हाल के वर्षों में भारत और आस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सम्बन्धों को उछाल मिली है। यह विशेष रूप से हाल ही में भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के 21-23 नवम्बर, 2018 के तीन-दिवसीय दौरे के दौरान स्पष्ट दिखाई दिया। पहली बार भारत के राष्ट्रपति के इस आस्ट्रेलियाई दौरे में आस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग परिचर्चा के प्रमुख क्षेत्रों में से एक था। द्विपक्षीय निवेश की सुविधा के लिए इन्वेस्ट इण्डिया तथा आस्ट्रेड के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। आस्ट्रेलिया-भारत व्यापार परिषद् के सम्मेलन को सम्बोधित करते समय उन्होंने कहा कि भारत और आस्ट्रेलिया सशक्त आर्थिक पूरकता साझा करते हैं और व्यापार तथा निवेश, तकनीक, कौशल अथवा शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के "असीमित पहलू तथा सम्भावनाएँ" हैं। भारत के राष्ट्रपति ने आस्ट्रेलियाई वित्तीय समीक्षा भारत व्यापार सम्मेलन को भी सम्बोधित किया जिसमें उन्होंने आस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा हाल ही में विमोचित दस्तावेज 'भारतीय आर्थिक नीति' का सन्दर्भ दिया। राष्ट्रपति के दौरे के समय आस्ट्रेलियाई प्रधानमन्त्री स्कॉट मॉरिसन ने 20 प्राथमिकता वाले सुझाव की रिपोर्ट का सिद्धान्तत: समर्थन करने की घोषणा की और 12 माह के लिए एक प्रारम्भिक क्रियान्वयन योजना निर्गत की।
हाल ही में इस वर्ष आस्ट्रेलियाई सरकार के विदेश मामले तथा व्यापार विभाग ने भारतीय आर्थिक नीति पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। एक पूर्व विदेश मामले तथा व्यापार विभाग के सचिव और साथ ही भारत में पूर्व उच्चायुक्त श्री पीटर एन. वर्गीस द्वारा लिखित '2035 के लिए भारतीय आर्थिक नीति : सम्भावना से यथार्थता तक का अन्वेषण' शीर्षक रिपोर्ट सर्वप्रथम आस्ट्रेलियाई प्रधानमन्त्री को 12 जुलाई, 2018 को प्रदान की गयी। इस रिपोर्ट में आने वाले दो दशकों में भारत-आस्ट्रेलिया के मध्य आर्थिक सहयोग करने की सम्भावनाओं की तलाश की गयी है। इस रिपोर्ट पर उस समय कार्य आरम्भ किया गया था जब अप्रैल, 2017 में पूर्व आस्ट्रेलियाई प्रधानमन्त्री मैल्कम टर्नबुल ने भारत के दौरे के समय घोषणा की कि आस्ट्रेलियाई सरकार भारत में आस्ट्रेलिया व्यापार समुदाय हेतु अवसरों को चिन्हित करने के लिए एक स्वतन्त्र भारतीय आर्थिक नीति का प्रवर्तन करेगी और 2035 तक भारत के विकास के मार्ग पर विचार करेगी।
यह रिपोर्ट सही समय पर सकारात्मक विकास की पहचान करने वाली और साथ ही दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच साझेदारी में वृद्धि करने का भी प्रयास करने वाली है। हाल के वर्षों में जैसे कि आस्ट्रेलिया भारत-प्रशासन वैश्विक दृष्टिकोण को स्वीकार करने के लिए तत्पर है, इसने अपने पश्चिमी पड़ोसी देशों और विशेषकर भारत के साथ अपने सम्बन्धों पर बल दिया है। इसी समय भारत की अपने विस्तारित पूर्वी पड़ोसियों पर केन्द्रित पुनर्जीवित करने वाली 'एक्ट ईस्ट' नीति ने आस्ट्रेलिया को भारत के हितों की परिधि में ला खड़ा कर दिया। अत: बढ़ते व्यापारिक सम्बन्धों के साथ यह रिपोर्ट उनकी पारस्परिक समझ में वृद्धि करेगी और व्याहारिक सहयोग को सुचारु बनायेगी।
