जी20 में भारत की अध्यक्षता में, सदस्य देशों ने सितंबर 2023 में नई दिल्ली में नेताओं द्वारा किए गए घोषणा के तहत महिलाओं के सशक्तिकरण पर कार्यसमूह बनाने का समर्थन किया। इस कार्य समूह की पहली बैठक ब्राज़ील की जी20 की अध्यक्षता में 17–18 जनवरी 2024 को आयोजित की गई थी। इस प्रासंगिक विषय पर कार्यसमूह का संचालन विभिन्न आयामों में लैंगिक असमानता से निपटने और वैश्विक स्तर पर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देकर महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने में राष्ट्रों का समर्थन करने के प्रति जी20 नेतृत्व की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
यह शोधपत्र इस बात की पड़ताल करता है कि कैसे भारत की जी20 अध्यक्षता ने महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर ज़ोर देकर ‘नारी शक्ति’ (महिलाओं की शक्ति) की अवधारणा को आकार दिया है। इसमें लैंगिक समानता को विदेश नीति का प्रमुख स्तंभ बनाने के महत्व पर भी चर्चा की गई है।
जी20 और लैंगिक समानता
पिछले कुछ वर्षों में लैंगिक समानता को समाजिक सुरक्षा और मानव अधिकार की बजाय आर्थिक प्राथमिकता की नज़र से देखे जाने पर अधिक ज़ोर दिया गया है। लगभग एक दशक पहले प्रकाशित लैंगिक समानता और विकास पर विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार, लैंगिक अंतर को पाटना एक मुख्य विकास उद्देश्य के साथ–साथ नया अर्थशास्त्र भी है। लैंगिक समानता बढ़ाने से उत्पादकता बढ़ाने, अगली पीढ़ी के लिए विकास परिणामों में सुधार करने और संस्थानों को अधिक प्रतिनिधितात्मक बनाने की क्षमता है।[i]
इसके अलावा, लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण और देशों की तेज़ आर्थिक विकास के बीच संबंध को कम करके नहीं आंका जा सकता है। आईएमएफ का अनुमान है कि महिला श्रम बल की भागीदारी दर को यदि 5.8 प्रतिशत बढ़ा दिया जाए तो कुछ वर्षों में उभरते और विकासशील देशों की जीडीपी में 8 प्रतिशत तक की वृद्धि संभव है और इससे देशों को महामारी से होने वाले आर्थिक नुकसान से उबरने में भी काफी मदद मिलेगी।[ii] यह दर्शाता है कि महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण और लैंगिक असमानता को कम करना वैश्विक अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से ऊपर उठाने और पर्याप्त रिटर्न प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण शर्त हैं।
बीते वर्षों से लगातार प्रगति के बावजूद कोविड-19 महामारी का लैंगिक समानता की प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। महिलाओं के आर्थिक अवसरों और सामाजिक स्वतंत्रता में लाभ को वापस लाने एवं लैंगिक असमानता को बढ़ाने के अलावा, इसने क्षेत्रों के भीतर अन्य लैंगिक असंतुलन को भी उजागर किया। इन प्रणालीगत और संरचनात्मक लैंगिक असमानताओं में बड़े पैमाने पर लैंगिक वेतन अंतर, लिंग आधारित डिजिटल डिवाइड, नौकरी और अवैतनिक घरेलू काम का दोहरा बोझ,[iii] एवं नेतृत्व और निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में असमान प्रतिनिधित्व शामिल है। यह दर्शाता है कि अकेले श्रम बल समता दृष्टिकोण पर ध्यान देना लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए अपर्याप्त है, इसलिए इसके विभिन्न आयामों में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
इसी तरह से ब्रिस्बेन गोल एक्शन प्लान (2014) के तहत, जी20 राष्ट्रों ने श्रम बाज़ार में महिलाओं को अधिक भागीदारी को बढ़ावा देने और महिलाओं के रोज़गार की गुणवत्ता में सुधार करने पर सहमति जताई थी। एक्शन प्लान के तहत, राष्ट्रों ने 2025 तक पुरुषों और महिलाओं के बीच श्रम बल भागीदारी दर को 25 प्रतिशत तक कम करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने माना कि 100 मिलियन से अधिक महिलाओं को श्रम बल में लाने से, प्रतिबद्धता सार्थक रूप से वैश्विक विकास को बढ़ावा देगी और गरीबी एवं असमानता को कम करेगी। इसने यह भी स्वीकार किया कि प्रगति को मापने के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी)जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के समर्थन की आवश्यकता है। [iv]
