परिचय
8 मई 2024 को रूस ने विदेशी जहाजों, विशेष रूप से जापान के जहाजों के कुरील द्वीप के पास बंदरगाह में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया ।[1] ओखोटस्क सागर में स्थित कुरील द्वीप 56 द्वीपों की एक श्रृंखला से बना है, जिनमें से एटोरोफू, हबोमाई, कुनाशिरी और शिकोतान द्वीप द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से रूस और जापान के बीच विवादित हैं। [2] [3]
कुरील द्वीप समूह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है और हाइड्रोकार्बन भंडार का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है।[4] यह क्षेत्र रूस के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी नौसेना, रूसी सुदूर पूर्वी बेड़ा, जिसे रूसी प्रशांत बेड़े के रूप में भी जाना जाता है, व्लादिवोस्तोक में स्थित है। कुरील द्वीप समूह में रूस की रणनीतिक रुचि आर्कटिक समुद्री मार्ग और उत्तरी समुद्री मार्ग (एनएसआर) में समुद्री संचार मार्गों के माध्यम से साइबेरिया और सुदूर पूर्वी रूस से अंतर्देशीय ऊर्जा संसाधनों के निर्यात से भी बढ़ती है। कुरील द्वीप जापान के लिए मुख्य रूप से द्वीप के जलक्षेत्र में और उसके आसपास मछली पकड़ने के लिए महत्वपूर्ण है।[5]
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
चार कुरील द्वीपों को लेकर रूस और जापान के बीच विवाद 19वीं सदी के मध्य से चला आ रहा है।[6] 1855 में शिमोडा की संधि ने ओखोटस्क सागर में जापानी और शाही रूसी क्षेत्रों की सीमाओं का निर्धारण किया। इस संधि ने इटोरोफू, हबोमाई, कुनाशिरी और शिकोतान के चार द्वीपों सहित संपूर्ण कुरील द्वीप श्रृंखला को जापान के लिए सीमांकित किया । तथापि, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, याल्टा सम्मेलन में मित्र राष्ट्र इस बात पर सहमत हुए कि कुरील द्वीप समूह सोवियत संघ का हिस्सा होना चाहिए था। परिणामस्वरूप, सोवियत सेनाओं ने अपनी जलस्थली लैंडिंग शुरू कर दी और कुरील द्वीपों को सोवियत संघ के हिस्से के रूप में शामिल कर लिया।[7]
1951 की सैन फ्रांसिस्को संधि के दौरान, जहाँ जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपने कब्जे वाले सभी क्षेत्रों पर अपना दावा छोड़ दिया था, लेकिन दक्षिण कुरील श्रृंखला के चार द्वीपों की स्थिति को अनिर्धारित छोड़ दिया गया था क्योंकि सोवियत संघ इस संधि पर हस्ताक्षरकर्ता नहीं था।[8] 1956 में जब सोवियत संघ और जान के बीच राजनयिक संबंध बहाल हुए, तो मास्को चार कुरील द्वीपों में से दो, हबोमाई और शिकोतान को जापान को वापस करने की संभावना पर विचार कर रहा था, हालाँकि, यह साकार नहीं हुआ।
सोवियत काल के बाद, 1993 में टोक्यो घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये गये, जिसमें दोनों पक्षों ने राजनयिक माध्यमों से द्वीपों पर अपने विवाद को सुलझाने का लक्ष्य रखा।[9] 1993 की घोषणा के परिणामस्वरूप, 1998 में रूस ने विवादित कुरील द्वीपों सहित उसके आसपास के जलक्षेत्र में जापानी मछुआरों को लाइसेंस प्राप्त मछली पकड़ने का अधिकार प्रदान किया। चर्चाएँ चल ही रही थीं कि 2010 में तनाव तब बढ़ गया, जब तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने विवादित द्वीपों का दौरा किया, जिस पर तीव्र जापानी प्रतिक्रिया हुई; यह इतिहास में किसी भी समय किसी भी रूसी नेता द्वारा इस द्वीप का पहला दौरा था।[10]