भारत-आस्ट्रेलिया आर्थिक सम्बन्ध की सिंहावलोकन
ऐतिहासिक रूप से भारत और आस्ट्रेलिया ने आपसी लाभकारी दीर्घकालीन साझेदारी को प्राकृतिक रूप से विकसित करने के लिए समान वैधानिक तथा प्रशासनिक ढाँचे और उदार लोकतान्त्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता जैसे अनेक क्षेत्रों को साझा किया है। इन प्रासंगिक समानताओं के बावजूद दीर्घकालीन साझेदारी सरलता से साकार नहीं होती है। शीत युद्ध की राजनीति की मजबूरी प्रमुख बाधा थी क्योंकि दोनों देशों ने अपने सम्बद्ध हितों की रक्षा के लिए अलग-अलग रास्ते चुने थे। केवल शीत युद्ध की समाप्ति के बाद ही दोनों देश एक नये दृष्टिकोण के साथ द्विपक्षीय सम्बन्धों के लिए तैयार हो पाये जिससे गत दो दशकों में इनके मध्य सम्बन्धों में आकस्मिक पूर्ण परिवर्तन हुआ। नई दिल्ली की 1991 की 'लुक ईस्ट नीति' और 1990 के प्रारम्भिक कालखण्ड में बाजारी सुधारों ने द्विपक्षीय सम्बन्धों की उछाल हेतु परिवेश निर्मित करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2009 में पूर्वी एशिया सम्मेलन (ईएएस) तथा आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) जैसे क्षेत्रीय बहुपक्षीय ढाँचे के भीतर द्विपक्षीय सहयोग पर बल देते हुए सुरक्षा सहयोग हेतु एक संयुक्त घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये गये। हाल के वर्षों में आस्ट्रेलिया तथा भारत ने अपने-अपने रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे को स्वाभाविक साझेदार के रूप में मान्यता दी। 2014 में दोतरफा प्रधानमन्त्री स्तरीय दौरे तथा 2017 में आस्ट्रेलियाई प्रधानमन्त्री के नई दिल्ली दौरे से द्विपक्षीय सम्बन्धों में वृद्धि को पर्याप्त बल मिला।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था की नींव है जिस पर आर्थिक सम्पन्नता विशेष रूप से निर्भर करती है। भारत आस्ट्रेलिया का पाँचवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2017-18 में भारत का आस्ट्रेलिया के साथ माल तथा सेवाओं का कुल व्यापार 18 बिलियन डॉलर था जिसमें 14 बिलियन डॉलर का आयात तथा 4 बिलियन डॉलर का निर्यात शामिल है। गत वर्ष 2016-17 के 14 बिलियन डॉलर की तुलना में यह एक सार्थक वृद्धि थी।
भारत से आस्ट्रेलिया को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएँ परिष्कृत पेट्रोलियम, खनिज ईंधन, खनिज तेल, फार्मास्यूटिकल उत्पाद, मोती, कीमती अथवा अर्द्धकीमती पत्थर और आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएँ कोयला, गैर-मौद्रिक सोना, ताँबा, ऊन, उर्वरक तथा शिक्षा सम्बन्धी सेवाएँ हैं। निवेश के सन्दर्भ में, 2017 में आस्ट्रेलिया का भारत में निवेश 13,957 बिलियन डॉलर था और भारत का आस्ट्रेलिया में निवेश 15,494 मिलियन डॉलर था।
चित्र : I
स्रोत : वाणिज्य विभाग, निर्यात आयात डाटा बैंक, वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्रालय
http://commerce-app.gov.in/eidblicstcntq.asp पर उपलब्ध
