वर्ष 2024 की शुरुआत में, हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका क्षेत्र में एक बड़ी राजनयिक उथल-पुथल देखने को मिली, क्योंकि 1 जनवरी 2024 को इथियोपिया ने सोमालिया से अलग हुए क्षेत्र सोमालीलैंड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते से जमीन से घिरे इथियोपिया को अगले पांच दशकों तक सोमालीलैंड तट के साथ-साथ 20 किलोमीटर तक सीधी समुद्री पहुंच मिली, जहां वह एक नौसैनिक अड्डा बनाने पर विचार कर रहा है।[i] इसके बदले में, सोमालीलैंड को राज्य संचालित इथियोपियाई एयरलाइंस में हिस्सेदारी मिलेगी और एक संप्रभु स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में इसको औपचारिक मान्यता प्राप्त होगी। इथियोपिया के राष्ट्रपति के अनुसार, "समुद्र तक पहुंच हासिल करना एक अस्तित्वगत मुद्दा है और लाल सागर इथियोपिया की प्राकृतिक सीमा है।"[ii] हालाँकि, समझौता ज्ञापन से इथियोपिया और सोमालिया के बीच तनाव पैदा हो गया, क्योंकि सोमालिया सोमालीलैंड के स्वशासित क्षेत्र को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और सोमालीलैंड की किसी भी अंतरराष्ट्रीय मान्यता को सोमालिया की संप्रभुता पर हमला भी मानता है। इसलिए, सोमालिया ने इस समझौते का विरोध किया है और इसे इसे तत्काल रद्द करने का आह्वान किया है। यह घोषणा ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हुई है जब क्षेत्र में पहले से ही लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमले बढ़े हैं, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में समुद्री व्यापार एवं वाणिज्य में 80% तक कमी आ गई है।[iii]
इसलिए, यह समझना जरुरी हो जाता है कि यह समझौता इथियोपिया और सोमालीलैंड के लिए कितना महत्वपूर्ण है और इसका प्रभाव क्या होगा, साथ ही सामने आने वाली क्षेत्रीय गतिशीलता एवं वैश्विक प्रतिक्रियाएँ क्या हैं।
इथियोपिया के लिए समझौते का महत्व
सोमालीलैंड के साथ इथियोपिया का समझौता उसे लाल सागर तक पहुंच प्रदान करने का एक माध्यम था क्योंकि इथियोपिया की लंबे समय से महत्वाकांक्षा लाल सागर तक अपनी पहुंच में विविधता लाने की रही है। इसके अलावा, आर्थिक चिंताएँ भी समझौते को बनाएं रखने की राष्ट्रपति अबी के निर्णय का मूल कारण हैं, यह देखते हुए कि विगत कुछ वर्षों में इथियोपियाई अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी और दो साल के टाइग्रे युद्ध की वजह से आर्थिक प्रतिबंध से काफी नुकसान हुआ है।[iv] इसके परिणामस्वरूप, इथियोपिया को ऋण में राहत के कई अनुरोध करने पड़े लेकिन फिर भी वह 2023 में बांड के भुगतान में चूक गया।
लाल सागर एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है जो पूर्वी अफ्रीका को मध्य पूर्व, यूरोप तथा एशिया से जोड़ता है। इससे व्यापार व निवेश भी सुविधाजनक बनाता है क्योंकि यह शिपिंग और व्यापार हेतु एक प्रमुख समुद्री गेटवे है और पूर्वी अफ्रीकी क्षेत्र के लिए विकास एवं स्थिरता के महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। हालाँकि, जब तीन दशक लंबे युद्ध के बाद 1993 में इरिट्रिया इथियोपिया से अलग हुआ, तो इथियोपिया ने लाल सागर तक अपनी सीधी पहुंच खो दी और दुनिया के सबसे बड़े भूमि से घिरे राष्ट्रों में से एक बन गया। इथियोपिया अपने व्यापार हेतु मस्सावा और असद जैसे इरिट्रिया बंदरगाहों पर तब तक निर्भर रहा जब तक कि 1998 में दोनों राष्ट्रों ने सीमा युद्ध लड़ने पर अपने संबंध तोड़ नहीं लिए, और इससे इथियोपिया के व्यापार, निवेश, परिवहन एवं अर्थव्यवस्था पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ा। तब से, इथियोपिया अपने मुख्य व्यापार माध्यम के रूप में जिबूती के बंदरगाह पर निर्भर रहा है, हालांकि, यह सालाना जिबूती को बंदरगाह शुल्क के रूप में लगभग 1.8 बिलियन डॉलर का भुगतान करता है क्योंकि यह इथियोपिया से 95% व्यापार का हिस्सा है जो इसके सकल घरेलू उत्पाद का 76% है। वर्ष 2022 में, इथियोपिया ने जिबूती सरकार से इस शुल्क को कम करने का अनुरोध किया, लेकिन जिबूती ने इससे इनकार कर दिया क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था इथियोपियाई शिपिंग शुल्क से प्राप्त किराए एवं सेवाओं पर निर्भर करती है।[v]