मार्च 2020 में, रूस के संविधान में अनुच्छेद 67 को शामिल करने के लिए संशोधन किया गया था, जिसमें उल्लेख किया गया है कि रूस का अपनी भूमि के बगल में स्थित समुद्री क्षेत्रों पर नियंत्रण है और वे अपने स्वयं के कानूनों और अंतर्राष्ट्रीय नियमों दोनों का पालन करते हुए इन क्षेत्रों के उपयोग पर नियम बनाते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि रूस के विभिन्न भागों के बीच की सीमाएं बदल सकती हैं, लेकिन केवल तभी जब संबंधित विषय एक-दूसरे से सहमत हों। इस प्रकार, रूस ने चार विवादित द्वीपों पर आगे की कोई भी बातचीत समाप्त कर दी।[11]
नवीनतम घटनाक्रम
यूक्रेन संकट के कारण जापानी प्रधानमंत्री फूमिओ किशिदा का रूस के प्रति दृष्टिकोण बदल गया।[12] जापान ने पश्चिमी देशों के साथ मिलकर रूस पर प्रतिबंध लगाये हैं तथा यूक्रेन को गैर-सैन्य सहायता भी दी है।[13] जापान के इस रुख के कारण, रूस ने कुरील द्वीप मुद्दे के उत्तरी क्षेत्रों पर अपना रुख कड़ा कर लिया है और जापान विरोधी भावना को भड़काने के लिए 3 सितंबर 2023 के कुरील द्वीप एकीकरण स्मरणोत्सव का नाम बदल कर उसे “सैन्यवादी जापान पर विजय दिवस” के रूप में चिह्नित किया था।
दूसरी ओर, 7 फरवरी, 2024 को उत्तरी क्षेत्र दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में भाग लेते हुए, जिसमें जापानी लोग कुरील द्वीप क्षेत्रों की वापसी की माँग के लिए एकत्रित होते हैं, प्रधान मंत्री फूमियो किशिदा ने द्वीपों को पुनः प्राप्त करने का संकल्प लिया।[14]
इस प्रकार, प्रादेशिक मुद्दे पर दोनों पक्षों का रुख हाल ही में सख्त पाया गया है।
निष्कर्ष
कुरील द्वीप विवाद केवल रूस और जापान के बीच का क्षेत्रीय विवाद नहीं है, बल्कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक गतिशीलता की व्यापक जटिलता को दर्शाता है। ये द्वीप ओखोटस्क सागर का केवल एक हिस्सा भर नहीं हैं, बल्कि रूस के पूर्व की ओर समुद्री पहुँच का प्रवेशद्वार भी हैं। यह आर्कटिक सागर/उत्तरी समुद्री मार्ग के माध्यम से समुद्री पहुँच के लिए लॉन्च पैड है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र, अर्थात् हिंद-प्रशांत क्षेत्र तक पहुँच प्रदान करता है।
ये द्वीप रूस की एशिया-प्रशांत समुद्री पहुँच योजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभाव का मुकाबला करना है, क्योंकि जापान, वाशिंगटन का संधि सहयोगी है। इस प्रकार, इसे रूस द्वारा अमेरिकी आधिपत्य को चुनौती देने के रूप में देखा जा सकता है।
इस प्रकार, कुरील द्वीप समूह में विवाद की प्रकृति शुरू में जापान के हिंद-प्रशांत परिदृश्य को प्रभावित करती है, लेकिन इसका असर बड़े हिंद-प्रशांत सहयोगियों पर भी पड़ता है, जो विकसित हो रहे बड़े हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जटिलता की एक और परत जोड़ता है।
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*आर. अजितेश, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में शोध प्रशिक्षु हैं।
अस्वीकरण : यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[1] Chermaine Lee, “Japan-Russia Tensions Flare Over Ukraine War Amid Decades-long Land Disputes,” Voice of America, May 8, 2024, https://www.voanews.com/a/japan-russia-tensions-flare-over-ukraine-war-amid-decades-long-land-disputes/7602490.html, accessed on July 13,2024
[2] Bruce A. Elleman, Michael R. Nichols, and Matthew J. Ouimet. “A Historical Reevaluation of America’s Role in the Kuril Islands Dispute.” Pacific Affairs 71, no. 4 (1998): 489–504. https://doi.org/10.2307/2761081, accessed on June 10, 2024
[3] Kaczynski, Vlad M. "The Kuril Islands Dispute Between Russia and Japan: Perspectives of Three Ocean Powers." Russia's Foreign Policy: Key Regions and Issues 79 (2007). https://epub.sub.uni-hamburg.de/epub/volltexte/2008/373/pdf/russiassfsoAP87.pdf#page=79, accessed on June 16,2024