वर्ष 2015 में, तुर्की की अध्यक्षता में 'वुमेन 20 (डब्ल्यू 20)' के नाम से जाना जाने वाला एक आधिकारिक जी20 कार्य समूह बनाया गया था। डब्ल्यू20 समूह जी20 प्रक्रिया के एक अभिन्न अंग के रूप में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है और जी20 चर्चाओं को उन नीतियों एवं प्रतिबद्धताओं में बदलने पर विचार करता है जो सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)–5 (लैंगिक समानता प्राप्त करना और सभी महिलाओं एवं युवतियों को सशक्त बनाना) और ब्रिस्बेन गोल का समर्थन करते हैं। इसके साथ ही, व्यवसायों एवं सरकार का कार्योन्मुक एवं समावेशी गठबंधन, ‘महिला आर्थिक प्रतिनिधित्व के सशक्तिकरण एवं प्रगति हेतु जी20 गठबंधन- जी20 एम्पावर’ का गठन निजी क्षेत्र में महिलाओं के नेतृत्व और विकास में तेजी लाने के लिए सऊदी की अध्यक्षता (2019) के दौरान बनाया गया था।[v]
इसके अलावा, इटली की मेज़बानी वाले वर्ष (2021) के दौरान बनाए गए ‘ब्रिस्बेन गोल की ओर और उससे आगे का जी20 रोडमैप’ मानता है कि कोविड-19 महामारी सहित कई कारक श्रम बाज़ार में महिलाओं की भागीदारी और गुणवत्ता में सुधार लाने की राह में बहुत बाधा डालते हैं।[vi] बाली घोषणा (2022) और नई दिल्ली घोषणा (2023) ने समग्र दृष्टिकोण के साथ महिला सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त करके रोडमैप के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के मुद्दों के जी20 एजेंडे में क्रमिक प्रगति उल्लेखनीय है और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर भारत की अध्यक्षता में ध्यान दिया जाना बहुत महत्वपूर्ण है।
महिला–नीत विकास पर भारत का नज़रिया
भारत ने अपनी जी20 अध्यक्षता के दौरान 'नारी शक्ति' (महिला शक्ति) द्वारा सक्रिए 'महिला विकास' से 'महिला–नीत विकास' पर फोकस कर 'लैंगिक संवेदनशील नज़रिए' को फिर से समायोजित किया है। नई दिल्ली घोषणा ने लैंगिक समानता के बुनियादी महत्व की पुष्टी की और इस बात को ज़ोर देकर कहा कि महिला सशक्तिकरण में निवेश का 2030 एजेंडा को लागू करने पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ेगा। सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ाना, देखभाल एवं घरेलू कार्यों में वैतनिक एवं अवैतनिक कार्यों के मुद्दों को संबोधित करना, लैंगिक वेतन अंतर को समाप्त करना, डिजिटल लैंगिक असमानता को आधा करना, लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करना और लिंग– समावेशी परिवेश कार्रवाई को बढ़ावा देना प्रमुख प्रतिबद्धताएं थीं जिन पर घोषणा के तहत सहमति व्यक्त की गई थी। भारत की जी20 अध्यक्षता में, जी20 एम्पावर 2023 ने महिला विकास से महिला नीत विकास में परिवर्तन को प्राथमिकता दी।[vii]
महिला–नीत विकास का उद्देश्य शासन के सभी स्तरों पर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रगति को सक्रिए रूप से आकार देने और चलाने के लिए दुनिया की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाओं की क्षमता को प्रसारित करना है। यह लैंगिक रूढ़िवादिता को समाप्त कर एवं लैंगिक असमानता को कायम रखने वाले व्यवहारों एवं मानदंडों से हटकर पीढ़ीगत असमानता को संबोधित करने की आवश्यकता पर भी ध्यान देता है। यह भारत सरकार के 2047 तक ‘विकसित भारत’ के नज़रिए के अनुरूप है, जो विकास लाभों के निष्क्रिए प्राप्तकर्ता की बजाय विकास यात्रा में महिलाओं के सक्रिए योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर देता है। विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी या मुख्यधारा में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए आर्थिक, सामाजिक एवं वित्तीय नीतियों की समीक्षा करना प्रासंगिक है।
महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को आगे बढ़ाने के लिए, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, रोजगार और उद्यमिता से संबंधित मुद्दों के पूर्ण स्पेक्ट्रम को संबोधित करने वाले संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के साथ एक बहुआयामी रणनीति लागू की जा रही है। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है, “वित्तीय समावेशन से लेकर सामाजिक सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल से लेकर आवास, शिक्षा से उद्यमिता तक, हमारी नारी शक्ति को भारत की विकास यात्रा में सबसे आगे रखने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। आने वाले समय में ये प्रयास और भी ज़ोर–शोर से जारी रहेंगे”।[viii] भारत सरकार ने लैंगिक न्याय और समानता को आगे बढ़ाने एवं भारत के राजनीतिक, सामाजिक– आर्थिक एवं सांस्कृतिक ढांचे को आकार देने में महिलाओं की सक्रिए भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल लागू की हैं।
कन्या भ्रूण हत्या के मूल कारणों और शिक्षा, संस्थागत प्रसव एवं स्वच्छता जैसे महिला सशक्तिकरण के संबंधित मुद्दों को लक्षित करने हेतु बारत सरकार ने 2015 में बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी)[ix] कार्यक्रम लागू किया था। कार्यक्रम के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले और 2014–2015 में प्रति 1000 पुरुष पर जहां 918 महिलाएं थीं वहीं 2021– 2022 में यह बढ़कर प्रति 1000 पुरुष 934 महिलाओं तक पहुंच गया,[x] माध्यमिक शिक्षा में बालिकाओं का नामांकन 2014–2015 की 75.51% से बढ़कर 2020–2021 में 79.46% हो गया, और संस्थागत प्रसव की स्थिति में भी सुधार आया, 2014–2015 जहां 87% प्रसव संस्थागत हुए वहीं 2020–2021 में इसका प्रतिशत बढ़ कर 94.8 हो गया।[xi] इसके अलावा, लिंग–संवेदी लेंस को अपनाते हुए, हालिया राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत शिक्षा प्रणाली में भी बदलाव किए गए।[xii] इसमें सभी बालिकाओं को समान शिक्षा प्रदान करने के लिए ‘लिंग–समावेशी कोष’ का गठन करना, ‘लैंगिक समानता’, और ‘लैंगिक संवेदनशीलता’ पर पाठ्यसामग्री शामिल कर लिंग– संवेदनशील पाठ्यक्रम को बढ़ावा देना और स्कूल पाठ्यक्रम में किसी भी पूर्वाग्रह एवं रूढ़िवादिता को दूर करना शामिल थी।[xiii] भारत ने महिलाओं की स्थिति पर 68वें वार्षिक आयोग के मौके पर एक विशेष कार्यक्रम में उपरोक्त बातों को रेखांकित करते हुए कहा कि “हमारी शिक्षा प्रणाली नई शिक्षा नीति के माध्यम से लिंग– संवेदनशील पाठ्यक्रम और आवश्यकता– आधारित शिक्षा को बढ़ावा देती है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च शिक्षा में बालिकाओं एवं बालकों के सकल नामांकन अनुपात में समानता आई है”।[xiv]
महिलाओं की सुरक्षा के लिए, जिला स्तर पर निजी और सार्वजनिक दोनों स्थानों पर हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एकीकृत मदद एवं सहायता प्रदान करने वाले 769 वन स्टॉप सेंटर (ओएससी)[xv]का एक नेटवर्क बनाया गया है। महिलाओं के लिए सम्मान और जीवनयापन में सहूलियतों को बढ़ाने हेतु, प्रधानमंत्री आवास योजना– ग्रामीण (पीएमएवाई– जी) के तहत 69 प्रतिशत घर पूरी तरह से या संयुक्त रूप से महिलाओं के स्वामित्व में हैं; प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (पीएमजेवाई) के तहत रियायती दर पर खाने बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण और महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार होता है; और जल जीवन मिशन (जेजेएम) को हर घर में सुलभ स्वच्छ नल जल आपूर्ति प्रदान करने के लिए एक बड़े विकेंद्रीकृत आंदोलन के रूप में कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसमें जेजेएम की योजना, निर्णय लेने, कार्यान्वयन और निगरानी के मूल में महिलाएं हैं।[xvi]
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत, स्टैंड–अप इंडिया और स्टार्ट–अप इंडिया, के माध्यम से, महिला उद्यमियों को ग्रीनफील्ड उद्यम शुरू करने और नियोक्ता बनने हेतु मदद प्रदान की जाती है। भारत में 46 प्रतिशत से अधिक मान्यताप्राप्त स्टार्टअप में कम–से–कम एक महिला निदेशक हैं और मुद्रा योजना के तहत लगभग 69 per प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को दिए गए हैं। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 55 से अधिक खाते महिलाओं के नाम से हैं जिसका उद्देश्य बैंक खातों, प्रेषण, ऋण, बीमा और पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक किफायती पहुँच बढ़ाना है।[xvii]