आस्ट्रेलिया का भारत को किया जाने वाला निर्यात कोयले तथा प्राकृतिक गैस की ओर अधिक झुका हुआ है यद्यपि उत्पाद की अन्य वस्तुओं को विस्तारित करने के प्रयास किया जा रहे हैं। आस्ट्रेलिया से भारत को किये जाने वाले निर्यात में पश्चिमी आस्ट्रेलिया का अधिक योगदान है। 1970 के दौरान पश्चिमी आस्ट्रेलिया में तीव्र खनन तथा हाइड्रोकार्बन संसाधनों की खोज ने आस्ट्रेलिया अर्थव्यवस्था में इसकी स्थिति बदल दी। पश्चिमी आस्ट्रेलिया से 2002-03 में 19.4 बिलियन डॉलर का किया गया खनन तथा पेट्रोलियम निर्यात 2017-18 में बढ़कर 109.6 बिलियन डॉलर हो गया जिसने देश के निर्यात व्यापार का 85% योगदान किया। आस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था के केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध पश्चिमी आस्ट्रेलिया देश के कुल निर्यात का 48 प्रतिशत योगदान और कुल व्यापार का लगभग 32 योगदान करता है। भारत इस राज्य का सातवाँ सबसे बड़ा निर्यात गन्तव्य है और 2017-18 में भारत को कुल 3.1 बिलियन डॉलर मूल्य की वस्तुएँ निर्यात की गयीं।
आस्ट्रेलिया अर्थव्यवस्था का हालिया व्यापार सन्तुलन अधिशेष प्राथमिक रूप से ऊर्जा के कारण है जो आस्ट्रेलिया के कुल निर्यात का लगभग आधा है। आस्ट्रेलिया एशिया को प्राकृतिक गैस, कोयला, यूरेनियम तथा एलएनजी का प्रमुख निर्यातक है। किन्तु आस्ट्रेलिया का परिष्कृत तेल का घरेलू रिजर्व देश को केवल कुछ सप्ताहों तक ही आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त है। अत: आस्ट्रेलिया परिष्कृत तेल के निरन्तर आयात पर निर्भर है। एशिया और विशेष रूप से भारत तथा सिंगापुर की बड़ी परिष्करणशालाएँ आस्ट्रेलिया के लिए विश्वसनीय और सस्ती हैं।
भारत अप्रवासियों, पर्यटकों और विद्यार्थियों को आस्ट्रेलिया भेजकर भी पर्याप्त योगदान देता है। भारत आस्ट्रेलिया के शिक्षा क्षेत्र की वृद्धि में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो आस्ट्रेलिया के लिए तीसरा सबसे बड़ा निर्यात अर्जक है। आस्ट्रेलिया द्वारा भारत को निर्यात के सन्दर्भ में शिक्षा दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। 60,000 से अधिक भारतीय विद्यार्थी आस्ट्रेलिया में कुल अन्तर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों का लगभग 45.4% योगदान देते हैं। पर्यटकों हेतु भारत आस्ट्रेलिया का नवाँ सबसे बड़ा बाजार है। 2035 तक आस्ट्रेलिया जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या 2017 के 300,00 की तुलना में लगभग 1.2 मिलियन होने की सम्भावना है।
दोनों देश वर्तमान में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) पर विचार कर रहे हैं। 2011 से अनेक चरणों की वार्ता हो चुकी है। दोनों पक्षों ने पहले ही अपने माल तथा सेवाओं की सूची का आदान-प्रदान कर लिया है। समझौता हो जाने पर सीईसीए व्यापारिक आधार बढ़ायेगा, गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करेगा, निवेश आकर्षित करेगा, माल तथा सेवाओं के निर्यातकों को व्यापक बाजार उपलब्ध करायेगा और व्यापार के लिए सीमा सम्बन्धी बाधाओं को दूर करेगा। भारत तथा आस्ट्रेलिया क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी पर भी बातचीत कर रहे हैं जिसे आरसीईपी अथवा एआरसीईपी कहा जाता है। आसियान समूह के दस देशों तथा आसियान के साथ एफटीए करने वाले छ: देशों अर्थात दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, चीन, जापान, न्यूजीलैण्ड और भारत के मध्य व्यापारिक बाधाओं पर बातचीत हो रही है।