सोमालीलैंड रणनीतिक रूप से अदन की खाड़ी के दक्षिणी तट पर स्थित है। इथियोपियाई सरकार का माननाहै कि अगर इथियोपिया को इस समझौते से लाल सागर तक पहुंच मिलती है तो इससे उसे अपने व्यापार मार्गों में विविधता लाने में मदद मिल सकती है, जिससे जिबूती पर उसकी निर्भरता कम हो जाएगी, उसका व्यापार अधिक लचीला हो जाएगा और जिससे उसकी आर्थिक स्थिरता बढ़ेगी। इससे इथियोपिया को सऊदी अरब और यूएई जैसे लाल सागर से सटे राष्ट्रों के साथ मजबूत संबंध बनाने में भी मदद मिलेगी। इथियोपियाई सरकार के अनुसार, "यह समुद्र तक सुरक्षित पहुंच की इथियोपिया की आकांक्षा को साकार करने का मार्ग प्रशस्त करेगा...।"[vi] हालाँकि, 2005 में इथियोपिया और सोमालीलैंड ने बरबेरा बंदरगाह के इस्तेमाल पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए लेकिन इथियोपिया की ओर से लॉजिस्टिक संबंधी मदद की कमी के कारण यह समझौता कभी लागू नहीं हुआ। 2017 में भी, अमीराती लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट कंपनी के साथ समझौते के तहत इथियोपिया को बरबेरा बंदरगाह में 17% शेयर दिए गए थे। हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब इथियोपिया ने अपने बंदरगाह के उपयोग को लेकर सोमालीलैंड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन, सोमालिया की इस तरह की कड़ी प्रतिक्रिया का कारण यह है कि इथियोपिया सोमालिया से अलग हुए क्षेत्र सोमालीलैंड को एक संप्रभु स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देना चाहता है।
सोमालीलैंड के लिए समझौते का महत्व
सोमालीलैंड का मानना है कि इस समझौते से उसे बहुत अधिक लाभ होगा। सोमालीलैंड के सामने सामाजिक-आर्थिक चुनौतियाँ काफी अधिक हैं, यह देखते हुए कि इसकी अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर है और विदेशी निवेश के अवसर कम हैं। सोमालीलैंड की जीडीपी लगभग 2 बिलियन डॉलर है, जो दुनिया में चौथा सबसे कम है, जिसका अधिकांश हिस्सा प्रेषण से प्राप्त होता है।[vii]
1991 में सोमालिया से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा करने के बाद से सोमालीलैंड एक कार्यात्मक वस्तुतः राष्ट्र के रूप में काम कर रहा है, हालांकि इसे अभी भी अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है। सोमालीलैंड की सरकार का कहना है कि संप्रभुता हेतु उसका जोर इसपर आधारित है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून में उल्लिखित राष्ट्र की सभी अनिवार्यताओं को पूरा करता है। सोमालीलैंड की सरकार का तर्क है कि उसकी स्वतंत्रता की स्थिति औपनिवेशिक युग की सीमाओं का सम्मान करने के सिद्धांत पर आधारित है, जो क्षेत्रीय विवादों एवं संघर्षों से बचने हेतु औपनिवेशिक सीमाओं की शुचिता को बनाए रखने की अफ्रीकी संघ (एयू) की स्थिति के अनुरूप भी है और इसलिए अफ्रीकी संघ को सोमालीलैंड की सीमाओं को वैसे ही मान्यता देनी चाहिए जैसे वे उसकी स्वतंत्रता की संक्षिप्त अवधि के समय थीं।[viii] सोमालीलैंड को अंतरराष्ट्रीय मान्यता की कमी है, जिससे संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसकी भागीदारी प्रतिबंधित होती है। सोमालीलैंड की सरकार का कहना है कि एक संप्रभु स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में सोमालीलैंड की औपचारिक मान्यता उसके आर्थिक अवसरों एवं अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत सुरक्षा तक पहुंच को खोल देगी। अब तक, केवल ताइवान ने सोमालीलैंड को एक संप्रभु, स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी है। सोमालीलैंड के विदेश मंत्री एस्सा क्याद के अनुसार, "मान्यता के लिए हम काफी समय से लड़ रहे हैं और यह सबसे महत्वपूर्ण है जो हम सोमालीलैंड के लोगों को दे सकते हैं।"[ix] यह समझौता सोमालीलैंड को प्रति वर्ष 87 लाख टन से अधिक कार्गो के आवागमन की अनुमति देगा और इसके परिणामस्वरूप सोमालीलैंड अदन की खाड़ी में एक लॉजिस्टिक हब बन जाएगा।[x]
