इंडोनेशिया में 1999 के बाद से चुनावों का क्रमिक संचालन लोकतांत्रिक एकीकरण का सकारात्मक संकेत और इसकी पवित्रता सुनिश्चित करने की दिशा में इंडोनेशिया का संकल्प है।
डॉ. तेमजेनमेरेन ओ *
सारांश
इंडोनेशिया में 17 अप्रैल 2019 को 185 मिलियन से अधिक इंडोनेशियाई मतदाता देश के 12वें आम चुनाव और इसके पहले विधायी और राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेंगे। यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एक दिवसीय चुनाव है - जो केवल अमेरिका के पीछे है - जबकि सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत में चुनाव चरणबद्ध1 तरीके से कराए जाते हैं। इंडोनेशिया का 2019 का राष्ट्रीय चुनाव सुधारों की अवधि के बाद से लगातार पाँचवाँ चुनाव 2 है, जो 21वीं सदी के आरंभ होने से पहले 1999 में संपन्न हुआ था। यह शोध पत्र 2019 के चुनावों को लोकतांत्रिक राजनीतिक संस्थानों और समकालीन इंडोनेशियाई शासन व्यवस्था और समाज में आधार प्राप्त करने के एक प्रमाण के रूप में देखता है।
इंडोनेशिया एक प्रतिनिधि गणराज्य है जिसके अंतर्गत राष्ट्रपति राज्य और सरकार दोनों के प्रमुख होते हैं। इंडोनेशिया का 1945 का संविधान देश की सरकार की व्यवस्था का आधार है, जो विधायी, कार्यकारी और न्यायिक शक्तियों को सीमित करने का प्रावधान करता है। 1950 के दशक3 के बाद से इंडोनेशिया में पहला स्वतंत्र आम चुनाव कराने के लिए योजनाएं बनाई गई थीं। हालांकि, उस समय के चुनावों को पश्चिमी शैली का माना जाता था, जो इंडोनेशियाई संस्कृति के अनुरूप नहीं थी। राष्ट्रपति सुहार्तो के शासन के दौरान, 1985 में पाँच राजनीतिक कानून लागू किए गए थे। इन कानूनों को व्यापक रूप से न्यू ऑर्डर4 का कानूनी आधार माना जाता था और इसने किसी भी विपक्षी दल के लिए सत्ता हासिल करना असंभव बना दिया। सुहार्तो के पतन और 21 मई 1998 को बखरुद्दीन जुसुफ हबीबी के अधीन अंतरिम सरकार की स्थापना के बाद, सुधारवादी आंदोलन द्वारा शीघ्र चुनाव के लिए काफी दबाव डाला गया था। राष्ट्रपति हबीबी ने चुनाव की अधिक स्वीकार्य प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए 1985 के राजनीतिक कानूनों को संशोधित करना प्राथमिकता बना दिया ताकि 1945 के वर्तमान संविधान में प्रतिनिधित्व को समायोजित किया जा सके।5
इंडोनेशिया चुनाव दिवस 7 जून, 1999, मतपत्रों की गिनती देखते हुए जकार्ता के निवासी
सुधारवादी आंदोलन ने संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन किए, जिनसे सरकार की तीनों शाखाएं प्रभावित हुईं, इसमें महत्वपूर्ण मानवाधिकार प्रावधानों को जोड़ा गया और पहली बार संविधान में ’चुनाव’ की अवधारणा को डाला गया।6 इंडोनेशियाई संसद ने राजनीतिक दलों, आम चुनावों और 7 जून 1999 को संसद की संरचना से संबंधित तीन राजनीतिक कानूनों की पुष्टि के बाद चुनाव के संचालन का मार्ग प्रशस्त किया। इंडोनेशियाई संसद में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (दीवान परवाकिलन रैयत/डीपीआर) और क्षेत्रीय प्रतिनिधि परिषद (दीवान परवाकिलन दाराह/डीपीडी) शामिल हैं, दोनों ही पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं। डीपीआर 1945 के संविधान द्वारा स्थापित एक मौजूदा निकाय है, जबकि 2001 में संविधान के एक संशोधन के माध्यम से द्विसदनीयता की ओर एक कदम बढ़ाने के साथ डीपीडी का गठन किया गया था। डीपीआर में कुल 560 प्रतिनिधि हैं जबकि डीपीडी में 132 प्रतिनिधि हैं।7
2019 के लिए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार: (बाएँ से दाएँ) राष्ट्रपति जोको विडोडो, मारूफ अमीन, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) प्रबावो सबिएंतो और संडियागा सोलेहुद्दीन ऊनो
