7 मई, 2023 को, संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए), भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) ने रियाद में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) से भेंट की। एनएसए की बैठक सऊदी अरब के साथ अमेरिकी संबंधों की मरम्मत करने, इजरायल के साथ सऊदी संबंधों के सामान्यीकरण को सुविधाजनक बनाने और क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के संपर्क का विस्तार करने पर केंद्रित थी। मुख्य रूप से, बुनियादी ढांचा परियोजना के संदर्भ में, संयुक्त राज्य अमेरिका के एनएसए ने रेलवे के नेटवर्क के माध्यम से खाड़ी (संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब), अरब (जॉर्डन) देशों और इजरायल को जोड़ने के लिए संयुक्त बुनियादी ढांचा परियोजना पर जोर दिया, जो इस क्षेत्र में बंदरगाहों से शिपिंग लेन के माध्यम से भारत से जुड़ा होगा। इज़राइल ने पहली बार 14 जुलाई, 2022 को आयोजित I2U2 उद्घाटन आभासी बैठक के दौरान संयोजकता और संयुक्त बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए इस विचार का प्रस्ताव रखा1। यह परियोजना पश्चिम और दक्षिण एशिया के बीच संयोजकता के संबंध में एक गेम चेंजर साबित होगी। परियोजना में भागीदार देशों के हित विविध हैं और उनके राष्ट्रीय हितों को पूरा करने से संबंधित हैं। अपनी रिपोर्ट में, एक अमेरिकी डिजिटल समाचार आउटलेट, एक्सियोस ने कहा कि परियोजना का उद्देश्य "क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करना है2। जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करना चाहता है और इजरायल और सऊदी अरब के बीच तालमेल को बढ़ावा देना चाहता है, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब अपनी आर्थिक, सुरक्षा और भू-रणनीतिक विदेश नीतियों में व्यावहारिकता का पालन करना चाहते हैं। भारत के लिए, यह पश्चिम एशिया, यूरोप और अफ्रीका के लिए अधिक संयोजकता प्रदान करता है। फिर भी, परियोजना निस्संदेह संयोजकता के मामले में देशों को लाभान्वित करेगी। शोध-पत्र का उद्देश्य संयुक्त रेलवे नेटवर्क और इसके प्रभावों पर चर्चा करना है।
स्त्रोत:http://surl.li/ifzdv
संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के हितों की पहचान करना
इस क्षेत्र में अमेरिका का तालमेल उस जमीन को पुनः प्राप्त करना है जो वह चीन से खो रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका इस परियोजना को लागू करने की इच्छा रखता है क्योंकि यह सऊदी अरब के साथ संबंधों को सुधारने में मदद करेगा3। इस क्षेत्र से अमेरिका के कथित विघटन ने सऊदी अरब को चीन के करीब धकेल दिया है। सऊदी अरब और यूएई दोनों बीआरआई परियोजनाओं में संलग्न हैं। इसके अलावा, चीन द्वारा सऊदी अरब-ईरान समझौते की मध्यस्थता के बाद से अमेरिका की चिंताएं बढ़ गई हैं। विशेष रूप से, रियाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बैठक 10 मार्च, 2023 को ईरान और सऊदी अरब के बीच चीन की मध्यस्थता वाले सौदे पर हस्ताक्षर करने के बाद आयोजित की गई थी। इस संदर्भ में, संयुक्त रेलवे परियोजना संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए न केवल अरब दुनिया के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण हो गई है, बल्कि अरब राज्यों के बीच इस धारणा को भी खारिज कर दिया है कि यह पश्चिम एशिया से अलग हो रहा है। यह परियोजना क्षेत्रीय एकीकरण के लिए पश्चिम एशिया में राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन की रणनीति के स्तंभों में से एक है। परियोजना के माध्यम से, संयुक्त राज्य अमेरिका दक्षिण और पश्चिम एशिया को जोड़ना चाहता है और अपनी वित्तीय, तकनीकी और राजनयिक शक्ति को आगे बढ़ाना चाहता है। इसके अलावा, राष्ट्रपति बिडेन इस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा पहल के माध्यम से इजरायल और सऊदी अरब के बीच संबंधों के संभावित सामान्यीकरण को लाना चाहते हैं।
जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका का एजेंडा चीन का मुकाबला करके इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को पुनः प्राप्त करना प्रतीत होता है, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा और प्रचार के आधार पर व्यावहारिकता दिखा रहे हैं। दोनों देश अपनी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने और तेल से हरित ऊर्जा संसाधनों तक अपनी अर्थव्यवस्था के आधार के विविधीकरण में अधिक रुचि रखते हैं। उन्होंने पहले ही अपने देशों को जोड़ने के लिए आंतरिक रेल नेटवर्क का निर्माण किया है। पश्चिम एशिया क्षेत्र की बदलती भू-राजनीति को देखते हुए, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और इज़राइल ने 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे इजरायल के साथ अरब दुनिया के संबंधों का सामान्यीकरण हुआ। सऊदी अरब ने क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए मई 2023 में सीरिया को अरब दुनिया में वापस लाने की पहल की। सऊदी अरब और यूएई ने महसूस किया है कि उच्च तीव्रता वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से क्षेत्रीय संयोजकता के लिए क्षेत्रीय राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा की आवश्यकता है। रियाद बैठक के बाद, सऊदी अरब ने एक बयान जारी किया जो क्षेत्र में आर्थिक विकास और स्थिरता पर केंद्रित है4।
भारत के लिए, नई रेलवे बुनियादी ढांचा परियोजना अफ्रीका, पश्चिम एशिया और यूरोप से व्यापार प्रवाह के अधिक महत्वपूर्ण हिस्से पर कब्जा करने का एक उल्लेखनीय अवसर प्रदान कर सकती है। चीन की मध्यस्थता में सऊदी अरब और ईरान के बीच हुए मेल-मिलाप का पश्चिम एशिया में भारत के हितों, विशेषकर उसकी ऊर्जा सुरक्षा पर संभावित प्रभाव पड़ सकता है। संयोजकता के संबंध में, परियोजना यूरोप तक पहुंचने के लिए उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे और स्वेज नहर के अलावा भारत के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करती है। इससे भारत को इजरायल के उत्तरी शहर बेत शीआन और फिर हाइफा बंदरगाह तक सामान भेजने में मदद मिलेगी। वहां से यूरोप के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक ग्रीस के पिरियस पोर्ट पर माल भेजा जाएगा, जहां से भारत पूरे यूरोपीय महाद्वीप तक पहुंच सकता है।
इसके अलावा, परियोजना कच्चे तेल के तेज संचलन को सुकर करेगी और लंबी अवधि में भारत की लागत को कम करेगी। मुंबई को इजरायल में हाइफा के माध्यम से ग्रीस में पिरियस बंदरगाह से जोड़ने वाली यह संयुक्त रेलवे मुंबई से पिरियस तक पारगमन समय को 17 से 10 दिनों तक कम कर देगी5। यह परियोजना यूरोप और एशिया को जोड़ने के लिए नेटवर्क बनाने के लिए भारतीय रेलवे की मानव संसाधन क्षमता का उपयोग करेगी6। संयोजकता परियोजना में पश्चिम एशिया क्षेत्र की खाद्य सुरक्षा में योगदान करने की क्षमता है।
संयुक्त रेलवे परियोजना की प्रतिक्रिया
संदेहियों ने परियोजना के बारे में संदेह व्यक्त किया है। उदाहरण के लिए, सऊदी अरब में पूर्व अमेरिकी राजदूत, चास फ्रीमैन ने इस योजना को "एक गंभीर बुनियादी ढांचा पहल के बजाय एक काल्पनिक विदेश नीति" के रूप में वर्णित किया। फ्रीमैन ने परियोजना की व्यावहारिकता और वित्तपोषण पर भी प्रश्न उठाया, यह देखते हुए कि अमेरिका रेलवे के निर्माण के लिए नहीं जाना जाता था7।