सोमालिया की स्थिति और क्षेत्र पर इसका प्रभाव
यह समझौता सोमालिया के अपने दो पड़ोसियों, इथियोपिया और सोमालीलैंड के साथ संबंधों को प्रभावित करने वाला है, जिनके साथ इसका लंबे समय से अंतर-क्षेत्रीय तनाव एवं संघर्ष रहा है। सोमालिया सरकार का कहना है कि सोमालीलैंड सोमालिया का एक स्वायत्त राज्य है और केवल सोमालियाई सरकार को ही अपनी जमीन विदेशी शक्तियों को पट्टे पर देने का अधिकार है।
सोमालिया का मानना है कि यह समझौता उसकी संप्रभुता का शत्रुतापूर्ण उल्लंघन है। सोमालिया सरकार का कहना है कि यह सोमालिया की संप्रभुता पर अब तक का सबसे बड़ा हमला है और इसके जवाब में सोमालिया ने इथियोपिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है और अफ्रीकी संघ तथा संयुक्त राष्ट्र से इस मुद्दे पर बैठक करने का अनुरोध किया है।[xi] सोमालिया के राष्ट्रपति के अनुसार, "एक सरकार के रूप में हमने हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता में इथियोपिया द्वारा किए गए सभी अवैध उल्लंघनों की निंदा की है और उन्हें खारिज कर दिया है...सोमालिया का एक इंच भी किसी के द्वारा लिया नहीं जा सकता है और न ही ऐसा किया जा सकता है।” [xii] सोमालिया सरकार का कहना है कि इथियोपिया के साथ बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है और अगर इथियोपिया ने समझौते को जारी रखा तो युद्ध की धमकी भी दी है। इस समझौते के परिणामस्वरूप सोमालिया और इथियोपिया के बीच संबंध ख़राब हो गए हैं।[xiii] दरअसल, सोमालिया ने पहले सैद बर्रे के शासनकाल में इथियोपिया के सीमावर्ती क्षेत्र ओगाडेन पर पुनः कब्ज़ा करने का प्रयास किया था। हालाँकि, इथियोपिया और सोमालिया के बीच सशस्त्र टकराव की संभावना काफी कम है क्योंकि इथियोपिया का सैन्य खर्च सोमालिया से तीन गुना अधिक है और दूसरी बात, इथियोपिया सोमालिया में अल शबाब से लड़ने वाले सोमालिया में अफ्रीकी संघ ट्रांजिशन मिशन (एटीएमआईएस) गठबंधन का हिस्सा है।[xiv] सोमालिया और इथियोपिया के बीच राजनयिक संबंध टूटने से इस क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इथियोपिया ने वर्तमान में सोमालिया में अफ्रीकी संघ के ट्रांजिशन मिशन के एक हिस्से के रूप में सोमालिया में लगभग 4000 सैनिकों को तैनात किया है और 2023 से अल शबाब का मुकाबला करने हेतु सोमालिया के साथ द्विपक्षीय समझौते के एक हिस्से के रूप में लगभग 1,000 सैनिकों को तैनात किया है। इथियोपिया की वापसी से दक्षिणी सोमालिया में अल शबाब के सुरक्षित ठिकानों को हटाने की सोमालिया की योजना काफी अधिक प्रभावित हो सकती है।[xv]
इसके अलावा, इस समझौते पर ऐसे समय पर हस्ताक्षर किए गए थे जब सोमालिया और सोमालीलैंड 28 दिसंबर, 2023 को जिबूती द्वारा प्रायोजित बातचीत को पुनः शुरू करने पर सहमत हुए थे। सोमालिया और सोमालीलैंड दोनों ने बातचीत पुनः शुरू करने और ऐसी नीतियों से बचने का फैसला किया था जिससे उनके द्विपक्षीय संबंध बाधित हो सकते थे। दोनों पक्ष अंतर्निहित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बातचीत करने और सोमालीलैंड के सियान और सनाग क्षेत्रों जैसे संघर्षों से प्रभावित क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर सहमत हुए थे।[xvi]
क्षेत्रीय गतिशीलता