भारत-आस्ट्रेलिया सीईओ फोरम जैसे मंच विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार तथा निवेश सम्बन्धी परिचर्चा के लिए प्रत्यक्ष रूप से संलिप्त करने के लिए दोनों राष्ट्रों से व्यापार की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। हाल के वर्षों में आस्ट्रेलिया भारत रणनीतिक अनुसन्धान कोष (एआईएसआरएफ) जैसी पहलों के माध्यम से आस्ट्रेलिया तथा भारत के बीच ज्ञान आधारित साझेदारी में वृद्धि हुई है। इस कोष का उपयोग कृषि अनुसन्धान, खगोल शास्त्र तथा खगोल भौतिकी, पर्यावरण विज्ञान, माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स, नैनोटेक्नोलॉजी, नवीकरणीय ऊर्जा तथा समुद्र विज्ञान जैसे क्षेत्रों में सहयोगपरक अनुसन्धान परियोजनाओं के लिए किया जायेगा। इसकी स्थापना से दस वर्ष पूर्व एआईएसआरएफ से 100 मिलियन डॉलर से अधिक की राशि 300 संयुक्त परियोजनाओं के लिए प्रदान की गयी जिससे कृषि उत्पादकता, रोगों के उन्मूलन तथा अन्य क्षेत्रों की उन्नति में योगदान मिला। भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता से आस्ट्रेलियाई कोयले, एलएनजी और अब नागरिक नाभिकीय सहयोग समझौते, 2014 के कारण यूरेनियम आपूर्ति के लिए आस्ट्रेलिया को एक महत्त्वपूर्ण बाजार उपलब्ध कराता है। दूसरी ओर भारत की रुचि आस्ट्रेलियाई ऊर्जा तथा संसाधन क्षेत्र और उन्नत विनिर्माण, सेवाओं तथा तकनीक क्षमताओं में निवेश करने की है।
भारत आर्थिक रणनीति प्रतिवेदन तथा सहयोग की भावी रूपरेखा का विश्लेषण
2035 के लिए भारतीय आर्थिक रणनीति : सम्भावना से यथार्थता की खोज सम्बन्धी प्रतिवेदन (रिपोर्ट) महत्त्वाकांक्षी और आस्ट्रेलियाई सरकार के 90 सुझावों सहित भविष्य केन्द्रित है। यह आस्ट्रेलिया-भारत के आर्थिक सम्बन्धों को तीव्रतर करने के लिए सम्भावित क्षेत्रों की तलाश हेतु आस्ट्रेलियाई समुदाय और विशेष रूप से आस्ट्रेलियाई व्यापार की ओर निर्देशित है। भारत में अवसरों की इस बहुलता का इसे ज्ञान है कि अपार श्रम शक्ति सहित भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था 2050 तक 1 बिलियन को पार कर जायेगी जिसका उपयोग आस्ट्रेलियाई सरकार कर सकती है।
इस रिपोर्ट से ज्ञात हुआ है कि यद्यपि भारत पीपीपी के सन्दर्भ में पहले ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान है, फिर भी यहाँ अनेक अछूती सम्भावनाएँ भी हैं। यद्यपि भारत आस्ट्रेलिया का पाँचवा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है किन्तु भारत अब भी चीन के 24 प्रतिशत की तुलना में आस्ट्रेलिया के वैश्विक व्यापार का केवल 3.6 प्रतिशत व्यापार कर पा रहा है। अत: इस नीति का लक्ष्य भारत के शीर्ष आर्थिक साझेदारों, भारत को आस्ट्रेलिया के शीर्ष तीन निर्यातक बाजारों में शामिल करना है और 2035 तक एशिया में आस्ट्रेलियाई निवेश हेतु इसे तीसरा सबसे बड़ा केन्द्र बनाना है। इस उद्देश्य के लिए आस्ट्रेलिया में भारत तथा संस्थानों के उत्तम