सारांश: एक मंच होने की वजह से ब्रिक्स के लिए कज़ान घोषणा महत्वपूर्ण है, साथ ही नए सदस्य देशों, यानी इथियोपिया, मिस्र, ईरान और यूएई के लिए भी महत्वपूर्ण, जो पहली बार पूर्णकालिक सदस्य के रूप में बैठक में शामिल हुए। घोषणापत्र में उनके हितों और चिंताओं को सामने रखा गया है, जो ब्रिक्स की समावेशी प्रकृति को दर्शाता है। सऊदी अरब और तुर्की के संभावित सदस्य होने के कारण, घोषणापत्र में व्यक्त मध्य पूर्व के मुद्दों पर गौर करना प्रासंगिक है।
परिचय
23 अक्टूबर 2024 को, ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया, मिस्र, ईरान और यूएई (ब्रिक्स देश) ने 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कज़ान घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिसमें “न्यायसंगत वैश्विक विकास और सुरक्षा हेतु बहुपक्षवाद का सुदृढ़ीकरण” पर ध्यान केंद्रित किया गया। समूह की अध्यक्षता कर रहे रूस ने 13 विभिन्न रूसी शहरों में 200 कार्यक्रम आयोजित करने के पश्चात कज़ान में इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी की।[i] यह घोषणा 33 पन्नों का एक दस्तावेज है जिसमें 134 बिंदु हैं जिन्हें चार अलग-अलग खंडों में विभाजित किया गया है। पहला खंड अधिक न्यायसंगत एवं लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था हेतु बहुपक्षवाद को मजबूत करने से जुड़े मुद्दों से संबंधित है, जबकि दूसरा खंड वैश्विक और क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा हेतु सहयोग बढ़ाने पर बल देता है। तीसरा खंड वैश्विक विकास के लिए आर्थिक और वित्तीय सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर देता है, जबकि चौथे खंड में सामाजिक और आर्थिक विकास हेतु लोगों के बीच आदान-प्रदान को मजबूत करने पर चर्चा की गई है। यह घोषणापत्र काफी विस्तृत और व्यापक है और 2025 में ब्राजील द्वारा आयोजित होने वाले 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आधार होगा। हाल ही में सदस्य बने मध्य पूर्व के देशों, यानी मिस्र, ईरान और यूएई के लिए घोषणापत्र के महत्व को समझना महत्वपूर्ण है।
बहुध्रुवीयता और बहुपक्षवाद
घोषणापत्र का पहला खंड बहुध्रुवीयता और बहुपक्षवाद के महत्व, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका पर भी बल देता है। मात्र कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के प्रभुत्व और उन पर निर्भरता से जुड़े जोखिमों से अवगत, मध्य पूर्व के सदस्य देश बहुध्रुवीयता और बहुपक्षवाद का समर्थन करते हैं, प्रतिनिधित्व को न्यायसंगत एवं समावेशी बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की वकालत करते हैं। दूसरा, दस्तावेज़ उभरते बाजारों और विकासशील देशों (ईएमडीसी) और अल्प विकसित देशों, विशेष रूप से अफ्रीका, लैटिन अमेरिका व कैरिबियन की सार्थक भागीदारी का आह्वान करता है। अपनी अफ्रीकी पहचान पर बढ़ते जोर के साथ, और अफ्रीका में एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में उभरने के लिए, मिस्र ईएमडीसी की बढ़ती भूमिका का समर्थन करेगा। संयुक्त अरब अमीरात और ईरान के लिए, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में ईएमडीसी आर्थिक विकास की संभावना वाले बाजार हैं।[ii]
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ)
ब्रिक्स सदस्यों ने डब्ल्यूटीओ को लेकर अपने समर्थन पर जोर दिया है और संस्था में सुधारों की वकालत की है, जिसमें विकासात्मक आयाम पर विशेष ध्यान देना शामिल है। ऐसा समर्थन विकासशील देशों में आर्थिक लचीलेपन हेतु मिस्र की वकालत के अनुरूप है। जून 2024 में, मिस्र के वाणिज्यिक कार्यालय के प्रमुख, अहमद मघावरी ने प्रौद्योगिकी को स्थानीय बनाने तथा ऋण-प्रभावित देशों में व्यापार को वित्तपोषित करने हेतु प्रभावी नीतियों को अपनाकर विकासशील देशों में आर्थिक लचीलेपन लाने की जरुरत को रेखांकित किया था।[iii] इसके अलावा, डब्ल्यूटीओ के मुद्दों पर ब्रिक्स अनौपचारिक परामर्शी ढांचे की स्थापना का स्वागत करते हुए घोषणापत्र में डब्ल्यूटीओ की एक अच्छी तरह कार्यान्वित, दो-स्तरीय बाध्यकारी विवाद निपटान प्रणाली बनाने का उल्लेख है। डब्ल्यूटीओ का विवाद समाधान नए मध्य पूर्व सदस्यों के लिए चिंता का महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसमें मिस्र और यूएई कई विवादों के पक्ष हैं। मिस्र थाईलैंड, अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा आयात निषेध पर दायर की गई शिकायतों का प्रतिवादी है। इसपर तुर्की और पाकिस्तान द्वारा एंटी-डंपिंग से संबंधित मुद्दों का भी आरोप लगाया गया है।