ऐसी संभावना है कि इथियोपिया-सोमालीलैंड समझौते का व्यापक प्रभाव हो सकता है, क्योंकि इससे पहले से ही युद्ध और आतंकवाद से जूझ रहे क्षेत्र में नया तनाव पैदा हो गया है। अफ्रीकी संघ, अरब लीग और आईजीएडी जैसे क्षेत्रीय संगठनों ने इथियोपिया और सोमालिया के बीच प्रतिस्पर्धा और क्षेत्रीय स्थिरता पर इसके प्रभाव पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इथियोपिया और सोमालिया दोनों से संयम बरतने और इसका शांतिपूर्ण हल तलाशने हेतु सार्थक बातचीत करने का अनुरोध किया है। हालाँकि, सोमालियाई सरकार ने अब तक इथियोपिया के साथ किसी भी तरह की बातचीत करने से इनकार कर दिया है जब तक कि वह समझौते को वापस नहीं ले लेती है। इन क्षेत्रीय संगठनों को चिंता है कि यह गतिशिलता हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका में क्षेत्रीय अस्थिरता के एक और गठजोड़ को जन्म देगी या भविष्य में अलगाववादी आंदोलनों के लिए उदाहरण बनेगी। इस संदर्भ में क्षेत्रीय गतिशीलता पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, जिसमें इथियोपिया के मिस्र, जिबूती एवं इरिट्रिया जैसे पड़ोसी शामिल हैं।
मिस्र ने इस समझौते की निंदा की है और इसे सोमालिया की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है।[xvii] सोमालिया की क्षेत्रीय अखंडता हेतु मिस्र का समर्थन ग्रैंड इथियोपियाई रिनैसन्स डैम को लेकर इथियोपिया के साथ उसके बिगड़े संबंधों का परिणाम है और मिस्र इसे इथियोपिया के पड़ोसी सोमालिया के साथ अपने मौजूदा राजनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने का एक अवसर मानता है। यह स्वेज नहर की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के मिस्र के हित के अनुरूप है। स्वेज नहर मिस्र के राजस्व का एक प्राथमिक स्रोत है, जिससे प्रति वर्ष लगभग 9 बिलियन डॉलर का राजस्व होता है, यह देखते हुए कि लाल सागर स्वेज नहर का एक प्रमुख माध्यम है। इथियोपिया सोमालीलैंड समझौते से लाल सागर क्षेत्र और अस्थिर होगा, जहां पहले से ही हूती विद्रोहियों के हमलों की संख्या बढ़ी है। मिस्र के राष्ट्रपति के अनुसार, “हम किसी को भी सोमालिया को धमकी देने या उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करने नहीं देंगे।[xviii]
इसके अलावा, अगर इस समझौते को बरकरार रखा जाता है तो जिबूती को इथियोपियाई वार्षिक शुल्क खोने के अलावा व्यापारिक पारगमन में गिरावट का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि बंदरगाह और विदेशी सैन्य अड्डों से राजस्व जिबूती की आय का प्राथमिक स्रोत है। जिबूती इस बात से असंतुष्ट है कि सोमालीलैंड इथियोपिया का पसंदीदा समुद्री एवं व्यापारिक भागीदार बन गया है और इस समझौते से लगभग 2 बिलियन डॉलर का किराया कम हो जाएगा जो इथियोपिया अपने बंदरगाहों के माध्यम से इथियोपिया के लगभग 95% व्यापार को सुविधाजनक बनाने हेतु हर साल जिबूती को भुगतान करता था। इस प्रकार, इस समझौते के परिणामस्वरूप जिबूती और सोमालीलैंड के बीच तनाव बढ़ जाएगा, यह देखते हुए कि यह सौदा जिबूती की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा जो पहले से ही लाल सागर संकट के कारण जोखिम में है।
इरिट्रिया ने भी इथियोपिया के दावों को खारिज कर दिया है और जहां तक इथियोपिया सोमालीलैंड समझौते का सवाल है, वह सोमालिया का समर्थन कर रहा है, क्योंकि एक बड़े संघर्ष के बाद इथियोपिया से स्वतंत्रता हासिल करने के पश्चात, इरिट्रिया का मानना है कि इथियोपिया-सोमालिलैंड बंदरगाह समझौता उसकी क्षेत्रीय अखंडता के लिए एक संभावित खतरा है। इस समझौते इथियोपिया और इरिट्रिया के बीच तनाव फिर से बढ़ सकता है क्योंकि इथियोपिया सोमालीलैंड समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के कुछ ही दिनों बाद सोमालिया के राष्ट्रपति ने सुरक्षा वार्ता के लिए इरिट्रिया का दौरा किया था। जहां तक सुरक्षा वार्ता का सवाल है, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित किया।