तालमेल की आवश्यकता है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आस्ट्रेलिया को यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि भारत कोई एकल राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था नहीं है बल्कि विभिन्न राज्य अर्थव्यवस्थाओं का समुच्चय है जिनमें से प्रत्येक विभिन्न दरों से विकास कर रहे हैं और विभिन्न शक्तियों और विनियामक प्रवृत्तियों द्वारा नियमित हैं तथा उनकी प्रगति असमान रहने की सम्भावना है। चूँकि आस्ट्रेलिया भारत के साथ घनिष्ठ आर्थिक सम्बन्ध बनाने का इच्छुक है अत: इसे भारत के 'सहकारी तथा प्रतिस्पर्द्धी संघवाद' के मॉडल को समझना आवश्यक है।
नीति के केन्द्र के रूप में इस रिपोर्ट में आस्ट्रेलियाई व्यापार तथा निवेश हेतु दस उत्कृष्ट क्षेत्रों को चिन्हित करती है और दस राज्यों में घनिष्ठ आर्थिक सम्बन्धों हेतु अपार सम्भावनाएँ हैं। ये राज्य महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, पंजाब, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश हैं। दस क्षेत्रों को एक अग्रणी क्षेत्र में विभाजित किया गया-एक क्षेत्र शिक्षा, कृषि-व्यापार, संसाधन तथा पर्यटन सहित तीन प्रमुख क्षेत्र तथा ऊर्जा, स्वास्थ्य, वित्तीय सेवाओं, अवसंरचना, खेल, विज्ञान तथा नवाचार सहित छ: अग्रणी क्षेत्र हैं। इस रिपोर्ट में राज्यों के मध्य व्यापारिक बाधाओं को दूर करने की दिशा में 2017 में भारत में प्रारम्भ की गयी जीएसटी की एक बड़े कदहम के रूप में प्रशंसा भी की गयी है।
इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत-आस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय सम्बन्ध त्रिस्तम्भीय नीति भूराजनीतिक, जनशक्ति तथा आर्थिक पर आधारित होने चाहिए। भारत-प्रशान्त क्षेत्र के बदलते भूराजनीतिक परिवेश में दोनों देशों को ठोस सहयोगात्मक सम्बन्ध विकसित करने की आवश्यकता है। आर्थिक सम्बन्धों को भारत के साथ समग्र द्विपक्षीय सम्बन्ध के ढाँचे में विकसित करना चाहिए। जनता से जनता के परस्पर सम्पर्क और आस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय के योगदान को स्वीकार करने पर भी बल देना चाहिए। इस रिपोर्ट की यह मान्यता है कि विशाल "700,000 भारतीय समुदाय के लोग अब आस्ट्रेलिया की आर्थिक परिसम्पत्ति हैं।" उनके पास भारतीय बाजार तथा राजनीतिक सांस्कृतिक परिक्षेत्र की जानकारी होने के कारण भविष्य में व्यापार, शिक्षा तथा जन समाज के क्षेत्र में यह साझेदारी निर्मित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
वर्तमान स्थिति में सीईसीए के विषय में बातचीत की प्रगति थोड़ी मन्द प्रतीत होती है। दोनों देशों में अगले वर्ष चुनाव होने वाले हैं। दोनों देशों के बदलते राजनीतिक माहौल भी सम्बन्धों का निर्धारण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। इस रिपोर्ट का एक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि सीईसीए पर भारत तथा आस्ट्रेलिया की वार्ता की स्थिति अभी साकार रूप लेने में "बहुत दूर" है। अत: इस स्थिति में आस्ट्रेलिया को आरसीईपी अनुबन्ध में भारत के साथ प्राथमिकताओं पर वार्ता करने के बजाय आरसीईपी सम्पन्न हो जाने पर द्विपक्षीय व्यापार वार्ता की ओर वापस मुड़ना चाहिए।