[iv] इसी तरह, यूएई ने पाकिस्तान के खिलाफ एंटी-डंपिंग उपायों के उल्लंघन की शिकायत की है। जब सऊदी अरब, बहरीन, यूएई और मिस्र ने मिलकर 2017 में कतर को हवाई, ज़मीनी और समुद्री पहुँच को अवरुद्ध करके अलग-थलग कर दिया था, तो दोहा ने सभी तरह के नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन पर 1965 के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उल्लंघन हेतु डब्ल्यूटीओ में यूएई के खिलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी। हालाँकि, 2021 में यह विवाद सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझ गया था।[v]
एकतरफा प्रतिबंध
घोषणा में अर्थव्यवस्था पर गैरकानूनी एकतरफा दबावपूर्ण उपायों और अवैध प्रतिबंधों के विघटनकारी प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। ईरान, जो दशकों से इस तरह के प्रतिबंधों से जूझ रहा है, के लिए घोषणा उसकी चिंताओं को सामने रखती है तथा दोहराती है और दर्शाती है कि रूस, चीन और भारत जैसे प्रमुख पड़ोसी देशों के साथ गैर-पश्चिमी समूह अपनी अनिश्चित स्थिति को लेकर आँख मूंदे हुए नहीं है। घोषणा पर हस्ताक्षर करने से दस दिन पहले, अमेरिका ने तेहरान द्वारा 1 अक्टूबर को इज़राइल पर किए गए हमले के जवाब में ईरान के पेट्रोलियम उद्योग पर नए प्रतिबंध लगाए और ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता, इस्माइल बाघई ने इन प्रतिबंधों को अवैध और अनुचित करार दिया।[vi] 14 अक्टूबर को, यूरोपीय परिषद ने ईरान द्वारा रूस को मिसाइल हस्तांतरण के जवाब में सात व्यक्तियों और सात संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए। इन प्रतिबंधों का सीधा असर ईरान के बुरे दौर से गुजर रहे विमानन उद्योग पर पड़ेगा, क्योंकि इन सात संस्थाओं में साहा एयरलाइन, महान एयर और ईरान एयर शामिल हैं।[vii] कज़ान शिखर सम्मेलन में ईरानी राष्ट्रपति पेजेशकियन ने इस बात पर जोर दिया कि ब्रिक्स को यह सुनिश्चित करने हेतु व्यावहारिक और संभलकर कदम उठाने चाहिए कि कोई भी देश किसी अन्य देश पर गैरकानूनी प्रतिबंध न लगाए।[viii]
सतत विकास लक्ष्य एवं ऊर्जा का संक्रमण
कज़ान घोषणापत्र 2030 एजेंडा सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की समावेशी प्रकृति पर बल देता है और इस बात को रेखांकित करता है कि इसके कार्यान्वयन में विभिन्न देशों की परिस्थितियों, क्षमताओं एवं विकास के स्तरों को ध्यान में रखा जाए, और विकास सहायता से जुड़ी राजनीतिक शर्तें अंतर्राष्ट्रीय विकास सहायता प्रदाताओं के प्रयासों में बाधा न बनने दी जाएं। मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (एमईएनए) क्षेत्र ने 2023 में एसडीजी हासिल करने में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है; अरब क्षेत्र एसडीजी सूचकांक और डैशबोर्ड रिपोर्ट 2023 के अनुसार, इस क्षेत्र ने एसडीजी प्रोग्रेस पर 100 में से 59.8 अंक पाये हैं, और 14 देशों ने कोई भी एसडीजी हासिल नहीं किया।[ix] देशों को लैंगिक समानता, भूख उन्मूलन, उचित कार्य एवं आर्थिक विकास, अच्छे स्वास्थ्य व कल्याण, और स्वच्छ जल व स्वच्छता से संबंधित लक्ष्यों को हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।[x] जॉर्डन, ट्यूनीशिया, यूएई, अल्जीरिया, मोरक्को और ओमान एसडीजी हासिल करने में क्षेत्र में सबसे अग्रणी हैं जबकि इन लक्ष्यों को हासिल करने में इराक, यमन और सीरिया का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है।[xi]
इसी तरह, घोषणापत्र में विकासशील देशों की राष्ट्रीय परिस्थितियों पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, जिनकी अर्थव्यवस्थाएं ऊर्जा संक्रमण के लक्ष्य को हासिल करने हेतु जीवाश्म ईंधन और संबंधित ऊर्जा-गहन उत्पादों की आय या खपत पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं। यूएई और ईरान जैसे नए एमईएनए सदस्य देश जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भर हैं और इतने कम समय में इनपर निर्भरता कम करना उनके लिए मुश्किल है। खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था में जीवाश्म ईंधन की अधिक हिस्सेदारी की वजह से यूएई में आयोजित सीओपी28 के दौरान इनके चरणबद्ध तरीके से उन्मूलन करना एक विवादास्पद मुद्दा बन गया, जिसमें न्यायसंगत और समावेशी ऊर्जा संक्रमण पर जोर दिया गया।[xii] ब्रिक्स द्वारा इस मुद्दे को उठाने से इस मंच का सदस्य बनने के लिए अधिक क्षेत्रीय देशों के आकर्षित होने की संभावना है।
गाजा संकट और जेसीपीओए
