांमार में बिगड़ती राजनीतिक स्थिति के संबंध में, जी7 ने अपनी चिंता जाहिर की तथा लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की। जी7 नेताओं ने म्यांमार जुंटा से हिंसा को तुरंत बंद करने, राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और देश को लोकतांत्रिक रास्ते पर वापस लाने का आह्वान किया। जी7 नेताओं ने म्यांमार में सभी हितधारकों के साथ पांच सूत्री सहमति को लागू करने हेतु निरंतर जुड़ाव में आसियान के प्रयासों का समर्थन किया, जिसमें इंडोनेशिया के ज़रिए आसियान के अध्यक्ष और म्यांमार के लिए आसियान के विशेष दूत के रूप में शामिल हैं।[6]
भागीदारों के साथ जुड़ाव को मजबूत करना
"भागीदारों के साथ जुड़ाव को मजबूत करना" पर चौथा सत्र जी7 से परे अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करने के महत्व को रेखांकित करता है। यह काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के दिनों में ग्लोबल साउथ के रूप में जाने जाने वाले उभरते विकासशील देशों की स्थिति तथा प्रभाव बढ़ा है। भोजन, स्वास्थ्य और विकास से संबंधित विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर ठोस परिणाम हासिल करने हेतु 2023 में भारत की अध्यक्षता में जी20 के साथ जी7 कैसे सहयोग और जुड़ सकता है, इस पर ध्यान दिया गया था।
2023 में जी20 का अध्यक्ष होने के दौरान भारत को दिए गए अपने समर्थन में, जी7 के नेताओं ने मूल्य श्रृंखलाओं की स्थापना के ज़रिए गरीबी उन्मूलन, ऊर्जा संक्रमण और वित्त की चुनौतियों के संबंध में विकासशील देशों की विभिन्न आवश्यकताओं का जवाब देने के अपने प्रयासों की पुष्टि की, जो ग्लोबल साउथ देशों को स्थानीय प्रसंस्करण करने में सक्षम बनाता है। इस सभी प्रयासों के लिए पैसे की कमी को दूर करने की आवश्यकता है, जिसे ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट (पीजीआईआई) पर साझेदारी के माध्यम से समर्थन मिलने की उम्मीद है।
आर्थिक लचीलापन और आर्थिक सुरक्षा
"आर्थिक लचीलापन एवं आर्थिक सुरक्षा" पर पाँचवाँ सत्र पहली बार जी7 नेताओं के शिखर सम्मेलन में शामिल किया गया था जिसमें आर्थिक सुरक्षा की चुनौतियों पर प्रतिक्रिया पर चर्चा की गई थी।[7] जी7 नेताओं ने जिस मुद्दों की पुष्टि की वह थे (1) आपूर्ति श्रृंखला तथा महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लचीलेपन को बढ़ाना; (2) गैर-बाजार नीति और कार्यों तथा आर्थिक जबरदस्ती संबंधी प्रतिक्रियाओं को मजबूत करना; तथा (3) महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों का उचित प्रबंधन। आर्थिक लचीलापन और आर्थिक सुरक्षा पर "जी7 नेताओं के वक्तव्य" में भी विचार-विमर्श किया गया था।[8]
इसी तरह, जी7 नेताओं ने "स्वच्छ ऊर्जा आर्थिक कार्य योजना" की घोषणा की।[9] कार्य योजना में ऐसी व्यापार नीतियां बनाना शामिल है जो अर्थव्यवस्थाओं को कार्बन मुक्त बनाती हैं, लचीली स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकास में तेजी लाती हैं, स्वच्छ ऊर्जा माल एवं सेवाओं के लिए साझा बाजारों को विकसित करती हैं, और निम्न तथा मध्यम आय के लिए महत्वपूर्ण सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के जलवायु और ऊर्जा सुरक्षा निवेश को जुटाती हैं। जी7 व्यापक रूप से सुधार तथा बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को सुदृढ़ करने का काम कर रहा है ताकि यह सतत विकास और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण सहित महत्वपूर्ण मुद्दों का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सके।
एकाधिक संकटों को दूर करना