इसके अलावा, प्रति घर कम–से–कम एक व्यक्ति को डिजिटल साक्षरता प्रदान करने हेतु राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन (एनडीएलएम) और ग्रामीण भारत में डिजिटल साक्षरता को लक्षित करने वाले प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीडीआईएसएचए) के तहत योजनाओं के माध्यम से डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्रामीण विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की क्षमता का लाभ उठाने हेतु, महिला स्वयं सहायता समूहों को उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अनुप्रयोग जैसे कृषि कार्यों के लिए ड्रोन से संचालन एवं मरम्मत के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।[xviii] हाल ही पारित किया गया महिला आरक्षण विधेयक या नारी शक्ति वंदन अधिनियम महिला सशक्तिकरण की पहल की दिशा में उठाया गया नवीनतम कदम है। इसका उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए कुल सीटों में से एक– तिहाई सीटें आरक्षित कर महिला प्रतिनिधियों की संख्या में वृद्धि करना है।
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 में कहा गया है कि विश्व स्तर पर स्थानीय सरकारों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की गई हैं। भारत (44.4%) उन देशों में से है जिसने स्थानीय शासन में महिलाओं का 40 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व हासिल किया है।[xix] लोकतंत्र के लिए तीसरे (3) शिखर सम्मेलन में दिए अपने हालिया बयान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जमीनी स्तर पर निर्वाचित 1.4 मिलियन महिला प्रतिनिधियों को महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास हेतु परिवर्तन का एजेंट बताया था।[xx] इस प्रकार, महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के भारत के नज़रिए को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों में संक्षेप में कहा इस प्रकार कहा जा सकता है: “ जब महिलाएं समृद्ध होती हैं, तो विश्व समृद्ध होता है। उनका आर्थिक सशक्तिकरण विकास को बढ़ावा देता है, शिक्षा तक उनकी पहुँच वैश्विक प्रगति को बढ़ावा देती है, उनका नेतृत्व समावेशिता को बढ़ावा देता है और उनके विचार सकारात्मक बदलाव को प्रेरित करते हैं”।[xxi]
अंतरराष्ट्रीय आयाम
जी20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान, भारत ने विश्व मंच पर सर्वसम्मति–निर्माण के माध्यम से दुनिया भर में लैंगिक समानता की प्रगति के लिए एक दृष्टिकोण तैयार किया। 18 देशों और 7 अतिथि देशों के 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भारत द्वारा आयोजित 86 आभासी अंतरराष्ट्रीय बैठकों और छह प्रभावशाली व्यक्तिगत सम्मेलनों में भाग लिया।[xxii] अध्यक्ष ने स्थानीय या सामुदायिक स्तर पर महिलाओं के सशक्तिकरण और मान्यता पर भी ज़ोर दिया। पहली बार जी20 एम्पावर केपीआई (EMPOWER KPI– की पर्फॉर्मेंस इंडिकेटर) डैशबोर्ड 2023 संस्करण में छोटे और मध्यम उद्यमों में महिलाओं की भूमिकाएं शामिल की गईं थीं। [xxiii]
इसके अलावा, डब्ल्यू20 कार्य समूह ने जलवायु परिवर्तन के लिए पहली प्रतिक्रिया देने वालों के रूप में महिलाओं की भूमिका पर सक्रिए रूप से चर्चा की, इसे भारत की जी20 अध्यक्षता के विषय पर्यावरण के लिए जीवनशैली (Lifestyle for Environment/LiFE) के साथ संरेखित किया गया। इसने पर्यावरण की दृष्टि से संवहनीय और जिम्मेदार जीवनशैली विकल्पों के महत्व पर ज़ोर दिया और जलवायु कार्रवाई में तेज़ी लाने के लिए लैंगिक समानता को एक मुख्य सिद्धांत बनाया। गुजरात के गांधीनगर में महिला सशक्तिकरण पर आयोजित जी20 के मंत्रीस्तरीय सम्मेलन में, भारत ने पोषण सेवाओं एवं प्रारंभिक बचपन देखबाल सेवा वितरण की निगरानी हेतु पोषण ट्रैकर के स्थानीय अनुप्रयोग को विकसित करने में जी20 देशों की मदद करने की इच्छा जताई।[xxiv]