क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्थिरता से संबंधित घोषणा का दूसरा खंड मध्य पूर्व और अफ्रीका की स्थिति पर केंद्रित है। अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के सम्मान और कूटनीति व संवाद के ज़रिए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर ब्रिक्स के जोर की नए सदस्यों ने सराहना की है। वे ब्रिक्स को कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवीय चिंताओं को व्यक्त करने, गाजा में स्थायी युद्धविराम की आवश्यकता पर जोर देने, लेबनान में खतरनाक स्थिति पर प्रकाश डालने और सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता पर जोर देने हेतु एक मंच मानते हैं। घोषणापत्र में सीरिया में ईरानी राजनयिकों पर अप्रैल 2024 के हमले की निंदा की गई है और जेसीपीओए के कार्यान्वयन पर जोर दिया गया है। ऐसे बड़े मंच पर जेसीपीओए के लिए समर्थन ईरान हेतु महत्वपूर्ण है, खासकर जब डोनाल्ड ट्रम्प 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद सत्ता में आने वाले हैं। ट्रम्प सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान, अमेरिका ने जेसीपीओए से खुद को अलग कर लिया था, और बिडेन प्रशासन के दौरान इस मोर्चे पर सुधार की अटकलों के बावजूद, अभी भी बहुत कुछ हासिल किया जाना शेष है।
स्थानीय मुद्रा
कज़ान घोषणापत्र में स्थानीय मुद्रा में वित्तपोषण को बढ़ाने में न्यू डेवलपमेंट बैंक और ब्रिक्स अंतरबैंक सहयोग तंत्र (आईसीएम) की भूमिका का भी समर्थन किया गया है और ब्रिक्स देशों और उनके संबंधित व्यापारिक भागीदारों के बीच वित्तीय लेनदेन में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग का स्वागत किया गया है। इससे ब्रिक्स के भीतर सम्पर्की बैंकिंग नेटवर्क को मजबूत करने हेतु प्रोत्साहन मिलेगा और ब्रिक्स क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स इनिशिएटिव (बीसीबीपीआई) के अनुरूप स्थानीय मुद्राओं में देनदेन सक्षम होगा। स्थानीय मुद्राओं का इस्तेमाल ईरान के लिए काफी महत्वपूर्ण है, जिसकी अर्थव्यवस्था दशकों से प्रतिबंध झेल रही है। इसने ब्रिक्स के सभी देशों की वित्तीय प्रणालियों को जोड़ने वाली एक साझा मुद्रा का प्रस्ताव रखा था ताकि सीमा पार आर्थिक लेनदेन को सुगम बनाया जा सके और सदस्य देशों के बीच वित्तीय एकीकरण को बढ़ावा दिया जा सके।[xiii] ईरान और रूस ने पहले ही अपने-अपने केंद्रीय बैंकों के ज़रिए अपनी राष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों को जोड़ दिया है, और ईरान ने रूस को इस तंत्र को ब्रिक्स देशों तक बढ़ाने का सुझाव दिया है। रूसी उप विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस इस बात पर विचार करेगा कि ब्रिक्स सदस्यों के बीच स्थानीय मुद्राओं, भुगतान साधनों और प्लेटफार्मों के उपयोग को कैसे बढ़ाया जाए।[xiv]
निष्कर्ष
ब्रिक्स विश्व बैंक, ग्रुप ऑफ सेवन (जी7) और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे बहुपक्षीय समूहों में पश्चिमी प्रभुत्व के विकल्प की तलाश कर रहे ईएमडीसी के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। मध्य पूर्व के देशों के लिए, ब्रिक्स ऐसा मंच है जिसका बहुत अधिक आर्थिक और लोकतांत्रिक प्रभुत्व है, जो दुनिया की अर्थव्यवस्था के एक चौथाई से अधिक और दुनिया की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। एक ओर, नए सदस्य इस मंच का विस्तार और सुदृढ़ीकरण करने में मदद कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर, ब्रिक्स इन देशों के लिए एक प्रतिष्ठित मंच है। कज़ान घोषणापत्र ने मध्य पूर्व के नए सदस्यों की चिंताओं को ठीक से संबोधित किया है, जो समूह में उनको अपनाए जाने और मंच में अन्य क्षेत्रीय देशों के शामिल होने की संभावना और आगामी वर्षों में ब्रिक्स के स्थिर और बढ़ते भविष्य को दर्शाता है।
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*डॉ. लक्ष्मी प्रिया, शोध अध्येता, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार लेखिका के व्यक्तिगत विचार हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] Kazan Declaration: “Strengthening Multilateralism For Just Global Development And Security”, Ministry of External Affairs, Government of India, October 23, 2024, available at https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/38450/Kazan+Declaration++Strengthening+Multilateralism+For+Just+Global++Development+And+Security accessed on November 5, 2024.