इस रिपोर्ट का अन्तिम निष्कर्ष यह है कि ऐसा कोई बाजार नहीं है जो अगले 20 वर्षों में भारत की अपेक्षा अधिक अवसर प्रदान कर सके जिसके अगले 20 वर्षों में 6 से 8 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगी। इसमें यह भी उल्लेख है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास करने से इसके विकास का मार्ग आवश्यक रूप से रैखिक नहीं होगा और भिन्न-भिन्न अन्तर्राष्ट्रीय तथा घरेलू परिस्थितियों के कारण चीन जैसी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं से भिन्न होगा।
समग्र रूप से इस रिपोर्ट का लक्ष्य भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ पूरकताओं तथा अन्त:प्रचालकताओं की खोज करना है। इस उद्देश्य के लिए इसका सुझाव है कि विभिन्न मुद्दों पर गहन परिचर्चा का परिवेश तैयार करने के लिए भारत के साथ एक मन्त्रिस्तरीय नीतिगत आर्थिक संवाद संस्थापित किया जाये। यह अवसंरचनात्मक वित्तपोषण में विशेषज्ञता के विनिमय, जोखिमों को कम करने तथा उचित प्रवेश विकसित करने और भारत में निवेश हेतु नीतियाँ निर्मित करने के लिए दोनों देशों की सरकार तथा निजी क्षेत्र के मध्य सहयोग हेतु एक मंच के रूप में आस्ट्रेलिया-भारत अवसंरचना परिषद का गठन करने का भी सुझाव देती है।
निष्कर्ष
आस्ट्रेलिया न केवल एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार के रूप में बल्कि एक उभरते रणनीतिक साझेदार के रूप में भी भारत के साथ अपने सम्बन्ध बढ़ाने में अत्यधिक रुचि रखता है। दोनों देश अमेरिका तथा जापान सहित भारत-प्रशान्त क्षेत्र में स्थिरता, मुक्तता तथा नियम आधारित व्यवस्था के लक्ष्य को व्यापक रूप से साझा करते हैं जिस पर उनकी आर्थिक स्थिरता तथा सुरक्षा निर्भर करती है। यह साझा दृष्टिकोण चार मन्त्रणाओं (अमेरिका, जापान, भारत तथा आस्ट्रेलिया) का आधार निर्मित करता है। इसके बावजूद यद्यपि द्विपक्षीय सम्बन्ध विकसित हो रहे हैं किन्तु व्यापक भारत-प्रशान्त क्षेत्र में एक स्थिर क्षेत्रीय व्यवस्था के निर्माण हेतु सक्रिय भूमिका निभाने के क्रम में दोनों पक्षों में अब भी एक राजनीतिक द्वैधवृत्तिता है। दोनों देशों के मध्य सुरक्षा सहयोग की गति मन्द है। यह क्षेत्रीय मामलों में चीन तथा रूस की भूमिका के प्रति उनके भिन्न मतों के कारण है क्योंकि आस्ट्रेलिया अमेरिका, चीन तथा भारत के साथ अपने सम्बन्धों को सन्तुलित बनाये रखने का प्रयास करता है और वह किसी ऐसे झंझट में नहीं पड़ना चाहता है। अत: भारत तथा आस्ट्रेलिया के मध्य सम्बन्ध को आर्थिक सहयोग द्वारा आगे बढ़ाया जा सकता है। आर्थिक पूरकताएँ अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग को बढ़ावा दे सकती हैं। आस्ट्रेलिया तथा भारत भारत-प्रशान्त क्षेत्र और विशेष रूप से ईएएस में आर्थिक एकीकरण तथा रणनीतिक स्थिरता हेतु वर्तमान क्षेत्रीय बहुपक्षीय संस्थाओं में रुचियों को साझा करते हैं। आस्ट्रेलिया भी एपीईसी में भारत के सम्मिलित होने का समर्थन करता है। आस्ट्रेलिया भारत के औद्योगिक तथा अवसंरचनात्मक विकास सम्बन्धी आवश्यकताओं की सुचारु आपूर्ति करता है। इसके साथ-साथ आस्ट्रेलिया