परियोजना के वित्तपोषण के संबंध में, एक रोडमैप जारी किया जाना बाकी है, जो परियोजना के लिए संसाधनों को पूल करने के लिए तंत्र स्थापित करेगा। सऊदी अरब और यूएई ने परियोजना पर अब तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। अंत में, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये खाड़ी देश बीआरआई में सक्रिय भागीदार हैं। 2022 में, चीन ने एक नया रेलवे ट्रैक बनाया जो अपने निंगक्सिया प्रांत को पश्चिम एशिया से जोड़ता था। यह ईरान के लिए पहली सी-रेल इंटरमॉडल मालगाड़ी है। यह कजाकिस्तान, कैस्पियन सागर और ईरान से होकर गुजरती है8। इसके अलावा, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक संपादकीय प्रकाशित किया जिसमें कहा गया है कि "आई2यू2, क्वाड और एयूकेयूएस के साथ मिलकर चीन को रोकने के लिए अमेरिका की वैश्विक रणनीति का गठन करता है"9। चीन समर्थक मीडिया परियोजना की व्यवहार्यता और परिचालन क्षमता की आलोचना कर रहा है।
परियोजना के लिए मूलभूत बाधाओं में से एक यह है कि इजरायल अभी तक इसका हिस्सा नहीं बना है क्योंकि इस क्षेत्र के देशों, विशेष रूप से सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों के सामान्यीकरण की कमी है। परियोजना सार्वजनिक और निजी भागीदारी पर आधारित होगी जिसके लिए संसाधनों को जुटाने के लिए तंत्र की आवश्यकता होगी।
निष्कर्ष
फिर भी, यह परियोजना संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा एक नियम-आधारित विश्व व्यवस्था की रक्षा और बढ़ावा देने का एक गंभीर प्रयास है। सहयोग पर आधारित एक संयुक्त पहल आर्थिक विकास, क्षेत्रीय सुरक्षा और संयोजकता को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा तरीका है। यह खाड़ी देशों, अरब देशों और भारत के बीच आर्थिक संबंधों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ा सकता है।
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*डॉ. अरशद, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण : यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद-टिप्पणियां
[1] I2U2 भारत, इज़राइल, संयुक्त राज्य अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात का एक मंच है जो "जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में संयुक्त निवेश और नई पहल" पर सहयोग सुनिश्चित करता है।
2 व्हाइट हाउस ने 14 जुलाई, 2022 को http://surl.li/ifzal कहा, "भारत, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात के नेताओं का संयुक्त वक्तव्य।
3 “स्कूप: अमेरिका, सऊदी अरब, अन्य मध्य पूर्व को जोड़ने वाली रेलवे परियोजना पर चर्चा करेंगे," AXIOS, 7 मई, 2023, http://surl.li/ifzac, 6 जून, 2023 को अभिगम्य।
4 “जमाल काशोग्गी की हत्या के लिए जवाबदेही, “अमेरिकी विदेश विभाग, 26 फरवरी, 2021, http://surl.li/ifzbw, 16 जून, 2023 को अभिगम्य।
5 अमेरिका, यूएई और भारत के एनएसए की बैठक पर सऊदी अरब का बयान, एएनआई, 8 मई, 2023, https://twitter.com/ANI/status/1655554976431869952, 17 जून, 2023
6 “पश्चिम एशिया में भू-अर्थशास्त्र और विवर्तनिक बदलाव,” द ट्रिब्यून, 12 मई, 2023, http://surl.li/ifzcq, 12 जून, 2023 को अभिगम्य।
7 भारत पश्चिम एशिया के लिए अमेरिकी रेल लिंक योजना में शामिल होगा,'' इंडिया टाइम्स, 10 मई, 2023, http://surl.li/ifzce, 16 जून, 2023 को अभिगम्य।
8 क्या अमेरिकी रेल योजना मध्य पूर्व के राज्यों को चीन की बेल्ट और रोड से दूर कर सकती है?'' साउथ चाइना मॉनिटरिंग पोस्ट, 21 मई, 2023, http://surl.li/ifzcy, 12 जून, 2023 को अभिगम्य।
9 “नया रेलवे ट्रैक चीन के निंग्ज़िया को मध्य पूर्व से जोड़ता है, "स्टेट काउंसिल: द पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, 30 जून, 2022, http://surl.li/ifzdf, 12 जून, 2023 को अभिगम्य।
10 “अमेरिकी रेलवे की योजना महज़ नकल है, मध्य पूर्व से समर्थन प्राप्त करना कठिन है,” ग्लोबल टाइम्स, 8 मई, 2023 http://surl.li/ifzdl, 12 जून, 2023 को अभिगम्य.