[4] Orttung, Robert, Jeronim Perović, Heiko Pleines, and Hans-Henning Schröder. "Russia’s foreign policy: key regions and issues." Arbeitspapiere und Materialien/Forschungsstelle Osteuropa, Bremen= Working papers of the Research Centre for East European Studies, Bremen 87 (2007). https://www.zora.uzh.ch/id/eprint/62791/1/Perovic_Russia_foreign_policy.pdf, accessed on June 13,2024
[5] Pessoa, Carolina. “The Kuril Islands dispute.” ResearchGate, October 1, 2020. https://www.researchgate.net/publication/348565115_The_Kuril_Islands_dispute, accessed on June 17,2024
[6] Bruce A. Elleman, Michael R. Nichols, and Matthew J. Ouimet. “A Historical Reevaluation of America’s Role in the Kuril Islands Dispute.” Pacific Affairs 71, no. 4 (1998): 489–504. https://doi.org/10.2307/2761081. accessed on June 10, 2024
[7] Orttung, Robert, Jeronim Perović, Heiko Pleines, and Hans-Henning Schröder. "Russia’s foreign policy: key regions and issues." Arbeitspapiere und Materialien/Forschungsstelle Osteuropa, Bremen= Working papers of the Research Centre for East European Studies, Bremen 87 (2007). https://www.zora.uzh.ch/id/eprint/62791/1/Perovic_Russia_foreign_policy.pdf. accessed on June 13,2024
[8] Bruce A. Elleman, Michael R. Nichols, and Matthew J. Ouimet. “A Historical Reevaluation of America’s Role in the Kuril Islands Dispute.” Pacific Affairs 71, no. 4 (1998): 489–504. https://doi.org/10.2307/2761081. accessed on June 10, 2024
[9] Zinberg, Yakov. "The Kuril Islands dispute: towards dual sovereignty." Boundary and Security Bulletin 5 (1998): 89-98. https://www.durham.ac.uk/media/durham-university/research-/research-centres/ibru-centre-for-borders-research/maps-and-databases/publications-database/boundary-amp-security-bulletins/bsb5-4_zinberg.pdf, accessed on June 13,2024
[10] Kato, Mihoko. "Japan and Russia at the Beginning of the Twenty-First Century: New Dimension to Maritime Security Surrounding The ‘Kuril Islands"." Revista UNISCI 32 (2013): 205-213. https://www.redalyc.org/pdf/767/76727454010.pdf, accessed on June 17,2024
[11] Bosack, “Geopolitical chess: Unpacking the Northern Territories conundrum,” Japan Times, February 13, 2024, , https://www.japantimes.co.jp/commentary/2024/02/13/japan/japans-northern-territories/. accessed June 20, 2024
[12] Kapur, K. D. "Russia–Japan Relations: Politico-strategic Importance of the Disputed Southern Hokkaidoe Islands/Northern Territories." India Quarterly 68, no. 4 (2012): 385-405. https://journals.sagepub.com/doi/full/10.1177/0974928412467250?casa_token=4E0YXo3_-sAAAAAA%3APz4jStM7lNAO5rUSIWB-whA1wyNmqyk3584BXU6GGb5B24vX4Bd3uaIMamEmG-GtR0_9Wzv9KkM, accessed on July 15,2024
[13] Pessoa, Carolina. “The Kuril Islands dispute.” ResearchGate, October 1, 2020. https://www.researchgate.net/publication/348565115_The_Kuril_Islands_dispute, accessed on June 17,2024
[14] Chermaine Lee, “Japan-Russia Tensions Flare Over Ukraine War Amid Decades-long Land Disputes,” Voice of America, May 8, 2024, https://www.voanews.com/a/japan-russia-tensions-flare-over-ukraine-war-amid-decades-long-land-disputes/7602490.html, accessed June 20, 2024