"एकाधिक संकटों को दूर करने हेतु मिलकर काम करना" पर छठा सत्र एक खुला मंच था जिसमें आठ देशों तथा सात अंतरराष्ट्रीय संगठनों के नेताओं को खाद्य, स्वास्थ्य, विकास व लिंग के मुद्दों पर चर्चा करने हेतु बुलाया गया था।[10] भाग लेने वाले देशों तथा संगठनों ने पुष्टि की कि वे एसडीजी के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में लगातार काम करते रहेंगे। भाग लेने वाले देशों और संगठनों ने तत्काल खाद्य संकट से मुकाबला करने और खाद्य सुरक्षा को लचीला बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला।
परिणामस्वरूप, -जी7 के नेताओं और आमंत्रित देशों तथा संगठनों ने मिलकर "लचीली वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए हिरोशिमा एक्शन स्टेटमेंट" जारी किया।[11] एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि "जी7 हिरोशिमा विजन फॉर इक्विटेबल एक्सेस टू मेडिकल काउंटरमेशर्स" में निर्धारित सिद्धांत थे, जिसमें प्रतिभागियों से "सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज" हासिल करने की दिशा में सहकारी प्रयास करने का आह्वान किया गया था।[12]
लैंगिक समानता के संदर्भ में, चर्चाओं में भाग लेने वाले देशों ने आपदा जोखिम में कमी, महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता, विकासशील देशों में महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण, यौन व लिंग आधारित हिंसा का मुकाबला करना, और सभी मंत्रिस्तरीय बैठकों के ज़रिए लिंग को मुख्यधारा में लाने सहित "महिला, शांति एवं सुरक्षा (डब्ल्यूपीएस)" एजेंडे को बढ़ावा देने जैसे कई प्रयासों को समन्वयित करने पर प्रतिक्रिया दी।[13]
इसके अलावा, चूंकि डब्ल्यूटीओ का 13वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 26 फरवरी, 2024 से अबू धाबी, यूएई में आयोजित किया जाना है, इसलिए इसमें भाग लेने वाले देशों और संगठनों ने पुष्टि की कि वे डब्ल्यूटीओ सुधार सहित व्यापार से संबंधित चुनौतियों से निपटेंगे।
लचीली और सतत पृथ्वी
"पृथ्वी को लचीला और सतत बनाने के साझा प्रयास" पर सातवां सत्र भी एक खुला मंच था जिसमें आठ आमंत्रित देशों और सात अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ जी7 नेताओं ने हिस्सा लिया था।[14] इसमें, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा व पर्यावरण से संबंधित महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों को संबोधित किया गया। विभिन्न मुद्दें में नेट जीरो के साझा लक्ष्य को हासिल करने के महत्व पर परस्पर अभिसरण सबसे अहम था।
सभी प्रतिभागियों ने सहमति व्यक्त की है कि आर्थिक विकास में किसी भी बाधा को रोकने हेतु प्रत्येक देश की स्थिति के अनुसार नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा-बचत प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करने के लिए अधिकतम प्रयास की आवश्यकता है। यह भी पुष्टि की गई कि प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने, जैव विविधता की रक्षा, वनों की सुरक्षा व समुद्री प्रदूषण को संबोधित करने के लिए ठोस प्रयास किए जाएंगे।[15]
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की
जी7 लीडर्स समिट में "यूक्रेन" पर आयोजित आठवें सत्र में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की भी बैठक में शामिल हुए। यह सत्र केवल जी7 नेताओं और यूक्रेन के राष्ट्रपति के बीच हुआ था। हालाँकि, भारत सहित कई आमंत्रित देशों ने राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ औपचारिक तथा अनौपचारिक रूप से अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें कीं। जी7 नेताओं ने यूक्रेन को राजनयिक, वित्तीय, मानवीय तथा सैन्य सहायता देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और यूक्रेन में शांति बहाल करने तथा कानून व्यवस्था के आधार पर स्वतंत्र व खुली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के अपने दृढ़ संकल्प की पुष्टि की।[16]
शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध विश्व की ओर
वर्तमान भू-राजनीतिक उथल-पुथल के संदर्भ में, अंतिम सत्र "शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध दुनिया की ओर" विषय पर आधारित था, जिसमें जी7 नेताओं, आठ आमंत्रित देशों और सात अंतरराष्ट्रीय संगठनों के यूक्रेन के राष्ट्रपति स्वयः उपस्थिति रहे, जिस वजह से यह बेहद खास सत्र था। इस दौरान चर्चा का मुख्य विषय दुनिया भर के समाजों द्वारा सामना की जाने वाली शांति और स्थिरता की चुनौतियों के प्रति प्रतिक्रियाएं थीं।
चर्चा का मुख्य ध्यान इस बात पर था कि कानून के प्रशासन के आधार पर स्वतंत्र और खुले अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कायम रखते हुए यूक्रेन में संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करने की अपील के साथ दुनिया के किसी भी हिस्से में यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास कैसे अस्वीकार्य है। सत्र की बैठक में "परमाणु निरस्त्रीकरण पर जी7 नेताओं के हिरोशिमा विजन" को अपनाकर "दुनिया को परमाणु हथियार मुक्त बनाने" की दिशा में यथार्थवादी प्रयासों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।[17] नेताओं ने इंडो-पैसिफिक और अफ्रीका सहित अंतर्राष्ट्रीय समाज से संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने वाले संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करने वाले सभी देशों के महत्व को पहचानने की अपील की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि किसी भी विवाद का समाधान बातचीत के ज़रिए शांतिपूर्वक तरीके से किया जाना चाहिए।
जी7 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी और मध्यवर्तन
भारत जापान द्वारा हिरोशिमा में जी7 नेताओं के शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किए गए आठ देशों में से एक था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्र : एकाधिक संकटों को संबोधित करना, लचीली एवं सतत पृथ्वी, और शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध दुनिया की ओर में बात की। उनके मध्यवर्तन के विचारों की जी7 के सभी प्रतिभागियों ने सराहना की।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "एकाधिक संकटों को संबोधित करना" पर सत्र में बात की और वैश्विक खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और विकास पर अपने सुझाव दिए। उन्होंने एक ऐसी समावेशी खाद्य प्रणाली का सृजन करने की आवश्यकता का उल्लेख किया जो कमजोर लोगों, विशेषतः सीमांत किसानों पर ध्यान केंद्रित करती है तथा इसमें उन्हें प्राथमिकता दी जाती हो।[18] प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक उर्वरक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने तथा राजनीतिक बाधाओं व विस्तारवादी मानसिकता को दूर करने का सुझाव दिया। इसके अलावा, उन्होंने उर्वरकों के विकल्प के रूप में प्राकृतिक खेती में खोज करने का भी सुझाव है। दुनिया भर के किसानों को लाभान्वित करने हेतु डिजिटल तकनीक का उपयोग करने पर भी भारत के प्रधानमंत्री ने जोर दिया। चूंकि संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को बाजरा का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया था, प्रधानमंत्री मोदी ने पोषण, जलवायु परिवर्तन, जल संरक्षण एवं खाद्य सुरक्षा के समाधान के रूप में बाजरा को लेकर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन तथा दवा की उपलब्धता को लेकर हुई राजनीति पर विचार करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल स्वास्थ्य और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज का लक्ष्य रखते हुए "वन अर्थ - वन हेल्थ" के सिद्धांत वाली