संविधान को 1945 में एक बार फिर संशोधित किया गया और एक शक्तिशाली, पार्टी-केंद्रित राष्ट्रपतित्व को लोकप्रिय चुनाव के अधीन किया गया था तथा इसे अधिकतम पाँच वर्ष के दो कार्यकाल तक सीमित कर दिया गया था। चुनाव के लिए राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का निर्धारण डीपीआर में पार्टियों के समर्थन को प्रदर्शित करता है। राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की टीम को यह दिखाने की जरूरत होती है कि उन्हें मौजूदा डीपीआर में कम से कम 20% सीटों वाली पार्टियों का समर्थन प्राप्त है या पिछले चुनाव में उनकी पार्टियों को 25% वोट मिले थे। 2019 के आसन्न चुनाव के लिए, वर्तमान राष्ट्रपति जोकोवी और उनके चुनाव लड़ रहे साथी मारूफ अमीन की उम्मीदवारी का नौ दलों द्वारा समर्थन किया जा रहा है। सामूहिक रूप से यह गठबंधन संसद में 60% सीटों और पिछले चुनावों के 62% वोटों का प्रतिनिधित्व करता है। उनके गठबंधन का जकार्ता के उप-गवर्नर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) प्रबावो सबिएंतो और सैंडिगा सोहलुद्दीन ऊनो से मुकाबला है। यह गठबंधन श्री प्रबाओ की पार्टी (गरिंद्र) और अन्य चार प्रमुख दलों द्वारा समर्थित है जो पिछले चुनावों से सामूहिक रूप से 40% सीटों और 36% वोटों का प्रतिनिधित्व करती हैं। राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 50% से अधिक लोकप्रिय वोट प्राप्त करना आवश्यक है। यदि कोई उम्मीदवार पहले दौर में 50% वोट हासिल नहीं करता है, तो दूसरे दौर में शीर्ष दो उम्मीदवार जोड़ों में मुकाबला होता है।8 2019 में राष्ट्रीय चुनाव के मतदाता पहली बार राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के साथ डीपीआर, डीपीडी और क्षेत्रीय विधान परिषद (डीपीआरडी) के सदस्यों का चुनाव करेंगे।9
वर्तमान में जकार्ता के अटमा जया-विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर, डॉ पैट्रिक ज़िगेनहिन को इंडोनेशिया के एक पारदर्शी और स्थिर लोकतंत्र में संक्रमण करने की निश्चितता पर संदेह है। उनके अनुसार देश पिछले और वर्तमान शासन के शक्तिशाली निहित स्वार्थ, एक अपरिपक्व पार्टी प्रणाली और अलगाववाद की केन्द्रापसारक ताकतों के अस्तित्व जैसी कई बाधाओं का सामना कर रहा है। फिर भी, उन्होंने यह भी समझाया है कि इंडोनेशिया में लोकतंत्रीकरण की गति को दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ सावधानीपूर्वक चलाया जा रहा है। इसकी चुनाव प्रक्रिया के मामले की तरह, सुधारों के माध्यम से किए जा रहे वृद्धिशील बदलाव यह इंगित करते हैं कि इंडोनेशिया ने लोकतंत्र और समृद्धि के लिए एक लंबा लेकिन निश्चित मार्ग चुना है।10
आज, इंडोनेशिया पुरानी सत्तावादी सरकार प्रणाली से लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली में स्थानांतरित हुआ है और नागरिक समाज से अतिरिक्त संसदीय प्रतिनिधियों की बढ़ती भूमिका के साथ व्यापक सार्वजनिक वैधता प्राप्त कर रहा है। 1999 के बाद से समयबद्ध तरीके से इसके चुनावों का संचालन एक ऐसा संकेतक है, जो बताता है कि इंडोनेशिया में लोकतांत्रिक समेकन आज एक सकारात्मक प्रक्षेपवक्र पर आधारित है। पूर्ण लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए इंडोनेशिया में चल रहे संक्रमण ने इसे आगे के संवैधानिक संशोधनों के लिए सही पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में सक्षम किया है। इन संवैधानिक सुधारों ने इसे आगे अधिक स्थिर संरचनाओं और प्रक्रियाओं को स्थापित करने में सक्षम किया है, जो राजनीतिक निर्णय लेने वाले नियमों को निर्धारित करते हैं। इंडोनेशिया में सुहार्तो के पतन के बाद से इस्लामिक राजनीति का पुनरुत्थान एक चिंता का विषय है। हालाँकि, इंडोनेशिया के दो सबसे अधिक सदस्य-आधारित इस्लामी नागरिक समाज संगठन - नहदतुल उलमा और मुहम्मदिया - दुनिया में इंडोनेशिया के इस्लामिक स्टेट बनने या कानून के एकमात्र स्रोत के रूप में शरिया की स्थापना के समर्थन में नहीं हैं। इसके अलावा, यह उल्लेख करना आवश्यक है कि इंडोनेशियन डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ स्ट्रगल जैसी गैर-प्रमुख पार्टियों के लिए बहुत मजबूत लोकप्रिय समर्थन यह इंगित करता है कि बहुसंख्यक इंडोनेशियाई धर्म के आधार पर वोट नहीं देते हैं, राष्ट्रपति जोकोवी इसी पार्टी से हैं। इंडोनेशिया में लोकतंत्र के गहन होने और विस्तारण ने अर्थशास्त्र और सुरक्षा के क्षेत्र में अन्य देशों के साथ साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए सही संकेत दिए हैं। इसके अलावा, स्थिर राजनीतिक वातावरण ने विकास और स्थिरता के लिए त्वरित गति प्राप्त करने के लिए 2014 में राष्ट्रपति जोकोवी द्वारा घोषित अपने ग्लोबल मैरीटाइम फुलक्रम (जीएमएफ) के अंतर्गत नए विकास के एजेंडे को सक्षम किया है।
*डॉ. तेमजेनमेरेन ओ , भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
अस्वीकरण: व्यक्त मंतव्य लेखक के हैं और परिषद के मंतव्यों को परिलक्षित नहीं करते।