बाहरी पक्षों की भूमिका
इसके अलावा, क्षेत्र में तुर्की और यूएई जैसे बाहरी पक्षों की भागीदारी से क्षेत्रीय तनाव और बढ़ेगा।
यूएई ने इथियोपिया और सोमालीलैंड के बीच हुए इस समझौते का समर्थन किया और कहा कि यह समझौता इथियोपिया और सोमालीलैंड के बीच सुरक्षा, आर्थिक एवं राजनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगा और लाल सागर क्षेत्र में एक शक्तिशाली पक्ष के रूप में इथियोपिया की स्थिति को मजबूत करेगा। यूएई ने 2016 में, दुबई स्थित फर्म डीपी वर्ल्ड ने पोर्ट बरबेरा को एक क्षेत्रीय व्यापार केंद्र के रूप में विकसित करने हेतु लगभग 442 मिलियन डॉलर का निवेश करके सोमालीलैंड में पोर्ट बरबेरा को विकसित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। यूएई बरबेरा बंदरगाह के पास एक सैन्य अड्डा बनाने में भी रुचि रखता था जिसका उपयोग वह हूती विद्रोहियों से लड़ने के लिए कर सकता था। 2019 में, डीपी वर्ल्ड ने बरबेरा बंदरगाह की 19% हिस्सेदारी इथियोपिया को बेच दी। इसलिए, इस क्षेत्र में उसके प्रमुख रणनीतिक हित हैं।[xix]
तुर्की का सोमालिया और इथियोपिया दोनों के साथ मजबूत राजनयिक, आर्थिक और सैन्य संबंध है। हालाँकि, जहाँ तक इथियोपिया-सोमालिलैंड समझौते का सवाल है, इसने सोमालिया का अधिक समर्थन किया है। 8 फरवरी, 2024 को, तुर्की ने सोमालिया के साथ एक रक्षा समझौता किया है, वो भी ऐसे समय में जब क्षेत्र में इथियोपिया सोमालीलैंड समझौते को लेकर इथियोपिया और सोमालिया के बीच तनाव बढ़ रहा है। इस रक्षा समझौते के अनुसार, तुर्की सोमाली नौसैनिक बलों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा और किसी भी खतरे से सोमालियाई समुद्र तट और उसकी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा की गारंटी देगा। सोमालिया का मानना है कि, यूएई द्वारा इथियोपिया-सोमालीलैंड समझौते को अपना समर्थन प्रदान करने के साथ, तुर्की सोमालिया रक्षा समझौता इथियोपिया के साथ विवाद के मामले में सोमालिया की स्थिति को मजबूत करेगा। इसके अलावा तुर्की ने इसी साल जनवरी में जिबूती के साथ भी ऐसा ही समझौता किया है। इसलिए, सोमालिया के साथ तुर्की का रक्षा समझौता न केवल इथियोपिया के खिलाफ सोमालिया का समर्थन करने के से संबंधित है, बल्कि सोमालिया के लाल सागर तट पर एक तुर्की नौसेना बेस स्थापित करने से भी संबंधित है क्योंकि इससे तुर्की को क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की सुविधा मिलेगी।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय दो ऐतिहासिक समझौते यानी इथियोपिया सोमालीलैंड समझौते और सोमालिया-तुर्की रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर की वजह से हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ काफी हद तक इथियोपिया सोमालीलैंड समझौते पर सोमालिया की प्रतिक्रिया के अनुरूप हैं, जिसमें कहा गया है कि यह समझौता सोमालिया की संप्रभुता का उल्लंघन करता है और इसे अमान्य घोषित किया जाना चाहिए।
सोमालिया के अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इथियोपिया और सोमालिया के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए एक बैठक बुलाई। यूएनएससी प्रस्ताव ने फिर से पुष्टि की कि सोमालीलैंड सोमालिया का अभिन्न अंग है और इथियोपिया और सोमालीलैंड के बीच हस्ताक्षरित एमओयू को अमान्य घोषित कर दिया गया। इसने कहा कि इथियोपिया और सोमालिया के बीच इस विवाद से लाल सागर क्षेत्र की सुरक्षा को खतरा है। इसने इथियोपिया और सोमालिया दोनों से तनाव कम करने और बातचीत करने का भी अनुरोध किया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस समझौते की निंदा की है और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता जताई है क्योंकि इससे क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी उपायों में बाधा आ सकती है। सरकार द्वारा दिए गए एक आधिकारिक बयान के अनुसार, "हम सोमालिया की संप्रभुता और इसकी क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करते हैं और इसका सम्मान किया जाना चाहिए... इथियोपिया द्वारा सोमालीलैंड की संभावित मान्यता से अल-शबाब के खिलाफ लड़ाई में बाधा उत्पन्न होने का खतरा है।"