लचीली स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को प्राथमिकता देने के महत्व पर प्रकाश डाला। सहयोग तथा मानवता की सेवा हेतु आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टरों और नर्सों के आदान-प्रदान का भी सुझाव दिया गया। इसके अलावा, विकास मॉडल पर पुनर्विचार एवं प्राकृतिक संसाधनों, विकास, प्रौद्योगिकी और लोकतंत्र के समग्र उपयोग पर मिलकर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जी20 और जी7 एजेंडा को जोड़ने से ग्लोबल साउथ की आशाओं तथा अपेक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।
भारत ने "रेसिलिएंट एंड सस्टेनेबल प्लैनेट (लचीली एवं सतत पृथ्वी)" सत्र में भी अपने विचार साझा किए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवल ऊर्जा संबंधी विचारों से परे जलवायु परिवर्तन पर परिप्रेक्ष्य को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।[19] भारत ने इस विषय पर अपने द्वारा उठाए गए कुछ कदमों पर प्रकाश डाला जैसे कि मिशन लाइफ, इंटरनेशनल सोलर एलायंस, कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर, मिशन हाइड्रोजन, बायोफ्यूल एलायंस और बिग कैट एलायंस। प्रधानमंत्री मोदी ने सतत विकास को बढ़ावा देने हेतु पानी बचाने के तरीकों को अपनाने वाले किसानों से कृषि क्षेत्र में भारत द्वारा की गई प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के भारत के उद्देश्य को भी रेखांकित किया, जिसमें रेलवे नेटवर्क 2030 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य रखता है। उन्होंने कहा कि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता 2030 तक लगभग 500 मेगावाट तक बढ़ने वाली है।
"एक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध दुनिया की ओर" सत्र में, प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीतिक या आर्थिक दृष्टिकोण के बजाय मानवीय दृष्टिकोण से विवादों तथा समस्याओं को दूर करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारत के विचारों को सामने रखा।[20] उन्होंने सीमित संसाधनों वाले विकासशील देशों पर संकटों के असंगत प्रभाव के कारण बढ़ते संघर्षों को हल करने के एकमात्र साधन के रूप में कूटनीति और संवाद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
प्रधानमंत्री मोदी ने शांति बनाए रखने और संघर्षों को रोकने में और मौजूदा वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने और ग्लोबल साउथ की आवाज बनने के आह्वान के साथ संयुक्त राष्ट्र (यूएन) जैसे वैश्विक संस्थानों की प्रभावशीलता और इन संस्थानों में ठोस सुधारों की आवश्यकता पर भी सवाल उठाए। यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयासों के खिलाफ बोलने की आवश्यकता के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून, संप्रभुता और सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के महत्व की वकालत की।
भारत और जापान दोनों में प्रसिद्ध भगवान बुद्ध की शिक्षाओं पर ध्यान आकर्षित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने शांतिपूर्ण साधनों और संवाद के ज़रिए मौजूदा समस्याओं के समाधान खोजने के महत्व पर बल दिया।
चीन पर जी7 नेताओं का बयान
हिरोशिमा शिखर सम्मेलन के अंत में, जी7 नेताओं ने अपनी वैश्विक प्रतिबद्धता को दर्शाने हेतु एक विज्ञप्ति जारी की। पहले के सत्रों में शामिल किए गए मुद्दों और चुनौतियों के अलावा, विज्ञप्ति में क्षेत्रीय मामलों के संदर्भ में महत्वपूर्ण बातें हैं। उदाहरण के लिए, विज्ञप्ति से पता चलता है कि जी7 भागीदार चीन के साथ रचनात्मक तथा स्थिर संबंध बनाने हेतु तैयार हैं, चीन के साथ खुलकर बातचीत करने और सीधे तौर पर अपनी चिंता व्यक्त करने के महत्व को समझते हैं।[21] समूह अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी भूमिका और अपनी अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए वैश्विक चुनौतियों के साथ-साथ सामान्य हित के क्षेत्रों में चीन के साथ सहयोग करने की आवश्यकता को स्वीकार करता है।