जी20 के दिल्ली घोषणापत्र में स्वीकार किया गया कि एसडीजी पर प्रगति में तेज़ी लाने के लिए डिजिटल डिवाइड का समाधान महत्वपूर्ण है। जी20 के नेताओं ने डिजिटल साक्षरता और कौशल को बढ़ाने हेतु नियामक नीतिगत ढांचे को बढ़ावा देने, डिजिटल उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के लिए डिजाइन द्वारा सुरक्षा नज़रिया अपनाने, लिंग–उत्तरदायी नीतियों को लागू करने और डिजिटल इकॉनमी में महिलाओं के सशक्तिकरण का समर्थन कर 2030 तक डिजिटल लिंग अंतर को आधा करने की प्रतिबद्धता जताई।[xxv] बालिकाओं एवं महिलाओं को 120 से अधिक भाषाओं में डिजिटल कौशल और अपस्किलिंग पाठ्यक्रम उपलब्ध करा कर डिजिटल डिवाइड को दूर करने के लिए भारत की जी20 अध्यक्षता में एक डिजिटल समावेशी मंच– टेकइक्विटी का संचालन किया गया था।[xxvi]
भारत के विचार को आगे बढ़ाना: ब्राज़ील की अध्यक्षता
जी20 नई दिल्ली नेताओं की घोषणा के अनुरूप, ब्राज़ील ने महिलाओं के सशक्तिकरण पर कार्य समूह के मुख्य विषयों के तहत ‘लैंगिक समानता और सभी महिलाओं एवं बालिकाओं का सशक्तिकरण’ पर भारत की जी20 प्रतिबद्धताओं: समानता, स्त्री द्वेष और हिंसा का मुकाबला, और जलवायु न्याय, को शामिल किया। [xxvii] जनवरी 2024 में, ब्राज़ील की जी20 अध्यक्षता ने महिलाओं के सशक्तिकरण पर कार्यसमूह की पहली बैठक बुलाई और सुझावों में से एक विशेष रूप से महिलाओं की आर्थिक स्वायत्तता से संबंधित एक धुरी को शामिल करना था। [xxviii] Additionally, the इसके अलावा, ब्राज़ील की जी20 अध्यक्षता में “ भुगतान और अवैतनिक देखभाल एवं घरेलू कार्यों में असमान वितरण को संबोधित करने एवं शिक्षा और रोज़गार में महिलाओं की निरंतर भागीदारी को बढ़ावा देने” की अनिवार्यता पर जी20 नई दिल्ली के नेताओं की घोषणा पर सक्रिए रूप से चर्चा कर रही है।[xxix] महिला सशक्तिकरण पर कार्यसमूह की अगली बैठक 8-9 मई 2024 को होने वाली है। इसमें भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान की गई प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाने के तरीकों पर विचार–विमर्श किया जाएगा।
निष्कर्ष
‘नारी शक्ति’ (महिला शक्ति) पर ज़ोर देते हुए महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास जी20 मंच पर लैंगिक मुद्दों में भारत की भागीदारी के लिए स्पष्ट आह्वान बन गया है। लैंगिक– समानता नीतियों को बढ़ावा देने एवं सर्वसम्मति और सहयोग के साथ लक्षित हस्तक्षेप के प्रति भारत की प्रतिबद्धता ने महिलाओं को निष्क्रए प्राप्तकर्ता की बजाए प्रगति और विकास के वास्तुकार के रूप में फिर से कल्पना करने का मार्ग प्रशस्त किया है। महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को आगे बढ़ाने के लिए ट्रोईका (भारत– ब्राज़ील– दक्षिण अफ्रीका) और ब्राज़ील की अध्यक्षता में कार्य समूह को लैंगिक समानता पर अधिक फोकस करने के लिए जी20 की ‘प्रतिबद्धता की निरंतरता’ को बनाए रखना चाहिए।
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*अवनि सबलोक, रिसर्च एसोसिएट, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
संदर्भ
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[xxiii] Ibid.
[xxiv] Ibid.
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[xxvi] Press Information Bureau, GoI, Ministry of Women and Child Development, “Union Minister for Women and Child Development, Smt. Smriti Zubin Irani to inaugurate the G20 EMPOWER Summit in Gandhinagar tomorrow”, July 31, 2023. Available at: https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1944222 (Accessed on April 18, 2024).
[xxvii] “Sherpa Track Women’s Empowerment”, G20 Brasil 2024. Available at: https://www.g20.org/en/tracks/sherpa-track/womens_empowerment (Accessed on March 13, 2024).
[xxviii] “Framework and Women's Empowerment: WG proposals well received”, G20 Brazil, January 19, 2024. Available at: https://www.g20.org/en/news/framework-and-womens-empowerment-wg-proposals-well-received (Accessed on March 5, 2024).
[xxix] Ministry of External Affairs, GoI, “G20 New Delhi Leaders’ Declaration”, September 2023. Available at: https://www.mea.gov.in/Images/CPV/G20-New-Delhi-Leaders-Declaration.pdf (Accessed on April 19, 2024).