[xx] अब तक बिडेन प्रशासन ने अल-शबाब से निपटने हेतु सोमालिया में लगभग 450 सैनिकों को तैनात किया है और सोमालिया सेना को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करने का भी कार्य कर रहा है।
हालाँकि ब्रिटेन ने क्षेत्र में बढ़ते तनाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और दोनों पक्षों से तनाव कम करने को कहा है और सोमालिया के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की है। सोमालिया स्थित ब्रिटिश दूतावास के अनुसार, “ब्रिटेन हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका में बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है। हम सोमालिया संघीय गणराज्य की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपने पूर्ण सम्मान की पुष्टि करते हैं।''[xxi]
निष्कर्ष
वर्तमान में, हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका क्षेत्र में काफी अधिक अनिश्चितता है। समझौते पर सोमालिया की कड़ी प्रतिक्रिया यह है कि उसने इथियोपिया के साथ तब तक बातचीत करने से इनकार कर दिया है जब तक वह समझौते से पीछे नहीं हट जाता है और दूसरी ओर इथियोपिया इस समझौते को छोड़ने को तैयार नहीं है और तुर्की सोमालिया रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर से इस क्षेत्र की स्थिरता को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं। हालाँकि खुले संघर्ष की संभावना कम है लेकिन इस समझौते से नया तनाव उत्पन्न हुआ है जिसका अस्थिर प्रभाव पड़ सकता है।
*****
*डॉ. गौरी नरेन माथुर, शोधकर्ता, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] “Don’t Do it : Somali President warns Ethiopia over Somaliland Port Deal’. Al Jazeera. 23 January 2024. https://www.aljazeera.com/news/2024/1/23/dont-do-it-somali-president-warns-ethiopia-against-somaliland-port-deal
[ii] Alex Dwal. ‘Ethiopia PM Abiy Ahmed Eyes Red Sea Port Inflaming Tensions’. BBC News. 8 November 2023 . https://www.bbc.com/news/world-africa-67332811
[iii] Sharda Surbhi. ‘ Houthi Attacks: The High and Low Trade Impacts of Red Sea Disruptions on India’. The Economic Times. 21 February 2024. https://economictimes.indiatimes.com/news/economy/indicators/houthi-attacks-the-high-and-low-trade-impact-of-red-sea-disruption-on-india/articleshow/107884166.cms?from=mdr
[iv] ‘ Ethiopia Somaliland reach Historic Agreement on Access to Port’. Modern Diplomacy. # January 2024. https://moderndiplomacy.eu/2024/01/03/ethiopia-and-somaliland-reach-historic-agreement-over-access-to-ports/
[v] Zehcharias Zelalam. ‘Ambiguous Ethiopia’s Port Deal fuels uncertainty over Somaliland’s Statehood.’ Al Jazeera.4 January 2024. https://www.aljazeera.com/features/2024/1/4/ambiguous-ethiopia-port-deal-fuels-uncertainty-over-somaliland-statehood
[vi] Harun Maruf. ‘Ethiopia Secures Access to Sea After Deal with Somaliland.’ VOA Africa. 2 January 2024. https://www.voanews.com/a/ethiopia-secures-access-to-sea-after-deal-with-somaliland/7420589.html