इसके साथ ही, दस्तावेज़ में चीन से राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन और कांसुलर संबंधों पर वियना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों के अनुसार कार्य करने और समुदायों की सुरक्षा, लोकतांत्रिक संस्थानों की अखंडता और आर्थिक समृद्धि को कम करने के उद्देश्य से हस्तक्षेप न करने का आह्वान किया गया है। जी7 चीन को क्षेत्रीय अखंडता और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और उद्देश्यों के आधार पर यूक्रेन के साथ सीधी बातचीत के ज़रिए एक व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति का समर्थन करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है।
इस दस्तावेज़ में पूर्व और दक्षिण चीन सागर में बल या ज़बरदस्ती द्वारा यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयासों को लेकर गंभीर चिंताएँ उठाई गई है। इसके अलावा, यह पुन: पुष्टि करता है कि क्रॉस-स्ट्रेट मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान के आह्वान के साथ ताइवान स्ट्रेट में शांति तथा स्थिरता अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सुरक्षा एवं समृद्धि के लिए अपरिहार्य है। जी7 नेताओं ने तिब्बत और झिंजियांग सहित चीन में मानवाधिकारों की स्थिति पर अपनी चिंताओं को व्यक्त करते रहने की बात कही है। जी7 नेताओं ने चीन से चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणापत्र और कानून के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने का भी आह्वान किया, जो हांगकांग के अधिकारों, स्वतंत्रता एवं उच्च स्तर की स्वायत्तता को सुनिश्चित करता है।
चीन की प्रतिक्रिया
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जी7 नेताओं के वक्तव्य पर कड़ी टिप्पणी की। प्रवक्ता की टिप्पणी में कहा गया कि "ताइवान चीन का ताइवान है", और ताइवान चीन का मसला है, जिसे चीनियों द्वारा हल किया जाना है।[22] प्रवक्ता ने कहा कि झिंजियांग, तिब्बत और हांगकांग चीन का आंतरिक मामला है और इन मामलों में बाहरी ताकतों के किसी भी तरह के हस्तक्षेप का कड़ा विरोध किया जाएगा। प्रवक्ता ने टिप्पणी की कि पूर्व और दक्षिण चीन सागर पूरी तरह से स्थिर बने हुए हैं और संबंधित देशों को क्षेत्रीय देशों के बीच दरार पैदा करने और ब्लॉक टकराव को उकसाने के लिए समुद्री मुद्दों का उपयोग करना बंद कर देना चाहिए। टिप्पणी निम्नलिखित बयान के साथ समाप्त की गई: "हम जी7 के सदस्यों से आग्रह करते हैं कि वे समय का बहाव समझे, अपने देश में मौजूद विभिन्न मुद्दों को संबोधित करने पर ध्यान दें, विशेष ब्लॉक बनाने हेतु समूह बनाना बंद करें, अन्य देशों को शामिल करें, ब्लॉक टकराव पैदा करना और भड़काना बंद करें, और बातचीत और सहयोग के सही रास्ते पर आएं।[23]
रूस की प्रतिक्रिया
20 मई 2023 को, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि हिरोशिमा शिखर सम्मेलन में जी7 नेताओं द्वारा अपनाए गए निर्णयों का उद्देश्य "रूस एवं चीन पर दोहरा नियंत्रण" था।[24] रूसी संघ के विदेश मंत्रालय (एमएफए) ने 21 मई 2023 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें जी7 पर "अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में खटास ड़ालने के उद्देश्य से राजनीतिक निर्णय लेने" का आरोप लगाया गया।[25] शिखर सम्मेलन में यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को आमंत्रित करने के निर्णय की भी रूस ने आलोचना की। राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की की उपस्थिति को रूस की "रणनीतिक हार" दर्शाने का जी7 का प्रयास कह गया, और हिरोशिमा शिखर सम्मेलन को "अल्टीमेट प्रॉपगेंडा शो" कहा गया।[26]