[ii] Lakshmi Priya, Iranian Approach-II: Pivot to Asia and the Global South, Indian Council of World Affairs, December 07, 2023, available at /show_content.php?lang=1&level=3&ls_id=10239&lid=6525 accessed on November 05, 2024.
[iii] Egypt calls on WTO to adopt development issues in developing countries, State Information Service, Government of Egypt, June 1, 2024, available at https://sis.gov.eg/Story/193090/Egypt-calls-on-WTO-to-adopt-development-issues-in-developing-countries?lang=en-us accessed on November 05, 2024.
[iv]Dispute Settlement: The Disputes, Dispute by Member, World Trade Organisation, available at https://www.wto.org/english/tratop_e/dispu_e/dispu_by_country_e.htm accessed on November 05, 2024.
[v] Qatar suspends WTO dispute with United Arab Emirates, Ahram Online, January 19, 2021, available at https://english.ahram.org.eg/NewsParis/399166.aspx accessed on November 06, 2024.
[vi] Iran condemns “illegal, unjustified” US sanctions on oil industry, VOA News, October 13, 2024, available at https://www.voanews.com/a/iran-condemns-illegal-unjustified-us-sanctions-on-oil-industry/7820962.html accessed on November 06, 2024.
[vii] Iran: seven individuals and seven entities sanctioned in response to Iran’s missile transfer to Russia, European Council, October 14, 2024, available at https://www.consilium.europa.eu/en/press/press-releases/2024/10/14/iran-seven-individuals-and-seven-entities-sanctioned-in-response-to-iran-s-missile-transfer-to-russia/ accessed on November 06, 2024.
[viii] Iranian president makes 5 proposals at BRICS summit in Russia, Islamic Republic News Agency, October 23, 2024, available at https://en.irna.ir/news/85637266/Iranian-president-makes-5-proposals-at-BRICS-summit-in-Russia accessed on November 07, 2024.
[ix] Hassan Abulenein, How to close sustainable development gaps across the Middle East and North Africa, World Economic Forum, September 23, 2024, available at https://www.weforum.org/stories/2024/09/mena-middle-east-north-africa-progress-sdg-sustainable-development-goals/#:~:text=In%20the%20Middle%20East%20and,Social%20Commission%20for%20Western%20Asia. Accessed on November 07, 2024.
[x] UN SDG goals: Report reveals that Arab countries’ progress vary widely, Zawya, March 31, 2022, available at https://www.zawya.com/en/economy/gcc/un-sdg-goals-report-reveals-that-arab-countries-progress-vary-widely-qxtp8fl7 accessed on November 08, 2024.
[xi] 6 Arab countries achieve 60 percent of UN SDGs, WAM Emirates News Agency, March 30, 2022, available at https://www.wam.ae/en/details/1395303035403 accessed on November 08, 2024.
[xii] Aisha Al Sarihi, COP28 controversy and the challenge of energy transition in the Gulf, December 18, 2023, available at https://www.chathamhouse.org/2023/12/cop28-controversy-and-challenge-energy-transition-gulf accessed on November 11, 2024.
[xiii] F M Shakeel, Iran's plan to establish BRICS-wide currency could change global trade dynamics, Al Mayadeen, July 20, 2024, available at https://english.almayadeen.net/articles/opinion/iran-s-plan-to-establish-brics-wide-currency-could-change-gl accessed on November 11, 2024.
[xiv] New BRICS member Iran calls for digital currency systems this year, Ledger Insights, January 30, 2024, available at https://www.ledgerinsights.com/brics-iran-digital-currency-systems-this-year/ accessed on November 11, 2024.