[vii] Ezra NNKO. ‘ Ethiopia Somaliland Deal: A Slap in Face of Somali’. Modern Diplomacy. 22 January 2024. https://moderndiplomacy.eu/2024/01/22/ethiopia-somaliland-deal-a-slap-in-a-face-for-somalia/
[viii] Jethro Norman. ‘Somaliland at the Centre of Rising Tensions: In the Horn of Africa’. DIIS Policy Brief.25 January 2024. https://www.diis.dk/en/research/somaliland-the-centre-of-rising-tensions-in-the-horn-of-africa
[ix] Fred Haratar. ‘ We Are Ready for a War: Somalia Threatens Conflicts with Ethiopia over Breakaway Region’. The Guardian. 13 February 2024. https://www.theguardian.com/world/2024/jan/13/we-are-ready-for-a-war-somalia-threatens-conflict-with-ethiopia-over-breakaway-region
[x] May Dawich and Jutta Bakonyi. ‘ Waiting for Ethiopia: Berber Port upgrades raises Somaliland’s hope for trade’. The Conversation.24 August 2022. https://theconversation.com/waiting-for-ethiopia-berbera-port-upgrade-raises-somalilands-hopes-for-trade-188949
[xi] ‘ The Ethiopia Somaliland Berber Port Deal: A New Horizon of Africa Hotspot’. Emirates Policy Center. 1 February 2024. https://epc.ae/en/details/brief/the-ethiopia-somaliland-berbera-port-deal-a-new-horn-of-africa-hotspot
[xii] Zehcharias Zelalam. ‘Ambiguous Ethiopia’s Port Deal fuels uncertainty over Somaliland’s Statehood.’ Al Jazeera.4 January 2024. https://www.aljazeera.com/features/2024/1/4/ambiguous-ethiopia-port-deal-fuels-uncertainty-over-somaliland-statehood
[xiii] David Ehl. ‘Ethiopia and Somalia: Conflict Brewing Over Port Deal’. DW. 8 January 2024. https://www.dw.com/en/ethiopia-and-somalia-conflict-brewing-over-port-deal/a-67889364#:~:text=Ethiopia's%20agreement%20with%20breakaway%20region,an%20attack%20on%20its%20sovereignty.
[xiv] The ATMIS is the African Union Transition Mission in Somalia which is a multi-dimensional mission (military, police and civilian) authorized by the African Union to help Somalia combat Al-Shabab militants.
[xv] Liam Karr.’ ‘Ethiopia Somaliland Port Deal Strains Horn of Africa Counterterrorism Cooperation and Alters Red Sea Geopolitics.’ Critical Threats. 4 January 2024. www.criticalthreats.org
[xvi] ‘ The Ethiopia Somaliland Berber Port Deal: A New Horizon of Africa Hotspot’. Emirates Policy Center. 1 February 2024. https://epc.ae/en/details/brief/the-ethiopia-somaliland-berbera-port-deal-a-new-horn-of-africa-hotspot
[xvii] ‘Egypt El-Sisi Says Cairo will not Allow any Threat to Somalia.’ Aljazeera. 21 January 2024. https://www.aljazeera.com/news/2024/1/21/egypts-el-sisi-says-cairo-will-not-allow-any-threat-to-somalia
[xviii] Amr Emam. ‘Why Ethiopia’s Red Sea Ambitions Unnerve Egypt.’ Al Majalla. 18 January 2024. https://en.majalla.com/node/308611/politics/why-ethiopias-red-sea-ambitions-unnerve-egypt
[xix] Ali Bakir. ‘How Ethiopia's Red Sea deal could impact Israel, Egypt, and the UAE’. The New Arab. 22 Jan 2024. https://www.newarab.com/analysis/how-israel-egypt-and-uae-view-ethiopias-red-sea-deal#:~:text=Under%20the%20agreement%2C%20Somaliland%20agreed,promises%20to%20recognise%20its%20independence.
[xxi] Burak Bir.’ ‘UK Expresses Concerns over escalating Tensions in Horn of Africa’ AA Europe. 5 January 2024. https://www.aa.com.tr/en/europe/uk-expresses-concern-over-escalating-tensions-in-horn-of-africa/3100737