रूस द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में वाशिंगटन पर अपने सहयोगियों को यूक्रेन पर सैन्य खर्च बढ़ाने हेतु मजबूर करने का आरोप लगाया, जिससे यूरोपीय संघ के राष्ट्रों में शरणार्थियों को रखने की जिम्मेदारी के बोझ को भी बढ़ता है, साथ ही वाशिंगटन के सहयोगियों को केवल अमेरिकी गैस आपूर्ति पर निर्भर होने हेतु मजबूर करता है। प्रेस विज्ञप्ति में वाशिंगटन पर खुले तौर पर संरक्षणवादी नीति अपनाने का भी आरोप लगाया गया, जिसका उद्देश्य हाई-टेक क्षेत्र में औद्योगिक एवं कच्चे माल के नियंत्रण प्राधिकरण में जी7 भागीदारों की जगह लेना है।
जी7 द्वारा हरित प्रौद्योगिकियों की शुरूआत को रूस द्वारा अविश्वसनीय करार दिया गया है। रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, ऐसी प्रौद्योगिकियां केवल उच्च आय वाले देशों द्वारा ही वहन की जा सकती हैं, लेकिन वर्षों से ऊर्जा की कमी से जूझ रहे देशों पर इसे लागू करने से केवल उनकी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के सतत विकास को नुकसान होगा। जी7 पर रूस की यह प्रतिक्रिया हिरोशिमा शिखर सम्मेलन के फैसलों पर उसके असंतोष को दर्शाती है और उनके उस विचारों को दर्शाती है कि जी7 मंच एशिया-पैसिफिक क्षेत्र, दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के सामूहिक हितों की आवाज नहीं है।[27]
निष्कर्ष
जी7 हिरोशिमा लीडर्स समिट की वजह से समूह को एक नया उद्देश्य मिला। जी7 अपने सबसे अच्छे उपलब्ध वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर अपने संसाधनों का उपयोग करके वैश्विक समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण और सुरक्षा हेतु प्रतिबद्ध है। इसके अलावा, जी7 पर्यावरणीय लक्ष्यों, आर्थिक लचीलापन एवं सुरक्षा पर काम कर रहा है, जिसमें स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था की कार्य योजना, वैश्विक अवसंरचना निवेश, परमाणु निरस्त्रीकरण और वैश्विक खाद्य सुरक्षा शामिल है।
जी7 ने हिरोशिमा लीडर्स समिट में वैश्विक चुनौतियों से निपटने तथा ग्लोबल साउथ पर अधिक ध्यान देने के साथ अंतरराष्ट्रीय साझेदारी और ठोस कार्रवाइयों के ज़रिए भविष्य को बेहतर बनाने की समूह की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। भारत, इंडोनेशिया और वियतनाम सहित ग्लोबल साउथ के नेताओं, जिन्होंने जी7 लीडर्स समिट में यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता की, ने ग्लोबल साउथ के बढ़ते राजनयिक प्रभाव तथा विश्वास को रेखांकित किया।
चीन के प्रतिकूल व्यवहार पर गंभीर चिंता जताने से यह भी पता चला है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के मामले में जी7 कैसे आगे बढ़ेगा। यूक्रेन-रूस संघर्ष को देखते हुए, प्रतीत होता है कि जी7 अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में यूएनएससी की प्रभावशीलता पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। जी7 में एकमात्र एशियाई सदस्य देश और फोरम के वर्तमान अध्यक्ष, जापान ने ग्लोबल साउथ द्वारा सामने रखे गए इस अंतराल को दूर करने में विश्व स्तर पर प्रभावशाली भूमिका निभाई है।
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*डॉ. तुंचिनमंग लंगेल, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण : यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[1] The White House. “Quad Leaders’ Summit Fact Sheet,” 20 May 2023, https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2023/05/20/quad-leaders-summit-fact-sheet/ (Accessed 21 May 2023).