का सीमित घरेलू उत्पादन आधार आस्ट्रेलिया के तैयार माल और विशेष रूप से परिष्कृत तेल के आयात में भारत के योगदान हेतु एक अवसर प्रदान करता है। समग्र रूप से यह रिपोर्ट प्रदर्शित करती है कि सहयोग की सम्भावना रोमांचक है। अब इस व्यापक रिपोर्ट की पुष्टि आस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा की गयी है जिसकी व्यापक, बहुआयामी सहयोग के अवसरों की खोज भविष्य के लिए भारत-आस्ट्रेलिया आर्थिक सम्बन्धों को गति देने का एक विश्लेषणात्मक आधार प्रदान करती है।
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* लेखिका, शोधार्थी, विश्व मामलों की भारतीय परिषद्, नई दिल्ली
अस्वीकरण : इसमें व्यक्त किये गये विचार शोधार्थी के हैं न कि परिषद के।
अन्त्य टिप्पणी :
सिडनी में आस्ट्रेलिया-भारत व्यापार परिषद के कार्यक्रम में राष्ट्रपति का सम्बोधन, 22 नवम्बर, https://meagov.i rVSpeechgs‑Statements. htm?dt1/30624/A ddress by_Prgd dent_at_AustraliaIndia_Business Council_eventin_Sydney
मीडिया रिलीज, 22 नव. 2018, प्रधानमन्त्री, व्यापार, पर्यटन तथा निवेश मन्त्री, https://www.pm.gov.au/media/boosting-our-economic-ties-india
प्रधानमन्त्री टर्नबुल तथा प्रधानमन्त्री मोदी का संयुक्त वक्तव्य, 2017 में भारत दौरा, 10 अप्रैल, 2017, आस्ट्रेलियाई सरकार, विदेश मामले तथा व्यापार विभाग, https://dfat.gov.au/geo/india/Pagealjoint-statement-by-prime-ministerturnbulI-and-prime-minister-modi-visit-to-india-2017.aspx
वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्रालय, भारत सरकार, निर्यात-आयात डाटा बैंक, http://commerce‑app.gov.i n/eidb/iecnt.asp
द आस्ट्रेलियन आस्ट्रेलियाई सरकार, विदेश मामले तथा व्यापार विभाग, https://dfat.gov.au/traddrespurces/Documentslinia.pdf
पश्चिमी आस्ट्रेलियाई सरकार, रोजगार, पर्यटन, विज्ञान, नवाचार विभाग, "वेस्टर्न आस्ट्रेलिया इकॉनॉमिक प्रोफाइल, सितम्बर 2018", https://www.jtsi.wagov.au/docsidefault-spurceldefault-document-Iibrary/wa-economic-profiIe-0918.pdf ?sfvrsn=ee0d721c_4
रोजगार, पर्यटन, विज्ञान, नवाचार विभाग, पश्चिमी आस्ट्रेलिया, https://www.jtsi.wagov.au/trade-with-wa
bid, सं. 4
हॉफमैन, मार्टिन (2013), "समुद्री व्यापार का महत्त्व : आस्ट्रेलिया की ऊर्जा सुरक्षा के परिदृश्य", जस्टिन जोन्स (संस्करण) में, मैरीटाइम स्कूल ऑफ स्ट्रैटेजिक थॉट फॉर आस्ट्रेलिया पर्सपेक्टिव्स, सी पॉवर सीरीज-1, सी पॉवर सेंटर, पृ. 126.
इण्डिया कंट्री ब्रीफ, आस्ट्रेलियाई सरकार, विदेश मामले तथा व्यापार विभाग, https://dfat.gov.au/geo/india/Pages/india-country-brief.aspx
पीटर वर्गीस, 2035 के लिए भारतीय आर्थिक नीति : सम्भावना से यथार्थता तक की तलाश, 2018, वृ. 146, https://dfat.gov.au/geo/indialiealpdf/df at-and ndia-economic-strategy-to-2035.pdf
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बिड सं. 8
2035 हेतु भारतीय आर्थिक नीति, पृ. 7, https://dfat.gov.au/geo/indialies/pdf/dfat-an-india-economic-strategy-to-2035.pdf
बिड पृ. 356
बिड पृ. 332
बिड पृ. 63 तथा 231