[2] The White House. “Quad Leaders’ Summit Fact Sheet,” 20 May 2023, https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2023/05/20/quad-leaders-summit-fact-sheet/ (Accessed 21 May 2023).
[3] The White House. “Quad Leaders’ Summit Fact Sheet,” 20 May 2023, https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2023/05/20/quad-leaders-summit-fact-sheet/ (Accessed 21 May 2023).
[4] Ministry of Foreign Affairs of Japan. “Session 1 (Working Lunch) Toward an International Community Characterized by Cooperation, not Division and Confrontation / Global Economy),”19 May 2023, https://www.mofa.go.jp/ecm/ec/page1e_000673.html (Accessed 21 May 2023).
[5] Ministry of Foreign Affairs of Japan. “G7 Leaders’ Statement on Ukraine,” 19 May 2023, https://www.mofa.go.jp/files/100506391.pdf (Accessed 21 May 2023).
[6] https://www.mofa.go.jp/files/100506878.pdf
[7] Ministry of Foreign Affairs of Japan. “Session 5 Economic Resilience and Economic Security,”20 May 2023, https://www.mofa.go.jp/ecm/ec/page1e_000686.html (Accessed 21 May 2023).
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[9] Ministry of Foreign Affairs of Japan. “Session 5 Economic Resilience and Economic Security,”20 May 2023, https://www.mofa.go.jp/ecm/ec/page1e_000686.html (Accessed 21 May 2023).
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[18] Ministry of External Affairs. “English translation of Prime Minister’s opening statement at the Working session 6 of the G7 Summit,” 20 May 2023, https://mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/36566/English_translation_of_Prime_Ministers_opening_statement_at_the_Working_session_6_of_the_G7_Summit (Accessed 26 May 2023).
[19] Ministry of External Affairs. “English translation of Prime Minister’s opening statement at the Working session 7 of the G7 Summit,” 20 May 2023, https://mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/36567/English+translation+of+Prime+Ministers+opening+statement+at+the+Working+session+7+oftheG7Summit (Accessed 26 May 2023).
[20] Ministry of External Affairs. “English translation of Prime Minister’s opening statement at the Working session 7 of the G7 Summit,” 20 May 2023, https://mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/36567/English+translation+of+Prime+Ministers+opening+statement+at+the+Working+session+7+oftheG7Summit (Accessed 26 May 2023).
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[22] Ministry of Foreign Affairs of the People’s Republic of China. “Foreign Ministry Spokesperson’s Remarks on G7 Hiroshima Summit’s Hyping up of China-related Issues,” 20 May 2023, https://www.fmprc.gov.cn/mfa_eng/xwfw_665399/s2510_665401/2535_665405/202305/t20230520_11080748.html (Accessed 23 May 2023).
[23] Ministry of Foreign Affairs of the People’s Republic of China. “Foreign Ministry Spokesperson’s Remarks on G7 Hiroshima Summit’s Hyping up of China-related Issues,” 20 May 2023, https://www.fmprc.gov.cn/mfa_eng/xwfw_665399/s2510_665401/2535_665405/202305/t20230520_11080748.html (Accessed 23 May 2023).
[24] The Ministry of Foreign Affairs of the Russian Federation. “Press release on G7,” 21 May 2023, https://mid.ru/en/foreign_policy/news/1871538/ (Accessed 26 May 2023).
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[26] The Ministry of Foreign Affairs of the Russian Federation. “Press release on G7,” 21 May 2023, https://mid.ru/en/foreign_policy/news/1871538/ (Accessed 26 May 2023).
[27] The Ministry of Foreign Affairs of the Russian Federation. “Press release on G7,” 21 May 2023, https://mid.ru/en/foreign_policy/news/1871538/ (Accessed 26 May 2023).